श्रीलंका के राष्ट्रपति से मिलकर जयशंकर करेंगे मदद का वादा! सड़कों और पुलों को बनाएंगे चक-चक
S. Jaishankar in Sri Lanka: भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर तूफान दित्वाह के बाद श्रीलंका में हुई तबाही का जायजा लेने और ऑपरेशन सागर बंधु के तहत भारत की मदद की समीक्षा के लिए श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके से मुलाकात करेंगे.
British Man Rape Charges: ब्रिटेन में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. यहां एक व्यक्ति पर अपनी पूर्व पत्नी को सालों तक नशीला पदार्थ देकर यौन शोषण करने का आरोप लगा है. पुलिस ने इस मामले में कुल छह लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है.
बांग्लादेश में फिर दहशत! NCP के बड़े नेता को मारी गोली, महिला की गिरफ्तारी से हड़कंप
Bangladesh Political Shooting: बांग्लादेश के खुलना शहर से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है. यहां नेशनल सिटिजन पार्टी (NCP) के नेता Mohammad Motaleb Sikder को गोली मार दी गई. यह घटना सोमवार को सोनाडांगा इलाके में गाजी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के पास एक घर में हुई.
US-Venezuela Conflict In Caribbean:कैरिबियन सागर में इन दिनों तनाव सबसे चरम पर है. अमेरिका ड्रग तस्करी रोकने के नाम पर बड़ी सैन्य ताकत दिखा रहा है, तेल टैंकर जब्त कर रहा है. लेकिन इसी बीच रूस ने कुछ ऐसा ऐलान किया है, जिसके बाद समीकरण बदल सकते हैं. वेनेजुएला को एक बड़ा भाई मिल गया है. समझें पूरी बात.
Trump or Maduro on Venezuela regime change: डोनाल्ड ट्रम्प ने मादुरो से पद छोड़ने को कहा, जिससे वेनेजुएला में अमेरिका द्वारा शासन परिवर्तन की आशंका बढ़ी. मादुरो ने जवाब में अमेरिका को अपने घरेलू मामलों पर ध्यान देने की सलाह दी.
Russia Starlink Satellite Attack Plan: यूक्रेन युद्ध के बीच रूस को लेकर गंभीर आशंका सामने आई है. दो नाटो देशों की खुफिया एजेंसियों का दावा है कि रूस अंतरिक्ष में खतरनाक हथियार बनाने की योजना पर काम कर रहा है. इससे एक साथ कई स्टारलिंक सैटेलाइट्स को नुकसान पहुंचाया जा सके.
murder case of Sharif Osman Hadi:बांग्लादेश में जुलाई क्रांति के हीरो शरीफ उस्मान हादी की हत्या से उपजा संकट अब अंतरिम सरकार के लिए अस्तित्व का सवाल बन गया है. इंकलाब मोंचो ने खुली धमकी दी है कि कातिलों को पकड़ो और सजा दो, वरना मुहम्मद यूनुस की सरकार उखाड़ फेंकेंगे. इसी बीच दबाव में आकर सरकार ने हत्याकांड का ट्रायल अब स्पीडी ट्रायल ट्रिब्यूनल में चलाने की बात कही है.
भारत पर कब्जा करने में क्यों नाकाम हो गया चंगेज खां? बड़ी मंगोल फौज के बावजूद कर लिया था वापसी
why Genghis Khan's return from India: 800 साल पहले मंगोलों के महान नेता तेमुजिन थें, जिन्हें चंगेज खां भी कहा जाता है. जिसने अपने जीवनकाल में कई बड़े युद्ध लड़े, लेकिन आज हम आपको बताएंगे कि वह भारत से वापस क्यों लौट गया था.
What Is Trump Class Battleships:अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 'गोल्डन फ्लीट' की घोषणा की, जिसमें नए 'ट्रंप-क्लास' बैटलशिप बनेंगे. ये जहाज हाइपरसोनिक हथियारों से लैस होंगे, अमेरिका की सैन्य शक्ति बढ़ाएंगे. हजारों नौकरियां आएंगी, दुश्मनों पर दबाव बनेगा. दुनिया में तनाव बढ़ सकता है, लेकिन ट्रंप कहते हैं- यह शांति का रास्ता है. जानें पूरी खबर.
भारत-बांग्लादेश रिश्तों में तनाव, चीन और पाकिस्तान की भूमिका पर पूर्व राजनयिक का आरोप
बांग्लादेश में हालात दिन-प्रतिदिन भयावह होते जा रहे हैं। हाल ही में निर्दलीय उम्मीदवार की हत्या के मामले ने देश को हिंसा की आग में झोंक दिया
‘न तो फ्री, ना ही फेयर डील...’ न्यूजीलैंड के विदेश मंत्री विंस्टन ने भारत के साथ FTA पर जताया ऐतराज
India New Zealand Relations:न्यूजीलैंड के विदेश मंत्री विंस्टन पीटर्स ने भारत-न्यूजीलैंड FTA का विरोध करते हुए इसे न तो फ्री और न ही फेयर बताया. उन्होंने कहा कि यह समझौता इमिग्रेशन और निवेश में ज्यादा रियायतें देता है लेकिन डेयरी सहित प्रमुख निर्यात क्षेत्रों को लाभ नहीं पहुंचाता.
Melania Trump:अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप नॉर्थ कैरोलिना की एक चुनावी रैली में दिए गए अपने बयान को लेकर विवाद में घिर गए हैं. महंगाई पर केंद्रित रैली के दौरान उन्होंने 2022 की एफबीआई तलाशी का जिक्र करते हुए पत्नी मेलानिया ट्रंप के अंडरगारमेंट्स पर टिप्पणी की. उनकी इस बात ने रैली का माहौल बदल दिया और लोगों को हैरान कर दिया.
बांग्लादेश में बढ़ती हिंसा पर संयुक्त राष्ट्र की गहरी चिंता
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने बांग्लादेश में हो रही हिंसा पर गहरी चिंता जताई है
Donald Trump Foreign Policy: राष्ट्रपति बनने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने विदेश नीति में बड़ा कदम उठाया है. ट्रंप प्रशासन ने दुनिया के अलग-अलग देशों में तैनात करीब 30 अमेरिकी राजदूतों को वापस बुलाने का फैसला किया है. सरकार का कहना है, यह कदम अमेरिका की विदेश नीति को अमेरिका फर्स्ट सोच के मुताबिक ढालने के लिए उठाया जा रहा है.
India-US Bilateral Ties: भारत-अमेरिका नीति विशेषज्ञ ध्रुव जयशंकर के अनुसार रक्षा सहयोग, AI और उभरती तकनीकें द्विपक्षीय संबंधों के अगले चरण को आकार देंगी. उन्होंने कहा कि राजनीतिक रुकावटों के बावजूद रक्षा, तकनीक और ऊर्जा में सहयोग जारी है. मोदी-ट्रम्प की लगातार हो रही बात और बढ़ता सैन्य सहयोग भारत-अमेरिका रिश्तों की मजबूती का संकेत हैं.
बांग्लादेश इन दिनों राजनीतिक उथल-पुथल के भंवर में फंसा हुआ है. हिंसा की घटनाएं, मीडिया पर हमले, कट्टर इस्लामी गुटों की बढ़ती दखलंदाजी और फरवरी 2026 के राष्ट्रीय चुनावों की तैयारियां. इन सबके बीच एक नाम जोरों से गूंज रहा है- तारिक रहमान.
यूनुस सरकार पर खतरा! इंकलाब मंच ने दे दी ये बड़ी चेतावनी; सड़कों पर उतरेगा हादी का संगठन
protests against the Bangladesh government: उस्मान हादी की मौत के बाद कोई ठोस कार्यवाही ना होने के कारण इंकलाब मंच के नेता अब्दुल्ला अल जाबर ने कहा कि सरकार के खिलाफ संगठन सड़क पर उतरने का दोबारा मन बना रही है.
Congress: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भाजपा पर देश की संस्थाओं पर कब्जा करने और लोकतंत्र पर हमला करने का आरोप लगाया है. बर्लिन में उन्होंने कहा कि ईडी-सीबीआई जैसी एजेंसियों का राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल हो रहा है. उन्होंने भाजपा पर संविधान और समानता के विचार को खत्म करने का आरोप लगाते हुए इसके खिलाफ संघर्ष जारी रखने की बात कही.
Bangladesh mob lynching case: बांग्लादेश के मयमनसिंह में अफवाह के चलते हिंदू मजदूर दीपू चंद्र दास की भीड़ ने बेरहमी से हत्या कर दी, जबकि जांच में आरोप झूठे पाए गए हैं. घटना के बाद परिवार सदमे और डर में है, दीपू के छोटे भाई अपू चंद्र दास ने बताया कि उनके बड़ें भाई का चेहरा भी आखिरी बार नहीं देखने दिया गया.
