हिमोफिलिया से पीड़ित मरीजों को अब फैक्टर 8 लगाने के लिए उदयपुर या गुजरात नहीं जाना पड़ेगा। डूंगरपुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ही अब फैक्टर 8 की सुविधा शुरू हो गई है। इससे मरीजों को अब बाहर जाने की समस्या से छुटकारा मिलेगा। हिमोफिलिया जागरूकता को लेकर मेडिकल कॉलेज डूंगरपुर के शिशु रोग विभाग ओर हिमोफिलिया सोसाइटी उदयपुर की ओर से कार्यशाला का आयोजन किया गया। अस्पताल के डिप्टी कंट्रोलर डॉ. सीपी रावत, शिशु रोग विभाग के प्रभारी डॉ. निलेश गोठी, डॉ. गौरव यादव, डॉ रामप्रकाश बैरवा, हिमोफिलिया सोसाइटी उदयपुर के सेक्रेट्री बाबूलाल राजपुरोहित की मौजूदगी में हिमोफिलिया से बचाव ओर जागरूक को लेकर जानकारी दी गई। कार्यक्रम में डूंगरपुर जिले से हिमोफिलिया से पीड़ित मरीज ओर उनके परिजन भी मौजूद रहे। डॉ. गौरव यादव ने कहा कि हिमोफिलिया से पीड़ित मरीजों को डरने या घबराने की जरूरत नहीं है। हिमोफिलिया के लक्षण दिखने पर तुरंत ही डॉक्टर से जांच करवाए और इलाज ले। डॉ. ने बताया कि हिमोफिलिया के मरीज को अब तक फैक्टर 8 लगाने के लिए उदयपुर या दूसरी जगह जाना पड़ता था, लेकिन अब डूंगरपुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के शिशु रोग विभाग ने फैक्टर 8 लगाया जाएगा। इससे फैक्टर 8 के लिए दूसरी जगह चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। वहीं, मरीजों को भी हीमोफीलिया को।लेकर जागरूक रहने के लिए प्रेरित किया।
सीएम भूपेंद्र पटेल ने भारत में जापानी राजदूत का किया स्वागत, गुजरात को जापान का दूसरा घर बताया
गांधीनगर, 11 जुलाई . गुजरात के Chief Minister भूपेंद्र पटेल ने गांधीनगर में जापान की आर्थिक एवं विकास मंत्री कोयोको होकुगो के साथ भारत में जापानी राजदूत ओनो केइची से शिष्टाचार भेंट की. जापानी राजदूत ने गुजरात की अपनी तीन दिवसीय यात्रा के दौरान Thursday को धोलेरा एसआईआर और Ahmedabad में 150 प्रमुख उद्योगपतियों और ... Read more
ढहते पुल, उधड़ी सड़कें और विकास के खोखले दावे, मानसून में भरोसे के अलावा ढहती जिंदगियां
Bridge collapsed in Gujarat: भारत में हर साल बड़े-बड़े विकास कार्यों के दावे किए जाते हैं, लेकिन हर मानसून में ढहते पुल, उधड़ी सड़कें और खराब डिजाइन से बने ढांचे सरकारों की लापरवाही, अधिकारियों की गैर जवाबदेही और व्यापक भ्रष्टाचार की पोल खोल देते ...
