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आतंकवाद से निपटने बिहार ATS ने खोले 4 नए दफ्तर:गया, मोतिहारी, दरभंगा और पूर्णिया में होंगे ऑफिस, 346 नए पद निकाले जाएंगे

बिहार पुलिस ने आतंकवाद, राष्ट्रविरोधी गतिविधियों और संगठित अपराध से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए ATS (आतंकवाद निरोधक दस्ता) को सशक्त बनाने महत्वपूर्ण कदम उठाया है। पटना स्थित ATS मुख्यालय के अलावा गया, मोतिहारी, दरभंगा और पूर्णिया में चार नए क्षेत्रीय कार्यालय खोलने की तैयारी है। इन नए कार्यालयों के लिए कुल 346 नए पदों निकाले जाएंगे। पुलिस मुख्यालय की ओर से इससे संबंधित प्रस्ताव गृह विभाग को भेज दिया गया है। स्वीकृति मिलने के बाद इन कार्यालयों के गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। नए क्षेत्रीय कार्यालय बनाने से ATS की कार्यक्षमता बढ़ेगी- एडीजी सोमवार को बिहार पुलिस मुख्यालय, सरदार पटेल भवन में एडीजी (विधि-व्यवस्था) पंकज कुमार दराद ने प्रेस वार्ता किया। उन्होंने बताया कि इन नए क्षेत्रीय कार्यालयों के बनने से ATS की कार्यक्षमता और जवाबदेही में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। प्रत्येक कार्यालय से आसपास के कई जिलों को जोड़ा जाएगा, जिससे स्थानीय स्तर पर समय पर सूचना संकलन और कार्रवाई सुनिश्चित हो सकेगी। ये इकाइयां जिलों के स्पेशल ब्रांच के समानांतर कार्य करेंगी। एटीएस सीमावर्ती इलाकों में आतंकी गतिविधियों पर विशेष नजर रख रही है। इसके साथ ही, राष्ट्रविरोधी धाराओं में जेल से रिहा होने वाले अपराधियों की गतिविधियों पर भी निरंतर निगरानी की जा रही है, ताकि किसी भी साजिश को प्रारंभिक स्तर पर ही विफल किया जा सके। एडीजी ने जानकारी दी कि एटीएस की सोशल मीडिया निगरानी इकाई ने अब तक 176 लोगों को चरमपंथी विचारधारा से जुड़े होने के कारण चिन्हित किया है। इनमें से 12 व्यक्तियों को काउंसलिंग के माध्यम से अति चरमपंथी सोच से बाहर लाने का प्रयास किया गया है, जो कट्टरपंथ के प्रसार को रोकने में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। मादक पदार्थ और शराब तस्करी पर भी फोकस एडीजी पंकज दराद ने बताया कि राज्य के सभी थानों में एक अधिकारी और एक सिपाही को विशेष रूप से आसूचना कलेक्ट करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। ये कर्मी मादक पदार्थों की तस्करी, अवैध शराब कारोबार, आतंकवाद और अन्य संगठित अपराध से जुड़ी सूचनाएं जुटाकर जिला मुख्यालय और पुलिस मुख्यालय तक पहुंचाएंगे। ये टीमें जिलों में गठित सीएटी के साथ समन्वय स्थापित कर काम करेंगी। नए साल पर हाई अलर्ट, सीमाओं-शहरों में बढ़ेगी चौकसी न्यू ईयर के मद्देनजर राज्यभर में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी करने के निर्देश जारी किए गए हैं। सीमावर्ती थानों को एसएसबी के साथ समन्वय कर सीमा पर चेकिंग और गश्ती बढ़ाने को कहा गया है। सभी थानों को रात्रि गश्ती तेज करने और शराब तस्करी पर सख्ती से कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। 1421 अपराधी चिन्हित, तीन की संपत्ति जब्त एडीजी ने बताया कि BNSS की धारा-107 के तहत अपराध से अर्जित संपत्ति की जब्ती की कार्रवाई तेज कर दी गई है। अब तक 1421 अपराधियों को चिन्हित किया गया है। 407 मामलों में प्रस्ताव न्यायालय को भेजे गए हैं। 80 मामलों में प्रक्रिया जारी है, जबकि बेगूसराय, मुजफ्फरपुर और वैशाली के तीन कुख्यात अपराधियों की संपत्ति जब्त की जा चुकी है। इसके साथ ही जनवरी से 22 दिसंबर तक 12.69 लाख लोगों के खिलाफ निरोधात्मक और 3.63 लाख के खिलाफ बंध-पत्र की कार्रवाई की गई है।

दैनिक भास्कर 29 Dec 2025 8:52 pm

मुसीबतों से घिरा आतंक का सबसे बड़ा समर्थक देश, आतंकवादी संगठन से हुई पुलिस की झड़प, 7 पुलिसकर्मी घायल

Turkiye News: आतंकवाद को पालने वाले देश पाकिस्तान का समर्थक देश तुर्की अब खुद आतंकवाद को लेकर डरा-सहमा है, इसी बीच उत्तर-पश्चिमी तुर्की के यालोवा प्रांत में इस्लामिक स्टेट (IS) के संदिग्ध मिलिटेंट्स के साथ झड़प हुई, जिसमें तुर्की पुलिस के 7 ऑफिसर घायल हो गए है.