नाम: महंत सीताराम दासपिता/अभिभावक का नाम: महंत त्रिभुवन दास जीमां का नाम: जानकी माता अयोध्या के निर्वाणी अनी अखाड़ा के महंत सीताराम दास ने SIR यानी स्पेशल इंटेसिव रिवीजन के फॉर्म में यही जानकारी दी है। महंत सीताराम दास की तरह अयोध्या के करीब 15 हजार साधु-संतों में ज्यादातर ने पिता वाले कॉलम में अपने गुरु या हिंदू देवताओं के नाम लिखे हैं। ऐसे ही माता के नाम के आगे कौशल्या, सीता, जानकी, दुर्गा और सरस्वती माता लिखा है। साधु-संत BJP के वोटर माने जाते हैं, इसलिए पार्टी को चिंता है कि उनके वोट कट न जाएं। 14 दिसंबर, 2025 को यूपी के CM योगी आदित्यनाथ ने दावा किया था कि यूपी की वोटर लिस्ट से करीब चार करोड़ वोटर गायब हैं। उन्होंने BJP नेताओं से कहा कि ये लोग आपके विरोधी नहीं हैं, बल्कि 90% आपके वोटर हैं। CM योगी ने आगे कहा कि यूपी की आबादी लगभग 25 करोड़ है। इनमें 65% मतदाता होने चाहिए। इस हिसाब से लगभग 16 करोड़ वोटर होंगे, लेकिन SIR में ये संख्या करीब 12 करोड़ ही आई है। माना जा रहा है कि इस वजह से यूपी में SIR की तारीख बढ़ सकती है। चार करोड़ वोटर सच में गायब हो गए हैं या वे फॉर्म नहीं भर पाए हैं, क्या फॉर्म रिजेक्ट हो रहे हैं, इन सवालों के जवाब जानने के लिए दैनिक भास्कर ने चुनाव आयोग के अफसरों और एक्सपर्ट से बात की। SIR से जुड़ी दिक्कतें सिर्फ साधु-संतों तक नहीं हैं, प्रवासी कामगार भी इससे प्रभावित हैं। केस 1: SIR फॉर्म में मां के नाम की जगह सीता, जानकी और कौशल्या के नामअयोध्या के निर्वाणी अनी अखाड़ा के महंत सीताराम दास ने 10 दिसंबर को SIR का फॉर्म भरा था। संन्यासी धर्म के मुताबिक, उन्होंने फॉर्म में असली माता-पिता की पहचान न लिखकर गुरु और हिंदू देवी-देवताओं के नाम लिखे हैं। इसकी वजह पूछने पर महंत सीताराम दास कहते हैं, ‘मैं पारिवारिक जीवन से संन्यास ले चुका हूं और विरक्त परंपरा का निर्वाहन कर रहा हूं। विरक्त मतलब जिसने अपने रक्त संबंध से रिश्ता तोड़ दिया हो। अब न हमारी कोई माता हैं, न पिता हैं और न कोई गोत्र है। हमारे लिए तो ईश्वर ही सब कुछ है। मैंने अपने SIR फॉर्म में मां के नाम की जगह जानकी माता का नाम लिखा है क्योंकि वही पूरे जगत को पालती हैं, सबकी मां वही हैं।’ SIR फॉर्म में रामायण काल से जुड़े नाम लिखने की शुरुआत BJP के पूर्व सांसद और दिवंगत हिंदू धाम पीठाधीश्वर डॉ. राम विलास दास वेदांती ने की थी। उन्होंने फॉर्म में मां के कॉलम में जानकी माता का नाम लिखा था। इसके बाद अयोध्या के दिगंबर अखाड़े और हनुमान गढ़ी के बाकी संतों ने भी ऐसा ही किया। अयोध्या डेवलपमेंट अथॉरिटी के मुताबिक शहर में 60 वार्ड हैं। यहां 24.7 लाख लोग रहते हैं। इनमें 12.6 लाख पुरुष और 12.1 लाख महिलाएं हैं। इनमें 15 हजार से ज्यादा साधु-संत हैं। ये निर्मोही, दिगंबर और निर्वाणी अनी अखाड़ों में रहते हैं। फॉर्म में भगवान का नाम लिखने से उनकी जानकारी अधूरी मानी जा रही है। BJP के अवध प्रांत से जुड़े एक सीनियर लीडर इसे पार्टी के लिए बड़ा संकट मानते हैं। नाम न जाहिर करने की गुजारिश पर वे कहते हैं, ‘साधु समझ नहीं पा रहे हैं कि इस फैसले से उनका फॉर्म रिजेक्ट हो सकता है। ऐसा हुआ तो उनका नाम वोटर लिस्ट से हट जाएगा। मैंने खुद अयोध्या के संत समाज से अपील है कि वे फॉर्म में अपने वास्तविक माता-पिता का नाम भरें। कई लोगों ने मेरी बात मानकर सही फॉर्म भरा है, लेकिन ये संख्या बहुत कम है।’ वहीं, अयोध्या के मेयर गिरीश पति त्रिपाठी बताते हैं, ‘हमने इस मसले पर यूपी के मुख्य निर्वाचन अधिकारी से बात की है। उन्होंने इस पॉइंट को गंभीरता से लेते हुए अयोध्या के लिए खास निर्देश दिए हैं। फिलहाल कोई दिक्कत नहीं आ रही है।’ एक्सपर्ट बोले- साधुओं के लिए SIR में अलग ऑप्शन होसीनियर जर्नलिस्ट वीएन दास कहते हैं, ‘SIR प्रक्रिया में सबसे ज्यादा उन वोटर्स के रजिस्ट्रेशन में दिक्कतें आ रही हैं, जो अपना मूल स्थान छोड़कर कहीं और बस गए। इसमें खासतौर पर असंगठित क्षेत्रों से जुड़े कामगार और मठों-मंदिरों में बचपन से रह रहे साधु-संत शामिल हैं।’ 'हाल में दिवंगत अयोध्या के वरिष्ठ संत राम विलास वेदांती जी 12 साल की उम्र में घर छोड़कर अयोध्या आ गए थे। उन्हीं की तरह अयोध्या में ऐसे कई संन्यासी हैं, जो बचपन में यहां आए और फिर बाबा बन गए। अपनी उम्र के इतने साल बिताने के बाद कई संत ऐसे भी हैं, जिन्हें असल माता-पिता का नाम भी नहीं पता है। यही वजह है कि उनके फॉर्म अब न चाहते हुए भी अधूरे रह जाएंगे।’ 'SIR फॉर्म में साधु-महात्माओं और घुमंतु समुदायों के लिए नए विकल्प जोड़े जाने चाहिए। अगर उनके 2003 के वोटर रिकॉर्ड नहीं मिल रहे हैं, तो उनके आधार-पैनकार्ड या अस्थायी पते को ही प्रूफ मानकर फॉर्म जमा किया जाना चाहिए।’ केस 2: आधार कार्ड-NRC है, लेकिन घुसपैठिया बोला जा रहाSIR प्रक्रिया के बीच 22 नवंबर को CM योगी ने सभी DM को आदेश दिया कि वे जिलों में घुसपैठियों की पहचान करें और उनके खिलाफ सख्त एक्शन लें। इस आदेश के बाद 4 दिसंबर को लखनऊ नगर निगम की टीम गुडंबा थाने की फूलबाग कॉलोनी पहुंची। अधिकारियों ने झुग्गी बस्ती में रहने वाले असम के लगभग 50 मजदूर परिवारों को जगह खाली करने का अल्टीमेटम दे दिया। ये लोग कचरा बीनने का काम करते हैं। 2 साल पहले असम के गोलपाड़ा जिले से लखनऊ आई कुलसुम निसा भी फूलबाग झुग्गी बस्ती में रहती हैं। उनका नाम गोलपाड़ा की वोटर लिस्ट में है। 