दैनिक भास्कर की इलेक्शन सीरीज 'नरसंहार' के दूसरे एपिसोड में आज कहानी दलेलचक बघौरा नरसंहार की, जिसके बाद 40 साल बिहार में राज करने वाली कांग्रेस फिर कभी अपना सीएम नहीं बना सकी... 29 मई 1987 की रात। जगह- बिहार का औरंगाबाद जिला। वही औरंगाबाद जहां देश का इकलौता पश्चिम मुखी सूर्य मंदिर है। करीब 500 लोगों की भीड़ ‘एमसीसी जिंदाबाद’ नारा लगाते हुए बढ़ रही थी। हाथों में बंदूक, कुल्हाड़ी, गड़ासा और केरोसिन तेल के डिब्बे थे। थोड़ी देर बाद सभी एक जगह रुके। कुछ बात की। फिर आधे बघौरा गांव की तरफ चल पड़े और आधे दलेलचक की ओर। दोनों गांव एक किलोमीटर की दूरी पर हैं। यहां राजपूतों का दबदबा था। बघौरा के गया सिंह वन विभाग में हेड क्लर्क थे। गांव में इकलौता पक्का मकान उन्हीं का था। शौक से बनवाए थे। सिंहद्वार पर दूर से ही आंखें ठहर जाती थीं। रात करीब 8 बजे अचानक कुछ शोर सुनाई पड़ा। उन्होंने दरवाजा खोलकर देखा, तो सामने 200-300 लोगों की भीड़ खड़ी थी। गया सिंह ने हड़बड़ाकर दरवाजा बंद कर लिया। वे दो कदम भी नहीं बढ़े थे कि भीड़ ने धक्का देकर दरवाजा तोड़ दिया। सबसे पहले घर के मर्दों को घसीटकर बाहर निकाला और लाइन में खड़ा कर दिया। इस बीच दो लड़कों ने नजर बचाकर भागना चाहा, लेकिन हमलावरों ने गोली चला दी। दोनों वहीं गिर पड़े। हमलावर उनके नजदीक गया। सांसें अभी पूरी तरह टूटी नहीं थीं। उसने गड़ासा गर्दन पर दे मारी। फिर पसीना पोंछते हुए बोला- ‘अरे देख क्या रहे हो… जाओ इनकी औरतों को उठा लाओ।’ 20-25 हमलावर अंदर घुसे और महिलाओं-बच्चों को उठा-उठाकर बाहर पटकने लगे। सब चीख रहे थे- ‘हमें मत मारो। छोड़ दो। हम तुम्हारे पैर पड़ते हैं।’ एक हमलावर बोल पड़ा- ‘##$% बहुत गर्मी दिखाते हैं ये लोग। हमारी औरतों से मजदूरी कराते हैं। इनके सामने ही औरतों की इज्जत उतारो। तभी बदला पूरा होगा।’ हमलावर, महिलाओं और लड़कियों पर टूट पड़े। उनके कपड़े फाड़ दिए। बलात्कार करने लगे। कुछ देर बाद एक अधेड़ बोल पड़ा- ‘बहुत हो गया। अब सबको काट डालो।’ हमलावर, महिलाओं को घसीटते हुए बरामदे में ले गए। उनकी गर्दन तखत पर रखकर जोर से दबा दी। एक हमलावर ने कुल्हाड़ी उठाई और एक-एक करके पांच महिलाओं की गर्दन उतार दी। पूरे बरामदे में खून फैल गया। हमलावर बोला- ‘ठिकाने लगा दो सबको।’ 8-10 लोग फावड़ा लेकर घर के सामने ही गड्ढा खोदने लगे। कुछ ही देर में गड्ढा तैयार हो गया। हमलावरों ने महिलाओं की लाश गड्ढे में डालकर ऊपर से मिट्टी भर दिया। ‘अब इन #@$%* को बांधकर ले चलो बरगद के पास। गांव वाले भी तो देखें कि हमसे टकराने का अंजाम क्या होता है।’ ये सुनते ही हमलावरों ने गया सिंह और उनके परिवार के लोगों के हाथ-पैर बांध दिए। घसीटते हुए बरगद के पेड़ के पास ले गए। गांव की शुरुआत में ही बड़ा सा बरगद का पेड़ था। अब तक गांव में चीख-पुकार मच चुकी थी। हमलावर राजपूत परिवारों से चुन-चुनकर महिला, पुरुष और बच्चों को घसीटते हुए बरगद पेड़ के पास ला रहे थे। कई लोग छत से कूदकर खेतों की तरफ भाग रहे थे। हमलावर लगातार फायरिंग कर रहे थे। कुछ लोग तो मौके पर ही मारे गए। 40 साल का एक शख्स ट्रैक्टर लेकर घर लौट रहा था। हमलावरों को देखते ही चीख पड़ा- ‘अरे काका हम राजपूत नहीं हैं। हम तो इनके घर काम करते हैं। हम हरिजन हैं हरिजन।’ #$%@#$ झूठ बोल रहा… कहते हुए एक अधेड़ ने उसकी पीठ पर कुल्हाड़ी मार दी। दो हमलावरों ने उसे ट्रैक्टर की सीट से बांध दिया। फिर केरोसिन तेल का डिब्बा ट्रैक्टर पर उड़ेला और आग लगा दी। कुछ ही मिनटों में ड्राइवर तड़प-तड़प कर मर गया। इधर, बगल के गांव दलेलचक में कमला कुंवर कुछ घंटे पहले ही ससुराल से लौटी थीं। पिता भोज की तैयारी कर रहे थे। मेहमान आ चुके थे। अचानक कुत्ते भौंकने लगे। कमला अपनी बहन ललिता से बोली- ‘जाओ देखो तो बाहर कौन है?’ ललिता ने झांककर देखा सैकड़ों हथियारबंद गांव की तरफ बढ़ रहे थे। वो चीख उठी- ‘पापा, मम्मी सब भागो, नक्सली आ गए हैं।’ दोनों बहनें, उनके मम्मी-पापा और बाकी रिश्तेदार खेतों की तरफ भागने लगे। तभी बगल के लोगों ने रोक लिया। कहने लगे- ‘आप लोगों को कोई खतरा नहीं है। घर में ही छिप जाओ।’ कुछ ही मिनटों में भीड़ ने गांव में धावा बोल दिया। राजपूतों के घरों में घुस गए। मारकाट मचाने लगे। कमला और ललिता घर के पीछे भूसे के ढेर में छिप गईं। बाकी परिवार और रिश्तेदार पकड़े गए। दो साल का बच्चा पलंग पर सो रहा था। वो भीड़ देखकर रोने लगा। हमलावर ने चीखते हुए कहा- ‘इस कमीने को सबसे पहले मारो।’ इतना सुनते ही एक अधेड़ ने बच्चे को उठाकर चौखट पर पटक दिया। उसका सिर फट गया। हमलावर ने बाल पकड़कर बच्चे को उठा लिया। दूसरे ने बच्चे की गर्दन पर कुल्हाड़ी दे मारी। बच्चे का सिर हमलावर के हाथ में रह गया और बॉडी नीचे गिर गई। एक ने औरतों की तरफ इशारा करते हुए बोला- ‘इनकी इज्जत लूट लो और काम तमाम कर दो।’ हमलावरों ने वैसा ही किया। बलात्कार करके महिलाओं और लड़कियों की गर्दन उतार दी। कमला के पिता से यह देखा नहीं गया। वे गाली देते हुए हमलावरों पर झपटे, पर उन लोगों ने दबोच लिया। दो हमलावरों ने उनका पैर पकड़ा और दो ने हाथ। 20 साल के एक लड़के ने उनके पेट में कुल्हाड़ी मार दी। वो चीख उठे। तभी हमलावर ने उनके मुंह में बंदूक का बट ठूंस दिया। चंद मिनटों में वे तड़प-तड़पकर शांत हो गए। अब एक हमलावर बोला- ‘टाइम खराब मत करो। सारे मर्दों को बांध दो और ले चलो बरगद के पेड़ के पास।’ हमलावरों ने रस्सी से सभी मर्दों के हाथ पैर बांध दिए और घसीटते हुए उसी बरगद के पेड़ के पास ले जाने लगे। दलेलचक के बाकी घरों में भी ऐसे ही कोहराम मचा था। हमलावरों ने महिलाएं और लड़कियों को बलात्कार के बाद घर में ही मार दिया। जबकि मर्दों के हाथ-पैर बांधकर बरगद के पेड़ के पास बैठा दिया। दलेलचक और बघौरा दोनों गांव से करीब 40-50 लोगों को पकड़कर हमलावरों ने यहां रखा था। कुछ ही देर में हमलावरों ने सबको बरगद के पेड़ से बांध दिया। ये लोग जोर जोर से चीख रहे थे- बचाओ, बचाओ। पर कोई सुनने वाला नहीं था। गांव के गैर राजपूतों ने अपने-अपने दरवाजे बंद कर लिए थे। अब तक रात के 9 बज चुके थे। हमलावरों के मुखिया ने कहा- ‘इन @#$%$#@ के टुकड़े-टुकड़े कर दो।’ भीड़ कुल्हाड़ी और गड़ासा लेकर टूट पड़ी। कुछ ही मिनटों में बरगद के पेड़ से दर्जनों अधकटी लाशें लटक गईं। तभी हवा में फायरिंग करते हुए एक हमलावर बोला- ‘जाओ इनके घरों में आग लगा दो। जो छुपे होंगे वो भी जल मरेंगे।’ भीड़ ने चुन-चुनकर दोनों गांवों के राजपूतों के घरों में आग लगा दी। फिर ‘एमसीसी जिंदाबाद। छेछानी का बदला ले लिया। बदला पूरा हुआ।’ का नारा लगाते हुए हमलावर निकल गए। गांव से महज तीन किलोमीटर की दूरी पर मदनपुर थाना है। भीड़ की धमक, लोगों की चीखें और गोलियों की गूंज थाने तक पहुंच चुकी थीं, पर पुलिस निकलने की हिम्मत नहीं जुटा पाई। करीब 2 घंटे बाद पांच पुलिस वाले गांव के लिए निकले। बगल के दूसरे थाने से पुलिस की एक और टीम दलेलचक पहुंची। कुछ ही देर में औरंगाबाद के एसपी सतीष झा भी पहुंच गए। दोनों गांवों में घरों से अब भी आग की ऊंची-ऊंची लपटें दिख रही थीं। एसपी सतीश झा और बाकी पुलिस वाले आग बुझाने में जुट गए। वे घर-घर जाकर पानी मांग रहे थे, लेकिन किसी ने दरवाजा नहीं खोला। इसी बीच एसपी को कुछ लोगों के कराहने की आवाज सुनाई पड़ी। पुलिस वालों को लेकर वे उस तरफ दौड़े। टॉर्च जलाई। देखा 4 साल का एक बच्चा बिस्तर लपेटे एक कोने में सिसक रहा था। थोड़ी दूर पर 20-25 साल का एक लड़का भूसे के ढेर में छिपा हुआ था। उन्होंने दोनों को बाहर निकाला। इधर, पटना तक नरसंहार की खबर पहुंच गई थी। रात में ही डीजीपी शशिभूषण सहाय और आईजी ललित विजय सिंह, दलेचचक बघौरा के लिए निकल गए, पर गांव तक जाने के लिए पक्की सड़क नहीं थी। उन्हें पहुंचने में काफी देर हो गई। इधर, पूरी रात पुलिस आग बुझाने में जुटी रही, पर आग बुझने का नाम नहीं ले रही थी। अब सुबह के 5 बज गए थे। एक-एक करके लाशें गिनी जाने लगीं। बरगद के पेड़ के पास 29 कटी फटी लाशें मिलीं। सिर जमीन पर बिखरे पड़े थे और बाकी हिस्सा बरगद के पेड़ से बंधा हुआ था। पूरी जमीन खून से सन गई थी। ऐसा लग रहा था जैसे कोई बूचड़खाना हो। पुलिस ने दोनों गांवों में एक-एक घर की तलाशी ली। 26 लाशें मिलीं। इनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे थे। कुल 55 लोग मारे गए थे। 54 राजपूत और एक हरिजन। 7 परिवार ऐसे थे, जिनके घरों में कोई जिंदा नहीं बचा था। आजादी के बाद ये बिहार का सबसे बड़ा जातीय नरसंहार था। आरोप माओवादी संगठन माओइस्ट कम्युनिस्ट सेंटर यानी एमसीसी पर लगा। तब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी और राजीव गांधी प्रधानमंत्री। बिहार में भी सरकार कांग्रेस की थी और बिंदेश्वरी दुबे मुख्यमंत्री। एक ही चिता पर 80 साल के बुजुर्ग और 6 महीने के बच्चे का अंतिम संस्कार अगले दिन यानी 30 मई को सरकार ने नरसंहार में मारे गए लोगों का सामूहिक अंतिम संस्कार करवाया। कई लाशों की पहचान नहीं हो सकी थी। कई मृतकों के घर से कोई आया नहीं। शायद उनके परिवार में कोई बचा ही नहीं था। एक-एक चिता पर 5-7 लाशें रखी गई थीं। एक ही चिता पर 80 साल के बुजुर्ग और 6 महीने के बच्चे का अंतिम संस्कार किया गया। ये सीन देखकर वहां मौजूद लोग और पुलिस वालों की आंखें भर आई थीं। लोग जलती चिताओं से राख उठाकर तिलक लगा रहे थे। शायद ये तिलक बदले का संकेत था। पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर को धक्का मारने लगी भीड़, पत्रकार ने बचाया 31 मई की सुबह पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर दिल्ली से सीधे दलेलचक बघौरा पहुंचे। किताब ‘द जननायक कर्पूरी ठाकुर’ में उपसभापति हरिवंश नारायण उस किस्से को याद करते हैं- ‘मैं एक मैगजीन रिपोर्टर था। गया से औरंगाबाद होते हुए सुबह 6 बजे नरसंहार वाली जगह पहुंचा। मैंने देखा कि एक कोने में कर्पूरी ठाकुर चुपचाप खड़े थे।’ उसी किताब में पटना के वरिष्ठ पत्रकार दीपक कुमार कहते हैं- ‘जब भीड़ कर्पूरी को धकियाने लगी तो मुझे लगा कि उन्हें अपमानित किया जा सकता है। हमारी आंखें मिलीं और वे मेरी स्कूटर पर पीछे बैठ गए। मैं उन्हें औरंगाबाद मेन रोड तक ले गया। वहां से वे अपनी गाड़ी में बैठकर पटना चले गए।’ जलते घर, वीरान गांव, नरसंहार का मंजर देख रो पड़े मुख्यमंत्री बिंदेश्वरी दुबे 31 मई को ही मुख्यमंत्री बिंदेश्वरी दुबे भी दलेलचक बघौरा पहुंचे। अब भी कई घरों में आग बुझी नहीं थी। फायर ब्रिगेड की गाड़ियां मंगाई गईं। फिर आग बुझाई गई। मुख्यमंत्री घर-घर जाकर देख रहे थे, पर गांव के ज्यादातर लोग भाग चुके थे। अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक एक बुजुर्ग, मुख्यमंत्री को देखकर बिलखने लगा। उसकी गोद में दो छोटे-छोटे बच्चे थे। कहने लगा- ‘साहब ये दोनों मेरे पोते-पोती हैं। इनके मां-बाप को मार डाला है। परिवार में बस ये ही बचे हैं। मैं अकेला इनकी देखभाल कैसे करूंगा।’ यह देखकर मुख्यमंत्री भी रोने लगे। कुछ देर बाद वे पटना लौटे और अगले दिन ऐलान किया कि एमसीसी पर बैन लगाया जाएगा। इस नरसंहार में विधायक रामलखन सिंह यादव पर भी आरोप लगा था। कहा गया कि 30 अप्रैल को वे औरंगाबाद के ही एक गांव छोटकी छेछानी में यादव महासभा के लिए गए थे। विपक्ष का दावा था कि मुख्यमंत्री भी यादव महासभा में शामिल हुए थे। एमसीसी ने इस नरसंहार को छोटकी छेछानी का ही बदला बताया था। इसलिए विपक्ष सरकार पर और ज्यादा हमलावर था। 5 जून को जनता पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर, राम विलास पासवान और लोकदल के अजित सिंह गांव पहुंच गए। इन सब घटनाओं से सीएम पर लगातार इस्तीफे का दबाव बढ़ रहा था। जनता पार्टी और बाकी विपक्षी दल सरकार बर्खास्त करने की मांग कर रहे थे। आखिर छोटकी छेछानी में क्या हुआ था, जिसका बदला माओवादियों ने दलेलचक बघौरा में लिया… दरअसल, बघौरा गांव के बगल से कोयल नहर निकलने वाली थीं। इससे वहां की जमीनों की कीमतें अचानक बढ़ गई थीं। इन जमीनों पर राजपूतों का दावा था। जबकि यादव अपना कब्जा चाहते थे। नक्सली संगठन एमसीसी यादवों की मदद कर रहा था। दलेलचक गांव में बोध गया के महंत की सैकड़ों एकड़ जमीनें थीं। एमसीसी वालों ने उनकी कुछ जमीनों पर कब्जा कर लिया था और बटाईदारों के जरिए खेती करवा रहे थे। गांव के ही एक दबंग राजपूत रामनरेश सिंह ने महंत से 46 एकड़ जमीनें खरीद लीं और बटाईदारों को भगा दिया। कहा जाता है कि रामनरेश केंद्रीय मंत्री और बाद में पीएम बने चंद्रशेखर का करीबी था। कुछ ही दिनों बाद रामनरेश के सहयोगी कृष्णा कहार का मर्डर हो गया। सितंबर 1986 में राम नरेश के एक और सहयोगी की हत्या हो गई। आरोप एमसीसी पर लगा। 10 दिनों के भीतर ही जमींदारों ने 5-6 एमसीसी कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी। यहां से बदले की आग और धधकती गई। 20 दिन बाद पास के ही दरमिया गांव में 11 राजपूतों की हत्या हो गई। फिर से आरोप लगा एमसीसी पर। इसके बाद सरकार ने स्पेशल ऑपरेशन चलाया। पुलिस बढ़ा दी गई। सेंट्रल फोर्सेज की तैनाती की कर दी गई। कुछ महीने मामला काबू में रहा। फिर प्रशासन ने ढील दे दी। सेंट्रल फोर्सेज को पंजाब भेज दिया गया। एसपी और टास्क फोर्स वालों को भी पटना बुला लिया गया। दरअसल, उन दिनों पंजाब उग्रवाद के दौर से गुजर रहा था। ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद इंदिरा गांधी की हत्या हो चुकी थी। 19 अप्रैल 1987 को राजपूत जमींदार केदार सिंह की हत्या हो गई। इस हत्या के दो घंटे बाद ही मुसाफिर यादव और राधे यादव परिवार के सात लोगों का कत्ल हो गया। मुसाफिर और राधे यादव एमसीसी के सपोर्टर माने जाते थे। कुछ रोज बाद मदनपुर बाजार में नक्सलियों ने पर्चा बंटवाया। जिसमें लिखा था- ‘सात का बदला सत्तर से लेंगे।’ और अगले ही महीने दलेलचक बघौरा में नरसंहार हो गया। दो साल में 3 मुख्यमंत्रियों का इस्तीफा, फिर कभी कांग्रेस का सीएम नहीं बना इस नरसंहार को लेकर विपक्ष तो हमलावर था ही, सरकार के अंदर भी अलग-अलग खेमे बंट गए थे। पूर्व सीएम जगन्नाथ मिश्रा तो अपने ही सीएम पर लापरवाही का ठीकरा फोड़ रहे थे। आनन-फानन में सरकार ने डीजीपी एसबी सहाय को हटा दिया। आईजीपी लॉ एंड ऑर्डर का भी तबादला हो गया। औरंगाबाद के एसपी भी बदल गए। पर सरकार में सबकुछ ठीक नहीं रहा। इसके बाद सीएम को दिल्ली बुलाया गया। सियासी गलियारों में कयास लगने लगे कि मुख्यमंत्री बदले जाएंगे। आखिरकार 13 फरवरी 1988 को मुख्यमंत्री बिंदेश्वरी दुबे ने इस्तीफा दे दिया। भागवत झा आजाद मुख्यमंत्री बने, लेकिन एक साल बाद उन्हें भी हटा दिया गया। इसके बाद सत्येंद्र नारायण सिंह सीएम बने। पर 7 महीने बाद दिसंबर 1989 में उनका भी इस्तीफा हो गया। अगले चुनाव में दो-तीन महीने ही बचे थे। ऐसे में राज्य की कमान एक बार फिर से जगन्नाथ मिश्रा को मिली। 1990 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 324 सीटों में से महज 71 सीटें मिलीं। पिछले चुनाव से 125 कम। मगध संभाग, जहां ये नरसंहार हुआ था, वहां की 26 सीटों में से सिर्फ 10 सीटें ही कांग्रेस बचा सकी। जबकि पिछले चुनाव में उसे 19 सीटें मिली थीं। यानी आधी सीटें कांग्रेस ने गंवा दी। 122 सीटें जीतकर जनता दल ने लेफ्ट और निर्दलीयों की मदद से सरकार बनाई और लालू यादव मुख्यमंत्री बने। 1990 के अगस्त में मंडल कमिशन की सिफारिशें लागू करने का एलान हुआ और दो महीने बाद ही बीजेपी ने राम रथ यात्रा निकाल दी। इसी दौरान लालू ने बीजेपी नेता लाल कृष्ण आडवाणी को बिहार में गिरफ्तार कर लिया। यहां से लालू को पिछड़ों के साथ ही मुस्लिमों का साथ भी मिलने लगा। दूसरी तरफ आरक्षण और सवर्णों के नरसंहारों की वजह कांग्रेस के कोर वोटर्स बीजेपी की तरफ शिफ्ट होते गए। 1995 के चुनाव में कांग्रेस सिर्फ 29 सीटों ही जीत सकी। इसके बाद साल दर साल कांग्रेस कमजोर पड़ती गई। 40 साल तक बिहार में राज करने वाली कांग्रेस, राजद का छोटा भाई बनने पर मजबूर हो गई। तब से उसका सीएम तो नहीं ही बना, वह मुख्य विपक्षी पार्टी भी नहीं बन पाई। हमलावर 500, आरोपी 177, 8 उम्रकैद काटकर जेल से छूट गए दलेलचक बघौरा गांव में 500 लोगों की भीड़ ने हमला किया था। इनमें से कुल 177 आरोपी बनाए गए। इनमें ज्यादातर यादव थे। दिसंबर 1992 में औरंगाबाद सेशन कोर्ट ने 8 को फांसी की सजा सुनाई गई और बाकी सबूतों के अभाव में बरी हो गए। इस फैसले के बाद नक्सलियों ने गया के बारा गांव के पास एक थाने को घेरकर 5 पुलिस वालों की हत्या कर दी। 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया। इसी साल आठों आरोपी अपनी-अपनी सजा काटकर जेल से छूट गए। नरसंहार के बाद ज्यादातर राजपूत गांव छोड़कर चले गए थे। दोनों गांवों को भूतहा गांव कहा जाने लगा था। आज भी इन गांवों में राजपूतों के गिने-चुने ही घर हैं। कई परिवार तो नरसंहार के बाद लौटे ही नहीं। कल तीसरे एपिसोड में पढ़िए कहानी बारा नरसंहार की, जहां 35 भूमिहारों की हत्या कर दी गई.. नोट : (यह सच्ची कहानी पुलिस चार्जशीट, कोर्ट जजमेंट, गांव वालों के बयान, अलग-अलग किताबें, अखबार और इंटरनेशनल रिपोर्ट्स पर आधारित है। क्रिएटिव लिबर्टी का इस्तेमाल करते हुए इसे कहानी के रूप में लिखा गया है।) रेफरेंस :
बिहार में NDA की प्रचंड जीत के बाद 14 नवंबर की शाम बीजेपी मुख्यालय पहुंचे पीएम मोदी ने कहा, 'गंगा जी बिहार से बहते हुए ही बंगाल तक जाती हैं। मैं पश्चिम बंगाल के लोगों को आश्वस्त करता हूं कि बीजेपी वहां से भी जंगलराज को उखाड़ फेकेंगी।' पश्चिम बंगाल चुनाव में अभी 5-6 महीने का वक्त है, लेकिन बीजेपी एक इलेक्शन मशीन की तरह अपने अगले मिशन पर शिफ्ट हो गई है। आखिर बीजेपी चुनाव कैसे जीतती है, मंडे मेगा स्टोरी में 8 फैक्टर में जानेंगे पूरी कहानी… **** ग्राफिक्स: अजीत सिंह और अंकुर बंसल ------ ये स्टोरी भी पढ़िए... बीजेपी मोलभाव कर सकेगी, लेकिन अब भी सहयोगियों पर निर्भर:महिलाओं की कैश स्कीम्स जीत की चाबी, राहुल का क्या; बिहार चुनाव के 7 नेशनल इम्पैक्ट बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी 90% स्ट्राइक रेट के साथ 92 सीटें जीत रही है, लेकिन जेडीयू भी सभी को चौंकाते हुए 80% स्ट्राइक रेट से 82 सीटों पर आगे चल रही है। नतीजों के बाद बीजेपी की बारगेनिंग पावर जरूर बढ़ेगी, लेकिन नेशनल पॉलिटिक्स में वो अब भी सहयोगियों के भरोसे रहेगी। पूरी खबर पढ़िए...