सरदार सरोवर बांध के मुआवजे को लेकर मध्यप्रदेश और गुजरात सरकार झगड़ रही हैं। मध्यप्रदेश 7,669 करोड़ रुपए गुजरात से मांग रहा है, वहीं गुजरात 281 करोड़ रुपए पर ही विचार करने की बात कह रहा है। हालत यह है कि मध्यप्रदेश सरकार ने गुजरात के रवैये को गुमराह करने वाला और झूठा बताया है। विवाद का खामियाजा डूब क्षेत्र में आने वाले मध्यप्रदेश के वो लोग भुगत रहे हैं जो पुनर्वास के इंतजार में हैं। नर्मदा बचाओ आंदोलन की मेधा पाटकर के मुताबिक आज भी करीब 10 हजार लोगों का पूरी तरह से पुनर्वास नहीं हुआ है। अधिकारी हर बार फंड की कमी का हवाला देते हैं। 23 साल से चल रहे विवाद को सुलझाने के लिए जुलाई के आखिरी सप्ताह में गुजरात के केवड़िया में दोनों राज्यों के मध्यस्थों की बैठक होने वाली है। इससे पहले दैनिक भास्कर ने दोनों राज्यों के बीच हुए गोपनीय पत्राचार और दस्तावेज हासिल किए हैं। इन दस्तावेजों की पड़ताल की। दोनों राज्यों के अफसरों से बात की। एमपी सरकार ने शुरुआत में 281.46 करोड़ का मुआवजा मांगा एमपी सरकार के नर्मदा घाटी विकास विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव ने पहले पत्र में वन वृद्धि क्षेत्र के लिए 112.51 करोड़ रुपए मुआवजा मांगा। दूसरे पत्र में सरकारी जमीन के लिए 157.61 करोड़ रुपए और तीसरे पत्र में डूब क्षेत्र में आने वाली वन भूमि के लिए 11.34 करोड़ रुपए मांगे। इस तरह कुल 281.46 करोड़ रुपए का मुआवजा मांगा गया। उस समय सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई 90 मीटर थी। बांध की ऊंचाई बढ़ी तो मुआवजे की राशि बढ़ गईसरदार सरोवर बांध परियोजना की नींव 5 अप्रैल 1961 को तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने रखी थी। 56 साल बाद 17 सितंबर 2017 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांध का उद्घाटन किया। इतने सालों में बांध की ऊंचाई 5 बार बढ़ाई गई। 1995 में सुप्रीम कोर्ट ने बांध की ऊंचाई 80.3 मीटर तक सीमित रखने को कहा था। मगर, लगातार बांध की ऊंचाई बढ़ती गई और 2014 में इसे 138.68 मीटर कर दिया गया। साल 2019 में जब बांध को पूरी क्षमता के साथ भरा गया तब मप्र ने डूब क्षेत्र में आई अपने हिस्से की जमीन का फिर से आकलन किया और साल 2019-20 के बाजार मूल्य के हिसाब से गुजरात सरकार से 7,669 करोड़ रुपए के संशोधित मुआवजे की मांग की। गुजरात ने मुआवजा देने से किया इनकारभास्कर को मिले गोपनीय दस्तावेजों के मुताबिक गुजरात ने पुरानी मुआवजा राशि (281.46 करोड़ रुपए) को लेकर 23 सितंबर 2003 को एमपी सरकार के तीनों पत्रों का जवाब दिया। इसमें साफ कहा कि वो भुगतान नहीं करेंगे। इसके बाद 7 अक्टूबर 2003 को दोनों राज्य सरकारों के अधिकारियों की एक बैठक गुजरात के वडोदरा में हुई। बैठक का कोई नतीजा नहीं निकला। इसके बाद एमपी सरकार ने एनडब्ल्यूडीटी अवॉर्ड के तहत विवाद को मध्यस्थता (आर्बिट्रेशन) के लिए ले जाने का निर्णय लिया। मुआवजा न देने पर एमपी ने गुजरात के बयान को झूठा बतायाइसके बाद दो दशक तक बैठकों का दौर चलता रहा, मगर कोई नतीजा नहीं निकला। इसी कड़ी में 12-13 अगस्त 2024 को दोनों ही राज्यों के मध्यस्थों की गुजरात के गांधीनगर में एक बैठक हुई, जिसके बाद 17 अगस्त 2024 को गुजरात सरकार ने मध्यस्थों के सामने पत्र के माध्यम से लिखित प्रस्तुतिकरण (सबमिशन) पेश किया। गुजरात सरकार ने अपने प्रस्तुतिकरण में कई जरूरी दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए थे। मप्र सरकार ने दोनों सरकारों के बीच हुए पत्राचार और कुछ दस्तावेज