VIDEO: सिडनी के बीच पर दनादन गोलियां बरसा रहा था हमलावर, अचानक पीछे से आया बहादुर शख्स और...
Sydney Beach Shooting Video: सिडनी के बोंडी बीच पर यहूदी त्योहार हनुक्का (चानुक्का) मना रहे लोगों पर फायरिंग में कई लोगों की मौत हो गई. इस घटना का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें अपनी बहादुरी से एक व्यक्ति हमलावर की बंदूक छीनकर कई लोगों की जान बचा लेता है.
Bondi Beach Shooting: ऑस्ट्रेलिया के मशहूर बॉन्डी बीच पर अचानक गोलीबारी की घटना से अफरा-तफरी मच गई. जहां दो हमालवरों ने त्यौहार मना रहे यहूदियों पर गोलियां बरसाईं हैं. घटना के बाद से लोगों में दहशत का माहौल देखा जा रहा है. घटना में अभी तक 10 लोगों के मारे जाने की खबरें सामने आ रही है. दर्जनों लोग घायल बताए जा रहे हैं.
बलूच अमेरिकन कांग्रेस के अध्यक्ष तारा चंद ने बॉलीवुड और भारतीय फिल्म इंडस्ट्री से बड़ी अपील की है. वो चाहते हैं कि बलूचिस्तान पर एक फिल्म बनाई जाए, जिसमें पाकिस्तान को बेनकाम किया जाए और उसकी हकीकत दुनिया को सामने रखी जाए. उन्होंने आरोप लगाया कि पाकिस्तान बलोचों पर अत्याचार कर रहा है.
अमेरिका : ब्राउन यूनिवर्सिटी में चलीं गोलियां, दो लोगों की मौत, कई अन्य घायल
अमेरिका के रोड आइलैंड राज्य में प्रोविडेंस के ब्राउन विश्वविद्यालय में शनिवार को अपराह्न में गोलीबारी में कम से कम दो लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए
Brown University Shooting: अमेरिका में हुई गोलीबारी की वजह से लोगों में दहशत का माहौल है, गोलीबारी की वजह से 2 की मौत हो गई है जबकि 8 लोग घायल हो गए हैं, अब स्टूडेंट का अपनी मां को कैंपस में हुई मास शूटिंग के दौरान भेजा गया एक डरावना मैसेज वायरल हो रहा है.
यूरोप बसने का सपना बना खौफनाक... पुर्तगाल के लिए निकला गुजरात का परिवार लीबिया में कैसा हुआ कैद?
Gujarat couple: गुजरात के मेहसाणा का एक परिवार पुर्तगाल बसने निकला, लेकिन लीबिया में बंधक बना लिया गया. अपहरणकर्ताओं ने 2 करोड़ की फिरौती मांगी है. मामला राज्य सरकार और विदेश मंत्रालय तक पहुंच चुका है.
हैरान करने वाला मामला...पैर में जोड़ दिया महिला का कान...5 महीने तक रहा जिंदा, फिर हुआ 'चमत्कार'
Woman Ear Reattached to Foot Transplant: एक हादसे ने जब महिला का कान छीन लिया तो लगा सबकुछ खत्म हो गया, लेकिन चीन के डॉक्टरों ने 5 महीने बाद उसी कान को सही जगह फिट कर दिया.ये सर्जरी इसलिए रिस्की थी, क्योंकि कान 5 महीने तक पैर में जिंदा रखा गया.
बांग्लादेश के लक्ष्मीपुर में बदमाशों ने चुनाव आयोग के दफ्तर में लगाई आग
बांग्लादेश में आम चुनाव का शेड्यूल जारी होने के बाद से अलग-अलग हिस्सों में हिंसा की घटनाओं में तेजी से बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है
अमेरिका में फिर खूनखराबा: गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंज ब्राउन यूनिवर्सिटी कैंपस, 2 की मौत, 8 घायल
Brown University Shootings: अमेरिका में एक बार फिर सामूहिक गोलीबारी की वारदात सामने आई है, इसकी वजह से दहशत का माहौल है. इस गोलीबारी में 2 लोगों की जान चली गई है. जबकि कई लोग घायल हो गए हैं.
बलूचिस्तान में हैजा का प्रकोप, आठ लोगों की मौत
स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि पाकिस्तान के दक्षिण-पश्चिम बलूचिस्तान प्रांत में इस हफ्ते हैजा फैलने से आठ लोगों की मौत हो गई
14 दिसंबर 1931 यानी आज से ठीक 94 साल पहले। बंगाल में इंटेलिजेंस ब्यूरो ऑफिस में एक कश्मकश भरी गहमागहमी थी। पुलिस के सामने 14 और 15 साल की दो लड़कियां थीं, जिन्होंने कुछ घंटे पहले ही एक अंग्रेज डीएम को घर में घुसकर गोली मारी थी। बेखौफ लड़कियों ने कबूल किया- हमने भगत सिंह की फांसी का बदला लेने के लिए डीएम का वध किया है। इस घटना की 95वीं सालगिरह पर जानिए इतिहास के पन्नों में दबा आजादी की लड़ाई का एक अनोखा किस्सा... साल 1929। बंगाल के चिटागोंग (चटगांव) के कोमिला तालुका के एक स्कूल में 12 साल की सुनीति चौधरी पढ़ती थी। वो अपने आस-पास स्वतंत्रता सेनानियों के विरोध और अंग्रेजों के अत्याचार को देखती और बेचैन होती। इन्हीं दिनों सुनीति की मुलाकात स्कूल की सीनियर शांति घोष से हुई, जिन्होंने उसी साल छात्री संघ की स्थापना की थी। जिससे लड़कियां भी देश की लड़ाई में योगदान दे सकें। शांति उम्र में दो साल बड़ी प्रफुल्ल नंदिनी ब्रह्मा के संपर्क में थी, जो जुगांतर पार्टी की सदस्य थीं। जुगांतर पार्टी एक सीक्रेट सोसाइटी थी, जो हथियार के दम पर अंग्रेजों को भारत से खदेड़ना चाहती थी। नंदिनी ब्रह्मा ने छात्री संघ की लड़कियों को लाठी भांजने, चाकू और तलवार चलाने की ट्रेनिंग का इंतजाम किया। शांति और सुनीति अब हथियार चलाने की ट्रेनिंग देने के साथ ऐसी किताबें और साहित्य भी पढ़ने लगीं, जो अन्य क्रांतिकारियों के कारनामे बताती थीं। सरकार ने ऐसे साहित्य को प्रतिबंधित कर दिया था, फिर भी इस सीक्रेट सोसाइटी में सब उपलब्ध था। सुनीति को सबसे ज्यादा बम बनाने में एक्सपर्ट उल्लासकर दत्त ने प्रभावित किया था। दत्त कलकत्ता के प्रेसिडेंसी कॉलेज में केमिस्ट्री के छात्र थे, पर बंगालियों की भर्त्सना करने वाले एक प्रोफेसर को धक्का देकर गिरा देने के कारण उनको कॉलेज से निकाल दिया गया था। साल 1908 में मुजफ्फरपुर में मानिकटोला बम कांड में खुदीराम बोस और अरबिंदो घोष पर केस चला था। इस कांड के लिए दत्त ने बम बनाया था जिसके लिए उन्होंने 12 साल अंडमान जेल में कालेपानी की सजा काटी। दत्त से प्रेरणा लेकर सुनीति ने गोला, बारूद, बम को समझना शुरू किया। जुगांतर पार्टी में पुरुष हमले करते और अंडरग्राउंड हो जाते थे। छात्री संघ की जो सबसे होनहार लड़कियां थीं, उन्हें पुरुष क्रांतिकारियों को सूचना, पैसे और हथियार मुहैया करवाने की जिम्मेदारी मिलती थी। लेकिन ब्रह्मा, शांति और सुनीति ने भी फ्रंट पर जाने की मांग की। सुनीति का तर्क था कि अगर उन्हें एक्शन का मौका ही नहीं मिलेगा, तो लाठी, तलवार भांजने का औचित्य ही क्या है। आखिरकार अंडरग्राउंड सीनियर लीडर वीरेंद्र भट्टाचार्जी ने इन तीनों लड़कियों का सीक्रेट इंटरव्यू लिया और इन्हें प्रैक्टिकल ट्रेनिंग की इजाजत दे दी। त्रिपुरा छात्र संघ के प्रेसिडेंट अखिल चंद्र नंदी ने इन्हें ट्रेनिंग देनी शुरू की। रोज ये घर से स्कूल के लिए निकलतीं, लेकिन स्कूल के बजाय शहर की आबादी से दूर मैनमती पहाड़ी पर बंदूक चलाने की ट्रेनिंग करने लगीं। ट्रेनर नंदी के सामने चुनौती थी कि क्या ये लड़कियां रिवॉल्वर का झटका संभाल पाएंगीं। सुनीति के हाथ में छोटा बेल्जियन रिवॉल्वर आया तो पता चला कि उसकी तर्जनी उंगली ट्रिगर तक ही नहीं पहुंच पा रही थी। सुनीति ने बीच की उंगली से बंदूक चलाने की प्रैक्टिस की। इसी दौरान 23 मार्च 1931 को भगत सिंह को फांसी दे दी गई। उन पर हत्या और कोर्ट में बम फेंकने का आरोप था। फांसी पर झूलने से पहले भगत सिंह ने कहा था कि असल क्रांतिकारी सेना तो भारत के गांव और कारखानों में है। इन्हीं क्रांतिकारियों में शांति और सुनीति भी थीं, जिन्होंने अंग्रेजों से बदला लेने की ठान ली। 6 मई 1931 को त्रिपुरा जिला छात्री संघ के एनुअल कॉन्फ्रेंस में नेताजी सुभाष चंद्र बोस चीफ गेस्ट थे। लड़कियों की परेड का नेतृत्व सुनीति कर रही थीं। परेड के बाद सुनीति को हथियार चलाने में ट्रेंड लड़कियों का मुखिया बना दिया गया और फायर आर्म्स की कस्टडी भी उन्हें दे दी गई। परेड के बाद ब्रह्मा ने नेताजी से पूछा कि युद्ध में महिलाओं का कर्तव्य क्या होना चाहिए। नेताजी ने कहा, ‘तुम लोगों को फ्रंट पे देख कर मुझे बड़ी प्रसन्नता होगी।’ जब शांति ने नेताजी से ऑटोग्राफ मांगा तो उन्होंने लिख कर दिया, ‘हे मात्रशक्ति, अपने सम्मान के लिए अपने हाथ में शस्त्र उठाओ।’ 6 मार्च 1930 को चार्ल्स ज्योफ्री बकलैंड स्टीवंस नाम के अंग्रेज अफसर को त्रिपुरा जिले का डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट बनाया गया। इसी का एक सब डिवीजन कोमिला था। इसी दौरान 12 मार्च 1930 को पूरे देश में गांधी जी का नमक सत्याग्रह शुरू हो गया। 4 मई को गांधी जी को गिरफ्तार कर लिया गया। सरकार ने पूरे देश में क्रांतिकारियों की गिरफ्तारी शुरू कर दी। स्टीवंस सिर्फ गिरफ्तार करने पर नहीं रुका। उसने निहत्थे स्वतंत्रता सेनानियों को टॉर्चर करना शुरू कर दिया। पुलिस को छूट दे दी कि वो सेनानियों के परिवार की महिलाओं के साथ अत्याचार करे। महिलाओं के बलात्कार तक करवाने के आरोप लगे। अपनी सुरक्षा के नाम पर उसने ऑफिस जाना छोड़ दिया और पुलिस के संरक्षण में बंगले से ही प्रताड़ना के फरमान जारी करता रहा। स्टीवंस पर खुद भी महिलाओं के शारीरिक शोषण के आरोप लगे। कोमिला में जुगांतर पार्टी का हर कार्यकर्ता स्टीवंस को मारने को तैयार था, लेकिन उसके बंगले के अंदर जा पाना बेहद मुश्किल था। शांति और सुनीति ने स्टीवंस को मारने की जिम्मेदारी खुद ले ली। 14 दिसंबर 1931। डीएम के बंगले के बाहर सड़क पर एक बैलगाड़ी रुकती है और उसमे से खिलखिलाती हुई शांति और सुनीति उतर कर सिक्योरिटी गार्ड तक पहुंचती हैं। कद-काठी और पहनावे से वे स्कूल की छात्राएं लग भी रही थीं। गार्ड से उन्होंने स्टीवंस से मिलने की अनुमति मांगी। कारण पूछने पर उन्होंने विनम्रता पूर्वक अंग्रेजी में लिखा एक एप्लिकेशन लेटर दिखाया। बताया कि अपने स्कूल में तैराकी प्रतियोगिता आयोजित करने की अनुमति लेने के लिए साहब से मिलना जरूरी है। पुलिस को स्कूल की लड़कियों पर कोई शक नहीं हुआ। उनकी तलाशी लिए बिना उन्हें बंगले के अंदर जाने दिया गया। स्टीवंस अपने कार्यालय में अपने सब डिविजनल अफसर नेपाल सेन के साथ बैठा हुआ था। बाहर बैठे अर्दली को इन्होंने एक पर्ची साहब तक पहुंचाने का आग्रह किया। पर्ची पढ़ कर दोनों बाहर आ गए। किसी को नहीं पता था कि शॉल के अंदर दोनों ने एक-एक रिवॉल्वर छुपा रखी थी। डीएम साहब को उन्होंने योर मैजेस्टी से संबोधित किया। एप्लिकेशन में दोनों ने नाम बदल कर साइन किया था। शायद उन्हें आशा थी कि वे गोली मारने के बाद बच के निकल जाएंगी। साहब ने तैराकी प्रतियोगिता की अनुमति दे दी। लड़कियों ने मुस्कुराते हुए आग्रह किया कि वे एप्लिकेशन पर अनुमति का नोट लिख कर साइन कर दें। साहब और सेन ऑफिस के अंदर गए और साइन करने के बाद स्टीवंस अकेले बाहर आ गया। जब वो बाहर आया तो उसने देखा कि लड़कियां एकदम गंभीर मुद्रा में हैं। उनके शॉल उतरे हुए हैं और दोनों के हाथ में रिवॉल्वर है जो उसके सीने पर तनी है। बिना पलक झपके दोनों ने एक साथ ट्रिगर दबा दिया। स्टीवंस ऑन द स्पॉट मारा गया। गोली चलने की आवाज सुनते ही पुलिस ने दोनों को घेर लिया। दोनों ने भागने की कोशिश भी नहीं की। वे पिटाई और प्रताड़ना के लिए तैयार थीं। दर्द को बर्दाश्त करने के लिए वे ट्रेनिंग के तौर पर अपनी उंगलियों में सुई चुभोया करती थीं। वे जानती थीं कि उनके साथ क्या सलूक किया जाएगा। वो किसी भी सूरत में अपनी पार्टी और संघ का नाम उगलने वाली नहीं थीं। पूरे बंगाल में दोनों के साहस की सूचना पैम्फलेट के जरिए फैलने लगी। सुनीति की मेजर की वर्दी में फोटो को लोगों ने बहुत सराहा। उस फोटो पर बांग्ला में लिखा था, ‘ध्वस्त कर देने की ज्वाला मेरे खून में दहक रही है।’ ये ज्वाला सरकार को ध्वस्त करने की थी। फाइल नंबर 223/19 तैयार की जा चुकी थी। मुस्कुराते, राष्ट्रगान गाते दोनों जेल गईं और कोर्ट रूम में 3 जजों का सामना किया। आईबी की रिपोर्ट में दर्ज है कि शांति और सुनीति हत्या करने के बाद शांत और निर्भीक थीं। कोर्ट में जब इन्हें बैठने के लिए कुर्सी नहीं दी गई, तो ये जज की तरफ पीठ करके 9 दिनों तक चली सुनवाई में खड़ी रहीं। इनका एकमात्र अफसोस ये था कि इन्हें कोर्ट ने नाबालिग होने के नाते फांसी की सजा के बदले उम्रकैद की सजा दी थी। पहली गोली सुनीति ने चलाई थी, लिहाजा उसे जेल की थर्ड क्लास कोठरी में रखा गया जहां चोर-उचक्कों को रखा जाता था। शांति को सेकेंड क्लास कोठरी में क्रांतिकारियों के साथ कैद किया गया। साल 1939 में कांग्रेस की राज्य सरकार ने राजनैतिक कैदियों को रिहा नहीं करने पर रिजाइन कर दिया। लिहाजा 7 साल की कैद के बाद देश के अन्य कैदियों के साथ दोनों को रिहा कर दिया गया। दोनों के साहस का खामियाजा दोनों के परिवार को झेलना पड़ा। दोनों के पिता की पेंशन रोक दी गई। सुनीति के दोनों भाइयों को बिना ट्रायल के जेल में रखा गया। बड़ा भाई जेल में ही था जब छोटे भाई को छोड़ दिया गया। घर की हालत बदहाल थी। छोटे भाई को कलकत्ता की गलियों में ठेला लगाने पर मजबूर होना पड़ा। कुछ दिनों में उसकी मौत हो गई। दोनों ने रिवॉल्वर छोड़ कर कलम पकड़ लिया था। शांति ने बंगाली विमेंस कॉलेज से पढ़ाई पूरी की और कम्युनिस्ट पार्टी की कार्यकर्ता बन गईं। आजादी के बाद वो कांग्रेस में आ गईं और 1952 से लेकर 1968 तक पश्चिम बंगाल की विधानसभा में चुन कर आती रहीं। सुनीति डॉक्टर बनीं। उन्हें भी विधायक बनने का प्रस्ताव था, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। वे अपना क्लिनिक चलाती रहीं और अपने लकवाग्रस्त माता-पिता की देखभाल करती रहीं। वो जीवनभर लेडी मां के नाम से जानी गईं। दोनों के जन्म में एक-एक साल का अंतर था और दोनों के स्वर्गवास में भी एक ही वर्ष का अंतर था। 1988 में सुनीति और 1989 में शांति का निधन हुआ। ---------- ये खबर भी पढ़िए... जब 3 हजार चीनी सैनिकों से भिड़ गए 120 बहादुर:एक इंच पीछे नहीं हटे, पोजिशन पर जमी लाशें मिलीं; रेजांग-ला की लड़ाई नवंबर 1962। भारत और चीन के बीच जंग जारी थी। लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानी LAC के नजदीक लद्दाख के रेजांग ला में 13 कुमाऊं बटालियन की चार्ली कंपनी तैनात थी। माइनस 30 डिग्री की तूफानी हवाओं से बचने के लिए जवानों के पास ढंग के स्वेटर और दस्ताने तक नहीं थे। पूरी खबर पढ़िए