'पिताजी को खोजने के लिए हम दो भाई 24 घंटे तक दिल्ली में हर ओर चक्कर लगाते रहे, लेकिन कुछ पता नहीं चल रहा था। सूचना मिली थी कि पिताजी बम ब्लास्ट में घायल हुए है, तो मन बेचैन था। लगातार हम दोनों भाई मिलकर चक्कर लगाते रहे। फिर जब LNJP हॉस्पिटल के मॉर्च्युरी में गए तो चार लाशों के बीच पिताजी की लाश पड़ी हुई थी। पुलिस अधिकारी और कर्मचारी ने जब खोलकर दिखाया तो मन बेचैन हो गया। हमने सपने में भी नहीं सोचा था कि पिताजी की ऐसी हालत में लाश मिलेगी।' ये कहते-कहते दिल्ली ब्लास्ट में मारे गए बेगूसराय निवासी मोहम्मद लुकमान का बेटा मोहम्मद सिकंदर फूट-फूटकर रोने लगा। सिकंदर ने बताया कि 11 नवंबर की दोपहर छोटे भाई इमरान ने कॉल कर कहा- पिताजी अपनी दुकान के लिए आर्टिफिशियल ज्वेलरी लाने दिल्ली गए थे। कल से पापा को कॉल कर रहा हूं तो संपर्क नहीं हो रहा था, अभी उनके नंबर से कॉल आया कि आपके पिताजी का मोबाइल मेरे पास है। बम ब्लास्ट वाले जगह से मोबाइल हमको मिला था, वे अस्पताल में भर्ती हैं। इमरान का कॉल आते ही हम बेचैन हो गए और दिल्ली में ही रहने वाले अपने दूसरे भाई जहांगीर के साथ उनको खोजना शुरू कर दिया। 10 नवंबर की शाम दिल्ली के लालकिले के पास हुए ब्लास्ट में मोहम्मद लुकमान (60) की मौत हो गई। शुक्रवार की रात पोस्टमॉर्टम के बाद शव को बेगूसराय लाया गया। लुकमान बम ब्लास्ट के शिकार कैसे हुए, दो दिनों तक उनके बेटे दिल्ली में कहां-कहां पिता को ढूंढते रहे, आखिर में मोहम्मद लुकमान की लाश कैसे और किस हाल में मिली? इन सवालों के जवाब जानने के लिए भास्कर रिपोर्टर मोहम्मद लुकमान के घर पहुंचे और उनके बेटों से बात की। पढ़ें, पूरी रिपोर्ट... बेगूसराय में आर्टिफिशियल ज्वेलरी की दुकान चलाते थे लुकमान लुकमान मूल रूप से खगड़िया के रहने वाले थे। बेगूसराय में वे लंबे समय से किराए के मकान में पोखरिया में रहते थे और कचहरी रोड में आर्टिफिशियल ज्वेलरी की दुकान चलाते थे। ज्वेलरी लाने के लिए ही दिल्ली गए थे, जहां बम ब्लास्ट के शिकार हो गए। लुकमान के बेटे मोहम्मद सिकंदर ने बताया कि पापा ने सदर बाजार से सामान लेकर जामा मस्जिद के पास रख दिया। फिर नाश्ता करने की बात कह कर वहां से निकल गए और थोड़ी देर बाद हुए ब्लास्ट के शिकार हो गए। एक दिन बाद लोकनायक अस्पताल पहुंचा तो लाश देखने नहीं दिया गया। कहा गया कि FIR दर्ज कराएं, तभी हम जाने देंगे और आपकी बात सुनेंगे। फिर वहां से शीशगंज गुरुद्वारा के पास स्थित कोतवाली थाना गए। वहां हमारा बयान लिखा गया। अधिकारी ने अपना नंबर लिखकर लोकनायक अस्पताल भेजा। पुलिस अधिकारी ने कहा- लिस्ट में तुम्हारे पिता का नाम नहीं है मोहम्मद सिकंदर ने आगे बताया कि वहां गए तो पुलिस अधिकारी दीपक कुमार मिले। उन्होंने बताया कि पूरे ब्लास्ट का मामला देख रहा हूं, फिर नाम पता पूछा गया। लिस्ट देखा तो उस लिस्ट में मेरे पापा का नाम नहीं था। न घायलों, न मरने वालों की लिस्ट में पापा का नाम था। इसके बाद उन्होंने 8-10 तस्वीरें दिखाई, जिनकी हालत बहुत बुरी थी। उसमें से एक फोटो देखकर शक हुआ। मैंने इसे पापा की तस्वीर होने की आशंका जताते हुए बॉडी दिखाने का अनुरोध किया। उन्होंने बताया कि इसी बॉडी की 2 दिन से पहचान नहीं हुई है, आपको लगता है कि पिताजी की है तो जाकर देख लीजिए। मॉर्च्युरी में गए तो कई लाशों के बीच एक लावारिस बॉडी पड़ी थी। देखते ही मैं पहचान गया यही मेरे पिता है। मुझे से बॉडी देखा नहीं गया। सिर में चोट था, बांह पर भी चोट के निशान थे। फिर हमने बताया कि यह बॉडी मेरे पिताजी की ही है तो उन्होंने पापा का और मेरा आधार कार्ड लिया। पापा का आधार कार्ड दिल्ली का ही था। पापा भी पहले वही रहा करते थे, कोरोना का लॉकडाउन लगा तो बेगूसराय आ गए और यहीं पर उन्होंने आर्टिफिशियल ज्वेलरी बेचना शुरू कर दिया था। दो-चार महीने में दिल्ली सामान लेने जाते थे तो मेरे और भाई के बच्चों के लिए कपड़ा-सामान लेकर आते थे। लाल किला मार्केट से भी शॉपिंग करते थे। उन्होंने रोड पार किया था, इसी दौरान हादसा हुआ। '13 नवंबर को लाश देने के लिए पुलिस अधिकारी ने बुलाया' सिकंदर के अनुसार कोतवाली थाना के CO ने बताया कि पोस्टमॉर्टम होने के बाद लाश दिया जाएगा। 13 तारीख को आइएगा, पोस्टमॉर्टम होगा। वहां के अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि पुलिसकर्मी बिना किसी पैसे के एम्बुलेंस से लाश को घर तक पहुंचाएंगे। जितने भी लोग की मौत हुई है, सभी को मुआवजा सरकार की ओर से मिलेगा। आपको भी दिया जाएगा। जहांगीर बोले- मुख्यमंत्री या एलजी आए थे, अंदर नहीं जाने दिया लुकमान के दूसरे बेटे मोहम्मद जहांगीर ने बताया कि पहले मैं ही अस्पताल के गेट पर गया था तो उस दौरान अंदर नहीं जाने दिया गया। उस दिन मुख्यमंत्री या एलजी में से कोई आए हुए थे, इसलिए रास्ता ब्लॉक कर दिया गया था। इमरजेंसी गेट पर गए तो फिर सभी डॉक्यूमेंट्स मांगा गया, लेकिन मेरे पास कुछ नहीं था, फिर वहां से थाना भेज दिया गया। पिताजी जहां सामान लेते थे खोजते-खोजते वहां पहुंचे तो ब्लास्ट से पहले सामान खरीद कर उन्होंने वहीं रखा था। दुकानदार ने बताया कि शाम में करीब 5:00 बजे चांदनी चौक की ओर गए, लेकिन लौटकर नहीं आए। हमको लगा कि हो सकता है मेरे पास या भाई के पास दिल्ली में ही जहां रहते हैं वहां आने वाले थे। लेकिन पता नहीं कहां जा रहे थे और हादसा हो गया। 'फोन जिसे मिला, उसने मुझे जामा मस्जिद गेट नंबर-3 के पास बुलाया' 11 नवंबर की दोपहर फोन नहीं आता तो मुझे पता भी नहीं चलता की घटना हो गया है। हम काम पर जा रहे थे, इसी दौरान फोन आया। जिसके पास फोन था, उसने जामा मस्जिद के गेट नंबर-3 के पास बुलाया, लेकिन वह नहीं आया। हमने जब पुलिस से हेल्प लिया तब पता चला कि घायल एवं मृतकों को एलएनजेपी अस्पताल और ट्रॉमा सेंटर ले गए हैं। वहां जाकर पता कीजिए, फिर काफी खोज किया तब अज्ञात रूप में रखे पिताजी की बॉडी की पहचान हो सकी। मृतक के छोटे बेटे मो. इमरान ने बताया कि पिताजी 7 नवंबर को महानंदा एक्सप्रेस से दिल्ली गए थे। हम उन्हें ट्रेन पर बैठा दिए थे और 8 दिसंबर की रात में वह दिल्ली पहुंच गए थे। 10 दिसंबर की सुबह बात हुई, शाम में पापा को फोन किए तो स्विच ऑफ बता रहा था। 11 नवंबर को भी सुबह में फोन किया था तो स्विच ऑफ था। 11 नवंबर को दोपहर में फोन आया कि आपका जो आदमी है, वह हादसे में जख्मी हो गया। हम लोगों ने पता लगाना शुरू किया तो कुछ पता नहीं चल रहा था। फोन मेरे नंबर पर ही आया था। मेरे भैया दिल्ली में रहते हैं, उनको फोन किया, फिर थाना में जाकर पता लगाए तब पिता के अस्पताल में होने की जानकारी मिली। शनिवार की रात में बॉडी आया और जनाजे की नमाज के बाद जागीर मोहल्ला के कब्रिस्तान में दफन कर दिया गया है। मैप से समझिए धमाके की लोकेशन
कुशीनगर के विशुनपुरा थाना क्षेत्र में हुए सड़क हादसे में बिहार निवासी एक युवक की मौत हो गई, जबकि दूसरा गंभीर रूप से घायल हो गया। यह दुर्घटना एक ट्रैक्टर-ट्रॉली और अपाची बाइक की टक्कर के कारण हुई। मृतक की पहचान बिहार के हथूहवा निवासी सुधाकर (लगभग 35 वर्ष) के रूप में हुई है। वहीं, बिहार के उलटहवा निवासी सूरज यादव गंभीर रूप से घायल हैं, जिनका इलाज जारी है। यह घटना शुक्रवार को बांसगांव के टोला जटवलिया में हुई। स्थानीय लोगों ने बताया कि तेज रफ्तार ट्रैक्टर-ट्रॉली ने सामने से जा रही अपाची बाइक को जोरदार टक्कर मार दी। हादसे में बाइक पर सवार दोनों युवक सड़क पर गिरकर बुरी तरह घायल हो गए और मौके पर ही अचेत हो गए। स्थानीय लोगों ने तुरंत पुलिस और एम्बुलेंस को सूचना दी। निजी वाहन की मदद से दोनों घायलों को दुदही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया गया। वहां चिकित्सकों ने एक युवक को मृत घोषित कर दिया। घायल सूरज यादव ने बताया कि वे दुदही बाजार से खरीदारी कर घर लौट रहे थे, तभी बांसगांव के पास टोला जटवलिया में यह दुर्घटना हो गई। घटना की सूचना मिलते ही विशुनपुरा थाना पुलिस दुदही सीएचसी पहुंची और शव को कब्जे में लेकर अग्रिम विधिक कार्रवाई में जुट गई है।
बिहार की जनता चुनाव परिणाम से खुश नहीं है। जो हुआ वो चुनाव आयोग के कारण हुआ है। ये परिणाम चुनाव आयोग की मदद से आए और उससे कोई भी सहमत नहीं है। बिहार में दोबारा चुनाव होना चाहिए। ये बात रविवार को इंदौर पहुंचे कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा ने कही है। राबर्ट वाड्रा ने कहा कि राहुल गांधी से सभी युवाओं से जुड़ेंगे और लोकतंत्र के लिए आंदोलन करेंगे। बिहार में दोबारा चुनाव हुए तो रिजल्ट पलटेगा। सरकार जो भी कर रही है, गलत कर रहीरॉबर्ट वाड्रा ने कहा- देश को बदलाव चाहिए। सरकार जो भी कर रही है, गलत कर रही है। यह आज के यूथ को पसंद नहीं है। इसके लिए हम लड़ेंगे जिसके लिए शिव कि शक्ति चाहिए। 2 दिन MP में रहेंगे, नर्मदा स्नान भी करेंगेवाड्रा ने कहा कि मैं उज्जैन आता हूं। मेरा भरोसा है कि इससे शिव की शक्ति मिलती हैं। मेरा धार्मिक दौरा पूरे देश में होता है और यहीं से शुरू होता है। बता दें रॉबर्ट वाड्रा मध्य प्रदेश की दो दिवसीय धार्मिक यात्रा पर आए हैं। वे 17 नवंबर को उज्जैन, ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग दर्शन करेंगे। इसके साथ ही नर्मदा में स्नान और पूजन करेंगे। ये खबर भी पढ़ें...रॉबर्ट वाड्रा पर ₹58 करोड़ की अवैध कमाई का आरोपप्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अपनी चार्जशीट में दावा किया है कि कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा ने 58 करोड़ रुपए अवैध रूप से कमाए। उन्होंने इस रकम का इस्तेमाल प्रॉपर्टी खरीदने और इन्वेस्टमेंट में किया। साथ ही अपने ग्रुप की कंपनियों को लोन दिया और उनके कर्ज चुकाने में भी किया। पढ़ें पूरी खबर...
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा, बिहार में वोट चोरी नहीं, डकैती हुई है। मतदाता पुनरीक्षण यानी SIR (Special Intensive Revision) के नाम पर उन बूथों का रिविजन अधिक हो रहा है, जहां भाजपा चुनाव हारती रही है। अखिलेश यादव रविवार को बैंगलुरू में विजन इंडिया कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। कार्यक्रम मऊ से सपा सांसद राजीव राय और पूर्व मंत्री अभिषेक मिश्रा ने होस्ट किया। अखिलेश यादव ने कहा, ये वोट चोरी से ऊपर का मामला है। ये वोट चोरी नहीं है। इसे तो डकैती बोला जाएगा। भाजपा की बिहार चुनाव की तैयारी सब इंस्टीट्यूशन पर कब्जा करने की तैयारी है। क्योंकि जब बिहार जीत रहे हैं तो वे और लोगों को डराना चाहते हैं। बीजेपी के सबसे बड़े नेता ने कहा कि बिहार से जो गंगा बह रही है वो बंगाल तक जाएगी। बिहार चुनाव के परिणाम पर जब अखिलेश यादव से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि अभी हमने बूथ लेवल पर एनालिसिस नहीं किया है। लेकिन जो यूथ फेस था, पॉपुलर फेस था वो तेजस्वी का था, तेजस्वी काे ज्यादा वोट भी मिले। महागठबंधन की एक पॉजिटिव अप्रोच थी। हमारा विजन पाजीटिव है। दूसरी तरफ जो लोग थे, वो डिवीजन की बात ज्यादा कर रहे थे। पुरानी बात ज्यादा कर रहे थे। पीछे मुड़ कर देख रहे थे। जो विजन की बात करते हैं, वो आगे की ओर देखते हैं। जो डिवीजन की बात करेंगे, वो पीछे मुड़कर देखेंगे। भास्कर पोल में हिस्सा लेकर अपनी राय दे सकते हैं... अखिलेश ने कांग्रेस को नसीहत दीअखिलेश यादव ने कहा, कांग्रेस हमारी गठबंधन की साथी है। इंडिया गठबंधन जो बना है, वो इस लिए बना है कि जो रीजनल पार्टी जहां सबसे पॉपुलर है, उसी की लीडरशिप में सभी पार्टी मिलकर काम करें। हम कर्नाटक की बात करें तो जब एसेंबली का चुनाव हुआ तो उस वक्त कांग्रेस नंबर वन थी। लेकिन जब लोकसभा का चुनाव हुआ तो रिजल्ट दूसरी तरह का था। यूपी का लोकसभा का रिजल्ट दूसरी तरह का था। हर रिजल्ट अलग होता है। इलेक्शन असेंबली का है तो अलग रिजल्ट आएगा। पार्लियामेंट का इलेक्शन है तो अलग रिजल्ट आएगा। लेकिन यूपी के बारे में कह सकता हूं कि जो पार्लियामेंट जीतता है, वही एसेंबली जीतता है। जहां तक रीजनल पार्टी की बात है, मैं अपनी बात करूं तो सबसे अच्छा रिजल्ट दिया। वहां दिया जहां सरकार कहती थी कि डबल इंजन हैं। हम लोगों ने अपनी मेहनत से और कम संसाधन से यूपी में हम लोगों ने बीजेपी का मुकाबला किया है। बाबा साहेब के संविधान को जाे समय समय पर लोग ठेस पहुंचा रहे हैं, उसकी वजह से लोगों ने हमें वोट दिया। रिविजन उन बूथ का अधिक हो रहा है, जहां भाजपा हार रहीअखिलेश ने कहा, एसआईआर में आधार कार्ड को शामिल करना चाहिए। आधार कार्ड सरकार ने बनाया। सरकार अपनी ही चीज को स्वीकार नहीं कर रही है। इससे ज्यादा खराब और क्या सोच हो सकती है। ये एसआईआर रिविजन आफ वोट हो जाए, हमें कोई दिक्कत नहीं है। आप रिविजन किसका ज्यादा कर रहे हो। जिस बूथ पर आप हार रहे हो। उसमें फोकस्ड हैं आप। पूरे एडमिनिस्ट्रेटिव और हर लेवल पर। ये लोग किसी का भी वोट बनवा लें। ये कैसा एसआईआर। इसी लिए हम आरोप इलेक्शन कमीशन पर लगाते हैं कि हमारी शिकायत पर काम क्यों नहीं करते हैं। हमारा विजन पाजीटिव, उनका विजन डिवीजनअखिलेश ने कहा, विजन इंडिया, प्रोग्रेसिव होना, इनक्लूजिव ग्रोथ के लिए काम करना ये हमारा विजन इंडिया है। विजन के साथ हम आगे बढ़ रहे हैं। उनका विजन डिवीजन है। हमारे विजन में पॉजिटिविटी है। इनक्लूसिवनेस है। हमारे विजन में सबको साथ लेकर चलने का काम है। अपनी मुश्किलें और कमियों के रास्ते तलाशने के लिए यूपी जैसे राज्य जहां बहुत सारी समस्या है। स्टार्टअप के लिए सबसे बड़ी पाजीटिव बात है क्योंकि हर समस्या का समाधान स्टार्टअप है। हर प्राब्लम का सोल्यूशन स्टार्टअप है। इससे हमने यूथ को और लोगों को मैसेज देने की कोशिश की है। यूपी से आकर हम लोगों ने सीखा है। यहां हम लोगों को बहुत सारा सपोर्ट मिल सकता है। जॉब्स हमारे यूथ की जरूरत है। इससे पहले कार्यक्रम में अखिलेश यादव ने भारत के सिलिकॉन वैली कहे जाने वाले इस शहर को उन्होंने स्टार्टअप हब बताते हुए यहां से नई शुरुआत का ऐलान किया। समिट में अखिलेश ने केंद्र सरकार पर 'हिंदुस्तानियत का आपातकाल' पैदा करने का आरोप लगाया और विविधता में एकता की भारतीय पहचान पर संकट बताते हुए एकजुटता की अपील की। अखिलेश ने कहा, विजन इंडिया को हम बैंगलुरु से शुरू कर रहे हैं। सभी लोग बैंगलुरु की ओर देखते हैं। भारत का सिलिकॉन वैली बैंगलुरु को कहा जाता है। इसलिए हम यहां से शुरू कर रहे हैं। उन्होंने विजन इंडिया को आगे ले जाने की बात करते हुए सभी भारतीयों को जोड़ने पर जोर दिया। 'हिंदुस्तानियत का आपातकाल' क्या है?अखिलेश ने स्पष्ट किया कि भारत की पहचान 'विविधता में एकता' रही है, लेकिन वर्तमान में एकरूपता थोपने और एकरंगी विचारधारा लादने की कोशिश हो रही है। कुछ साल पहले हम ऐसी बहसें नहीं करते थे, जो अब करनी पड़ रही हैं। हिंदुस्तानियत पर संकट पैदा यह सरकार कर रही है। उन्होंने कहा कि दूरियां पैदा करने वाली बातें बढ़ रही हैं, इसलिए विजन इंडिया का मकसद एकजुटता लाना और हिंदुस्तानियत को पहचानना है। एकता में अनेकता को आगे ले जाना है। प्रोग्रेसिव, पॉजिटिव और प्रो-पीपुल विजन अखिलेश ने विजन इंडिया को प्रोग्रेसिव, पॉजिटिव और प्रो-पीपुल बताया। कहा, निगेटिविटी को काउंटर करना है। प्रोग्रेसिव का मतलब भेदभाव मिटाना, बराबरी का मौका देना। इंक्लूसिव का अर्थ आखिरी व्यक्ति को साथ लेना, पिछड़ेपन दूर करना, दमितों और महिलाओं के साथ हुए व्यवहार को सुधारना। उन्होंने युवाओं को जोड़ने पर बल दिया। कहा, आज का युवा पॉजिटिव और जागरूक है। स्टार्टअप हब बैंगलुरु से हमें सीखने का मौका मिला। यूथ मुश्किलें दूर कर सकता है। स्टार्टअप और समस्याओं का समाधानअखिलेश ने स्टार्टअप को समस्याओं का समाधान बताया। कहा, समस्या जितनी ज्यादा, समाधान उतना अधिक। हर स्टार्टअप एक सोल्यूशन है। यूपी जैसे राज्य में कदम-कदम पर समस्या है, इसलिए ज्यादा सोल्यूशन लाने होंगे। उन्होंने बैंगलुरु को नया काम शुरू करने का आधार बताया। --------------------- यह भी पढ़ें:- रोहिणी ने रमीज का नाम लिया...वो मेरे भाई का कातिल:बलरामपुर में पूर्व चेयरमैन के भाई बोले- लालू परिवार बर्बाद किया, दर्द समझते हैं 'बिहार में लालू यादव की बेटी डॉक्टर रोहिणी आचार्य ने जिस रमीज नेमत का नाम लिया है, वह मेरे ही क्षेत्र का रहने वाला है। वह पूर्व सांसद रिज़वान ज़हीर का दामाद है। रमीज पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। वह मेरे भाई की हत्या के मामले में जेल में बंद था। वो अब लालू परिवार में भी मारपीट करा दी। हम रोहिणी के दर्द को समझ सकते हैं।' ये कहना है कि यूपी के बलरामपुर में पूर्व नगर पालिका चेयरमैन के भाई अफरोज आलम का। पढ़ें पूरी खबर...
Two Sanjay of Bihar Assembly Election: मौजूदा समय हर एक सियासी दल में एक संजय मिल जाएगा. यही वो संजय है जो पार्टी के सारे काम-काज देखता है. इस बार के बिहार चुनाव में एनडीए की ओर से एक संजय झा जो जेडीयू के कार्यकारी अध्यक्ष तो वहीं महागठबंधन की ओर से भी एक आरजेडी के राज्यसभा सांसद संजय यादव थे. दोनों ही संजय की अपने-अपने गठबंधनों को चुनाव जितवाने की बड़ी जिम्मदारियां थीं.
लखनऊ में गोमती तट स्थित बीरबल साहनी मार्ग पर भव्य उत्तराखंड महोत्सव चल रहा है। रविवार को महोत्सव के 8वें दिन सीएम योगी महोत्सव में पहुंचे। उन्होंने कहा- बिहार चुनाव की वजह से महोत्सव में नहीं आ पा रहा था। योगी के साथ केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गजेंद्र शेखावत भी हैं। शेखावत ने कहा- मैं सीएम योगी के साथ पहली बार मंच साझा कर रहा। आने वाले समय में उत्तराखंड देश का नेतृत्व करेगा। इस दौरान करीब 2 हजार लोग मौजूद हैं। उद्घाटन समारोह में उत्तराखंडी परिधानों में सजी महिलाओं के 30 झोड़ा दलों ने पारंपरिक वेशभूषा और वाद्ययंत्रों ढाल, तलवार, मशकबीन, तुरही और रणसिंह के साथ अपनी प्रस्तुतियों से वातावरण को जीवंत कर दिया। महोत्सव में मुनस्यारी का राजमा और अल्मोड़ा की बाल मिठाई जैसे उत्पादों के स्टॉल्स हैं। महोत्सव का शुभारंभ 9 नवंबर को उद्घाटन यूपी के संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने किया था। 3 तस्वीरें देखिए... उत्तराखंड महोत्सव के अपडेट्स के लिए लाइव ब्लॉग पढ़िए...