17 नवंबर को चुनाव आयोग की ओर से जारी आदेश के मुताबिक, असम में वोटर लिस्ट में एसआर यानी स्पेशल रिवीजन का काम शुरू हो गया। कुलसुम को अब तक एसआर के बारे में कुछ नहीं पता। उन्हें अपने घर की फिक्र है। वे कहती हैं, ‘4 दिसंबर को मेयर मैडम (सुषमा खर्कवाल) बस्ती में आई थीं। उनके साथ 10-12 लोग और थे। वे बिना कुछ पूछे हमें बांग्लादेशी और रोहिंग्या बोलकर डांटने लगीं। कहने लगीं कि तुम लोग अवैध तरीके से यहां रह रहे हो। हमने उन्हें अपना आधार कार्ड और NRC का कागज दिखाया, लेकिन वे बात सुनने को तैयार नहीं थीं।’ इस पर लखनऊ की मेयर सुषमा खर्कवाल ने कहना है कि फूलबाग कॉलोनी में रहने वाले कई लोग वैध दस्तावेज नहीं दिखा पाए। इसलिए उन्हें ये जगह खाली करनी होगी।’ कुलसुम के पड़ोसी इनताज अली को भी घर खाली करने के लिए कहा गया है। वे भी शहर में कचरा उठाने का काम करते हैं। 8 हजार रुपए महीना कमाते हैं। इनताज कहते हैं, ‘हम रोहिंग्या-बांग्लादेशी नहीं हैं, भारत के नागरिक हैं। हमने कभी गैरकानूनी काम नहीं किया। न ही हम सरकारी जमीन पर कब्जा करके रह रहे हैं। यहां रहने के लिए हम 1,000 रुपए महीने भाड़ा देते हैं। हम असम के रहने वाले हैं, हमें किसी से डर नहीं लगता।’ हमने इनताज से पूछा कि क्या आपका स्पेशल रिवीजन फॉर्म भरा गया है? इनताज जवाब देते हैं, हमारा वोटर आईडी गोलपाड़ा के बहाती गांव का है। हम वहीं वोट देते हैं। सालभर पहले हम बच्चों से मिलने गांव गए थे, तब से लखनऊ में हैं। अभी वहां फॉर्म भरवाए गए या नहीं, ये पता नहीं है। DEO बोले- फॉर्म में माता-पिता का नाम जरूरी, अधूरे फॉर्म पर नोटिस देंगेSIR फॉर्म में आ रही दिक्कतों पर हमने यूपी के मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा और अयोध्या के डिप्टी डिस्ट्रिक्ट इलेक्शन ऑफिसर अनिरुद्ध प्रताप सिंह से बात की। मठों-मंदिरों में रहने वाले साधुओं के SIR वेरिफिकेशन पर डिप्टी DEO अनिरुद्ध कहते हैं, ‘SIR फॉर्म में अपने माता-पिता का नाम और बाकी डीटेल्स देना जरूरी है।' 'फॉर्म भरने वाले का सिग्नेचर भी प्रक्रिया के लिए पर्याप्त माना जा रहा है। इसलिए जो साधु-संत फॉर्म में अपनी मां का नाम नहीं दे पा रहे हैं, उनके लिए उनके साइन ही सबसे बड़ा प्रमाण माना जाएगा। उन्हें मां के कॉलम में दर्ज नाम से जुड़े सबूत देना जरूरी नहीं है।’ ‘वोटर के दिए फॉर्म SDM के पास स्क्रूटनी के लिए जाते हैं। वहां चेक किया जाता है कि 2003 की मतदाता सूची से वोटर और उसके माता-पिता की मैपिंग हो रही है या नहीं। अगर गलतियां सामने आती हैं, तो वोटर को नोटिस जारी किया जाता है।’ वहीं, यूपी के चीफ इलेक्शन ऑफिसर नवदीप रिणवा कहते हैं, ‘अगर आपको SIR फॉर्म भरने में दिक्कत आ रही है या फिर BLO को लेकर कोई शिकायत है, तो वोटर हेल्पलाइन नंबर 1950 पर फोन करके शिकायत दर्ज करा सकते हैं। इसके अलावा वोटर खुद निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी (ERO) और DEO से मिलकर शिकायत कर सकते हैं।’ एक मामला ये भी…गलत फॉर्म भरा, 80 साल की नूरजहां पर केस दर्जयूपी के रामपुर की रहने वाली 80 साल की नूरजहां SIR फॉर्म भरकर मुसीबत में पड़ गईं। उनके दोनों बेटे आमिर और दानिश खान बीते 5 साल से कुवैत में रह रहे हैं। नूरजहां ने SIR फॉर्म में उनका नाम दर्ज करवा दिया, लेकिन उन्होंने दोनों के विदेश में होने की जानकारी नहीं दी। बूथ लेवल ऑफिसर ने उनका डेटा ऑनलाइन जमा किया, तो ये गड़बड़ी सामने आ गई। इसके बाद रामपुर DM अजय कुमार द्विवेदी की तरफ से नूरजहां पर गलत जानकारी देने का मुकदमा दर्ज करवा दिया गया। नूरजहां पर सिविल लाइन थाने में BLO सुपरवाइजर की शिकायत पर FIR लिखी गई। उनके विदेश में रह रहे दोनों बेटों के खिलाफ भी केस दर्ज हुआ है। अब नूरजहां ने इस मसले को खत्म करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार से गुहार लगाई है। आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने इस मुद्दे को संसद में भी उठाया। उन्होंने कहा कि बुजुर्ग महिला को SIR की वजह से परेशान होना पड़ रहा है। SIR के नियमों के मुताबिक कोई भी व्यक्ति खुद या अपने परिवार के किसी सदस्य का फॉर्म भर सकता है, बशर्ते वह अपने रिश्ते का जिक्र करे। नूरजहां ने बेटों के लिए फॉर्म भरते समय मां के रूप में खुद की सही पहचान बताई। उन्होंने कोई गलत जानकारी नहीं दी, जालसाजी या कानून का उल्लंघन नहीं किया। दिक्कतों के साथ SIR की डेडलाइन भी बढ़ीराजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल समेत 9 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों में 4 नवंबर से SIR यानी स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन की शुरुआत हुई थी। 11 दिसंबर को चुनाव आयोग ने राज्यों में प्रक्रिया में हो रही देरी, BLO की मांग और काम के बोझ को कम करने के लिए UP सहित 6 राज्यों में SIR प्रक्रिया की डेडलाइन को आगे बढ़ा दिया। यूपी में 31 दिसंबर, अंडमान, छ्त्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में 23 दिसंबर तक प्रोसेस चलती रहेगी। गुजरात-तमिलनाडु में 19 दिसंबर को प्रोसेस पूरी हो चुकी है।
अगस्त 2024 में शेख हसीना को सत्ता से हटाने के बाद से पाकिस्तान ने ढाका में नए नेतृत्व को लुभाने में तेजी दिखाई है. इस्लामाबाद उन पहले देशों में से एक था जिसने मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार का स्वागत किया और बांग्लादेश के लोगों के साथ एकजुटता व्यक्त की.
ट्रंप की ग्रीनलैंड पर हरी झंडी, जल्द कर सकते हैं कब्जा, नियुक्त किया विशेष दूत
Trump To Acquire Greenland: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ग्रीनलैंड पर अपना कब्जा स्थापित करने के लिए लुइसियाना के गवर्नर जेफ लैंड्री को ग्रीनलैंड को विशेष दूत नियुक्त किया है.