बंगाल के शांतिनिकेतन का रहना वाला मैं राहुल सरकार न्यूड पेंटिंग यानी नग्न तस्वीरें बनाता हूं। नग्न चित्रों की दुनिया में उतरकर मैंने अपनी पहचान खोजनी शुरू की। हर पेंटिंग में खुद को एक नग्न औरत के रूप में गढ़ता हूं, उसके जिस्म पर गहने पहनाता हूं- वे गहने, जिन्हें जीते-जी पहनने की इजाजत मुझे कभी नहीं मिली। लेकिन हर चित्र में मेरा चेहरा मुड़ा हुआ होता है। नजरें दुनिया से बचती हुईं। क्योंकि सच यह है कि मैं कैनवास पर तो नंगा हो सकता हूं, दुनिया के सामने नहीं। वहां मेरी हिम्मत टूट जाती है। ये पेंटिंग्स मेरी चाह, मेरा डर, मेरी सच्चाई हैं। रंगों में मैं वही बन जाता हूं, जो जीवन में बनने से रोका गया। सामने देखना अभी मुमकिन नहीं, इसलिए हर बार मुंह फेर लेता हूं। यही मेरी कला है और यही मेरी बेबसी। इस रास्ते पर चलते हुए मेरे सामने परिवार के सवाल थे, समाज के ताने थे और आलोचनाओं की दीवारें थीं। हर मोड़ पर मुझे रोका गया, डराया गया, शर्मिंदा किया गया। फिर भी मैंने यही रास्ता चुना- और अब पीछे मुड़कर देखने का कोई इरादा नहीं है। मैं एक ऐसा मर्द हूं, जिसकी इच्छाएं, संवेदनाएं और जज्बात उस दुनिया से आते हैं, जिसे समाज सिर्फ औरतों की दुनिया कहकर सीमित कर देता है। यही मेरी सच्चाई है- और इसी सच्चाई के साथ मैं जी रहा हूं, चाहे दुनिया मेरी तरफ पीठ ही क्यों न कर ले। दरअसल, मैं उस बंगाली मिट्टी से उठा हूं, जहां हवा में आज भी रवीन्द्रनाथ टैगोर की कविताएं बहती हैं। शांतिनिकेतन की पेड़ों की छांव वाली गलियों में सांस लेनी सीखी। बाहर की दुनिया शांत और सुंदर थी- लेकिन मेरे भीतर लगातार एक युद्ध चल रहा था। जब होश संभाला, खुद को दूसरों से अलग पाया। मुझे औरतों के गहने और साड़ियां अपनी ओर खींचती थीं। शायद इसलिए कि मेरे घर में लड़कियां ज्यादा थीं, या शायद इसलिए कि मुझे लड़कों की दुनिया हमेशा फीकी और सूनी लगती थी। लड़कों के कपड़ों में मुझे कुछ भी सुंदर नहीं दिखता था- जबकि लड़कियों के कपड़े, उनके रंग और बनावट मुझे बहुत लुभावने लगते थे। मैं छोटा था। चोरी से मां के गहने निकालता और शीशे के सामने खड़ा हो जाता। वे गहने मेरे छोटे हाथों के लिए बहुत बड़े थे, ठीक से पहन भी नहीं पाता था- लेकिन उन्हें छूते ही अंदर एक अजीब-सा सुख जाग उठता। लेकिन मां देख लेतीं तो डांट पड़ती- कड़ी, डराने वाली। कहती- 'लड़के ऐसा नहीं करते। तुम क्यों नहीं समझते कि तुम लड़के हो?' फिर भी, मौका मिलते ही मां से आंख चुरा कर ऐसा ही करता। धीरे-धीरे घर में सबको पता चल गया। वे मुझ पर लानतें बरसाने लगे। इन गहनों में कमरबंध, चूड़ियां, कंगन, पायल, मांग टीका- कोई एक लिस्ट नहीं थी। जो भी औरतों से जुड़ा था, वही मुझे खींचता था। साड़ी पहनना भी उतना ही स्वाभाविक लगता था। इसी तरह मां की नजर से बचाकर उनकी साड़ी पहन लेता। कभी पकड़ा जाता तो झूठ बोल देता- 'मैं आपकी नकल कर रहा हूं।' सच यह था कि अगर बस चलता, तो मैं इन्हीं गहनों और साड़ी में खुलकर घूमता। लेकिन हर बार पकड़े जाने पर डांट इतनी तीखी होती कि डर शरीर में उतर जाता। मां की आवाज में गुस्सा नहीं, बल्कि सजा का ठोस ऐलान होता था। मैं बहुत छोटा था- इसलिए सहम जाता। उस उम्र में भी एक सवाल पीछा नहीं छोड़ता था- अगर मैं लड़का हूं, तो लड़कियों के गहने पहनना गलत क्यों है? यह सवाल आज भी मेरे भीतर गूंजता है। मैं एक दोहरी जिंदगी जी रहा था, जिसमें शरीर मर्द का था, लेकिन मन उससे मेल नहीं खाता था। सोचता था कि अगर कुदरत ने मुझे ऐसा बनाया है, तो परिवार और समाज मुझसे क्यों लड़ रहे थे- इसका जवाब कभी नहीं मिला। मां का एक ही तर्क था- 'लड़के हो, लड़कों की तरह रहो।' उस आदेश में न समझ थी, न कोई और दूसरा रास्ता। आखिरकार, मैंने डर के आगे हथियार डाल दिए। गहने उतार दिए, साड़ी पहननी छोड़ दी। खुद को छुपाना सीख लिया। जब मैंने स्कूल जाना शुरू किया, तो यह साफ होने लगा कि बाकी बच्चों से अलग हूं। फर्क इतना था कि कुछ भी छुपाए नहीं छुपता था। धीरे-धीरे दोस्त दूर होने लगे। कुछ ने साफ कह दिया- 'तुम अलग टाइप के हो, हमारी दोस्ती तुम्हारे साथ नहीं चल पाएगी।' उनका मुझसे दूर होना मुझे भीतर से तोड़ने लगा। इसके बाद मैंने खुद को सुधारने की कोशिश शुरू की। अपने साथ के लड़कों को ध्यान से देखने लगा- वे कैसे चलते हैं, कैसे बैठते हैं, कैसे बोलते हैं, हाथ कैसे हिलाते हैं। उनसे तुलना करने पर मेरा हर हाव-भाव जैसे मुझे अपराध की तरह लगता। मेरा व्यवहार ‘ज्यादा औरतों जैसा’ माना जाता था। कुछ दोस्तों ने बाकायदा मुझे सिखाया कि लड़के कैसे होते हैं- उन्होंने मेरी चाल बदली, आवाज के उतार-चढ़ाव ठीक किए, लड़कों वाले इशारे सिखाए। यह सीख नहीं थी, यह खुद से दूरी बनाने की ट्रेनिंग थी। हर दिन लगता था कि शायद मैं अपने भीतर के उस हिस्से से बाहर निकल पाऊंगा, जिसे समाज ने गलत ठहरा दिया है, लेकिन जितना उसे दबाने की कोशिश करता, उतना ही भीतर से टूटता चला जाता। खुद को संभालने में ही लगा रहा- ऐसे नहीं करना है, वैसे नहीं करना। जब लगता कि कोई व्यवहार मुझसे ज्यादा औरतों वाला हो गया, तो उसे रोकने की कोशिश करता। दरअसल, मेरी शारीरिक भाषा औरतों जैसी हो जाती, तो डर लग जाता। सोचता, लोग क्या कहेंगे। उसे बदलना या कंट्रोल करना मेरे लिए बेहद तकलीफ भरा होता। एक तरह से मैं आजाद नहीं था- खुद को वैसा जाहिर नहीं कर पा रहा था, जैसा मैं अंदर से था। उस वक्त खुद को ठीक से खोज नहीं पाया। ये खुद को बदलने की कोशिश मुझे भीतर तक तोड़ने वाली थी। हर दिन ऐसा लगता था, जैसे मैं अपने ही खिलाफ मुकदमा लड़ रहा हूं- अपने हाव-भाव, अपनी इच्छाओं, अपनी संवेदनाओं के खिलाफ। जो मैं नहीं था, वह बनने की जिद ने लगातार मुझे खोखला कर दिया। खोखलेपन का यह दर्द दिखता नहीं था, लेकिन लगातार मौजूद रहता था। इसे शब्दों में बताना मुश्किल है, क्योंकि यह किसी एक घटना का नहीं, बल्कि रोज-रोज खुद को नकारने का नतीजा था। इस तरह मैं बड़ा होता गया, हर साल अपनी ही पहचान को थोड़ा-थोड़ा दबाते हुए। बाहर से सामान्य दिखने की कोशिश करता, लेकिन भीतर घुटन बढ़ती गई। आखिरकार यही महसूस कर रहा था कि वैसा नहीं बन पा रहा जैसा मेरे दोस्त और परिवार मुझसे उम्मीद कर रहे हैं। जितनी कोशिश की, उतना साफ होता गया कि यह लड़ाई मेरी काबिलियत की नहीं, बल्कि मेरी पहचान से थी। तब मैंने एक फैसला लिया- अब से जो हूं, उसी रूप में जिऊंगा। फिर वह मोड़ आया, जब पढ़ाई के लिए घर से बाहर निकला और हॉस्टल पहुंचा। यह सिर्फ जगह बदलना नहीं था; यह पहली बार था जब लोगों की मुझ पर निगरानी टूटी। मेरी जिंदगी में आजादी आई- ऐसा महसूस हुआ जैसे लंबे समय बाद पहली बार सच में सांस ले रहा हूं। हॉस्टल में रहकर पढ़ाई पूरी करते-करते यह साफ हो गया कि अब पीछे लौटना संभव नहीं। वहीं मैंने पेंटिंग सीखी और पहली बार अपने भीतर दबे सवालों को कैनवास पर उतारना शुरू किया। जो बनना चाहता था, जैसा रहना चाहता था- उस पहचान को रंगों में उतारने लगा। यहीं से न्यूड आर्ट पेंटिंग की शुरुआत हुई। नग्न देह के साथ मैं खुद को औरतों वाले गहनों के साथ बनाने लगा, जिन्हें पहनने का हक मुझे बचपन में कभी नहीं मिला। यह सिर्फ कला नहीं थी, बल्कि खुद को दोबारा गढ़ने की प्रक्रिया थी। बचपन का डर, दमन और अधूरी इच्छाएं रंगों में बदलती गईं। मैंने अपने अरमान और दर्द- दोनों को कैनवास पर नंगा उतारना शुरू किया। न्यूड आर्ट कोई नई सनक नहीं है। यह कला अपने ही देश में हजारों सालों से मौजूद रही है। भारतीय मंदिरों की दीवारों और शिल्पों में मर्द-मर्द को सेक्स करते दिखाया गया है- आज जिसे हम ‘गे’ कहते हैं, वह कभी कला और संस्कृति का हिस्सा था, लेकिन समय के साथ यह विरासत नहीं बनी, बल्कि डर बन गई। आज वही देह, वही इच्छा, वही अभिव्यक्ति अचानक ‘अश्लीलता’ और ‘टैबू’ में बदल दी गई है। दरअसल, कला से पहले समाज ने अपनी असहजता को बचाया। देह को देखने की नजर बदली नहीं- सिर्फ उसे छिपाने की जिद बढ़ गई। मेरी पेंटिंग्स इसी टकराव से जन्म लेती हैं- एक ऐसे समाज में जो अपने इतिहास को पूजता है, लेकिन उसकी सच्चाइयों से आंख चुराता है। मेरी पेंटिंग में न्यूडिटी यानी नग्नता, उत्तेजना नहीं, एक सवाल है; यह परंपरा नहीं तोड़ती, बल्कि याद दिलाती है कि जिसे आज हव्वा बना दिया गया है, वह कभी हमारी सांस्कृति का हिस्सा था। मैं अपने काम में पेंटिंग में एंड्रोजेनस दिखाता हूं। एंड्रोजेनस का मतलब है कोई भी इंसान, जिसे विपरीत जेंडर की चीजें और व्यवहार अच्छे लगे हैं। यह कोई भी हो सकता है- महिला या पुरुष। इसमें मैं जिन गहनों को कभी पहन नहीं सका, उन्हें अपनी पेंटिंग में खुद की कल्पना करके पहनाता हूं। मेरे लिए गहनों का कोई जेंडर नहीं होता। समाज का खेल अजीब है- हम जैसे लोगों को कभी महान बना दिया जाता है- हमारे सम्मान में नारेबाजी की जाती है, तो कई बार हमें बेवजह नफरत की निगाहों से घेर लिया जाता है। मेरी एक पेंटिंग इसी कश्मकश की कहानी कहती है। इसमें एक मर्द है, औरतों के गहने पहने, ऊंचे स्टूल पर बैठा- लेकिन उस स्टूल की कोई टांग नहीं। ऊंचा दिखाई देता है, लेकिन टिकने का कोई आधार नहीं। यह उस टूटे हुए सम्मान की तरह है, जो थोड़े से लोग देते हैं- इतना ऊंचा कि बाकी दुनिया से कट जाओ, लेकिन असल में हमेशा गिरने के खतरे में रहो। मैं पूछता हूं- हमें सम्मान भी क्यों चाहिए? क्यों न हम बस सामान्य समझे जाएं? तालियां मिलेंगी, लेकिन साथ नहीं; इज्जत मिलेगी, पर नजरअंदाज भी किया जाएगा। ऊंचाई देते हैं ताकि गिरना तय हो- यह पेंटिंग वही दर्द, वही अकेलापन, वही टकराव बयां करती है। इसे देखो और सोचो, क्या यही समाज की दया है, या बस एक और तरह की सजा? आजादी का मतलब सिर्फ फ्री सेक्स नहीं है, बल्कि अपने आप को चुनने की ताकत है- जो आप हैं, वही जीने की आजादी। बचपन में मां-बाप सही-गलत सिखाते हैं, लेकिन उनकी शिक्षा जेंडर की दीवारों से ऊपर होनी चाहिए। मुझे याद है, जब मैं छत पर खड़ा होता, तो कहा जाता- ‘वहां मत जाओ, गिर जाओगे’। यह सुरक्षा की बात थी, समझ में आती थी, लेकिन जब कहा जाता- ‘फलां काम लड़कों का नहीं करते’। तब वे बातें मेरे भीतर फूट पैदा करतीं। बचपन से हमें सिखाया जाता है कि लड़के रोते नहीं। सोचिए, अगर लड़के नहीं रोते, तो दुनिया आज कुछ और होती। मैं रोया भी, पर कभी किसी के सामने नहीं। ये छोटी-छोटी बंदिशें, ये नकली नियम, धीरे-धीरे दिमाग को तोड़ते हैं। लड़के और लड़कियों में फर्क केवल बायोलॉजिकल यानी जैविक है, बाकी सब समाज ने बनाया है। और उस झूठ ने मुझे सालों तक भीतर से घेरा रखा, मेरी आवाज दबा दी। यह सिर्फ बचपन की कहानी नहीं, उस रोजमर्रा की जंग की कहानी है, जिसे मैं हर सांस में जीता रहा। आज मैं समाज के हिसाब से ‘रहने लायक’ इंसान बन गया हूं। बाहर से ठीक दिखता हूं, सभ्य हूं, लोग स्वीकार करते हैं, लेकिन भीतर- पूरी तरह अकेला हूं। मेरे पीछे टंगी यह न्यूड पेंटिंग देखिए। 'यह मैं हूं'। इसमें देह के बीचोंबीच एक बड़ा सा छेद है- क्योंकि अंदर कुछ बचा ही नहीं। सालों तक खुद को काट-छांटकर मैंने वह रूप गढ़ा, जिसे समाज देखना चाहता था। उसी प्रक्रिया में मैं खुद से खाली होता चला गया। यह खालीपन अचानक नहीं आया। धीरे-धीरे बना- हर उस बार, जब मैंने अपनी सच्ची चाह को दबाया, हर उस पल, जब ‘नॉर्मल’ दिखने के लिए खुद को चुप कराया। अब मैं हूं, लेकिन पूरा नहीं हूं। एक तरह से मैं, मैं नहीं रहा। खुश नहीं हूं। पर चलिए, कोई बात नहीं, समाज तो खुश है! अब मैं गहनों पर रिसर्च कर रहा हूं- तरह-तरह के गहनों पर, ताकि उन्हें अपनी पेंटिंग में दिखा सकूं। मैं दिखाना चाहता हूं कि देश के किस कोने में औरतें कौन-सा गहना पहनती थीं। मैं इस काम को जारी रखूंगा। समाज की मर्जी है कि वह इसे पसंद करे या न करे। उसे हक है मेरे काम को नापसंद करने का। मैं उसे समझा नहीं पाऊंगा। न्यूडिटी एक चॉइस है, जो आपके आर्ट वर्क को आगे ले जाती है। यह एक तरह फॉर्म ऑफ आर्ट यानी कला का ही एक रूप है। (राहुल सरकार ने अपने ये जज्बात भास्कर रिपोर्टर मनीषा भल्ला से साझा किए हैं।) ------------------------------ 1- संडे जज्बात-रिश्तेदार की लाश लेकर आया, मेरे गाल छूने लगा:लाशें जलाने के कारण शादी नहीं हुई- पति के बिना जी लूंगी, लाशों के बिना नहीं मैं टुम्पा दास- पश्चिम बंगाल में डोम समुदाय की पहली महिला हूं, जो पिछले कई सालों से कोलकाता के बड़िपुर गांव के श्मशान में लाशें जला रही हूं। पता नहीं भारत में कोई और महिला यह काम करती है या नहीं, पर मैंने यही रास्ता चुना… और यह रास्ता आसान नहीं था। पूरी स्टोरी यहां पढ़ें 2-संडे जज्बात-मैं मुर्दा बनकर अर्थी पर भीतर-ही-भीतर मुस्कुरा रहा था:लोग ‘राम नाम सत्य है’ बोले तो सोचा- सत्य तो मैं ही हूं, थोड़ी देर में उठकर साबित करूंगा मेरा नाम मोहनलाल है। बिहार के गयाजी के गांव पोची का रहने वाला हूं। विश्व में शायद अकेला ऐसा इंसान हूं, जिसने जिंदा रहते अपनी शव यात्रा देखी। यह बात चंद करीबी लोगों को ही पता थी। मरने का यह सारा नाटक किसी खास वजह से किया गया था। पूरी स्टोरी यहां पढ़ें