'बिहार में निष्पक्ष चुनाव नहीं होने से कई सीटें हमारे हाथ से निकल गईं। इसके बावजूद कैमूर जिले की रामगढ़ सीट से बसपा के सतीश कुमार सिंह यादव की शानदार जीत हुई। यह कार्यकर्ताओं की बहादुरी का नतीजा है। विरोधी दलों और प्रशासन पर षड्यंत्रों को हमारे बहादुर कार्यकर्ताओं ने फेल कर दिया।' यह बात बसपा सुप्रीमो मायावती ने बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों को लेकर सोशल मीडिया X पर पोस्ट किया। पढ़िए मायावती ने और क्या कहा प्रशासन-विरोधियों का खेल फेलमायावती ने कहा- रामगढ़ सीट पर सतीश यादव की जीत पार्टी के हर सदस्य की मेहनत का फल है। सभी को हार्दिक बधाई। बसपा प्रत्याशी को हराने का काफी प्रयास किया गया। इसके लिए वोटों की गिनती को बार-बार कराने के बहाने प्रशासन और सभी विरोधी पार्टियां एकजुट हो गईं। बीएसपी उम्मीदवार को हराने का पूरा-पूरा प्रयास किया गया। लेकिन, हमारे बहादुर कार्यकर्ताओं ने डटे रहकर सबको करारा जवाब दिया। उनका षड्यंत्र नाकाम कर दिया। खबर में पोल है, आगे बढ़ने से पहले हिस्सा ले सकते हैं मायावती ने इसे लोकतंत्र पर हमला करार दिया। उन्होंने कहा कि बिहार के इस क्षेत्र की अन्य सीटों पर भी बसपा ने कांटे की टक्कर दी। फीडबैक के मुताबिक, अगर चुनाव पूरी तरह निष्पक्ष होता तो हम और भी कई सीटें जीत जाते। लेकिन, ऐसा नहीं हो सका। बसपा आगे से खून-पसीना बहाकर बिहार को डॉ. अंबेडकर और कांशीराम के सपनों की धरती बनाएगी। मायावती बोलीं- घबराओ मत, तैयारी दोगुना करोचुनावी हार-जीत के बीच मायावती ने पार्टी कार्यकर्ताओं का हौसला भी बढ़ाया। कहा कि पार्टी के लोगों को घबराने की कोई जरूरत नहीं। हम आगे और ज्यादा तैयारी के साथ काम करेंगे। उन्होंने बिहार चुनाव में 'खून-पसीना' बहाने वाले सभी छोटे-बड़े पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं और शुभचिंतकों का आभार जताया। मायावती ने कार्यकर्ताओं से आह्वान किया- बिहार में पूरे जी-जान से लगे रहें। जिससे यह धरती 'सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय' के सपनों को साकार करे। बसपा ने 7 सीटों पर दमदार मौजूदगी दर्ज कराईबसपा ने बिहार की सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की थी। हालांकि, चुनाव में वह 181 सीटों पर ही लड़ी। कई सीटों पर बीच में प्रत्याशियों ने साथ छोड़ दिया। बिहार की जिम्मेदारी राज्यसभा सांसद रामजी गौतम के साथ मायावती के भतीजे आकाश आनंद को सौंपी गई थी। आकाश ने बिहार में 6 से अधिक रैली और नुक्कड़ सभाएं की थीं। बसपा का पूरा फोकस यूपी से सटे कैमूर और रोहतास जिलों पर था। दोनों जिलों में बसपा ने 7 सीटों पर अपनी दमदार मौजूदगी दर्ज कराई है। कैमूर जिले की रामगढ़ सीट सतीश कुमार यादव उर्फ पिंटू यादव कांटे के मुकाबले में 30 मतों के अंतर से जीतने में सफल रही। बसपा का वोट प्रतिशत 2020 की तुलना में 1.02% बढ़कर 1.62% तक पहुंचा है। बसपा ने रामगढ़ के अलावा करगहर विधानसभा पर जदयू को कड़ी टक्कर दी। यहां पार्टी प्रत्याशी उदय प्रताप सिंह 56 हजार से ज्यादा वोट पाकर दूसरे नंबर पर रहे। महागठबंधन में शामिल कांग्रेस तीसरे नंबर पर रही। जबकि मोहनिया, भभुआ, चैनपुर, बक्सर और राजपुर विधानसभा सीटें महागठबंधन बसपा की दमदार प्रदर्शन के चलते हारी। इन सीटों की त्रिकोणीय लड़ाई में एनडीए जीतने में सफल रही। --------------------------- ये खबर भी पढ़ें राबड़ी आवास खाली, रोहिणी के बाद 3 बेटियां दिल्ली रवाना, रोहिणी बोलीं-मुझे मारने के लिए चप्पल उठाई बिहार विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद लालू परिवार में टकराव बढ़ गया है। राजनीति छोड़ने और अपने परिवार से नाता तोड़ने के ऐलान के एक दिन बाद रोहिणी आचार्य ने एक के बाद एक 2 सोशल मीडिया पोस्ट कर तेजस्वी यादव और संजय यादव पर गंभीर आरोप लगाए। पूरी खबर पढ़ें
हिसार के कांग्रेस सांसद जयप्रकाश ने आज राज्य एवं केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि बिहार के विधानसभा चुनाव में वोट चोरी किए गए हैं। इसी के साथ सांसद ने ऐलान किया कि 18 नवंबर को कांग्रेस पार्टी वोट चोरी, किसानों के मुआवजे, खेतों में पानी भरने, निकासी में देरी जैसी जनसमस्याओं को लेकर जोरदार प्रदर्शन करेगी। इस प्रदर्शन में हजारों कार्यकर्ताओं के शामिल होने की संभावना जताई गई। उन्होंने कहा कि कांग्रेस लगातार वोट चोरी के मुद्दे को उठा रही है, लेकिन इनेलो इस पर चुप्पी साधे हुए है। उन्होंने आरोप लगाया कि “इनेलो पार्टी भाजपा की बी टीम के रूप में काम कर रही है,” इसलिए वह चुनावी अनियमितताओं पर कोई सवाल नहीं उठा रही। चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल बिहार चुनाव पर बोलते हुए सांसद जयप्रकाश ने चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लगाया। उन्होंने कहा कि बिहार में सत्ता बचाने के लिए धन, बल और सरकारी मशीनरी का खुला दुरुपयोग किया गया। सांसद बोले- बैलेट पेपर से चुनाव हों सांसद ने कहा कि आरजेडी को 1.80 करोड़ वोट मिलने के बावजूद केवल 25 सीटें मिलीं, जबकि बीजेपी को 90 लाख वोटों पर 89 सीटें कैसे मिल गईं? यह अपने आप में बड़ा सवाल है। उन्होंने कहा कि जनता का विश्वास ईवीएम से उठ रहा है और अब चुनाव बैलेट पेपर से ही करवाए जाने चाहिए, तभी लोकतंत्र मजबूत रह सकता है। जयप्रकाश का कमल गुप्ता पर हमला पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डॉ. कमल गुप्ता के हालिया बयान पर भी सांसद ने पलटवार किया। कमल गुप्ता ने कहा था कि महात्मा गांधी ने आजादी से पहले कहा था कि स्वतंत्रता के बाद कांग्रेस को खत्म कर देना चाहिए। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए जयप्रकाश ने कहा कि कमल गुप्ता को इतिहास ही मालूम नहीं है। उन्होंने टिप्पणी की, “पहले वह यह बताएं कि महात्मा गांधी की हत्या किसने की थी? ऐसे बयान देकर वे जनता को गुमराह कर रहे हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि इंटरनेशनल एयरपोर्ट के नाम पर कमल गुप्ता पहले से ही झूठ बोलकर लोगों को भ्रमित कर रहे हैं, और इस कारण वह अब बौखलाहट में बयान दे रहे हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव में हार के बाद राष्ट्रीय जनता दल (राजद) में अंतर्कलह थमने का नाम नहीं ले रही है। लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने राजनीति छोड़ने का ऐलान किया। तेजस्वी यादव के करीबी संजय यादव और रमीज नेमत का नाम लिया। रमीज का नाम आते ही यूपी में राजनीतिक हलचल शुरू हो गई। रमीज नेमत मूल रूप से यूपी के बलरामपुर के रहने वाले हैं। रमीज का आपराधिक इतिहास है। हत्या के मुकदमे में वो जमानत पर हैं। 4 जनवरी 2022 को पूर्व चेयरमैन फिरोज़ पप्पू की हत्या हुई थी। उसमें हत्याकांड में भी रमीज नामजद हैं और 20 नवंबर को इसी मामले में अदालत का अहम फैसला आने वाला है। इस बीच पूर्व चेयरमैन फिरोज पप्पू के भाई अफरोज अहमद ने एक वीडियो जारी कर रमीज पर हमला बोला है। साथ ही रोहिणी आचार्या का समर्थन करते हुए कहा है कि हम उनके दर्द को समझ सकते हैं। अब पढ़िए अफरोज अहमद ने क्या कहा अफरोज अहमद कहा- रमीज नामक व्यक्ति जिसका नाम रोहिणी ने भी लिया है, वो मेरे ही क्षेत्र का निवासी है और पूर्व सांसद रिज़वान ज़हीर का दामाद है। इस रमीज पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। वह मेरे भाई की हत्या के मामले में जेल में बंद था। रमीज ज़मानत पर बाहर आया और उत्तर प्रदेश में ठिकाना न मिलने के बाद बिहार में शरण ले ली। यह व्यक्ति अब तेजस्वी यादव के संपर्क में बताया जा रहा है, जिससे मैं चिंतित हूं। वो अब लालू परिवार में भी मारपीट करा दी। तेजस्वी अपराधी को साथ लेकर कैसे मुख्यमंत्री बन पाएंगे तेजस्वी यादव जैसे बड़े राजनीतिक परिवार से आने वाले नेता को ऐसे व्यक्तियों से दूरी बनाए रखनी चाहिए। वो खुद अपने घर को बर्बाद करके वहां बैठा हुआ है। तेजस्वी उसको हेलिकॉप्टर में बिठाकर ले जाते हैं। तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं वो एक अपराधी को लेकर कैसे सीएम बन सकते हैं। मुझे आश्वचर्य है कि तेजस्वी एक अपराधी को साथ में लेकर घूम रहे हैं। इसलिए मैं कहूंगा कि वहां जंगलराज है क्योंकि ऐसे अपराधियों को पालना जंगलराज है। वहां की जनता को धन्यवाद है कि उन्होंने एनडीए की सरकार को चुना। इसका ससुर रिजवान हत्या के आरोप में ललितपुर जेल में बंद है। इसके कई गुर्गे जेल में बंद हैं। रमीज ने अपना घर बर्बाद किया, लालू का परिवार भी तोड़ा मैं रोहिणी के दुख को समझ सकता हूं। तेजस्वी जैसे लोग इतने बड़े घराने के होने के बावजूद ऐसे अपराधी को साथ लेकर चल रहे हैं। उसने अपना घर बर्बाद कर दिया, मेरा घर बर्बाद कर दिया। अब उसने लालू यादव का घर भी बर्बाद कर दिया है, क्योंकि राजद सिमट गई। 78 से 35 सीटों पर आ गई। अभी भी समय है कि तेजस्वी उसे बाहर कर दें तो शायद परिवार में कुछ बच जाए। मैं मांग करता हूं कि बिहार की सरकार ऐसे आरोपी व्यक्ति को शरण न दे। रमीज, उसकी पत्नी और उसके ससुर के खिलाफ उनके भाई की हत्या का मामला चल रहा है और यूपी पुलिस उन्हें तलाश रही है। अब जानिए रमीज का इतिहास 14 नवंबर 1986 को जन्मे रमीज़ नेमत बलरामपुर जिले के भंगहा कलां गांव के निवासी हैं। उन्होंने दिल्ली पब्लिक स्कूल (मथुरा रोड) से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और जामिया मिलिया इस्लामिया से राजनीति विज्ञान में बीए तथा एमबीए की डिग्री हासिल की। इसके बाद वे चुनाव प्रबंधन और डिजिटल रणनीति के क्षेत्र में सक्रिय हो गए। उनके पिता नियामतुल्ला जामिया मिलिया इस्लामिया में सोशल वर्क के प्रोफेसर रहे हैं, जबकि उनकी मां जामिया स्कूल में शिक्षिका हैं। उनका परिवार लंबे समय से दिल्ली की न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में रहता है। गांव से उनका संपर्क मुख्य रूप से पारिवारिक आयोजनों तक ही सीमित रहा है। रमीज़ नेमत के पिता नियामतुल्ला और पूर्व सांसद रिज़वान जहीर चचेरे भाई हैं। इस पारिवारिक संबंध के चलते 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद रमीज़ का विवाह रिज़वान जहीर की बेटी जेबा से हुआ। इसके बाद रमीज़ बलरामपुर में पूर्व सांसद के आवास पर रहने लगे, जिससे स्थानीय स्तर पर उनकी पहचान बनी। 12 साल की उम्र में क्रिकेट खेला, अंडर 22 का कप्तान बने रमीज़ ने 12 साल की उम्र से क्रिकेट खेलना शुरू किया और दिल्ली के लिए अंडर–14, अंडर–16 और अंडर–19 तक प्रतिनिधित्व किया। बाद में वह झारखंड चले गए, जहां 2008–09 में उन्हें अंडर–22 टीम का कप्तान बनाया गया और वहीं से उनके प्रथम श्रेणी क्रिकेट करियर की शुरुआत हुई। रमीज़ नेमत की राजनीतिक पहचान को मजबूत करने में उनके ससुर, पूर्व सांसद रिज़वान ज़हीर, की भूमिका अहम मानी जाती है। रिज़वान ज़हीर बलरामपुर लोकसभा क्षेत्र से दो बार सांसद रह चुके हैं और यूपी के सबसे कम उम्र के विधायकों में गिने जाते हैं। रमीज़ की पत्नी जेबा रिज़वान भी राजनीति में सक्रिय रही हैं और तुलसीपुर विधानसभा सीट से दो बार चुनाव लड़ चुकी हैं। एक बार कांग्रेस से और एक बार निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में। राजनीति विज्ञान और मैनेजमेंट की पढ़ाई के कारण रमीज़ नेमत चुनाव प्रबंधन और डिजिटल रणनीति में सक्रिय हो गए।माना जाता है कि वह तेजस्वी यादव के बेहद करीबी, उनके युवा टीम का हिस्सा और चुनाव प्रचार व संगठनात्मक गतिविधियों के अहम मैनेजर रहे हैं। अप्रैल से जमानत पर हैं रमीज 2021 में पंचायत चुनाव के दौरान हुए संघर्ष में उन पर मामला दर्ज हुआ था, जिसमें बाद में अदालत ने उन्हें दोषमुक्त कर दिया। 2022 में तुलसीपुर नगर पंचायत के पूर्व चेयरमैन फिरोज पप्पू की हत्या प्रकरण में उन्हें नामजद किया गया, जिसके बाद उन पर एनएसए और गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की गई। कौशांबी जिले के कोखराज थाने में भी उनके खिलाफ एक हत्या का मुकदमा दर्ज है। कुल मिलाकर रमीज पर 11 आपराधिक केस दर्ज हैं। लंबे समय तक बलरामपुर जेल में रहने के बाद वह अप्रैल 2025 में जमानत पर रिहा हुए।
भारत के सबसे गरीब राज्य बिहार के 90% नए विधायक करोड़पति
गैर सरकारी संगठन असोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट के मुताबिक इस बार बिहार विधानसभा चुनावों में जीते 90 फीसदी विधायक करोड़पति हैं और करीब 53 फीसदी के ऊपर आपराधिक मामले दर्ज हैं
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एक्सप्रेस में बम होने की सूचना मिलते ही अलीगढ़ रेलवे स्टेशन पर हड़कंप मच गया। ट्रेन को तुरंत रोका गया और संदिग्ध व्यक्ति को नीचे उतारकर उसके बैग की तलाशी ली गई। आरपीएफ, जीआरपी, क्राइम इन्वेस्टिगेशन टीम, डॉग स्क्वाड और सिविल पुलिस ने संयुक्त रूप से जांच की। जनरल कोच में यात्रा कर रहे व्यक्ति और उसके बैग को भी तलाशी के लिए नीचे उतारा गया। तलाशी के बाद किसी प्रकार की विस्फोटक सामग्री नहीं मिलने पर संदिग्ध को छोड़ दिया गया। प्लेटफॉर्म 3 पर पुलिस ने दौड़ लगाईदिल्ली से बिहार जा रही स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एक्सप्रेस ट्रेन के जनरल कोच में यात्रा कर रहे एक यात्री के पास बम होने की सूचना मिलने पर शनिवार देर रात अलीगढ़ रेलवे स्टेशन पर अफरा-तफरी मच गई। सूचना मिलते ही आरपीएफ और जीआरपी की संयुक्त टीम सक्रिय हो गई। ट्रेन के प्लेटफॉर्म संख्या 03 पर पहुंचते ही टीम ने चेकिंग शुरू कर दी। सूचना के आधार पर संदिग्ध व्यक्ति को उसके बैग सहित नीचे उतारकर तलाशी ली गई। प्रयागराज डिविजन से मिली फोटो सहित सूचनाजांच के दौरान संदिग्ध यात्री के बैग में केवल अमरूद, खाने-पीने का सामान और कपड़े मिले। कोई भी विस्फोटक या संदिग्ध वस्तु बरामद नहीं हुई। फिलहाल पुलिस टीम उससे पूछताछ कर रही है। आरपीएफ के सहायक आयुक्त गुलजार सिंह ने बताया-15 नवंबर की रात करीब 11:05 बजे प्रयागराज डिविजन कंट्रोल से फोटो सहित सूचना मिली थी कि दिल्ली से बिहार जा रही स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एक्सप्रेस (12560/12562) के फ्रंट साइड जनरल कोच में एक यात्री के पास बम जैसी वस्तु होने की आशंका है। बिहार के मधुबनी का रहने वाला था यात्रीसूचना मिलते ही आरपीएफ, जीआरपी, क्राइम इन्वेस्टिगेशन यूनिट, डॉग स्क्वाड और सिविल पुलिस की टीमें सक्रिय हो गईं। ट्रेन के इंजन से दूसरे जनरल कोच में सीट संख्या 247503/सी पर संदिग्ध व्यक्ति को पाया गया और तुरंत उसे नीचे उतारकर पूछताछ शुरू की गई। पूछताछ में उसने अपना नाम सुशील सैनी (35 वर्ष), पुत्र राजकुमार सैनी बताया। वह बिहार के मधुबनी के थाना अरेर क्षेत्र के बिचखाना गांव का रहने वाला है। फरीदाबाद की डबुआ फल मंडी में करता है कामसुशील सैनी ने पूछताछ में बताया कि वह फरीदाबाद की डबुआ फल मंडी (दुकान नंबर 62) में काम करता है। वह अपने माता-पिता को लेने गांव जा रहा था। उसके बैग में मिले सभी सामान की एक-एक कर जांच की गई, लेकिन किसी तरह की संदिग्ध वस्तु नहीं मिली। फिलहाल पुलिस उसके आपराधिक इतिहास की भी जांच कर रही है।
NDA और महागठबंधन दोनों के लिए 'ठंडा-गरम' साबित हुए PK? इन 35 सीटों से समझिए गणित
Bihar Election 2025 Analysis:बिहार में हुए विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों में एक खास पैटर्न निकलकर सामने आया है. प्रशांत किशोर यानी PK और उनकी जन सुराज पार्टी का वोट बैंक. न कहीं पूरी तरह गर्म और न ही न पूरी तरह ठंडा साबित हुआ. लेकिन इतना जरूर है कि जन सुराज ने NDA और महागठबंधन दोनों के समीकरण पर बड़ा असर डाला है. 35 ऐसी सीटें रहीं, जहां जन सुराज के वोट जीत-हार के अंतर से ज्यादा हैं और यहीं से शुरू होती है असली कहानी.
AIMIM and BSP: बिहार विधानसभा चुनावों (Bihar results) में असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम (AIMIM) ने पांच और मायावती की बीएसपी (BSP) ने एक सीट जीतकर यूपी में नए भावी सियासी गठबंधन की खबरों को हवा दे दी है. क्या है पूरा मामला नीचे खुद जान लीजिए.
दिलीप जायसवाल बोले : बिहार को पसंद है मोदी-नीतीश की जोड़ी
बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए को मिली बंपर जीत के बाद जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने पीएम मोदी और सीएम नीतीश कुमार की एक फोटो एक्स पर शेयर करते हुए लिखा कि पीएम मोदी और सीएम नीतीश की जोड़ी हिट हो गई
88 का स्ट्राइक रेट, 89 सीटों पर शानदार जीत के बावजूद भाजपा को चुभ रहे ये 4 आंकड़े; किसने किया खेला?
Bihar Election 2025: बिहार में हुए विधानसभा चुनाव 2025 में NDA ने शानदार जीत के साथ बिहार राजनीतिक का नक्शा बदल दिया है. लेकिन इस सुनामी में भी बीजेपी कुछ खास सीटों पर फिसल गई. कुल 101 में से 89 सीटें जीतकर अकेली सबसे बड़ी पार्टी बनने के बावजूद बीजेपी के लिए 12 ऐसी सीट रही जहां पार्टी सिर्फ मामूली अंतर से हार गई. कुछ जगहों पर हार का अंतर मात्र 30 वोट था.
यमुनानगर के जगाधरी में एक युवक ने फांसी लगाकर सुसाइड कर ली। घटना के वक्त वह अपने कमरे में अकेला था। काम पर न आने पर जब साथी ने फोन किया तो कॉल रिसीव न होने पर कमरे पर पहुंचे और वहां पर उसका फंदे पर लटका शव पाया। सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और जांच के लिए फोरेंसिक टीम को भी मौके पर बुलाया। पुलिस द्वारा शव को फंदे से उतारकर कब्जे में लिया गया और पोस्टमॉर्टम के लिए सिविल अस्पताल जगाधरी पहुंचाया गया। बर्तन फैक्ट्री में करता था काम मृतक की पहचान बिहार के भोजपुर जिला निवासी 23 वर्षीय बजरंगी के रूप में हुई है। बजरंगी यहां जगाधरी में किराए के मकान में रहता था और बर्तन बनाने वाली एक फैक्ट्री में काम किया करता था। मौत की सूचना मिलते ही मृतक का जीजा विमलेश कुमार बिहार से यमुनानगर पहुंचा। विमलेश ने बताया कि बजरंगी अभी अविवाहित था। वह दो साल पहले रोजगार की तलाश में बिहार से यमुनानगर आया था। यहां पर वह जगाधरी में किराए के कमरे में अकेला रहा करता था और बर्तन फैक्ट्री में काम किया करता था।। एक दिन बाद बिहार से आए परिजन उन्हें बताया गया है कि बजरंगी शुक्रवार को बजरंगी काम पर नहीं गया। ऐसे में उसका साथी उसे फोन कर रहा था, लेकिन फोन रिसीव नहीं हुआ। बार-बार कॉल के बाद वह उसे देखता हुआ उसके कमरे पर पहुंचा। कमरे का दरवाजा बंद था। उसके कैसे भी करके दरवाजा खोला तो अंदर देखा बजरंगी ने फंदा लगाया हुआ था। उसने तुरंत इस बारे पुलिस को बताया। सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची। मामले के जांच अधिकारी मान सिंह ने बताया कि युवक के शक को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए सिविल अस्पताल जगाधरी में रखवाया गया था। परिजन बिहार से शनिवार को पहुंचे हैं। ऐसे में शनिवार की देर शाम तक शव का पोस्टमॉर्टम करा उन्हें सौंप दिया गया। मामले की जांच कर रहे हैं।
पंचकूला पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा की टीम ने सेब व्यापारी से 15 लाख रुपये की धोखाधड़ी करने वाले आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी को कोर्ट में पेश कर 5 दिन के पुलिस रिमांड पर लिया गया है। बिहार के जहानाबाद, बिहार निवासी एक सेब व्यापारी ने पंचकूला पुलिस को बताया था कि 13 सितंबर को सेब मंडी पिंजौर से 902 पेटी सेब खरीदी थी। जिनकी कीमत लगभग 15 लाख रुपए थी। परिवहन के लिए उसने अपने परिचित ट्रांसपोर्टर की सहायता से अहसान पुत्र अय्यूब, निवासी जिला शामली उत्तर प्रदेश, जो स्वयं ट्रक चालक भी है, से संपर्क किया था। उसी दिन अहसान ने सेब ट्रक में लादकर पिंजौर से बिहार (गया) के लिए निकला। लेकिन कुछ समय बाद उसका फोन बंद आने लगा और वह अपने पते से भी लापता पाया गया। व्यापारी की शिकायत पर थाना पिंजौर में 4 अक्टूबर को बीएनएस की धारा 316(3), 318(4) व 61(2) के तहत मामला दर्ज किया गया। आर्थिक अपराध शाखा ने की जांच मामले की जांच आर्थिक अपराध शाखा पंचकूला के एएसआई सुनील कुमार को सौंपी गई। जांच के दौरान पुलिस ने आरोपी अहसान को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में आरोपी ने खुलासा किया कि उसने ट्रक में भरे सभी सेब सहारनपुर मंडी उत्तर प्रदेश में बेच दिए थे। रिमांड के दौरान पुलिस आरोपी से रकम और अन्य जुड़े तथ्यों के बारे में विस्तृत पूछताछ कर रही है ताकि मामले में आगे की कार्रवाई की जा सके।
पहले ये 3 बयान पढ़िए महाराष्ट्र में भी सब ठीक था, यहां भी सब कुछ ठीक होगा। एनडीए में कहीं कोई भ्रम नहीं है। सभी चीजें तय प्रक्रिया के तहत आगे बढ़ रही हैं।- नितिन नवीन, भाजपा नेता बिहार में CM की कोई वैकेंसी नहीं है।- ललन सिंह, केंद्रीय मंत्री, जदयू जनादेश जब नीतीश कुमार को मिला तो CM कोई और बनेगा क्या? बिहार में सुशासन बाबू का काम और पीएम ने बिहार की तरक्की के लिए जो मदद की। बिहार को विकास के रास्ते पर ले चलने के लिए यहां की जनता ने नीतीश कुमार पर विश्वास जताया है।- श्रवण कुमार,जदयू के सीनियर नेता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात के बाद एनडीए के नेताओं ने ये बयान दिए। भाजपा महाराष्ट्र मॉडल को ठीक बता रही है। CM के चेहरे पर साफ बात नहीं कही जा रही। वहीं, जदयू के नेता नीतीश कुमार को CM चेहरा बता रहे हैं। 5 प्वाइंट में जानिए क्या बिहार में सीएम चेहरे पर पेंच फंस गया है। पॉइंट- 1. CM ने 40-45 नेताओं के साथ बैठक की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शनिवार को दिनभर चुनाव जीतने वाले विधायकों से मिले। सुबह 9 बजे से शुरू हुआ यह सिलसिला देर शाम तक चलता रहा। नीतीश ने मुलाकातों के बीच जदयू की बैठक की। बीजेपी के सीनियर नेताओं से भी मुलाकात की। नीतीश कुमार से मिलने वाले बड़े चेहरे कौन-कौन? नीतीश कुमार से मिलने सबसे पहले विजय कुमार चौधरी पहुंचे। इसके बाद चिराग पासवान आए। इस बीच जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा भी CM हाउस पहुंचे। उनके ठीक बाद फुलवारी से नव निर्वाचित विधायक श्याम रजक आए। बिहारशरीफ विधायक और पूर्व मंत्री डॉ. सुनील कुमार, जदयू नेता मनीष वर्मा, मसौढ़ी से नव निर्वाचित विधायक अरुण मांझी, इंजीनियर शैलेन्द्र, जेडीयू प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा, मंत्री और बीजेपी विधायक कृष्ण कुमार मंटू भी मिलने वाले नेताओं में शामिल थे। मंत्री रहे भाजपा नेता नितिन नवीन ने भी मुलाकात की। पॉइंट- 2. विधायक दल की बैठक पर फैसला सोमवार को जदयू विधायक दल की बैठक बुलाने का फैसला लिया गया। इसमें सीएम नीतीश कुमार को जदयू विधायक दल का नेता चुने जाने की औपचारिकता पूरी की जाएगी। पार्टी के चुनाव जीतने वाले सभी विधायकों को रविवार को पटना पहुंचने के लिए कहा है। पॉइंट- 3. शपथ ग्रहण की तारीख पर मंथन नीतीश कुमार 19-20 नवंबर को CM पद की शपथ ले सकते हैं। जदयू सूत्रों के अनुसार तारीख पर अंतिम मुहर विधायक दल की बैठक में लगेगी। पार्टी की ओर से दो तारीख चुने गए हैं। 19 या 20 नवंबर को शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया जा सकता है। जदयू विधायक दल की बैठक में शपथ ग्रहण समारोह पर बात होगी। विधायक दल की यह बैठक काफी अलग होगी। लंबे समय बाद जदयू के इतने अधिक विधायक जीते हैं। पॉइंट- 4. मंत्रिमंडल के चेहरे और संख्या पर बात कितने मंत्री बनेंगे? कौन बनेंगे? इन सवालों पर बातचीत हुई। नीतीश कुमार के शपथ ग्रहण समारोह को भव्य बनाने के लिए तैयारी चल रही है। समारोह में बिहार की जनता को न्योता दिया जाएगा। गाड़ियों में भर-भर कर लोगों को लाया जाएगा। नीतीश राजभवन की जगह पटना के गांधी मैदान में शपथ ले सकते हैं। गांधी मैदान में शपथ लेने की रही है परंपरा पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में शपथ लेने की पुरानी परंपरा रही है। लालू यादव ऐसा करते थे। नीतीश ने भी इस मैदान में शपथ लिए। नीतीश जब पहली बार पूर्ण बहुमत के साथ 2005 में मुख्यमंत्री बने तो गांधी मैदान में शपथ लिया। इसके बाद 2010 और 2015 के चुनाव के बाद गांधी मैदान में ही शपथ ली। जुलाई 2017 में नीतीश कुमार ने महागठबंधन से नाता तोड़ा और बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई तब राजभवन स्थित राजेंद्र मंडप में शपथ ली थी। 2020 में कोरोना महामारी की वजह से नीतीश ने राजभवन में शपथ ग्रहण किया था। लालू यादव ने शुरू की थी गांधी मैदान में शपथ लेने की परंपरा 1990 में राजद सुप्रीमो लालू यादव सीएम बने थे। उन्होंने गांधी मैदान में शपथ लिया था। इसके बाद 1990 से लेकर 2015 तक सीएम बनने वाले नेताओं ने शपथ ग्रहण स्थान गांधी मैदान चुना। पॉइंट- 5. संजय झा और ललन सिंह दिल्ली गए सीएम नीतीश कुमार के साथ बैठक और मुलाकात के बाद जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा और केंद्रीय मंत्री ललन सिंह शनिवार की शाम दिल्ली चले गए। वह केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, विनोद तावड़े और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करेंगे। बिहार में नई सरकार बनाने पर बातचीत होगी। ------------ क्या आप हैं बिहार के एक्सपर्ट? खेलिए और जीतिए 3 करोड़ तक के इनाम बिहार से जुड़े 3 आसान सवालों के जवाब दीजिए और जीतिए 3 करोड़ तक के इनाम। रोज 50 लोग जीत सकते हैं आकर्षक डेली प्राइज। लगातार खेलिए और पाएं लकी ड्रॉ में बंपर प्राइज सुजुकी ग्रैंड विटारा जीतने के मौके। क्विज अभी खेलने के लिए यहां क्लिक करें - https://dainik.bhaskar.com/GXiUvc8h3Wb
