एशिया कप में भारत और पाकिस्तान आमने सामने होंगे, जिसको लेकर देशभर में एक विवाद की स्थिति बनी हुई है। इसी बीच दिग्गज रेडियो कमेंटेटर और पद्मश्री सुशील दोषी ने पाकिस्तान से क्रिकेट खेलने को लेकर बड़ा बयान दिया। दैनिक भास्कर से बातचीत में उन्होंने कहा कि क्रिकेट सभ्य लोगों का खेल है और आतंकवाद असभ्य हरकत। ऐसे में सभ्य खेल में असभ्य लोगों की कोई जगह नहीं हो सकती। दोषी ने कहा-“मैं तो ये सोचता हूं कि अगर आप आतंकवाद फैलाते हो और दूसरी तरफ क्रिकेट खेलते हो, तो ये साथ-साथ नहीं चल सकता। पाकिस्तान के साथ न खेलकर हमें उसे क्रिकेट से अलग-थलग करना चाहिए। सुशील मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी का वार्षिक अलंकरण समारोह में अलंकृत होने के लिए सोमवार को भोपाल पहुंचे थे। दोषी ने कहा- आप दुनिया को कैसे समझा सकते हैं कि हॉकी तो खेलेंगे, लेकिन क्रिकेट नहीं खेलेंगे, टेनिस खेलेंगे लेकिन क्रिकेट नहीं खेलेंगे, विदेशों में जाकर खेलेंगे लेकिन पाकिस्तान से क्रिकेट खेलेंगे? ऐसा नहीं होना चाहिए। करना ये चाहिए कि भारत न सिर्फ खुद पाकिस्तान का बहिष्कार करे बल्कि दुनिया के देशों को भी इसके लिए प्रेरित करे।” भारत के पास है ताकत, पाकिस्तान को कर सकता है मजबूरदोषी ने भारत की ताकत और जिम्मेदारी पर जोर देते हुए कहा “आज भारत क्रिकेट का सुपर पावर है। हमारे पास इतनी ताकत है कि अपनी इच्छा से लोगों को मानने के लिए मजबूर कर सकते हैं। इसलिए भारत को चाहिए कि वह अपनी शक्ति का प्रदर्शन करे और दुनिया से भी पाकिस्तान को अलग-थलग करने के लिए कहे। इससे बेहतर मौका नहीं हो सकता। उन्होंने कहा—“कहते हैं ना, उस जगह को दबाओ जहां सबसे ज्यादा दर्द होता है। पाकिस्तान को सबसे ज्यादा दर्द तब होगा जब क्रिकेट में उसे अलग-थलग कर दिया जाएगा। जब भारत उसके साथ नहीं खेलेगा तो यह सबसे बड़ा संदेश होगा। रेडियो मेरी पहचान, मेरी मोहब्बत दोषी कहते हैं रेडियो आज भी मेरी मोहब्बत है। मैं आज भी रेडियो सुनता हूं। गाने भी सुनता हूं और समाचार भी। मुझे पहचान रेडियो से मिली। भले ही टेलीविजन पर ज्यादा कमेंट्री की हो, लेकिन रेडियो ने मुझे जो दिया उसे मैं कभी भूल नहीं सकता। रेडियो सिर्फ खेल ही नहीं, भाषा और साहित्य के संस्कार भी देता था। जिस तरह से शब्दों को साफ, सुथरे और सही उच्चारण के साथ बोलना रेडियो पर सीखा, वैसा और कहीं नहीं। रेडियो ने ही हमें यह सिखाया कि श्रोताओं के दिल तक बात कैसे पहुंचानी है। पहली कमेंट्री का अनुभव और आज भी घबराहट अपनी पहली कमेंट्री को याद करते हुए दोषी बताते हैं “नर्वसनेस तो आज भी होती है। जिसने कमेंट्री से मोहब्बत की है, वह घबराए बिना रह ही नहीं सकता। मोहब्बत की शुरुआत ही नर्वसनेस से होती है। जैसे बल्लेबाज पिच पहचान कर सेट हो जाता है, वैसे ही दो-तीन वाक्य बोलते ही आत्मविश्वास आ गया। आज भी जब कमेंट्री बॉक्स में बैठता हूं तो वही हल्की घबराहट होती है