लॉरेंस के भाई अनमोल बिश्नोई को लाया जा रहा भारत, सलमान खान के घर पर फायरिंग मामले में वांटिड
Anmol Bishnoi: जेल में बंद लॉरेंस बिश्नोई के भाई अनमोल से जुड़ी बड़ी खबर सामने आ रही है. अमेरिका में छिपे बैठा गैंगस्टर अनमोल बिश्नोई कांग्रेस नेता बाबा सिद्दीकी के हत्याकांड में वांटेड है, जिसको सीबीआई भारत ला रही है.
सस्ती प्लेट में छुपा था जादुई रहस्य; दुकानदार रातोंरात बना लखपति, ब्रिटेन में कैसे हुआ चमत्कार?
UK News: कहते हैं कि आपकी किस्मत कब चमक जाए, इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है. ऐसा ही ब्रिटेन में एक शख्स के साथ हुआ, उसने मामूली कीमत पर कुछ बर्तन खरीदे लेकिन जैसे ही उसकी असलियत पता चली, उसके होश उड़ गए.
क्यों जमाल खशोगी की हत्या फिर से चर्चा में आई, जब सऊदी क्राउन प्रिंस अमेरिका पहुंचे?
MBS US Visit: सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की अमेरिका यात्रा के दौरान कई समझौतों पर दस्तखत होंगे, लेकिन 7 साल पहले जमाल खशोगी की हत्या की चर्चा फिर सामने आने लगी है.
SCO Summit: दिल्ली धमाके का 'इंतकाम' तय है...जयशंकर ने रूस की धरती से कह दी वो बात
SCO Summit:जयशंकर ने कहा,'आतंकवाद को कोई सफाई नहीं दी जा सकती, इससे मुंह नहीं मोड़ा जा सकता. ना ही पर्दा डाला जा सकता है.जयशंकर का यह बयान ऐसे वक्त पर आया है, जब दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास जोरदार धमाके में 15 लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए.
शेख हसीना को मिली मौत की सजा तो चीन बोला 'ये बांग्लादेश का अंदरूनी मामला'
Sheikh Hasina death sentence: इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल की तरफ से बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को फांसी की सजा दी है. क्योंकि, उनके खिलाफ मानवता के विरुद्ध अपराध करने का आरोप सिद्ध हुआ है. हालांकि, शेख हसीना फिलहाल भारत में हैं. बांग्लादेश ने शेख हसीना के प्रत्यर्पण को लेकर भारत से अपील की है. शेख हसीना को फांसी दिए जाने के फैसले पर अब चीन के विदेश मंत्रालय का बयान भी सामने आया है.
POK में पाकिस्तान ने बदला प्रधानमंत्री, बिलावल भुट्टो के करीबी फैसल राठौर को मिली कमान
PoK Prime Minister: राठौर को पीओके का पीएम बनाने के साथ ही विवाद भी बढ़ने लगा है. पीओके के राजनीतिक कार्यकर्ता अमजद अयूब मिर्जा ने फैसल को पीएम बनाने पर कड़ी आलोचना की है. अयूब मिर्जा ने फैसल पर पहले से कई गंभीर आरोप लगे होने की बात कही है.
लहरों के नीचे सोए हुए वो 3 शहर; जिसे अचानक निगल गया समंदर, लिस्ट में भारत का पड़ोसी भी है शामिल
Ocean Historical Story: समंदर के किनारे कई ऐसे शहर होते हैं जहां घूमना-टहलना लोग काफी पसंद करते हैं. ऐसे ही हम बताने चल रहे हैं कुछ ऐसे शहरों के बारे में जो अचानक समंदर में समा गए थे.
Sheikh Hasina Verdict Sentenced To Death:बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना का फिर सुर्खियों में है. उन पर 'मानवता के खिलाफ अपराध' का आरोप लगाकर फांसी की सजा सुनाई गई है. 78 साल की हसीना भारत में शरण लिए बैठी हैं, लेकिन ढाका की अदालत ने उन्हें और पूर्व गृह मंत्री आसदुज्जमां खान कमाल को मौत की सजा दे दी. इससे बांग्लादेश में तनाव चरम पर है. सड़कों पर झड़पें, पुलिस की लाठीचार्ज और बमबाजी है.
अचानक H1B वीजा प्रोग्राम का सपोर्ट करने लगे ट्रंप, अमेरिका को कौनसा डर सता रहा?
America H1B Visa Program: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H1B वीजा का समर्थन किया है. उनका कहना है कि इस वीजा के तहते देश में आने वाले लोग इसलिए जरूरी हैं क्योंकि वे अमेरिकी लोगों को ट्रेनिंग देते हैं.
Bangladesh News Update:बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को 17 नवंबर 2025 को ढाका के इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (आईसीटी) ने मौत की सजा सुना दी# यह सजा 2024 के जुलाई-अगस्त छात्र आंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारियों पर की गई क्रूर कार्रवाई के लिए है. ट्रिब्यूनल ने हसीना को मानवता के खिलाफ अपराधों का दोषी ठहराया, जिसमें 1,400 से ज्यादा मौतें शामिल हैं. फैसले के बाद बांग्लादेश में हालात बिगड़ गए हैं. जानें ताजा अपडेट.
ट्रंप ने एच-1बी वीजा के समर्थन को दोहराया, कहा- अमेरिका फिर से बड़े स्तर पर चिप बनाएगा
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर एच-वन-बी वीजा का समर्थन किया है। उनका कहना है कि विदेशों से आने वाले कामगार जरूरी हैं, क्योंकि वे अमेरिकी कामगारों को प्रशिक्षित करते हैं
इस मुस्लिम देश ने भारत के साथ खत्म किया ये 'रिश्ता', भारत ने भी फौरन लिया एक्शन
Iran ends visa-free entry: ईरान ने एक फैसला लेते हुए नई दिल्ली से तेहरान के बीच भारतीयों की सीधी एंट्री को बाधित कर दिया है. ईरान ने आखिर ये फैसला क्यों लिया, क्या है इसके मायने और क्या ईरान सरकार के इस फैसले का दोनों देशों के रिश्ते पर कोई असर पड़ेगा, आइए जानते हैं.
स्वीडन का गोथेनबर्ग शहर अपने ही नीचे दबे 400 साल पुराने न्या लोडोसे शहरको देखकर दंग है. ये शहर 15वीं सदी में बसा, 1547 में पहली बार खाली हुआ, फिर लौटकर बसा और 1624 में हमेशा के लिए वीरान हो गया. अब खुदाई में किला, खाई, पत्थर का फाटक और हज़ारों पुरानी चीज़ें मिलीं.जिसकी पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है.
Trump administration Sues California: कैलिफोर्निया में संघीय एजेंटों को लेकर 2 नए नियम निकाले हैं, जिसको लेकर ट्रंप प्रशासन ने संघीय अदालत में याचिका दायर की है.
शेख हसीना को मौत की सजा मिलने के बाद बांग्लादेश में तनाव, अंतरिम सरकार ने की शांति की अपील
बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल बांग्लादेश (आईसीटीबीडी) ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मौत की सजा सुनाई है
डोनाल्ड ट्रंप के गाजा प्लान को यूएन की मंजूरी, इन 2 ताकतवर देशों ने नहीं की वोटिंग
इजरायल हमाल की जंग में गाजा पट्टी पूरी तरह तबाह हो गई है, इसको फिर नॉर्मल बनाने के लिए ट्रंप के प्लान को यूनाइटेड नेशंस की मंजूरी मिल गई है.
सेक्स करने वाले लोगों में अक्सर एड्स का खतरा ज्यादा होता है, लेकिन क्यों, भारत में जल्द ही लेनाकापविर की एंट्री के बाद क्या ये डर खत्म हो सकता है. ये कैसे काम करता है,कितने रुपए में मिलेगा, पूरी जानकारी के लिए ऊपर दी गई इमेज पर क्लिक कर देखें वीडियो
नवंबर 1962। भारत और चीन के बीच जंग जारी थी। लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानी LAC के नजदीक लद्दाख के रेजांग ला में 13 कुमाऊं बटालियन की चार्ली कंपनी तैनात थी। माइनस 30 डिग्री की तूफानी हवाओं से बचने के लिए जवानों के पास ढंग के स्वेटर और दस्ताने तक नहीं थे। पत्थरों से बने बिना छत वाले बंकर, जरूरत से आधी ऑक्सीजन के साथ इस चौकी पर जिंदा रहना भी किसी जंग से कम नहीं था। तभी आई 18 नवंबर 1962 की वो सुबह। चौकी पर तैनात जवानों ने देखा कि 3 हजार से ज्यादा चीनी सैनिक मॉडर्न हथियारों के साथ रेजांग ला दर्रे की ओर चले आ रहे हैं। उनसे भिड़ने का मतलब था मौत। कंपनी कमांडर मेजर शैतान सिंह भाटी ने आदेश दिया- एक इंच भी पीछे नहीं हटना है। और फिर शुरू हुई वह जंग, जो मिसाल बनी। महीनों बाद जब बर्फ पिघली, तो पोजिशन में उनकी जमी हुई देह मिली। साथ ही दिखा चीनी सैनिकों का राइफलें उल्टी रखकर दिया गया Arms Down Salute। 21 नवंबर को रिलीज होने वाली फरहान अख्तर की फिल्म ‘120 बहादुर’ ने इस लड़ाई को फिर सुर्खियों में ला दिया है। कौन थे ये 120 योद्धा? रेजांग ला में उस रात क्या हुआ था और अब क्यों मच रहा है विवाद; जानेंगे भास्कर एक्सप्लेनर में… रेजांग ला की लड़ाई से पहले भारत और चीन के सीमा विवाद को समझना जरूरी है। इसकी जड़ 1914 की मैकमोहन रेखा (McMahon Line) थी, जिसे भारत में ब्रिटिश राज के दौरान तिब्बत के साथ सीमा तय करने के लिए खींचा गया था, लेकिन चीन ने कभी इसे स्वीकार नहीं किया। 1950 में चीन ने तिब्बत पर कब्जा कर लिया, तो भारत ने इसका खुलकर विरोध नहीं किया। तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की सरकार ‘हिंदी-चीनी भाई-भाई’ के नारे के साथ शांति की नीति पर कायम रही। 1959 में तिब्बत के धार्मिक नेता दलाई लामा छुपकर भारत आ गए, जिससे चीन भड़क गया। इसके बाद चीन ने अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख में लगातार घुसपैठ शुरू की। भारत ने जवाब में ‘फॉरवर्ड पॉलिसी’ अपनाई, यानी बॉर्डर के पास छोटी-छोटी चौकियां बनाकर अपने होने का एहसास कराया। इसी नीति के तहत भारतीय सेना ने अक्साई चिन और लद्दाख के इलाकों में कई पोस्टें बनाई थीं, जिनमें से एक थी रेजांग ला पोस्ट। ये इलाका करीब 16,000 फीट की ऊंचाई पर था, जहां तापमान -30 डिग्री तक गिर जाता था और ऑक्सीजन बेहद कम थी। 29 सितंबर 1962 को 13 कुमाऊं बटालियन को इस पोस्ट में तैनाती के आदेश मिले। उस समय चार्ली कंपनी के मुखिया थे मेजर शैतान सिंह भाटी। वो राजस्थान के जोधपुर जिले के बनासर गांव के रहने वाले एक राजपूत थे। बटालियन के ज्यादातर जवान उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और पंजाब से ताल्लुक रखते थे। कश्मीर में पोस्टिंग के चलते ये जवान सर्दियों में रहना सीख चुके थे, लेकिन बर्फ से इनका पाला कम ही पड़ा था। लद्दाख में विंड चिल फैक्टर भी काम करता है। यानी इतनी ठंडी हवाएं चलती हैं कि खाने-पीने की सारी चीजें पत्थर बन जाती हैं। बटालियन का हिस्सा रहे लांस नायक रामचंद्र यादव के मुताबिक, ‘लद्दाख की ठंड से निपटने के लिए जवानों के पास ढंग के कपड़े तक नहीं थे। कुछ ही दिनों बाद जवान बीमार पड़ने लगे।’ शुरुआत के दिनों में खाना बनाते वक्त बर्तनों ने जवाब दे दिया, तो जवानों ने बिस्किट खाकर काम चलाया। फिर एक बड़े प्रेशर कुकर का इंतजाम हुआ, जिसमें चावल उबालकर खाए गए। 20 अक्टूबर को भारत-चीन युद्ध शुरू हुआ। शुरुआती झड़पों में ही भारतीय सेना को पीछे हटना पड़ा और चीन ने तवांग, बोमडिला और गलवान जैसी चौकियों पर कब्जा कर लिया। नेविल मैक्सवेल अपनी किताब ‘इंडियाज चाइना वॉर’ में लिखते हैं कि युद्ध के पहले हफ्तों में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को ये विश्वास था कि चीन भाईचारे के रिश्ते को नहीं तोड़ेगा, लेकिन जैसे-जैसे भारतीय चौकियां गिरती गईं, उन्हें धक्का लगता गया। इधर, लद्दाख में चुशूल ही एकमात्र इलाका बचा था, जिस पर अभी तक तिरंगा लहरा रहा था। रेजांग ला पास पर 13 कुमाऊं बटालियन तैयारियों में जुटी गई थी। बोरे मंगवाए गए, जिनमें कॉन्क्रीट भरकर बंकर बनाए गए। रेजांग ला में भारतीय सेना के पास ऊंचाई का एडवांटेज था। वो 18 हजार 300 फीट की ऊंचाई पर थी, जबकि चीनी सैनिक 16 हजार फीट पर। देर रात बर्फीले तूफान के बीच सैनिक अपने-अपने बंकरों में थे, लेकिन रेडियो ऑपरेटर लांस नायक रामचंद यादव को ब्रिगेड हेडक्वार्टर से एक संदेश मिला, जिसमें कंपनी को पीछे हट जाने का आदेश दिया गया। इस पर कंपनी कमांडर मेजर शैतान सिंह भाटी ने कहा- ‘हम अपनी पोजिशन नहीं छोड़ेंगे। जब तक जिंदा हैं, रेजांग ला की मिट्टी नहीं छोड़ेंगे।’ 18 नवंबर का सूरज अभी निकला नहीं था। रात के अंधेरे में दुश्मन दबे पांव रेजांग ला की ओर बढ़ने लगा। सबसे आगे की पोस्ट पर तैनात जवानों ने मेजर शैतान सिंह को सिग्नल भेजा, तो उनका जवाब आया कि चीनी सैनिक जैसे ही उनकी रेंज में आएं, फायरिंग शुरू कर दी जाए। ऑर्डर मिलते ही भारतीय जवान दुश्मन पर मशीन गन्स और लाइट मशीन गन्स की मदद से ताबड़तोड़ फायर करने लगे। कुछ ही मिनटों के बाद मेजर को इत्तला दी गई कि चीनी सैनिकों को आगे बढ़ने से रोक दिया गया है और अब तक किसी भी जवान को खरोंच तक नहीं आई है। वहीं, दूसरी ओर चीन ने सुबह साढ़े 4 बजे एक नई चाल चली। बटालियन की सभी पोस्ट्स पर एक साथ शेलिंग की। आसमान से बरसते बारूद के गोलों ने जवानों का खड़े रहना मुश्किल कर दिया। शैतान सिंह ने कहा कि जवान चाहें तो पीछे हट सकते हैं। इस पर आगे की सीमा पर लड़ रहे अहीर जवानों का जवाब आया-‘चिंता मत कीजिए साहब, हमें भगवान श्री कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त है।’ इस पर शैतान सिंह ने कहा-‘मैं तुम लोगों के साथ हूं और भले ही मेरे नाम में भाटी लगा है, लेकिन आज मैं भी यादव हूं।’ शैतान सिंह की बातों ने बाकी सैनिकों में भी जोश भरने का काम किया, लेकिन हकीकत ये थी कि 20 मिनट की उस शेलिंग ने सब कुछ तहस-नहस कर दिया था। जवानों के पास अब सिर्फ दूसरे विश्व युद्ध के दौर की 303 राइफलें थीं, जो चीन की हैवी आर्टिलरी के आगे नहीं टिक सकती थीं। 303 राइफलों को एक बार फायर करने के बाद फिर से लोड करना पड़ता था। कुलप्रीत यादव की किताब ‘द बैटल ऑफ रेजांग ला’ में इस बात का जिक्र मिलता है कि भारतीय जवानों के पास ठंड से लड़ने के कपड़े नहीं थे। वो मोटे हैंड ग्लव्स पहने हुए थे, जिससे बंदूक के ट्रिगर में उनकी उंगली नहीं जा पाती थी। इस बात का फायदा उठाकर चीनी सैनिकों ने पूरी ताकत से हमला किया। भारतीयों के टेंट और बंकर चकनाचूर हो गए, लेकिन उन्होंने लड़ना जारी रखा। कई सैनिकों के पैर कुचल दिए गए, वो गोलियां खाकर जमीन पर गिरने लगे। कुछ जवानों ने तो बिना हथियार के भी दो-दो हाथ किए, 2-3 चीनी सैनिकों को उठाकर पहाड़ी से नीचे फेंक दिया, मगर ये ज्यादा देर तक नहीं चल सका। मेजर शैतान सिंह बुरी तरह जख्मी हो गए थे। पहले उनके कंधे पर शेल का एक टुकड़ा आकर लग गया। फिर एक साथ 10 से ज्यादा गोलियां उनके पेट में आकर धंस गईं। उस समय उनके साथ मौजूद लांस नायक रामचंद्र यादव ने देखा कि मेजर की आंतें बाहर आ चुकी हैं। मेजर शैतान सिंह ने रामचंद्र से कहा कि बटालियन में जाओ रामचंद्र और उन्हें बताओ कि कंपनी कितनी बहादुरी से लड़ी और शहीद हो गई। सवा 5 बजे मेजर शैतान सिंह की सांसें थम चुकी थीं। इसके बाद रामचंद्र यादव ने उनके शरीर को बर्फ से ढंक दिया। मेजर शैतान सिंह के अंगरक्षक निहाल सिंह ने उनके आखिरी शब्द सुन लिए थे। वो वहां से निकलकर भाग जाना चाहते थे। उन्होंने किसी तरह अपनी लाइट मशीन गन के पुर्जे अलग किए, ताकि दुश्मन सैनिक उसका इस्तेमाल न कर सकें। लेकिन उनके दोनों हाथों में गोली लग चुकी थी और तभी चीनी सैनिकों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। फिर भी रात के अंधेरे में चीनी सैनिकों को चकमा देकर निहाल सिंह वहां से निकल भागे। भटकते-भटकते 19 नवंबर की दोपहर को निहाल सिंह हेडक्वार्टर पहुंचे, उन्हें जम्मू के अस्पताल में भर्ती कराया गया। जब अधिकारियों ने पूछा कि वहां क्या हुआ था, तो निहाल सिंह ने पूरी कहानी सुनाई। शुरुआत में उनकी बातों पर किसी ने भरोसा नहीं किया। इतिहासकार रचना बिष्ट एक इंटरव्यू में बताती हैं कि वो जवान रेजांग ला से वापस नहीं लौटे। उन्हें दो-तीन महीनों तक कायर कहा गया। आसपास के गांववालों ने उनके परिवारों से बात करना भी छोड़ दिया। यहां तक कि उनके बच्चों को भी स्कूल से निकाल दिया गया। 3 महीने बाद फरवरी 1963 में एक स्थानीय चरवाहे ने बर्फ में जमी लाशें देखकर नजदीकी भारतीय पोस्ट को सूचित किया। सूचना मिलने पर सर्च के लिए टीम भेजी गई। टीम ने वहां जो देखा, वो होश उड़ा देने वाला था। 13 कुमाऊं बटालियन के सैनिकों के शव मोर्चे पर अपनी पोजिशंस पर ही जमे मिले। कितने तो मरते-मरते हथियार जकड़े ही हुए थे। अंतिम संस्कार के लिए हथियारों को अलग करने में मेडिकल टीम के पसीने छूट गए। रेजांग ला की इस लड़ाई में 113 भारतीय सैनिक शहीद हुए। 6 जवानों को बंदी बना लिया गया, जिनमें से एक निहाल सिंह कैद से भाग निकले। एक की मृत्यु चीन की कैद में हुई और 4 वापस देश लौट गए। रेजांग ला की लड़ाई में भारतीय जवानों ने चीनियों को करारा जवाब दिया था। बाद में खुद चीन के रेडियो प्रसारण ने माना कि इस मुकाबले में उनके सैनिकों की हताहत संख्या भारत की तुलना में चार से पांच गुना ज्यादा हुई थी। माना जाता है कि उनकी वीरता को देखकर चीनी सैनिक भी स्तब्ध रह गए थे। जब टीम वहां पहुंची तो उन्होंने देखा कि चीनी सैनिक कई भारतीय सैनिकों की लाशों को आर्म्स डाउन सेल्यूट देकर गए थे। इसे सैनिक परंपरा में सम्मान और श्रद्धांजलि का प्रतीक माना जाता है। आसान शब्दों में कहें तो लाशों पर चीनी सैनिकों की राइफलों के मुंह नीचे की ओर झुके हुए रखे गए थे। कुछ रिकॉर्ड्स ये भी कहते हैं कि लड़ाई के बाद चीनी सैनिकों ने अपने कमांडरों से जाकर कहा था- They did not retreat an inch यानी वे एक इंच भी पीछे नहीं हटे। 13 कुमाऊं की ‘सी कंपनी’ को बाद में कई सम्मान मिले। मेजर शैतान सिंह को मरणोपरांत परमवीर चक्र, जबकि आठ अन्य जवानों को वीर चक्र से सम्मानित किया गया। छह बचे हुए सैनिकों में से पांच को सेना मेडल और एक को मेंशन इन डिस्पैच दिया गया। यह एकमात्र ऐसी कंपनी थी जिसे भारतीय सेना के इतिहास में सबसे ज्यादा वीरता पुरस्कार एक साथ मिले। फरहान अख्तर की फिल्म का ट्रेलर लॉन्च होने के बाद इसका नाम ‘120 बहादुर’ से बदलकर ‘120 वीर अहीर’ करने की मांग उठाई जा रही है। अहीर समाज का आरोप है कि फिल्म में अहीरों की कहानी को कम दिखाकर, इसे मेजर शैतान सिंह भाटी पर केंद्रित कर दिया गया है। अब सच्चाई क्या है, ये तो फिल्म रिलीज होने के बाद ही पता चला चलेगा। **** ये स्टोरी दैनिक भास्कर में फेलोशिप कर रहे प्रथमेश व्यास ने लिखी है। **** References and Further Readings: -------------- ये खबर भी पढ़िए... जब ईरान ने 53 अमेरिकियों को बंधक बनाया:अमेरिका गिड़गिड़ाता रहा, छुड़ाने गए 8 कमांडोज की लाश लौटी; 444 दिनों के जद्दोजहद की कहानी 4 नवंबर 1979 की सुबह… यानी आज से ठीक 46 साल पहले। वॉशिंगटन डीसी स्थित अमेरिकी विदेश मंत्रालय के दफ्तर का फोन बजा। कॉल ईरान से थी। वहां अमेरिकी दूतावास की पॉलिटिकल ऑफिसर एलिजाबेथ ऐन स्विफ्ट ने हांफते हुए कहा- हमला हो गया है। भीड़ दीवार फांदकर दूतावास के अंदर घुस रही है और दूतावास पर कभी भी कब्जा हो सकता है। एलिजाबेथ के आखिरी शब्द थे- ‘वी आर गोइंग डाउन’। पूरी खबर पढ़ें...
मोहम्मद बिन सलमान की अमेरिका दौरा, सऊदी के साथ इस लड़ाकू विमान की डील करेंगे ट्रंप
सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान 7 साल बाद अमेरिका दौरे पर होंगे, जहां F-35 स्टील्थ लड़ाकू विमानों की बिक्री को ट्रंप मंजूरी देंगे.
बांग्लादेश: हसीना की सजा को अवामी लीग ने बताया'अवैध', मंगलवार को देशव्यापी बंद का ऐलान
अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को दोषी ठहराए जाने का विरोध करते हुए अवामी लीग ने मंगलवार को देशव्यापी बंद का ऐलान किया है
‘मैं कोर्ट के फैसले से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हूं। मुझे उम्मीद थी कि तीनों आरोपियों को सजा-ए-मौत होगी लेकिन पूर्व IG पुलिस को सिर्फ 5 साल की सजा हुई। हमारी मांग है कि उन्हें कम से कम उम्रकैद की सजा दी जानी चाहिए।’ स्निग्धो बांग्लादेश में छात्र आंदोलन का बड़ा चेहरा रहे हैं। वो शेख हसीना के मामले में आए कोर्ट के फैसले से खुश नहीं है। 18 जुलाई 2024 को उनके भाई मीर महामुबुर रहमान मुग्धो की छात्र आंदोलन के दौरान पुलिस की गोली लगने से मौत हो गई थी। तब से स्निग्धो भाई को इंसाफ दिलाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने फैसले की निष्पक्षता पर सवाल खड़े किए हैं। ढाका की इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) ने पूर्व PM शेख हसीना को ‘मानवता के खिलाफ अपराध’ का दोषी पाया है। कोर्ट ने 17 नवंबर को हसीना को फांसी की सजा सुनाई है। पूर्व गृह मंत्री असदुजमान खान कमाल को भी मौत की सजा सुनाई है। जबकि तीसरे आरोपी पूर्व IG पुलिस चौधरी अब्दुल्ला अल-ममून को सिर्फ 5 साल की सजा सुनाई गई है। छात्र आंदोलन का हिस्सा रहे स्टूडेंट लीडर फैसले से खुश हैं। हालांकि उनका मानना है कि जुलाई-अगस्त 2024 में शेख हसीना के आदेश पर प्रदर्शन के दौरान हुए कत्लेआम के लिए फांसी की सजा भी कम है। वे भारत से हसीना को सौंपने की मांग कर रहे हैं। 5 अगस्त 2024 को शेख हसीना ने पद से इस्तीफा देकर बांग्लादेश छोड़ दिया था। पिछले 15 महीनों से वो दिल्ली के एक सेफ हाउस में रह रही हैं। हमने शेख हसीना पर कोर्ट का पूरा जजमेंट सुना। फैसले को लेकर आंदोलन का हिस्सा रहे छात्रों, पॉलिटिकल लीडर्स और शेख हसीना से जुड़े करीबियों से बात की। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… सबसे पहले जानिए कोर्ट ने फैसला सुनाए हुए क्या कहा…ढाका में इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल कोर्ट ने पहले शेख हसीना के केस की डिटेल जानकारी दी। करीब एक घंटे बाद फैसला सुनाते हुए अटॉर्नी जनरल मोहम्मद असदुज्जमान ने कहा- ‘हमने तय किया है कि शेख हसीना को तीनों आरोपों में सिर्फ एक ही सजा होगी और वो है सजा-ए-मौत।‘ ट्रिब्यूनल का फैसला पूरी कानूनी वैधता रखता है। दोषियों के गिरफ्तार करते ही बिना किसी देरी के सजा उन पर लागू हो जाएगी। बांग्लादेश में टीवी से लेकर सोशल मीडिया तक फैसले का लाइव प्रसारण किया गया। ट्रिब्यूनल ने शेख हसीना को जुलाई 2024 के छात्र आंदोलन के दौरान हुई हत्याओं का मास्टरमाइंड बताया। वहीं दूसरे आरोपी पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमान खान को भी हत्याओं का दोषी माना और फांसी की सजा सुनाई। कोर्ट ने हसीना और असदुज्जमान कमाल की प्रॉपर्टी जब्त करने का आदेश दिया है। तीसरे आरोपी पूर्व IGP अब्दुल्ला अल-ममून को 5 साल जेल की सजा सुनाई गई। शेख हसीना के खिलाफ केस में अल-ममून सरकारी गवाह बन गए थे। हसीना को फांसी की सजा दिलाने में अल-ममून की गवाही सबसे अहम रही है। हसीना के चलते दोस्त खोए-खौफ में बीतीं रातें, अब इंसाफ मिलाफैसले को लेकर कोर्ट के अंदर और बाहर ज्यादातर लोगों के चेहरे पर खुशी दिखी। हालांकि जिन परिवारों ने जुलाई-अगस्त 2024 के छात्र आंदोलन के दौरान अपने परिजनों को खोया, उनके चेहरे पर खुशी के साथ आंखों में आंसू भी थे। छात्र आंदोलन का हिस्सा रहे ढाका यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट मोहम्मद महीन कहते हैं, ‘शेख हसीना ने हम छात्रों को बहुत सताया। हमने कई रातें खौफ में बिताई हैं। हमने न जाने कितने साथियों को खोया है। UN की रिपोर्ट में ही सिर्फ 1400 लोगों की मौत हुई। हमें फैसला सुनकर खुश हैं। अब बांग्लादेश की आम जनता से लेकर राजनीतिक पार्टियां सभी इस फैसले पर खुशी मना रही हैं।’ अब महीन छात्रों की बनाई नेशनल सिटिजन पार्टी के मेंबर हैं। वे कहते हैं, ‘मुझे जुलाई-अगस्त 2024 की वो लड़ाई और शहादत अच्छे से याद है। सजा-ए-मौत का फैसला सुनकर मेरी आंखों में भी आंसू आ गए। मैं अल्लाह का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं। ये न्याय व्यवस्था में विश्वास और खुशी के आंसू हैं।‘ सरेआम कत्लेआम के लिए सजा-ए-मौत भी कमफैसले को लेकर हमने बांग्लादेश में छात्र आंदोलन से राजनीति में आए NCP लीडर अलाउद्दीन मोहम्मद से भी बात की। पार्टी के इंटरनेशनल सेल के इंचार्ज अलाउद्दीन कहते हैं, ‘शेख हसीना पर हुई कार्रवाई, कोर्ट की प्रोसीडिंग और अब फैसला पूरी दुनिया ने देखा और सुना। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने पूरी शिद्दत के साथ शेख हसीना के खिलाफ जांच करके सभी तथ्य कोर्ट के सामने रखे। कोर्ट के फैसले पर हमें पूरा विश्वास है।‘ ‘हालांकि शेख हसीना पर जो फैसला आया है, वो सिर्फ एक रस्म अदायगी थी क्योंकि ये तो होना ही था। जिस तरह से हसीना के आदेश पर हिंसा की गई और युवाओं को मौत के घाट उतारा गया। उसके लिए सजा-ए-मौत से कम कुछ नहीं हो सकता था। हम डेढ़ साल बाद भी उस कत्लेआम को नहीं भूल पाए हैं। हमारे छात्र आंदोलन के कई साथी आज तक उस खौफ से नहीं उबर सके हैं।‘ ‘अब भारत को शेख हसीना को बांग्लादेश को सौंप देना चाहिए’अलाउद्दीन भारत से शेख हसीना को सौंपने की मांग करते हुए आगे कहते हैं, ‘मुझे लगता है कि भारत को बांग्लादेश के आम लोगों की भावनाएं समझने की जरूरत है। वो सिर्फ छात्रों से ही नहीं बल्कि किसी भी आम बांग्लादेशी से बात करेंगे तो उन्हें पता चलेगा कि हम भारत को अपना अच्छा दोस्त मानते हैं। लोग चाहते हैं कि भारत समझदारी से काम ले।