बात 1953 की है। गांधीवादी विनोबा भावे ‘भूदान आंदोलन’ की अगुआई करते हुए बिहार पहुंचे। तब उन्हें पता चला कि देवघर के बाबा बैद्यनाथ धाम मंदिर में दलित नहीं जा सकते। उन्होंने दलितों के साथ मंदिर जाने का ऐलान किया। बैद्यनाथ धाम के पंडों को ये नामंजूर था। पंडों ने विनोबा को रोकना चाहा, लेकिन वे नहीं माने और सत्याग्रह पर बैठ गए। गुस्साए पंडों ने विनोबा से मारपीट कर दी। हंगामा खड़ा हो गया। राज्य सरकार पर भी दबाव बढ़ने लगा। तब के मुख्यमंत्री श्रीबाबू ने ऐलान किया- ‘मैं खुद दलितों के साथ बैद्यनाथ मंदिर में प्रवेश करूंगा।’ पंडों में हड़कंप मच गया। उन्होंने श्रीबाबू के परिवारवालों और करीबियों से कहा कि श्रीबाबू ऐसा न करें, नहीं तो अनर्थ हो जाएगा। श्रीबाबू के बड़े भाई देवकीनंदन ने भी विरोध किया, लेकिन वे नहीं माने। फिर तारीख आई 27 सितंबर 1953 की। बैद्यनाथ धाम छावनी बन चुका था। श्रीबाबू ने मंत्री विनोदानंद झा और 700 दलितों के साथ मंदिर में प्रवेश किया और पूजा की। पुलिस की मौजूदगी और नेताओं की मर्जी के सामने पंडे कुछ कर नहीं पाए। श्रीबाबू के इस ऐतिहासिक कदम के बाद राज्य के सभी सार्वजनिक मंदिरों में किसी भी जाति के प्रवेश पर लगी अघोषित रोक खत्म हो गई। श्रीकृष्ण सिंह का गांव मुंगेर जिले के बरबीघा थाना के माउर में था, लेकिन उनका जन्म 21 अक्टूबर 1887 को नवादा जिले के खनवा गांव में हुआ। ये उनका ननिहाल था। वे 5 भाई थे, 3 उनसे बड़े और एक छोटे। पिता हरिहर सिंह मुंगेर के जमींदार और शिवभक्त थे। एक रोज श्रीकृष्ण की मां की तबीयत बिगड़ गई। पता चला कि उन्हें प्लेग हो गया है। कुछ ही दिनों में वो चल बसीं। तब श्रीकृष्ण महज 5 साल के थे। तब से उनकी बड़ी भाभी यानी सबसे बड़े भाई देवकीनंदन सिंह की पत्नी ने देखभाल का जिम्मा संभाला। श्रीबाबू को पिता हरिहर से शुरुआती शिक्षा मिली। सबसे पहले उन्होंने उर्दू सीखी, फिर हिंदी। 1894 में वे गांव के स्कूल में पढ़ने जाने लगे। फिर उनका दाखिला मुंगेर जिला स्कूल में हो गया। वजीफा भी मिल गया। धीरे-धीरे वे कोर्स के अलावा देश-दुनिया की राजनीति से जुड़ीं किताबें पढ़ने लगे। राजनीति में दिलचस्पी बढ़ती गई। वे लोकमान्य तिलक का 'मराठा' और श्री अरविंदो का 'वंदे मातरम' अखबार पढ़ने लगे। दिल्ली यूनिवर्सिटी में हिस्ट्री के एसोसिएट प्रोफेसर नरेंद्र कुमार पांडेय अपनी किताब 'डॉ. श्रीकृष्ण सिंह: इतिहास के आईने में' में लिखते हैं, 'श्रीकृष्ण पर बंगाली और मराठा नेताओं के विचारों, लेखों और किताबों का असर पड़ा। वे क्रांति की ओर बढ़ने लगे। एक रोज वे गंगा नदी में खड़े हो गए। उन्होंने एक हाथ में गीता और दूसरे हाथ में कृपाण लेकर कसम खाई कि चाहे प्राण ही क्यों न चले जाएं, लेकिन देशसेवा की राह से नहीं भटकूंगा।' जॉर्ज पंचम पटना आए, तो खुद को दिनभर कमरे में बंद कर लिया साल 1911, दिसंबर का महीना। ब्रिटेन के राजा जॉर्ज पंचम पटना पहुंचे। तब श्रीकृष्ण पटना कॉलेज में पढ़ते थे और मिंटो हिंदू हॉस्टल में रहते थे। मिंटो हॉस्टल गंगा नदी के किनारे था। किंग जॉर्ज के स्वागत में पूरा शहर सजाया गया। वे नाव में बैठकर शहर देखने निकले। घाटों पर लंबा जाम लग गया। पटना कॉलेज के छात्र भी किंग जॉर्ज को देखने के लिए जाने लगे, पर श्रीकृष्ण सिंह नाराज हो गए। कहने लगे- 'लोग उसे देखने के लिए उतावले हैं, जिसके हम गुलाम हैं।' श्रीकृष्ण को अंग्रेजों से इतनी नफरत थी कि वे दिनभर अपने कमरे से बाहर नहीं निकले। खिड़की-दरवाजे तक बंद कर लिए, ताकि भूल से भी किंग जॉर्ज पर नजर न पड़ जाए। 1913 में MA की डिग्री हासिल करने बाद श्रीकृष्ण पटना के नेशनल कॉलेज में पढ़ाने लगे, लेकिन बड़े भाई देवकीनंदन के कहने पर वे नौकरी छोड़कर वकालत पढ़ने लगे। 1915 में उन्हें डॉक्टरेट ऑफ लॉ की डिग्री मिली। वे मुंगेर में वकालत करने लगे। इस बीच उनकी शादी हो गई। दो बेटे भी हुए- शिवशंकर और बंदीशंकर। फिर साल आया 1916 का। वाराणसी के सेंट्रल हिंदू कॉलेज में एक सभा हुई। यहां महात्मा गांधी ने भाषण दिया। सभा में श्रीकृष्ण भी मौजूद थे। गांधीजी के विचारों ने उनके मन में छाप छोड़ दी। वे गांधीजी के आंदोलनों में भाग लेने लगे। आगे चलकर श्रीकृष्ण का नाम ‘श्रीबाबू’ और ‘बिहार केसरी’ पड़ गया। 1920 में गांधीजी ने असहयोग आंदोलन शुरू किया। अगले ही साल वकालत छोड़ श्रीबाबू भी आंदोलन से जुड़ गए। जेल भी गए। रिहाई के बाद वे कांग्रेस में शामिल हो गए। 1927 में वे बिहार विधान परिषद के सदस्य बन गए। अब बिहार के बड़े नेताओं में श्रीबाबू की गिनती होने लगी थी। गांधीजी की मर्जी के उलट बिहार के प्रधानमंत्री बने साल 1937, अंग्रेजों ने बिहार में पहली बार विधानसभा चुनाव करवाए। कांग्रेस को बहुमत मिला, लेकिन अंग्रेजों ने मुस्लिम इंडिपेंडेंट पार्टी के मोहम्मद यूनुस को बिहार का प्रीमियर बना दिया। तब राज्यों में मुख्यमंत्री के बजाय प्रीमियर यानी प्रधानमंत्री का पद होता था। कांग्रेस ने इस फैसले के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। आखिरकार यूनुस को इस्तीफा देना पड़ा। अब कांग्रेस में विधायक दल का नेता चुनने की कवायद शुरू हुई। महात्मा गांधी की पसंद अनुग्रह नारायण सिंह थे। वे चंपारण सत्याग्रह के दिनों से अनुग्रह नारायण को जानते थे। उन्होंने कद्दावर कांग्रेसी नेता और बाद में राष्ट्रपति बने डॉ. राजेंद्र प्रसाद को चिट्ठी लिखी- ‘अनुग्रह बाबू को विधायक दल का नेता चुना जाए।’ जुलाई 1937, एक दिन पटना के सदाकत आश्रम में कांग्रेसी विधायकों की बैठक हुई। डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने ऐलान किया, ‘गांधीजी चाहते हैं कि अनुग्रह बाबू को नेता चुना जाए।’ इतना सुनते ही कांग्रेसी नेता सर गणेश दत्त सिंह और किसान नेता स्वामी सहजानंद सरस्वती खड़े हो गए। सर गणेश बोल पड़े, ‘अनुग्रह ही क्यों, श्रीबाबू क्यों नहीं?’ दरअसल, अनुग्रह बाबू राजपूत थे और उन्हें कायस्थ लॉबी का समर्थन था। वहीं श्रीबाबू भूमिहार थे और उनके साथ ब्राह्मण गुट था। दरभंगा नरेश कामेश्वर सिंह भी श्रीबाबू के फेवर में थे। अनुग्रह बाबू भांप गए कि श्रीबाबू का पलड़ा भारी है। उन्होंने खुद ही श्रीबाबू का नाम आगे कर दिया। इस तरह गांधीजी की मर्जी के उलट श्रीबाबू विधायक दल के नेता चुने गए और बिहार के प्रीमियर यानी प्रधानमंत्री बन गए। नेहरू के समर्थन से मिली मुख्यमंत्री की कुर्सी 1950 में संविधान लागू होने के बाद राज्यों के प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री कहलाने लगे। यानी श्रीबाबू बिहार के प्रधानमंत्री से मुख्यमंत्री हो गए। 1952 में देशभर में लोकसभा और विधानसभा चुनाव हुए। बिहार की 331 में से 235 विधानसभा सीटें कांग्रेस ने जीतीं। अब बारी थी विधायक दल के नेता चुनने की। पंडित नेहरू ने इस बार भी श्रीबाबू का साथ दिया, लेकिन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद चाहते थे कि अनुग्रह नारायण मुख्यमंत्री बनें। दोनों ओर जबरदस्त लामबंदी हुई। आखिर में नेहरू ने अनुग्रह बाबू से बात की और एक पॉलिटिकल फॉर्मूला सुझाया। अनुग्रह मान भी गए। विधायक दल की मीटिंग में अनुग्रह बाबू ने खुद ही श्रीबाबू का नाम आगे कर दिया। नेहरू के फॉर्मूले के तहत श्रीबाबू CM बने और अनुग्रह बाबू डिप्टी CM। अनुग्रह बाबू को वित्त मंत्रालय भी मिला। दोनों के बीच भले ही राजनीतिक अदावत रही, लेकिन एक दूसरे पर भरोसा कभी कम नहीं हुआ। श्रीबाबू प्रोटोकॉल से बाहर जाकर भी अनुग्रह बाबू की फाइलों और सिफारिशों पर दस्तखत कर देते थे। CM बने तो धुर विरोधी के गले लगकर रोने लगे फरवरी 1957 में बिहार में फिर से विधानसभा चुनाव हुआ। कांग्रेस ने 318 में से 210 सीटें जीतीं। इस बार अनुग्रह बाबू ने खुलकर मुख्यमंत्री पद पर दावा ठोक दिया। अनुग्रह बाबू को लगा कि दिल्ली आलाकमान का अब उतना दबाव नहीं है और अंदरखाने विधायकों का समर्थन भी है। इधर, श्रीबाबू को अंदाजा था कि चुनाव बाद उनके खिलाफ खेमेबंदी होगी। ऐसे में उन्होंने चुनाव से पहले ही एक दांव चला। उन्होंने पार्टी की तरफ से ऑब्जर्वर बनकर आए बंबई के CM मोरारजी देसाई के साथ मिलकर संभावित उम्मीदवारों की लिस्ट में से 70 नाम कटवा दिए। इनमें से ज्यादातर अनुग्रह बाबू के खेमे के थे। वहीं राजपूत जाति से आने वाले अनुग्रह बाबू ने चुनाव के बाद सारा ध्यान दूसरी जाति के विधायकों को मनाने में लगा दिया। इससे नाराज राजपूत श्रीबाबू के खेमे में चले गए। बिहार के कद्दावर कांग्रेसी नेता रहे ललितेश्वर प्रसाद शाही अपनी बायोग्राफी 'बनते बिहार का साक्षी' में लिखते हैं, ‘मार्च महीने के एक दिन हुई बैठक में श्रीबाबू को 145 कांग्रेस विधायकों के वोट मिले, जबकि अनुग्रह बाबू को 109 वोट।’ जीत के बाद श्रीबाबू अपने समर्थकों और गाजे-बाजे के साथ राजभवन के सामने बने घर पहुंचे। जश्न का माहौल था। मिठाइयां बंट रही थीं। श्रीबाबू घर की पहली मंजिल पर थे, तभी उन्हें पता चलता है कि अनुग्रह बाबू वहां आ रहे हैं। भारी-भरकम शरीर वाले श्रीबाबू तेजी से सीढ़ियां उतरे और अनुग्रह बाबू की गाड़ी के दरवाजे तक पहुंच गए। जैसे ही अनुग्रह बाबू गाड़ी से बाहर निकले, श्रीबाबू उनके गले लग गए। दोनों रोने लगे। अनुग्रह बाबू माफी मांगते हुए बोले, 'उकसावे में आपके खिलाफ खड़े होने की गलती कर दी।' श्रीबाबू ने कहा, 'देखो अनुग्रह, अब इस अदावत को यहीं खत्म करो। तुम्हारा जैसा मन हो वैसी सरकार बनाओ।' श्रीबाबू ने कहा- या तो मैं चुनाव लड़ूंगा या मेरा बेटा1957 में चुनाव हो रहे थे। कांग्रेस के कुछ बड़े नेता श्रीबाबू से उनके बेटे शिवशंकर को चुनाव लड़वाने के लिए जोर डालने लगे, लेकिन श्रीबाबू नहीं माने। उन्होंने कहा, 'मैं तैयार हूं, लेकिन फिर मैं चुनाव नहीं लड़ूंगा। एक परिवार से एक ही व्यक्ति को चुनाव लड़ना चाहिए।' यही वजह थी कि श्रीबाबू के रहते उनके परिवार से कोई चुनाव नहीं लड़ा। श्रीबाबू अपने लिए कभी वोट मांगने नहीं जाते थे। फिर भी कभी चुनाव नहीं हारे। श्रीबाबू कहते थे- अगर मैंने काम किया है तो लोग मुझे वोट देंगे। हालांकि, वे आम दिनों में अपने क्षेत्र में जरूर जाते थे। CM रहते जब भी वे अपने गांव जाते, तो सुरक्षाकर्मियों को दूर ही छोड़ देते। उनका मानना था कि अपने गांव में उन्हें किसी से खतरा नहीं हो सकता। खाने के इतने शौकीन कि इंसुलिन लगाकर रसगुल्ला खाते थे श्रीबाबू के परपोते अनिल कुमार सिन्हा ने एक इंटरव्यू में बताया कि बाबा (श्रीबाबू) के बारे में मेरे पिताजी बताते थे कि वे खाने के बहुत शौकीन थे। वे इंसुलिन का इंजेक्शन लगाकर रसगुल्ला खाते थे। यही वजह थी कि उनका वजन बहुत बढ़ा हुआ था। अनिल कहते हैं, 'जब भी बाबा मुजफ्फरपुर या बेगूसराय जाते तो पहले ही अरहर की दाल बनाकर रखने का संदेश भेज देते। वहां रुक के खाना खाना, लोगों से मिलना उनका शौक था। उस वक्त आने-जाने की बेहतर सुविधा नहीं थी। बाबा पालकी या बैलगाड़ी से क्षेत्र का मुआयना करते थे।’ नेहरू से बोले- बिहार में फैक्ट्री नहीं लगी तो इस्तीफा दे दूंगा, अनशन पर बैठ गए श्रीबाबू बिहार में रिफाइनरी और उर्वरक फैक्ट्री लगवाना चाहते थे, लेकिन प्रधानमंत्री नेहरू ने इसके लिए दूसरे राज्य चुन रखे थे। श्रीबाबू इसके खिलाफ अनशन पर बैठ गए। साफ बोले- बिहार में प्रोजेक्ट शुरू नहीं हुए तो इस्तीफा दे दूंगा।’ इसके बाद ही बरौनी में दोनों कारखाने खोले गए। कहते हैं कि प्रधानमंत्री नेहरू को सिर्फ दो ही मुख्यमंत्री 'तुम' कहा करते थे। पहले बंगाल के CM बिधान चंद्र रॉय और दूसरे बिहार के CM श्रीबाबू। परपोते अनिल कुमार सिन्हा के मुताबिक, नेहरू बाबा को इतना पसंद करते थे कि वह उन्हें केंद्र में गृह मंत्रालय देना चाहते थे, लेकिन बाबा बिहार में ही काम करना चाहते थे। 17 साल के कार्यकाल के दौरान श्रीबाबू ने बोकारो में पहला स्टील प्लांट लगवाया। बरौनी में डेयरी शुरू की। हटिया में भारी उद्योग निगम स्थापित किया। गढ़हरा में एशिया का सबसे बड़ा रेलवे यार्ड बनवाया। भागलपुर के सबौर, समस्तीपुर के पूसा और रांची में एग्रीकल्चर कॉलेज बनवाए। कई पुल, हाईवे, ब्रिज बनवाए। इसलिए वे 'आधुनिक बिहार के निर्माता' कहलाए। संपत्ति के नाम पर सिर्फ 24.5 हजार, वो भी परिवार के लिए नहीं31 जनवरी 1961 को श्रीबाबू का निधन हो गया। 12 दिन बाद राज्यपाल डॉ. जाकिर हुसैन, बिहार के तत्कालीन CM दीपनारायण सिंह, जयप्रकाश नारायण और श्रीबाबू के मुख्य सचिव मजूमदार की मौजूदगी में उनकी तिजोरी खोली गई। उसमें 4 लिफाफे निकले। चारों में कुछ-कुछ रकम थी। कुल मिलाकर साढ़े 24 हजार रुपए, वह भी पार्टी और करीबियों के लिए। पहले लिफाफे में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के नाम 20 हजार रुपए थे। दूसरे में उजिहार हुसैन मुनीमी नाम के एक दोस्त की बेटी की शादी के लिए 3 हजार रुपए। तीसरे लिफाफे में बिहार के तत्कालीन मंत्री महेश प्रसाद सिन्हा की छोटी बेटी की शादी के लिए एक हजार रुपए निकले और चौथे में अपने एक भरोसेमंद नौकर के लिए 500 रुपए। । सीनियर जर्नलिस्ट संतोष सिंह अपनी किताब 'द जननायक कर्पूरी ठाकुर: वॉयस ऑफ द वॉयसलेस' में लिखते हैं, '1937 से 1939 तक जब वे बिहार के प्रधानमंत्री थे, तब मंत्रियों को हर महीने 5 हजार रुपए सैलरी मिलती थी। श्रीबाबू ने इसे घटाकर 500 रुपए कर दिया था।' ------------ क्या आप हैं बिहार के एक्सपर्ट? खेलिए और जीतिए 3 करोड़ तक के इनाम बिहार से जुड़े 3 आसान सवालों 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केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों की 2 हजार कंपनियां 22 तक बिहार में ही रहेंगी
विधानसभा चुनाव और फिर मतगणना के बाद भी केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों की कंपनियां पटना समेत पूरे बिहार में तैनात रहेंगी। चुनाव परिणाम के बाद बिहार में किसी चुनावी रंजिश को लेकर होने वाली आशंका को देखते हुए केंद्रीय बलों को 22 नवंबर तक रखा जाएगा। 22 को समीक्षा करने के बाद इन्हें आगे भी तैनात रखा जा सकता है। बिहार में चुनाव कराने के लिए एसएसबी, सीआरपीएफ, सीआईएसएफ समेत अन्य केंद्रीय बलों की कंपनियां आई थीं। बिहार में चुनाव कराने के लिए करीब 2 हजार कंपनियां आई थीं। इन कंपनियों के अलावा बिहार के रैफ, सैप, बीसैप व बिहार पुलिस के जवानों और होमगार्ड की चौकसी से चुनाव के साथ ही पूरे बिहार में मतगणना शांतिपूर्ण रही। खास बात यह है कि कहीं भी वारदात नहीं हुई। यही नहीं किसी भी बूथ पर पुनर्मतदान नहीं हुआ। उधर, पटना के शहारी इलाकों से लेकर मोकामा तक केंद्रीय अर्द्धसैनिक बल कैंप कर रहे हैं। मोकामा में दुलारचंद यादव की हत्या के बाद जिस तरह की स्थिति पैदा हुई थी उसे इन जवानों ने पूरी तरह से नियंत्रण में किया। मोकामा में भी चुनाव पूरी तरह शांतिपूर्ण हुआ। इन जवानों को स्थानीय पुलिस के साथ फरार चल रहे आरोपितों को गिरफ्तार करने, सघन वाहन चेकिंग के अलावा संस्थानों की सुरक्षा में लगाया गया है।
Bihar Assembly Elections News : बिहार के विधानसभा चुनाव में भी परिवारवाद हावी रहा। परिवारवाद को लेकर न तो एनडीए पीछे रहा और न ही महागठबंधन। यही कारण है कि बिहार के चुनावी मैदान में भी लगभग सभी दलों के बड़े नेताओं के बेटे-बेटी, बहू-दामाद, पत्नी, समधन ...
MP Politics दिग्विजय सिंह ने बिहार चुनाव में NDA की रेकॉर्ड तोड़ जीत के बाद उठाए SIR और EVM पर सवाल
बिहार चुनाव में RJD-कांग्रेस की हार पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने ऐक बार फिर पुराने सवपाल उठाए हैं। उन्होंने मतदाता सूची और ईवीएम पर सवाल उठाए। BJP की ऐतिहासिक जीत पर विपक्ष में निराशा। पढ़ें पूरी खबर।
'रोते रहो 5 साल...' असम के 'ओवैसी' का महागठबंधन पर तंज, कहा- एक नहीं हुए तो हालत होगी और खराब
Bihar Election Result 2025 News: बिहार असेंबली के चुनाव में विपक्षी महागठबंधन बुरी तरह चुनाव हार गया है. इस हार के बाद असम के 'ओवैसी' ने विपक्ष पर तंज किया है. उन्होंने कहा कि अगर अब भी एक नहीं हुए तो अगले 5 साल में हालत और खराब होगी.
दौसा में भव्य जनजातीय गौरव दिवस कार्यक्रम, मंत्री राठौड़ ने बिहार चुनाव पर किया तंज
दौसा में भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर आयोजित भव्य जनजातीय गौरव दिवस कार्यक्रम में मंत्री कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने भाग लिया। कार्यक्रम में आदिवासी संस्कृति की झलक, योजनाओं का लाभ वितरण और बिहार चुनाव पर मंत्री का तंज प्रमुख आकर्षण रहे।
Bihar में एनडीए की बंपर जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात दौरे पर पहुंचे हैं. यहां सूरत में पीएम मोदी ने एक सार्वजनिक सभा को संबोधित किया. इस दौरान पीएम मोदी ने बिहार के विपक्षी दलों पर तीखे हमले किए और कहा कि इस बार बिहार ने इस विधानसभा चुनाव ने जातिवाद की राजनीति को सख्ती से खारिज कर दिया है.
Five masterstrokes of Nitish Kumar in Bihar: बिहार की धरती पर सियासी तूफान थम चुका है। धूल उड़ चुकी और बीच मैदान में खड़ा है वही पुराना योद्धा नीतीश कुमार। बाएं की 'महागठबंधन' की हुंकार हो या दाएं की एनडीए की चालाकी, बिहार ने एक बार फिर ठहराव चुना ...
Bihar Election में कांग्रेस ने 61 सीटों पर चुनाव लड़ा और इसमें से वो महज 6 सीटें ही जीत पाई. बीते 15 सालों में कांग्रेस पार्टी का ये दूसरा सबसे बुरा प्रदर्शन रहा. कांग्रेस की हार ने सिर्फ कांग्रेस पार्टी ही नहीं बल्कि बिहार के पूरे महागठबंधन को बड़े सदमें डाल दिया है.
दिल्ली के मालवीय नगर से विधायक और प्रदेश सह प्रभारी मध्य प्रदेश सतीश उपाध्याय आज अयोध्या पहुंचे। उन्होंने बिहार चुनाव में प्रचंड जीत का श्रेय पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को दिया है। सतीश उपाध्याय का कहना है कि यह असाधारण जीत असाधारण व्यक्तित्व के पीएम नरेंद्र मोदी पर जनता का अटूट विश्वास का फल है। उन्होंने कहा कि एग्जिट पोल में भी इस तरह का अकड़ा प्रदर्शित नहीं हुआ था। बिहार में नीतीश सरकार का सुशासन और मोदी जी की नीतियों पर लोगों ने विश्वास किया है। पीएम मोदी के नेतृत्व में देश की आर्थिक तरक्की हुई है। वहीं सनातन भी मजबूत हुआ है। ऐसे में बिहार भी आगे बढ़ना चाहता था। इस चुनाव ने निश्चय कर दिया है कि जाति के नाम पर राजनीति करने वालों को जनता नकार देगी। सतीश उपाध्याय ने कहा कि बिहार में लोगों ने बड़ा बदलाव किया है। एनडीए की शक्तियों के रूप में महिलाओं का विश्वास पीएम मोदी पर विशेष कृपा के रूप में रही है। युवाओं के अवसर ने नए बिहार का निर्माण किया है। 20 साल पहले का जंगल राज और 20 साल बाद के बदलाव की झलक दिख रही है। उन्होंने कहा कि बिहार में उद्योग, महिलाओं और युवाओं के अवसर बढ़े है। बिहार चुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लोग देखना चाहते थे। योगी आदित्यनाथ जहां जहां प्रचार किए वहां जीत सुनिश्चित नजर आई। यूपी में योगी आदित्यनाथ सरकार ने परिवर्तन लाया है। माफियाराज का खत्म किया है। अयोध्या में राम मंदिर बना। उन्होंने एक रोल मॉडल प्रस्तुत किया है। सतीश उपाध्याय ने कहा कि स्टार प्रचारक के रूप में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का विशेष योगदान रहा है। उत्तर प्रदेश एक बड़ा राज्य और देश को नेतृत्व देने वाला राज्य है। इसका बिहार चुनाव में असर पड़ा है। बीजेपी का अगला लक्ष्य पश्चिम बंगाल है। जिस तरह से पश्चिम बंगाल को आगे बढ़ना चाहिए था वह नहीं बढ़ा है। बंगाल में तुष्टिकरण की राजनीति खत्म होगी और निश्चित रूप से कमल खिलेगा। लोगों को समझना होगा कि बिहार और पश्चिम बंगाल की दूरी ज्यादा नहीं है। अगला विकास का पड़ाव पश्चिम बंगाल होगा। दिल्ली के विधायक सतीश उपाध्याय ने कहा कि अयोध्या में सनातन का सबसे बड़ा गौरव राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण है। यह गौरव की बात है कि 500 वर्षों के संघर्ष का प्रतीक राम जन्मभूमि मंदिर की आधार शिला पीएम नरेंद्र मोदी के हाथों रखी गई, मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा उन्हीं के हाथों हुई, अब ध्वजारोहण भी उन्हीं के हाथों होगीं। जब राम जन्मभूमि मंदिर पर ध्वजा लहराएगी वह सनातन की ध्वज लहराएगा। इससे बड़ा गौरव का छड़ हम सब देश वाशी सनातनियों के लिए नहीं हो सकता है।
आगरा में यूथ कांग्रेस ने बिहार में एनडीए की जीत पर मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञाने कुमार की फोटो को मिठाई खिलाई। यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने बिहार में एनडीए की जीत में ज्ञानेश कुमार को बधाई दी। यूथ कांग्रेस की ओर से प्रदेश उपाध्यक्ष दीपक शर्मा के नेतृत्व में NDA व भारतीय जनता पार्टी की जीत पर मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार की फोटो को मिठाई खिलाई। दीपक शर्मा ने बताया की आगरा का लाल कर गया कमाल। चुनाव आयोग ने बिहार चुनाव में भरपूर धांधली की। भारत के इतिहास में पहली बार हुआ है बिहार में लोगों के एक नहीं बल्कि दोनों हाथों में स्याही लगी हुई थी। धड़ल्ले से फर्जी वोटिंग हुई। आगरा के लाल ज्ञानेश कुमार द्वारा ही सम्भव हुआ की 1015 के एक कमरे में 2000 से भी अधिक वोटर रह रहे है। ये पहले ऐसे चुनाव अयुक्त है जिन्होंने तीन महीने एक एक व्यक्ति के दो राज्यों मे वोट डलवाये है। चुनाव से पहले पचास लाख से अधिक वोट बिहार में बिना किसी कारण काट दिए। लगता है अब सरकार बनाने के लिये के जनता के पास जाने की वोट मांगने की जरूरत नहीं। सीधी चुनाव आयुक्त से सेटिंग भी सरकार बना सकती है। लोगों का चुनाव आयोग से भरोसा हट गया है। ज्ञानेश कुमार की भूमिका का यूथ कांग्रेस पुरजोर विरोध करती है। प्रदर्शन में मुख्य रूप से यूथ कांग्रेस जिला अध्यक्ष ताहिर हुसैन,बिल्लू चौहान,बन्टी खान, रंगरेज,गोविन्द,दीपक दीक्षित,आसिफ,फरमान,साहिल,रेहान,शंकरलाल,दीपक कुमार,पिन्टू,रवि,फैसल,आदि मुख्य रूप से मौजूद रहे।
Bihar’s Phantom Victory: How India’s Democracy Was Ghost-Written in 2025
Elections are not won; they are engineered. Bihar 2025 was the proof. The counting screens flickered past midnight, and the numbers defied belief. Bihar is a state where unemployment grips nearly half of its youth, where the Kosi’s floodwaters still threaten homes, and where migrant workers return from Delhi with empty wallets and broken bodies. […]
बिहार में कैसे बनी 12000 करोड़ की सरकार, गेम चेंजर रहा नीतीश मास्टरस्ट्रोक
Bihar Assembly Election Results: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे आ चुके हैं। इन नतीजों ने देश की राजनीति में एक जबरदस्त भूचाल ला दिया है। इस बार के चुनाव परिणाम ने सभी राजनीतिक पंडितों के अनुमानों को झुठला दिया है। NDA ने प्रचंड बहुमत के साथ 200 ...