पाकिस्तान: बलूच महिलाओं को अगवा करने के खिलाफ मानवाधिकार संगठन ने शुरू किया ऑनलाइन अभियान
बलूच महिलाओं को अगवा करने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है
बोंडी बीच मामले में पुलिस ने किया खुलासा, दोनों शूटरों ने गांव में जाकर ली थी ट्रेनिंग
ऑस्ट्रेलिया के बोंडी बीच पर हुए आतंकी हमले के मामले में नया खुलासा हुआ है। मामले की जांच कर रही ऑस्ट्रेलियाई पुलिस ने बताया कि फायरिंग करने वाले दोनों संदिग्धों ने गांव के इलाके में हमले के लिए ट्रेनिंग ली थी
बांग्लादेश : द डेली स्टार और प्रोथोम अलो के दफ्तर पर हमला मामले में 17 अरेस्ट, 31 की हुई पहचान
बांग्लादेश में जारी हिंसा के बीच कट्टरपंथी उपद्रवियों ने द डेली स्टार और प्रोथोम अलो के दफ्तर पर हमला किया
आस्ट्रेलिया में सिडनी के बॉन्डी बीच पर हुए जानलेवा आतंकवादी हमले के बाद तीन लाख से ज्यादा लोगों ने ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज़ के इस्तीफे और आप्रवासन नीति में बदलाव की मांग की है।
बांग्लादेश में कट्टरपंथी नेता शरीफ उस्मान हादी की हत्या के बाद उनके समर्थक गुस्से से लाल हो रहे हैं। उन्होंने आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग करते हुए यूनुस की अंतरिम सरकार को 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया था। इस बीच बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने कानून प्रवर्तन एजेंसियों को उस्मान हादी की हत्या में शामिल लोगों और गैर-कानूनी कामों में शामिल दूसरे लोगों को जल्द गिरफ्तार करने का आदेश दिया है
22 दिसंबर 1887 यानी आज से ठीक 138 साल पहले। मद्रास प्रेसीडेंसी के ईरोड तालुका में एक बच्चे का जन्म हुआ। कुछ ही साल बाद इस बच्चे ने कुछ ऐसा किया कि दिग्गज विदेशी गणितज्ञ तक कह उठे- ये सदियों में पैदा होने वाला जीनियस है। उस जीनियस के सपने में एक देवी आती थीं और जीभ पर गणित के इक्वेशन लिख कर जाती थीं। वो जीनियस ईश्वर, शून्य और अनंत से बातें करता था। ये कहानी है महान गणितज्ञ रामानुजन की... रामानुजन बचपन से ही जिद्दी और कम बोलते थे। जब तक मंदिर में दर्शन नहीं कर लेते, खाना नहीं खाते थे। उन्हें स्कूल जाना पसंद नहीं था। ऐसे में पड़ोसी पुलिस कॉन्स्टेबल को उन्हें धमकाने के लिए बुलाया जाता था। रामानुजन को खेलकूद नहीं, सवाल पसंद थे। जैसे दुनिया में जन्म लेने वाला पहला इंसान कौन था, बादल धरती से कितनी दूर होंगे। एक बार मैथ्स टीचर पढ़ा रहे थे कि किसी संख्या को उसी संख्या से भाग दिया जाए तो उत्तर हमेशा 1 ही होगा। छोटे से रामानुजन ने टीचर से पूछा कि अगर शून्य को शून्य से भाग दिया जाए तो भी क्या उत्तर एक ही होगा? 10 साल की उम्र में प्राइमरी परीक्षा में रामानुजन ने पूरे जिले में टॉप किया। 11 साल की उम्र में वो एस एल लोनी की ट्रिगनोमेट्री जैसी गणित की किताबें सॉल्व करने लगे। 13 की उम्र में कॉलेज स्टूडेंट्स को ट्यूशन देने लगे। देवी नामगिरी जीभ पर लिखती थीं मैथ्स के इक्वेशन रामानुजन एक बेहद सामान्य परिवार से थे। उनके पिता कुंभकोणम तालुका में कपड़े की दुकान में काम करते और मां गृहिणी थी। उनकी मां और नानी नामगिरी देवी की बहुत बड़ी भक्त थीं। दोनों मानती थीं कि देवी की कृपा से ही रामानुजन का जन्म हुआ था। नानी कहती कि देवी नामगिरी उनकी बेटी के बेटे के जरिए बोलेंगी। दरअसल, नामगिरी देवी को लक्ष्मी का रूप माना जाता है। उन्हें 'नामगिरी थयार' भी कहा जाता है। तमिलनाडु के नामगिरी क्षेत्र में उनका मंदिर है, जहां उन्हें भविष्यवाणी और समाधान देने वाली शक्ति मानकर पूजा जाता है। रामानुजन दोस्तों से कहते कि देवी उनके सपने में आती और उनके जीभ पर मैथ्स के इक्वेशन लिख जाती थीं। 1903 में ट्यूशन पढ़ने वाले बच्चों ने उन्हें एक किताब दी, जिसका नाम था 'ए सिनोप्सिस ऑफ एलीमेंट्री रिजल्ट्स इन प्योर एंड एप्लाइड मैथमेटिक्स’। इस किताब में गणित के करीब 5000 फॉर्मूला और थ्योरम थे। ये किताब रामानुजन के लिए देवी का सबसे बड़ा आशीर्वाद साबित हुई। गणित के चलते कॉलेज के पहले साल में 4 बार फेल हुए जब रामानुजन 15 साल के थे, तब उन्हें एक किताब मिली। ये किताब इंग्लैंड के मशहूर मैथ्स टीचर शूब्रिज कार की थी। रामानुजन को नहीं पता था कि ऑक्सफोर्ड और कैंब्रिज जैसी यूनिवर्सिटीज के एंट्रेंस एग्जाम पास करने के लिए इस किताब की जरूरत होती है। रामानुजन ने इस किताब को न सिर्फ पढ़ा, बल्कि इसमें दिए फॉर्मूलों से अपने नए फॉर्मूला बनाने लगे। धीरे-धीरे मैथ्स में उन्हें इतना मजा आने लगा कि बाकी सब्जेक्ट्स उन्होंने पढ़ने बंद कर दिए। कई बार फेल होने के बाद रामानुजन के पिता ने पैसे देने बंद कर दिए। उनके पास लिखने के लिए पन्ने खरीदने के भी पैसे नहीं होते। लिहाजा वे स्लेट पर चॉक से लिखते और कोहनी से मिटाते। जब एक दोस्त ने उन्हें जीनियस कहा तो उन्होंने कोहनी दिखाते हुए कहा कि जीनियस तो उनकी कोहनी है, जो सरपट स्लेट मिटा कर लिखने की जगह तैयार कर देती है। 1908 से 1912 तक रामानुजन का परिवार और उनके दोस्त मदद करते रहे। वो सपने में भी फॉर्मूले बड़बड़ाते। एक बार उनके दोस्त ने बड़बड़ाने पर रामानुजन के मुंह पर ठंडा पानी उड़ेल दिया। मजाक में रामानुजन ने कहा, 'ओहो! गंगा स्नानम? एक बार और मिलेगा क्या?' रामानुजन वेद, उपनिषद, गीता और पुराणों के ज्ञाता थे। उन्हें लगा कि गृहस्थ आश्रम के कर्तव्य निभाने के लिए उन्हें नौकरी करनी पड़ेगी। उन्होंने घर छोड़ दिया और दोस्तों के साथ रहने लगे। रामानुजन के दोस्त और उनके गणित के प्रोफेसरों ने उनके लिए अंग्रेज अफसरों से सिफारिश की। 1910 में तिरुकोईलूर के डिप्टी कलेक्टर वी रामास्वामी अय्यर ने 'इंडियन मैथमेटिकल सोसायटी' शुरू की। रामानुजन उनके पास अपने फार्मूले और थ्योरम दिखाने गए। अय्यर ने रामानुजन का नोटबुक नेल्लोर के कलेक्टर और मैथमेटिकल सोसायटी के सेक्रेटरी रामचंद्र राव को दिखाया। 1911 से कलेक्टर राव ने रामानुजन को इस शर्त पर 25 रुपए महीना देना शुरू किया, कि वे मद्रास यूनिवर्सिटी के पास रहेंगे और गणित पर ध्यान देंगे। सोसाइटी के जर्नल में अपना रिसर्च पब्लिश करने का मौका रामानुजन को इसी साल मिला। 