जुटाए। जिसके बाद अपना जवाब पेश किया जिसमें गुजरात सरकार के कथन को 'पूरी तरह झूठा' और 'भ्रामक' बताया। गुजरात के 4 दावे, एमपी ने तर्कों से किए खारिज 17 अगस्त 2024 को गुजरात ने एमपी के मुआवजा संबंधी दावों पर सवाल उठाए थे। गुजरात ने जो सबमिशन (प्रस्तुतीकरण) दिया उसमें लिखा कि एमपी ने मुआवजे के संबंध में मांगी गई जानकारी नहीं दी और एमपी द्वारा की गई संशोधित मुआवजे की मांग पर भी सवाल उठाए। एमपी ने तर्कों से इन सभी दावों को खारिज कर दिया। सिलसिलेवार जानिए इन दावों के बारे में... 1. गुजरात का दावा: एमपी ने मुआवजे के संबंध में मांगी जानकारी नहीं दी एमपी का तर्क: एमपी सरकार ने इसका जवाब देते हुए लिखा कि- गुजरात ने जानकारी मांगने वाला पत्र 16 सितंबर 2003 को लिखा था। जो 26 सितंबर 2003 को हमें मिला। इस पत्र का कोई महत्व नहीं है क्योंकि इसके तुरंत बाद गुजरात सरकार ने 23 सितंबर 2003 को मुआवजे के दावे पर विचार करने से साफतौर पर मना कर दिया था। 2. गुजरात का दावा: 157.61 करोड़ रुपए की मांग को खारिज नहीं किया एमपी का तर्क: गुजरात ने यह बयान बाद में सोचा है और यह पूरी तरह से झूठा और भ्रामक है। 7 अक्टूबर 2003 को दोनों राज्यों के अधिकारियों के बीच बैठक हुई थी। जिसमें डूब क्षेत्र में आने वाली एमपी की राजस्व और वन भूमि के मूल्यांकन से जुड़े विवाद का हल निकलना था, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला। गुजरात ने मुआवजा देने से साफ इनकार किया, इसलिए मध्यस्थता के लिए जाना पड़ा। 3. गुजरात का दावा: एमपी ने 2 सितंबर 2006 को मध्यस्थता आयोग को पत्र लिखा, मुआवजा दावा पेश किया एमपी का तर्क: जून 2015 तक तो मध्यस्थता प्रक्रिया शुरू ही नहीं हुई थी। मध्यस्थों की पहली बैठक 23 जून 2015 को गुजरात के गांधीनगर में हुई , जिसमें एमपी से मुआवजे के संबंध में अपना दावा प्रस्तुत करने के लिए कहा गया । इसके बाद अगले 6 सालों तक बैठक नहीं केवल पत्राचार हुआ। बैठकों का सिलसिला 1 सितंबर 2021 से शुरू हुआ। 4. गुजरात का दावा: एमपी ने मुआवजा संबंधित दस्तावेज नहीं दिए एमपी का तर्क: 12 अक्टूबर 2021 को हुई मध्यस्थों की बैठक हुई थी, जिसमें एमपी सरकार से चार महीने के भीतर 11 फरवरी 2022 तक अपना मुआवजा दावा पेश करने के लिए कहा था। एमपी ने 10 फरवरी 2022 को ये दावा सौंप दिया था। इस बैठक में ये भी तय हुआ था कि गुजरात इस दावे पर 12 मई 2022 तक जवाब देगा। ऐसा न करते हुए गुजरात दस्तावेज मांगने लगा। दो साल बाद गुजरात बोला- पुराने मुआवजा दावे पर विचार के लिए तैयार एमपी ने तर्कों से गुजरात के सारे दावों को खारिज किया तो गुजरात ने दो साल तक कोई जवाब नहीं दिया। 21 मार्च 2024 को मध्यस्थों की फिर बैठक हुई। बैठक के मिनट्स के मुताबिक गुजरात ने एक पत्र में सुझाव दिया था कि वह 2001 में किए गए एमपी के दावों पर विचार करने के लिए तैयार है। यानी वह 281 करोड़ रु. की पुरानी मुआवजा राशि को लेकर विचार कर सकता है। आगे लिखा कि उसके बाद के दावे खारिज किए जा सकते हैं। यानी करीब 8 हजार करोड़ की मुआवजा राशि देने पर वह सहमत नहीं है। इस पर मध्यस्थों ने संयुक्त रूप से कहा कि एमपी सरकार ने जो दावे 2022 में प्रस्तुत किए गए थे, वो ही माने जाएंगे। एमपी-गुजरात के अफसर बोले- विवाद का हल ढूंढ रहेमध्यस्थता बैठकों में शामिल रहे एनवीडीए के एक मौजूदा अधिकारी बताते हैं कि 2017 में जब पहली बार बांध भरा गया था तब तक जमीन अधिग्रहण हो रहा था, इसलिए मध्यस्थता हो न हो, गुजरात जो भी पैसा दे रहा था वो पुनर्वास में खर्च हो रहा