हरियाणा भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष मोहनलाल बड़ौली शनिवार दोपहर बाद फतेहाबाद जिले के टोहाना पहुंचे। यहां उन्होंने पूर्व पंचायत मंत्री देवेंद्र सिंह बबली के आवास पर कार्यकर्ताओं से मुलाकात की। उन्होंने टोहाना के विकास कार्यों पर भी चर्चा की। बड़ौली ने कहा कि बिहार के विधानसभा चुनाव में जनता ने लोकतंत्र का सम्मान किया है। अब देश से कांग्रेस नाम की पार्टी जड़मूल से खत्म हो जाएगी। अब वोट चोरी की बात ही नहीं रही, जनता ने तो कांग्रेस को ही चोरी कर दिया। जनता ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को जीत दिलाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों में विश्वास जताया है। लोकल राजनेताओं पर बोले- कहीं तालमेल की कमी नहीं बड़ौली ने लोकल राजनेताओं की आपसी खींचतान के सवाल के जवाब में कहा कि कहीं कोई दिक्कत नहीं है। किसी का कोई टकराव नहीं है। सभी कार्यकर्ता घी-शक्कर की तरह से रहते हैं। लगातार हर कार्यकर्ता पार्टी को मजबूत बनाने में लगा हुआ है। पूर्व सीएम ने जो घोषणाएं की, वो पूरी होंगी बड़ौली ने कहा कि टोहाना सहित पूरे प्रदेश में पूर्व सीएम मनोहर लाल और वर्तमान सीएम नायब सैनी द्वारा की गई सभी घोषणाओं को जल्द पूरा किया जाएगा। बड़ौली ने स्वीकार किया कि घोषणाओं को पूरा करने में समय लग सकता है, लेकिन सभी वादों को निभाया जाएगा। इस मौके पर पूर्व मंत्री देवेंद्र सिंह बबली, बीजेपी जिलाध्यक्ष प्रवीण जोड़ा, मार्केट कमेटी चेयरमैन जगजीत हुड्डा समेत कई कार्यकर्ता मौजूद रहे।
'SIR नहीं इस वजह से हुई NDA की जीत...,' बिहार चुनाव में किस पर निशाना साध रहे शरद पवार?
Bihar Vidhan Sabha Elections 2025: बिहार में विधानसभा चुनाव के परमाम आ चुके हैं. वहीं रिजल्ट को लेकर कई पार्टी के नेता अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं.
बुद्ध के 'विहार' से नीतीश-मोदी के वर्तमान बिहार तक : विकास की खोज में एक राज्य
Bihar Assembly Election Results: बिहार—यह केवल एक भौगोलिक इकाई नहीं, बल्कि सदियों से ज्ञान, शक्ति और परिवर्तन का केंद्र रहा है। गौतम बुद्ध ने यहीं अपने 'विहार' (बौद्ध मठ) स्थापित किए और शांति का संदेश दुनिया को दिया। आज वही भूमि गठबंधन की राजनीति का ...
Sagrika Ghosh Slams PM Modi: TMC सांसद सागरिका घोष ने पीएम मोदी के पश्चिम बंगाल पर टिप्पणी को लेकर अपना रिएक्शन दिया है. उन्होंने कहा कि बंगाल साम, दाम, दंड, भेद' की राजनीति को स्वीकार नहीं करेगा.
कांग्रेस ने बताया, बिहार चुनाव में कैसे हुई वोट चोरी?
Bihar Election Results : बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन मात्र 35 सीटों पर सिमट गई। राजद तो 23 फीसदी वोट शेयर प्राप्त कर अपनी साख बचा गई लेकिन कांग्रेस मात्र 6 सीटों पर जीत दर्ज कर सकी। करारी हार के बाद पार्टी ने एक बार फिर वोट चोरी को लेकर चुनाव ...
बिहार चुनाव में 128 विधानसभा सीटों पर हुई भयानक धांधली... कांग्रेस का चुनाव आयोग पर गंभीर हमला
Congress reaction on Bihar results: कांग्रेस ने एक खास पैटर्न की पहचान का दावा करते हुए चुनाव आयोग पर गंभीर हमला बोलते हुए कहा कि उनके एनलिसिस से साफ खुलासा होता है कि कुल 128 सीटों में भयानक धांधली का इस्तेमाल करके एनडीए को जितवाया गया.
राहुल गांधी ने बेगूसराय में तालाब में लगाई थी छलांग, यहां क्या हुआ कांग्रेस का हाल?
Bihar Election Results : बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा। इस चुनाव में कांग्रेस ने 61 सीटों पर चुनाव लड़ा और उसे 43,74,579 यानी 8.71 फीसदी वोट प्राप्त हुए। पार्टी मात्र 6 सीटों पर जीत दर्ज कर सकी। इस चुनाव में उसके ...
बिहार चुनाव : भाजपा से ज्यादा वोट पाकर भी कैसे हार गई तेजस्वी की राजद?
Bihar Election Result 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं। राज्य में एक बार फिर नीतीश कुमार के नेतृत्व में राजद की सरकार बनने जा रही है। इस चुनाव में सबसे ज्यादा हैरान राजद के चुनावी नतीजों ने किया। वोट प्रतिशत अधिक पाने के बावजूद भी ...
बिहार चुनाव में NDA की रिकॉर्ड जीत के बाद यूपी में सियासी बयानबाजी बढ़ गई है। निषाद पार्टी के प्रमुख और योगी सरकार में मत्स्य मंत्री संजय निषाद ने सुभासपा प्रमुख राजभर पर निशाना साधा है। संजय निषाद ने कहा- ओपी राजभर का बिहार में NDA से अलग होकर चुनाव लड़ने का निर्णय बिल्कुल गलत था। दैनिक भास्कर डिजिटल से बातचीत में उन्होंने कहा- यूपी में भाजपा ने सुभासपा को पूरा सम्मान दिया। ओपी राजभर ने खुद 2022 में सपा के साथ चुनाव लड़ा था। फिर भी भाजपा ने उन्हें NDA में शामिल कर मंत्री और MLC का पद दिया। इसलिए, गठबंधन का सम्मान होना चाहिए। राजभर की पार्टी अभी सिर्फ यूपी में है। राजनीति में वहीं बीज बोना चाहिए जहां हम उसे ढंग से सींच सके। बिहार में सुभासपा का जनाधार नहीं है। इसलिए चुनाव परिणाम सामने है। बता दें कि यूपी में सुभासपा और निषाद पार्टी दोनों एनडीए गठबंधन में हैं। दोनों पार्टी के प्रमुख योगी सरकार में मंत्री हैं। बिहार में राजद और कांग्रेस ने जनता को खूब लूटा। उस जमाने में मीडिया और सोशल मीडिया इतना नहीं था। लेकिन आज मीडिया और डिजिटल मीडिया ने सभी को जागरूक कर दिया। बिहार में बीजेपी की ताकत, पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और राजनीति के चाणक्य अमित शाह के दांव पेंच ने विपक्ष का सुपड़ा साफ कर दिया।
Bihar Election: करारी हार के बावजूद जख्मों पर मरहम लगा रहे ये दो आंकड़े, तेजस्वी का दर्द करेंगे कम?
Bihar Election 2025: बिहार चुनाव में NDA की इतनी जोरदार जीत हुई कि आरजेडी(RJD), कांग्रेस और लेफ्ट जैसे महागठबंधन के सभी दल मिलकर सिर्फ 35 सीटों पर ही सिमट गए.
बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए को प्रचंड बहुमत मिलने के बाद पटना में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। मुख्यमंत्री आवास में शनिवार की सुबह से ही नेताओं का आना-जाना जारी है। सबसे पहले मंत्री विजय कुमार चौधरी सीएम हाउस पहुंचे। उसके बाद चिराग समेत अन्य नेता भी पहुंचे। जेडीयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा भी सीएम हाउस पहुंचे। संजय झा अपने हाथों में जीते हुए कैंडिडेट की लिस्ट ले कर आए हैं। इसी क्रम में फुलवारी से नवनिर्वाचित विधायक श्याम रजक भी मुख्यमंत्री आवास पहुंचे। मुलाकात के बाद मीडिया से बात करते हुए श्याम रजक ने स्पष्ट कहा कि बिहार में नेतृत्व का एक ही भरोसेमंद चेहरा है, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार। बिहार में दूसरा कोई चेहरा नहीं है, नीतीश कुमार ही विकल्प हैं। श्याम रजक ने कहा हम अपने नेता से मिलने आए थे। मुख्यमंत्री के नेतृत्व में आम लोगों ने आस्था व्यक्त की है। नीतीश कुमार के काम पर लोगों ने विश्वास किया है। शपथ ग्रहण कब होगा इस पर श्याम रजक ने कहा कि यह मुख्यमंत्री जी तय करेंगे। नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री चेहरा है उनके अलावा कुछ सोचा भी नहीं जा सकता है। कौन क्या कहा है मुझे नहीं पता विनोद तावड़े ने कहा था सभी पार्टी एक साथ बैठकर तय करेंगे की सीएम कौन होगा। इसपर श्याम रजक ने कहा कि कौन क्या कहता है उनसे पूछिए। महाराष्ट्र पैटर्न के भी चर्चा शुरू है, इस पर श्याम रजक ने कहा कि इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। आप लोगों ने तो महागठबंधन को भी कितनी सीटें दी थी, उन्हें क्या कुछ मिला आपलोगों ने देखा है। पूरा एनडीए एकजुट है वहीं, दूसरी ओर से यह दावा किया जा रहा है कि बिना जदयू के भी सरकार बन सकती है। इस पर श्याम रजक ने करारा जवाब देते हुए कहा कि यह केवल एक सपना है, जिसकी कोई वास्तविकता नहीं है। उन्होंने दोहराया कि पूरा एनडीए एकजुट है और भारी जन mandate ने यह साबित कर दिया है कि जनता नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही स्थिर सरकार चाहती है।
Bihar Election Final Result 2025 : बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की प्रचंड जीत पर पीएम नरेंद्र मोदी ने भाजपा मुख्यालय में कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। उन्होंने 2010 के बाद का सबसे मजबूत जनादेश बताया, पुराने तुष्टिकरण वाले 'एमवाई' को 'महिला और युवा' का नया सकारात्मक फॉर्मूला करार दिया। युवाओं के मतदाता सूची शुद्धिकरण समर्थन, नक्सल क्षेत्रों में बढ़ते मतदान और लोकतंत्र की जीत पर जोर। बिहार ने झूठ व जंगलराज को नकारा, जनविश्वास की विजय स्थापित की।
हिमाचल प्रदेश के पूर्व अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (ADG) डा. जय प्रकाश सिंह ने बिहार विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाई, लेकिन उनकी जमानत जब्त हो गई। जेपी सिंह ने चुनाव लड़ने के लिए ऐच्छिक सेवानिवृति (वीआरएस) ली थी। मगर उन्हें करारी हार मिली है। प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने उन्हें टिकट दिया। जेपी सिंह बिहार की छपरा सीट से चुनाव लड़े। लेकिन उन्हें मात्र 3433 वोट मिल पाए। जेपी सिंह छपरा सीट पर 10 उम्मीदवारों में चौथे नंबर पर जरूर रहे। मगर विजय उम्मीदवार से 83 हजार 412 वोटों के अंतर से चुनाव हार गए। चौथे नंबर पर रहे, जमानत जब्त छपरा सीट से भारतीय जनता पार्टी की छोटी कुमारी विधायक चुनी गई। उन्हें 86 हजार 845 वोट लेकर मिले। दूसरे नंबर पर राष्ट्रीय जनता दल के शत्रुघन यादव रहे, उन्हें 79 हजार 245 वोट मिले। तीसरे नंबर पर इंडिपेंडेंट कैंडिडेट राखी गुप्ता को 11 हजार 488 वोट और चौथे नंबर पर जेपी सिंह रहे। साल 2000 बैच के IPS 10 जुलाई 1967 को बिहार में जन्मे जेपी सिंह हिमाचल कैडर के 2000 बैच के IPS अधिकारी रहे हैं। 31 जनवरी 2025 को ही वह ADG प्रमोट किए गए। ADG बनने के 5 महीने बाद ही उन्होंने चुनाव लड़ने का फैसला किया और जुलाई 2025 में समय से पहले रिटायरमेंट ले ली। उनकी रिटायरमेंट 31 जुलाई 2027 को तय थी। यानी दो साल पहले ही जेपी सिंह ने नौकरी छोड़ दी। जेपी सिंह बीए, एलएलबी, के साथ पुलिस मैनेजमेंट में मास्टर डिग्री धारक हैं। चंबा-सिरमौर जिले में SP रहे जेपी सिंह वर्ष 2001 में कांगड़ा में बतौर प्रोबेशनर तैनात हुए। इसके बाद, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ASP) कांगड़ा के पद पर सेवाएं दी। फिर वह राज्यपाल के एडीसी, SP चंबा, SP सिरमौर, कमांडेंट और SP इंटेलिजेंस भी रहे। वे आईजी साउथ रेंज व आईजी नॉर्थ रेंज के अलावा विजिलेंस में भी सेवाएं दे चुके हैं। वीआरएस से पहले वह एडीजीपी सीआईडी पद पर तैनात थे। बिहार के एकमा तेघड़ा गांव के रहने वाले जेपी सिंह बिहार के एकमा के तेघड़ा गांव के रहने वाले हैं। उनका सफर प्रेरणादायक है। वह एक किसान परिवार से निकलकर, पहले सैन्य अधिकारी और फिर आईपीएस अधिकारी बने। हिमाचल पुलिस में विभिन्न पदों पर सेवाएं देने के बाद राजनीति में उतरे। छुट्टी के दौरान गांव के बच्चों को पढ़ाते थे जेपी सिंह छुट्टी के दौरान अपने गांव और आसपास के शैक्षणिक संस्थानों में जाकर विद्यार्थियों को पढ़ाते रहे हैं और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए व्यावहारिक मार्गदर्शन देते हैं।
क्या बिहार में दोहराएगा महाराष्ट्र मॉडल जाएगा? जीतकर भी क्या किसी टेंशन में है भाजपा!
Bihar CM: बिहार में बीजेपी पहली बार 89 विधानसभा सीटें जीतकर पहली बार पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए सबसे बड़ी पार्टी बनी है. इसके बाद सियासी अटकलें लगाई जाने लगीं कि क्या ये माइल स्टोन छूकर इतिहास बनाने वाली बीजेपी कहीं महाराष्ट्र की तर्ज पर तरह बिहार में भी तो अपना सीएम नहीं बनाने जा रही.
TMC Shared Meme On BJP Bengal Election Post: पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा की ओर से बिहार चुनाव के बाद बंगाल चुनाव को लेकर किए गए एक पोस्ट का जवाब दिया है.
1 से 19 तक का सफर...5 साल में कितना बदले चिराग? क्या बिहार को मिल गया नया 'पोस्ट-कास्ट' नेता?
Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों ने सभी को हैरान कर दिया है. NDA की शानदार जीत के बीच चर्चा चिराग पासवान की भी जरूरी है, जिन्हें 2020 के चुनाव में सिर्फ एक सीट मिली थी और अब राज्य में उनके 19 विधायक होंगे.
बंगाल में बिहार जैसी स्थिति नहीं होगी, ममता बनर्जी फिर बनेंगी मुख्यमंत्री
तृणमूल कांग्रेस नेता कुणाल घोष ने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव के परिणामों का पश्चिम बंगाल के आगामी चुनाव पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है
क्या NDA की रिकॉर्ड 202 सीटों के जीतने के पीछे चुनाव आयोग का एक फैसला है? फैसला-आचार संहिता के बावजूद बिहार की महिलाओं को 10-10 हजार रुपए बंटने देना। जबकि, 2004 के बाद कम से कम 5 राज्यों में ऐसी 10 योजनाओं पर आचार संहिता के नाम पर रोक दिया गया। मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के नाम से राज्यभर में 10 हजार करोड़ रुपए बांटे गए। इसकी शुरुआत तो 26 सितंबर को पहली किश्त बांट कर की गई थी, लेकिन 6 अक्टूबर को आचार संहिता लगने के बाद भी 5 बार 10-10 हजार रुपए बांटे गए। एक किश्त तो चुनावों की घोषणा वाले दिन यानी आचार संहिता के ऐलान वाले दिन ही जारी की गई। यही नहीं, नीतीश सरकार ने अक्टूबर में प्रदेश के सभी बड़े अखबारों में विज्ञापन देकर भुगतान की तारीख दिसंबर तक तय कर दी। ये विज्ञापन देखिए- अब सवाल है कि आखिर देश के अलग-अलग राज्यों में एक जैसे नियमों के बावजूद फैसले अलग क्यों हुए? आज के एक्सप्लेनर बूझे की नाहीं में जानिए, कहां-कहां चुनाव आयोग ने योजनाओं को रोका, वहां चुनाव में क्या हुआ…। पॉइंट-1ः 5 राज्यों में रोका तो 3 में सरकार बदल गई राजस्थान: इंदिरा गांधी स्मार्टफोन योजना रोक राजस्थान में कांग्रेस सरकार ने अक्टूबर 2023 में मुफ्त स्मार्टफोन बांटने के लिए 'इंदिरा गांधी स्मार्टफोन योजना' लॉन्च किया। जिसे चुनाव आयोग ने आचार संहिता का हवाला देकर रोक दिया। चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि स्मार्टफोन जैसी चीजों का मुफ्त बांटना आचार संहिता के दौरान सीधे मतदाताओं को लुभाने की श्रेणी में आता है। आयोग ने अपने आदेश में तर्क दिया कि भले ही योजना पहले से लागू हो, लेकिन निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने और चुनाव में सबके लिए समान अवसर को बनाए रखने के लिए, इस पर रोक आवश्यक है। नतीजा- कांग्रेस की मौजूदा सरकार चली गई और भाजपा स्पष्ट बहुमत से लौटी। तेलंगाना में रायथु बंधु योजना पर रोक यह योजना PM-KISAN जैसी ही है। 10 मई 2018 को इसे तत्कालीन सीएम केसीआर ने लॉन्च की। इसमें किसानों को हर साल दो बार पैसा दिया जाता था। 2018 में जब यह योजना शुरू की गई थी तब 50.25 लाख किसान जुड़े थे। तेलंगाना में विधानसभा चुनाव नवंबर 2023 में होने थे। 26 नवंबर 2023 को तेलंगाना के वित्त मंत्री टी. हरीश राव ने कहा कि रायथु बंधु योजना की राशि 28 नवंबर तक (वोटिंग से ठीक दो दिन पहले) दे दी जाएगी। ECI ने मंत्री के इस बयान को आचार संहिता की शर्तों का उल्लंघन माना और योजना को आचार संहिता हटने तक स्थगित कर दिया। नतीजा– चुनाव हुआ तो केसीआर की सरकार चली गई। कांग्रेस स्पष्ट बहुमत से लौटी। आंध्र प्रदेश में YSR चेयुथा सहित 6 योजनाओं पर रोक चुनाव आयोग ने आंध्र प्रदेश में विधानसभा-लोकसभा चुनाव से दो दिन पहले 9 मई 2024 को YSR चेयुथा सहित छह अन्य DBT योजनाओं के भुगतान को तुरंत रोक दिया। अगस्त 2020 में आंध्र प्रदेश के तत्कालीन सीएम वाईएस जगनमोहन रेड्डी ने YSR चेयुथा योजना की शुरुआत की थी। इस योजना के तहत आंध्र प्रदेश की सरकार ने अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ी जाति और अल्पसंख्यक समुदाय के 45-60 साल की महिलाओं को आर्थिक सहायता देनी थी। आयोग के अनुसार, इन योजनाओं में भुगतान 11-12 मई 2024 मतदान से ठीक पहले करने की योजना थी। चुनाव की घोषणा के बाद सत्ता पक्ष की सरकार को किसी भी नई वित्तीय घोषणा या जनहित सहायता का वितरण नहीं करना चाहिए। इसी तरह वाईएसआर आसरा और जगनन्ना विद्या दीवेना योजनाओं को भी चुनाव आयोग ने रोक दिया। इसमें विद्या दीवेना योजना पोस्ट-मैट्रिक स्कॉलरशिप के वितरण से संबंधित थी। इस योजना के तहत, सरकार लाभार्थी छात्रों की माताओं के बैंक अकाउंट में स्कूल फीस सीधे भेजने वाली थी। वहीं, YSR आसरा योजना, बिहार के जीविका योजना की तरह ही स्वयं सहायता समूहों (SHG) की महिला सदस्यों को वित्तीय सहायता प्रदान करने की थी। इन पर भी चुनाव आयोग ने रोक लगा दी। नतीजा- जगनमोहन रेड्डी की सरकार चली गई। 175 में से चंद्रबाबू नायडू की पार्टी ने 135 सीटें जीत लीं। भाजपा भी सरकार में सहयोगी है। ओडिशा: कालिया योजना पर रोक ओडिशा सरकार ने दिसंबर 2018 में 'कृषक सहायता आजीविका और आय संवर्धन' योजना की शुरुआत की। 2019 विधानसभा चुनाव के दौरान रोक दिया गया था। इस योजना को ECI ने आचार संहिता का उल्लंघन माना। KALIA एक नकद सहायता योजना थी, जिसमें खेती करने वाले प्रत्येक परिवार को ₹10,000 हर साल दिया जाता था। साथ ही 2 लाख रुपए का जीवन बीमा कवर और 57 लाख परिवारों के लिये 2 लाख रूपए का अतिरिक्त व्यक्तिगत दुर्घटना कवरेज भी शामिल था। बीजद (बीजू जनता दल) ने चुनाव आयोग पर आरोप लगाया कि इसी तरह की योजना पीएम-किसान निधि के पैसे मिलने जारी हैं, लेकिन उनकी योजना रोक दी गई। इस पर चुनाव आयोग का तर्क था कि पीएम किसान निधि केंद्रीय बजट में पहले से ही आवंटित थी और यह एक पुरानी योजना थी। कालिया योजना की किस्त का वितरण एक नई घोषणा थी, इसलिए उसे आदर्श आचार संहिता के तहत रोक दिया गया। नतीजा- पटनायक सरकार बरकरार रही, लेकिन भाजपा मजबूत हुई। तमिलनाडु: 2004,2011 में रोकी गई दो योजनाएं साल 2004 में लोकसभा चुनाव के ठीक पहले AIADMK (ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम) की सरकार बिजली बिल भुगतान की योजना लेकर आई। इसमें छोटे किसानों को बिजली बिल के भुगतान की भरपाई के लिए मनी ऑर्डर से पैसे भेजे जाते थे। आयोग ने चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद मनी ऑर्डर के वितरण पर रोक लगा दी थी। साल 2006 में तमिलनाडू की DMK (द्रविड़ मुनेत्र कड़गम) सरकार ने रंगीन टीवी बांटने की योजना बनाई। यह पांच साल तक चलती रही, लेकिन 2011 में चुनाव कार्यक्रम जारी होने के तुरंत बाद, चुनाव आयोग ने जिला कलेक्टरों को चुनाव समाप्त होने तक मुफ्त टीवी सेट बांटने पर रोक लगा दिया। नतीजा- 2011 विधानसभा चुनाव में AIADMK गठबंधन ने 234 सीटों में लगभग 203 सीटें जीत लीं। पॉइंट-2ः 2 राज्यों में कैश ट्रांसफर नहीं रोका, सरकार लौटी बिहार में चुनाव के ऐलान के बाद भी महिलाओं को दिया पैसा बिहार में 6 अक्टूबर को चुनाव की आचार संहिता लग गई। आचार संहिता के लागू होने के बाद भी नीतीश सरकार ने महिलाओं के अकाउंट 10-10 हजार रुपए भेजे हैं। इसकी शिकायत RJD ने चुनाव आयोग से की थी, लेकिन उस पर कोई सुनवाई नहीं हुआ। नतीजा- नीतीश सरकार दो तिहाई से ज्यादा बहुमत से सरकार में लौटी है। झारखंड में वोटिंग से एक रात पहले आया मंईयां सम्मान योजना का पैसा झारखंड में विधानसभा चुनाव से ठीक 4 महीने पहले हेमंत सोरेन सरकार ने मईयां सम्मान योजना शुरू की। इसमें 18 से 50 साल तक की महिलाओं को 2500 रुपए हर महीने दिया गया। भाजपा ने आरोप लगाया कि वोटिंग की एक रात पहले तक सरकार ने चुपके से महिलाओं के अकाउंट में पैसा भेजा। भाजपा ने इसकी लिखित शिकायत आयोग से की, लेकिन रोक नहीं लगी। नतीजा- हेमंत सोरेन की सरकार रिपीट हुई। JMM गठबंधन में दो तिहाई बहुमत से सरकार बनाई। एक्सपर्ट बोले- यह ठीक नहीं… पॉलिटिकल एनालिस्ट अभिरंजन कुमार कहते हैं, अगर यह पैसा चुनाव के बीच में जाते रहे तो NDA 200 की बजाय 240 सीट भी जीते तो इसे अनफेयर ही कहा जाएगा। चुनाव के दौरान डायरेक्ट पैसा देना लोकतंत्र को कमजोर करने की प्रैक्टिस है। चुनाव से पहले ये सब करने से जनमत प्रभावित होता है और पांच साल के परफॉर्मेंस का आकलन नहीं हो पाता है। राजनीतिक विश्लेषक राशिद किदवई कहते हैं, ‘भारत का लोकतंत्र ब्रिटिश मॉडल पर है और वहां मर्यादा का बहुत महत्व है। हमारे यहां मर्यादा को लेकर बहुत लचीला रवैया है। चुनाव में सबको बराबर का महत्व मिलना चाहिए। आयोग को इस तरह का कोई काम नहीं करना चाहिए, जिससे किसी को फायदा हो।’ क्या आप हैं बिहार के एक्सपर्ट? खेलिए और जीतिए 2 करोड़ तक के इनाम बिहार से जुड़े 3 आसान सवालों के जवाब दीजिए और जीतिए 2 करोड़ तक के इनाम। रोज 50 लोग जीत सकते हैं आकर्षक डेली प्राइज। लगातार खेलिए और पाएं लकी ड्रॉ में बंपर प्राइज सुजुकी ग्रैंड विटारा जीतने के मौके। क्विज अभी खेलने के लिए यहां क्लिक करें - https://dainik.bhaskar.com/vkQR1zsokWb