ज़ी न्यूज़ 29 Dec 2025 12:42 pm

किश्तवाड़ और डोडा में सेना का आतंकवाद विरोधी अभियान तेज, बर्फीले इलाकों में गश्त जारी

भारतीय सेना ने जम्मू-कश्मीर के किश्तवार और डोडा जिलों में अपने आतंकवाद-विरोधी अभियान तेज कर दिए हैं

देशबन्धु 28 Dec 2025 9:48 am

अमित शाह आज करेंगे ‘आतंकवाद निरोधी सम्मेलन’ का उद्घाटन

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह शुक्रवार (26 दिसंबर) को नई दिल्ली में ‘आतंकवाद निरोधी सम्मेलन’ का उद्घाटन करेंगे

देशबन्धु 26 Dec 2025 7:28 am

जिस थाने में संतरी रहे, वहीं अब SHO बने:हवलदार से ASI बनने में 20 साल लगे; पंजाब में आतंकवाद के दौर में भी गेट पर डटे रहे

पंजाब पुलिस में एक रोचक मामला सामने आया है। यहां एक मुलाजिम जिस थाने में संतरी रहा, वहीं अब SHO बन गया। 36 साल की सर्विस के बाद तरक्की और पढ़ाई कर पाई प्रमोशन से वह इस पद तक पहुंचे। वह 1984 में आतंकवाद के दौर में भी संवेदनशील पुलिस थाने में संतरी की ड्यूटी पर डटे रहे। हालांकि इसके लिए उन्हें लंबा इंतजार भी करना पड़ा। एक दौर तो ऐसा था कि उन्होंने कॉन्स्टेबल से ASI बनने का सपना ही छोड़ दिया था। मगर, 20 साल बाद उन्हें असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर की तरक्की मिल ही गई। इसके बाद ASI से सब इंस्पेक्टर बनने में भी उनको 10 साल लग गए। हालांकि SI के तौर पर उनका काम देखकर पुलिस विभाग ने उन्हें 2 साल में ही सब इंस्पेक्टर से इंस्पेक्टर प्रमोट कर दिया। यह कामयाबी पाई है पंजाब के मोगा में जन्मे सुरजीत सिंह ने। जो अब लुधियाना के थाना जगराओं सदर में SHO की कुर्सी संभालेंगे। संतरी से SHO बनने वाले इंस्पेक्टर सुरजीत की पूरी कहानी... आतंकवाद के दौर में भी ड्यूटी पर डटे रहेसुरजीत सिंह ने बताया कि 1984 में आतंकवाद के दौर में उनकी पोस्टिंग बतौर संतरी बटाला में हुई। बटाला पंजाब में सबसे सेंसिटिव एरिया माना जाता था। उस दौर में थाने आतंकियों के निशाने पर रहते थे। ऐसे में थाने के गेट पर रहना एक चुनौती पूर्ण काम होता था। कई बार कुछ लोग धमकाकर भी जाते थे लेकिन स्पोर्ट्स मैन होने के कारण उनके अंदर जज्बा था और वो कभी इससे डरे नहीं। आतंकवाद के चुनौतीपूर्ण दौर में उनका तबादला लुधियाना जिले में हुआ, जहां वे तब से लगातार सेवाएं दे रहे हैं। 20 साल प्रमोशन न हो से मानसिक पीड़ा हुईसुरजीत सिंह ने बताया कि आतंकवाद के दौर में काम करने के बावजूद उन्हें हवलदार से एएसआई बनने के लिए 20 साल इंतजार करना पड़ा। लंबे समय तक प्रमोशन न मिलने से वो मानसिक पीड़ा से जूझते रहे। उन्होंने बताया कि उनसे जूनियर प्रमोट होते गए और उन्हें प्रमोशन नहीं मिली। आखिर में 1993 के बाद 2013 में उन्हें प्रमोशन मिली। बेअदबी-गैंगरेप जैसे केसों की जांच टीम में रहेकोटकपूरा में बेअदबी मामले के लिए बनाई गई टीम में सुरजीत सिंह को शामिल किया गया। उन्होंने इस केस की तहकीकात में शानदार काम किया और अफसरों को कई सबूत जुटाकर दिए। इसके अलावा 2019 में बहुचर्चित दाखा गैंगरेप मामले की जांच की टीम में भी सुरजीत सिंह रहे और आरोपियों को पकड़ने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई। पिता सरकारी टीचर रहे, उनके नाम पर खिलाड़ियों का सम्मानइंस्पेक्टर सुरजीत सिंह के पिता बिकर सिंह सरकारी स्कूल में टीचर थे। सुरजीत सिंह जब दसवीं कक्षा में गए तो उनके पिता ने उन्हें पुलिस में भर्ती होने के लिए प्रेरित किया। उस समय सरकारी नौकरी मिलना बड़ी बात होती थी। उन्होंने बताया कि उनके पिता का निधन तीन साल पहले हुआ। सुरजीत सिंह का अपने पिता से बेहद लगाव रहा। उनके पिता खिलाड़ियों को हमेशा प्रेरित करते रहे। सुरजीत सिंह अब अपने पिता की स्मृति में हर साल अपने गांव के उन खिलाड़ियों को सम्मानित करते हैं जो राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर खेलों में हिस्सा लेते हैं।

दैनिक भास्कर 26 Dec 2025 5:00 am