था। अब लेन-देन का पूरा वाजिब हिसाब करना है, जिसे लेकर दोनों राज्यों के बीच विवाद है। इसे लेकर मध्यस्थता हो रही है। मध्यस्थता में संबंधित पक्ष अपना दावा पेश करते हैं। कौन सही है और क्या सही है ये मध्यस्थ ही तय करते हैं। इस विवाद का राजनीतिक हल निकल सकता है या नहीं ये तो दोनों राज्यों के नेता ही तय करेंगे। दूसरी तरफ भास्कर ने गुजरात के सरदार सरोवर नर्मदा निगम लिमिटेड के चीफ इंजीनियर शुभम गोयल से बात की तो उन्होंने माना कि मुआवजा विवाद से जुड़ी बैठकें हो रही है। करीब 8 हजार करोड़ की राशि पर विवाद है। हम लोग ये जांच रहे हैं कि मप्र ने जो डूब क्षेत्र बताया है वो सही है या गलत है। जहां तक मप्र ने गुजरात के तथ्यों को झूठा और भ्रामक बताया है वो सब आधारहीन हैं। इस विवाद का हल ढूंढने के लिए दोनों राज्य ठीक तरीके से काम कर रहे हैं, ताकि अंतिम फैसले पर पहुंचा जा सके। क्या है मौजूदा स्थिति और कैसे होगा समाधान? गुजरात के आर्बिट्रेटर पीके लाहेरी ने दैनिक भास्कर को बताया कि दोनों पक्षों ने पांच बैठकों में अपने-अपने प्रजेंटेशन दे दिए हैं। अब मुद्दे तय होंगे और सुनवाई आगे बढ़ेगी। समाधान कब तक होगा, यह दोनों राज्यों पर निर्भर करता है। दोनों राज्यों के बीच मुआवजे की राशि को लेकर बहुत बड़ा अंतर है। मध्य प्रदेश का एक पुराना क्लेम है और 2022 में उन्होंने एक संशोधित क्लेम पेश किया है। दूसरा क्लेम स्वीकार्य है या नहीं, यह भी मुद्दे तय करते समय साफ होगा। तभी हम लोग सटीक सुनवाई कर पाएंगे। अगर हमारे फैसले पर सहमति नहीं होगी तो सुप्रीम कोर्ट से जज की अपॉइंटमेंट ली जाएगी। दिग्गी-पाटकर बोले- दोनों राज्यों में समन्वय नहींसरदार सरोवर बांध की ऊंचाई को लेकर पिछले 30 सालों से लड़ाई लड़ रही नर्मदा बचाओ आंदोलन की मेघा पाटकर कहती हैं कि नर्मदा वाटर डिस्प्यूट ट्रिब्यूनल यानी एनडब्ल्यूडीटी का फैसला कानून है। वन भूमि, शासकीय भूमि और पुनर्वास का खर्चा गुजरात को देना है। गुजरात अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर रहा है, लेकिन मध्य प्रदेश उसके सामने क्यों चुप है, ये समझ से परे है। इसे अपना हक लेना चाहिए और लोगों का हक उन्हें देना चाहिए। लोग बिना पुनर्वास के ही मर रहे हैं। अगर ये राशि मिल जाए तो पुनर्वास आसानी से हो जाएगा। वहीं पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने कहा कि इस मामले का समाधान बड़ी आसानी से हो सकता है क्योंकि दोनों राज्यों और केंद्र में बीजेपी की सरकार है। केंद्र सरकार गुजरात को भुगतान करने के लिए बाध्य करें। सीएम मोहन यादव को दृढ़ता से ये बात प्रधानमंत्री से करना चाहिए।
Bridge Collapse in Gujarat:राजस्थान में झुंझुनूं के उदयपुरवाटी में स्टेट हाइवे करोड़ों की लागत से बनाया गया था. इसी स्टेट हाइवे से आसपास के लोग नेशनल हाइवे 52 तक पहुंचते थे. सोचिए सड़क कितनी मजबूत बनाई गई थी. पहली ही बारिश में बह गई.
Gujarat Bridge Collapsed: आम आदमी पार्टी ने गुजरात के महीसागर नदी पर बने पुल के गिरने से जान गंवाने वाले लोगों के प्रति गहरा दुख व्यक्त किया है. साथ ही, बीजेपी के 30 साल के भ्रष्ट शासन व्यवस्था पर भी सवाल खड़ा किया है.
गुजरात के वडोदरा में बड़ा हादसा, पुल ढहने से 3 की मौत
Bridge collapses in Vadodara district: गुजरात के वडोदरा जिले (Gujarat's Vadodara district) में बुधवार सुबह एक पुल का हिस्सा ढह जाने से कम से कम 4 वाहन (4 vehicles) नदी में जा गिरे। इस हादसे में 3 लोगों की मौत हो गई है। पुलिस ने यह जानकारी दी। पादरा ...