प्रदेश के भाजपा नेताओं ने बिहार विधानसभा चुनाव में 55 सीटों पर प्रबंधन, प्रचार, पीएम रैली व सोशल मीडिया की जिम्मेदारी संभाली। उनमें से 49 सीटों पर एनडीए प्रत्याशियों की जीत हुई है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने भी चुनावी सभा को संबोधित किया। वहीं भाजपा नेतृत्व ने पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी, पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष व हरियाणा प्रभारी सतीश पूनियां, सोशल मीडिया इंचार्ज हिरेन कौशिक सहित 20 नेताओं को बिहार चुनाव की जिम्मेदारी दी थी। इन वरिष्ठ नेताओं ने अपने अनुभव के आधार पर स्थानीय नेताओं के साथ मिलकर चुनावी रणनीति बनाई। जिसमें चुनाव प्रचार, सभाएं, सामाजिक व क्षेत्रीय संगठनों के साथ बैठके, रोड शो, सोशल मीडिया पर ट्रेंडिंग, विपक्ष पर पलटवार को लेकर प्लानिंग की गई। भाजपा नेताओं ने राजस्थानियों को लुभाया भाजपा के डेटा के अनुसार 15 लाख से ज्यादा बिहारी मतदाता राजस्थान में रह रहे हैं। इनमें से 5 लाख से अधिक की संख्या तो अकेले जयपुर में है। इसी तरह से 3 लाख प्रवासी राजस्थानी बिहार में रह रहे हैं। भाजपा नेतृत्व ने प्रवासी राजस्थानी-मारवाडियों को लुभाने के लिए नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी दी थी। इसके अलावा स्थानीय नेताओं के साथ मिलकर चुनावी प्रबंधन का काम भी सौपा था। पार्टी के अनुसार भाजपा नेता राजेंद्र राठौड़ ने पाटलीपुत्र, सीपी जोशी ने दरभंगा, सतीश पूनियां को नवादा, अनिवाश गहलोत को मोतीहारी, कुलदीप धनकड़ को साहिबगंज, दामोदर अग्रवाल को सीतामढ़ी लोकसभा क्षेत्र के विधानसभा सीटों की जिम्मेदारी दी गई थी। हिरेन कौशिक को तिरहुत और मिथिला क्षेत्र में आने वाली विधानसभा सीटों के सोशल मीडिया प्रचार की जिम्मेदारी दी गई थी। इन नेताओंं को लगाया था चुनाव में पूर्व प्रदेशाध्यक्ष व सांसद सीपी जोशी, प्रदेश महामंत्री व सांसद दामोदर अग्रवाल, मंत्री अविनाश गहलोत, विधायक कुलदीप धनकड़ व अतुल भंसाली, पूर्व केंद्रीय मंत्री निहाल चंद मेघवाल, प्रदेश महामंत्री ओम प्रकाश भड़ाना, प्रदेश मंत्री वसुदेव चावला व आईदान सिंह भाटी, पूर्व अध्यक्ष महिला आयोग सुमन शर्मा, प्रदेश सह संयोजक अनुराग जांगिड़, विधायक हरलाल सारण, संभाग प्रभारी सोमकांत शर्मा, पूर्व जिलाध्यक्ष विष्णु चेतानी, पूर्व प्रदेश मंत्री सरोज प्रजापत, पूर्व प्रदेश कार्यालय प्रभारी महेश शर्मा, अजमेर डिप्टी मेयर नीरज जैन सहित अन्य नेताओं को लगाया है। इसके अलावा महिला मोर्चा, एससी मोर्चा, एसटी मोर्चा के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं की टीमों को भी बिहार चुनाव में भेजा गया था।
हरियाणा के कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक (DGP) ओपी सिंह के गृह जिले बिहार के जमुई से BJP की जीत हुई है। DGP की साली दिव्या गौतम चुनाव हार गईं। वह पटना की दीघा विधानसभा से महागठबंधन की उम्मीदवार थीं। दिव्या बॉलीवुड के दिवंगत एक्टर सुशांत सिंह की ममेरी बहन हैं। वहीं सुशांत राजपूत के चचेरे भाई नीरज कुमार सिंह बबलू बिहार की छातापुर विधानसभा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते हैं। ओपी सिंह सुशांत सिंह राजपूत के बहनोई हैं और 1992 बैच के IPS अफसर हैं। हाल ही में IPS अफसर वाई पूरन कुमार के सुसाइड केस में नाम आने के बाद DGP शत्रुजीत कपूर को छुट्टी भेज दिया गया था। इनकी जगह ओपी सिंह को कार्यवाहक DGP बनाया गया। सियासी हलकों में चर्चा थी कि ओपी सिंह को कार्यकारी DGP बनाने के पीछे बिहार चुनाव भी एक वजह हो सकती है। राजपूत वोटबैंक कई सीटों पर अहम है। बिहार के करीब 30 से 35 विधानसभा क्षेत्र में राजपूत जाति जीत या हार में निर्णायक भूमिका निभाती रही है। पढ़िए कैसे कार्यवाहक DGP बने ओपी सिंह... सुशांत राजपूत के परिवार के 2 सदस्यों को मिला था टिकट... ममेरी बहन दिव्या गौतम की सियासी पारीसुशांत सिंह राजपूत की ममेरी बहन दिव्या गौतम को भाकपा (माले) ने पटना की दीघा विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया था। ये सीट बीजेपी का गढ़ मानी जाती है, इसलिए दिव्या को चुनावी मैदान में उतारा। दिव्या को भाजपा के उम्मीदवार संजीव चौरसिया ने बड़े अंतर से हराया। दिव्या दूसरे स्थान पर रहीं। दिव्या गौतम छात्र राजनीति से जुड़ी रही हैं। उन्होंने पटना विमेंस कॉलेज से मास कम्युनिकेशन में ग्रेजुएशन किया है और यूजीसी-नेट पास करने के बाद PHD कर रही हैं। वह पहले पटना यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन का चुनाव भी लड़ चुकी हैं और ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA) की सक्रिय सदस्य रही हैं। चचेरे भाई को मिला था भाजपा का टिकटबिहार में सुशांत राजपूत के चचेरे भाई नीरज कुमार सिंह बबलू बिहार के छातापुर विधानसभा से जीते हैं। वह पहले भी इस सीट से विधायक थे एवं नीतीश कुमार सरकार में पर्यावरण और वन मंत्री हैं। बबलू का जन्म 2 फरवरी 1969 को बिहार के पूर्णिया जिले के मलडीहा गांव में हुआ था। उनके पिता राम किशोर सिंह हैं। उनकी पत्नी नूतन सिंह हैं और उनके दो बेटे हैं। नीरज सिंह ने 2005 में जनता दल (यूनाइटेड) से राघोपुर-सुपौल निर्वाचन क्षेत्र से पहला चुनाव जीता था। 2010 में वे छातापुर (विधानसभा क्षेत्र) से चुने गए। बाद में उन्होंने जदयू छोड़ दिया और भाजपा में शामिल हो गए। वे 2015 और 2020 में भी भाजपा के सदस्य के रूप में छतरपुर से विधानसभा के लिए चुने गए थे।
भाजपा ने बिहार में NDA की जीत का शुक्रवार को दिल्ली हेडक्वार्टर में जश्न मनाया। इस मौके पर पीएम ने 42 मिनट के भाषण में कहा, बिहार के लोगों ने गर्दा उड़ा दिया। अब कट्टा सरकार कभी वापस नहीं आएगी। उन्होंने छठी मईया के जयकारे भी लगाए। उन्होंने कहा कि जो छठ पूजा को ड्रामा कह सकते हैं, वे बिहार की क्या इज्जत करेंगे। इस दौरान कांग्रेस, आरजेडी, पश्चिम बंगाल, केरल तमिलनाडु चुनाव का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि बंगाल में भी भाजपा सरकार बनाएगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अब मुस्लिम लीगी माओवादी पार्टी बन गई है। पीएम शाम 6 बजकर 51 मिनट पर मुख्यालय पहुंचे थे। उन्होंने कार्यकर्ताओं का गमछा लहराकर अभिवादन किया। सभी कार्यकर्ताओं ने भी गमछा लहराकर इसका जवाब दिया। बिहार में आज NDA की सरकार बनी है। गठबंधन को 243 में 202 सीटों पर जीत हासिल हुई, जो रिकॉर्ड है। महागठबंधन के खाते सिर्फ 35 सीटें ही आईं। बिहार में सरकार बनाने के लिए 122 सीटों की जरूरत होती है। NDA में भाजपा और JDU ने 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ा था। अन्य सहयोगी पार्टियों LJP को 29 सीटें, HAM और RLM को 6-6 सीटें दी गई थीं। मोदी के स्पीच की 4 बड़ी बातें, कहा- बंगाल से जंगलराज को उखाड़ देंगे पीएम के स्वागत की 4 PHOTOS... ------------------------------------------ क्या आप हैं बिहार के एक्सपर्ट? खेलिए और जीतिए 2 करोड़ तक के इनाम बिहार से जुड़े 3 आसान सवालों के जवाब दीजिए और जीतिए 2 करोड़ तक के इनाम। रोज 50 लोग जीत सकते हैं आकर्षक डेली प्राइज। लगातार खेलिए और पाएं लकी ड्रॉ में बंपर प्राइज सुजुकी ग्रैंड विटारा जीतने के मौके। क्विज अभी खेलने के लिए यहां क्लिक करें - https://dainik.bhaskar.com/vkQR1zsokWb --------------- ये खबर भी पढ़ें... मोदी गमछा लहराते हुए भाजपा मुख्यालय पहुंचे, मखाने की माला पहनी, टॉप 10 मोमेंट्स बिहार में NDA सरकार कायम रहेगी। शुक्रवार को जारी विधानसभा चुनाव के रिजल्ट में NDA को प्रचंड बहुमत मिला है। गठबंधन ने 200 से ऊपर जीतकर रिकॉर्ड बनाया है। भाजपा को 85 सीटें मिली हैं, जो अपने आप में रिकॉर्ड है। पीएम मोदी दिल्ली स्थित बीजेपी हेडक्वार्टर में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ जीत का जश्न मनाया। पूरी खबर पढ़ें... राहुल गांधी बोले- चुनाव शुरू से ही निष्पक्ष नहीं था, NDA को 200+ सीटें, महागठबंधन 35 पर सिमटा बिहार चुनाव के नतीजे शुक्रवार को आए। NDA को 2020 के मुकाबले 75 से ज्यादा सीटों का फायदा हुआ, वहीं महागठबंधन को लगभग इतनी ही सीटों का नुकसान हुआ। पिछली बार 43 सीटों पर सिमटी JDU की झोली में इस बार 80+ सीटें हैं। वहीं 89 सीटों के साथ BJP सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। राजद 24 सीटों पर आगे चल रही है। पूरी खबर पढ़ें...
भाजपा ने बिहार में जीत का मनाया जश्न
लुधियाना। जिला भाजपा कार्यालय में बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर जिला भाजपा अध्यक्ष रजनीश धीमान की अध्यक्षता में भाजपा समर्थकों ने लड्डू बांट कर खुशी मनाई। इस मौके पर भाजपा प्रदेश महामंत्री अनिल सरीन, कोषाध्यक्ष गुरदेव शर्मा देबी विशेष तौर से इस प्रोग्राम में शामिल हुए। इस अवसर पर जिला भाजपा अध्यक्ष रजनीश धीमान ने कहा कि बिहार की जीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व, विकास कार्यों और जनता के विश्वास का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि यह जीत बताती है कि देश के लोग जाति-पाति की राजनीति को नकारकर विकास और सुशासन को अपना समर्थन दे रहे हैं।
भाजपा : बिहार में एनडीए की जीत का जश्न मनाया
उदयपुर| बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की जीत पर उदयपुर में भाजपा कार्यकर्ताओं में जबरदस्त उत्साह देखने को मिला। जैसे ही परिणाम घोषित हुए, कार्यकर्ताओं ने एक-दूसरे का मुंह मीठा कराया और आतिशबाजी कर खुशी का इजहार किया। जिलाध्यक्ष पुष्कर तेली ने कहा कि यह जीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सशक्त नेतृत्व और उनकी नीतियों में जनता के विश्वास का परिणाम है। पूर्व जिलाध्यक्ष डॉ. चंद्रगुप्त सिंह चौहान ने कहा कि भाजपा पूरे देश में विकास और सुशासन के विजन के साथ काम कर रही है, और बिहार की जनता ने इन मुद्दों पर भाजपा की मुहर लगाई है। कार्यक्रम में जिला उपाध्यक्ष दीपक शर्मा, आकाश वागरेचा, लोकेश जोशी, प्रदीप रावानी, कुंतल जोशी, सुनील पालीवाल, आरोग्य शेखर, दिलीप दमामी, तिलक शर्मा, राजू पंवार सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ता मौजूद रहे।
ज्ञापन : विधायक के बयान पर बिहार समिति ने जताया रोष
उदयपुर | सवीना क्षेत्र में हाल ही में यूडीए की ओर से की गई अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के बाद अब यह मामला राजनीतिक मोड़ लेता दिखाई दे रहा है। उदयपुर विधायक ताराचंद जैन द्वारा कार्रवाई को सही ठहराते हुए कथित रूप से बिहार समाज और गैर-आदिवासियों द्वारा अवैध कब्जे किए जाने का बयान देने पर शहर में रह रहे बिहार समाज के लोगों ने कड़ा एतराज जताया है। बिहार समाज प्रतिनिधियों ने शुक्रवार को उदयपुर संभागीय आयुक्त को ज्ञापन सौंपकर विधायक जैन के कथन को तथ्यहीन और समुदाय विशेष को बदनाम करने वाला बताया। समाज का कहना है कि न तो यूडीए द्वारा किसी समुदाय विशेष के अवैध कब्जों का कोई सर्वे कराया गया और न ही विधायक के पास इस प्रकार के आरोप सिद्ध करने वाला कोई सबूत है। समाज ने ज्ञापन में लिखा कि यूडीए द्वारा की गई कार्यवाही प्रशासनिक प्रक्रिया का हिस्सा है, लेकिन इसे किसी विशेष समुदाय से जोड़ना गलत है। बिना तथ्य और सबूत के बिहार समाज का नाम लेने से पूरे समाज की भावनाएं आहत हुई हैं। बिहार समाज ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि विधायक ताराचंद जैन अपना बयान वापस लेकर माफी नहीं मांगते हैं, तो प्रवासी बिहार समाज उग्र आंदोलन करेगा और भविष्य में चुनाव सहित अन्य सार्वजनिक गतिविधियों में भी पूर्ण बहिष्कार का निर्णय लिया जाएगा। समाज ने ज्ञापन की प्रतियां राज्यपाल, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री राजस्थान, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदनसिंह राठौड़ एवं आरएसएस के क्षेत्रीय प्रचार प्रमुख निंबाराम सहित कई वरिष्ठ पदाधिकारियों को भेजा है।
बिहार विधानसभा चुनाव में NDA को पूर्ण बहुमत मिला है और BJP सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। इसी बीच सोशल मीडिया पर मीम्स की बाढ़ आ गई है। 1. चुनावी नतीजों पर सोशल मीडिया यूजर्स का रिएक्शन 2. RJD के प्रदर्शन पर प्रधानमंत्री का तंज बिहार में रैली के दौरान प्रधानमंत्री ने पूछा था कि इतनी रोशनी में लालटेन की जरूरत है। अब यह मीम चुनावी नतीजों के मौके पर वायरल है। 3. नीतीश कुमार की जंगलराज के खिलाफ बैटिंग चुनावों के बीच JDU ने भी एक AI तस्वीर जारी की, जिसमें नीतीश कुमार बैट लेकर जंगलराज को बाउंड्री पार मारते दिख रहे हैं। 4. बिहार में जगह बनाने में नाकामयाब जन सुराज पार्टी 5. सूट-बूट पहनकर तैयार तेजस्वी रिजल्ट में फेल एक X यूजर ने तेजस्वी की सूट-बूट वाली तस्वीर शेयर करते हुए तंज कसा - और जब हमारी बारी आई CM बनने की, तो एग्जिट पोल भी सहीं निकल गया। इस बार एग्जिट पोल की भविष्यवाणी सही साबित होती दिख रही है। 6. स्ट्रॉन्ग रूम के बाहर प्रहलाद चा की ड्यूटी पंचायत वेब सीरीज के मशहूर कैरेक्टर प्रहलाद चा को स्ट्रॉन्ग रूम की सुरक्षा करते हुए दिखाया गया है। कैप्शन है - स्ट्रांग रूम के बाहर सीना तान के खड़ा उम्मीदवार का प्रहरी। हर चुनाव में यह मीम फॉर्मेट काफी पॉपुलर रहता है। 7. मोदी जी की टेंशन - नीतीश कभी भी पलट सकते हैं! यह मीम बिहार की राजनीति की असलियत बयां करता है। PM मोदी की दो तस्वीरों के साथ लिखा गया - जब आप बिहार में लीड कर रहे हैं लेकिन नीतीश कभी भी पलट सकते हैं। नीतीश कुमार के पुराने 'पलटू राम' इमेज को लेकर यह मीम काफी हिट हो रहा है। 8. कांग्रेस का गायब होना इस मीम में BJP को जनता का प्यार मिलता दिखाया गया है, जबकि RJD और कांग्रेस को रोते हुए दिखाया गया है। 9. कांग्रेस का उल्टा परफॉर्मेंस इस मीम में कांग्रेस के नेता को रेस में उल्टी दिशा में भागते हुए दिखाया गया है। यह मीम पार्टी के लगातार खराब प्रदर्शन पर कमेंट्री है। 10. पंचायत सीजन 4 वाला सेलिब्रेशन मीम हर चुनाव में जीतने वाली पार्टी के लिए पंचायत का चौथा सीजन वाला सेलिब्रेशन सीन वायरल होता है। इस बार भी NDA की जीत पर यह मीम एक बार फिर जमकर शेयर किया जा रहा है। 11. बिहार चुनाव vs इंडिया-साउथ अफ्रीका मैच आज का दिन स्पोर्ट्स और पॉलिटिक्स फैन्स के लिए कन्फ्यूजन भरा है। एक तरफ बिहार चुनाव के नतीजे आ रहे हैं, तो दूसरी तरफ भारत-साउथ अफ्रीका के बीच पहला टेस्ट मैच चल रहा है। मीम में दोनों स्क्रीन देखने की मजबूरी को दिखाया गया है। 12. अनंत सिंह का वायरल डायलॉग - टीवी के तो मनबे नहीं करते! — Bihar_se_hai (@Bihar_se_hai) November 14, 2025 एग्जिट पोल के दौरान अनंत सिंह का एक वीडियो काफी वायरल हुआ था। अब यूजर्स उसे मीम मटेरियल के तौर पर यूज कर रहे हैं। 13. महागठबंधन की निराशाजनक प्रदर्शन के बाद, तेजस्वी की राजनीति से विदाई! इस मीम में महागठबंधन के सभी नेता अपने सीएम उम्मीदवार को राजनीति से विदाई देते दिख रहे हैं। 14. चुनाव नतीजों के बाद NDA खेमे में जश्न का माहौल 15. प्रशांत किशोर का '3 इडियट्स' वाला हाल चुनाव से पहले प्रशांत किशोर ने JDU को 25 सीटों में समेटने का दावा किया था। अब चुनावी नतीजों में उनकी जनसुराज पार्टी खाता नहीं खोल सकी है। अब मीमर्स उन्हें '3 इडियट्स' का एक डायलॉग याद दिला रहे हैं- बहुत पीछे रह गए न हम... नीचे से चेक करो! 16. कीचड़ में कमल खिलाते राहुल गांधी 17. राहुल गांधी की वायरल डुबकी --------------------- बिहार चुनाव से जुड़ी अन्य खबरें पढ़ें... नीतीश के बिना BJP बना सकती है सरकार:जदयू के बगैर NDA 114 पार, जानिए नए समीकरण; 12.30 बजे तक का एनालिसिस बिहार में नई सरकार बनाने का एक नया समीकरण बन गया है। वो समीकरण है नीतीश के बिना NDA सरकार। यानी पहली बार बीजेपी बिहार में अपना सीएम बना सकती है। फिलहाल आंकड़े तो ऐसा ही संकेत दे रहे हैं। आखिर कैसे…Link
बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन को पीछे धकेलकर NDA ने पूर्ण बहुमत वाली मजबूत सरकार बना ली है। इस चुनावी नतीजे को भास्कर कार्टूनिस्ट मंसूर नकवी की नजर से देखिए... 1. महिला वोट का ताज 2.EVM पर गुस्सा 3. महागठबंधन की निराशा 4. पीके की भविष्यवाणी फेल 5. महिलाओं का समर्थन 6. SIR का डंडा 7. RJD का अंधेरा बरकरार 8. सियासी तूफान में सब बहा, किनारे लगी बस चार सीटें 9. चिराग की चमक 10. वादों के बुलबुले हवा में उड़े 11. महागठबंधन के नए विधायकों में उलझन 12. चुनावी नतीजों से विपक्षी खेमे का हाल 13. हाथी की चूहे वाली चाल --------------------- बिहार चुनाव से जुड़ी अन्य खबरें पढ़ें... नीतीश के बिना BJP बना सकती है सरकार:जदयू के बगैर NDA 114 पार, जानिए नए समीकरण; 12.30 बजे तक का एनालिसिस बिहार में नई सरकार बनाने का एक नया समीकरण बन गया है। वो समीकरण है नीतीश के बिना NDA सरकार। यानी पहली बार बीजेपी बिहार में अपना सीएम बना सकती है। फिलहाल आंकड़े तो ऐसा ही संकेत दे रहे हैं। आखिर कैसे…Link
DNA: सूत्रधार या सूत्रहार? बिहार ने चूर किया प्रशांत किशोर का अहंकार
प्रशांत किशोर को चुनावी रणनीतिकार माना जाता है, लेकिन वो अपनी ही पार्टी को बिहार में एक भी सीट नहीं दिला पाए. अपने गृह राज्य में वो पूरी तरह फेल हो गए.
AIMIM ने बिहार चुनाव में जीती 5 सीटें, 29 सीटों पर लड़ा था चुनाव
Bihar Election Results : असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने बिहार विधानसभा चुनाव में 5 सीट पर जीत दर्ज की। चुनाव आयोग ने यह जानकारी दी एआईएमआईएम ने सत्तारूढ़ या विपक्षी गठबंधन में शामिल हुए बिना, ...
DNA: बिहार चुनाव में नीतीश ने खुद को बीमार बताने वालों का किया इलाज, नतीजों ने बताया कौन बीमार?
DNA: विरोधी भले ही नीतीश को पलटूराम बताते रहे लेकिन बिहार ने नीतीश पर भरोसा बनाए रखा. आज आपको जानना चाहिए, कि नीतीश कुमार ने ऐसा क्या किया कि NDA के पक्ष में इतनी बड़ी सुनामी आ गई. आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी नीतीश कुमार के नेतृत्व की तारीफ़ की.
बिहार में NDA सरकार कायम रहेगी। शुक्रवार को जारी विधानसभा चुनाव के रिजल्ट में NDA को प्रचंड बहुमत मिला है। गठबंधन ने 200 से ऊपर जीतकर रिकॉर्ड बनाया है। भाजपा को 85 सीटें मिली हैं, जो अपने आप में रिकॉर्ड है। पीएम मोदी दिल्ली स्थित बीजेपी हेडक्वार्टर में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ जीत का जश्न मनाया। मोदी जैसे ही भाजपा मुख्यालय पहुंचे, कार्यकर्ताओं का जोश हाई हो गया। मोदी-मोदी के नारे लगने लगे... पीएम भी कॉरिडोर से लेकर मंच तक गमछा हिलाते पहुंचे। पीएम को देख कैंपस में मौजूद हर कार्यकर्ता गमछा लहराने लगा। अब देखिए पीएम की 42 मिनट की स्पीच के टॉप 10 मोमेंट्स... .................................. बिहार चुनाव से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें... बिहार चुनाव की जीत का जश्न दिल्ली में: मोदी बोले- कांग्रेस अब मुस्लिम लीगी माओवादी पार्टी; छठ को ड्रामा कहने वाले बिहार की इज्जत क्या करेंगे भाजपा ने बिहार में NDA की जीत का शुक्रवार को दिल्ली हेडक्वार्टर में जश्न मनाया। इस मौके पर पीएम ने 42 मिनट के भाषण में कहा, बिहार के लोगों ने गर्दा उड़ा दिया। अब कट्टा सरकार कभी वापस नहीं आएगी। इस दौरान कांग्रेस, आरजेडी, पश्चिम बंगाल, केरल तमिलनाडु चुनाव का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि बंगाल में भी भाजपा सरकार बनाएगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अब मुस्लिम लीगी माओवादी पार्टी बन गई है। पूरी खबर पढ़ें...