पाकिस्तानी डॉन शहजाद भट्टी अपने गैंगस्टर टेरर मॉड्यूल के जरिए भारत के खिलाफ खतरनाक साजिश रच रहा है। ये वही शहजाद है, जो कभी गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का सबसे करीबी दोस्त था। पहलगाम हमले के बाद लॉरेंस ने हाफिज सईद को जान से मारने की धमकी दी। इसके बाद से शहजाद भट्टी लॉरेंस बिश्नोई और उसकी गैंग का दुश्मन बन गया। अभी नवंबर में शहजाद ने लॉरेंस के भाई अनमोल को जान से मारने की धमकी दी। उसने कहा, ‘बुलेटप्रूफ गाड़ी भी नहीं बचा पाएगी, वो जो चाहे कर ले।’ सोर्स बताते हैं कि शहजाद अब ISI के इशारे पर डिएक्टिवेट हो चुके स्लीपर सेल को एक्टिव करने में जुट गया है। लॉरेंस गैंग के साथ काम करके शहजाद उसी के तरीके इस्तेमाल कर गैंगस्टर-टेटर मॉड्यूल ऑपरेट कर रहा है। वो पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के इशारे पर भारतीय युवाओं को टारगेट कर रहा है। उसके निशाने पर कम पढ़े-लिखे और गरीब तबके के लोग हैं। ये खुलासा 30 नवंबर को पकड़े गए शहजाद भट्टी के तीन गुर्गों और इसके नेटवर्क की जांच में हुआ है। अब इंटेलिजेंस ब्यूरो भी स्लीपर सेल को एक्टिव करने वाले एंगल से शहजाद भट्टी की जांच में जुटी है। शहजाद का ये मॉड्यूल कैसे काम कर रहा है? वो कैसे सोशल मीडिया पर लॉरेंस बिश्नोई की तर्ज पर वीडियो और हथियार डालकर यूथ को टारगेट कर रहा है। दैनिक भास्कर ने इसकी पड़ताल की। सोशल मीडिया पर कोडवर्ड 333 से कई अकाउंट, वीडियो कॉल पर फॉलोअर्स से बातशहजाद भट्टी सोशल मीडिया के जरिए यूथ को टारगेट कर रहा है। इसका खुलासा उसके 3 गुर्गों ने किया है, जिन्हें दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने पिछले महीने अरेस्ट किया था। ये तीनों इंस्टाग्राम के जरिए शहजाद भट्टी के संपर्क में आए थे। शहजाद के इंस्टाग्राम अकाउंट पर ज्यादातर फॉलोअर्स भारत के युवा हैं। पड़ताल के दौरान हमें शहजाद भट्टी के नाम से कई इंस्टाग्राम अकाउंट मिले। उसके कुछ अकाउंट एक्टिव हैं, लेकिन हाल में उसने कई अकाउंट बंद कर दिए हैं। कई अकाउंट पर वो अलग-अलग नाम से है। सोशल मीडिया पर ज्यादातर अकाउंट 333 कोडवर्ड से हैं। शहजाद अक्टूबर 2025 से एक्टिव एक अकाउंट पर लगातार युवाओं को गैंगस्टर टेरर मॉड्यूल में शामिल करने के लिए पोस्ट कर रहा है। युवाओं के लिए उसने 'ट्यूशन बदमाशी का' जैसे गानों पर रील बनाकर पोस्ट की है। इसी अकाउंट से उसने लॉरेंस बिश्नोई और अनमोल बिश्नोई को धमकी देने वाला वीडियो भी पोस्ट किया था। इसके बाद ही 27 अक्टूबर को अनमोल ने वकील के जरिए कोर्ट में एप्लिकेशन लगाई। उसने दावा किया था कि पाकिस्तानी गैंगस्टर शहजाद भट्टी से उसे जान का खतरा है। हथियार और महंगी गाड़ियां दिखाकर युवाओं को फंसा रहाशहजाद भट्टी ने खुद को UAE का रील क्रिएटर बताकर इंस्टाग्राम प्रोफाइल बना रखा है। इसमें दुबई के नंबर वाली लग्जरी गाड़ियों में रील बनाते हुए वीडियो पोस्ट किए हैं। इसके साथ ही हथियारों के भी वीडियोज पोस्ट किए हैं। टिकटॉक पर भी वो वीडियो पोस्ट करता है। हमें कई ऐसे वीडियो भी मिले हैं, जिनमें शहजाद वीडियो कॉल पर बात करता दिख रहा है। वो खासकर यूथ को हथियार दिखाकर नेटवर्क का हिस्सा बनाने के लिए जाल फेंक रहा है। युवा इसके अलग-अलग सोशल मीडिया प्रोफाइल पर मैसेज कर संपर्क कर रहे हैं। अब जानिए दिल्ली पुलिस के सोर्स क्या कह रहे…शहजाद और उसका गैंग लोगों को कैसे टारगेट करता है, इसे समझने के लिए हमने दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल में अपने सोर्स और इंटेलिजेंस ब्यूरो के अफसरों से बात की। हमने शहजाद की भारत के यूथ को टारगेट करने की मोड्स ऑपरेंडी समझी। हमें दो मुख्य टारगेट समझ आए। पहला टारगेटगरीब, कम पढ़े-लिखे नौजवान, छोटे धमाकों से स्लीपर सेल एक्टिव करना मकसदशहजाद भट्टी भारत में गरीब और कम पढ़े-लिखे हर धर्म के युवाओं को टारगेट कर रहा है, जो क्राइम नेटवर्क से जुड़ने की इच्छा दिखाते हैं। उन्हें 4-5 हजार रुपए और हथियार देकर कहीं भी हैंड ग्रेनेड फिंकवाया जा सके। शहजाद भट्टी इन युवाओं का इस्तेमाल सिर्फ एक या दो बार ही करता है। पुलिस सोर्स इसका मकसद बताते हैं, ‘शहजाद भट्टी की टेरर मॉड्यूल में मौजूदगी और खौफ की चर्चा हो। इसके बाद भारत में ISI के कई साल पुराने डिएक्टिवेट हो चुके स्लीपर सेल भी संपर्क में आएं, जिन्हें आने वाले दिनों में बड़े टारगेट के लिए एक्टिव किया जा सके। दूसरा टारगेटलॉरेंस-अनमोल बिश्नोई को चैलेंज कर नया गैंगस्टर-टेरर मॉड्यूल खड़ा करनासोर्स बताते हैं कि लॉरेंस से अलग होने के बाद शहजाद भट्टी भारत में नेटवर्क खड़ा करना चाहता है। इसकी एक वजह ये भी है कि ISI अब बांग्लादेशियों को नेटवर्क बढ़ाने के लिए इस्तेमाल नहीं करना चाहती क्योंकि भारत में घुसपैठियों और बांग्लादेशियों के खिलाफ लगातार अभियान चल रहे हैं। लिहाजा ISI भी शहजाद भट्टी के जरिए भारत के यूथ का इस्तेमाल करना चाहती है। पाकिस्तान ने भारतीय सीमा में हथियारों और ड्रग्स की सप्लाई कराने के लिए पहले शहजाद भट्टी के जरिए लॉरेंस गैंग का इस्तेमाल किया। अब दोनों के अलग होने के बाद शहजाद सोशल मीडिया के जरिए खुद ये नेटवर्क चला रहा है। उसने क्रिमिनल बैकग्राउंड वाले यूथ को जोड़ने के लिए आसान तरीका तलाशा है। वो लॉरेंस और उसके भाई अनमोल को सीधे धमकी देता है ताकि चर्चा में रहे। दूसरी बात ऐसे यूथ को लॉरेंस गैंग का विकल्प भी मिल रहा है। इसलिए शहजाद भट्टी लगातार सोशल मीडिया पर भड़काऊ वीडियो पोस्ट कर रहा है। 17 से 25 साल का यूथ शहजाद भट्टी के टारगेट पर दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने 30 नवंबर को शहजाद भट्टी के लिए भारत में एक्टिव तीन गुर्गों को अरेस्ट किया। इन तीनों की उम्र 19 से 23 साल के बीच है। तीनों अलग-अलग राज्य से थे। तीनों के धर्म भी अलग-अलग हैं, लेकिन इनमें दो बातें कॉमन रहीं। पहली: इनकी गरीबी और कम पढ़ा-लिखा होना। इनमें से एक मजदूर है।दूसरी: तीनों सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम के जरिए शहजाद के संपर्क में आए। ऐसे टारगेट को शहजाद सिर्फ डिस्पोजेबल फुट सोल्जर्स की तरह इस्तेमाल करता है। यानी इन्हें एक बार इस्तेमाल करके छोड़ देता है। इसलिए ऐसे लोगों की तलाश करता है, जिन्हें तुरंत पैसे की जरूरत होती है। अमृतसर में जासूसी कराई, गुरदासपुर पुलिस स्टेशन के बाहर ग्रेनेड अटैक करायास्पेशल सेल के एडिशनल पुलिस कमिश्नर प्रमोद कुशवाहा ने बताया कि विकास प्रजापति मध्य प्रदेश के दतिया जिले की एक अनाज मंडी में पहले मजदूरी करता था। इसे दिहाड़ी पर पैसे मिलते थे। वो कम समय में ज्यादा पैसे कमाने के लालच में गैंगस्टर बनना चाहता था। उसने पहले लॉरेंस गैंग से भी संपर्क किया, लेकिन बात नहीं बनी। इसके बाद उसने शहजाद भट्टी से इंस्टाग्राम के जरिए कॉन्टैक्ट किया। फिर वो शहजाद भट्टी से टेलीग्राम और दूसरे सोशल नेटवर्किंग एप पर चैट करने लगा। शहजाद ने उसे जल्दी पैसे कमाने का लालच देकर हथियारों की सप्लाई और अटैक करने के लिए तैयार कर लिया। इसके लिए महज 4 से 5 हजार रुपए में बात तय हुई। उसे बताया गया कि गुरदासपुर में एक पार्सल मिलेगा। वहां एक पुराने नेटवर्क से विकास को पार्सल मिला, जिसमें ग्रेनेड था। इसके बाद शहजाद भट्टी ने उसे खुद वीडियो कॉल पर ग्रेनेड को एक्टिवेट करने का तरीका समझाया। फिर उसे करीब 5 हजार रुपए भी दिए गए। उससे गुरदासपुर और टाउन हॉल पुलिस थाने के साथ अमृतसर में जासूसी कराई गई। इसके बाद दूसरे गुर्गे हरगुनप्रीत सिंह और उसके साथी को हैंड ग्रेनेड देकर गुरदासपुर पुलिस स्टेशन के बाहर फेंकने की जानकारी दी। हरगुनप्रीत 12वीं तक पढ़ा है। वो भी सोशल मीडिया के जरिए ही शहजाद के संपर्क में आया था। उसी ने 25 नवंबर को गुरदासपुर पुलिस स्टेशन के बाहर ग्रेनेड फेंका था। एडिशनल पुलिस कमिश्नर के मुताबिक, यूपी के बिजनौर का रहने वाला आसिफ करीब ढाई महीने पहले ही इंस्टाग्राम के जरिए शहजाद भट्टी के संपर्क में आया था। शहजाद ने विकास प्रजापति से उसका कॉन्टैक्ट कराया। उसे कुछ और बड़ी जिम्मेदारी देने की तैयारी थी, लेकिन उससे पहले ही पुलिस ने दबोच लिया। कौन है खुद को पाकिस्तान का सिपाही बताने वाला शहजादशहजाद भट्टी खुद को पाकिस्तान का सिपाही बताता है। वो ISI के इशारे पर भारत विरोधी एक्टिविटी करता है। पहले लॉरेंस के लिए काम करता था। फिर गैंगस्टर फारूक खोखर से जुड़ा। लॉरेंस से दुश्मनी के बाद ISI के संपर्क में आया। ISI के इशारे पर शहजाद भारत में हथियारों की तस्करी कराने लगा। 2022-23 में ये ज्यादा एक्टिव हुआ और फिलहाल दुबई में है। वो ड्रोन के जरिए पाकिस्तान से भारत की सीमा में अवैध हथियार, हैंड ग्रेनेड से लेकर ड्रग्स की सप्लाई में शामिल है। उसका भारत के अलावा अमेरिका और कनाडा में भी नेटवर्क है। पिछले साल ही इसने वीडियो कॉल पर लॉरेंस को ईद की बधाई दी थी। 2022 में पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या में इस्तेमाल हथियारों की सप्लाई करने का आरोप शहजाद भट्टी पर ही है। मुंबई में बाबा सिद्दीकी हत्याकांड की साजिश में शामिल जीशान अख्तर को भारत से भागने में शहजाद भट्टी ने मदद की। उसे अजरबैजान पहुंचाकर सेटल कराया। पिछले ही महीने इसने अनमोल बिश्नोई को धमकी दी थी और कहा, 'बुलेटप्रूफ गाड़ी भी नहीं बचा पाएगी, वो जो चाहे कर सकता है।' इस धमकी को सुरक्षा एजेंसियों ने गंभीरता से लिया। NIA अब अनमोल बिश्नोई को पटियाला कोर्ट नहीं ले जा रही है। कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही कोर्ट में उसकी सुनवाई करा रही है। अनमोल बिश्नोई के गैंगस्टर-टेरर नेटवर्क में सफेदपोशों के शामिल होने का शकअनमोल बिश्नोई को अमेरिका से भारत लाया गया। यहां वो NIA की कस्टडी में है। उसकी मर्डर और रंगदारी वसूलने वाले केसों में जांच हो रही है। खासकर फंडिंग और गैंगस्टर-टेरर मॉड्यूल की जांच हो रही है। इनमें मुंबई में बाबा सिद्दीकी मर्डर केस, सिद्धू मूसेवाला मर्डर केस और सलमान खान के घर फायरिंग कराने की घटना की भी जांच शामिल है। अनमोल पर 22 से ज्यादा केस हैं। वो 2022 में ही भारत से फर्जी पासपोर्ट के जरिए विदेश भाग गया था। तभी से NIA ने उसे वांटेड घोषित कर रखा था। इसके बाद 19 नवंबर 2025 में अमेरिका से डिपोर्ट कर भारत भेज दिया गया। तब से लेकर अब तक की जांच में NIA को हवाला के जरिए अमेरिका, कनाडा, थाईलैंड और भारत के बीच गैंगस्टर-टेरर फंडिंग के नेटवर्क के बारे में कई अहम जानकारी मिली है। इसी के जरिए इनके नेटवर्क से जुड़े ऐसे लोगों की पहचान हो रही है, जो सफेदपोश हैं। इन सफेदपोशों से जुड़ी सीक्रेट जानकारी भी जांच एजेंसियां जुटा रही हैं। आने वाले दिनों में दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच, पंजाब पुलिस और फिर मुंबई पुलिस भी अनमोल बिश्नोई को रिमांड पर लेकर पूछताछ कर सकती हैं।...................... ये खबर भी पढ़ें... अभिजीत कातिल नहीं तो मॉडल दिव्या पाहूजा को किसने मारा 2 जनवरी 2024, शाम करीब 6 बजे का वक्त था। गुरुग्राम के एक होटल में 27 साल की मॉडल दिव्या पाहूजा की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। शुरुआती जांच में घटना सिटी पॉइंट होटल के कमरा नंबर-111 में होने का दावा किया गया। हत्या का आरोप बिजनेसमैन अभिजीत पर लगा। अब इस वारदात के करीब 2 साल पूरे होने वाले हैं। मॉडल की बहन नैना पाहूजा और मां सोनिया पाहूजा अब अभिजीत पर हत्या के आरोप से पलट गई हैं। पढ़िए पूरी खबर...
बांग्लादेश: हादी गोलीकांड के बाद यूनुस सरकार ने शुरू किया 'ऑपरेशन डेविल हंट फेज-2'
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने 'ऑपरेशन डेविल हंट फेज-2' शुरू करने का ऐलान किया है
Dubai Living Cost: दुबई में बस जाने का है सपना? जानिए वहां रहने के लिए हर महीने कितनी सैलरी चाहिए
Living Cost per month in Dubai: क्या आप भी चकाचौंध भरे दुबई में बसना चाहते हैं. अगर हां तो पहले वहां रहने की लागत यानी लिविंग कोस्ट जान लें. इसके बाद वहां बसने का प्लान बनाना ठीक रहेगा.