4 बार बीए फर्स्ट ईयर में फेल होने के बाद भी जर्नल्स में पेपर छपने से रामानुजन मद्रास के आसपास मशहूर हो गए। रामचंद्र राव और उनके दोस्तों के कहने पर रामानुजन ने 1912 में पार्ट ट्रस्ट ऑफ इंडिया में क्लर्क की नौकरी करने लगे। इस बीच उन्होंने ट्रिनिटी कॉलेज के प्रोफेसर और महान मैथेमेटिशियन जी. एच. हार्डी को एक लेटर लिखा। इंग्लैंड में रह रहे हार्डी ने जब लेटर खोला, तो पहले पन्ने पर अजीब फॉर्मूले दिखे। उन्हें देखकर हार्डी को लगा कि किसी सनकी आदमी ने लेटर भेजा है। हालांकि जब उन्होंने लेटर को ध्यान से पढ़ा, तो उनकी राय पूरी तरह बदल गई। आखिरी पन्ने पर लिखे कंटिन्यू फ्रैक्शन के बारे में हार्डी बाद में लिखा- उन्होंने मुझे पूरी तरह हरा दिया। मैंने जीवन में ऐसी चीजें कभी नहीं देखीं। ये फॉर्मूले सच ही होंगे, क्योंकि अगर ये सच न होते, तो इन्हें कल्पना करके कोई बना ही नहीं सकता था। इसके बाद हार्डी ने रामानुजन को तुरंत इंग्लैंड बुलाया, लेकिन ब्राह्मण होने के कारण उनका समुद्र पार करना धार्मिक रूप से वर्जित था। इसलिए रामानुजन की मां ने उन्हें इंग्लैंड जाने से मना कर दिया। फिर एक रात रामानुजन के सपने में नामगिरी देवी ने उन्हें इंग्लैंड जाने का आशीर्वाद दिया। ऐसा ही सपना रामानुजन की मां को भी आया। इसके बाद मां ने उन्हें जाने की इजाजत दे दी। विदेश में शाकाहारी खाना बना सबसे बड़ी चुनौती 1914 में इंग्लैंड जाने के बाद रामानुजन के लिए सबसे बड़ी चुनौती थी रोज शाकाहारी खाना ना मिलना। पहला विश्व युद्ध चल रहा था, माहौल तनावपूर्ण था और हर चीज पर सख्ती थी। उनके लिए शुद्ध शाकाहारी भोजन लगभग असंभव हो गया था। जिसके कारण रामानुजन को कई बार अस्पताल में भर्ती तक होना पड़ा। इंग्लैंड में उनके पास चावल और केले के अलावा कुछ भी ठीक खाने का विकल्प नहीं था। रामानुजन कुछ दिन के लिए लंदन में भारतीयों के लिए बने एक लॉज में रह रहे थे। नाश्ते में उन्होंने ओवल्टीन नाम का एक ड्रिंक पी लिया, जिसे शाकाहारी बताया गया था। जब उन्होंने उसकी डिब्बा ध्यान से देखा तो उन्हें पता चला कि उसमें एनिमल प्रोडक्ट मिला हुआ था। यह जानकर वे बहुत परेशान और दुखी हो गए। उन्होंने तुरंत अपना सामान पैक किया और उसी वक्त वहां से निकल पड़े। जब रामानुजन ने सुसाइड की कोशिश की 1918 फरवरी में, लंदन के एक रेलवे स्टेशन पर रामानुजन ने ट्रेन के सामने कूद कर जान देने की कोशिश की। एक गार्ड ने उन्हें कूदते देख तुरंत ऊपर खींच लिया। रामानुजन बच तो गए, लेकिन बुरी तरह घायल हो गए। पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। जब हार्डी वहां पहुंचे, तो उन्होंने जोर देकर पुलिस से कहा कि उनके सामने खड़े व्यक्ति 'रॉयल सोसाइटी के फेलो श्रीनिवास रामानुजन' हैं। उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। हालांकि उस वक्त रामानुजन रॉयल सोसाइटी के फेलो नहीं थे। लेकिन जांच में जब पुलिस को पता चला की वो एक मशहूर मैथमेटिशियन हैं तो पुलिस ने उन्हें छोड़ दिया। रामानुजन ने ऐसा कदम आखिर क्यों उठाया? इसका कारण किसी को ठीक-ठीक नहीं पता। लेकिन लोगों का मानना है कि रामानुजन की मां और पत्नी में झगड़े होने लगे थे और उनकी पत्नी घर छोड़ कर मायके जा चुकी थी। ट्रिनिटी कॉलेज में रामानुजन एक गणित की क्लास में थे और प्रोफेसर आर्थर बैरी बोर्ड पर एक थ्योरम समझा रहे थे। सब नोट्स बना रहे थे, लेकिन रामानुजन बिना नोट्स बनाए सिर्फ बोर्ड पर देख रहे थे। प्रोफेसर के पूछने पर रामानुजन ने कहा कि वो बोर्ड पर आगे का इक्वेशन लिख सकते हें। रामानुजन ने इक्वेशन पूरा कर दिया। प्रोफेसर हैरान थे, क्योंकि वे आगे का इक्वेशन खुद ही प्रूव नहीं कर पाए थे। उनके सामने सवाल था कि रामानुजन को कैसे पता चला? 1916 में ट्रिनिटी कॉलेज ने रामानुजन को बिना किसी एग्जाम के 'बीए इन रिसर्च' की डिग्री अवॉर्ड कर दी। तब तक वो 16 पेपर पब्लिश कर चुके थे। अगले साल मद्रास यूनिवर्सिटी ने उन्हें मैथ का प्रोफेसर बना दिया और 400 रुपए महीना सैलरी देने लगे। 1918 में रामानुजन को रॉयल सोसाइटी का फेलो बना दिया गया। वो सोसाइटी के सबसे कम उम्र के फेलो बने। इसी साल ट्रिनिटी कॉलेज ने भी उन्हें फेलो बना दिया। रामानुजन को ट्रिनिटी कॉलेज और मद्रास यूनिवर्सिटी से करीब 7000 रुपए सालाना स्कॉलरशिप मिलने लगी। उन्होंने मद्रास यूनिवर्सिटी को लेटर लिखा कि उन्हें इतने पैसों की जरूरत नहीं है। स्कॉलरशिप के पैसों में से कुछ गरीब स्टूडेंट्स को रिसर्च के लिए अवॉर्ड होने चाहिए। आखिर में जानिए 1729 नंबर की कहानी 1919 में हार्डी, टीबी की बीमारी से जूझ रहे रामानुजन से मिलने अस्पताल गए थे। हार्डी जिस टैक्सी से आए थे उसका नंबर था 1729, जिसे उन्होंने काफी बोरिंग नंबर बताया। तब रामानुजन ने कहा, 'नहीं, ये तो बेहद खूबसूरत नंबर है। ये सबसे छोटा नंबर है, जिसे दो तरीके से दो क्यूब को जोड़ कर बनाया जा सकता है।' उनकी आखिरी खोज मॉक थीटा फंक्शन है, जो आज मॉडर्न क्वांटम फिजिक्स का मूल आधार बन चुकी है। इसके अलावा रामानुजन के दो सबसे असरदार काम हैं, जिन्हें क्यू सीरीज और पार्टीशन कहा जाता है। उनके कुल 37 रिसर्च पेपर छपे हैं। आज कैंसर से लेकर एटॉमिक एनर्जी, स्पेस, क्रिप्टोलॉजी, ब्लैक होल थ्योरी और स्टैटिस्टिकल मैकेनिक्स की रिसर्च में रामानुजन के थ्योरम और फॉर्मूला इस्तेमाल किए जाते हैं। 1919 में रामानुजन भारत वापस आ गए। मायके में रह रहीं पत्नी जानकी को खत लिख कर रामानुजन ने वापस घर बुलवाया। वो तब 18 साल की थीं। उन्हें पता चला कि उनकी मां ने जानकी के लिखे लेटर को कभी पोस्ट ही नहीं होने दिया। रामानुजन ने कहा, 'अगर जानकी मेरे साथ इंग्लैंड में होती, तो मेरी तबीयत इतनी खराब नहीं होती।' 26 अप्रैल 1920 को रामानुजन का निधन हो गया। जानकी बताती हैं कि रामानुजन ने उनसे कुछ दिन पहले कहा था- 'कल रात नामगिरी आई थीं। उन्होंने कहा कि मेरे सूत्र अब दुनिया समझने लगी है। मैंने अपना काम पूरा कर लिया है।' रामानुजन सिर्फ 32 की उम्र के थे। उनके डॉक्टर चंद्रशेखर का कहना था कि अगर रामानुजन की मां और पत्नी ने आपस में लड़ने की बजाय डॉक्टर का कहा मान कर रामानुजन का ध्यान रखा होता तो उनकी जान बचाई जा सकती थी। रामानुजन ने अपनी हाथ की लकीरें देख कर अपने एक दोस्त को बताया था कि उनका निधन 35 साल की उम्र से पहले हो जाएगा। देवदृष्टि या दिमाग की शक्ति? रामानुजन का विश्वास था कि देवी उनका 'अनंत' (Infinity) से संवाद करवाती हैं। उनका कहना था देवी नामगिरी सपने में आकर उनकी जीभ पर इक्वेशन लिख कर जाती है। जिसके बाद रामानुजन उसे पेपर पर उतार लेते थे। किताब में हार्डी लिखते हैं, 'उसकी गणित में कहीं–कहीं मुझे तर्क दिखता था और कहीं–कहीं मुझे ईश्वर दिखता था।' जबकि हार्डी खुद नास्तिक थे। रामानुजन जीनियस थे या उनपर दिव्य शक्ति का आशीर्वाद था, इस पर दो पक्ष हैं… आध्यात्मिक पक्ष यह है कि रामानुजन को गणित के हर इक्वेशन में रामानुजन को ईश्वर दिखते थे। 3900 में उनके करीब 90% सूत्र बाद में सही साबित हुए। इतनी सटीकता को वैज्ञानिक ‘दिव्य’ कहते हैं। वहीं कुछ वैज्ञानिक कहते हैं कि ये मैथमेटिकल इंट्यूशनल मिरेकल है, जिसमें दिमाग में हाइपर इंट्यूशन होते हैं और प्रश्न या उत्तर दिमाग में सीधे उभर आते हैं। सच क्या था? यह आज भी दुनिया की बड़ी पहेलियों में से एक है। -----------ये खबर भी पढ़िए... जब दो स्कूली लड़कियों ने अंग्रेज डीएम को गोली मारी:रिवॉल्वर में उंगली छोटी पड़ रही थी; कहा- ये भगत सिंह की फांसी का बदला बंगाल में इंटेलिजेंस ब्यूरो ऑफिस में एक कश्मकश भरी गहमागहमी थी। पुलिस के सामने 14 और 15 साल की दो लड़कियां थीं, जिन्होंने कुछ घंटे पहले ही एक अंग्रेज डीएम को घर में घुसकर गोली मारी थी। बेखौफ लड़कियों ने कबूल किया- हमने भगत सिंह की फांसी का बदला लेने के लिए डीएम का वध किया है। पूरी खबर पढ़िए...
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Bangladesh Violence: छात्र नेता मोतालेब शिकदर को बांग्लादेश में मारी गई गोली.