रायपुर से गुजरात के लिए माल लेकर निकला ट्रक ड्राइवर फरार हो गया है। ट्रक में करीब 21 लाख का स्टील पाइप लोड था। इस मामले में रायपुर के मैनेजर ने तिल्दा नेवरा थाने में शिकायत दर्ज कराई है। जिसके बाद पुलिस फरार ड्राइवर की तलाश में जुट गई है। यह पूरा मामला तिल्दा नेवरा थाना क्षेत्र का है। सुतनु गोस्वामी ने अपनी शिकायत में बताया कि, वह संभव स्टील ट्यूब कंपनी सरोरा में मैनेजर के पद पर है। उनकी कंपनी का अहमदाबाद की एक कंपनी के साथ स्टील पाइप का सौदा हुआ। जिसके बाद करीब 35 टन वजनी पाइप को ट्रांसपोर्टर के माध्यम से ट्रक में लोड कराया गया। ट्रक 27 जून की शाम को निकला, लेकिन 7 जुलाई तक वह गुजरात नहीं पहुंचा। ट्रांसपोर्टर से भी ड्राइवर ने नहीं किया संपर्क इस मामले में जब ट्रांसपोर्टर विकास एसानी से संपर्क किया गया तो उसने बताया कि उसका भी ड्राइवर से कोई संपर्क नहीं हो रहा है। इसके बाद सूतनु गोस्वामी ने तिल्दा नेवरा थाने में शिकायत दर्ज करवाई। पीड़ित को शक है कि ड्राइवर माल लेकर फरार हो गया है। फिलहाल, पुलिस आगे की जांच कर रही हैं।
गोरखपुर में मोहर्रम में भड़काऊ भाषण का एक वीडिया वायरल होने लगा। पुलिस ने वीडिया की जांच की। तब पता चला कि रविवार को पिपरौली में रात के समय मोहर्रम जुलूस में एक व्यक्ति माइक पर चिल्ला-चिल्लाकर भड़काऊ भाषण दिया है। पुलिस ने आरोपी को सोमवार की देर रात करीब 2 बजे घर से गिरफ्तार कर लिया। उसके साथ दो और युवक पकड़े गए हैं। गीडा पुलिस शांति भंग में तीनों का चालान किया है। भड़काऊ भाषण देने वाले मुख्य आरोपी की पहचान गीडा थाना क्षेत्र के पिपरौली बाजार निवासी शेरू के रूप में हुई। पकड़े गए उसके अन्य साथी साहिल और अमन हैं। इस संबंध में एसपी उत्तरी ने बताया - एक वीडियो वायरल हो रहा था। इसके बाद आरोपियों को पकड़कर शांतिभंग में चालान किया गया है। भड़काऊ भाषण सुनकर भीड़ बजा रही तालियां वायरल वीडियो में मुख्य आरोपी शेरू मोहर्रम जुलूस के दौरान एक गाड़ी की छत पर बैठा दिखाई दे रहा है। उसके हाथ में माइक है। जिसमे चिल्लाकर वह इस तरह बोल रहा है - यह बात उनके कान में पहुंच जाए। शेरू भईया कहे हैं 5 मिनट...खाली 5 मिनट। ओवैसी साहब झुट्ठे कह दिए 15 मिनट। अबकी गुजरात जाएंगे भईया से कहेंगे बस 5 मिनट। शेरू के इस भड़काऊ बयान को सड़क पर खड़ी सैकड़ों की भीड़ दोहराती दिख रही है। भीड़ ताली बजाकर शेरू का उत्साह भी बढ़ा रही है। दैनिक भाष्कर इस वायरल वीडियो की पुष्टि नहीं करता है। ओवैसी के पुराने बयान की दिलाई याद अकबरुद्दीन ओवैसी का वर्ष 2012 में एक विवादित बयान वायरल हुआ था। जिसमे कहा था कि अगर 15 मिनट के लिए पुलिस हटा दी जाए। तब वो बता देंगे कि किसमे कितनी हिम्मत है और कौन ताकतवर है। हिंदुवादी संगठन ने किया विरोध प्रदर्शन वीडियो वायरल होने के बाद मंगलवार की सुबह हिंदुवादी संगठन गीडा थाने पहुंचकर विरोध प्रदर्शन किए। संगठन के पदाधिकारियों ने कार्रवाई के लिए एक प्रार्थना पत्र भी थानेदार को दिया। प्रार्थना पत्र में लिखा है- मोहर्रम के दसवीं के जुलूस के दौरान मुस्लिम समुदाय के द्वारा पिपरौली बाजार में सरकार व सभी लोगों से 5 मिनट मांगा जा रहा है। जिसका वीडियो वायरल हो रहा है। पिपरौली के ही एक व्यक्ति ने फेसबुक पर विवादित भाषण वाला वीडियो पोस्ट किया है। जिसमे शेरू भईया का नाम लेकर प्रशासन और हिंदु समुदाय से मात्र 5 मिनट मांगा जा रहा है। इस प्रकरण को लेकर हिंदु समुदाय व दुकानदार सदमे में हैं। यहां कभी भी बंगाल की तरह बड़ा नरसंहार हो सकता है।