Donald Trump on Europe: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप यूरोप के 'टुकड़े-टुकड़े' करने का प्लान बना रहे हैं. जो यूरोप अब तक अमेरिका की आंख का टुकड़ा हुआ करता था, अब वो यूएस से दूर क्यों हो रहा है.
DNA: भारत के नाम पर अमेरिका में ट्रंप के खिलाफ 20 राज्यों ने बनाया गठबंधन
DNA: पाकिस्तान में शहबाज शरीफ के खिलाफ मोर्चा खुला हुआ है, तो अमेरिका में डॉनल्ड ट्रंप के विरुद्ध. प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उन्होंने भारत के विरुद्ध जो 'शुल्क-युद्ध' शुरू किया था, उसपर वो घिर गए हैं. ट्रंप की मनमानी के खिलाफ कई राज्य एक साथ खड़े हो गए हैं.
UK News: पाकिस्तान के सैकड़ों लोग ऑन कैमरा कह चुके हैं कि वीजा होने के बावजूद अमेरिकी एयरपोर्ट्स पर पुलिस कपड़े उतारकर तलाशी लेती है तब एंट्री मिलती है. अब ब्रिटिश मुस्लिम्स को लेकर ये बड़ी खबर सामने आ रही है.
चुनावी हिंसा की आग में धधक रहा बांग्लादेश, बदमाशों ने EC के दफ्तर में लगाई आग
यूएनबी के अनुसार, शनिवार को लक्ष्मीपुर शहर में स्थित जिला चुनाव ऑफिस में बदमाशों ने आग लगा दी. जिला चुनाव अधिकारी मोहम्मद अब्दुर रशीद ने बताया कि बदमाशों ने सुबह करीब 3:30 बजे ऑफिस की खिड़कियों से पेट्रोल डालकर आग लगा दी और वहां से भाग गए.
श्यामन: यूनेस्को अमूर्त सांस्कृतिक विरासत संरक्षण अंतरसरकारी समिति का 21वां सत्र आयोजित
भारत की राजधानी नई दिल्ली में आयोजित संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत संरक्षण अंतरसरकारी समिति के 20वें सत्र ने 12 दिसंबर को यह निर्णय लिया कि समिति का 21वां सत्र 30 नवंबर से 5 दिसंबर 2026 तक, दक्षिणी चीन के फूच्येन प्रांत के श्यामन शहर में आयोजित किया जाएगा
53 हजार करोड़ की नेट वर्थ... भारतीय अरबपति ने दुबई की बस में किया सफर, ड्राइवर से पूछा गजब सवाल
भारतीय अरबपति बिजनेसमैन की इस शालीनता को देखकर सोशल मीडिया यूजर्स उनपर जमकर प्यार लुटा रहे हैं. वहीं कुछ सोशल मीडिया यूजर उन्हें दुनिया का सबसे विनम्र व्यक्ति बता रहे हैं. एक अन्य सोशल मीडिया यूजर ने इस वीडियो पर कमेंट में लिखा कि युसुफ अली की सादगी उन्होंने खुद देखी है.
Elon Musk X Post: एलन मस्क की ये एक्स पोस्ट थोड़ी ही देर में वायरल हो गई और एक्स यूजर्स के बीच तीखी बहस का केंद्र भी बन गई. इस पोस्ट पर अपने-अपने विचार साझा करते हुए कुछ यूजर्स ने मस्क की तीखी आलोचना की तो कुछ यूजर्स ने मस्क के विचारों का समर्थन भी किया है.
हिंद महासागर में चाल नहीं चल पाएगा चीन! इस धाकड़ IPS अफसर को भारत ने बनाया मॉरीशस का नया NSA
New NSA of Mauritius: हिंद महासागर में अपना फुटप्रिंट बढ़ाने की कोशिश कर रहे विस्तारवादी चीन को भारत ने मौन शब्दों में तीखा संदेश दिया है. भारत ने धाकड़ रहे अपने एक पूर्व IPS अफसर को मॉरीशस का नया NSA नियुक्ति किया है.
Social Media Ban: ऑस्ट्रेलिया के बाद अब एक और देश से सोशल मीडिया बैन को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है! एक और देश कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया के नेगेटिव इम्पैक्ट से बचाने के लिए सख्त कदम उठाने की तैयारी में है. सरकार की योजना के तहत 15 साल से कम उम्र के बच्चों की सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की यूज करने की इजाजत नहीं होगी.
राजनीति उथल-पुथल में गए जेल, साल 2008 में छोड़ा देश, अब चुनावी समर में बांग्लादेश लौटेगा ये नेता
Bangladesh News: बांग्लादेश में सियासी पारा काफी ज्यादा हाई हो गया है. सियासी तकरार के बीच अब बांग्लादेश की पूर्व पीएम खालिदा जिया के बेटे वतन वापसी करने जा रहे हैं. साल 2008 में तारिक रहमान ब्रिटेन चले गए थे.
IMF Loan Pakistan News: इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) ने पाकिस्तान को 7 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज के साथ 11 नई शर्तें रखी हैं. इसके साथ ही अगले 18 महीनों में लागू कुल शर्तों की संख्या 64 हो गई है.
Donald Trump: दुनियाभर में एच-1बी वीजा फीस को लेकर चर्चा छिड़ी है. अमेरिका के कई राज्यों में भी इस फीस को लेकर लोग परेशान हैं. ऐसे में कई राज्यों ने ट्रंप पर मुकदमा किया है.
ट्रंप टैरिफ का बड़ा असर: अमेरिका का व्यापार घाटा 5 साल के निचले स्तर पर
अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा कई देशों पर लगाए टैरिफ के बाद वैश्विक बाजार में ये कयास लगाए जा रहे थे कि ट्रंप की इस नीति से अमेरिकी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचेगा
China Pacific Airfield: चीन की मदद से माइक्रोनेशिया के वोलाई द्वीप पर द्वितीय विश्व युद्ध का एक पुराना रनवे लगभग बनकर तैयार है , प्रशांत महासागर में चाइना के बढ़ते हुए निवेश से अमेरिकी रक्षा विभाग परेशानी में दिख रहा है.
शहबाज का वायरल वीडियो डिलीट! ट्रंप के बाद अब पाकिस्तान को पुतिन के करीब लाने वाला वो चौधरी कौन है?
एक समय पुतिन के सामने शहबाज शरीफ लड़खड़ा जाते थे, कान में ईयरफोन नहीं फंसता था लेकिन अब उन्होंने खंबे के बगल में पुतिन से हाथ मिलाकर जो गर्मजोशी दिखाई है पाकिस्तान में काफी चर्चा है. भारत भी उस तस्वीर को देख रहा है जिसमें पुतिन और शहबाज शरीफ बैठकर बात कर रहे हैं. पाकिस्तान और रूस को करीब लाने में तीसरे शख्स का बहुत बड़ा रोल है.
अमेरिका में भारत पर लगे 50% टैरिफ पर बवाल- ट्रंप के फैसले को हटाने की मांग तेज
अमेरिका की राजनीति में भारत से जुड़े ट्रेड फैसले को लेकर एक बार फिर हलचल बढ़ गई है। तीन अमेरिकी सांसदों ने मिलकर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत से आयातित सामान पर लगाए गए 50% टैरिफ को समाप्त करने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया है
53 साल उम्र, 36 बरस की कैद, 13 बार जेल और 154 कोड़े... नरगिस पर ईरान में क्यों हो रहा अत्याचार?
Narges Mohammadi: नोबेल शांति पुरस्कार विजेता नरगिस मोहम्मदी को फिर से गिरफ्तार किए जाने का दावा किया गया है. इस्लामिक रिपब्लिक में ह्यूमन राइट्स के लिए 2 दशक की लड़ाई लड़ने वालीं नरगिस को बार-बार क्यों गिरफ्तार किया जा रहा है? ईरान उनसे क्यों चिढ़ा हुआ है? आइए जानते हैं.
टैरिफ की लड़ाई में बड़ा पलटवार: अमेरिकी 'सदन' ने ट्रंप के 50% भारत टैरिफ को ‘अवैध’ कह दिया!
Trump Tariffs: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया है. जिसके बाद से ही इस टैरिफ को लेकर लगातार चर्चा हो रही है. अब US हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स के तीन सदस्यों ने भारत पर ट्रंप के 50% टैरिफ खत्म करने के लिए प्रस्ताव पेश किया है.
गाजियाबाद के रहने वाले अशोक राणा और निर्मला राणा बेटे हरीश के लिए सुप्रीम कोर्ट से इच्छामृत्यु मांग रहे हैं। 11 दिसंबर को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली एम्स को रिपोर्ट बनाने को कहा। अब अगली सुनवाई 18 दिसंबर को होनी है। इससे पहले भी हरीश के माता-पिता दिल्ली हाईकोर्ट और सु्प्रीम कोर्ट में ऐसी अर्जी लगा चुके हैं, लेकिन तब इसे खारिज कर दिया गया था। आखिर एक नौजवान के माता-पिता अपने ही बेटे की इच्छामृत्यु क्यों चाहते है, भारत में इसपर क्या कानून है और इससे पहले किन्हें इच्छामृत्यु मिल चुकी है; जानेंगे भास्कर एक्सप्लेनर में…. सवाल-1: हरीश राणा केस क्या है, जिसपर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है? जवाबः दिल्ली में जन्मे हरीश राणा चंडीगढ़ की पंजाब यूर्निवर्सिटी से बीटेक की पढ़ाई कर रहे थे। 2013 में वह हॉस्टल की चौथी मंजिल से गिर गए। इसकी वजह से उनके पूरे शरीर में लकवा लग गया और वह कोमा में चले गए। हरीश अब ना कुछ बोल सकते हैं और ना ही कुछ महसूस कर सकते हैं। उनके 63 साल के पिता अशोक राणा और 60 साल की मां निर्मला राणा उनकी देखभाल करते हैं। बीबीसी से बात करते हुए अशोक राणा ने बताया था कि उन्हें उम्मीद थी कि एक दिन उनका बेटा ठीक हो जाएगा, लेकिन 12 साल बाद भी उनका बेटा बिस्तर पर हिल तक नहीं सकता। अब उन्होंने अपने बेटे के ठीक होने की उम्मीद खो दी है। अशोक राणा कहते हैं कि डॉक्टर ने उन्हें बताया है कि बेटे के दिमाग की नसें पूरी तरह सूख गई हैं। उसके इलाज के लिए उन्हें दिल्ली के द्वारका में अपना घर बेचना पड़ा। अब वो गाजियाबाद के दो कमरे के एक फ्लैट में रहते हैं। अशोक राणा ताज कैटरिंग में नौकरी करते थे। वहां से रिटायर होने के बाद अब उन्हें हर महीने 3600 रुपए पेंशन मिलती है। शनिवार और रविवार को गाजियाबाद के एक क्रिकेट ग्राउंड में सैंडविच और बर्गर बेचते हैं ताकि किसी तरह घर का खर्च और बेटे का इलाज हो सके। वह कहते हैं कि अब उनके पास बेटे के इलाज के लिए पैसे नहीं है इसलिए वे कोर्ट से इच्छामृत्यु मांग रहे हैं। हरीश की मां निर्मला राणा का भी यही कहना है कि वे उसके ठीक होने की उम्मीद खो चुकी हैं। उनके बाद बेटे को देखने वाला कोई नहीं है। हरीश के एक महीने का मेडिकल खर्च कम से कम 25-30 हजार रुपए है। निर्मला कहती हैं कि उनके बेटे के साथ जो हो रहा है भगवान न करें किसी और के साथ हो। डॉक्टर्स ने हरीश को क्वाड्रिप्लेजिया बीमारी से पीड़ित करार दिया। इसमें मरीज पूरी तरह से फीडिंग ट्यूब यानी खाने-पीने की नली और वेंटिलेटर सपोर्ट पर निर्भर रहता है। इसमें रिकवरी की कोई गुंजाइश नहीं होती। माता-पिता हरीश की इच्छामृत्यु चाहते है, क्योंकि सवाल-2: भारत के संविधान में इच्छामृत्यु का क्या कानून है? जवाब: हां, संविधान में इच्छामृत्यु को लेकर कानून है। दरअसल, 2005 में कॉमन कॉज नाम की एक NGO ने पैसिव यूथेनेशिया यानी निष्क्रिय इच्छामृत्यु के अधिकार की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस पर 9 मार्च 2018 को CJI दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली 5 जजों की बेंच ने इच्छामृत्यु को कानूनी मान्यता दी। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, ‘अगर किसी मरीज को लाइलाज बीमारी हो या वेजिटेटिव स्टेट में यानी लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर ही जिंदा हो, तो प्राकृतिक तरीके से मृत्यु के लिए उसका इलाज बंद किया जा सकता है। इसे इच्छामृत्यु नहीं, बल्कि सम्मान के साथ मृत्यु का अधिकार माना जाएगा।’ यह अधिकार संविधान के आर्टिकल 21 का हिस्सा है, जिसमें सम्मान से जीने के साथ सम्मान से मरने का अधिकार है। सवाल-3: इच्छामृत्यु को लेकर क्या नियम है? जवाब: 2018 में पैसिव यूथनेशिया को वैधता देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए 2 तरह के नियम बनाए… 1. जब मरीज ने पहले ही ‘लिविंग विल’ लिख रखी हो ये कंडीशन तब लागू होती है, जब मरीज ने मेंटली फिट रहते हुए अपनी इच्छा से लिविंग विल लिखी हो। इस लिविंग विल में साफ तौर पर लिखा जाता है कि मरीज की बीमारी अगर लाइलाज हो जाए यानी अगर वह अब कभी ठीक होने लायक न बचे तो उसे लाइफ सपोर्ट सिस्टम से हटा दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए भी कुछ नियम बनाए हैं… इस पूरी प्रक्रिया के बारे में परिवार को जानकारी दी जाती है। किसी भी तरह के विवाद की स्थिति में हाईकोर्ट में अपील की जा सकती है। 2. जब कोई लिविंग विल न हो जब मरीज अपने होश में रहते हुए लिविंग विल नहीं बनाता तो उसका परिवार या करीबी ये फैसला ले सकते हैं। हालांकि, ये इतना आसान नहीं है। इसके लिए 2018 में सुप्रीम कोर्ट के बनाए गए इन नियमों का पालन करना होता है… अगर इसमें किसी तरह की विवाद की स्थिति होती है, तो हाइकोर्ट में अपील की जा सकती है। सवाल-4: पैसिव यूथेनेशिया क्या होती है और यह एक्टिव यूथेनेशिया से कैसे अलग है? जवाब: इच्छामृत्यु के 2 तरीके होते हैं… सवाल-5: कैसे तय होता है कि मरीज पैसिव यूथेनेशिया के लायक है? जवाब: भारत में किसी मरीज को पैसिव यूथेनेशिया देने का फैसला एक तय कानूनी और मेडिकल प्रक्रिया के तहत ही लिया जाता है। यह केवल उन मरीजों पर लागू होता है, जो सवाल-6: क्या इससे पहले ऐसा किसी मामले में हुआ है? जवाब: नहीं, हरीश राणा का मामला भारत में पैसिव यूथेनेशिया का ऐसा पहला मामला है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के बनाए नियम फॉलो हो रहे हैं। दरअसल, 2018 के कॉमन कॉज फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने नियम बनाए थे, जो अब तक किसी मामले पर लागू नहीं हुए हैं। लेकिन हरीश का केस पहला मामला है, जिसमें इन्हें लागू किया जा रहा है। 11 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली AIIMS को आदेश दिया है कि वो एक दूसरी मेडिकल बोर्ड बनाए जो हरीश राणा की कंडीशन की चांज करे। इस केस में प्राइमरी और सेकेंडरी मेडिकल बोर्ड की प्रक्रिया कोर्ट की निगरानी में चल रही है। हालांकि, 2011 के अरुणा शानबाग केस ने पैसिव यूथेनेशिया को पहली बार लीगल बनाया, जो 2018 के कॉमन कॉज केस का आधार बना। अरुणा शानबाग केस: 1973 में मुंबई के KEM अस्पताल में 42 साल की नर्स अरुणा शानबाग पर एक वार्ड अटेंडेंट ने हमला किया और फिर रेप किया। हमले में लगी गंभीर दिमागी चोटों की वजह से अरूणा कोमा में चली गईं। उनकी गंभीर हालत को देखते हुए साल 2009 में एक पत्रकार पिंकी विरानी ने अरुणा की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की। याचिका में अरुणा की लाइफ सपोर्ट मशीनें हटाने की मांग की गई, ताकि उनकी प्राकृतिक रूप से मृत्यु हो सके। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने इच्छामृत्यु को कानूनी अधिकार बताया था, लेकिन अरुणा को इच्छामृत्यु की अनुमति नहीं दी। क्योंकि वह तब कुछ हद तक बिना मशीनों के सांस ले रही थीं। इसके बाद 2015 में अरुणा शानबाग की प्राकृतिक रूप से मृत्यु हो गई। सवाल-7: अन्य देशों में इसे लेकर क्या कानून है?जवाब: अलग-अलग देशों में इच्छामृत्यु को लेकर अलग-अलग कानून हैं… अमेरिका: सभी 50 राज्यों में एक्टिव यूथेनेशिया अवैध है। जबकि वाशिंगटन डीसी, कैलिफोर्निया, कोलोराडो जैसे 12 राज्यों में कोर्ट के फैसले के आधार पर ‘मेडिकल एड इन डाइंग’ यानी सहायता प्राप्त आत्महत्या वैध है। रूस: एक्टिव और पैसिव दोनों तरह के यूथेनेशिया अवैध हैं। फेडरल लॉ नंबर 323 के आर्टिकल 45 के तहत ये रोक है। अगर डॉक्टर यूथेनेशिया करते हैं तो उन्हें सजा भी हो सकती है। पाकिस्तान: यूथेनेशिया पूरी तरह से अवैध है। इसमें मदद करने या बढ़ावा देने पर 14 साल तक की सजा मिल सकती है। चीन: एक्टिव यूथेनेशिया को हत्या जैसा माना जाता है। 2022 में शेन्जेन शहर में एक केस में ये अधिकार मिला, जिसमें अगर कोई मरीज बहुत गंभीर बीमारी में है और डॉक्टर उसका जीवन बचाने के लिए बहुत ज्यादा दवाइयां या मशीनों का सहारा ले रहे हैं, लेकिन सिर्फ दर्द बढ़े तो मरीज या उसका परिवार ऐसा गैर-जरूरी रोक सकता है। इसे मौत देना नहीं बल्कि इलाज रोकना माना जाएगा। मिडिल ईस्ट: सऊदी अरब में एक्टिव यूथेनेशिया अवैध और पैसिव यूथेनेशिया कई शर्तों पर निर्भर करता है। इस्लामी कानून के तहत एक्टिव यूथेनेशिया हत्या माना जाता है। इसीलिए ईरान, तुर्की, जॉर्डन, मिस्त्र, लेबनान, ईराक जैसे मिडिल ईस्ट देशों में यूथेनेशिया पूरी तरह से अवैध है। वहीं इजराइल और यूएई में एक्टिव यूथेनेशिया अवैध तो पैसिव यूथेनेशिया अदालत के फैसलों पर निर्भर करता है। --------- ये खबर भी पढ़ें-आज का एक्सप्लेनर: मंदिर के पक्ष में फैसला देने वाले जज पर महाभियोग की तैयारी; 107 विपक्षी सांसदों ने दिया नोटिस; क्या है मंदिर-दरगाह विवाद तमिलनाडु में एक मंदिर और दरगाह के पुराने विवाद पर फैसला सुनाने वाले हाईकोर्ट के जज पद से हटाए जा सकते हैं। जस्टिस स्वामीनाथन ने तमिलनाडु की DMK सरकार को आदेश दिया कि हिंदुओं को मंदिर परिसर के पास एक खंभे पर दिया जलाने दिया जाए... पूरी खबर पढ़ें।