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Sajid Akram:सिडनी के बोंडी बीच पर हुए आतंकी हमले के आरोपी साजिद अकरम की विधवा ने उनका अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया है. पत्नी ने कहा कि उसका उससे कोई संबंध नहीं है. इसके बाद साजिद का शव पुलिस के पास है और अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी अब ऑस्ट्रेलियाई सरकार पर है.
Thai PM military controls all target areas Cambodia conflict:थाईलैंड और कंबोडिया की सीमा पर सोमवार सुबह नई झड़पें शुरू हो गईं, आसियान विदेश मंत्रियों की मलेशिया वाली मीटिंग से पहले ये मार हुई है. इसके एक दिन पहले ही थाई पीएम अनुतिन ने दावा किया था कि हमने सभी इलाकों पर कब्जा कर लिया, कंबोडिया पीछे हट रहा है.
सऊदी अरब में भेड़-बकरियों की तरह किया जा रहा कत्ल... 2025 में अब तक 347 लोगों को दी गई सजा-ए-मौत
Saudi Arabia executions 2025: 2025 में सऊदी अरब में 347 से अधिक लोगों को फांसी दी गई, जिसमें ज्यादातर ड्रग अपराधी थे, मानवाधिकार समूहों ने इसे क्रूर और मनमानी बताते हुए आवाज उठाई है.
तेज रफ्तार बस उलटी, 16 की मौत और दर्जनों घायल! इंडोनेशिया में हुआ ये भयानक हादसा
Indonesia bus accident in Semarang: इंडोनेशिया के सेमारांग में तेज रफ्तार बस पलटने से 16 लोगों की मौत और 18 घायल हो गए हैं. घटना के बाद अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी.
शादी की खुशियों में खूनी कहर: दूल्हे के दोस्त ने मुंह से अलग कर दी मेहमान की उंगली, 5 साल की जेल
Cutting a finger at a wedding: यूके में डेनियल पेसनेल ने शादी में हिंसक व्यवहार करते हुए एक मेहमान की उंगली काट ली, जिसके लिए उन्हें पांच साल की जेल हुई है. पेसनेल ने शराब पीने और झगड़े को जिम्मेदार बताया है.
Sheikh Hasina slams Yunus:बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना ने मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि हिंसा अब आम हो गई है और सरकार इसे रोकने में नाकाम है. अल्पसंख्यकों पर अत्याचार और कट्टर इस्लामी ताकतों की बढ़ती भूमिका से पड़ोसी देश चिंतित हैं. हसीना ने भारत-बांग्लादेश रिश्तों पर भी चिंता जताई है.
ट्रंप का बड़ा ‘डिप्लोमैटिक शेक-अप’: 30 राजदूतों की कर दी छुट्टी, क्यों बुलाया वापस?
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US Will Pay 20 Percent of Gaza Reconstruction:गाजा के हालात देखकर किसी का भी दिल दहल जाए. घर-घर तबाही, सड़कें उखड़ी हुईं, जैसे कोई कब्रिस्तान हो. लेकिन अब अमेरिका ने एक ऐसा प्लान पेश किया है जो सुनकर आंखें फटी की फटी रह जाएंगी. अमेरिका ने गाजा के युद्ध के बाद पुनर्निर्माण के लिए 'प्रोजेक्ट सनराइज' नाम का प्लान पेश किया है.जानें कैसे बन जाएगा गाजा जन्नत. पूरी रिपोर्ट.
Sahil Mohammad Hussain: गुजरात के मोरबी निवासी साहिल मोहम्मद हुसैन ने यूक्रेन से एक SOS वीडियो जारी कर आरोप लगाया है कि उन्हें झूठे ड्रग्स मामले में फंसाकर जबरन रूसी सेना में शामिल कराया गया. उन्होंने भारतीय नागरिकों से अपील की है कि वे किसी भी दबाव या लालच में आकर रूसी सेना में भर्ती न हों.
29 नाव तबाह, 104 लोगों की मौत... अमेरिका ने अब किस पर बोल दिया हमला, समुद्र में बिछा दीं लाशें
US military drug trafficking attack: अमेरिकी सेना द्वारा ड्रग तस्करी रोकने के नाम पर करीब 29 नावों को बर्बाद कर दिया गया, जिसमें लगभग 104 लोगों की मौत हो चुकी है. अमेरिकी कांग्रेस के कुछ सदस्यों ने सवाल उठाया है कि क्या जो लोग मरे हैं वो सच में ड्रग कार्टेल से जुड़े हुए थे या नहीं?
न्याय विभाग का यू-टर्न! एपस्टीन दस्तावेजों में ट्रंप की हटाई गई तस्वीर फिर आई सामने
Donald Trump Epstein photo: न्याय विभाग ने जांच के बाद यह स्पष्ट होने पर कि तस्वीर में एपस्टीन के किसी भी पीड़ित की मौजूदगी नहीं है, डोनाल्ड ट्रंप की हटाई गई फोटो को फिर से सार्वजनिक कर दिया गया है. इस मामले को लेकर विपक्ष ने दस्तावेजों की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं.
1971 में जो देश भारत की वजह से अस्तित्व में आया, वही अब सबसे बड़ा रणनीतिक संकट बन गया है। अगस्त 2024 से दोनों देशों के रिश्तों में जारी उथल-पुथल पिछले 4-5 दिनों से बदतर हो गई है। विदेश मामलों की संसदीय समिति ने भी आगाह किया है कि भारत को जल्द कुछ करना पड़ेगा, वरना चीजें हाथ से निकल जाएंगी। बांग्लादेश किन वजहों से भारत के लिए गंभीर खतरा बन सकता है और उससे निपटने के लिए सरकार को क्या करना चाहिए; मंडे मेगा स्टोरी में पूरी कहानी… **** ग्राफिक्स: द्रगचन्द्र भुर्जी, अजीत सिंह और अंकुर बंसल ------- ये खबर भी पढ़िए... ज्यादातर मुस्लिम देश गरीब क्यों होते जा रहे:दुनिया की GDP में सिर्फ 8% हिस्सेदारी; तबाही के पीछे इस्लाम, अंग्रेजों की लूट या छिपी वजहें दुनियाभर के 57 मुस्लिम देशों का एक संगठन है- ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कॉर्पोरेशन यानी OIC। यहां दुनिया की करीब 25% आबादी रहती है, लेकिन वर्ल्ड GDP में इनकी हिस्सेदारी 10% भी नहीं। 500 सालों तक समृद्धि का सुनहरा दौर देखने वाली इस्लामी सत्ता कैसे गरीबी और तबाही के कुचक्र में फंस गई। इसके पीछे धर्म, अंग्रेजों की लूट या अन्य वजहें... पूरी खबर पढ़िए...