New Youngest MLA of Bihar:बिहार की अलीपुर विधानसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर जीत हासिल कर मैथिली ठाकुर अब राम विलास पासवान और राजा भैया जैसे कद्दावर नेताओं की जमात में शामिल हो गईं. फिलहाल मैथिली ठाकुर की उम्र इस समय 25 साल है.
बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की जीत पर बाराबंकी में पसमांदा मुसलमानों ने खुशी मनाई। ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसीम राईन ने शुक्रवार शाम इस जीत पर प्रसन्नता व्यक्त की। इस अवसर पर सैकड़ों की संख्या में पसमांदा मुसलमान मौजूद थे, जिन्होंने वसीम राईन और अन्य नेताओं को फूल-मालाएं पहनाकर बधाई दी। वसीम राईन ने इस जीत का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को दिया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने पसमांदा मुसलमानों के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जिससे समुदाय में उनके प्रति विश्वास बढ़ा है। उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरा सामने था और देश उनसे प्रेम करता है। पसमांदा मुसलमानों के लिए चलाई गई योजनाओं का सीधा लाभ समुदाय तक पहुंचा है। बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी पसमांदा समाज को राज्यसभा, एमएलसी और विभिन्न आयोगों में उचित प्रतिनिधित्व दिया है। वसीम राईन ने टिप्पणी की कि बिहार में यादव समुदाय की अधिक संख्या के बावजूद, वे कई क्षेत्रों में जीत हासिल नहीं कर पाए, जबकि उत्तर प्रदेश में स्थिति और भी खराब है। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव को इसका खामियाजा 2027 में और भी ज्यादा उठाना पड़ेगा। उन्होंने बताया कि इस जीत में पसमांदा मुसलमानों का बड़ा योगदान रहा, क्योंकि सरकार द्वारा उन्हें मिले सम्मान और अवसरों के प्रति उन्होंने पूरे उत्साह से समर्थन दिया। वसीम राईन ने एनडीए नेतृत्व, भारतीय जनता पार्टी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बधाई दी। उन्होंने कहा, मैं बिहार की जनता को, एनडीए और भाजपा नेतृत्व को तथा नीतीश कुमार जी को हार्दिक बधाई देता हूं। इतनी बड़ी जीत में पसमांदा मुसलमानों का भी महत्वपूर्ण सहयोग है। सरकार ने हमारे समाज के लिए जो कार्य किए, जनता ने उसका भरपूर सिला दिया है। कार्यक्रम के अंत में मौजूद भीड़ ने नारे लगाकर जीत का जश्न मनाया और आने वाले समय में पसमांदा समाज के विकास की उम्मीद जताई।
बिहार के लोगों ने विकसित बिहार के लिए किया मतदान : मोदी
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को मिले प्रचंड बहुमत के लिए बिहार के लोगों का आभार व्यक्त करते हुए शुक्रवार को कहा कि उन्होंने राजग को प्रचंड बहुमत देकर गर्दा उड़ा दिया है और अब गठबंधन उनकी उम्मीदों पर खरा उतरेगा। मोदी ने बिहार में राजग को ऐतिहासिक […] The post बिहार के लोगों ने विकसित बिहार के लिए किया मतदान : मोदी appeared first on Sabguru News .
बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की भारी जीत की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि इस जीत ने एक नया ‘MY - महिला और यूथ’ फॉर्मूला दिया है और जनता ने ‘‘जंगल राज’ वालों के सांप्रदायिक एमवाई ...
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Bihar Election Final Result 2025 : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में बीजेपी 90 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी, जबकि जेडी(यू) ने 84 सीटों पर मजबूत प्रदर्शन किया। आरजेडी, एलजेपीआरवी और अन्य दलों ने भी महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज की। 243 में से 147 सीटों के नतीजे घोषित हो चुके हैं, और राज्य में सरकार गठन को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है।
बुरहानपुर में शुक्रवार शाम भाजपा नेताओं, कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा एनडीए गठबंधन की जीत का जश्न मनाया। इस अवसर पर कमल तिराहा पर बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता एकत्र हुए। कार्यकर्ताओं ने एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर बधाई दी और आतिशबाजी भी की। यह जश्न बिहार में मिली चुनावी सफलता के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था। इस दौरान भाजपा जिलाध्यक्ष डॉ. मनोज माने ने कहा कि यह चुनाव आरजेडी और कांग्रेस के लिए 'सुनामी' साबित हुआ है। उन्होंने टिप्पणी की कि कांग्रेस की सीटें पार्षदों की संख्या के बराबर रह गई हैं, जिससे पार्टी और राहुल गांधी को अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करना चाहिए। माने ने इस जीत को परिवारवाद और सनातन धर्म को अपमानित करने वाली ताकतों के खिलाफ जनादेश बताया, जिसे उन्होंने लोकतंत्र की जीत करार दिया। नेपानगर विधायक मंजू दादू ने कहा कि आज की जनता बहुत समझदार है और यह गौरव की बात है कि प्रधानमंत्री मोदी की मेहनत का फल मिल रहा है। उन्होंने बिहार की जनता द्वारा दी गई इस जीत को दीपावली का उपहार बताया। बुरहानपुर विधायक अर्चना चिटनीस ने बिहार में मिली जीत को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा कि वहां की जनता ने देश के प्रधानमंत्री पर भरोसा जताया है, जो एक तरह का अपनापन दर्शाता है। इस अवसर पर जिला महामंत्री चिंतामन महाजन, राहुल जाधव, सुभान सिंह चौहान सहित अन्य भाजपा नेता, पदाधिकारी और कार्यकर्ता मौजूद थे। इसी तरह का जश्न नेपानगर में भी मनाया गया। वहां बाबा साहब अंबेडकर चौराहे पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने पटाखे फोड़े, मिठाई बांटी और एक-दूसरे को बधाई दी। भाजपा नेता गजेंद्र पाटील ने इस जीत को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और उनकी नीतियों का परिणाम बताया। उन्होंने कहा कि यह नीतीश कुमार के सुशासन पर जनता के भरोसे और विश्वास का परिचायक है। पाटील ने जोर देकर कहा कि जनता ने इस चुनाव में अराजक और गुंडागर्दी करने वाले लोगों को पूरी तरह नकार दिया है।
बिहार चुनाव में NDA ने रिकॉर्ड जीत हासिल की है। BJP सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। इसका असर अब यूपी में पंचायत चुनाव से लेकर 2027 के विधानसभा चुनाव पर पड़ना तय है। BJP पर सहयोगी पार्टी राष्ट्रीय लोकदल, अपना दल (S), सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा), निषाद पार्टी का दबाव कम होगा। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि बिहार के नतीजों के बाद यूपी में समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और बसपा को नए सिरे से अपनी रणनीति पर विचार करना होगा। अखिलेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ अपनी शर्तों पर गठबंधन करेंगे। बिहार चुनाव नतीजों में भाजपा को बढ़तअब तक के रुझानों में भाजपा 89, जेडीयू को 85, लोजपा को 19 सहित एनडीए को कुल 205 सीटें मिली हैं। बिहार चुनाव के नतीजे खासतौर पर पूर्वांचल में असर करते हैं। पूर्वांचल और बिहार की संस्कृति और परिवेश भी एक जैसा है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि बिहार चुनाव के नतीजों से यूपी में गाजीपुर से सहारनपुर तक भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ेगा, लोकसभा चुनाव के बाद जो निराशा छाई थी, वह हटेगी और कार्यकर्ता पंचायत से लेकर विधानसभा चुनाव तक नए जोश से काम करेंगे। जानिए बिहार के नतीजों से भाजपा को क्या राहत मिली? 1- खफा नेता चुनाव से पहले दल बदलने से बचेंगे राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि हर बार चुनाव से पहले कुछ विधायक और नेता दल बदलते हैं। बिहार चुनाव परिणाम के बाद भाजपा और सहयोगी दलों के नाराज नेता भी दल बदलने से बचेंगे। यह भी संभव है कि 2021-22 की तरह सपा के कुछ बड़े नेता भाजपा का दामन थाम लें। 2- सहयोगी दलों की हैसियत घटेगी यूपी में एनडीए के सहयोगी दलों की मोलभाव की ताकत में कमी आएगी। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि बिहार में भाजपा ने सुभासपा को एनडीए से बाहर कर साफ संदेश दे दिया था कि वह दबाव में नहीं आएगी। चुनाव के नतीजों से बीजेपी ने साफ कर दिया है कि जनता में पीएम नरेंद्र मोदी का जादू बरकरार है। चुनावी रणनीति में भाजपा के सामने विपक्षी राजनीतिक दल टिक नहीं रहे हैं। ऐसे में यूपी में आगामी पंचायत चुनाव और विधानसभा चुनाव में भाजपा और योगी सरकार का मनोबल और राजनीतिक बल बढ़ेगा। सीटों के बंटवारे में सहयोगी दलों का दबाव या मनमर्जी ज्यादा नहीं चलेगी। 3- विधायकों के लिए भी है नसीहतराजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि बिहार चुनाव के परिणाम यूपी में बीजेपी के विधायकों के लिए भी नसीहत है। जो विधायक खुद को संगठन व सरकार से ऊपर मानकर चलते हैं, कार्यकर्ताओं और जनता की सुनवाई नहीं करते, पार्टी उनका टिकट काट सकती है। मौजूदा माहौल में भाजपा जिसे पात्र मानकर टिकट देगी, वही मजबूत विकल्प बन जाएगा। भाजपा के अंदर-बाहर क्या असर होगा? 1- भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व प्रभावी होगाराजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि बिहार में भाजपा की प्रचंड जीत से पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व प्रभावी होगा। खासतौर पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और उनकी टीम का प्रभाव पहले से ज्यादा बढ़ेगा। उसका असर यूपी में योगी सरकार और भाजपा संगठन पर भी देखने को मिलेगा। बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति, योगी सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार में असर देखने को मिलेगा। पंचायत चुनाव से लेकर विधानसभा चुनाव तक में भी प्रदेश से ज्यादा केंद्रीय नेतृत्व की भूमिका अधिक रहेगी। 2- केशव प्रसाद मौर्य का कद बढ़ेगाभाजपा ने बिहार चुनाव में यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को सह प्रभारी नियुक्त किया था। चुनाव में डिप्टी सीएम केशव ने चुनावी रणनीति बनाने में अहम भूमिका निभाई। साथ ही पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के चुनाव प्रबंधन के एजेंडे को जमीन पर उतारा। बिहार में पिछड़ी जातियों को भी एकजुट करने में सक्रिय भूमिका निभाई। करीब दो महीने तक बिहार में बूथ से लेकर प्रदेश स्तर पर चुनावी जाजम बिछाई। उल्लेखनीय है कि 2017 में केशव के नेतृत्व में ही यूपी में भाजपा को 312 सीटें मिली थीं। पीएम नरेंद्र मोदी ने बिहार चुनाव के दौरान ही केशव को अपने प्रतिनिधि के रूप में भगवान बुद्ध के अस्थि कलश लेकर रूस भेजा था। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि बिहार में भाजपा और एनडीए की प्रचंड जीत से डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का राजनीतिक कद बढ़ेगा। विपक्ष पर असर क्या? अखिलेश को करना होगा मंथन बिहार चुनाव के नतीजे ने संकेत दिया है कि विपक्ष अपनी पकड़ मजबूत नहीं बना पा रहा है। बिहार जातीय ध्रुवीकरण का गढ़ है और वहां ओबीसी का दबाव है। इसके बाद भी विपक्षी गठबंधन को हताशा मिली है। नतीजे विपक्ष के लिए खतरे की घंटी भी हैं। आगामी चुनावों के मद्देनजर सपा प्रमुख अखिलेश यादव, कांग्रेस नेता राहुल गांधी को अपनी कमियों, चुनौतियों और सामाजिक समीकरण के साथ चुनावी रणनीति पर मंथन करना होगा। अखिलेश यादव को चुनावी रणनीति पर गहन मंथन करना होगा। अखिलेश यादव ने भी बिहार में करीब 22 चुनावी रैलियां की थी। ऐसा माना जा रहा है कि यूपी में आगामी विधानसभा चुनाव में सपा और कांग्रेस का गठबंधन होगा। सपा को पीडीए से इतर कोई नया कार्ड खेलना होगा। दलित वोटर मायावती के लिए फिर एकजुटबसपा प्रमुख मायावती ने बिहार चुनाव में सभी 243 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे। 2020 में बसपा ने 181 सीट पर चुनाव लड़ा था। तब उसे एक सीट पर सफलता मिली थी। चैनपुर से जीते जमा खान जेडीयू में चले गए थे। रामगढ़ और गोपालगंज में बसपा दूसरे नंबर पर थी। इस बार का बिहार चुनाव मायावती के भतीजे आकाश आनंद के लिए भी महत्वपूर्ण था। उन्होंने बिहार में काफी रैली व सभाएं की थीं। हालांकि पार्टी का सबसे अधिक फोकस यूपी से सटे जिलों में खासकर कैमूर जिले पर था। परिणाम आया तो यहां की रामगढ़ सीट बसपा जीतने में सफल रही। बसपा यूपी के सटे जिले में खासकर दलित बहुल सीटों पर अच्छा प्रदर्शन करने में सफल रही। संदेश साफ है कि दलित वोटर एक बार फिर बसपा के पक्ष में एकजुट हुए हैं। यूपी में इसका बसपा को फायदा मिलेगा। अब एक्सपर्ट व्यू समझिए... वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक आनंद राय का कहना है कि बिहार और पूर्वांचल की संस्कृति और परिवेश एक जैसा है। बिहार के नतीजे यूपी के पूर्वांचल में असर डालते हैं। बिहार के नतीजों से यूपी में बीजेपी के नेताओं और कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ेगा। बिहार की जीत में यूपी के नेताओं का भी बड़ा योगदान है। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्रनाथ भट्ट का कहना है कि अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव और राहुल गांधी मानते हैं कि उनके पास मौजूद जाति के अक्षय पात्र में वोट गिरते रहेंगे। लेकिन मौजूदा दौर की राजनीति में राजनीतिक दलों को परफॉर्म करना होगा, डिलीवर करना होगा। विकास और रोजगार का मॉडल देना होगा। उन्हें समझना होगा कि अब वह दौर नहीं है कि पीढ़ी दर पीढ़ी सत्ता आपके हाथ में रहेगी। वहीं, दिल्ली में जिस तरह से केजरीवाल को और बिहार में आरजेडी को कांग्रेस ने अंत तक फंसाए रखा, उससे सपा को सबक लेना चाहिए। कांग्रेस यूपी में भी समाजवादी पार्टी को ठीक-ठाक तरीके से परेशान और हैरान करेगी। --------------------------- ये खबर भी पढ़ें... योगी बिहार में भी अखिलेश पर भारी पड़े:31 सीटों में से 27 जीती, सपा प्रमुख की 22 सभाओं में 20 हारी बिहार चुनाव में एनडीए ने प्रचंड जीत दर्ज की है। इस चुनाव में यूपी के नेताओं का भी बहुत कुछ दांव पर लगा हुआ था। बिहार चुनाव में यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने 31 सभाएं व रैलियां की। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने किसी भी सीट पर चुनाव लड़े बगैर बिहार में महागठबंधन के पक्ष में 22 सीटों पर प्रचार किया था। रिजल्ट में यूपी सीएम भारी पड़े। उनकी जीत का स्ट्राइक रेट 87 प्रतिशत से अधिक है। एनडीए के 31 में से 27 प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की। जबकि अखिलेश यादव का स्ट्राइक रेट महज 9 प्रतिशत रहा। उनके प्रचार वाली सिर्फ दो सीटों पर महागठबंधन को जीत मिली। पढ़ें पूरी खबर
Bihar Election 2025 Result:नतीजों ने जो तस्वीर दिखाई उसने तमाम चर्चाओं को एक झटके में गलत साबित कर दिया. नीतीश कुमार और भाजपा न सिर्फ़ जीते बल्कि बल्कि इतने जबर्दस्त अंदाज़ में जिसका अंदाज़ा ख़ुद उन्हें ही नहीं रहा होगा.
Celebration in BJP Office: दिल्ली में बीजेपी के हेडक्वार्टर पर कार्यकर्ता इकट्ठा हो रहे हैं. जेपी नड्डा, राजनाथ सिंह और अमित शाह सहित बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता बीजेपी कार्यालय पहुंच चुके हैं. कार्यकर्ताओं में बिहार की जीत का उत्साह झलक रहा है. वहां जश्न के जैसा माहौल बन चुका है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी दिल्ली के बीजेपी दफ्तर पहुंच चुके हैं.थोड़ी देर में वो कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे.
तेजस्वी को वोट ज्यादा मिले, सीटें कम, 'बेदम' कांग्रेस ने बिगाड़ा खेल
Bihar Assembly Election Results: बिहार विधानसभा चुनाव में पूरी ताकत झोंकने के बावजूद महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव पिछले चुनाव के मुकाबले आधे से भी कम रह गईं। 2020 में राष्ट्रीय जनता दल 75 सीटें जीतकर बिहार में सबसे बड़ा दल ...
धन बल के इस्तेमाल से बिहार चुनाव के परिणाम पर गहरा असर पड़ा : अशोक गहलोत
जयपुर। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने बिहार चुनाव परिणामों को निराशाजनक बताते हुए आराेप लगाया है कि महिलाओं को 10-10 हजार रुपए बांटने का असर परिणामों पर पड़ा है। गहलोत ने शुक्रवार को प्रदेश कांग्रेस समिति मुख्यालय में पत्रकारों से कहा कि बिहार में खूब धनबल का इस्तेमाल […] The post धन बल के इस्तेमाल से बिहार चुनाव के परिणाम पर गहरा असर पड़ा : अशोक गहलोत appeared first on Sabguru News .
बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की बंपर जीत पर हरियाणा भाजपा में जश्न का माहौल है। भाजपा कार्यकर्ताओं ने प्रदेश के सभी जिला कार्यालयों में आतिशबाजी की, मिठाइयां बांटी और मोदी तथा भारत माता की जय के जयकारे लगाए। सोनीपत भाजपा कार्यालय में प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली ने भी बिहार चुनाव परिणाम कार्यकर्ताओं के साथ बैठकर देखे और जीत की बधाई देते हुए एक दूसरे को मिठाइयां खिलाई। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पंडित मोहन लाल बड़ौली ने बिहार के परिवारजनों को भी जीत की बधाई दी। उन्होंने कहा कि बिहार में एनडीए की प्रचंड जीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व और जनता के भरोसे की जीत है। बिहार की जनता ने प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भरोसा जताया है। उन्होंने जंगलराज को नकारा है और विकास को प्राथमिकता दी है। श्री बड़ौली ने कहा कि बिहार की जीत वाकई में ऐतिहासिक जीत है। विपक्ष ने किया गुमराह करने का प्रयास बड़ौली ने कहा कि चुनाव के दौरान विपक्ष की पार्टियों और खासकर राहुल गांधी ने जनता को भ्रमित और गुमराह करने का पूरा प्रयास किया था, लेकिन बिहार की जनता ने गुमराह करने वालों को सबक सिखाया और पीएम मोदी तथा सीएम नीतिश कुमार पर भरोसा जताया है। उन्होंने कहा कि एनडीए को बिहार में जो ऐतिहासिक जनादेश मिला है इससे स्पष्ट होता है कि बिहार के लोग जंगलराज को दोबारा देखना नहीं चाहते थे। बिहार विकास का पक्षधर मोहन लाल बड़ौली ने कहा कि बिहार विकास का पक्षधर है। एनडीए की सरकार ने बिहार को विकास के पथ पर आगे बढ़ाया है। पीएम मोदी के मार्गदर्शन और सीएम नीतिश कुमार के नेतृत्व में बिहार में सुशासन स्थापित हुआ है। उन्होंने कहा कि बिहार की जनता ने इस बार प्रचंड बहुमत देकर यह संदेश दिया है कि बिहार तरक्की पसंद राज्य है, इसलिए उन्होंने विकास करने वाली सरकार को चुना है। नकारात्मक राजनीति करने वालों के दिन लद चुके भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि जनता ने जाति-पात, वर्ग भेद से ऊपर उठकर मतदान किया। आज के इस चुनावी परिणाम ने बता दिया कि अब नकारात्मक राजनीति करने वालों के दिन लद चुके हैं। जनता अब विकास और तरक्की पर भरोसा करती है। कांग्रेस पर साधा निशाना कांग्रेस पर निशाना साधते हुए बड़ौली ने कहा कि अपनी गलत नीतियों के कारण कांग्रेस अपना जनाधार खो चुकी है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर कांग्रेस के ही लोगों का भरोसा नहीं है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी बेवजह के मुद्दे उठाकर बिहार में जनता को भ्रमित करना चाहते थे, लेकिन बिहार की जागरूक जनता ने प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों पर भरोसा किया और राहुल गांधी को नकार दिया है।
सीतापुर में बिहार विधानसभा के आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी व एनडीए को मिली प्रचंड जीत के बाद पूरे जिले में उत्साह का माहौल देखने को मिला। जिले की भाजपा टीम ने जिलाध्यक्ष राजेश शुक्ला के नेतृत्व में जोरदार जश्न मनाया। पार्टी कार्यालय सहित शहर के मुख्य चौराहे पर कार्यकर्ताओं की भीड़ उमड़ पड़ी, जहां ढोल-नगाड़ों की थाप पर कार्यकर्ताओं ने जमकर नारे लगाए और एक-दूसरे को बधाइयां दीं। इस ऐतिहासिक जीत के उपलक्ष्य में भाजपाइयों ने आतिशबाजी और पटाखे छोड़कर खुशियों का इजहार किया। जिलाध्यक्ष राजेश शुक्ला ने स्वयं मिठाई खिलाकर पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं और वरिष्ठ नेताओं का अभिनंदन किया। उन्होंने कहा कि बिहार में एनडीए को मिला यह जनादेश जनता के भाजपा पर बढ़ते विश्वास का प्रतीक है। जिलाध्यक्ष शुक्ला ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी का विजय रथ लगातार आगे बढ़ रहा है और इसका श्रेय केवल जनता को जाता है। उन्होंने कहा कि “मगध सहित पूरे बिहार में एनडीए ने विपक्ष का सूफड़ा साफ कर दिया है। यह परिणाम बताता है कि जनता विकास, सुशासन और स्थिरता को चुन रही है।” उन्होंने आगे कहा कि उत्तर प्रदेश में भी जनता भाजपा की नीति और नीयत पर लगातार भरोसा जता रही है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि 2027 के विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भी इसी तरह का जनादेश मिलेगा और प्रदेश में फिर से कमल खिलेगा। जिलाध्यक्ष ने बिहार की जनता को महान बताते हुए उन्हें इस व्यापक जनादेश के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि बिहार की जनता ने जातिवाद व परिवारवाद की राजनीति को नकारते हुए विकास और राष्ट्रवाद को चुना है। इसी प्रकार उन्होंने उत्तर प्रदेश की जनता से भी आगामी चुनावों में भाजपा को प्रचंड बहुमत से विजय दिलाने की अपील की। कार्यक्रम में जिले के सभी मंडलों से आए भाजपा पदाधिकारी, मोर्चा पदाधिकारी, कार्यकर्ता और समर्थक बड़ी संख्या में मौजूद रहे। सभी ने एक स्वर में केंद्र और राज्य सरकार की उपलब्धियों को जन-जन तक पहुंचाने का संकल्प भी दोहराया।
बिहार विधानसभा चुनाव में NDA की शानदार जीत के बाद बांसवाड़ा भाजपा कार्यालय में शुक्रवार को ढोल-नगाड़ों, आतिशबाजी और नारों के बीच जमकर खुशी मनाई गई। जिला अध्यक्ष पूंजीलाल गायरी ने कहा कि बिहार का जनादेश मोदी-नीतीश। NDA की जीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जनहितकारी नीतियों पर जनता के भरोसे का परिणाम है। बांसवाड़ा भाजपा कार्यालय में जश्न का माहौल बांसवाड़ा शहर के उदयपुर रोड स्थित भाजपा कार्यालय में शुक्रवार को बिहार विधानसभा चुनाव में NDA गठबंधन की जीत पर जोरदार उत्सव मनाया गया। कार्यकर्ता सुबह से ही उत्साहित थे और परिणाम स्पष्ट होते ही माहौल जयघोषों से गूंज उठा। जय श्री राम और भारत माता की जय से गूंजा परिसर जैसे ही NDA को बहुमत मिलने की पुष्टि हुई, कार्यकर्ताओं ने ‘जय श्री राम’ और ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाते हुए विजयी माहौल बना दिया। ढोल-नगाड़ों की धुन पर कार्यकर्ता नाचने लगे और एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर उत्साह साझा किया। आतिशबाजी ने जश्न को और भव्य बना दिया। वरिष्ठ पदाधिकारी रहे उपस्थित, कार्यकर्ताओं में उत्साह जश्न में भाजपा जिला अध्यक्ष पूंजीलाल गायरी, जिला प्रभारी दिनेश भट्ट, जिला उपाध्यक्ष मणिलाल गुर्जर, महामंत्री किरण जोशी, एडवोकेट जयपाल सिंह डाबी, सुबोध मालोत, मिलन पंड्या, कन्हैया लाल भौई, दीपक जोशी, पीयुष जैन, शीतल भंडारी, योगेश दीवाकर, पमा पहलवान और मनोहर व्यास सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ता मौजूद रहे। जनादेश को बताया विकास और सुशासन की जीत जिला अध्यक्ष पूंजीलाल गायरी ने कहा कि बिहार में NDA की जीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जनहितकारी नीतियों पर जनता के भरोसे का परिणाम है। उन्होंने इसे विकास और सुशासन की बड़ी जीत बताया। देर शाम तक कार्यकर्ताओं का उत्साह जारी रहा और कार्यालय का माहौल दीपावली की तरह रोशन बना रहा।