‘ सरकार में शामिल NCP लीडर कहते हैं, ‘भारत सरकार को बांग्लादेश के लोगों से रिश्ता बनाना होगा, न कि सरकारों से। अगर भारत के किसी राज्य में ऐसी हिंसा होती तो केंद्र सरकार चुप नहीं रहती। ऐसे में हसीना सरकार जब बड़े पैमाने पर हिंसा करवा रही थी तो भारत कैसे चुप रह सकता है। अब हम चाहते हैं कि भारत, बांग्लादेश सरकार का सहयोग करे और शेख हसीना को हमें सौंप दे।’ भारत पर हसीना के प्रत्यर्पण का दबाव बढ़ेगा?शेख हसीना बांग्लादेश में हुए तख्तापलट के बाद से भारत में रह रही हैं। अब फैसले के बाद बांग्लादेश के अंतरिम PM ने मोहम्मद यूनुस ने भारत से हसीना को डिपार्ट करने की मांग की है। साथ ही अंतरिम सरकार ने पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमान खान को भी सौंपने की अपील की है। बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने कहा- ‘किसी भी दूसरे देश का इन लोगों को शरण देना गैर-दोस्ताना कदम होगा और न्याय का मजाक उड़ाने जैसा होगा, क्योंकि इन्हें मानवता के खिलाफ अपराधों में दोषी ठहराया गया है। हम भारतीय सरकार से आग्रह करते हैं कि इन दोनों व्यक्तियों को तुरंत बांग्लादेश के अधिकारियों के हवाले किया जाए।‘ भारत सरकार ने भी हसीना पर कोर्ट के फैसले के बाद प्रतिक्रिया देते हुए कहा है, ‘भारत ने बांग्लादेश की इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल के फैसले पर संज्ञान लिया है, जो पूर्व PM शेख हसीना से संबंधित है। बतौर करीबी पड़ोसी होने के नाते भारत बांग्लादेश के लोगों के हित को लेकर प्रतिबद्ध है। हम बांग्लादेश में शांति, लोकतंत्र, समावेश और स्थिरता चाहते हैं।’ ‘भारत किसी कीमत पर हसीना का प्रत्यर्पण नहीं करेगा’हसीना पर फैसले को लेकर जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के साउथ एशियन स्टडीज की प्रोफेसर श्रीराधा दत्ता कहती हैं, ‘ये ज्यादा चौंकाने वाला नहीं है। जिस तरह से केस चल रहा था और आरोप लगाए गए थे, ये तो होना ही था। शेख हसीना के खिलाफ बहुत सारे सबूत मिल चुके थे। शायद इसीलिए पिछले एक महीने से शेख हसीना भी एक्टिव हैं और बांग्लादेश के लोगों तक अपनी बात पहुंचा रही हैं। अवामी लीग भी दो हफ्ते से बांग्लादेश की सड़कों पर है।’ क्या भारत शेख हसीना का प्रत्यर्पण करेगा। इसके जवाब में वे कहती हैं, ‘बांग्लादेश की सरकार पर शेख हसीना को वापस लाने का दबाव होगा। मुझे नहीं लगता कि भारत सरकार किसी भी कीमत पर उन्हें बांग्लादेश को सौंपेगा। हसीना खुद वापस जाना चाहें तो अलग बात है।’ श्रीराधा कहती हैं कि भारत पर UN का दबाव आ सकता है लेकिन भारत इसे मैनेज कर सकता है। हां, अगर अमेरिका दबाव बनाता है तो इससे निपटने के लिए रणनीति बनानी होगी। भारत और अमेरिका के बीच तल्खियां बढ़ गई हैं। मुझे नहीं लगता कि कोई भी देश इस मामले में भारत पर कोई दखल दे पाएगा।’ बांग्लादेश के हिंदू बोले- ये बदला लेने के मकसद से किया गया फैसला प्रदीप चंद्र पाल बांग्लादेश के रहने वाले हैं और हिंदू समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। हालांकि सुरक्षा कारणों से ये नहीं बताना चाहते हैं कि वो किस इलाके में रह रहे हैं। प्रदीप बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के संगठन बांग्लादेश जातीय हिंदू महाजोत के नेता हैं। वे कहते हैं, ‘मुझे लगता है कि शेख हसीना के खिलाफ जो फैसला आया है वो यूनुस सरकार ने बदला लेने के मकसद से किया है। ये पूरा ट्रायल और फैसला पहले से सुनियोजित था। कोर्ट से ये फैसला पाकिस्तान के इशारे पर दिया गया है और ये सब पहले से तय था।’ प्रदीप नाराजगी जताते हुए कहते हैं, ‘शेख हसीना ने भी हिंदुओं के लिए कुछ नहीं किया। उनके PM रहते हुए भी बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों को सताया गया। अब भी हिंदुओं का शोषण ही हो रहा है।’ फैसले के बाद हिंसा और प्रदर्शन की संभावना को लेकर वे कहते हैं, ’अवामी लीग के समर्थक अब भी अंडरग्राउंड ही काम कर रहे हैं। हमें नहीं लगता कि अवामी लीग कुछ भी ऐसा करेगी जिससे दिक्कत खड़ी हो। प्रशासन सख्ती से हिंसा रोकने में जुटा हुआ है।’ ‘ये ‘कंगारू कोर्ट’ का फैसला, हम सड़क पर इसका विरोध करेंगे’शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग ने आज यानी 18 नवंबर को बांग्लादेश बंद का ऐलान किया है और बड़े पैमाने पर प्रदर्शनों की तैयारी की है। शेख हसीना खुद भी अवामी लीग का कैडर फिर से खड़ा करने की रणनीति पर काम कर रही हैं। भारत में रहते हुए पिछले 2 महीने से वो काफी एक्टिव हैं और बांग्लादेश में मौजूद अपने कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें कर रही हैं। हमने फैसले को लेकर हमने अवामी लीग के नेता सुजीत रॉय नंदी से बात की। वे अब भी बांग्लादेश में हैं लेकिन वो डेढ़ साल से अंडरग्राउंड हैं। हालांकि अंडरग्राउंड रहते हुए ही वो पार्टी के लिए एक्टिवली काम कर रहे हैं। वे कहते हैं, ‘ट्रिब्यूनल का फैसला राजनीतिक से प्रेरित प्रक्रिया के तहत लिया गया है। ये पूरी तरह से पक्षपाती और षड्यंत्र के तहत लिया गया फैसला है ताकि शेख हसीना की बांग्लादेश में वापसी ना हो सके।‘ शेख हसीना ने कहा- ये राजनीतिक से प्रेरित फैसला वहीं शेख हसीना ने बयान जारी कर कहा- ‘मेरे खिलाफ सुनाया गया फैसला एक धांधली वाले ट्रिब्यूनल ने दिया है। इसे एक ऐसी गैर-निर्वाचित सरकार ने बनाया और संचालित किया है जिसके पास कोई लोकतांत्रिक जनादेश नहीं है। ये फैसला पक्षपातपूर्ण और राजनीतिक रूप से प्रेरित है।‘ शेख हसीना की कैबिनेट में सूचना मंत्री रहे मोहम्मद अली अराफात ने दैनिक भास्कर को बताया, 'ये फैसला शेख हसीना के खिलाफ पहले से तय था। ये एक ऐसा फैसला है जो मुकदमे से पहले ही लिख दिया गया था। सब कुछ पूर्वनिर्धारित था। अंतरराष्ट्रीय अपराध ट्रिब्यूनल (ICT) में आपने जो भी देखा, वो सब पूरी तरह स्क्रिप्टेड था।' भारत के लिए हालात सतर्कता से समझना बेहद जरूरीबांग्लादेश में हाई कमिश्नर रहे पिनाक रंजन चक्रवर्ती भी इस फैसले को राजनीति से प्रेरित बताते हैं। वे कहते हैं, ‘वहां की मौजूदा सरकार ने न्यायपालिका से कई जजों को बदल दिया। अंतरिम सरकार अपनी पसंद के जज नियुक्त कर रही है। अवामी लीग को फैसला करना है कि वो इस फैसले के खिलाफ संघर्ष करना चाहती है या फिर शांत रहना चाहती है। मुझे नहीं लगता कि अवामी लीग के लोग ये फैसला स्वीकारेंगे।’ बांग्लादेश में भारत की हाई कमिश्नर रह चुकीं रिवा गांगुली दास कहती हैं, ये फैसला जरा भी चौंकाने वाला नहीं है। जिस तरह बांग्लादेश में राजनीतिक माहौल है, उसमें ये होना ही था। अगर इस तरह का फैसला नहीं आता तब चौंकाने वाली बात होती। भारत को इस फैसले के बाद क्या करना चाहिए? इसके जवाब में रिवा कहती हैं, ‘भारत को बहुत सतर्कता से मौजूदा हालात समझना होगा। जब ये फैसला सुनाया गया है, तब दो बुलडोजर धानमंत्री इलाके में पहुंच चुके थे। बांग्लादेश में हालात बहुत नाजुक हैं, पिछले दिनों भी हिंसा की बहुत सी खबरें आईं हैं। पड़ोसी देश होने के नाते हमें ये सब करीब से समझना होगा।’ .........................ये खबर भी पढ़ें... शेख हसीना को मौत की सजा, अब भारत क्या करेगा बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को ‘मानवता के खिलाफ अपराध’ का दोषी पाया गया है। सोमवार को बांग्लादेश की इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल यानी ICT ने हसीना को फांसी की सजा सुनाई। वह पिछले साल ढाका छोड़कर भारत आई थीं और पिछले 15 महीनों से दिल्ली के एक सेफ हाउस में रह रही हैं। क्या अब भारत शेख हसीना को वापस बांग्लादेश को सौंप देगा, अगर नहीं दिया तो क्या होगा, शेख हसीना के पास क्या रास्ते हैं? पढ़िए पूरी खबर...
काश उन्होंने मेरी बात मान ली होती, सऊदी हादसे में परिवार के 18 लोग खोने के बाद झलका दर्द
सऊदी बस हादसे में 45 लोगों की जान चली गई, इसमें से एक ही परिवार के 18 लोग भी थे. उनके अपनों ने उमरा के लिए जाने से पहले एक जरूरी सलाह दी थी, जिस पर अमल नहीं किया गया.
भारत को अस्थिर करने के लिए बांग्लादेश को प्रभावित करने की मची होड़ : प्रियम गांधी
बांग्लादेश में चल रही उठापटक की स्थिति और उसे प्रभावित किए जाने की कोशिश पर विदेश मामलों की विशेषज्ञ और विश्वामित्र रिसर्च फाउंडेशन की संस्थापक प्रियम गांधी-मोदी ने कहा कि भारत के पड़ोस में अच्छे दोस्त नहीं हैं
ड्राइवर के पास थी सीट, फिर भी रहे सलामत, जानिए सऊदी बस हादसे में जिंदा बचे शख्स की हैरतअंगेज दास्तां
Mecca Medina bus accident: सऊदी अरब बस हादसे में 45 भारतीय उमराह तीर्थयात्रियों की मौत हुई, लेकिन एक शख्स जिंदा बच गया. कैसे हुआ ये करिश्मा.
सऊदी अरब हादसा: किरेन रिजिजू ने शेयर किए हेल्पलाइन नंबर, बोले-मैं स्तब्ध और दुखी हूं
सऊदी अरब में हुए बस हादसे में भारतीय नागरिकों की मौत पर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने शोक संतप्त परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की
सऊदी अरब हादसे में मारे गए लोगों की पहचान कर पाना मुश्किल, ईरानी दूतावास ने जताया शोक
सऊदी अरब के मदीना में हुई बस दुर्घटना में भारतीय यात्रियों की मौत पर नई दिल्ली स्थित ईरानी दूतावास ने सोमवार को दुख जाहिर किया
मानव तस्करी के बड़े रैकेट का भंडाफोड़, सरगना को म्यांमार से उठा लाई गुजरात पुलिस
Human trafficking: म्यांमार के केके पार्क में माफिया की तरफ से चलाए जा रहे घोटाला केंद्रों के सरगना को गुजरात के साइबर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस ने गिरफ्तार कर बड़ी सफलता हासिल की है. गुजरात में ये ग्रुप पिछले काफी समय से सक्रिय बताया जा रहा था, जिसके एजेंट युवाओं को नौकरी का लालच देते थे लेकिन अब गुजरात साइबर सेंटर ने उनका भंडाफोड़ कर दिया है.
Sheikh Hasina Death Sentence:अमेरिका में रहने वाले सजीब ने हमारे सहयोगी चैनल WION के संवाददाता सिद्धांत सिब्बल से बातचीत में कहा कि संसदीय अनुमोदन के बिना कानूनों में संशोधन किए जाने के बाद 100 दिनों से भी कम समय में मुकदमा जल्दबाजी में शुरू कर दिया गया.
मैरिज एनिवर्सरी पर शेख हसीना को मिली सजा-ए-मौत...क्या जानबूझकर चुनी गई 17 नवंबर की तारीख?
Sheikh Hasina:सोशल मीडिया पर अब जमकर बहस चल रही है. यूजर्स का एक धड़ा यह आरोप लगा रहा है कि हसीना को मौत की सजा सुनाने के लिए जानबूझकर 17 नवंबर की तारीख तय की गई. सुनवाई 23 अक्टूबर को खत्म हो गई थी और सजा असल में 14 नवंबर को सुनाई जानी थी.
Girl students kidnapped: बदमाशों के पास अत्याधुनिक हथियार थे और उन्होंने स्कूल में 4 बजे घुसते ही गोलीबारी शुरू कर दी. हालांकि, स्कूल में तैनात पुलिस के जवानों ने उनसे मुठभेड़ की लेकिन बदमाश उससे पहले ही स्कूल की बिल्डिंग के अंदर घुस चुके थे.
ट्रंप के किस कदम से भारतीय किसानों को हो सकता है फायदा
डॉनल्ड ट्रंप ने 200 से ज्यादा खाद्य पदार्थों को टैरिफ से छूट दी है. इसका फायदा भारतीय किसानों को भी मिलने की उम्मीद है
और कठिन हुई शेख हसीना की बांग्लादेश वापसी की राह
बीते साल के आंदोलन और उसे दबाने के लिए हिंसा के दौरान कम से कम 1400 लोगों की मौत और 25 हजार के घायल होने का अनुमान है
नाइजीरिया के बोर्डिंग स्कूल पर बंदूकधारियों का हमला, 25 छात्राओं का किया अपहरण
नाइजीरिया के एक बोर्डिंग स्कूल पर बंदूकधारियों ने हमला कर 25 छात्राओं का अपहरण कर लिया। पुलिस के मुताबिक नाइजीरिया के केब्बी में इस वारदात को अंजाम दिया गया
सऊदी अरब में दर्दनाक हादसे का शिकार हुए 44 हज यात्री, परिजनों ने भारत सरकार से लगाई शव लाने की गुहार
Hyderabad Haj pilgrims: पीड़ित परिजनों ने भारत सरकार से मृतकों के शव हैदराबाद लाने की बात कही है और अगर ऐसा नहीं हो पाता है तो मदीना में ही उनको दफन करने की व्यवस्था की जाए. हैदराबाद की अल मक्का टूर्स एंड ट्रैवल्स के जरिए 20 और फ्लाई जोन टूर्स एंड ट्रैवल्स के जरिए 24 लोग 9 नवंबर को जहाज से मक्का के लिए रवाना हुए थे.