‘मैं 4 साल से पावर प्रोजेक्ट में काम कर रहा हूं। ड्रिलिंग मशीन चलाता हूं। मैं कह रहा हूं कि अगर किसी आतंकी से मेरा लिंक निकले, मेरी कोई संदिग्ध एक्टिविटी मिले, तो मुझे बीच चौराहे पर खड़ा करके गोली मार दी जाए। मैं देश से गद्दारी नहीं कर सकता।’ ये बात कहते हुए शम्सुद्दीन दुख और गुस्से से भर जाते हैं। 50 साल के शम्सुद्दीन जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में चिनाब नदी पर बन रहे रतले हाइड्रो प्रोजेक्ट में काम करते हैं। पुलिस ने एक रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें लिखा है कि प्रोजेक्ट में काम कर रहे 29 लोगों का बैकग्राउंड संदिग्ध है। इनमें 5 का कनेक्शन किसी न किसी तरह से आतंकियों से जुड़ता है। शम्सुद्दीन भी इन 5 लोगों में हैं। उनका चचेरा भाई मोहम्मद अमीन उर्फ जहांगीर सरूरी वॉन्टेड आतंकी है। दैनिक भास्कर ने इस लिस्ट में शामिल सभी संदिग्ध नामों और उनके लिंक की पड़ताल की। जिन 5 कर्मचारियों पर आतंकी और ओवरग्राउंड वर्कर यानी OGW से लिंक होने का दावा किया गया है वे मोहम्मद इकबाल, शम्सुद्दीन, तनवीर अहमद, चांद मोहम्मद और मोहम्मद नैर हैं। हमने शम्सुद्दीन और तनवीर अहमद से बात की। इन पांचों में मोहम्मद इकबाल वॉन्टेड आतंकी जहांगीर सरूरी का सगा भाई है। तनवीर अहमद के पिता अब्दुल करीम बट्ट पर आरोप था कि वे जहांगीर सरूरी के मददगार थे, जिन्हें ओवर ग्राउंड वर्कर कहते हैं। अब्दुल करीम पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट के मामला दर्ज हुआ। वे कई बार जेल भी गए। हालांकि अब रिहा होकर घर पर हैं। पुलिस बीच-बीच में वेरिफिकेशन के लिए उनके घर आती है। चांद मोहम्मद का पिता भी ओवर ग्राउंड वर्कर थे। मोहम्मद नैर के पिता आतंकी थे, जिन्होंने बाद में सरेंडर कर दिया था। इनके अलावा 22 संदिग्धों पर चोरी और धमकी देने की धाराओं में केस दर्ज हैं। पहले संदिग्ध: शम्सुद्दीनशक की वजह: आतंकी जहांगीर सरूरी के चचेरे भाईशम्सुद्दीन कहते हैं, ‘हां, ये सच है कि मेरा चचेरा भाई जहांगीर आतंकी है। वो 1992 में पाकिस्तान चला गया था। मैं तब 17 साल का था। हम उस वक्त आजादी की बातें सुनते थे। बाद में समझ आया कि ये बर्बादी की बात होती थी। जहांगीर को मैंने पाकिस्तान से लौटने के बाद सिर्फ एक बार देखा था। अब इस बात को 32-33 साल हो गए हैं। उसके बारे में आज तक पता नहीं चला।’ ‘ये भी सच है कि मेरे साथ इसी प्रोजेक्ट में जहांगीर सरूरी का सगा भाई मोहम्मद इकबाल भी काम करता है। वो कारपेंटर है। उससे हर हफ्ते या 10 दिन में पूछताछ होती रहती है। उसकी और उसके घर की तलाशी ली जाती है। जांच अधिकारियों को उसे रिपोर्ट करना होता है। ऐसे में उस पर भी लगातार नजर रखी जाती है। हमारा नाम एक फरार आतंकी की वजह से जुड़ा है। हमारी कोई एक्टिविटी गलत नहीं है।’ दूसरे संदिग्ध: तनवीर अहमदशक की वजह: पिता पर आतंकियों के मदद करने का आरोपतनवीर अहमद बताते हैं, ‘मैं इस प्रोजेक्ट साइट पर प्लंबर का काम करता हूं। तीन साल हो गए, रोज 12-12 घंटे ड्यूटी करता हूं। 12वीं पास हूं। उम्र 30 साल से ज्यादा है। मेरे चाचा जहांगीर सरूरी आतंकी बने, तब मैं पैदा भी नहीं हुआ था।' हां, मेरे अब्बू अब्दुल करीम बट्ट को ओवर ग्राउंड वर्कर होने के आरेाप में अरेस्ट किया गया था। वे जेल भी गए। पुलिस वाले उनसे पूछताछ करने आते रहते थे। कोर्ट ने अब्बू को बाइज्जत बरी कर दिया है। फिर भी उन्हें ओवर ग्राउंड वर्कर कहकर मुझे भी टेरर लिंक से जोड़ा जा रहा है।’ ‘मैं कहना चाहता हूं कि अगर मेरी कोई एक्टिविटी संदिग्ध मिले, तो आप मुझे जो सजा देना चाहेंगे, मैं तैयार हूं। बस हमें बेवजह परेशान न किया जाए। हम लोग मजदूरी करके परिवार चला रहे हैं।’ कौन है फरार वॉन्टेड आतंकी जहांगीर सरूरीमोहम्मद अमीन उर्फ जहांगीर सरूरी को हिजबुल मुजाहिदीन का कमांडर बताया गया है। वह 1992 से एक्टिव है। जहांगीर को जम्मू में सबसे लंबे वक्त तक जिंदा रहने वाले आतंकवादियों में से एक माना जाता है। उस पर डोडा-किश्तवाड़ में कई हत्याओं में शामिल होने का केस है। वह नवंबर 2018 में किश्तवाड़ में BJP नेता अनिल परिहार और उनके भाई अजीत परिहार की हत्या का मास्टरमाइंड था। NIA की चार्जशीट के मुताबिक, जहांगीर ने परिहार भाइयों की हत्या किश्तवाड़ का माहौल बिगाड़ने के इरादे से कराई थी। इसके अलावा, अप्रैल 2019 में RSS कार्यकर्ता चंद्रकांत शर्मा और उनके बॉडीगार्ड की हत्या की साजिश भी जहांगीर ने ही रची थी। जहांगीर ने डोडा–किश्तवाड़ बेल्ट में आतंकवाद को फिर से एक्टिव किया है। उसके नेटवर्क में कई स्थानीय युवक शामिल हैं। भारत की सुरक्षा एजेंसियों ने जहांगीर को A++ कैटेगरी का आतंकवादी कमांडर घोषित किया है। उस पर पुलिस और NIA की ओर से 30 से 50 लाख रुपए का इनाम रखा है। BJP विधायक ने सबसे पहले जताया टेरर लिंक का शकरतले पावर प्रोजेक्ट में काम करने वाले लोगों के टेरर लिंक पर सबसे पहले किश्तवाड़ की विधायक शगुन परिहार ने शक जताया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि प्रोजेक्ट में काम करने वाले कुछ लोगों के आतंकवादियों से संबंध हैं। इसके बाद किश्तवाड़ के SSP नरेश सिंह ने प्रोजेक्ट के सभी कर्मचारियों का वेरिफिकेशन कराया। कुल 1434 कर्मचारी, सबसे ज्यादा किश्तवाड़ केपुलिस ने प्रोजेक्ट का काम देख रही कंपनी मेघा इंजीनियरिंग एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के कर्मचारियों का वेरिफिकेशन और रिकॉर्ड की जांच की। सभी कर्मचारियों की उनके पुलिस थाने में जांच कराई गई। इसमें पता चला कि प्रोजेक्ट में कुल 1434 लोग काम कर रहे हैं। इन सभी के पुलिस वेरिफिकेशन के बाद इंटरनल रिपोर्ट में बताया गया कि 29 लोग संदिग्ध हैं। इनमें से 5 का आतंकवाद से संबंध होने की बात कही गई है। इनमें से एक पर वाटर बॉडी के स्रोत को दूषित करने और दस्तावेजों में हेराफेरी करने का भी मामला है। बाकी 23 लोगों पर क्रिमिनल केस हैं। इन पर कब्जा करने या किसी व्यक्ति को नुकसान पहुंचाने के इरादे से तोड़फोड़ करने के आरोप हैं। SSP नरेश सिंह ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ये प्रोजेक्ट पाकिस्तान के सबसे ज्यादा जोखिम वाले टारगेट में होने का खतरे में है। इसलिए ऐसे कर्मचारियों की नियुक्ति पर फिर से विचार करने की जरूरत है। वे कुछ भी कर सकते हैं, जिससे प्रोजेक्ट के लिए खतरा पैदा हो सकता है। SSP ने प्रोजेक्ट का काम देख रही एजेंसी से कहा है कि वे ऐसे कर्मचारियों की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखें। अगर इन सभी 29 लोगों को लेकर कुछ भी संदिग्ध बात सामने आती है, तो तुरंत पुलिस को सूचना दें, ताकि समय पर कार्रवाई की जा सके। कंपनी के COO बोले- कुछ लोग ब्लैकमेल कर रहेपुलिस की इस जानकारी के बाद एजेंसी मेघा इंजीनियरिंग एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर हरपाल सिंह ने कहा है कि हमारी तरफ से उन पर नजर रखी जा रही है। अगर कोई संदिग्ध एक्टिविटी नजर आती है, तो हम तुरंत सूचना देंगे। हरपाल सिंह ने दैनिक भास्कर को वीडियो भेजकर पूरे मामले पर जानकारी दी। वे कहते हैं, ‘मैं रतले डैम का प्रभारी हूं। पिछले कुछ दिनों से कुछ पॉलिटिकल लीडर और उनके लोकल सपोर्टर कोशिश कर रहे हैं कि प्रोजेक्ट के अधिकारी-वर्कर्स को डराया धमकाया जाए। गलत काम पूरे कराए जाएं। उनका मोटिव कंपनी में ठेका लेने का है। वे चाहते हैं कि बिना वैकेंसी के भर्ती हो जाए।' 