‘यूपी में 2027 में होने वाला विधानसभा चुनाव सीएम योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। उनके नेतृत्व पर जो सवाल उठाएगा, उसे बागी समझा जाएगा। ये मैसेज सिर्फ राज्य ही नहीं, राष्ट्रीय नेतृत्व के लिए भी है।’ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी RSS का ये मैसेज BJP लीडरशिप के लिए है। 2 दिसंबर को लखनऊ में RSS और BJP की मीटिंग थी। सोर्स बताते हैं कि बैठक में उठे मुद्दे और मैसेज दोनों RSS ने तय किए। बैठक में मोहर लगा दी गई कि यूपी में योगी ही चेहरा हैं। RSS का टिकट बंटवारे से लेकर मुद्दे तय करने में भी दखल रहेगा। एक मैसेज ये भी दिया गया कि लोकसभा चुनाव की तरह BJP और RSS के बीच मतभेद नहीं हैं। इस मीटिंग से पहले 24 नवंबर 2025 को RSS चीफ मोहन भागवत और CM योगी आदित्यनाथ अयोध्या में मिले थे। क्या ये RSS के ‘मिशन यूपी’ की शुरुआत है? यह सवाल हमने दिल्ली और यूपी में RSS से जुड़े पदाधिकारियों, BJP नेताओं और एक्सपर्ट से पूछा। लखनऊ में करीब सवा 4 घंटे मीटिंगलखनऊ के RSS कार्यालय में पहले RSS की बैठक हुई। करीब 3 घंटे चली इस मीटिंग में संगठन मंत्री बीएल संतोष, सह सरकार्यवाह अरुण कुमार और BJP के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी मौजूद थे। इसके बाद एक बैठक BJP ऑफिस में हुई। इसमें CM योगी आदित्यनाथ और यूपी के दोनों डिप्टी CM केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक भी जुड़ गए। ये मीटिंग करीब सवा घंटे चली। मीटिंग में RSS के तीन बड़े मैसेज 1. तनातनी से विधानसभा-लोकसभा चुनाव में सीटें घटीं, ऐसा दोबारा न होRSS के सोर्स बताते हैं, 'लखनऊ में हुई बैठक की कमान RSS के हाथ में ही थी। मीटिंग में साफ कर दिया कि यूपी चुनाव की बागडोर पूरी तरह पार्टी के हाथों में नहीं दी जाएगी, यानी विधानसभा चुनाव में RSS की बड़ी भूमिका होगी। रणनीति से लेकर फैसलों तक में उसकी भूमिका रहेगी।' 'दरअसल 2022 का विधानसभा चुनाव पार्टी ने योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में लड़ा था। इस पर पार्टी के अंदर सवाल उठे। उस वक्त कई नाम सीएम की रेस में आ गए थे। इसका असर ये हुआ कि 2017 के मुकाबले BJP की 57 सीटें घट गईं। पार्टी ने 2017 में 312 सीटें जीती थीं, जो 2022 में 255 रह गईं।’ ‘इस खींचतान का असर 2024 के चुनाव में भी दिखा। 2019 के लोकसभा चुनाव में BJP को यूपी से 62 सीटें मिलीं थीं। 2024 में ये घटकर 33 रह गईं। इसलिए RSS ने चुनाव से करीब डेढ़ साल पहले ही यूपी में नेतृत्व को लेकर किसी भी तरह का असमंजस पालने वालों को संदेश दे दिया है।' ‘RSS की तरफ सें मैसेज दिया गया है कि 2022 जैसी स्थिति दोबारा मंजूर नहीं है। योगी के नेतृत्व पर उंगली उठाने वाले को बागी समझा जाएगा। पार्टी में जल्द ही बड़े बदलाव किए जाएंगे।' 'मतलब साफ है कि योगी के खिलाफ लॉबिंग करने वालों को बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा और कुछ नए चेहरे शामिल होंगे। ये भी कहा गया कि ये मैसेज सिर्फ बैठक तक सीमित न रहे। इसे आम लोगों और पार्टी कार्यकर्ताओं तक पहुंचाना है।’ 2. योगी के खिलाफ न कोई बयान दे, न खबरें फैलाएदूसरा बड़ा मैसेज पार्टी हाईकमान के लिए था। RSS की तरफ से कहा गया कि BJP के राष्ट्रीय स्तर के नेता भी योगी पर कोई बयान न दें और न ही विवादित खबरों को हवा दें। लोगों और विपक्ष के बीच ये संदेश पूरी ताकत के साथ पहुंचाया जाए कि योगी और गृहमंत्री अमित शाह या PM मोदी में मनमुटाव की खबरों का कोई आधार नहीं है। RSS ने ये साफ कर दिया कि योगी ही उसकी पहली पसंद हैं। चाहे चुनावों में टिकटों का बंटवारा हो या नए प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव, योगी की राय लिए बिना कोई फैसला नहीं होगा। 3. यूपी में हिंदूवादी संगठनों और साधु-संतों का बड़ा सम्मेलनसोर्स बताते हैं कि तीसरा अहम मुद्दा सीधे चुनाव से जुड़ा है। बैठक में तय हुआ कि 2026 में यूपी में हिंदूवादी संगठनों और साधु-संतों का बड़ा सम्मेलन किया जाएगा। इसमें देशभर के साधु-संतों और हिंदूवादी संगठनों को बुलाया जाएगा। इसमें RSS के पदाधिकारी और BJP के राष्ट्रीय स्तर के नेता शामिल होंगे। इसका मकसद हिंदुओं को एकता का संदेश देना है। अयोध्या में 90 मिनट योगी-भागवत की सरप्राइज मीटिंग24 नवंबर, 2025 को RSS चीफ मोहन भागवत अयोध्या में थे। वे गुरु तेग बहादुर सिंह के 350वें शहादत दिवस समारोह में शामिल होने आए थे। अचानक दोपहर में दर्शन के लिए राममंदिर पहुंच गए। शाम को अयोध्या में RSS के कार्यालय 'साकेत निलयम' गए। इसी दिन CM योगी आदित्यनाथ भी अयोध्या में थे। वे राम मंदिर में ध्वजारोहण समारोह की तैयारियां देखने गए थे। शाम करीब 7 बजे योगी सीधे RSS कार्यालय पहुंचे और मोहन भागवत से मिले। RSS के प्रांत प्रचारक स्तर के पदाधिकारियों और हमारे सोर्सेज के मुताबिक, योगी-भागवत ने पूरे टाइम अकेले में बात की। ये सरप्राइज मीटिंग करीब डेढ़ घंटे तक चली। ये मीटिंग उस वक्त हुई, जब BJP यूपी में नए अध्यक्ष और कैबिनेट में विस्तार की तैयारी कर रही थी। यूपी में काम कर रहे एक पदाधिकारी से हमने इस मीटिंग पर बात की। वे कहते हैं, 'बिहार चुनाव के नतीजे आने के हफ्ते भर बाद डॉ. भागवत दिव्य गीता प्रेरणा उत्सव में हिस्सा लेने लखनऊ पहुंचे थे। वहीं से वे अयोध्या चले गए। योगी दोनों मौकों पर संघ प्रमुख के साथ मौजूद रहे, लेकिन अयोध्या में संघ कार्यालय में वे उनके साथ 1 घंटे से ज्यादा बैठे।’ ‘इस मुलाकात पर CM योगी और डॉ. भागवत ने कुछ नहीं कहा। RSS में चल रही बातों के आधार पर मैं ये जरूर कह सकता हूं कि जातीय समीकरण, राम मंदिर आंदोलन के बाद हिंदुत्व की नई परिभाषा और यूपी में BJP-RSS के बीच रणनीति जैसे मुद्दों पर ये बैठक अहम मानी जा रही है।’ ‘बिहार चुनाव में RSS के करीब-करीब सारे प्रयोग सफल रहे हैं। इसका नतीजा भी सभी ने देखा। अब इसी तरह के प्रयोग बंगाल और उसके बाद यूपी में आजमाने की बारी है। इसे देखते हुए ये बैठक प्रदेश में संगठन और सरकार के बीच बेहतर समन्वय बनाने की शुरुआत के तौर पर देखी जा रही है।’ RSS से जुड़े संगठन विद्या भारती से जुड़े भास्कर दुबे कहते हैं, ‘RSS का मकसद सरकार के संचालन पर निगाह रखना और समाज के उन वर्गों को अपने साथ जोड़ना है, जिससे भविष्य में संघ को मजबूती मिल सके।' अयोध्या की मुलाकात का असर लखनऊ मेंयोगी-भागवत जब-जब मिले हैं, यूपी में सरकार के फैसलों पर इसका असर दिखा है। सोर्स के मुताबिक, योगी-भागवत की इस मुलाकात के बाद 26 नवंबर से 2 दिसंबर तक लखनऊ में RSS पदाधिकारियों और BJP नेताओं के बीच 6 बार मीटिंग हुई हैं। ये बैठकें डिप्टी CM बृजेश पाठक, श्रम एवं रोजगार मंत्री अनिल राजभर, कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, पर्यावरण मंत्री अरुण सक्सेना, पशुपालन मंत्री धर्मपाल सिंह के आवास पर हुईं। राज्यसभा सांसद अमरपाल मौर्य और BJP किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष कामेश्वर सिंह मीटिंग के कोऑर्डिनेटर रहे। दोनों को RSS का करीबी माना जाता है। सोर्सेज के मुताबिक, इन बैठकों में RSS ने शासन से जुड़े मुद्दों पर फीडबैक लिया। साथ ही संगठन और सरकार के बीच प्लानिंग बेहतर करने के सुझाव दिए। RSS के क्षेत्र सह प्रचार प्रमुख (पूर्वी यूपी) मनोज कांत बताते हैं- संगठन और सरकार के बीच ऐसी बैठकें होती रहती हैं। इसमें संघ और सरकार से जुड़े नेता आपस में फीडबैक लेते रहते हैं। ये मीटिंग भी उसी का हिस्सा हैं। एक्सपर्ट बोले- यूपी में पैचवर्क कर रहा RSSयूपी में RSS और BJP की पॉलिटिक्स पर नजर रखने वाले प्रमोद गोस्वामी कहते हैं, ‘यूपी में विधानसभा और लोकसभा चुनाव में सीटें कम ह BJP और RSS दोनों के लिए चिंता की बात है। लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद भी केशव प्रसाद मौर्य और योगी के बीच अनबन देखी गई। उसका पैचवर्क करने के लिए केंद्रीय नेतृत्व को सामने आना पड़ा। हो सकता है कि योगी-भागवत के बीच अयोध्या में यही बातें हुई हों।’ योगी की हिंदू फायर ब्रांड इमेज RSS को पसंदसीनियर जर्नलिस्ट सुरेंद्र दुबे कहते हैं, ‘योगी कभी RSS से नहीं जुड़े, न ही वे BJP के टिकट पर चुनाव लड़ते थे। वे हिंदू महासभा की तरफ से चुनाव लड़ते थे। BJP हिंदूवादी चेहरे के तौर पर उन्हें सपोर्ट करती थी। 2017 में BJP हाईकमान ने योगी को यूपी की कमान सौंप दी। पार्टी का ये प्रयोग कामयाब रहा और योगी हिंदू फायर ब्रांड नेता के तौर पर उभरे।’ ‘धीरे-धीरे लोगों को योगी की बातचीत का स्टाइल, बुलडोजर और माफिया को मिट्टी में मिलाने वाले डायलॉग पसंद आने लगे। आज वो देश के हर चुनाव में पार्टी के लिए प्रचार कर रहे हैं।’ वे मुद्दे, जिनकी वजह से RSS और BJP के बीच खाई हुई… 1. राममंदिर पर RSS की हर सलाह किनारे कीलोकसभा चुनाव से पहले RSS और BJP के बीच दूरियां बढ़ गई थीं। RSS के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के मुताबिक, 'राम मंदिर के मामले में BJP ने RSS की बात सुननी बंद कर दी थी। शुरुआत श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय पर वित्तीय गड़बड़ी के आरोप से हुई थी।' 'RSS ने चंपत राय को चित्रकूट की प्रतिनिधि सभा में बुलाया और सख्त चेतावनी भी दी। इसके बाद BJP ने राम मंदिर का मसला सीधा अपने हाथ में ले लिया। RSS की सलाह पर ध्यान देना भी जरूरी नहीं समझा।' 2. RSS की सलाह थी, प्राण प्रतिष्ठा लोकसभा चुनाव के बाद होRSS की तरफ से कहा गया था कि अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा चुनाव के ठीक बाद हो। मशविरा दिया गया था कि अगर प्राण प्रतिष्ठा पहले हुई, तो लोग चुनाव आते-आते इस मुद्दे को भूल जाएंगे। प्राण प्रतिष्ठा बाद में हुई, तो लोग मंदिर का मुद्दा याद रखेंगे। चुनाव के दौरान उनके दिमाग में ये बना रहेगा। राम मंदिर बनने की आशा को बचाए रखना था, ये तभी होता जब प्राण प्रतिष्ठा चुनाव के बाद होती, लेकिन BJP को जल्दी थी। इसका नतीजा ये हुआ कि कई धर्मगुरु भी BJP के फैसले के विरोध में आ गए। 3. राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में शंकराचार्यों को तवज्जो नहीं राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के मामले में भी RSS, BJP से बहुत नाराज था। RSS चाहता था कि सभी शंकराचार्य और धर्मगुरु आयोजन में शामिल हों। उन्हें तवज्जो दी जाए। BJP ने हड़बड़ी में किसी को मनाने की जरूरत नहीं समझी, जो नाराज थे, उन्हें नाराज ही रहने दिया। BJP ने अपने गेस्ट बुलाए, जो ग्लैमर और बिजनेस की दुनिया से थे। 4. लोकसभा चुनाव में टिकट बंटवारे पर सहमत नहीं था RSSलोकसभा चुनाव में यूपी ने BJP को बड़ा झटका दिया। इस झटके को RSS ने टिकट बंटवारे के वक्त ही भांप लिया था। RSS ने 10 से ज्यादा सीटों पर कैंडिडेट पर असहमति जताई थी। इनमें प्रतापगढ़, श्रावस्ती, कौशांबी, रायबरेली और कानपुर जैसी सीटें शामिल थीं। कानपुर के अलावा सभी सीटों पर BJP कैंडिडेट हार गए। RSS का कहना था कि कुछ सांसदों को छोड़कर, हमें नए लोगों को टिकट देना चाहिए, जैसा दिल्ली में किया है। हालांकि, टिकट बंटवारे के मामले में भी RSS बेबस ही दिखा। ......................................ये ग्राउंड रिपोर्ट भी पढ़िए 35 दिन, 12 राज्य; 30 BLO की मौत, मुआवजा जीरो, परिवार बोले- चुनाव आयोग डांस देख रहा यूपी, राजस्थान, मध्यप्रदेश समेत 9 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों में 4 नवंबर से SIR यानी स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन चल रहा है। लगातार फील्ड वर्क, देर रात तक डेटा अपलोड करना और प्रेशर की वजह से देशभर में 8 दिसंबर तक 30 बीएलओ की मौत हो चुकी है। इनमें 10 सुसाइड हैं। इनमें से किसी को मुआवजा नहीं मिला। वहीं चुनाव आयोग ने बीएलओ के डांस करते वीडियो पोस्ट किया है। पढ़िए पूरी खबर...