उदयपुर के सुखेर थाना क्षेत्र में गुजरात पुलिस और 1 वांटेड आरोपी के बीच फिल्मी स्टाइल में गिरफ्तारी की कोशिश का घटनाक्रम हुआ। एक SUV सवार वांटेड आरोपी को रोकने की कोशिश में सब इंस्पेक्टर कार के बोनट पर चढ़ गए। जालोर निवासी वांटेड बदमाश सुरेश राजपुरोहित ने गाड़ी नहीं रोकी और करीब आधा किलोमीटर तक बोनट पर बैठे थानेदार को घुमाता रहा। बोनट पर लटके SI ने बचाव में आरोपी पर अपनी पिस्टल से फायरिंग कर दी। इसके बाद वे गाड़ी से नीचे गिर गए और आरोपी फरार हो गया। ये पूरा घटनाक्रम थाना क्षेत्र के खारा कुंआ इलाके में सोमवार शाम करीब साढ़े 6 बजे हुआ। बाद में आरोपी की कार भूपालपुरा में कृष्णा होटल के पास मिली, लेकिन बदमाश सुरेश फरार हो गयार। एसआई जयदीप सरवैया ने सुखेर थाने में मामला दर्ज कराया है। इसके बाद पुलिस की अलग-अलग टीमें आरोपी की तलाश कर रही है। आरोपी पर हवाला कारोबार, तस्करी और धोखाधड़ी के केसवांटेड बदमाश सुरेश राजपुरोहित के खिलाफ गुजरात के हवाला कारोबार, मादक पदार्थों की तस्करी, धोखाधड़ी के केस दर्ज है। इन मामलों में वह लंबे समय से फरार चल रहा था। आरोपी ज्यादातर दिल्ली—जयपुर में ही रहता था। उसका भाई उदयपुर शोभागपुरा स्थित वेगस-69 बार एंड क्लब में पार्टनर है। हाल ही में उसने भूपालपुरा में कृष्णा पैलेस के नाम से होटल लीज पर ली थी। इसीलिए सुरेश उदयपुर आया हुआ था और होटल में ठहरा था। सुखेर थानाधिकारी रविन्द्र सिंह चारण ने बताया कि आरोपी को पकड़ने की कोशिश में एसआई उसकी कार की बोनट पर चढ़े थे, लेकिन आरोपी नहीं रुका। तभी बचाव में एसआई ने उस पर फायर किए, फिर भी वह भाग निकला। गुजरात के पालनपुर थाने में एसआई जयदीप सरवैया ने सुखेर थाने में आरोपी सुरेश राजपुरोहित के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। आरोपी पर राजकार्य में बाधा, जानलेवा हमला और जान से मारने की नीयत से वाहन चलाने की धाराएं लगाई गई हैं। इन फोटो में देखिए कैसे भागा बदमा
2027 में पंजाब व गुजरात में आप की सरकार : केजरीवाल
आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने कहा कि 2027 में पंजाब और गुजरात में आम आदमी पार्टी की सरकार बनना तय है। स्कूलों की दीवारें और डेस्क से शुरू हुई शिक्षा क्रांति के जरिए पंजाब को शिक्षा के क्षेत्र में पहला स्थान दिलाया गया है। वेस्ट उपचुनाव जीतने पर जनता को बधाई देने के लिए आयोजित कार्यक्रम में सीएम भगवंत मान ने कहा कि विक्रम मजीठिया जैसे ड्रग माफियाओं की अब कोई चाल नहीं चलेगी, उनका ठिकाना सिर्फ जेल होगा। जिन्होंने पंजाब को लूटा है, उन्हें जवाब देना पड़ेगा।
Gujarat High Court ने आमिर खान के बेटे की पहली फिल्म महाराज की रिलीज पर लगी रोक हटाई