और वही मोहब्बत का एहसास भी। रेडियो और टीवी में बुनियादी फर्कटीवी और रेडियो कमेंट्री के फर्क पर वे कहते हैं “रेडियो पर आपको अपनी आवाज से पिक्चर क्लियर करनी होती थी। श्रोता के कानों में खेल का पूरा चित्र खींचना पड़ता था। वहीं टेलीविजन पर तो चित्र सामने होता है। इसलिए टीवी पर कम बोलना चाहिए, लेकिन जो भी बोलो वो सार्थक होना चाहिए। टीवी कमेंट्री का गोल्डन रूल है—‘कम बोलो लेकिन ऐसा बोलो जो तस्वीर को और स्पष्ट करे।’ मैंने हमेशा इस नियम को फॉलो किया है। अगर आप तस्वीर में कुछ जोड़ नहीं सकते तो बेहतर है चुप रहें।” जब कीथ मिलर ने की थी तारीफदोषी ने ऑस्ट्रेलिया का एक किस्सा सुनाया कि मैं वहां कमेंट्री कर रहा था। जब पलटकर पीछे देखा, महान ऑलराउंडर कीथ मिलर खड़े थे। उन्होंने कहा‘बॉय, आई हैव नॉट अंडरस्टुड अ सिंगल वर्ड ऑफ व्हाटएवर यू हैव सेड, बट व्हाटएवर केम इन टू इयर्स वाज़ वेरी स्वीट। मतलब, समझ कुछ नहीं आया लेकिन कानों को मीठा बहुत लगा। यह मेरे लिए बहुत बड़ी तारीफ थी। पर जिंदगी का सबसे बड़ा कॉम्प्लीमेंट मुझे तब मिला जब किसी ने कहा‘आपकी आवाज ईमानदार आवाज है। सुनील गावस्कर को मानता हूं सबसे बड़ा अपने पसंदीदा क्रिकेटर और दौर पर दोषी कहते हैं “मैंने कई युग देखे। सुनील गावस्कर, सचिन तेंदुलकर, धोनी और विराट कोहली सबके दौर का गवाह हूं। सुनील गावस्कर को मैं सिर्फ खिलाड़ी नहीं, एक व्यक्तित्व के तौर पर बड़ा मानता हूं। उन्होंने भारतीय क्रिकेट को सम्मान दिया। 1979 का इंग्लैंड दौरा, पाकिस्तान और साउथ अफ्रीका का दौरा मेरे करियर के यादगार पड़ाव रहे। अमेरिका जाकर हिंदी में कमेंट्री करने वाला मैं पहला कमेंटेटर था। लोग चाहे मुझे बड़ा कमेंटेटर कहें, लेकिन मैं खुद को हमेशा हिंदी भाषा का अदना सिपाही ही मानता हूं। जो भी किया, उसमें मेरी मेहनत से ज्यादा ईश्वर की मदद रही है। भारतीय बॉलिंग अब संतुलित, पर स्पिन का जादू कमदोषी ने भारतीय गेंदबाजी के सफर पर कहा— “पहले भारत के पास तेज गेंदबाज नहीं होते थे। पहला ओवर भी कई बार स्पिनर करता था। लेकिन अब भारत का अटैक बैलेंस्ड है। तेज गेंदबाज भी हैं, स्पिनर्स भी। हां, दुख इस बात का है कि आज क्वालिटी स्पिनर्स कम हो गए हैं। बिशन सिंह बेदी जैसा फ्लाइट करने वाला स्पिन अब नहीं दिखता। हरभजन और अश्विन ने जादू दिखाया था, लेकिन नई पीढ़ी में वह कला कम नजर आ रही है। आज के स्पिनर धैर्य की परीक्षा लेकर विकेट लेते हैं, कला से नहीं। यह थोड़ी कमी खलती है।” बुमराह का डर सबसे बड़ा हथियारहाल के बॉलर्स पर वे कहते हैं “जसप्रीत बुमराह आज की तारीख में दुनिया के बेस्ट गेंदबाज हैं। फर्क सिर्फ विकेट लेने में नहीं है, बल्कि उनके सामने बल्लेबाज डरता है। यह डर पैदा करने की ताकत आज दुनिया में किसी और गेंदबाज में नहीं है। यही वजह है कि बुमराह को मैं आज का सबसे रोमांचक गेंदबाज मानता हूं।”
डिजिटल समाचार स्रोत
दैनिक भास्कर
26 Aug 2025 12:18 am