Sheikh Hasina Verdict: बांग्लादेश की इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को जुलाई 2024 के छात्र विद्रोह के दौरान हुई हिंसा और नरसंहार का दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई है. अदालत ने इस दौरान हुई पुलिस फायरिंग में 1400 लोगों की मौत की जिम्मेदारी सीधे हसीना पर डाली है.
Sheikh Hasina Verdict: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के भारत से जुड़ाव की कहानी दशकों पुरानी है. 1975 में उनके परिवार पर हुए हमले और तख्तापलट के बाद उन्होंने भारत में शरण ली, तब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें सुरक्षा और आश्रय प्रदान किया था. आइए जानते है कि शेख हसीना के दोनों बच्चों का भारत से क्या कनेक्शन है...
ऑस्ट्रेलिया की राजधानी में मिला जानलेवा एस्बेस्टस, सरकार ने 70 से ज्यादा स्कूलों को किया बंद
Fibre asbestos: पिछले हफ्ते ऑस्ट्रेलियन कम्पटीशन एंड कंज्यूमर कमीशन ने इस रंगीन सजावटी रेत को वापस मंगाने का आदेश दिया था. क्योंकि, टेस्टिंग के दौरान उसमें क्राइसोटाइल एस्बेस्टस पाया गया था. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार एस्बेस्टस एक ऐसा खनिज रेशा है, जिसका पहले खुब उपयोग होता था. पहले स्कूल की छत बनाने में इस्तेमाल सीमेंट में एस्बेस्टस का प्रयोग किया जाता था.
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को ‘मानवता के खिलाफ अपराध’ का दोषी पाया गया है। सोमवार को बांग्लादेश की इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल यानी ICT ने हसीना को फांसी की सजा सुनाई। वह पिछले साल ढाका छोड़कर भारत आई थीं और पिछले 15 महीनों से दिल्ली के एक सेफ हाउस में रह रही हैं। क्या अब भारत शेख हसीना को वापस बांग्लादेश को सौंप देगा, अगर नहीं दिया तो क्या होगा, शेख हसीना के पास क्या रास्ते हैं; भास्कर एक्सप्लेनर में 6 जरूरी सवालों के जवाब… सवाल-1: क्या भारत को बांग्लादेशी ट्रिब्यूनल का फैसला मानना कानूनी मजबूरी है? जवाब: भारत और बांग्लादेश के बीच 2013 में एक्स्ट्रडिशन ट्रीटी साइन हुई थी, जिसमें दोनों देशों के बीच अपराधियों के एक्सचेंज की शर्तें हैं। इसके तहत किसी अपराधी को प्रत्यार्पित तभी किया जाएगा, जब… इसी आधार पर भारत ने 2020 में शेख मुजीबुर्रहमान की हत्या के दो दोषियों को बांग्लादेश भेजा था। हालांकि इस ट्रीटी के बावजूद शेख हसीना को वापस ना लौट के दो रास्ते हैं... 1. मुकदमा राजनीति से प्रेरित है ट्रीटी के आर्टिकल 6 के मुताबिक अगर अपराध राजनीतिक माना जाए, तो भारत प्रत्यर्पण से इनकार कर सकता है। हालांकि हत्या, नरसंहार, मानवता के खिलाफ अपराध इस क्लॉज से बाहर रखे गए हैं। ICT में हसीना पर इन्हीं गंभीर आरोपों में अपराध तय हुए हैं। इसलिए भारत यह नहीं कह सकता कि पूरा मामला राजनीतिक है। 2. मुकदमा ईमानदारी से नहीं चला ट्रीटी के आर्टिकल 8 के तहत अगर आरोपी की जान को खतरा हो, उसे निष्पक्ष ट्रायल नहीं मिला हो या ट्रिब्यूनल का उद्देश्य न्याय नहीं, बल्कि राजनीतिक हो भारत प्रत्यर्पण से मना कर सकता है। भारत यह सब आसानी से दिखा सकता है, क्योंकि… भारत के पूर्व डिप्लोमैट अजय बिसारिया के मुताबिक, ‘भारत किसी भी हाल में शेख हसीना को बांग्लादेश को नहीं लौटाएगा। भारत ने उन्हें राजनीतिक शरण दी है। एशिया में हसीना के लिए सबसे सुरक्षित भारत ही है। अगर वो हसीना को वापस भेजता है तो बांग्लादेश में अस्थिरता बढ़ जाएगी जो ज्यादा खतरनाक होगी।’ सवाल-2: अगर भारत शेख हसीना को लौटाने से मना कर देता है, तो क्या होगा? जवाब: इस स्थिति में दो सिनेरियो बन सकते हैं… 1. बांग्लादेश से रिश्ते खराब होंगे, कूटनीतिक दबाव रहेगा ढाका लगातार कह सकता है कि भारत हमारे न्यायिक फैसले का सम्मान नहीं कर रहा। कूटनीतिक बयानबाजी बढ़ेगी, लेकिन रिश्ते टूटना मुश्किल है, क्योंकि व्यापार, ऊर्जा सप्लाई जैसी कई चीजों पर बांग्लादेश अब भी भारत पर निर्भर है। 2. तनाव बढ़कर ‘स्ट्रैटजिक शिफ्ट’ की तरफ जा सकता है यह भारत के लिए सबसे खतरनाक स्थिति होगी। अगर ढाका चीन-पाकिस्तान से और नजदीकी बढ़ाता है। पहले ही पाकिस्तान का युद्धपोत बांग्लादेश पहुंच चुका है। यूनुस ‘ग्रेटर बांग्लादेश’ मैप हाथ में लेकर खड़े दिखे और भारत-बांग्लादेश ट्रेड वॉर जैसे हालात बन गए थे। यह भारत को पूर्वोत्तर से लेकर बंगाल की खाड़ी तक असुरक्षित बना देगा। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि भारत के लिए सबसे सुरक्षित विकल्प शेख हसीना को किसी तीसरे देश भेजना है। इससे हसीना सुरक्षित रहेंगी और भारत-ढाका का सीधा टकराव नहीं होगा। UAE, UK, कनाडा, नीदरलैंड्स जैसे कुछ संभावित देश हैं। हालांकि एक सवाल ये भी है कि क्या इस वक्त ये देश शेख हसीना को पनाह देंगे? सवाल-3: बांग्लादेश लौटने के सवाल पर शेख हसीना क्या संकेत दे रही हैं? जवाब: शेख हसीना अगस्त 2024 में बांग्लादेश छोड़कर भारत आई थीं। उनका कहना था कि हिंसक भीड़ पीएम आवास में घुस गई थी और उन्हें जान का खतरा था। हाल के इंटरव्यू से उनके तीन अलग-अलग टोन दिखाई देते हैं… 1. ICT का ट्रायल झूठा तमाशा 2. ICC में केस चलाना है तो चलाओ, मैं तैयार हूं 3. 'लौटूंगी, पर तभी जब लोकतंत्र लौटे' सवाल-4: हसीना को आखिर किन आरोपों में सजा मिली? जवाब: शेख हसीना पर 5 आरोप लगाए गए थे... आरोप-1: हत्या, हत्या की कोशिश, यातना देना। चार्जशीट के मुताबिक हसीना ने पुलिस और अवामी लीग को आम नागरिकों पर हमला करने के लिए उकसाया और हिंसा रोकने में नाकाम रहीं। आरोप-2: हसीना ने छात्र प्रदर्शनकारियों को दबाने के लिए घातक हथियार, हेलिकॉप्टर और ड्रोन इस्तेमाल करने का आदेश दिया। आरोप-3: ये आरोप 16 जुलाई को बेगम रौकेया यूनिवर्सिटी के छात्र अबू सैयद की हत्या से जुड़ा है। इसमें कहा गया है कि हसीना और अन्य ने इस हत्या के आदेश दिए, इसके लिए साजिश रची और अपराध में शामिल रहे। आरोप-4: 5 अगस्त को ढाका के चांखारपुल में छह निहत्थे प्रदर्शनकारियों की हत्या कर दी गई। यह भी कहा गया है कि यह हत्या हसीना के सीधे आदेश, उकसावे, मदद, साजिश की वजह से हुई। आरोप-5: इस आरोप में 5 प्रदर्शनकारियों को गोली मारकर हत्या करने और एक को घायल करने की बात है। आरोप है कि उन 5 मारे गए लोगों की लाशें जला दी गईं, और एक प्रदर्शनकारी को जिंदा जला दिया गया। इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल ने 5 में से दो मामले (हत्या के लिए उकसाने और हत्या का आदेश देने के लिए) मौत की सजा दी। वहीं, बाकी मामलों में उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई गई। ट्रिब्यूनल ने दूसरे आरोपी पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमान खान को भी 12 लोगों की हत्या का दोषी माना और फांसी की सजा सुनाई। वहीं, तीसरे आरोपी पूर्व IGP अब्दुल्ला अल-ममून को 5 साल के जेल की सजा सुनाई। ममून सरकारी गवाह बन चुके हैं। कोर्ट ने हसीना और असदुज्जमान कमाल की प्रॉपर्टी जब्त करने का आदेश दिया है। सजा का ऐलान होते ही कोर्ट रूम में मौजूद लोगों ने तालियां बजाईं। सवाल 5: अब शेख हसीना के पास क्या विकल्प मौजूद हैं? जवाब: बांग्लादेश ICT से सजा के बाद शेख हसीना के पास अभी भी कई कानूनी और राजनीतिक रास्ते मौजूद हैं.. कानूनी ऑप्शन: शेख हसीना ट्रिब्यूनल के फैसले को बांग्लादेश की ऊपरी अदालत में चुनौती दे सकती हैं। वे सबूतों की दोबारा जांच और अनफेयर ट्रायल का हवाला देकर रिव्यू करने की मांग कर सकती हैं। हसीना निष्पक्ष ट्रायल न होने को लेकर अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों या कानूनी संस्थाओं में शिकायत कर सकती हैं। ये संस्थाएं सीधे किसी देश की अदालत के फैसले को रद्द नहीं कर सकतीं, लेकिन फेयर ट्रायल के लिए दबाव जरूर बना सकती हैं। पॉलिटिकल ऑप्शन: हसीना भारत या किसी और देश में ‘उनके जान को खतरा है’ का हवाला देकर शरण या सुरक्षा मांग सकती हैं। उनकी पार्टी अवामी लीग और अंतरराष्ट्रीय समर्थक दूसरे देशों पर दबाव बना सकते हैं ताकि बांग्लादेश पर ट्रायल को लेकर सवाल उठाए जाएं या सजा को रोकने की मांग की जाए। अवामी लीग देश में जन समर्थन जुटाकर यूनुस सरकार पर सजा में नरमी बरतने या कोई समझौता करने का दबाव बना सकती है। सवाल-6: क्या UN या ICC इस मामले में भूमिका निभा सकते हैं? जवाब: संयुक्त राष्ट्र और ICC का इस मामले में रोल सीमित है। UN सीधे किसी कोर्ट का फैसला रद्द नहीं कर सकता, लेकिन वो मानवाधिकार उल्लंघन की जांच कर सकता है। फेयर ट्रायल पर सवाल उठा सकता है या फिर केस ICC को रेफर कर सकता है। हसीना खुद भी ICC में केस के लिए तैयार हैं। अगर ICC को ट्रायल में गड़बड़ियां दिखती हैं तो भारत उस फैसले को आधार बनाकर हसीना को वापस लौटाने से मना कर सकता है। **** रिसर्च: आकाश कुमार -------- ये खबर भी पढ़िए... क्या नीतीश की ‘बीमारी’ भी एक स्ट्रैटेजी थी:कभी राजनीति छोड़ने का मन बना चुके नीतीश 10वीं बार CM बनने के करीब; उनके पलटकर आने के रोचक किस्से कॉलेज के दिनों में लालू प्रसाद यादव के लिए पोस्टर चिपकाने वाले इंजीनियर 'मुन्ना', जेपी आंदोलन में पुलिस की गोली से बाल-बाल बचे एक जिद्दी आंदोलनकारी और अब तक 10वीं बार मुख्यमंत्री बनने के करीब एक राजनेता। कभी बिहार में मोदी की एंट्री रोक दी, तो कभी उन्हीं के सामने झुक कर कहा- अब कहीं नहीं जाऊंगा। पूरी खबर पढ़िए...
Sheikh Hasina Verdict Sentenced To Death:बांग्लादेश में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को फांसी की सजा सुनाई गई है. हसीना के साथ दो अन्य आरोपियों में एक को मौत की सजा और एक को फांसी से बचा दिया गया है. जानें पूरी कहानी.
शेख हसीना को फांसी की सजा, मानवता के खिलाफ अपराध मामले में आईसीटी ने ठहराया दोषी
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के मामले में फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने हसीना को मानवता के खिलाफ अपराध के मामले का दोषी ठहराया और कहा कि हसीना सबसे कठोर सजा की हकदार हैं। कोर्ट ने फांसी की सजा का ऐलान किया है
तुर्की का झुकाव अकसर पाकिस्तान के पक्ष में देखा गया है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी तुर्की ने पाकिस्तान की मदद की है. चलिए जानते हैं कि आखिर क्यों तुर्की हमेशा पाकिस्तान के पक्ष में और भारत के खिलाफ खड़ा रहता है.
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ दर्ज मामलों में इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल बांग्लादेश (आईसीटीबीडी) आज फैसला सुनाने वाली है। हसीना के खिलाफ कई आरोप हैं, जिसे लेकर आईसीटीबीडी में सुनवाई शुरू हो गई है
शेख हसीना को फांसी की सजा सुनाएगी कोर्ट? अवामी लीग के बंद के दूसरे दिन शूट एट साइट का ऑर्डर
Verdict on Sheikh Hasina: बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के केंद्रीय समिति सदस्य काज़ी मोनिरुज्जमां ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ दर्ज मामले में फैसले से पहले कानून-व्यवस्था की स्थिति को लेकर चिंता जताई है.
अपहरण, मर्डर और...क्या है शेख हसीना पर लगे वो गंभीर आरोप? जिसपर हो रही मौत की सजा की मांग
बांग्लादेश में हुए तख्तापलट को आज तक कोई भूला नहीं है. शेख हसीना के खिलाफ भीषण प्रदर्शन हुआ और इसका ये नतीजा निकला की उनकी सरकार गिर गई है और उन्हें बांग्लादेश छोड़कर भागना पड़ा, आंदोलनकारियों ने कई जगह पर आगजनी और तोड़फोड़ भी की थी.
PM Sanae Takaichi revealed sleeps 2 hours night:जापान की पहली महिला प्रधानमंत्री साने ताकाइची ने जबसे जापान की पहली महिला प्रधानमंत्री के तौर पर कुर्सी संभाली है, दुनिया को अपना जलवा दिखाना शुरू कर दिया है. पहले ट्रंप से मुलाकात की, फिर चीन को खुलेआम ताइवान के मामले में जंग की धमकी दी. अब उन्होंने ऐसा खुलासा किया है, जिससे पूरे देश में हल्ला मचा हुआ है. जानें पूरी कहानी.
सऊदी अरब में दर्दनाक सड़क हादसा, उमराह के लिए गए 42 भारतीयों की मौत, मक्का से मदीना जा रही थी बस
Saudi Arabia Bus Accident:सऊदी अरब में हुए एक भीषण हादसे में 42 भारतीय तीर्थयात्रियों की मौत हो गई. हादसे का शिकार हुई बस मक्का से मदीना जा रही थी.