गुजरात उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को बॉलीवुड स्टार आमिर खान के बेटे जुनैद की पहली फिल्म महाराज की रिलीज पर लगी अंतरिम रोक हटाते हुए कहा कि फिल्म में कुछ भी अपमानजनक नहीं है और यह पुष्टिमार्ग संप्रदाय को निशाना नहीं बनाती है, जैसा कि याचिका में आरोप लगाया गया है। यह फिल्म 1862 के एक मानहानि मामले पर आधारित है, जिसमें वैष्णव धार्मिक नेता एवं समाज सुधारक करसनदास मुलजी शामिल थे। पुष्टिमार्ग संप्रदाय के कुछ सदस्यों ने नेटफ्लिक्स पर इस फिल्म की रिलीज के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसमें दावा किया गया था कि यह धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाती है। न्यायमूर्ति संगीता विशेन ने 13 जून को ओटीटी प्लेटफॉर्म पर फिल्म की रिलीज पर अंतरिम रोक लगा दी थी।न्यायाधीश ने शुक्रवार को अपने आदेश में कहा कि फिल्म को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) द्वारा प्रमाणित किया गया है और यह उक्त संप्रदाय को निशाना नहीं बनाती है।
Gujarat HC ने Netflix को Maharaj रिलीज करने की अनुमति दी, कहा- इससे भावनाएं आहत नहीं होतीं
गुजरात उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को स्ट्रीमिंग दिग्गज नेटफ्लिक्स की फिल्म ‘महाराज’ की रिलीज पर लगी अपनी अस्थायी रोक हटा ली, जिसमें कहा गया कि फिल्म महाराज 1862 के महाराज मानहानि मामले से जुड़ी घटनाओं पर आधारित है और इसका उद्देश्य किसी समुदाय की भावनाओं को आहत करना नहीं है। न्यायमूर्ति संगीता के. विशेन, जिन्होंने 13 जून को फिल्म की रिलीज पर रोक लगाई थी, ने फिल्म देखने के बाद शुक्रवार को नेटफ्लिक्स को फिल्म स्ट्रीम करने की अनुमति देने का फैसला किया। इसे भी पढ़ें: Swara Bhasker के साथ कोई भी निर्माता-निर्देशक नहीं करना चाहता काम? एक्ट्रेस ने खुद किए चौंकाने वाले खुलासे अदालत ने कहा “यह अदालत प्रथम दृष्टया इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि फिल्म महाराज उन घटनाओं पर आधारित है, जिनके कारण मानहानि का मामला दायर किया गया और इसका उद्देश्य पुष्टिमार्गी समुदाय की भावनाओं को आहत करना नहीं है। फिल्म को संबंधित दिशा-निर्देशों पर विचार करने के बाद विशेषज्ञ निकाय केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड द्वारा प्रमाणित किया गया था… 13 जून को दी गई अंतरिम राहत रद्द कर दी गई है। मूल रूप से 14 तारीख को रिलीज होने वाली इस फिल्म को हाईकोर्ट ने नेटफ्लिक्स पर रोक लगा दी थी, क्योंकि व्यापारियों के एक समूह ने इस आधार पर कोर्ट में याचिका दायर की थी कि इसमें वैष्णव समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने की क्षमता है। इसे भी पढ़ें: Bollywood Wrap Up | नमक-मिर्च लगाकर कच्ची केरी के चटकारे ले रहीं परिणीति चोपड़ा, मिर्जापुर 3 का जबरदस्त ट्रेलर रिलीज फिल्म महाराज गुजराती लेखक सौरभ शाह की 2013 की किताब पर आधारित है, जो 1862 के ऐतिहासिक मानहानि मामले पर आधारित है, जो एक प्रमुख वैष्णव व्यक्ति, जदुनाथजी द्वारा समाज सुधारक करसनदास मुलजी के खिलाफ दायर किया गया था, जिन्होंने सर्वशक्तिमान महाराज द्वारा यौन शोषण के खिलाफ लिखा था। मुलजी ने अपनी पत्रिका सत्यप्रकाश में शोषणकारी प्रथा का खुलासा किया, जिसके कारण मानहानि का मामला चला, जो प्रसिद्ध महाराज मानहानि मामला बन गया। न्यायमूर्ति विशन ने कहा कि याचिकाकर्ताओं की प्राथमिक शिकायत कि फिल्म वैष्णव समुदाय को बदनाम करती है, बदनाम करती है और उसका अपमान करती है, में कोई दम नहीं है। “इस प्रकार उनकी अदालत इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए बाध्य है कि याचिकाकर्ताओं की आशंका अनुमानों पर आधारित है। चूंकि फिल्म को अभी सार्वजनिक रूप से देखने के लिए जारी नहीं किया गया है, इसलिए केवल अनुमान के आधार पर संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित नहीं किया जा सकता है, अदालत ने कहा। उन्होंने खुली अदालत में आदेश सुनाते हुए कहा फिल्म का मुख्य संदेश, जैसा कि प्रतिवादी ने सही कहा है, यह है कि फिल्म सामाजिक बुराई और करसनदास मुलजी द्वारा सामाजिक सुधार के लिए लड़ाई पर केंद्रित है, जो स्वयं वैष्णव समुदाय से थे। उन्होंने कहा, फिल्म किसी भी तरह से धार्मिक भावनाओं को प्रभावित या आहत नहीं करती है। फिल्म यह निष्कर्ष निकालती है कि संप्रदाय किसी भी व्यक्ति या घटना से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। इस घटना को अपवाद मानते हुए वैष्णव संप्रदाय और उसके अनुयायी बढ़ते रहे और भारत के सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक ताने-बाने का गौरवपूर्ण और अभिन्न अंग बने रहे। यह आशंका जताई जा रही है कि इससे सांप्रदायिक विद्वेष पैदा होने की संभावना है। हालांकि, उसी मानहानि मामले के आधार पर 2013 में पुस्तक प्रकाशित हुई थी और किसी घटना की सूचना नहीं दी गई है। उन्होंने कहा, यहां तक कि याचिकाकर्ताओं ने भी यह दावा नहीं किया है कि पुस्तक से सांप्रदायिक विद्वेष पैदा हुआ है।
Chandu Champion: कपिल देव ने कार्तिक आर्यन की फिल्म के लिए लिखा दिल को छू लेने वाला नोट
पूर्व भारतीय क्रिकेटर कपिल देव ने इंस्टाग्राम पर कबीर खान के निर्देशन की प्रशंसा की और उन्होंने यह भी कहा कि फिल्म ने उन्हें भावुक कर दिया। कपिल देव ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्टर शेयर किया और एक लंबा नोट लिखा, चंदू चैंपियन! निश्चित रूप से एक ऐसी फिल्म जिसे आप मिस नहीं कर सकते। मुझे खेल फिल्में देखना और उनकी सराहना करना वाकई पसंद है। लेकिन यह सिर्फ एक खेल फिल्म होने से कहीं बढ़कर है। यह इससे कहीं बढ़कर है। इसे देखते हुए मैं हंसा, रोया, गर्व महसूस किया और फिर से रोया। @kabirkhankk को सलाम। आपने फिर से कमाल कर दिया। इसे भी पढ़ें: Shraddha Kapoor In love | श्रद्धा कपूर ने राहुल मोदी के साथ अपने रिश्ते को किया कंफर्म, शेयर की क्यूट तस्वीर और इमोशनल पोस्ट उन्होंने आगे लिखा, एक और शानदार फिल्म बनाई। @kartikaaryan ने क्या शानदार अभिनय किया, आपका प्रयास और प्रतिभा चमक रही है। पूरी कास्ट और क्रू को बधाई और हमें यह फिल्म देखने के लिए देने के लिए धन्यवाद। आप सभी चैंपियन हैं! एक और शानदार फिल्म बनाई। @kartikaaryan ने क्या कमाल का अभिनय किया है, आपकी मेहनत और प्रतिभा जगमगा रही है। पूरी कास्ट और क्रू को बधाई और हमें यह फिल्म देखने के लिए देने के लिए आपका धन्यवाद। आप सभी चैंपियन हैं! इसे भी पढ़ें: Gujarat High Court ने फिल्म महाराज की ओटीटी रिलीज पर रोक एक दिन के लिए बढ़ाई कार्तिक और कबीर की फिल्म 'चंदू चैंपियन' 14 जून को सिनेमाघरों में रिलीज हुई। Sacnilk की एक रिपोर्ट के मुताबिक, फिल्म बॉक्स ऑफिस पर लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रही है और अब तक कुल कलेक्शन 29.75 करोड़ रुपये हो चुका है। इसमें कार्तिक मुरलीकांत पेटकर की भूमिका में नजर आ रहे हैं। यह फिल्म एक ऐसे एथलीट की असाधारण कहानी पर आधारित है जिसने कभी हार नहीं मानी। View this post on Instagram A post shared by Kapil Dev (@therealkapildev)
जेल से रिहा होने पर Elvish Yadav ने गुजरात में खेलीजबरदस्त होली, 'राव साहब' को अपने बीच देख क्रेजी हुए फैन्स