पुतिन-एर्दोआन मीटिंग में अचानक पहुंच गए पाक पीएम, सोशल मीडिया पर मज़ाक उड़ना शुरू
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ तुर्कमेनिस्तान में इंटरनेशनल फोरम ऑन पीस एंड ट्रस्ट में शामिल होने पहुंचे। यहां रूसी राष्ट्रपति पुतिन भी पहुंचे हैं
Bulgaria news: बुल्गारिया के प्रधानमंत्री रोसेन जेलियाजकोव ने संसद में इस्तीफे का ऐलान करते हुए कहा, 'हम नागरिकों की आवाज सुनते हैं. हमें उनकी मांगों के लिए आवाज उठानी चाहिए.युवा और बुजर्ग दोनों ने इस्तीफे के पक्ष में आवाज उठाई है. हम नागरिक भावनाओं का सम्मान करते हुए पद छोड़ रहे हैं'.
40 मिनट इंतजार के बाद 10 मिनट की मुलाकात, पुतिन ने शहबाज को बता दी 'PAK' की असल औकात; वीडियो वायरल
Putin-Shehbaz Sharif Meeting News in Hindi: ऐसा लगता है कि पाकिस्तान के लिए इंटरनेशनल बेइज्जती अब न्यू नॉर्मल हो गया है. शहबाज शरीफ को एक बार फिर इस बेइज्जती का स्वाद चखना पड़ा है. पुतिन ने आज खुलकर शहबाज को पाकिस्तान की असली औकात बता दी.
Sinkhole Farmers Panic News: दुनिया के एक बड़े इस्लामिक देश इन दिनों अजीब कहर से जूझ रहा है. वहां पर खेतों में अचानक 100-100 फुट चौड़े और सैकड़ों फीट गहरे गड्ढे बन रहे हैं. इससे किसानों और आम लोगों में दहशत बढ़ती जा रही है.
5 महाशक्तियों का नया क्लब बनाएंगे ट्रंप ? Core-5 में भारत-अमेरिका के बाद और कौन से देश होंगे शामिल
भारत और अमेरिका के अलावा वो कौन से तीन देश हैं जो इस मंच में शामिल होंगे ये हम आपको बताएंगे पहले आप जान लीजिए कि इस मंच का नाम क्या रखा गया है? सूत्रों की मानें तो इस मंच का नाम 'C5' या 'कोर फाइव' रखा जा सकता है.
बांग्लादेश की पूर्व पीएम खालिदा जिया की किडनी फेल, नाजुक हालत के चलते वेंटिलेटर पर रखा
Khaleda Zia Health Update: खालिदा जिया के वाल्व में परेशानी आने के बाद उनका टीईई यानि की ट्रांस इसोफेगल इकोकार्डियोग्राम टेस्ट किया गया, जिसमें इंफेक्टिव एंडोकार्डिटिस के होने का पता चला था. जिसके बाद मेडिकल बोर्ड के डॉक्टरों ने जिया का इंटरनेशनल गाइडलाइन्स के हिसाब से इलाज शुरू कर दिया है.
7 मिनट तक थमी रही धड़कन, फिर अचानक लौट आई जान; 22 वर्षीय युवती ने सुनाई मौत से वापसी की कहानी
Life After Death: मरने के बाद का जीवन कैसा होता है, यह आज तक किसी ने नहीं देखा. लेकिन 22 साल की एक लड़की इस घटना को साक्षात महसूस करके आई है. उसकी कहानी इतनी डरावनी है कि दुनिया में वायरल हो रही है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर सबसे गंभीर चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि अगर जल्दी लड़ाई नहीं रुकी तो तीसरा विश्व युद्ध हो सकता है. पिछले एक महीने में ही 25,000 लोग मारे गए हैं. शांति वार्ता फेल हो रही है, यूरोप के नेता अब बीच में कूद पड़े हैं. जानें पूरी बात, देखें ट्रंप का वीडियो.
PM Modi Oman Visit: पीएम मोदी ओमान की यात्रा पर जाने वाले हैं. केवल 50 लाख की आबादी वाला यह अरब देश भारत का पुराना साझेदार है, जिसने पाकिस्तान के साथ जंग के दौरान भारत को खुला समर्थन दिया था.
Former Miss Switzerland Finalist:मिस स्विटजरलैंड की पूर्व फाइनलिस्ट क्रिस्टीना जोक्सिमोचिव की भयानक हत्या का राज खुल गया है. इस मामले में उनके पति थॉमस को दोषी पाया गया है.
जापान में फिर कांपी धरती! 4 दिन में दूसरा बड़ा झटका; 6.7 तीव्रता के जोरदार भूकंप ने मचाया हाहाकार
Japan tsunami warning: जापान के पूर्वोत्तर क्षेत्र आओमोरी प्रान्त के तट पर आज 6.7 तीव्रता का जोरदार भूकंप आया, जिसके बाद जापान मौसम विज्ञान एजेंसी ने 1 मीटर तक की सुनामी लहरों की चेतावनी जारी की थी.
H-1B वीजा पर फिर विवाद! अमेरिकी पोलस्टर का सनकी बयान, बोला- 'भारतीय लोगों को बाहर फेंको'
Illegal Aliens: अमेरिकी सर्वेक्षण एजेंसी ने दावा किया है कि 1 करोड़ 20 लाख अमेरिकी तकनीकी कर्मचारी बेरोजगार हो गए हैं. इसकी वजह बताई गई कि विदेशी मूल के काम करने वाले लोगों ने सिलिकॉन वैली को आजाद कर दिया है.
Reddit ने ऑस्ट्रेलिया के अंडर-16 सोशल मीडिया बैन को बताया असफल मॉडल, हाई कोर्ट में दी चुनौती
Australia 16 Age Restriction: ग्लोबल ऑनलाइन प्लेटफॉर्म रेडिट ने ऑस्ट्रेलिया की उस नई कानूनी नीति के खिलाफ हाई कोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर रोक लगाई गई है.
बांग्लादेश की अवामी लीग पार्टी ने देश के चुनाव आयोग द्वारा घोषित चुनाव कार्यक्रम को अस्वीकार कर दिया है। पार्टी का कहना है कि मुहम्मद यूनुस की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार के दौरान स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना संभव नहीं है
वाशिंगटन, 12 दिसंबर (आईएएनएस)। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसका उद्देश्य पूरे देश में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई के नियमों को एक जगह से नियंत्रित यानी सेंट्रलाइज करना है। उनका कहना है कि अलग–अलग राज्यों के अपने नियम होने से तकनीकी विकास धीमा पड़ सकता है और चीन के मुकाबले अमेरिका की बढ़त को खतरा हो सकता है।
1000% rise attacks on ICE agents after Mamdani video: न्यूयॉर्क के नए मेयर-इलेक्ट जोहरान ममदानी के ICE का विरोध करो वाले वीडियो के बाद अमेरिका में बवाल मच गया है. हालात इतने खराब हो गए हैं कि ICE एजेंट्स और उनके परिवारों पर 1000% तक हमले बढ़ गए हैं. ट्रंप प्रशासन ने इसे हिंसा भड़काने वाला बताया और कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी है. आप भी देखें जोहरान ममदानी का वीडियो समझें पूरी कहानी.
US Venezuela tensions: अमेरिका ने वेनेजुएला के राष्ट्रपति मादुरो, उनके परिवार और तेल से जुड़ी कंपनियों पर नए प्रतिबंध लगाए, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव फिर बढ़ गया है. विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप प्रशासन वही कड़ा दबाव वाला तरीका अपना रहा है, जैसा कभी इराक में सद्दाम हुसैन के खिलाफ अपनाया गया था.
'प्लीज मुझे मत टच करो'... पोलैंड में महिला पत्रकार से बदसलूकी का वीडियो वायरल, इंटरनेट पर मचा हंगामा
poland senator skurkiewicz mic incident: पोलैंड में टीवीपी चैनल की एक महिला पत्रकार के साथ PiS सीनेटर द्वारा माइक छीनने की कोशिश का वीडियो वायरल होने के बाद देश में भारी नाराजगी फैल गई है. घटना ने पत्रकारों की सुरक्षा, और राजनीतिक आक्रामकता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.
Bulgarian Govt. Resigns: बुल्गारिया की संसद भवन पर लोगों ने बड़ी संख्या में इस्तीफा दो और माफिया बाहर जाओ के नारे लगाए. पिछले हफ्ते ही इन प्रदर्शनकारियों को राष्ट्रपति रूमेन रादेव का समर्थन भी मिला था. अभी हाल में ऐसे ही प्रदर्शनों के कारण नेपाल की सरकार ने भी इस्तीफा दिया था.
भारत के बैंकों और वित्तीय संस्थानों में 78 हजार करोड़ रुपए बिना दावे के पड़े हैं। मोदी सरकार ने इसे लौटाने के लिए 'आपका पैसा-आपका अधिकार' योजना शुरू की है। 10 दिसंबर को पीएम मोदी ने कहा कि भूली हुई संपत्ति को एक नए अवसर में बदलने का यह एक अच्छा मौका है। ‘योर मनी, योर राइट’ योजना क्या है, कैसे पता करें कि कहीं आपका पैसा भी तो बिना दावे के नहीं पड़ा और इसे कैसे हासिल कर सकते हैं; भास्कर एक्सप्लेनर में ऐसे 6 जरूरी सवालों के जवाब… सवाल-1: बिना दावे के 78 हजार करोड़ रुपए कहां-कहां पड़े हैं? जवाबः मुख्य रूप से 3 जगहों पर बिना दावे के पैसे पड़े हैं… 1. निष्क्रिय बैंक खातों में: ऐसे खाते जिनमें 10 साल से कोई लेन-देन नहीं हुआ, उन्हें निष्क्रिय माना जाता है। इसमें सेविंग, करंट और फिक्स्ड डिपॉजिट सभी तरह के बैंक अकाउंट शामिल हैं। RBI के नियमों के मुताबिक बैंक यह पैसा अपने पास ही रखता है, लेकिन हर साल इसकी जांच करता है। 2. इंश्योरेंस कंपनियों के पासः लगभग 14 हजार करोड़ रुपए इंश्योरेंस कंपनियों के पास हैं, जिन्हें लेने वाला कोई नहीं। ये वो पैसे हैं जो पॉलिसी पूरी होने पर मिलते हैं या पॉलिसीधारक की मृत्यु पर उसका परिवार क्लेम करता है। 3. म्यूचुअल फंड और शेयरों में फंसा पैसा: म्यूचुअल फंड और शेयर्स पर डिविडेंड मिलता है यानी ऐसा पैसा जो शेयरधारकों के पास शेयर के मुनाफे के बाद पहुंचता है। अगर शेयरधारक इसे क्लेम नहीं करता तो कंपनी 7 साल तक के लिए पैसा एक अलग सुरक्षित फंड में ट्रांसफर कर देती है। ऐसे करीब 3 हजार करोड़ रुपए म्यूचुअल फंड में और 9 हजार करोड़ रुपए शेयर्स के डिविडेंड में पड़े हैं। सवाल-2: सरकार की नई ‘योर मनी, योर राइट’ योजना क्या है? जवाबः ‘योर मनी, योर राइट’ यानी आपकी पूंजी, आपका अधिकार योजना को अक्टूबर में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लॉन्च किया था। इसका मकसद लोगों का भूला-बिसरा या दावा न किया गया पैसा उनको वापस लौटाना है। यह काम भारत सरकार के वित्त मंत्रालय, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी RBI और सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी SEBI जैसे कई विभाग मिलकर कर रहे हैं। वे ऐसे सभी पुराने बकाया पैसों को पहचान कर उनके हकदारों तक इसकी जानकारी पहुंचा रहे हैं। हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने इस योजना को प्रमोट करते हुए कहा था कि ऐसे पैसे कई परिवारों की मेहनत की कमाई है, जो बेकार पड़ी है। इसलिए सरकार का मकसद है कि हर नागरिक अपना हकदार पैसा वापस ले। मोदी ने लिंक्डइन पर पोस्ट करके लोगों से अपील की है कि वे भी इस योजना में शामिल हों। योजना के तहत कोई भी व्यक्ति पता कर सकता है कि उसके नाम पर कोई बिना क्लेम किया हुआ पैसा है या नहीं? सवाल-3: बैंक या स्कीम्स में ऐसे आपके पैसे भी तो नहीं, कैसे चेक करें? जवाबः बैंक या स्कीम्स में अगर आपके या आपके परिवार के किसी सदस्य के पैसे पड़े हुए हैं तो उन्हें चेक करने का तरीका बेहद आसान है। भारत सरकार ने इसके लिए चार तरह के पोर्टल लॉन्च किए हैं… 1. बैंक खातों में जमा राशि चेक करने का तरीका बैंकों में 10 साल से इनएक्टिव अकाउंट्स का पैसा RBI के पास ट्रांसफर हो जाता है। इसे चेक करने के लिए ये प्रोसेस फॉलो करें- 2. इंश्योरेंस में बिना दावे के पैसे चेक करने का तरीका लाइफ इंश्योरेंस, हेल्थ इंश्योरेंस और LIC जैसे किसी जनरल इंश्योरेंस में खोया या भूला हुआ पैसा चेक करने के लिए https://bimabharosa.irdai.gov.in पर रजिस्टर करें। आगे की प्रोसेस के लिए इन स्टेप्स को फॉलो करें- 3. म्यूचुअल फंड्स में बिना दावे के पैसे चेक करने का तरीका आपके परिवार में किसी का पैसा म्यूचुअल फंड्स में पड़ा हो सकता है जिसे अब तक न तो चेक किया गया और न ही निकाला गया है। कोई एक्टिविटी न होने के 10 साल बाद ये फंड्स इनएक्टिव हो जाते हैं। ऐसे फंड्स को चेक करने के लिए इन स्टेप्स को फॉलो करें- इसके अलावा SEBI MITRA की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर भी अनक्लेम्ड म्यूचुअल फंड्स को ट्रैक किया जा सकता है। 4. बिना दावे के शेयर/डिविडेंड्स चेक करने का तरीका अगर किसी कंपनी का डिविडेंड 7 साल तक आपके अकाउंट में क्रेडिट नहीं होता तो वो रकम और उससे जुड़े शेयर IEPF यानी इन्वेस्टर एजुकेशन एंड प्रोटेक्शन फंड में ट्रांसफर हो जाते हैं। इनका स्टेटस चेक करने लिए ये स्टेप्स फॉलो करें- सवाल-4: अगर आपका अनक्लेम्ड पैसा जमा है, तो इसे कैसे हासिल करें? जवाबः सरकार जिन पोर्टल्स के जरिए भूला-बिसरा पैसा चेक करने की सुविधा दे रही है वहीं से इसे क्लेम भी किया जा सकता है। इसके अलावा ‘योर मनी, योर राइट’ योजना के तहत देशभर के 477 जिलों में कैंप लगाए गए हैं। यहां पर जाकर भी अपने पैसे क्लेम करने में मदद ली जा सकती है। घर बैठे अपने अनक्लेम्ड पैसे को हासिल करने के लिए नीचे दी गई प्रक्रिया अपनानी होगी… 1. बैंक खातों में जमा राशि कैसे हासिल करें 2. इंश्योरेंस में बिना दावे की राशि कैसे पाएं 3. म्यूचुअल फंड्स में भूले पैसे कैसे पाएं 4. बिना दावे के शेयर/डिविडेंड्स कैसे क्लेम करें सवाल-5: अब तक कितने लोगों को इस योजना से फायदा हुआ? जवाबः वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने 9 दिसंबर को राज्यसभा में लिखित जानकारी देते हुए बताया कि योजना के शुरुआती दो महीनों में लगभग अनक्लेम्ड 2 हजार करोड़ रुपए वापस किए जा चुके हैं। इसकी पुष्टि खुद प्रधानमंत्री मोदी ने भी लिंक्डइन पोस्ट में की है। हालांकि अभी तक लाभार्थियों की संख्या सामने नहीं आई है। यह राशि बैंक, इंश्योरेंस, म्यूचुअल फंड्स, डिविडेंड और अन्य जगहों से वापस हुई है। योजना शुरू होने से पहले पिछले 3 सालों में बैंकों ने कुल 10 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा अनक्लेम्ड डिपॉजिट वापस किए हैं। सवाल-6: जो पैसा कोई क्लेम नहीं करेगा, उसका क्या होगा? जवाब: अगर इस कैंपेन के बाद भी कुछ लोग अपना बकाया पैसा क्लेम नहीं करते हैं, तो वह पैसा सुरक्षा फंड में ट्रांसफर हो जाएगा… -------- ये खबर भी पढ़ें- आज का एक्सप्लेनर: रुपया 90 से भी नीचे धंसा, सरकार जानबूझकर गिरने दे रही या चीजें कंट्रोल से बाहर; किसका फायदा, किसे नुकसान एक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 90 रुपए से भी ज्यादा नीचे चला गया। पिछले साल रुपए की गिरावट रोकने के लिए RBI ने अपने खजाने से डॉलर बेचने शुरू किए थे। पूरी खबर पढ़ें...