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के मामले में आज इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल बांग्लादेश (आईसीटीबीडी) फैसला सुनाएगा। इस फैसले को लेकर बांग्लादेश में स्थिति तनावपूर्ण है, जिसको देखते हुए बांग्लादेश में शूट एट साइट का ऑर्डर दिया गया है
पुरुष, महिला और बच्चों के अलग-अलग रेट... मनोरंजन के लिए आम नागरिकों के शिकार की कहानी
क्या मनोरंजन के लिए किसी इंसान की जिंदगी ली जा सतकी है? वैसे तो यह सवाल ही नहीं होना चाहिए था लेकिन इटली की एक खबर ने सभी को हैरान कर दिया है. कहा जा रहा है कि यहां पैसे देकर आम नागरिकों पर गोलियां चलाई गई हैं.
US aircraft carrier arrives in Caribbean:ट्रंप ने एक तरफ कैरिबियन में 12,000 सैनिकों के साथ दुनिया का सबसे ताकतवर यूएसएस गेराल्ड आर फोर्ड विमानवाहक तैनात करवा दिया है. दूसरी तरफ वेनेजुएला के राष्टपति से बातचीत की बात भी कही है, लेकिन उनके समूह को आतंकवादी घोषित करने का भी प्लान बना लिया है. जिस तरह ट्रंप की तैयारी है, अटकलें लगाई जा रही हैं कि ट्रंप मादुरो को उखाड़ सकते हैं.
चिली में फंस गया चुनाव! पहले दौर में लेफ्ट या राइट किसी को बहुमत नहीं; अब कैसे मिलेगा नया राष्ट्रपति
Chile's presidential polls: चिली में राष्ट्रपति पद की रेस में आठ कैंडिडेट थे. पहले चरण में कोई भी कैंडिडेट 50 फीसदी से अधिक वोट पाते हुए नहीं दिख रहा है. ऐसे में टॉप पर मौजूद इन दो उम्मीदवारों वामपंथी जारा और दक्षिणपंथी कास्ट के बीच अब 14 दिसंबर को दूसरे दौर का मुकाबला होने की उम्मीद है.
Sant Singh Chatwal: पद्म भूषण से सम्मानित फेमस भारतीय-अमेरिकी कारोबारी संत सिंह चटवाल ने ‘लेट्स शेयर अ मील’ के कोऑर्डिनेटर ओंकार सिंह और सैकड़ों वालंटियर्स के साथ मिलकर न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर में हजारों लोगों को ‘लंगर’ (मुफ्त खाना) परोसा.
Japan Sakurajima volcano Video:जापान सकुराजिमा ज्वालामुखी में जोरदार धमाका हुआ है. विस्फोट इतना भयानक था जिसकी आग, राख और धुएं का गुब्बार आसमान में 4400 मीटर ऊंचा उठा. देखें वीडियो, जानें नुकसान.
Congo mine bridge collapse:दक्षिण-पूर्वी कांगो के कालांडो कोबाल्ट खदान में पुल ढह गया. अवैध खनिकों की भीड़, सैनिकों की गोली से भगदड़, बारिश की चेतावनी न मानने से 32 से अधिक लोगों की मौ हो गई. आप भी देखें खौफनाक वीडियो.
Maulana Diesel: बांग्लादेश बीते 15 महीनों से राजनीतिक अस्थिरता की आग में जल रहा है और वहां की अंतरिम सरकार के आका मोहम्मद यूनुस लगभग उतने ही समय से कान में रुई डालकर नीरो की तरह बांसुरी बजा रहे है.
बिहार में NDA की प्रचंड जीत के बाद 14 नवंबर की शाम बीजेपी मुख्यालय पहुंचे पीएम मोदी ने कहा, 'गंगा जी बिहार से बहते हुए ही बंगाल तक जाती हैं। मैं पश्चिम बंगाल के लोगों को आश्वस्त करता हूं कि बीजेपी वहां से भी जंगलराज को उखाड़ फेकेंगी।' पश्चिम बंगाल चुनाव में अभी 5-6 महीने का वक्त है, लेकिन बीजेपी एक इलेक्शन मशीन की तरह अपने अगले मिशन पर शिफ्ट हो गई है। आखिर बीजेपी चुनाव कैसे जीतती है, मंडे मेगा स्टोरी में 8 फैक्टर में जानेंगे पूरी कहानी… **** ग्राफिक्स: अजीत सिंह और अंकुर बंसल ------ ये स्टोरी भी पढ़िए... बीजेपी मोलभाव कर सकेगी, लेकिन अब भी सहयोगियों पर निर्भर:महिलाओं की कैश स्कीम्स जीत की चाबी, राहुल का क्या; बिहार चुनाव के 7 नेशनल इम्पैक्ट बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी 90% स्ट्राइक रेट के साथ 92 सीटें जीत रही है, लेकिन जेडीयू भी सभी को चौंकाते हुए 80% स्ट्राइक रेट से 82 सीटों पर आगे चल रही है। नतीजों के बाद बीजेपी की बारगेनिंग पावर जरूर बढ़ेगी, लेकिन नेशनल पॉलिटिक्स में वो अब भी सहयोगियों के भरोसे रहेगी। पूरी खबर पढ़िए...
बांग्लादेश: डेंगू से पांच लोगों की मौत, मृतकों की संख्या 330 के पार
बांग्लादेश में रविवार तक पिछले 24 घंटों में डेंगू से पांच लोगों की मौत हो गई। इसके साथ ही, 2025 में इस बीमारी से मरने वालों की कुल संख्या 336 हो गई है
'सरकार की नजर 'ठाकुर जी' के धन पर है। तोशखाने (तहखाना) में पहले से कुछ नहीं था, तो मिलेगा क्या? बांके बिहारी मंदिर में अंग्रेजों के समय दो बार डकैती पड़ी। तभी खजाने का बड़ा हिस्सा लूट लिया गया। ये मंदिर गोस्वामियों की मेहनत से बना है। हमारे पूर्वजों ने कंधे पर ईंट-पत्थर ढोकर इसे बनाया है। हमारी दादी, परदादी और घर की महिलाओं ने इसके लिए बड़ा त्याग किया। हमारे पूर्वज स्वामी हरिदास जी ने ही बिहारी जी को प्रकट किया और मंदिर में लेकर आए।' 'जब यहां कुछ नहीं था, तब तो कोई अधिकारी मंदिर की व्यवस्थाएं देखने नहीं आया। अब सरकार की नजर ठाकुर जी के 'धन-कोष' पर है। बृज के अंदर बहुत मंदिर हैं, सरकार को फिक्र है तो उन मंदिरों का उद्धार कर दे। उसे तो बिहारी जी के मंदिर पर कब्जा चाहिए। यूपी में हजारों मदरसे, चर्च और गुरुद्वारे हैं। सरकार का मन है तो वहां भी कब्जा करे लेकिन नहीं, उसे तो सिर्फ ठाकुर जी का खजाना चाहिए।' UP सरकार के खिलाफ ये नाराजगी बांके बिहारी मंदिर के मुख्य सेवादार पुजारी ज्ञानेंद्र किशोर गोस्वामी की है। 18 अक्टूबर को धनतेरस के दिन मथुरा के पास वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में 54 साल से बंद पड़े खजाने का ताला टूटा तो सबको उत्सुकता थी कि अंदर से क्या मिलेगा। हाई पावर कमेटी के निर्देश पर जब दरवाजा खोला गया तो अंदर दीवारों पर सीलन-फफूंद, सतह पर कीचड़ और धूल की परतें जमी मिलीं। टॉर्च की रोशनी में जांच अधिकारी तहखाने में गए लेकिन जो भी सामने आया, वो 'सोने का भंडार' की उम्मीद के मुकाबले बहुत मामूली था। तहखाने से सिर्फ 2 तांबे के सिक्के, 3 चांदी की डंडे और एक गुलाल लगी सोने की छड़ मिली। फिलहाल तहखाने के दरवाजे 25 दिन से बंद हैं, लेकिन वृंदावन की कुंज गलियों में सवाल अभी यही है कि खजाना आखिर कहां गया? मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में मुख्य पक्षकार दिनेश फलाहारी महाराज का आरोप है कि मंदिर से 1000 करोड़ रुपए से ज्यादा कीमत का खजाना गायब है। सवाल और भी हैं... 1. मंदिर के तहखाने में पहले क्या-क्या सामान था? 2. खजाना न मिलने पर सेवायत गोस्वामी परिवार क्या सोचते हैं? 3. क्या तहखाने में हुई खोज ने 'परंपरा बनाम सरकार' के नए विवाद को जन्म दिया? 4. क्या सुप्रीम कोर्ट की हाई पावर कमेटी फिर तहखाना खुलवा सकती है? इन सवालों के जवाब हमने बांके बिहारी मंदिर के गोस्वामियों, लोकल लोगों-यात्रियों और तहखाने के जांच अधिकारियों से पूछे। सबसे पहले जानिए मंदिर का तहखाना आखिर क्यों खुलवाया गया…UP के मथुरा जिले से 13 किलोमीटर दूर वृंदावन तीर्थ क्षेत्र पड़ता है। यहीं यमुना नदी के किनारे पर बने प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर का खजाना खोलने का फैसला 29 सितंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट की हाई पावर कमेटी ने लिया। आदेश के बाद 12 अक्टूबर को कमेटी के सचिव और DM चंद्र प्रकाश सिंह ने तोशखाना खोलने का आदेश जारी किया। 18 अक्टूबर दोपहर 1 बजे के करीब भगवान के गर्भगृह के पास बने तोशखाने के गेट को खोलने से पहले सेवायत दिनेश गोस्वामी ने दीपक जलाया। इसके बाद जांच अधिकारियों की मौजूदगी में गेट को ग्राइंडर से काटा गया। तहखाने का मुख्य द्वार खुलने के बाद खोजबीन के लिए तय हाई पावर कमेटी के सारे मेंबर एक-एक करके अंदर गए। इस कमेटी में सिविल जज, सिटी मजिस्ट्रेट, SP सिटी, CO वृंदावन, CO सदर और चारों गोस्वामी शामिल थे। हर एक चीज की वीडियो रिकॉर्डिंग भी हो रही थी। तोशखाने में जांच करने गई टीम के एक मेंबर बताते हैं, ‘तहखाने में पहले दिन लगभग चार घंटे तक खोजबीन हुई। इस दौरान सबसे बड़ी चुनौती दरवाजे खोलने की थी क्योंकि मंदिर के पुरोहितों के पास ताले खोलने की चाबी नहीं थी। ये कमरे करीब आधी सदी से नहीं खुले थे, अंदर बहुत अंधेरा और धूल भरी थी। सावधानी बरतने के लिए हम ऑक्सीजन सिलेंडर और सांप पकड़ने वालों को भी साथ ले गए थे, क्योंकि अंदर सांप होने का खतरा था।' ‘पहले दिन हमें तहखाने में एक लकड़ी का बक्सा और कुछ छोटे-बड़े ज्वेलरी के खाली बॉक्स मिले। 4-5 पुराने ताले भी मिले थे। बक्से में 2 फरवरी, 1970 की तारीख का एक लेटर भी मिला। दूसरे दिन भी सुबह से ही खोजबीन शुरू हो गई। 18 और 19 अक्टूबर के दो दिन की कार्रवाई में हमें 2 तांबे के सिक्के, 3 चांदी की डंडे और एक गुलाल लगी सोने की छड़ मिली। पुरोहित बोले- हमें पहले से मालूम था, तहखाने में कुछ नहीं मिलेगा तहखाने को अचानक खोलना बांके बिहारी मंदिर के सेवायत गोस्वामी समाज को 'परंपरा बनाम सरकार' की सोच जैसा लगता है। 18 अक्टूबर को जब खजाने का दरवाजा तोड़ा जा रहा था, तब मंदिर के सेवायत मनोज गोस्वामी कार्रवाई के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। उन्होंने जांच टीम से कहा कि मंदिर की मर्यादा मत तोड़ो। 50 साल में कभी ये गेट नहीं खुला। हम बचपन से सुनते आए हैं कि इसमें एक विशाल दाढ़ी वाला नाग है। इसमें बिहारी जी का खजाना है। ये कुबेर का दरवाजा है। इसे खुलना नहीं चाहिए। यहां मर्यादा भंग हो रही है। हालांकि मंदिर के खजाने में उम्मीद के बजाए मामूली सामान मिलने से पुरोहित गोस्वामी समुदाय को कोई ज्यादा हैरानी नहीं है। मंदिर के मुख्य सेवायत ज्ञानेंद्र किशोर गोस्वामी कहते हैं, ‘वृंदावन का गोस्वामी समुदाय ठाकुर जी की सेवा में पीढ़ियों से लगा हुआ है। हम पहले से जानते थे कि तोशखाने में कुछ नहीं मिलेगा। अगर तहखाना भरा होता तो गोस्वामी लोग अपने घर से भगवान को पराठे का भोग क्यों लगाते। हम उसी कीमती सामान से ठाकुर जी का भोग न चढ़ाते।‘ ‘तहखाना खुलवाकर सरकार ने साबित कर दिया है कि वो मंदिर पर कब्जा करना चाहती है। मंदिर के गोस्वामी, जो पीढ़ियों से यहां पूजा-पाठ कर रहे हैं, उस पूजा को खत्म कर सरकार खुद यहां का हैंडओवर लेना चाहती है। सरकार के मंसूबों से ये साफ है कि उसकी नजर ठाकुर जी से पैसों पर है।‘ ‘सारे खर्चों के बिल रिकॉर्ड हमारे पास हैं। सरकार को अगर इसकी जांच चाहिए तो हम देने तो तैयार हैं।‘ गोस्वामियों पर आरोप, बांके बिहारी का खजाना खर्च कियावृंदावन की कुंज गलियों में बांके बिहारी के खजाने को लेकर लोगों की अपनी-अपनी कहानियां हैं। पूछने पर कोई इसे भगवान का चमत्कार बता रहा है, तो कोई गोस्वामियों पर भगवान के खजाने को इस्तेमाल करने का आरोप लगा रहा है। मंदिर के पास मुकुट-पोशाक की दुकान चलाने वाले मयेंद्र कहते हैं, ‘तोशखाने में कुछ भी न मिलना ये बताता है कि भगवान की सेवा में लगे लोगों ने कहीं-न-कहीं खजाने में रखे बक्सों से कीमती सामान निकाला और उन्हें वहीं पर खाली छोड़ दिया।‘ राजस्थान से वृंदावन दर्शन करने आए नितेश तोरल कहते हैं, ‘बांके बिहारी मंदिर के गोस्वामी बहुत टाइम से यहां का मैनेजमेंट संभाल रहे हैं। उन्हें ही पता रहता है कि मंदिर की कौन सी चीज कहां रखी हैं। मुझे लगता है कि खजाने के सामान के बारे में उन्हें पता है। या फिर ऐसा हो सकता है कि वो सामान उनकी फैमिली में कहीं यूज हो गया हो, लेकिन बड़ी बात ये है कि वो चीजें भगवान का दान थीं। इसलिए पूरी जवाबदेही गोस्वामियों की बनती है।‘ हालांकि, बांके बिहारी व्यापार संघ के अध्यक्ष नीरज गौतम का कहना है कि बड़े-बड़े लोगों को लग रहा था कि बांके बिहारी मंदिर के तहखाने में पद्मनाभ स्वामी मंदिर की तरह बहुत माल होगा। यहां भगवान ने चमत्कार दिखाकर सबकुछ गायब कर दिया। दुनिया जान गई है कि जो बिहारी जी का माल था, वो उनका है और उनका ही रहेगा। क्या वाकई सेवायत गोस्वामियों नें खजाने में हेर-फेर की?