हरियाणा के नारनौल में बिहार विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं ने एनडीए की जीत पर नाचकर खुशी मनाई। हरियाणा भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष एवं पूर्व शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा ने कहा कि चुनाव परिणाम स्पष्ट कर देते हैं कि देश और बिहार की जनता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों से प्रभावित है।महावीर चौक पर भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ लड्डू बांटते हुए उन्होंने कहा कि बिहार का मतदाता जागरूक है और उसने कांग्रेस के “वोट चोरी” जैसे आरोपों को पूरी तरह नकार दिया है। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस पार्टी देश में कमजोर हो रही है और अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। जनता मोदी की नीतियों से प्रभावितइस अवसर पर नारनौल के विधायक एवं पूर्व मंत्री ओम प्रकाश यादव ने भी खुशी व्यक्त की। उन्होंने बताया कि वे करीब 10 दिनों तक बिहार में चुनाव प्रचार में रहे और तभी स्पष्ट हो गया था कि जनता मोदी और नीतीश कुमार की नीतियों से संतुष्ट है। चुनाव परिणाम ने उस आकलन को सही साबित किया है।प्रो. रामबिलास शर्मा ने आपातकाल के दौरान गया जेल में बंद रहने के अनुभव का जिक्र करते हुए कहा कि वे बिहार के जनमानस को अच्छी तरह समझते हैं। क्योंकि वे कांग्रेस की तानाशाही के चलते इमरजेंसी के दौरान लंबे समय बिहार की गया जेल में बंद रहे थे उन्होंने वहां के लोगों की नब्ज को उसी समय ही पढ़ लिया था बिहार का व्यक्ति कांग्रेस और लालू प्रसाद की नीतियों को पसंद नहीं करता। पहले ही कर दी थी भविष्यवाणी उन्होंने दावा किया कि चुनाव परिणाम से पहले ही उन्होंने एनडीए की वापसी की भविष्यवाणी कर दी थी, ठीक वैसे ही जैसे उन्होंने दिल्ली और हरियाणा विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत का पूर्वानुमान लगाया था और वह सही साबित हुआ। ये रहे मौजूद कार्यक्रम में भाजपा जिला अध्यक्ष यतेंद्र राव, पूर्व जिला अध्यक्ष एडवोकेट राकेश शर्मा, योगेश शास्त्री, जेपी सैनी, गोविंद भारद्वाज, आरके जांगडा, सुशील चौटाला, संजय अमन, भाजपा नेत्री सरोज शर्मा, कमलेश सैनी व जेपी सैनी सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ता मौजूद रहे।
बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की जीत के बाद कौशांबी स्थित भाजपा जिला कार्यालय में जश्न मनाया गया। शुक्रवार शाम को भाजपा जिलाध्यक्ष धर्मराज मौर्य ने कार्यकर्ताओं को लड्डू खिलाकर खुशी जाहिर की। जिलाध्यक्ष धर्मराज मौर्य ने पार्टी कार्यालय में कार्यकर्ताओं के साथ ढोल-ताशे बजाकर जीत का जश्न मनाया। इस अवसर पर जिलाध्यक्ष धर्मराज मौर्य ने कहा कि यह जीत बिहार की जनता का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व पर अटूट विश्वास का प्रमाण है। उन्होंने एनडीए की जनसेवा, गरीब कल्याण, विकसित भारत और जनकल्याण की प्रभावशाली नीतियों को भी जीत का कारण बताया। मौर्य ने कहा कि यह जनादेश विकास, सुशासन, समृद्धि और स्थिरता के उस मार्ग का समर्थन है, जिस पर नया बिहार आत्मविश्वास से आगे बढ़ रहा है। जिलाध्यक्ष ने इस ऐतिहासिक जीत के लिए बिहार की जनता, पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के प्रति आभार व्यक्त किया। इस मौके पर जिला महामंत्री दीप चंद्र दिवाकर, संजय जायसवाल, जिला उपाध्यक्ष अजय पाण्डेय, अरविंद द्विवेदी, जिला मंत्री प्रदीप कुमार शीलू पाण्डेय, दिनेश पाण्डेय, कमल कुशवाहा, नगर पालिका अध्यक्ष वीरेंद्र सरोज फौजी, कविता पासी, वरिष्ठ भाजपा नेता भोलेशंकर कुशवाहा, ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि सिराथू लवकुश मौर्य, हुबलाल दिवाकर, डीसीएफ चेयरमैन चंद्र दत्त शुक्ल, मीडिया प्रभारी ज्ञानेन्द्र साहू और सोशल मीडिया संयोजक जितेंद्र साहू सहित कई मंडल अध्यक्ष और युवा मोर्चा जिलाध्यक्ष मौजूद रहे।
Bihar में NDA की जीत से संभला Share Bazaar, Sensex 84 अंक चढ़ा, Nifty भी 25900 के पार
Share Market Update News : बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की जीत और घरेलू खरीदारी ने आज भारतीय शेयर बाजार को आखिर में संभाल लिया। वैश्विक बाजारों में गिरावट के बावजूद शेयर बाजार हरे निशान में बंद होने में कामयाब रहे। सेंसेक्स 84.11 अंकों की मामूली बढ़त के साथ 84562.78 पर बंद हुआ, वहीं निफ्टी 30.90 अंकों की बढ़त लेकर 25910 पर रहा। बीएसई आईटी और बीएसई कैपिटल गुड्स इंडेक्स ने बेहतर प्रदर्शन किया। खबरों के अनुसार, बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की जीत और घरेलू खरीदारी ने आज भारतीय शेयर बाजार को आखिर में संभाल लिया। वैश्विक बाजारों में गिरावट के बावजूद शेयर बाजार हरे निशान में बंद होने में कामयाब रहे। सेंसेक्स 84.11 अंकों की मामूली बढ़त के साथ 84562.78 पर बंद हुआ, वहीं निफ्टी 30.90 अंकों की बढ़त लेकर 25910 पर रहा। ALSO READ: बिहार चुनाव परिणाम से पहले Share Bazaar सतर्क, Sensex और Nifty की रही सपाट क्लोजिंग बीएसई आईटी और बीएसई कैपिटल गुड्स इंडेक्स ने बेहतर प्रदर्शन किया। सेंसेक्स की कंपनियों में इटरनल, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स, ट्रेंट लिमीटेड, एक्सिस बैंक, स्टेट बैंक, बजाज फाइनेंस, सन फार्मा, एशियन पेंट्स के शेयर प्रमुख रूप से लाभ में रहे। सेक्टोरल मोर्चे पर निफ्टी पीएसयू बैंक सबसे ज्यादा लाभ में रहा। दिनभर दबाव में रहने के बाद PSU बैंक स्टॉक्स में जोरदार शॉर्ट-कवरिंग और खरीदारी देखने को मिली। SBI, Bank of Baroda, Canara Bank जैसी कंपनियों ने इंडेक्स को ऊपर खींचा। ALSO READ: Share Bazaar में लौटी बहार, Sensex 590 से ज्यादा अंक उछला, Nifty भी 25870 के पार मोतीलाल ओसवाल फाइनेशियल सर्विसेज के अनुसंधान प्रमुख धन प्रबंधन सिद्धार्थ खेमका के मुताबिक, बिहार विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को भारी बहुमत मिलने के बाद निफ्टी ने आखिरी 30 मिनट में दिन के निचले स्तर से ज्यादा की बढ़त हासिल की। ALSO READ: Share Bazaar में हुई मामूली बढ़त, Sensex 84000 के करीब पहुंचा, Nifty भी चढ़ा गुरुवार को भारतीय शेयर बाजार बिहार चुनाव परिणाम से पहले सतर्क मुद्रा में नजर आया था। उतार-चढ़ाव भरे कारोबार के बीच सेंसेक्स मात्र 12.16 अंक की बढ़त के साथ 84478.67 अंक पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी मामूली 3 अंक की बढ़त लेकर 25879 अंक पर रहा। Edited By : Chetan Gour
बिहार में NDA गठबंधन की हुई जीत का जश्न भाजपा द्वारा प्रदेशभर सहित गुना में भी मनाया गया। पार्टी कार्यकर्ताओं ने हाट रोड स्थित पार्टी कार्यालय से हनुमान चौराहे तक रैली निकाली। एक दूसरे को मिठाई खिलाई और आतिशबाजी चलाई। पार्टी कार्यकर्ता ढोल नगाड़ों की थाप पर जमकर थिरके। भाजपा जिलाध्यक्ष धर्मेंद्र सिकरवार के नेतृत्व में पार्टी कार्यकर्ता हाट रोड स्थित पार्टी कार्यालय पर एकत्रित हुए। यह। भाजपा जिंदाबाद और भारत माता की जय के नारों के साथ कार्यकर्ता हनुमान चौराहे तक आए। यहां जमकर आतिशबाजी की गई। वहीं एक दूसरे को मिठाई खिलाकर जश्न मनाया। इस मौके पर भाजपा जिलाध्यक्ष धर्मेंद्र सिकरवार ने कहा कि पूरे बिहार में सच में बाहर आई है। प्रदेश का शीर्ष नेतृत्व ने भी बिहार में एक महीने तक मेहनत की है, उनको भी बहुत बहुत धन्यवाद और आभार करते हैं। इस जीत से देश के कोने-कोने में कार्यकर्ताओं में भारी उत्साह है। पिछले 11 वर्षों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेवा, सुशासन और विकास की जो चिंता की है, यह जीत उसी का परिणाम है। विकास की योजनाएं अंतिम छोर के व्यक्ति, अंतिम नागरिक तक पहुंची हैं, यह जीत उनका प्रतिफल है। बिहार की जनता ने जंगलराज को नकार दिया है। कांग्रेस और RJD को नकार दिया है। वो कभी EVM पर ठीकरा फोड़ते हैं, कभी वोट चोरी की बात करते हैं। जनता उनके इस झूठ को समझ गई है। प्रचंड बहुमत से NDA को बिहार की जनता ने जिताया है। यह बहनों की जीत है। उन्होंने भाजपा का परचम लहराया है। वहां की जनता ने कांग्रेस का सूपड़ा साफ किया है। यहां से एक अनुरोध और है कि सभी लोग SIR के काम में जुट जाएं, क्योंकि SIR के तहत ही वहां से फर्जी वोट हटाए गए। इस दौरान जिलाध्यक्ष धर्मेंद्र सिकरवार, विधायक पन्नालाल शाक्य, नपाध्यक्ष सविता अरविंद गुप्ता, सांसद प्रतिनिधि हरिसिंह यादव, अशोक शर्मा, पूर्व विधायक राजेंद्र सिंह सलूजा, जिला महामंत्री संतोष धाकड़, महामंत्री चंद्रप्रकाश अहिरवार, उपाध्यक्ष शिवपाल परमार, पूर्व जिलाध्यक्ष गजेन्द्र सिकरवार, महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष राजेश राजपूत, मीडिया प्रभारी अंकुर श्रीवास्तव सहित भाजपा नेता और कार्यकर्ता मौजूद रहे। तस्वीरों में देखिए जश्न
बिहार में NDA की जीत के बाद शुक्रवार को टोंक में भाजपा कार्यकर्ता और पदाधिकारी घंटाघर पर एकत्रित हुए। जिलाध्यक्ष चंद्रवीर सिंह चौहान के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने पटाखे फोड़कर और मिठाई बांटकर जीत का जश्न मनाया। भाजपा जिलाध्यक्ष बोले कि NDA की यह सत्य और सुशासन की जीत हैं। नकारात्मक राजनीति को करारा दिया जवाब भाजपा जिलाध्यक्ष चंद्रवीर सिंह चौहान ने इस ऐतिहासिक जीत को सत्य और सुशासन की जीत बताया। उन्होंने कहा कि बिहार की जनता ने विकास और राष्ट्रवादी विचारधारा पर भरोसा जताकर विपक्ष की नकारात्मक राजनीति को करारा जवाब दिया है। मोदी नेतृत्व पर बढ़ा जनता का भरोसा जिलाध्यक्ष ने कहा कि देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नई ऊंचाइयों को छू रहा है और बिहार का जनादेश इसका मजबूत संदेश है। जनता ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह विकास की राह पर आगे बढ़ते भारत के साथ है। भारी संख्या में कार्यकर्ताओं की उपस्थिति कार्यक्रम में पूर्व जिलाध्यक्ष गणेश माहुर, सतीश चंदेल, जिला महामंत्री विष्णु शर्मा, प्रभु बाडोलिया, नरेश बंसल, ओमप्रकाश पांडे, रामनिवास गुर्जर, राजेश शर्मा, हरिराम यादव, नीलिमा आमेरा, महेंद्र सिरोठा, जूली शर्मा, हेमंत सैनी, धोलू गुर्जर, श्योराज जाट, शंभू शर्मा, राहुल गुर्जर, मनीष सिसोदिया, पंकज पहाड़िया, राजेश मंगल, लोकेश गुप्ता, देवराज गुर्जर, आशीष शर्मा, चौथमल विजय, मुकेश सैनी, ममता शर्मा, हर्षित जैन, तौसीफ खान, विकार खान, अजय डोई, वैभव पाटनी, सुभाष सैनी सहित बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता मौजूद रहे।
Bihar Election Result 2025:सबसे लंबे वक्त तक सीएम रहने का रिकॉर्ड सिक्किम के सीएम रहे पवन चामलिंग के नाम दर्ज हैं, जो 24 साल 165 दिन तक मुख्यमंत्री रहे. दूसरी ओर, नीतीश कुमार 18 साल 347 दिन से मुख्यमंत्री हैं. इस दौरान उन्होंने कई बार सियासी पलटी मारी है. कभी वह एनडीए के साथ रहे तो कभी महागठबंधन का हाथ थामा.
Bihar Election Result 2025 : बिहार में NDA को मिला सुनहरा ताज; नितीश की 'वो' स्किम ने दिलाई जीत
Bihar Election Result 2025 : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में नीतीश कुमार की धमाकेदार वापसी! JDU 80 सीटों पर बढ़त, NDA 200 पार। 10 हज़ारिया स्कीम, जीविका दीदी, शराबबंदी, स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड और 125 यूनिट मुफ्त बिजली ने महिलाओं-युवाओं को साधा। साइलेंट वोटर जागा, महागठबंधन धराशायी – नीतीश की योजनाओं ने रचा इतिहास। पूरी रिपोर्ट।
एनडीए को भारी बढ़त मिलने पर पप्पू यादव का बड़ा बयान, कहा- 'यह बिहार के लिए दुर्भाग्यपूर्ण’
बिहार में वोट काउंटिंग के दौरान एनडीए को भारी बढ़त मिलने को पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव ने 'दुर्भाग्यपूर्ण’ बताया है
Bihar Election Result : चुनावी झटके से बाजार सहमा; निफ्टी 25,785 से नीचे लुढ़का
Bihar Election Result : भारतीय शेयर बाज़ार में शुक्रवार को भारी गिरावट दर्ज हुई, जहाँ सेंसेक्स 409 अंक और निफ्टी 124 अंक लुढ़क गया। बिहार चुनाव नतीजों की अनिश्चितता, विदेशी निवेशकों की बिकवाली, वैश्विक बाज़ारों की कमजोरी और कच्चे तेल की कीमतों में उछाल ने मिलकर मार्केट पर दबाव बढ़ाया। निवेशकों में सतर्कता और घबराहट साफ दिखाई दी।
Amit Shah on NDA Win in Bihar: अमित शाह ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा, 'जंगलराज और तुष्टीकरण की राजनीति करने वाले चाहे किसी भी भेष में आएं, बिहार की जनता उन्हें दोबारा मौका नहीं देगी.' गृह मंत्री ने दावा किया कि एनडीए सरकार प्रदेश को विकास, सुशासन और स्थिरता के मार्ग पर आगे बढ़ाती रहेगी.
हरियाणा के करनाल में भाजपा की मेयर रेणु बाला गुप्ता पटाखे फटने से झुलस गईं। यह घटना तब हुई जब वह भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ बिहार में पार्टी की जीत का जश्न मना रही थीं। मेयर गुप्ता मीडिया से बातचीत कर रही थीं कि अचानक एक पटाखे की चिंगारी उनके हाथ और पेट पर लगी, जिससे उनकी साड़ी का कुछ हिस्सा भी जल गया। घटना का पता चलते ही, भाजपा के एक नेता तुरंत पास की दुकान से टूथपेस्ट लेकर आए और मेयर को दिया, जिसे उन्होंने तुरंत अपने झुलसे हुए हिस्से पर लगाया। इसके बाद मेयर गुप्ता अपने घर चली गईं। घटना पर कोऑर्डिनेटर की 2 बातें... मेयर बोलीं- महागठबंधन ने कभी विकास की बात नहीं कीजश्न के दौरान मेयर रेणु बाला गुप्ता ने कहा कि बिहार में महागठबंधन ने कभी भी विकास की बात नहीं की। उन्होंने कभी वोट चोरी का आरोप लगाया तो कभी कहा कि राजनीति में पैसों का इस्तेमाल हो रहा है, लेकिन आज जो आत्मविश्वास जागा है, उसने इन सभी बातों को गलत साबित करते हुए एक बड़ी जीत दिलाई है। लगातार तीसरी बार मेयर बनीं गुप्तारेणु बाला गुप्ता 2024 में तीसरी बार करनाल से मेयर बनीं। वह ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ मेयर्स की प्रेसिडेंट भी हैं। उनके पति बृजभूषण गुप्ता भाजपा के करनाल जिला कार्यकारी अध्यक्ष भी रह चुके हैं। 2013 में करनाल एमसी काउंसलर्स ने उन्हें मेयर चुना। इसके बाद 2018 में उन्होंने डायरेक्ट इलेक्शन में भाजपा के टिकट पर जीत हासिल की। उन्होंने स्वतंत्र उम्मीदवार आशा वाधवा को 9,348 वोटों से हराया। यह हरियाणा का पहला डायरेक्ट मेयर चुनाव था। फरवरी 2025 में उन्होंने तीसरी बार भाजपा के टिकट पर जीत हासिल की। पार्टी में उनकी भूमिका की बात करें तो वह भाजपा की महिला विंग में सक्रिय हैं।
योगी बिहार में भी अखिलेश पर भारी पड़े:31 सीटों में से 27 जीती, सपा प्रमुख की 22 सभाओं में 20 हारी
बिहार चुनाव में एनडीए ने प्रचंड जीत दर्ज की है। इस चुनाव में यूपी के नेताओं का भी बहुत कुछ दांव पर लगा हुआ था। बिहार चुनाव में यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने 31 सभाएं व रैलियां की। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने किसी भी सीट पर चुनाव लड़े बगैर बिहार में महागठबंधन के पक्ष में 22 सीटों पर प्रचार किया था। रिजल्ट में यूपी सीएम भारी पड़े। उनकी जीत का स्ट्राइक रेट 87 प्रतिशत से अधिक है। एनडीए के 31 में से 27 प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की। जबकि अखिलेश यादव का स्ट्राइक रेट महज 9 प्रतिशत रहा। उनके प्रचार वाली सिर्फ दो सीटों पर महागठबंधन को जीत मिली। बसपा प्रमुख मायावती भी बिहार चुनाव में कैमूर जिले की भभुआ सीट पर प्रचार करने गई थीं। वहीं पर सभी 5 प्रत्याशी पहुंचे थे। मायावती ने एक सीट पर जीत दर्ज की है। उनका स्ट्राइक रेट 20 प्रतिशत के लगभग है। यूपी से चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी, स्वामी प्रसाद मौर्य और सुभासपा ने भी चुनाव में किस्मत आजमाई, लेकिन वे अपनी–अपनी पार्टी के प्रत्याशियों की जमानत तक नहीं बचा पाए। बिहार में योगी के क्रेज को दिखाती 2 तस्वीर देखिए... अब विस्तार से पढ़िए... योगी के तीन बंदर वाला बयान सुर्खियों में रहाबिहार के चुनावी मैदान में सीएम योगी ने जमकर विपक्षी दलों राजद–कांग्रेस और सपा पर हमला बोला। सीएम ने बिना नाम लिए महागठबंधन के तीन प्रमुख नेताओं राहुल, अखिलेश व तेजस्वी को पप्पू, टप्पू व अप्पू नाम के तीन बंदरों की जोड़ी करार दिया था। सीएम योगी ने महागठबंधन को उसके जंगलराज और भगवान राम–कृष्ण और मां सीता के नाम पर जमकर घेरा। सीएम योगी की सभाओं में भीड़ भी खूब उमड़ी। उन्होंने भाजपा के साथ ही एनडीए के सहयोगी दलों जनता दल यूनाइटेड, लोजपा, हम और राष्ट्रीय लोक मोर्चा के प्रत्याशियों के पक्ष में रैली व सभाएं की। सीएम योगी ने व्यक्तिगत हमले कर चुनावी मुद्दे को मोड़ा बिहार चुनाव के पहले चरण से पहले सीएम योगी ने विपक्ष के सामने एक अप्पू, टप्पू व पप्पू के रूप में महागठबंधन के तीन बंदरों का ऐसा मुद्दा रखा, जिस पर विवाद तय माना जा रहा था। हुआ भी वही, इसके बाद बिहार में प्रचार करने पहुंचे सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से लेकर कांग्रेस के शीर्ष नेता तक इसी पर बात करते दिखे। कांग्रेस के नेता सीएम योगी के बंदर वाले बयान के जरिए हनुमान जी का अपमान करने की बात करते दिखे। वहीं, अखिलेश यादव ने इसके बाद कई अन्य नामों के जरिए भारतीय जनता पार्टी को घेरने की कोशिश की। इसका असर ये हुआ कि जो महागठबंधन चुनाव प्रचार के दौरान एनडीए को घेरने के लिए अपनी योजनाओं से लेकर नीतीश कुमार सरकार की नाकामियों तक को गिनाने में लगा था। वह बंदर विवाद में फंस गया। पूरा आरोप–प्रत्यारोप ही बंदर विवाद को लेकर चला। इस बयान ने चुनाव प्रचार अभियान का रुख ही बदल दिया। रोजगार को लेकर महागठबंधन की घोषणाओं तक के मुद्दे गौण हो गए। महागठबंधन के निचले स्तर के नेता से लेकर शीर्ष नेताओं तक ने बंदर विवाद पर बयान दिए। मीडिया की हेडलाइन में यही विवाद गहराया। असर पहले चरण की वोटिंग से पहले महागठबंधन की नीतीश सरकार को घेरने की रणनीति की जगह योगी के बयान का काउंटर के रूप में सामने आया। अब यूपी के मैदान में आजमाने की कोशिश होगीसीएम योगी ने जिस प्रकार विपक्षी दलों को मूल मुद्दों से हटकर व्यक्ति विरोध की रणनीति पर उतरने को मजबूर किया, इससे साफ हुआ कि उनकी मास अपील काफी ज्यादा है। यूपी में दो बार सत्ता में रहकर अपनी स्थिति मजबूत बनाने वाले सीएम योगी 2027 में होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव में भी इस रणनीति को आगे बढ़ा सकते हैं। वैसे भी सपा का मुख्य आधार राजद की तरह यूपी में भी एमवाई (मुस्लिम–यादव) समीकरण का है। यहां भी महागठबंधन में सपा की सहयोगी के तौर पर कांग्रेस ही होगी। भाजपा उनके पीडीए की हवा निकालने के लिए बिहार जैसी रणनीति पर आगे बढ़ सकती है। अब वो सीटें जहां योगी–अखिलेश दोनों की सभाएं हुईंबिहार की तीन सीटें ऐसी रहीं, जहां योगी और अखिलेश दोनों ने सभाएं की। इसमें सीवान की रघुनाथपुर, पूर्वी चम्पारण की मोतिहारी व मधुबनी जिले की बिस्फी विधानसभा क्षेत्र शामिल है। इसमें अखिलेश यादव भारी पड़े। रघुनाथपुर व बिस्फी सीट राजद ने जीत ली। जबकि मोतिहारी पर भाजपा ने जीत दर्ज की है। खेसारी को नहीं जीत दिला पाए अखिलेशअखिलेश यादव ने छपरा में भोजपुरी गायब खेसारी लाल यादव के समर्थन में सभा की थी, लेकिन रिजल्ट आया तो खेसारी भी जीत नहीं पाए। जबकि सीवान के बाहुबली रहे शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा साहब की रघुनाथपुर सीट पर भी प्रचार किया था। ओसामा ये सीट जीतने में सफल रहे। बसपा का खुला खाता, 3 अन्य पर जमानत भी बचाईबसपा ने बिहार में सभी 243 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे। पिछली बार भी बसपा एक सीट जीतने में सफल रही थी। इस बार भी वह एक सीट जीत गई। मायावती 6 नवंबर को कैमूर जिले की भभुआ सीट पर प्रचार करने गई थीं। इस जनसभा में कैमूर, मोहनिया, रामगढ़ और चैनपुर के बसपा प्रत्याशी पहुंचे थे। मतलब मायावती ने एक साथ 5 प्रत्याशियों के लिए वोट मांगे थे। इसमें से रामगढ़ सीट पर बसपा जीतने में सफल रही। इस तरह से मायावती का स्ट्राइक रेट 20 प्रतिशत है, जो अखिलेश यादव से अधिक है। बसपा ने इसके अलावा कैमूर जिले की भभुआ, चैनपुर और मोहनिया सीट पर भी जोरदार टक्कर दी है। बसपा को पूरे प्रदेश में 1.52 प्रतिशत वोट मिले। जमानत नहीं बचा पाई चंद्रशेखर और स्वामीप्रसाद की पार्टीबिहार चुनाव में यूपी की नगीना सीट से सांसद चंद्रशेखर आजाद और पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य उतरे थे। चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) और स्वामी प्रसाद मौर्य की अपनी जनता पार्टी ने असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के साथ गठबंधन किया था। चंद्रशेखर ने 25 सीटों पर तो स्वामी प्रसाद मौर्य ने 4 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे। स्वामी प्रसाद मौर्य प्रचार में बिहार नहीं गए। लेकिन चंद्रशेखर ने अपनी पार्टी प्रत्याशियों के साथ ही कुछ निर्दलीय प्रत्याशियों के पक्ष में भी प्रचार किया था। रिजल्ट आया तो दोनों पार्टियों के एक भी प्रत्याशी अपनी जमानत नहीं बचा पाए। एनडीए से अलग लड़ना ओमप्रकाश राजभर को लड़ना भारी पड़ासुभासपा के ओमप्रकाश राजभर की पार्टी ने भी बिहार चुनाव में किस्मत आजमाया था। पहले उनकी कोशिश एनडीए के गठबंधन में रहकर चुनाव लड़ने की थी। पर आखिरी वक्त में कोई भी सीट नहीं मिलने पर उन्होंने बिहार चुनाव में अकेले प्रत्याशी उतारने का ऐलान कर दिया। सुभासपा ने 64 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे। खुद ओमप्रकाश राजभर ने 6 सीटों पर चुनाव प्रचार किया था। इसके अलावा उनके बेटे और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अनिल राजभर ने मोर्चा संभाल रखा था। रिजल्ट आया तो सुभासपा के सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई। -------------- ये खबर भी पढ़ें- बिहार चुनाव पर अखिलेश बोले- भाजपा दल नहीं, छल है:काशी में भाजपाई थिरके, केशव ने कहा- बिहार जैसी पिक्चर यहां भी दिखेगी बिहार चुनाव में एनडीए गठबंधन प्रचंड जीत की ओर बढ़ रहा है। चुनावी नतीजे अब साफ होने लगे हैं। 243 सीटों के रुझान में NDA क्लीन स्वीप करती दिख रही है। इस बीच यूपी में भाजपा और उसके सहयोगी दल फूले नहीं समा रहे। एनडीए गठबंधन इस विजय को विकास की जीत बता रहा है। वहीं, अखिलेश ने विपक्ष की हार के लिए SIR को जिम्मेदार ठहराया। सपा मुखिया ने कहा कि बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण के नाम पर खेल किया गया है। यूपी में हम ऐसा नहीं होने देंगे। इधर, काशी में भाजपा कार्यकर्ताओं ने जश्न भी शुरू कर दिया है। पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में भाजपा कार्यकर्ता 'बिहार में बहार...' वाले पोस्टर के साथ जुलूस निकाला। इस दौरान जमकर आतिशबाजी की गई। ढोल-नगाड़ों पर कार्यकर्ता नाचते-झूमते दिखाई दिए। पढ़िए पूरी खबर...