‘जब लोहा गर्म था, तब केपी शर्मा ओली को पकड़कर जेल के अंदर डालना था। सभी संवैधानिक बदलाव भी तभी करने थे। अब लोहा ठंडा पड़ गया, इसलिए अब ये सब करने का कोई रास्ता नहीं बचा। युवाओं को तो ये भी समझ नहीं है कि राजनीति कैसे करनी है और चुनाव कैसे लड़ना है।’ नेपाल के GenZ नेता टंका धामी को अफसोस है कि जो कुछ सोचा था वो नहीं हो सका। धामी कहते हैं कि नेपाल में सुशीला कार्की सरकार को 3 महीने पूरे हो गए हैं। उनकी सरकार में ऐसे बहुत से सलाहकार हैं, जो मनमानी कर रहे हैं। वे युवा GenZ लीडर्स की बात भी नहीं सुन रहे हैं। नेपाल में जिस राजनीतिक व्यवस्था के खिलाफ GenZ प्रोटेस्ट हुए और 8 सितंबर को तख्तापलट हुआ, अब वही राजनीतिक व्यवस्था फिर हावी हो रही है। अंतरिम सरकार को जिम्मेदारी संभालते हुए 3 महीने हो गए हैं, लेकिन नेपाल में आम लोगों की जिंदगी में कोई फर्क नहीं आया। आंदोलन में हुई हिंसा के बाद नुकसान तक की भरपाई नहीं हो सकी है। अंतरिम सरकार का आधा वक्त बीच चुका है। चुनाव के लिए 5 मार्च 2026 की तारीख तय हो गई है। हालांकि इन सबके बीच जेनजी फिर सड़कों पर हैं। बीच-बीच में हिंसा और प्रदर्शन की घटनाएं आम हो गई हैं। नेपाल में तख्तापलट के बाद 3 महीने में क्या बदला? दैनिक भास्कर की टीम ने जेनजी लीडर्स, पूर्व राजनयिक और पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स से बात कर समझा। नेपाल में फिर शुरू हुए जेनजी प्रोटेस्ट22 नवंबर को नेपाल के बारा जिले के अलग-अलग इलाकों में जेनजी प्रोटेस्ट शुरू हो गए। कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (UML) के महासचिव शंकर पोखरेल और युवा नेता महेश बसनेत ने काठमांडू से सिमारा एयरपोर्ट के लिए उड़ान भरी। ये नेता नेपाल की मौजूदा सरकार के खिलाफ रैली करने वाले थे। हालांकि एयरपोर्ट से ये नेता शहर पहुंचते, उसके पहले ही बारा में लोकल जेनजी नेताओं और CPN (यूएमएल) के नेताओं के बीच रस्साकशी शुरू हो गई। हालात हिंसक होने लगे तो पहले पुलिस ने आंदोलनकारियों को रोकने के लिए बल का इस्तेमाल किया। फिर कर्फ्यू लगाना पड़ा। ऐसे जेनजी प्रोटेस्ट अब भी नेपाल के अलग-अलग हिस्सों में देखने को मिल रहे हैं। सरकार बदली लेकिन ब्यूरोक्रेसी नहीं, इसलिए बदलाव मुश्किलनेपाल में अंतरिम सरकार बनाने के बाद क्या बदला और क्या अब भी बाकी है। ये समझने के लिए हमने जेनजी लीडर टंका धामी से बात की। नेपाल में जेनजी प्रोटेस्ट के बाद धामी को बड़े बदलाव की उम्मीद थी, लेकिन अब उन पर पानी फिर चुका है। धामी कहते हैं, ‘हम ये मानते हैं कि मौजूदा सरकार काम नहीं कर पा रही है क्योंकि ब्यूरोक्रेसी वही है, जो पहले थी। इसलिए इस सिस्टम में जल्दी कोई बदलाव करने में मुश्किल आ रही है। न्यायपालिका भी पुरानी है और वहां हुई नियुक्तियां भी पुरानी हैं। ऐसे में हमारे लिए सिस्टम में बदलाव करना आसान नहीं है। गलती ये हुई कि हमने बदलाव करने में देरी कर दी।’ ‘जेनजी युवाओं को राजनीतिक समझ नहीं है। जब ये समझ नहीं होगी तो वे चुनाव के लिए तैयार कैसे होंगे और पार्टी कैसे बनाएंगे। जब तक नेपाल में संस्थागत बदलाव नहीं होगा, तब तक कुछ नहीं बदलने वाला। कुछ लोग सरकार में ढंग से काम कर रहे हैं, लेकिन गृह मंत्री ओम प्रकाश आर्यल काम नहीं कर रहे। वो सिर्फ पद पर बैठने की मंशा रखते हैं।‘ वे आगे कहते हैं, ‘8 सितंबर को हुए जेनजी आंदोलन ने नेपाल को बदल दिया। सुशीला कार्की सरकार का मुख्य मकसद करप्शन खत्म करना था। सरकार उस पर काम भी कर रही है, लेकिन ये काम उतनी तेजी से नहीं हो रहा, जैसा हमने सोचा था। नेपाल की मीडिया प्रोपेगैंडा चला रही है। वो जेनजी सरकार को बदनाम करने की कोशिश कर रही है।‘ नेपाल की अंतरिम सरकार के 3 महीने के कार्यकाल में अब तक सिर्फ एक करप्शन के केस में कार्रवाई हुई है। उसमें भी कार्रवाई के नाम पर सिर्फ केस दर्ज हुआ है। सरकार ने दिसंबर 2025 में नेपाल के पूर्व मंत्रियों, अधिकारियों और चीनी कंपनी पर पोखरा एयरपोर्ट भ्रष्टाचार के मामले में केस दर्ज किया है, जिसमें 55 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ है। नेपाल में चुनाव करीब, जेनजी अब तक पार्टी नहीं बना सकेहमने नेपाल के मौजूदा हालात को लेकर राजनयिक रह चुके एसडी मुनी से भी बात की। वे साउथ एशिया मामलों को करीब से देखते आ रहे हैं। मुनी कहते हैं, ‘नेपाल राजनीतिक लिहाज से बिखरा नजर आ रहा है। एक तो सुशीला कार्की की सरकार बनते ही कुछ राजनीतिक तबके उनके विरोध में आ गए थे।‘ ‘पहले पूर्व PM केपी शर्मा ओली की पार्टी के लोग और राजशाही समर्थक ही सरकार के खिलाफ दबाव बना रहे हैं। संसद भंग होने के बाद से बाकी सियासी दल भी खिलाफ हो गए हैं।’ सरकार बनी तो ऐसा लगा था कि सारे जेनजी एकजुट हैं। बाद में असली जेनजी नेताओं को धकेल दिया गया और बालेन शाह, सुदान गुरुंग आगे आ गए। मुनी आगे कहते हैं, ‘मुझे लगता है कि नेपाल में चुनाव करीब हैं, लेकिन जेनजी अपनी कोई पार्टी नहीं बना सके हैं। वो एक आंदोलन के जरिए जैसे उभरकर सामने आए थे, वैसे ही गायब हो गए। वहीं राजनीतिक पार्टियां भी खुद में बदलाव कर रही हैं। माओवादी पार्टी से लेकर कांग्रेस में नेतृत्व बदलने की बात हो रही है।‘ ‘सुशीला कार्की सरकार को बड़ा जनसमर्थन हासिल था। हालांकि जैसे उन्हें PM बनाया गया, उसे लेकर सवाल थे। कार्की के पास कोई प्रशासनिक अनुभव नहीं है और न ही कोई बड़ा राजनीतिक जनाधार है। फिर भी कार्की ने ईमानदारी से जो काम करना चाहिए, वो किया है।‘ ओली से लेकर प्रचंड सब पब्लिक लाइफ में लौटेनेपाल के मधेस क्षेत्र के बीरगंज से आने वाले पॉलिटिकल एक्सपर्ट संजय तिवारी मानते हैं कि यहां हुए जेनजी प्रोटेस्ट के 3 महीने बाद सब कुछ वैसा ही हो गया है, जैसा पहले हुआ करता था। मतलब सरकार में कोई खास बदलाव नहीं हुआ है। चाहे पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली हों या फिर पुष्प कमल दहल प्रचंड। सभी नेता पब्लिक लाइफ में लौट चुके हैं।‘ ‘नेपाल की नई सरकार से जनता को कई बदलावों की उम्मीद थी, लेकिन कोई खास परिवर्तन नहीं दिख रहा। वहीं परंपरागत राजनीतिक पार्टियां फिर से चुनाव के लिए तैयारियां शुरू कर चुकी हैं।‘ जेनजी आंदोलन बिखरा, न कोई नेता न कोई पार्टीनेपाल के एक जेनजी लीडर नाम न छापने की शर्त पर बताते हैं, ‘मैं इस आंदोलन से शुरू से जुड़ा था। सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक इसे खड़ा करने में मैंने जी-जान एक कर दिया। पुलिस के लाठी-डंडे खाए और लोकल नेताओं से धमकियां भी मिलीं। अब बालेन शाह और सुदान गुरुंग जैसे नेताओं ने मुझे ही राजनीति करके अलग कर दिया। अगर अब मैं खुलकर बोला तो सरकार मेरे खिलाफ ही कार्रवाई कर देगी।’ जेनजी युवाओं को दरकिनार किए जाने पर जेनजी लीडर धामी कहते हैं, ‘मुझे लगता है कि युवाओं को पॉलिटिकल प्रोसेस में ज्यादा भागीदारी लेनी चाहिए, लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा है। मैं युवाओं से कहूंगा कि अगर वो खुद की राजनीतिक पार्टी नहीं खड़ी कर पा रहे हैं तो उन्हें ऐसी पार्टी का समर्थन करना चाहिए जो युवाओं का सपोर्ट करे। जो युवाओं को पार्टी में जगह दे।’ ‘जेनजी की असली मांग थी कि करप्शन खत्म हो, संस्थागत सुधार हो, संविधान में संशोधन हो। मैंने सरकार को इस तरह के सुझाव दिए थे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। ब्यूरोक्रेसी ठीक से काम नहीं कर रही। जब तक युवा खुद अपनी राजनीतिक पार्टी नहीं बनाते, कुछ नहीं होगा।’ टूरिज्म की कमर टूटी, आम लोगों की जिंदगी बेहालनेपाल में जेनजी आंदोलन के दौरान बेतहाशा नुकसान हुआ। नेपाल की संस्थाओं के सबसे अहम भवन प्रतीक सिंह दरबार, संसद भवन और सुप्रीम कोर्ट ही नहीं जलाए गए बल्कि छोटे-छोटे जिलों और कस्बों के भी सरकारी भवन फूंक दिए गए। नेपाल में सबसे ज्यादा कमाई टूरिज्म के जरिए होती है। प्रदर्शन के दौरान करीब 2 दर्जन डोमेस्टिक और इंटरनेशनल होटलों में आगजनी हुई थी। लिहाजा यहां पर्यटन पर भी बुरा असर पड़ा है। काठमांडू में टैक्सी चलाने वाले कृष्णा बताते हैं, पहले अच्छे-खासे टूरिस्ट आते थे। हमारा टैक्सी का बिजनेस गुलजार रहता था। अब भारत के अलावा फॉरेन से ज्यादा कोई टूरिस्ट नहीं आ रहा है। नेपाल और बांग्लादेश दोनों में एक ही हालातपूर्व राजनयिक एसडी मुनी कहते हैं, ‘कार्की सरकार ने जेनजी की एकतरफा बड़ी मांगों जैसे सीधे पीएम पद के लिए वोटिंग और विदेशों में बसे नेपालियों के लिए वोटिंग अधिकार को नहीं माना है क्योंकि ऐसी मांगें पूरी करना मुमकिन नहीं है। सुशीला कार्की पार्टी के सभी लोगों से मिली हैं और तालमेल बनाने की कोशिश कर रही हैं।‘ ‘मुझे लगता है कि अंतरिम सरकार का विरोध करने वाली पार्टियों और दूसरे धड़ों को ये समझ आएगा कि अगर देश को स्थिर रखना है तो मिलकर काम करना होगा। शांति से चुनाव कराने होंगे। बांग्लादेश और नेपाल दोनों ही देशों में कई समानता है। दोनों ही देशों में जो लोग नेतृत्व करते हुए आगे आए थे, वही बिखर गए हैं। नेपाल में जेनजी और बांग्लादेश में युवा एकजुट नहीं हैं।‘ ‘ढाका यूनिवर्सिटी के चुनाव में जमात-ए-इस्लामी जीती। युवाओं की पार्टी में अलग से अस्थिरता बनी हुई है। बांग्लादेश में जमात जैसे धड़ों और नेपाल में राजावादी लोगों के उभरने की गुंजाइश है। दोनों तरफ अस्थिरता है। सुशीला कार्की की तरह डॉ. यूनुस को न तो कोई प्रशासनिक अनुभव है, न ही उनका कोई समर्थक वर्ग है। जो भी उन पर दबाव डाल सकते हैं, वो अपने काम करवा रहे हैं।‘ भारत की कोशिश, नेपाल में चीन का प्रभाव न बढ़े‘नेपाल में तीन बड़ी शक्तियों का सबसे ज्यादा प्रभाव है- चीन, अमेरिका और भारत। मुझे लगता है कि भारत का प्रभाव सबसे ज्यादा होगा। नेपाल के इतिहास में कोई बड़ा बदलाव ऐसा नहीं हुआ है, जिसमें भारत का सक्रिय सहयोग न रहा हो। मुझे ऐसा लगता है कि शायद भारत के दखल की वजह से ही संविधान को रखा गया।‘ ‘भारत की यही कोशिश होगी कि नेपाल में चीन का प्रभाव न बढ़े। ओली सरकार के जाने से चीन को बड़ा धक्का लगा है। चीन ये चाहता है कि वहां कम्युनिस्ट पार्टी और लेफ्ट उभरकर आएं, लेकिन इसकी गुंजाइश बहुत कम है। चीन का प्रभाव कम हो गया है, लेकिन उसके एड प्रोजेक्ट अब भी चल रहे हैं।‘ ‘अमेरिका भी कभी नहीं चाहेगा कि नेपाल में चीन और कम्युनिस्ट पार्टी का प्रभाव बढ़े। जेनजी आंदोलन में अमेरिकी योगदान की बड़ी संभावना दिखती है। जेनजी का एक तबका ऐसा है जो अमेरिका की तरफ झुका हुआ है। नेपाल में चीन का प्रभाव घटा है, अमेरिका का प्रभाव बढ़ा है।‘ ‘भारत ने बहुत सावधानी से नेपालियों को ये दिखाने की कोशिश की है कि हम आपके आंतरिक मामलों में कोई दखल नहीं दे रहे हैं। भारत के नेपाल में बड़े हित हैं। नेपाल की शांति, स्थिरता, विकास और प्रगति में भारत अहम योगदान निभा सकता है। भारत इसके लिए काम भी कर रहा है।‘ ....................ये खबर भी पढ़ें... कैसे ढह गया इंडिगो का सिस्टम, क्राइसिस की इनसाइड स्टोरी ‘मैं करीब 10 साल से एयरलाइन इंडस्ट्री में काम कर रहा हूं। आज तक इतना बड़ा संकट नहीं देखा। मुझे लगता है कि इंडिगो की दिक्कत किसी दूसरे की नहीं, बल्कि कंपनी की खुद की बनाई हुई है। मैंने अपने कई साथी पायलट से भी बात की, तब इस नतीजे पर पहुंचा हूं।’ 34 साल के पायलट कैप्टन रोहित सक्सेना (बदला हुआ नाम) एयरलाइन कंपनी इंडिगो में 3 साल से काम कर रहे हैं। रोहित को 5 हजार फ्लाइंग आवर्स का अनुभव है। पढ़िए पूरी खबर...