इस सवाल को नकारते हुए बांके बिहारी के मुख्य पुजारी ज्ञानेंद्र गोस्वामी ने अपने पूर्वजों का एक किस्सा सुनाया। ज्ञानेंद्र के मुताबिक, अंग्रेजों के शासनकाल में 1920 से 1940 के बीच मंदिर के खजाने में दो बार लूट हुई। ऊंटों पर खजाने का माल लादकर लुटेरे अपने साथ ले गए। हमारे पूर्वजों ने खजाना बचाने की बहुत कोशिशें की, लेकिन इसका बड़ा हिस्सा लूट लिया गया। बाद में जो दान लुटेरों की पहुंच से बच गया, उसे हमारे गोस्वामी समाज के लोगों ने लाला हरगुलाल को दिखाया। उन्होंने मंदिर के चौक पर सारे आभूषण (सोने-चांदी) गलाकर भगवान का हिंडोला (झूला) बनवाया। इसमें जो कुछ कमी रह गई, उसे हरगुलाल जी ने ही पूरा करवाया। ज्ञानेंद्र आगे बताते हैं, ‘1947 के बाद पहली बार इसी झूले पर ठाकुर जी विराजे थे। तब से हर साल हरियाली तीज पर भगवान को इसी झूले पर झुलाया जाता है। मंदिर को आजादी से पहले ग्वालियर, करौली और भरतपुर जैसे अलग-अलग राजधरानों से मिले कीमती आभूषण लूट लिए गए। जो कुछ भी बचा उसे झूले में लगा दिया गया।‘ आजादी के बाद 1971 में गोस्वामियों ने मंदिर के नाम पर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में खाता खुलवाया। तब से दान में मिला सारा सामान उसी में रखा जाता है। इसलिए खजाने में हेर-फेर हो ही नहीं सकती। ‘1862 में बांके बिहारी मंदिर की स्थापना के बाद यहां के पुरोहितों को तोशखाने की जरूरत महसूस हुई। यहां पर ठाकुर जी के रोजाना इस्तेमाल होने वाले बर्तन, कलश, स्नान सामग्री और पुराने आभूषण रखे जाते थे। इनकी सुरक्षा को देखते हुए गर्भगृह के ठीक नीचे एक तोशखाना बनवाया गया।‘ बांके बिहारी मंदिर को पाकिस्तान से भी मिला दान, अब CBI जांच की मांग बांके बिहारी मंदिर में कई साल से दान की गई संपत्ति न मिलने पर मथुरा और वृंदावन के लोगों और संत समाज में भारी निराशा है। मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद मामले में मुख्य हिंदू पक्षकार दिनेश फलाहारी महाराज ने इस मामले पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चिट्ठी लिखकर दुख जताया है। दिनेश महाराज कहते हैं, ‘मंदिर का तोशखाना जब खोला गया तो उसपर न तो सरकार की सील लगी थी, न ही उसके अंदर कुछ मिला। मंदिर में भक्तों, राजा-महाराजाओं और श्रद्धालुओं ने कई सालों से करोड़ों की संपत्ति, हीरे-जवाहरात और आभूषण दान किए थे। बिहारी जी को देश के हर राज्य, यहां तक कि पाकिस्तान से भी दान में जमीनें मिली, लेकिन तोशखाने में उनसे जुड़ा कोई अभिलेख नहीं मिला और संदूकें खाली मिलीं।' 'मैंने CM योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर इस मामले की CBI जांच की मांग की है। सख्ती से जांच होगी तो ये पता चल पाएगा कि ठाकुर जी का खजाना आखिर किसने चुराया।' वृंदावन शोध संस्थान के सीनियर प्रोफेसर डॉ. राजेश शर्मा के मुताबिक, भारत में भक्ति मूवमेंट की शुरूआत के बाद से ही वृंदावन और बृज मंडल हमेशा केंद्र में रहा। निधिवन की लताओं के बीच से लाकर भगवान बांके बिहारी को वृंदावन की कुंजगलियों में स्थापित करने वाले महान संत हरिदास जी महाराज के पूर्वजों का जुड़ाव मुल्तान के उच्च राज्य से रहा है। ये जगह आज के पाकिस्तान में आती है। हरिदास जी का परिवार मुल्तान से आकर अलीगढ़ के कोल स्थान में बस गया। बाद में उन्हें कृष्ण भक्ति वृंदावन ले आई। जहां उन्होंने लोगों के बीच बिहारी जी के पूजा-पाठ का विस्तार किया। DM बोले- तोशखाना खुलने के बाद मंदिर की निगरानी बढ़ाई गईबांके बिहारी मंदिर का तहखाना खोले जाने और इस पर काम कर रही हाई पावर कमेटी के बारे में हमने मथुरा के DM चंद्र प्रकाश सिंह से बात की। चंद्र प्रकाश कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का पालन करते हुए मंदिर के तोशखाने की जांच की गई थी। अगस्त में 12-सदस्यीय कमेटी के गठन के बाद हम लगातार मंदिर की सुरक्षा और लोगों के लिए सुलभ दर्शन पर काम कर रहे हैं। 'कमेटी ने हाल ही में अपनी 7वीं बैठक में ये फैसला लिया है कि मंदिर की निजी बैंकों में जमा धनराशि को जल्द से जल्द सार्वजनिक बैंकों में जमा करवाया जाए। साथ ही मंदिर में दर्शन और हर दिन आने वाले दान की लाइव स्ट्रीमिंग कराने का फैसला लिया गया है। साथ ही मंदिर में नई रेलिंग व्यवस्था बनाने के लिए IIT रुड़की के एक्सपर्ट्स से मदद ली जा रही है।' .......................ये खबर भी पढ़ें... 50 महीने जेल-600 करोड़ खत्म, चुनाव लड़ने पर बैन यूपी सरकार में कभी कैबिनेट मंत्री रहे आजम ने बीते 5 सालों में अपनी जिंदगी के 50 महीने जेल में काटे। योगी सरकार आने के बाद वो 2 बार जेल गए। पहली बार फरवरी 2020 से मई 2022 तक और फिर अक्टूबर 2023 से सितंबर 2025 तक जेल में रहे। कैद में रहते हुए आजम की करोड़ों की प्रॉपर्टी पर बुलडोजर चला और स्कूल बंद कर दिए गए। पढ़िए पूरी रिपोर्ट...
फिलीपींस के बाद चीन ने जापान पर तानी 'बंदूक'! अचानक मिसाइल ड्रिल का किया ऐलान, बिगड़ रहे हैं हालात
China Japan News in Hindi: दक्षिण चीन सागर में बमवर्षक विमान भेजकर फिलीपींस को डराने के बाद चीन ने अब जापान पर अपनी बंदूक ताननी शुरू कर दी है. ताइवान का सपोर्ट करने पर चीन ने अचानक यलो सी में लाइव फायर मिसाइल ड्रिल करने का ऐलान किया है.
नेपाल में बीमा नियामक ने आतंकवादी संगठनों की संपत्तियां फ्रीज करने का आदेश दिया
नेपाल के बीमा नियामक ने देश में संचालित सभी बीमा कंपनियों को निर्देश दिया कि वे आतंकवाद से जुड़े संगठनों और व्यक्तियों की संपत्तियों को फ्रीज करें
Bullet Train Interesting Facts: बुलेट ट्रेनों की स्पीड 300 किमी प्रति घंटा के आसपास होती है. इतनी जबरदस्त स्पीड में दौड़ने के बावजूद उसमें रखी चीजें गिरती क्यों नहीं हैं. क्या आपने कभी इस बारे में सोचा है.
नेपाल का ऐतिहासिक फैसला, भारत में आतंक फैलाने वाले संगठनों की संपत्ति होगी फ्रीज
Nepal orders insurance companies: नेपाल की बीमा कंपनियों को यूएनएससी की तरफ से बताए गए आतंकवादी संगठनों और व्यक्तियों के नाम की संपत्तियों को तत्काल फ्रीज करके और उन्हें किसी भी प्रकार का बीमा देने से रोकने का आदेश दिया है. यूएनएससी की तरफ से जारी सूची में लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हरकत-उल-जिहाद इस्लामी जैसे संगठनों के नाम शामिल किए गए हैं. इन पर भारत में आतंकवादी हमले करने के आरोप हैं.
Crime News in Hindi: अपराधियों का एक गिरोह तूफान की तरह ज्वेलरी शॉप पर पहुंचे और महज 7 मिनट में 10 करोड़ रुपये के जेवर लूटकर भूत की तरह गायब हो गए. पुलिस अब बदमाशों की तलाश में अपना माथा पीट रही है.
अमेरिका में कोहराम, तेजी से खत्म हो रहीं नौकरियां, कंपनियों के बुरे हाल, आखिर वजह क्या है?
America job Crisis: ट्रंप सरकार की तरफ से लगाए गए 43 दिनों के सरकारी शटडाउन के कारण अमेरिका में महत्वपूर्ण आर्थिक आंकड़े भी जारी नहीं हो पाए, जिसके चलते लेबर विभाग डेढ़ महीने की देरी सेअब सितंबर महीने में रोजगार और बेरोजगारी के आंकड़ों की रिपोर्ट अगले गुरुवार को जारी करेगा.
DRC में आतंकियों ने खेला खूनी खेल, IS से जुड़े विद्रोहियों ने 20 लोगों की हत्या कर घरों में लगाई आग
डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (DRC) के पूर्वी हिस्से में एलाइड डेमोक्रेटिक फोर्सेज (ADF) के विद्रोहियों ने 20 लोगों को मार डाला. विद्रोहियों ने शुक्रवार से शनिवार की रात आतंक मचाया. स्थानीय सूत्रों ने सिन्हुआ को ये जानकारी दी.
फिलीपींस, रुक जाओ वरना... दक्षिण चीन सागर में China ने उड़ाए खतरनाक बॉम्बर, जापान को दी धमकी
China Threatens Philippines News: दक्षिण चीन सागर में बड़े युद्ध की आशंका तेजी से बढ़ती जा रही है. फिलीपींस-यूएस और जापान की जॉइंट पेट्रोलिंग से भड़के चीन ने धमकी देने के लिए आज अपने खतरनाक बमवर्षक दक्षिण चीन सागर के ऊपर उड़ाए.
पाकिस्तान ने पार की नीचता की हद, 1 लाख शरणार्थियों को कैद कर ले रहा अफगानिस्तान से बदला
Afghani refugees: हालांकि पहले भी 2024 में लगभग 9000 और 2023 में 26000 अफगानों को पकड़ा गया था. यूएनएचसीआर की तरफ से हिरासत में लिए गए लोगों के बारे में जानकारी साझा करते हुए बताया गया कि इनमें से 76 प्रतिशत शरणार्थी या तो बिना दस्तावेज वाले प्रवासी थे या उनके पास सिर्फ अफगान नागरिक कार्ड था.
इजरायल में 7 अक्टूबर 2023 के बाद एक ऐसी प्रक्रिया तेजी से बढ़ी है, जो सुनने में भावनात्मक भी है और वैज्ञानिक रूप से बेहद जटिल भी! पोस्ट ह्यूमस स्पर्म रिट्रीवल (पीएसआर) यानी किसी पुरुष की मृत्यु के बाद उसका स्पर्म निकालकर संरक्षित करने की प्रक्रिया तेजी से विकसित हुई है
अमेरिका इमिग्रेशन नीति में बदलाव करने की पूरी तैयारी में है। इसे लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के तेवर सख्त होते नजर आ रहे हैं। अमेरिकी मीडिया के अनुसार, यहां की नई आव्रजन नीति तैयार की जा रही है
आसिम मुनीर कैसे बने पाकिस्तान में सबसे ताकतवर
पाकिस्तान की संसद ने सेना प्रमुख आसिम मुनीर की शक्तियों को बढ़ाने वाले 27वें संशोधन को मंजूरी दे दी है. इस संशोधन के साथ ही अब आसिम मुनीर देश के सबसे ताकतवर पदाधिकारी बन गए हैं
अब इस देश में सड़कों पर उतरे हजारों GEN Z; राष्ट्रपति के खिलाफ खोला मोर्चा, क्या है विवाद?
Mexico Zen G Protest: मेक्सिको में राष्ट्रपति क्लाउडिया शीनबाम की सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया जा रहा है. इसको लेकर कई सारे प्रदर्शकारी सड़कों पर उतरे हैं.
लंबे समय तक टैरिफ वॉर में फंसे देशों को अब अमेरिका ने राहत देना शुरू कर दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फल, बीफ, कॉफी समेत 200 चीजों पर टैरिफ हटाने का ऐलान किया है। उनके इस फैसले की ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री पेनी वोंग ने स्वागत किया है
Michelle Obama For 2028 Presidential Run: अमेरिका की पूर्व फर्स्ट लेडी मिशेल ओबामा ने हाल ही में अपने साल 2028 के राष्ट्रपति चुनाव लड़ने की संभावनाओं के बारे में बात की.
मेक्सिको सिटी में सरकार के खिलाफ सिटी में सरकार के खिलाफ का गुस्सा फूट पड़ा है। हजारों की संख्या में जेन जेड सड़कों पर उतर आए। यह विरोध प्रदर्शन बढ़ते अपराध, भ्रष्टाचार और दंड से मुक्ति को लेकर हो रहा है
मस्क के बाद अब इस करीबी ने छोड़ा ट्रंप का साथ... राष्ट्रपति पर लगाया जान से मारने की धमकी का आरोप
Marjorie Taylor Greene VS Trump: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उनकी सहयोगी और जॉर्जिया हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स की सदस्य मार्जोरी टेलर ग्रीन के साथ मतभेद बढ़ गए हैं.
150 फिलिस्तीनीयों को लेकर साउथ अफ्रीका कैसे पहुंचा रहस्यमयी जहाज? अबतक नहीं सुलझी गुत्थी!
Flight With Palestinians Reached South Africa: साउथ अफ्रीका में एक अजीब घटना देखने को मिली है. यहां के एक एयरपोर्ट में बिना दस्तावेज के फिलिस्तीनी नागरिक विमान में सवार होकर पहुंचे.
ट्रंप को साइड कर क्या खिचड़ी पका रहे हैं नेतन्याहू और पुतिन! 2 महीने में दूसरी बार फोन पर हुई बात
Putin And Netanyahu Phone Call: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू के बीच हाल ही में फोन पर बातचीत हुई, जिसमें दोनों देशों के नेताओं ने कई मुद्दों पर चर्चा की.