‘अगर हम ही बांग्लादेशी हैं तो पहले दिन ही क्यों नहीं उजाड़ दिया? हिंदुओं को टारगेट क्यों नहीं करते? बस हमें मुसलमान होने की वजह से निशाना बनाया जा रहा है। अगर इतनी ही नफरत है, तो एक गोली मारकर खत्म कर दो न। कम से कम ऐसी जिल्लत तो नहीं देखनी पड़ेगी। कम से कम बेघर होकर सड़क पर मरने-जीने की नौबत नहीं आएगी न।’ असम में नागांव जिले के लुटीमारी इलाके में रहने वाली रुबीना बेगम (बदला हुआ नाम) के घर 29 नवंबर को बुलडोजर चलाया गया। इस इलाके में करीब 1,700 परिवार रहते थे। रुबीना बेगम की तरह ही बाकी लोग भी प्रशासन की कार्रवाई से नाराज हैं। प्रशासन का कहना है कि बुलडोजर फॉरेस्ट के लिए रिजर्व 795 हेक्टेयर जमीन से अतिक्रमण हटाने के लिए चलाया गया है। जबकि लोग आरोप लगा रहे हैं कि सिर्फ बांग्ला भाषी मुसलमानों के घर गिराए गए। सरकारी जमीन पर बने हिंदुओं और ईसाई के घर को हाथ भी नहीं लगाया। अब प्रशासन ने बेघर हुए लोगों को कहीं बसाने का भी इंतजाम नहीं किया। असम में बुलडोजर कार्रवाई का ये पहला मामला नहीं है। 2016 में BJP के सत्ता में आने के बाद से सरकारी जमीन खाली कराने की कई कार्रवाइयों पर भेदभाव के आरोप लगते रहे हैं। असम राजस्व विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, बीते 9 साल में राज्य में करीब 17,600 परिवारों को सरकारी जमीन से हटाया गया। इनमें ज्यादातर मुस्लिम ही थे। असम में सरकारी जमीन खाली कराने को लेकर पिछली कई बुलडोजर कार्रवाई पर भेदभाव के आरोप क्यों लग रहे हैं? असम सरकार का इस मामले पर क्या कहना है? ये समझने के लिए दैनिक भास्कर की टीम ग्राउंड पर पहुंची। सबसे पहले उस इलाके का हाल, जहां कार्रवाई हुई असम की राजधानी गुवाहाटी से 120 किलोमीटर दूर नागांव जिला है। लगभग 35 लाख आबादी वाला नागांव मुस्लिम बहुल जिला है। 2011 की जनगणना के मुताबिक, यहां करीब 55% मुस्लिम आबादी है। 29 और 30 नवंबर को जिले के कामपुर उपखंड में आने वाले लुटीमारी इलाके में प्रशासन ने बुलडोजर चलाया। 3 दिसंबर को जब हमारी टीम इलाके में पहुंची, तब कई घरों का मलबा पड़ा मिला। जगह-जगह ईट पत्थरों का ढेर था, जहां टूटे पड़े चूल्हे और रोजमर्रा में इस्तेमाल का सामान बिखरा था। इलाके में सन्नाटा पसरा हुआ था। नागांव प्रशासन ने तीन महीने पहले सितंबर में ही इन परिवारों को नोटिस देकर इलाका खाली करने के लिए कहा था। शुरुआत में दो महीने का समय दिया गया, लेकिन स्थानीय लोगों की अपील पर प्रशासन ने एक महीने का वक्त और बढ़ा दिया। 29 नवंबर को जब भारी पुलिस बल के साथ नागांव प्रशासन जमीन खाली कराने पहुंचा, तब तक लगभग 1100 से ज्यादा परिवार खुद ही घरों को तोड़कर वहां से जा चुके थे। वहीं बाकी के मकान 29 और 30 नवंबर को प्रशासन ने ढहा दिए। सीएम बोले- JCB सबका बदला लेगानागांव में हुई कार्रवाई के बाद 30 नवंबर को असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया। कैप्शन में लिखा था- ‘बांस का, होलोंग का, सिमुल का, सबका बदला लेगा तेरा JCB! लुटीमारी रिजर्व फॉरेस्ट में JCB ऐसे घुसी जैसे कोई पर्सनल दुश्मनी हो और 1,441 गैर-कानूनी स्ट्रक्चर हटा दिए। कोई हंगामा नहीं। कल ये आखिरी 13 घरों और सुपारी के बागों के लिए वापस आएगा।‘ ‘हम बांग्लादेशी तो इतने साल रहने क्यों दिया’इस कार्रवाई को लेकर लोग नाराज हैं। रुबीना बेगम कहती हैं कि वे कई सालों से यहीं रह रही हैं। रुबीना का दावा है कि वे बंगाली मुस्लिम नहीं बल्कि असमिया मुसलमान ही हैं। वे कहती हैं, ‘उन्होंने हमें इतने सालों तक क्यों रहने दिया? क्यों बिजली-पानी की सुविधा दी? क्यों राशन कार्ड दिया? क्यों वोटर कार्ड बनवाया? आधार कार्ड क्यों दिया? बैंक अकाउंट क्यों खुलवाया?‘ ‘क्या मैं असम की नागरिक नहीं? हमें बांग्लादेशी कह देते हैं। अगर यहां कोई बांग्लादेशी है तो मैं खुद उन्हें पकड़वाने में मदद करूंगी।’ रुबीना की तरह कई और भी लोग हैं, जो दावा करते हैं कि वे इस जमीन पर बीते 50 से 60 सालों से रह रहे थे, लेकिन अब अचानक प्रशासन ने उन्हें हटा दिया। 40 साल के करीम (बदला हुआ नाम) दावा करते हैं, 'मेरा जन्म यहीं हुआ था। सिर्फ मुसलमान होने की वजह से हमारे साथ ऐसा व्यवहार किया जा रहा है।' वे BJP और कांग्रेस दोनों पर राजनीति का आरोप लगाते हुए कहते हैं, ‘सिर्फ राजनीति के कारण दोनों सियासी दल हमें फुटबॉल की तरह इधर से उधर लात मार रहे हैं।‘ करीम आगे कहते हैं, ‘हमारा घर-बार बर्बाद हो चुका है। कुछ लोग खेतों में तो कुछ पेड़ों के नीचे रहने को मजबूर हैं। हम भी एक कैंप लगाकर रह रहे थे, लेकिन प्रशासन ने आकर उसे भी जला दिया। खाने-पीने तक का कोई जुगाड़ नहीं है। हम छोटे-छोटे बच्चों को गोद में लिए भटक रहे हैं।‘ वे सरकार से पुनर्स्थापना की मांग करते हुए कहते हैं, ‘हम यहीं पैदा हुए और जिंदगी भर यहीं रहे। सरकार से गुजारिश है कि वह जांच करे कि कहीं और हमारी जमीन है या हम भूमिहीन हैं। इसके साथ ही हमारी नागरिकता का फैसला भी कर दे।‘ सील-छाप मारकर बांग्लादेश भेज दो, छत तो मिल जाएगीआइशा (बदला हुआ नाम) भी कार्रवाई के बाद लोगों को कहीं और नहीं बसाए जाने से नाराज हैं। वे कहती हैं, ‘अगर हम बांग्लादेशी ही हैं तो थप्पड़ मारकर, गाली देकर, सील-छाप मारकर बांग्लादेश भेज दो। कम से कम वहां तो कोई छत मिल जाएगी। यहां तो इंसानियत भी नहीं बची है।‘ आइशा भी असम के CM हिमंत बिस्व सरमा से कहीं और बसाने की अपील करती हैं। वे कहती हैं, ‘अगर हमने गलती की, अवैध कब्जा किया तो हमें उजाड़ दो, लेकिन अब हमें बसाओ भी। आज यहां बेघर हुई प्रेग्नेंट महिलाएं हैं। छोटे-छोटे बच्चे और बूढ़े मां-बाप हैं। आखिर अब ये लोग कहां जाएंगे। हम सड़क पर आ गए हैं। पेड़ों के नीचे आसरा लिए हुए हैं। असम में क्या अब हम इंसान की तरह जी भी नहीं सकते।‘ NRC भी हुआ, लेकिन फिर भी घर तोड़ दियासाइबेआलम (बदला हुआ नाम) को बच्चों की पढ़ाई की चिंता है। वे कहते हैं कि उन्हें सभी सरकारी सुविधाएं मिल रही थीं। सरकार ने इंदिरा आवास योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी हर सुविधा दी। स्कूल, पानी का कनेक्शन और बिजली का कनेक्शन भी दिया। अब अचानक बेघर होने के चलते बच्चों की पढ़ाई नहीं हो पा रही है। वे कहते हैं, ‘अभी हम अपने बच्चों को लेकर जानवरों की तरह रह रहे हैं। न पीने के लिए पानी है और न खाने का कोई इंतजाम। हमारे बच्चे शिक्षा के अधिकार तक से भी वंचित हो रहे हैं। अगर हम भारतीय हैं, तो हमें फिर से क्यों नहीं बसाया जा रहा है?‘ साइबेआलम दावा करते हैं कि उनका NRC भी इसी जमीन का हुआ था, लेकिन फिर भी उनके साथ अन्याय हुआ है। AIUDF विधायक बोले- मदद भी नहीं करने दे रहा प्रशासन 3 दिसंबर को नागांव के धींग विधानसभा क्षेत्र से AIUDF विधायक अमीनुल इस्लाम भी लुटीमारी पहुंचे। वे पहलगाम हमले के बाद विवादित बयान को लेकर NSA की धाराओं में जेल जा चुके हैं। 28 नवंबर को ही उन्हें रिहाई मिली है। वे लुटीमारी में बेघर हुए लोगों से बात करने पहुंचे थे। अमीनुल कहते हैं कि ठंड में लोगों को कोई मदद नहीं मिल रही। कहीं शरण लें तो पुलिस पिटाई कर देती है। रात को तारपोलिन से आश्रय लेने पर आग लगा दी जाती है। सरकार ने इन्हें जिंदा मारने के इरादे से छोड़ दिया है। किसी ने इंसानियत के नाम पर चावल लाने की कोशिश की तो उसे गिरफ्तार कर लिया गया। अमीनुल दावा करते हैं कि लुटीमारी का इलाका 1972 से डी-रिजर्व्ड फॉरेस्ट घोषित था। इसके बाद ही लोग यहां बस गए। पिछली सरकार ने इसे फिर से रिजर्व फॉरेस्ट घोषित कर दिया, जबकि लोग पहले से ही यहां रह रहे थे। वे आगे कहते हैं, ‘ये लोग भारतीय नागरिक हैं। आजादी से पहले से ही असम में रह रहे हैं। उनके पास दस्तावेज मौजूद हैं, यहां एक भी बांग्लादेशी नहीं है, लेकिन सरकार मुसलमानों को संदिग्ध बताकर अत्याचार कर रही है।’ अतिक्रमण के नाम पर बांग्ला भाषी मुसलमानों पर कार्रवाईनागांव के सोशल एक्टिविस्ट इस्लाम काजी भी कार्रवाई में भेदभाव होने की बात करते हैं। वे कहते हैं कि लुटीमारी के आस-पास कई गांव फॉरेस्ट रिजर्व में आते हैं। यहां ज्यादातर हिंदू और कुछ ईसाई परिवार रहते हैं। इसीलिए इन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। वे कहते हैं, ’असम में सरकारी जमीन खाली कराने के नाम पर सिर्फ बांग्ला भाषी मुसलमानों के घरों पर कार्रवाई हो रही है। नागांव, सोनापुर, गोलपारा, होजाई जैसी कितनी जगहों पर बीते कुछ सालों में कार्रवाई की गई। सभी जगह धर्म देखकर ही कार्रवाई हो रही है।’ असम के CM हिमंत पर आरोप लगाते हुए काजी कहते हैं, खुद मुख्यमंत्री बांग्ला भाषी मुसलमानों को मियां (स्लैंग) मुसलमान बोलते हैं। वे मंच से इन कार्रवाइयों को सही ठहराते हैं। असम में 38 से 40% मुस्लिम आबादी है, लेकिन हिमंत सरकार चाहती है कि ये आबादी डर के साए में रहे। काजी सरकार पर विरोध की आवाज दबाने का भी आरोप लगाते हैं। वे कहते हैं, ’इन बुलडोजर कार्रवाइयों में लगातार मानवाधिकारों का हनन हो रहा है। विरोध करने वालों पर सरकार झूठे केस लगाकर दबाने की कोशिश करती है। काजी गुवाहाटी हाईकोर्ट पर भी सवाल उठाते हैं। वे कहते हैं, ’अर्जी लगाने पर कोर्ट इन कार्रवाई को सही ठहरा देता है। हालांकि कोर्ट ने कहा है कि लोगों के लिए दूसरी जगह रहने का इंतजाम किया जाए, मगर असम सरकार ये नहीं कर रही। हमें सरकारी जमीन खाली कराने से दिक्कत नहीं है, लेकिन सिर्फ मुसलमानों को बेदखल किया जाना और दूसरी जगह न देना गलत है।’ प्रशासन बोला- फॉरेस्ट रिजर्व एरिया में कोई भी कब्जा अवैध लोगों के आरोपों को लेकर हमने लोकल प्रशासन से बात करने की कोशिश की। लुटीमारी कामपुर सर्किल ऑफिस में आता है। कामपुर सर्किल ऑफिसर अनन्या लाहकर से हमने बात करने की कोशिश की। उन्होंने हमारा कॉल नहीं उठाया और मैसेज का भी जवाब नहीं दिया। हालांकि सर्किल ऑफिस में एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बात की। उन्होंने बताया, ‘लगभग 1,700 परिवारों ने कई सालों से आरक्षित 5,962 बीघा वन भूमि पर कब्जा कर रखा था। इन परिवारों ने धीरे-धीरे इकोलॉजिकली सेंसिटिव जोन में बस्तियां बना लीं। फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के नोटिस के बाद भी लोग हटने को तैयार नहीं थे।’ कार्रवाई में धर्म के आधार पर भेदभाव के आरोपों को अधिकारी गलत बताते हैं। वे दावा करते हैं कि बिना किसी भेदभाव के कब्जा करने वालों पर कार्रवाई की गई। फॉरेस्ट रिजर्व एरिया के अंदर किसी भी तरह का कब्जा अवैध माना जाता है। BJP बोली- घुसपैठियों को कांग्रेस ने बसाया असम सरकार पर मुस्लिम विरोधी कार्रवाई के आरोपों को लेकर हमने डिप्टी स्पीकर नुमल मोमिन से बात की। वे जमीन खाली कराने की कार्रवाई को जायज ठहराते हैं। वे कहते हैं कि सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा करने वालों को हटाना पूरी तरह न्यायोचित है। सरकार के रुख को लेकर नुमल मोमिन कहते हैं, ‘संदिग्ध तत्वों और बाहरी घुसपैठियों को असम के किसी भी हिस्से में बसने की अनुमति नहीं दी जाएगी। CM हिमंत ने ये साहसी कदम उठाया है, जो चुनाव के बाद भी जारी रहना चाहिए। असम की जनता ने हमें वोट देकर सत्ता सौंपी है, ताकि हम जमीन की रक्षा करें और ये कदम जनता की अपेक्षाओं के अनुरूप ही है।‘ नुमल मोमिन मानते हैं कि ये कदम बहुत पहले उठाया जाना चाहिए था, लेकिन देर से आए दुरुस्त आए। दस्तावेजों और सरकारी सुविधाओं के सवाल पर नुमल मोमिन कहते हैं, ‘ये लोग सरकारी जमीन पर ही अतिक्रमण करके बैठे थे। जो सुविधाएं उन्हें मिलीं, वे कांग्रेस सरकार की नीतियों का नतीजा हैं। कांग्रेस का मकसद असम को इस्लामिक स्टेट में बदलना था, इसलिए बांग्लादेश से आए घुसपैठिए मुसलमानों को जमीन, दस्तावेज और सुविधाएं देकर बसाया गया।‘ नागांव में पहले भी बंगाली मुस्लिमों के घरों पर बुलडोजर चलानागांव में इससे पहले भी बड़ी बुलडोजर कार्रवाई हो चुकी हैं। फरवरी 2023 में नागांव जिले के बुरहा चापोरी वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी में दो दिनों तक कार्रवाई हुई। तब भी आरोप लगे थे कि सिर्फ 2,500 से ज्यादा बंगाली मुस्लिम परिवारों के घरों, आंगनवाड़ी केंद्रों और स्कूलों को ध्वस्त किया गया। 19 दिसंबर 2022 को बटद्रवा में करीब 500 परिवारों के घरों, स्कूलों और मस्जिदों पर बुलडोजर चला। यहां भी बंगाली मुस्लिम परिवारों पर कार्रवाई करने के आरोप लगे थे।..........................ये खबर भी पढ़ें... कैसे ढह गया इंडिगो का सिस्टम, क्राइसिस की इनसाइड स्टोरी ‘मैं करीब 10 साल से एयरलाइन इंडस्ट्री में काम कर रहा हूं। आज तक इतना बड़ा संकट नहीं देखा। मुझे लगता है कि इंडिगो की दिक्कत किसी दूसरे की नहीं, बल्कि कंपनी की खुद की बनाई हुई है। मैंने अपने कई साथी पायलट से भी बात की, तब इस नतीजे पर पहुंचा हूं।’ 34 साल के पायलट कैप्टन रोहित सक्सेना (बदला हुआ नाम) एयरलाइन कंपनी इंडिगो में 3 साल से काम कर रहे हैं। रोहित को 5 हजार फ्लाइंग अवर्स का अनुभव है। पढ़िए पूरी खबर...
India US News: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को अंदाजा नहीं था कि पीएम मोदी को छेड़कर वे अपने मुल्क का कितना बड़ा नुकसान करवा रहे हैं. अब मोदी की पावर उन्हें अपने देश की संसद में ही देखनी पड़ गई है.
China-Japan Military Tension: ताइवान को लेकर चीन-जापान के बीच सैन्य तनातनी अब बड़ी मोर्चाबंदी की ओर बढ़ती दिख रही है. चीन के साथ जहां रूस खुलकर आ गया है. वहीं जापान के साथ अमेरिका खड़ा हो गया है.
Thailand-Cambodia Military Conflict: दूसरे मुल्कों के झगड़े में कूदकर शांति-शांति चिल्लाने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अब खुद हमले की तैयारी कर रहे हैं. उन्होंने अटैक के लिए टारगेट भी चुन लिया है. बस अब सही मौके का इंतजार किया जा रहा है.
Para Jumping News: जरा सोचिए, आप 15 हजार फीट की ऊंचाई से छलांग लगा रहे हों और तभी आपके पैराशूट की रस्सियां प्लेन की टेल में फंस जाएं. ऐसे में आपके जी पर क्या बीतेगी. ऑस्ट्रेलिया में ऐसा ही एक डरावना वाकया सामने आया है.
पाकिस्तान के पूर्व पीएम और पीटीआई संस्थापक इमरान खान की बहन अलीमा खान को दो साल पुराने डी- चौक मामले में एंटी टेररिज्म कोर्ट ने अवमानना नोटिस के साथ जमानती अरेस्ट वारंट जारी किया है। स्थानीय मीडिया ने इसकी जानकारी दी है
दुनिया भर में सबसे ज्यादा खजानों वाली 4 जगहें, कल्पना से भी ज्यादा छिपा है सोना-चांदी
Worlds Largest Treasures: खजानों के बारे में सुनना बड़ा रोमांचक लगता है. कहीं सदियों पुराने मंदियों में, तो कहीं डूबे जहाजों में. दुनिया भर में ऐसी कई जगहे हैं, जहां आपकी कल्पना से भी ज्यादा सोना-चांदी छिपा मिल जाएगा.
बांग्लादेश में चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों की तैयारियां शुरू, आज हो जाएगा तारीखों का ऐलान
बांग्लादेश में 13वें राष्ट्रीय चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। इस बीच बांग्लादेशी मीडिया ने जानकारी दी है कि चुनाव और जुलाई नेशनल चार्टर (रिफॉर्म चार्टर) पर जनमत संग्रह का शेड्यूल गुरुवार शाम 6 बजे घोषित किया जाएगा
मोदी-पुतिन की सेल्फी पर अमेरिका में बवाल...फंस गए डोनाल्ड ट्रंप!...विपक्ष ने लगाए गंभीर आरोप
Modi Putin Car Selfie: प्रधानमंत्री मोदी और रूस के राष्ट्रपति पुतिन की मशहूर कार सेल्फी अमेरिकी संसद में भी दिखाई गई. सांसद सिडनी कामलागर-डोव ने विदेश नीति पर एक सुनवाई के दौरान इस फोटो वाला पोस्टर उठाया और कहा कि अमेरिका की नीतियां भारत को रूस के और करीब धकेल रही हैं. उन्होंने टैरिफ से जुड़े फैसलों को लेकर ट्रंप सरकार को चेतााया है.