मेरा नाम उर्मिला है। मैं मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के एक गांव में पैदा हुई। एक दलाल ने मुझे शादी के बहाने धोखा दिया। उसने हरियाणा के जींद के रहने वाले कुबूल लाठर के हाथों बेच दिया। हरियाणा में इस तरह खरीदकर लाई जाने वाली दुल्हनों को ‘पारो’ या ‘मोलकी’ कहा जाता है। इन्हें बहू नहीं माना जाता, बल्कि एक तरह की नौकरानी की तरह रखा जाता है। इन्हें 20 हजार से लेकर दो लाख रुपए तक में खरीदा जाता है। शादी के बाद मेरे पति कुबूल लाठर मुझे अपने गांव लेकर नहीं आए। वह मुझे मेरे मायके में ही एक किराए के घर में रखा। जब मेरे माता-पिता ने दबाव बनाया, तब वह मुझे हरियाणा के अपने गांव करसौला लेकर आए थे। यहां आई तो, उनके माता-पिता ने मुझे घर में घुसने नहीं दिया। वह मुझे बहू मानने को तैयार नहीं थे। इसके बाद मेरे पति ने गांव में ही एक किराए का कमरा ले लिया और मैं वहीं रहने लगी। इस दौरान मैं उनके माता-पिता के खेत में मजदूरी करती थी, जिसके बदले वे थोड़ा अनाज देते थे। जब मेरे आदमी की कैंसर से मौत हुई तो उनके मां-बाप ने मुझे दोबारा बेचने की कोशिश की। मैंने साफ मना कर दिया। उनकी नजर मेरी बेटी पर थी। दरअसल, हम चार भाई-बहन थे और घर में बहुत गरीबी थी। कई बार खाने तक को कुछ नहीं होता था। पिताजी के पास इतने पैसे नहीं थे कि वे मेरी शादी करवा सकें। मैं उस समय सिर्फ 16 साल की थी। तभी एक बिचौलिया मेरे माता-पिता से मिला। उसने कहा कि वह मेरी शादी हरियाणा के एक ट्रक ड्राइवर से करवा देगा- जिसका नाम कुबूल लाठर था। कुबूल अक्सर ट्रक लेकर हमारे गांव आता-जाता था। बिचौलिए ने मेरे माता-पिता से कहा कि कुबूल अच्छी कमाई करता है और मुझे अच्छे से रखेगा, और शादी में कोई पैसे नहीं लेगा। उसने मुझसे भी कहा कि मुझे कोई तकलीफ नहीं होगी और सब सुविधा मिलेगी। गरीबी के कारण माता-पिता उसकी बातों में आ गए। बाद में पता चला कि बिचौलिए ने कुबूल से पैसे लिए थे- यानी उसने वास्तव में मुझे बेच दिया था। कितना पैसा लिया था, आज तक पता नहीं चला। 2010 में मेरी शादी एक मंदिर में करा दी गई। शादी के बाद मेरे पति मुझे अपने गांव नहीं लाए। उन्होंने मेरे मायके में ही किराए पर एक कमरा लिया और उसमें मुझे ढाई साल से ज्यादा समय तक रखा। मैं छोटी थी, ज्यादा समझ नहीं थी। वे दो-तीन महीने में एक बार आते, एक-दो दिन रहते और फिर चले जाते। इस बीच घर वालों को पता चला कि बिचौलिए ने मुझे बेच दिया था। 2013 की बात है। उस दिन मेरे पति आए हुए थे। मेरी मां उनसे मिलने पहुंचीं और उन्होंने कहा- 'अगर आप मेरी बेटी को अपने साथ नहीं ले जाएंगे तो हम इसकी कहीं और शादी कर देंगे।' इस दबाव के बाद मेरे पति मुझे हरियाणा के जींद जिले के अपने गांव करसौला लेकर आए। लेकिन वहां पहुंचते ही सास-ससुर ने साफ कह दिया- 'तू बाहर से बहू लाया है, इसे घर में घुसने नहीं देंगे।' तभी मुझे समझ आया कि मेरे पति मुझे इतने सालों तक अपने गांव क्यों नहीं लाए थे। मजबूरी में उन्होंने गांव में किराए का कमरा लिया और मैं वहां रहने लगी। आखिर, मायके में तीन साल किराए पर रहने के बाद अब अपने पति के गांव में भी आकर किराए पर रहने लगी। इसी दौरान मेरी एक बेटी हुई। मैं उसकी देखभाल में लगी रहती थी। एक दिन मेरे ससुर आए और बोले- 'खेत में गेहूं की फसल तैयार है, तुम्हें काटनी पड़ेगी। तुम्हें खरीदकर लाया हूं, सारा पैसा वसूल करूंगा।' मैंने मना कर दिया, तो वे लौट गए। कुछ दिन बाद मेरे पति आए, तब उनके पिता फिर आए और कहा- 'पारो को खेत में भेजो, फसल तैयार है।' उस दिन मेरे पति ने मुझे बहुत समझाया। कहा- अपने घर का काम है, कर लो। पति के कहने पर मैं तैयार हुई और रोज सुबह से शाम तक गेहूं की कटाई करने लगी। कई बार बिना खाए-पिए ही। इसके बदले मुझे थोड़ा-बहुत गेहूं मिलता था। इस तरह मैं अपने ही ससुराल में मजदूरी करने लगी। फिर एक दिन मेरे ससुर जी ने कहा- 'काम करके कमरे पर मत आया करो, घर आ जाया करो। घर का भी काम करना है।' इसके बाद मैं उनके घर भी जाने लगी- झाड़ू, पोंछा, बर्तन, कपड़े धोना, गोबर उठाना- सब काम करती, लेकिन रसोई में जाने की इजाजत नहीं थी। चूल्हा-चौका छूने नहीं देती थीं, क्योंकि वे मुझे अछूत मानते थे। जब ससुराल वालों को मालूम हुआ कि मेरे माता-पिता भी गरीब हैं, तो उन्होंने उन्हें भी सिवनी से बुला लिया और उनसे भी मजदूरी करवाने लगे। मैं तो पहले ही नौकरानी की तरह थी, अब मेरे माता-पिता भी मजदूर बन गए। जब ससुराल वालों के रिश्तेदारों के यहां शादी-ब्याह होता तो वहां भी मुझे लेकर जाते। वहां भी सारा काम करती। एक रिश्तेदार के यहां शादी थी। वहां गई तो पता चला कि मेरे पति ने पहले से ही दो शादियां कर रखी हैं। उस दिन मैं बहुत परेशान हो गई। जब उनसे पूछा तो कहने लगे- रहता तो मैं तेरे ही साथ हूं न, तुझे क्या दिक्कत है। तुझे किस चीज की कमी है। वह मुझे डांटने लगे। मैंने आखिर दिल पर पत्थर रख लिया। उस बारे में फिर दोबारा बात नहीं की। 2019 में मेरे पति के गले में कैंसर का पता चला। उन्होंने ड्राइविंग छोड़ दी और घर पर रहने लगे। घर चलाने के लिए मैंने गांव में मजदूरी करनी शुरू की। बेटी छोटी थी, उसे भी साथ ले जाना पड़ता था। कुछ समय बाद उनकी हालत बहुत खराब हो गई। इलाज के पैसे नहीं थे। मैंने सास-ससुर से मदद मांगी तो उन्होंने कहा- हमारे पास पैसे नहीं हैं, लेकिन तुम हमारे घर में आकर रह सकती हो, ताकि तुम्हारे कमरे का किराया बचे। मजबूरी में मैं ससुराल में रहने लगी। मैंने गांव से चंदा इकट्ठा करके पति को अस्पताल में भर्ती कराया। हालत लगातार बिगड़ती जा रही थी। एक दिन उनके भाई ने मुझसे कहा- 'घर जा, तुम्हें यहां रहने की जरूरत नहीं है।' वह नहीं चाहते थे कि आखिरी समय में मैं अपने पति के साथ रहूं। मैं रोते हुए घर लौट आई। अगले दिन जेठ आए और बताया कि कुबूल की मौत हो गई है। अभी पति की मौत को एक दिन भी नहीं हुआ था कि ससुराल वाले बोलने लगे- 'हमारे दूसरे बेटे से शादी कर लो।' वे नहीं चाहते थे कि ‘फ्री में मिली नौकरानी’ कहीं चली जाए। मैंने साफ मना कर दिया और कहा- मुझे अपना हिस्सा चाहिए, ताकि मैं अपनी बेटी को पाल सकूं। वे हिस्सा देने को तैयार नहीं थे। बोले- 'या तो हमारे दूसरे बेटे से शादी करो, नहीं तो हम तुम्हारी कहीं और शादी कर देंगे। तुम्हें एक लाख रुपए और अंगूठी भी देंगे।' यानी वे मुझे दोबारा बेचने की तैयारी में थे। लेकिन मैंने दूसरी शादी से इनकार कर दिया। मुझे लगा था कि वे मुझे जान से न मार देंगे। मदद के लिए पुलिस थाने पहुंची। वहां पुलिस वाले कहने लगे- आखिर जब तुम्हारी दूसरी शादी की जा रही है, तो क्यों नहीं कर लेती! इस तरह पुलिस ने मदद नहीं की। फिर थाने से वापस घर लौट आई। मुझे बेटी की चिंता सताती थी- अगर मुझे कुछ हो गया तो उसका क्या होगा? कहीं उसे भी नौकरानी न बना दें या आगे चलकर बेच न दें। यह 2021 की बात है। तभी पता चला कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर हमारे इलाके में आने वाले हैं। मैंने ठान लिया कि उनसे मिलूंगी। जिस रास्ते से उनका काफिला गुजरना था, मैं वहीं बैठ गई और रास्ता रोककर मदद की गुहार लगाई। कहा- 'मेरे पति की मौत हो चुकी है। मेरे पास न घर है, न खाने को कुछ। मेरी एक बेटी है। कृपया मदद कीजिए।' सीएम ने डीसी को निर्देश दिए। वे मेरे साथ आए और दबाव डालकर ससुराल वालों से एक कमरा दिलवाया। उसमें न शौचालय था, न बाथरूम, लेकिन किसी तरह रहने लगी। अब मेरे ससुराल के लोग न मुझसे बात करना एकदम से बंद कर दिया। मेरी बेटी से भी बात नहीं करते। अब मेरी बेटी स्कूल जाने लगी है, लेकिन वहां उसके साथ भेदभाव होता है। बच्चे उसे पारो की बेटी कहकर चिढ़ाते है। एक दिन मैंने स्कूल में जाकर शिकायत की, लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा। अब मैं इसी कमरे में बेटी के साथ रहती हूं। मुझे आज तक बहू का दर्जा नहीं मिला। मैं बीमार हूं, डॉक्टरों ने बताया है कि मेरे दिल में छेद है, लेकिन इलाज के लिए पैसे नहीं हैं। इस बीच, सीएम खट्टर का रास्ता रोकने वाला मेरा वीडियो वायरल हो गया था। वीडियो देखकर दिल्ली की एक संस्था ने मेरी मदद की। कुछ वकील भी आए, जो हरियाणा में पारो महिलाओं की सहायता करते हैं। उन्होंने मेरा हौसला बढ़ाया और बाकी पारो महिलाओं के लिए काम करने को कहा। मैंने ‘सखी संघ’ के रूप में एक समूह बनाकर काम शुरू कर दिया है। इस संघ के जरिए हम जींद जिले में पारो महिलाओं को उनके अधिकारों के लिए जागरूक करते हैं। इस जागरूकता के दौरान एक दिन मेरी मुलाकात एक पारो से हुई। उसको बच्चा हुआ था। उसके आदमी के घर वालों ने उसका बच्चा छीन लिया था और उसे घर से निकाल दिया था। बाद में पता चला कि उसे दूसरी जगह बेच दिया गया। इस तरह हरियाणा में गरीबी और बेबसी के कारण पारो महिलाओं को बार-बार बेचा जाता है। कुछ आदमियों ने तो शराब के पैसे के लिए पारो दुल्हन को बेच दिया। कुछ पारो को मार दिया गया, जिनकी आज तक लाश नहीं मिली। कुछ महीने पहले ही एक पारो ने फांसी लगाई थी। कई बार तो मैंने भी जहर खाने की सोचा। इस तरह हमारी जिंदगी जानवरों से भी बदतर है। अंत में कहूंगी कि- हमारे पति की मौत के बाद हमें घर में रहने दिया जाए। हमें बहू का दर्जा मिले। उनकी जायदाद में हिस्सा दिया जाए। पारो को दोबारा बेचने की परंपरा पर रोक लगे। यही नहीं, हम यह भी चाहते हैं कि हमें पारो कहकर अपमानित करना बंद किया जाए। इन सबके लिए हम सभी पारो बहनों ने एक मांग पत्र भी तैयार किया है। ------------------------------------------ (उर्मिला ने अपने ये जज्बात भास्कर रिपोर्टर मनीषा भल्ला से साझा किए हैं।) 1-संडे जज्बात-मैं मुर्दा बनकर अर्थी पर भीतर-ही-भीतर मुस्कुरा रहा था:लोग ‘राम नाम सत्य है’ बोले तो सोचा- सत्य तो मैं ही हूं, थोड़ी देर में उठकर साबित करूंगा मेरा नाम मोहनलाल है। बिहार के गयाजी के गांव पोची का रहने वाला हूं। विश्व में शायद अकेला ऐसा इंसान हूं, जिसने जिंदा रहते अपनी शव यात्रा देखी। यह बात चंद करीबी लोगों को ही पता थी। मरने का यह सारा नाटक किसी खास वजह से किया गया था। पूरी स्टोरी यहां पढ़ें 2- संडे जज्बात-फौजी विधवा की 8 साल के देवर से शादी:मैं मेजर जनरल थी, उसकी बात सुनकर कांप गई; मन करता है कैसे भी उससे मिल लूं अस्पताल में इलाज के दौरान एक युवा सिपाही की मौत हो गई। वह शादीशुदा था और उसकी विधवा पत्नी की उम्र लगभग 22 साल थी। सिपाही की मौत के बाद एक दिन उसकी पत्नी रोते हुए मेरे पास आई। कहने लगी कि मुझे बचा लीजिए। मेरे ससुराल वाले और मायके के लोग मेरी शादी देवर से कराने जा रहे हैं। पूरी स्टोरी यहां पढ़ें
'दिल्ली की हस्ती मुनासिर कई हंगामों पर हैकिला, चांदनी चौक, हर रोज मजमा जामा मस्जिदहर हफ्ते सैर जमुना के पुल कीऔर दिल्ली में हर साल मेला फूलवालों काये पांच बातें अब नहीं, फिर दिल्ली कहां’ दिल्ली के बारे में ये बात मशहूर शायर मिर्जा गालिब ने कही थी। बात 1857 के गदर से पहले की है। दिल्ली बेरौनक हो रही थी, इसलिए गालिब मायूस थे। अब किला है, चांदनी चौक है, जामा मस्जिद पर मजमा है, जमुना का पुल है, बस इस साल मेला फूलवालों का नहीं है। गालिब ने जिसे मेला फूलवालों का कहा, वो दिल्लीवालों के लिए फूलवालों की सैर नाम का उत्सव है, जो महरौली में मनाया जाता है। 213 साल पहले 1812 में शुरू हुए उत्सव को इस साल परमिशन नहीं मिली। इसके लिए 2 नवंबर से 8 नवंबर की तारीख तय थी। आयोजकों का कहना है कि दिल्ली डेवलपमेंट अथॉरिटी यानी DDA ने कहा कि फॉरेस्ट वालों से परमिशन लीजिए। फॉरेस्ट डिपार्टमेंट ने जवाब दिया कि यह हमारे दायरे में आता ही नहीं है, तो परमिशन कैसे दें। ये मेला इतना मशहूर हुआ कि जवाहर लाल नेहरू हर साल यहां आते थे। इंदिरा गांधी, मोरारजी देसाई भी आते रहे। इस मसले पर हमने महरौली के लोगों, आयोजकों, DDA और वन विभाग के अफसरों से बात की। लोग बोले- सरकार जो चाहे करे, हम क्या कर सकते हैंमहरौली में एक से दो किमी के दायरे में कुतुब मीनार, राजाओं की बावली, जहाज महल, 1230 में बना हौज-ए-शम्सी तालाब, कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी की दरगाह और योगमाया मंदिर है। फूलवालों की सैर का इतिहास क़ुतुबुद्दीन बख्तियार काकी की दरगाह और योगमाया मंदिर को जोड़ता है। सबसे पहले हम जहाज महल पहुंचे। ये जगह हौज-ए-शम्सी तालाब से सटी है। फूल वालों की सैर के दौरान इस जगह कव्वाली होती है। यहां 80 साल के नंदलाल मिले। नंदलाल भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के बाद दिल्ली आकर बसे थे। 63 साल से फूलवालों की सैर में शामिल होते रहे। इस बार मायूस हैं क्योंकि ये उत्सव नहीं हो पाया। नंदलाल कहते हैं, ‘इस बार त्योहार की परमिशन ही नहीं मिली। सरकार जो चाहे करे, अब उसके आगे हम क्या कर सकते हैं।’ ‘त्योहार कई साल से मन रहा, DDA को अब फॉरेस्ट लैंड दिखा’महरौली के रहने वाले महेश कुमार DDA से परमिशन न मिलने पर सवाल उठाते हैं। वे कहते हैं, ‘ये त्योहार कई साल से DDA के पार्क में हो रहा है। DDA को अब वहां फॉरेस्ट लैंड दिख रहा है। पहले तो कभी नहीं दिखा।’ महेश आगे कहते हैं, ‘ये फेस्टिवल बहुत जरूरी है। यह भाईचारे की जगह है। हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, सब इसमें शामिल होते हैं। मेरे जन्म से पहले ये परंपरा चल रही है।’ 37 साल के सिराज शेख महरौली में ऑटो चलाते हैं। वे हमें महरौली के आम बाग में मिले। फूल वालों की सैर का मेला यहीं लगता है। सिराज कहते हैं, ‘मेले के दौरान हम मंदिर और मस्जिद दोनों जगह जाते थे। पिछली बार भी मेला नहीं लगा था, सिर्फ कव्वाली हुई थी। ये त्योहार हर धर्म और जाति के लोगों को जोड़ता है।’ महरौली के स्थानीय पत्रकार अजीज अहमद बताते हैं, ‘मेरी जिंदगी यहीं बीती है। इस फेस्टिवल में अलग-अलग राज्यों से पंखे आते हैं। उनमें आधे दरगाह और आधे योगमाया मंदिर में जाते हैं। ये फेस्टिवल हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है।' 'आजादी के बाद ये दोबारा शुरू हुआ, तब जवाहर लाल नेहरू हर साल यहां आए। इंदिरा गांधी, मोरारजी देसाई, बाद में दूसरे राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री भी आते रहे। दिल्ली के उपराज्यपाल तो हर साल आते हैं।’ सूफी संत की दरगाह, भगवान कृष्ण की बहन का मंदिरमेले के दौरान दिल्ली के उपराज्यपाल हजरत कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी की दरगाह पर पंखा और फूलों की चादर चढ़ाते हैं। फिर योगमाया मंदिर में फूलों के पंखे पेश किए जाते हैं। इसके लिए यात्रा निकाली जाती है। किर्गिस्तान से भारत आए कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी एक सूफी संत थे। यहां चिश्ती सूफी परंपरा के संस्थापक ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती के शिष्य बन गए। बाद में मुइनुद्दीन चिश्ती ने बख्तियार काकी को अपना आध्यात्मिक उत्तराधिकारी बना दिया। बख्तियार काकी ने पूरी जिंदगी दिल्ली में ही बिताई। 1235 में इंतकाल के बाद उन्हें महरौली में दफनाया गया। विभाजन के बाद दंगाइयों ने बख्तियार काकी की दरगाह को नुकसान पहुंचाया था। हत्या से तीन दिन पहले महात्मा गांधी यहां आए थे। उन्होंने अपील की थी कि दरगाह की मरम्मत कर मुसलमानों को सौंप दिया जाए। इसी तरह योगमाया मंदिर भी काफी पुराना है। मंदिर परिसर में लगे बोर्ड पर मंदिर का इतिहास लिखा है। इसके मुताबिक योगमाया भगवान कृष्ण की बहन थीं। मथुरा के राजा कंस ने योगमाया को कृष्ण समझकर मारने की कोशिश की थी। तब योगमाया का सिर इसी जगह गिरा था। इस मंदिर में योगमाया का शीश पिंडी रूप में है। इसी की पूजा होती है। आयोजक बोले- बार-बार परमिशन मांगी, आखिरी वक्त तक नहीं मिली1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान अंग्रेजों ने इस मेले पर रोक लगा दी थी। पद्मश्री से सम्मानित सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज योगेश्वर दयाल ने 1961 में फूल वालों की सैर दोबारा शुरू करने की पहल की। इसके बाद प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 1962 में इसे दोबारा शुरू करवाया। तभी से यह त्योहार हर साल मन रहा था। इसका आयोजन अंजुमन सैर-ए-गुल फरोशां नाम की संस्था कराती है। पूर्व जज योगेश्वर दयाल की बेटी ऊषा दयाल इसकी जनरल सेक्रेटरी हैं। वे कहती हैं, ‘पिछले साल भी आखिरी वक्त में मौखिक अनुमति दी गई थी। कोई लेटर नहीं दिया गया। हमने इस साल मार्च से ही DDA से अनुमति लेने के लिए संपर्क करना शुरू कर दिया था। तब उन्होंने कहा कि फॉरेस्ट डिपार्टमेंट से नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट लाना होगा। हमने फॉरेस्ट डिपार्टमेंट को लेटर लिखा। कई बार रिमाइंडर के बावजूद जवाब नहीं मिला।’ जुलाई में हमने उपराज्यपाल को लेटर लिखा। वहां से भी जवाब नहीं आया। सितंबर में DDA से फिर परमिशन मांगी। हमें कोई जवाब नहीं मिला। ऊषा बताती हैं, ‘मंत्री कपिल मिश्रा ने भी DDA वालों से पूछा कि 2023 तक परमिशन मिल रही थी, तो अभी क्या दिक्कत है। DDA ने कोई जवाब नहीं दिया। हमने फैसला लिया कि इस साल आयोजन नहीं करेंगे। आम बाग में साफ लिखा है कि ये DDA पार्क है। इसके बावजूद पिछले साल से वे अड़चन लगा रहे हैं।’ हम महरौली में अंजुमन सैर-ए-गुल फरोशां के उपाध्यक्ष विनोद शर्मा से भी मिले। वे 50 साल से ज्यादा वक्त से इससे जुड़े हैं। विनोद कहते हैं, ‘देश में अभी जैसा माहौल है, उसमें ऐसे फेस्टिवल की और ज्यादा जरूरत है।’ वे कहते हैं, ‘शुरुआत में मेला एक दिन का होता था। फिर तीन दिन का होने लगा। अब एक हफ्ते तक लगता है। दरगाह में चादर चढ़ाई जाती है, तो हिंदू भी जाते हैं। मंदिर में पंखे रखे जाते हैं, तब मुस्लिम आते हैं। शुरू में तो ये दिल्ली का फेस्टिवल था, लेकिन अब पूरे हिंदुस्तान का हो चुका है। हर जगह से पंखे आते हैं। तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश से लोग आते हैं।’ विनोद कहते हैं कि DDA की तरफ से इस बार भी टाल-मटोल होता रहा। इसलिए संस्था ने फैसला लिया कि जब तक अनुमति नहीं मिलती, मेले का आयोजन नहीं किया जाएगा। 22 अक्टूबर को 'अंजुमन सैर-ए-गुल फरोशां' के लेटर का DDA ने जवाब दिया था। इसमें बताया गया कि कार्यक्रम के लिए जिस पार्क की अनुमति मांगी जा रही है, वो रिजर्व फॉरेस्ट एरिया है। वहां कोई नॉन-फॉरेस्ट एक्टिविटी की इजाजत नहीं दी जा सकती। इसके लिए DDA ने फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के आदेश का हवाला दिया और कहा कि आवेदन को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि एलजी ने अधिकारियों को परमिशन देने के लिए कहा था। हमने इस पर DDA के बुकिंग डिपार्टमेंट के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर कनव महाजन से बात की। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम के लिए सशर्त अनुमति दे दी गई है। हालांकि उन्होंने परमिशन लेटर शेयर करने से इनकार कर दिया। वहीं, आयोजक बताते हैं कि उन्हें कोई ऑफिशियल लेटर नहीं मिला है। अब ये कार्यक्रम अगले साल मार्च में करेंगे, क्योंकि एक महीने पहले से तैयारी करनी पड़ती है। हमने इस मुद्दे पर दिल्ली के संस्कृति मंत्री कपिल मिश्रा से बात करने की कोशिश की। उनका जवाब नहीं मिला। दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना को भी ईमेल भेजा है। जवाब आने पर खबर अपडेट करेंगे। मुगल बादशाह ने शुरू कराई फूलवालों की सैरइतिहासकारों के मुताबिक इस त्योहार की शुरुआत मुगल बादशाह अकबर शाह द्वितीय के राज में हुई थी। तब अंग्रेज मजबूत हो रहे थे। राजकाज में अंग्रेज सरकार के प्रतिनिधि आरकिबाल्ड स्टेन का दबदबा था। अकबर शाह द्वितीय बड़े बेटे अबू जफर के बदले छोटे बेटे मिर्जा जहांगीर को गद्दी सौंपना चाहते थे। ये बात स्टेन को नामंजूर थी। एक दिन जहांगीर ने स्टेन का मजाक उड़ाया। स्टेन ने जहांगीर को दिल्ली से इलाहाबाद भेजकर नजरबंद करवा दिया। इतिहासकार राणा सफवी बताती हैं, ‘ये फेस्टिवल 1812-13 के आसपास शुरू हुआ था। अकबर शाह द्वितीय की बेगम मुमताज महल ने मन्नत मांगी थी कि अगर बेटा सही-सलामत वापस आ जाएगा, तो हजरत कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी की दरगाह पर चादर चढ़ाऊंगी। जहांगीर लौटे तो मुमताज महल चादर चढ़ाने नंगे पैर दरगाह तक गईं। मिर्जा फरहतुल्लाह बेग अपनी किताब 'बहादुर शाह जफर और फूल वालों की सैर' में लिखते हैं कि नंगे पैर जाती हुई मुमताज बेगम के लिए फूल वालों ने रास्ते में फूल बिछा दिए थे। तब अकबर शाह ने कहा कि हम यहां चादर चढ़ाएंगे, तो योगमाया मंदिर पर भी छत्र चढ़ाएंगे। दिल्ली वालों की मांग पर बादशाह अकबर शाह ने कहा कि अब ये सैर हर साल भादो के महीने में होगी। इसके बाद ये हर साल त्योहार की तरह मनाया जाने लगा। राणा सफवी एक और किस्सा बताती हैं। 1857 में आजादी की लड़ाई चल रही थी। तब भी बहादुर शाह (द्वितीय) वहां चादर और छत्र चढ़ाने गए थे। एक साल ऐसा हुआ था कि बहादुर शाह मंदिर में छत्र नहीं चढ़ा पाए थे, फिर वे दरगाह भी नहीं गए। उन्होंने कहा था कि हिंदू-मुसलमान सब मेरे बच्चे हैं। अगर मैंने एक जगह चढ़ाई और दूसरी जगह नहीं चढ़ाई तो लोगों को बुरा लगेगा। राणा आगे कहती हैं कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंग्रेजों ने इसे बंद कर दिया था। आजादी के बाद फिर जवाहर लाल नेहरू ने इसे शुरू किया था।
Bangladesh Crisis: एक दिन पहले मुख्य सलाहकार ने देश के नाम एक संबोधन जारी किया था. अपने संबोधन में यूनुस ने ऐलान किया कि फरवरी 2026 के शुरुआती 15 दिनों के अंदर राष्ट्रीय चुनाव और जनमत संग्रह एक साथ आयोजित किए जाएंगे.
पाकिस्तान में 27वें संविधान संशोधन का अदालत में विरोध, अब तक कई जजों ने दिया इस्तीफा
पाकिस्तान के संविधान में 27वें संशोधन का वकील से लेकर जजों तक अदालत में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं
अमेरिका के इतिहास की सबसे कड़वी तारीख, जब गिरा फोर्ट वाशिंगटन और 2800 सैनिकों ने किया सरेंडर
Fall of Fort Washington: अमेरिका आज के दौर में दुनिया का सबसे ताकतवर देश माना जाता है लेकिन एक वक्त पर अमेरिका आजादी पाने के लिए दिन रात लड़ रहा था. आजादी संग्राम संघर्ष के दौरान 16 नवंबर 1776 को फोर्ट वाशिंगटन का पतन अमेरिका की यादों में कड़वी यादों के तौर पर दर्ज है. इस दिन ब्रिटिश सैनिकों ने किराए पर लाए लड़ाकों के साथ मिलकर अमेरिका के 2800 सैनिकों को बंदी बना लिया था.
इंडोनेशिया के मध्य जावा में भूस्खलन से तबाही: 11 की मौत, बचाव दल बोला '12 अब भी लापता'
इंडोनेशिया की आपदा प्रबंधन एजेंसी ने बताया कि मध्य जावा में भारी बारिश के बाद हुए भूस्खलन में 11 लोगों की मौत हो गई है। बचाव दल लापता लोगों की तलाश में जुटा है
Internet Freedom Index: भारत, श्रीलंका के साथ-साथ बांग्लादेश में नागरिकों को इंटरनेट चलाने को लेकर काफी आजादी मिली हुई है. भारत इंटरनेट फ्रीडम इंडेक्स में 51वें नंबर है तो श्रीलंका 53 और बांग्लादेश 45वें स्थान पर है. इंटरनेट फ्रीडम इंडेक्स में चीन और म्यांमार 9वें स्थान पर मौजूद है और ईरान 13वें के अलावा रूस 17वें स्थान पर मौजूद है.
बिना वॉरहेड के भी खतरनाक! US ने किया इस 'नासूर' परमाणु बम का टेस्ट; दुश्मनों के लिए मौत का पैगाम
US Nuclear Bomb News in Hindi: रूस-चीन की ओर से परमाणु बमों का जखीरा बढ़ाए जाने की खबरों के बीच यूएस ने अपने सबसे संहारक न्यूक्लियर बम का बिना वारहेड लगाए परीक्षण किया है. इसे दुश्मनों के लिए यूएस का पैगाम कहा जा रहा है.
नाटो समर्थित देश जर्मनी के सांसदों के बीच बुंडेस्टाग में तब कैमरे के सामने संसद में झड़प हो गई, जब वहां की एक और सियासी पार्टी एएफडी के सांसदों ने शरणार्थियों को मिलने वाली सुविधाओं को लाभ अधिनियम के तहत एनालॉग को खत्म करने के प्रस्ताव को संसद में आगे बढ़ाया था.
H1B वीजा का विरोध करना रिपब्लिकन सांसद को पड़ा महंगा, ट्रंप ने चिल्लाते हुए वापस लिया समर्थन
H1B visa: मार्जोरी की तरफ से एच 1बी वीजा को खत्म करने के लिए विधेयक पेश करने के बयान पर ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म ट्रूथ पर लिखा ' मार्जोरी को बस शिकायत, शिकायत करते हुए देखता हूं'. ट्रंप ने आगे कहा कि कुछ रूढ़िवादी लोग मार्जोरी को जॉर्जिया जिले में प्राथमिक चुनाव लड़ाने की सोच रहे है.
जापान की नई महिला पीएम ने चीन को ऐसा क्या कह दिया? भड़क उठा 'ड्रैगन'
China Japan Tension:हालांकि जापान और चीन के बीच आपसी बातचीत के दरवाजे पूरी तरह बंद नहीं हुए हैं. इंटरनेशनल कम्युनिटी खासकर अमेरिका और आसियान देशों, ने दोनों से संयम बरतने की अपील की है. उधर ये भी तय है कि ताइवान का मसला फिर से पूर्वी एशिया की राजनीति के केंद्र में आ गया है.
India-Pakistan Conflict: भारत ने पाकिस्तान की एक बार फिर आलोचना की है. अस बार मुद्दा तालिबान के खिलाफ लगाई गई प्रतिबंधों पर परिषद की समिति का नेतृत्व है.
माफी मांगने के बावजूद नहीं माने ट्रंप... BBC पर ठोकेंगे 1 अरब डॉलर का मुकदमा
Trump To Sue BBC: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 'BBC' के खिलाफ मुकदमा करने वाले हैं. दरअसल ब्रिटिश ब्रॉडकास्टर ने उनके एक भाषण को एडिट करके ब्रॉडकास्ट किया था, जिसके बाद हिंसा बढ़ी थी.