4 दिसंबर को हमारी एजेंसी के एचआर हेड पर घर लौटते समय अटैक हुआ। इस वजह से डर का माहौल बन गया। मेरे पास इस समय कोई भी वैकेंसी खाली नहीं है। कोई भी भर्ती नहीं हो सकती है। ‘यहां 133 मीटर का डैम बनाना है। कुछ लोग कंपनी को ब्लैकमेल कर रहे हैं। काम बंद कराना चाहते हैं। हमने देखा कि 300 लोग ज्यादा थे। सितंबर महीने में हमने लेबर कमिश्नर से परमिशन ली। हमने कहा कि इन्हें निकालने की परमिशन दी जाए। हमें परमिशन मिल गई है। हमने 200 लोगों को हटा दिया। साथ में ये भी कहा कि जब हमें जरूरत होगी, तो इन्हीं 200 लोगों में से भर्ती करेंगे।’ ‘कुछ लोग प्रेशर बना रहे हैं। हमारे कर्मचारी और अधिकारियों को डरा-धमका रहे हैं। ये गलत है। अगर हमें काम नहीं करने दिया जाएगा, तो ये प्रोजेक्ट हमें छोड़ना होगा। अगर ऐसा हुआ तो बहुत नुकसान होगा। हम लगातार पुलिस की जांच में सहयोग कर रहे हैं।‘ मुद्दा उठाने वालीं विधायक बोलीं– प्रोजेक्ट की सुरक्षा खतरे मेंपावर प्रोजेक्ट में टेरर लिंक का मुद्दा उठाने वाली किश्तवाड़ से BJP विधायक शगुन परिहार पॉलिटिकल फैमिली से आती हैं। शगुन परिहार के पिता अजीत परिहार और चाचा अनिल परिहार BJP से जुड़े थे। 1 नवंबर, 2018 को जम्मू-कश्मीर के पंचायत चुनावों से पहले किश्तवाड़ शहर में घर के पास आतंकियों ने उनकी हत्या कर दी थी। इसका आरोप आतंकी जहांगीर सरूरी पर लगा था। शगुन कहती हैं, ‘वे लोग हिजबुल मुजाहिदीन से लिंक रखते हैं। पाकिस्तान में 10 साल रहकर आए हैं। ऐसे आतंकी नेटवर्क से जुड़े लोगों को प्रोजेक्ट में शामिल किया जाए, तो हमारे लोगों की सिक्योरिटी खतरे में होगी। कल को कोई हादसा हो गया तो कौन जिम्मेदार होगा। कौन कह सकता है कि प्रोजेक्ट का मैप पाकिस्तान में पहुंचा होगा। इसकी जिम्मेदारी CM उमर अब्दुल्ला लेते हैं या महबूबा मुफ्ती लेती हैं।’ उमर बोले- विपक्ष के दो विधायक प्रोजेक्ट में दखल दे रहेCM उमर अब्दुल्ला ने इस मसले पर कहा कि पावर कॉर्पोरेशन की जिम्मेदारी चुनी हुई सरकार के पास नहीं है। ये इल्जाम अगर मेरे किसी मंत्री पर होता, तो जांच शुरू हो जाती। ये प्रोजेक्ट सिर्फ जम्मू-कश्मीर के लिए नहीं है, बल्कि पूरे हिंदुस्तान के लिए है। विपक्षी पार्टी के दो विधायक इसमें दखल दे रहे हैं।’ वहीं, जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और PDP अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने भी पावर प्रोजेक्ट के कर्मचारियों की जांच पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार बिना सबूत और कथित आतंकवादी संबंधों के आधार पर गरीब कर्मचारियों को निशाना बना रही है। कथित आतंकी संबंधों के आधार पर कर्मचारियों को मनमाने ढंग से निकालना खतरनाक तरीके से सामान्य हो गया है। अब इसे रतले पावर प्रोजेक्ट तक बढ़ाया जा रहा है।
‘बांग्लादेश में तख्तापलट से पहले लगातार 2-3 साल से खुलकर भारत के विरोध की राजनीति जोर पकड़ रही थी। इसी से उस्मान हादी मशहूर हुए। वे मुगल काल के अखंड बांग्ला की बात करते थे। कहते थे कि हम फिर से वैसा देश बनाएंगे, तो खुशहाली आएगी। हादी की परवरिश मदरसे में हुई थी। ऐसी ट्रेनिंग में भारत के बारे में अच्छे विचार रखने की वजह नहीं बचती।’ बांग्लादेश के पत्रकार अमानुर रहमान स्टूडेंट लीडर उस्मान हादी की पॉलिटिक्स समझाते हुए ये बात कहते हैं। इंकिलाब मंच के लीडर 32 साल के शरीफ उस्मान बिन हादी की हत्या के बाद बांग्लादेश में हिंसा भड़क गई थी। हादी समर्थक हत्या के पीछे भारत का हाथ बता रहे हैं। इसकी वजह है कि वे भारत के खिलाफ बोलते थे। हालांकि, अमानुर इसका दूसरा पक्ष भी बताते हैं। वे कहते हैं, ‘हादी पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना, स्टूडेंट्स की पार्टी NCP के अलावा हर नेता-मंत्री के बारे में बोलते थे। यही वजह है कि हादी की पॉलिटिक्स कभी उन्हें पसंद नहीं आई।’ दैनिक भास्कर ने बांग्लादेश के मौजूदा हालात, उस्मान हादी की पॉलिटिक्स पर उनके दोस्तों और जर्नलिस्ट से बात की। उनसे पूछा कि हादी बांग्लादेश की राजनीति के इतने बड़े चेहरे कैसे बने। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… मदरसे से पढ़ाई, यूनिवर्सिटी में दिखा कट्टरता की ओर झुकाव1994 में झालोकाठी जिले के मुस्लिम परिवार में जन्मे उस्मान हादी की शुरुआती पढ़ाई मदरसे से हुई। ढाका यूनिवर्सिटी से उन्होंने पॉलिटिकल साइंस की पढ़ाई की। आगे चलकर वे यूनिवर्सिटी में पढ़ाने लगे। कट्टर इस्लामिक राजनीति की वजह से वे छात्रों में मशहूर हो गए। उनके दोस्त बताते हैं कि यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान ही उस्मान हादी का कट्टर इस्लाम के प्रति झुकाव दिखने लगा था। यूनिवर्सिटी में लड़के पैंट-शर्ट पहनकर आते थे। लड़कियां साड़ियां और सलवार कमीज या ट्रेंडिंग फैशन वाले वेस्टर्न कपड़े पहनकर आती थीं। वहीं, हादी मदरसा के छात्र की तरह टोपी और पायजामा पहनकर आता था। मोहम्मद महीन सरकार उस्मान हादी के जूनियर थे और उन्हें बड़ा भाई मानते हैं। वे कहते हैं, ‘हादी भाई और मैं एक ही डिपार्टमेंट में थे। वे लड़कियों के हिजाब पहनने की रवायत की वकालत करते थे। बांग्लादेश की सेक्युलर पॉलिटिक्स के बीच खुद को इस्लामिक अधिकारों की लड़ाई करने वाले की तरह पेश करते थे।’ ‘पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के वक्त शुरू हुए छात्र आंदोलन में उस्मान हादी बड़ा चेहरा थे। यूनिवर्सिटी में जाना-पहचाना नाम, सेक्युलर पॉलिटिक्स और शेख हसीना के कट्टर विरोधी होने की वजह से उन्हें शोहरत दिला दी।’ ‘हादी की भाषा खराब थी, लेकिन इसी ने पहचान बनाई’ बांग्लादेश में फरवरी 2026 में चुनाव हैं। हादी ढाका-8 सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले थे। दिल्ली में जितनी अहम नई दिल्ली सीट है, उतनी ही बांग्लादेश में ढाका-8 सीट अहम है। इसी सीट में संसद भवन और ढाका यूनिवर्सिटी आती है। इसी ढाका यूनिवर्सिटी में हादी को इतनी पहचान मिली कि वे संसद तक जाने की तैयारी करने लगे। बांग्लादेशी पत्रकार अमानुर रहमान बताते हैं, हादी जो सोचते थे, वे खुलकर बोल पाते थे। हादी के आलोचक कहते थे कि उनकी भाषा खराब थी, लेकिन यही भाषा उन्हें मशहूर भी बनाती थी। बांग्लादेश की आजादी के बाद जमात-ए-इस्लामी के अलावा किसी पार्टी ने धार्मिक पहचान की राजनीति नहीं की। 2013 में शाहबाग आंदोलन के दौरान हादी इस्लामिक टोपी जरूर पहनते थे। यूनिवर्सिटी में टीचर और स्टूडेंट उन्हें ‘हिफाजत’ कहकर बुलाते थे। ये शब्द इस्लामिक कट्टरपंथी समूह हिफाजत-ए-इस्लाम के लिए इस्तेमाल किया जाता है। अमानुर रहमान बताते हैं, ‘बांग्लादेश की आजादी के वक्त जमात-ए-इस्लामी और उस जैसे कट्टरपंथी संगठनों को वॉर क्रिमिनल की तरह देखा गया। ऐसा माना जाता था कि टोपी पहनने, दाढ़ी रखने वाले बांग्लादेश विरोधी हैं। उस्मान हादी दाढ़ी-टोपी के साथ ढाका यूनिवर्सिटी पहुंचा, तो उसका विरोध होता था। इसी आलोचना से उस्मान हादी ने अपनी जगह बनाई।’ ‘ढाका यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान ही भारत विरोध की राजनीति शुरू कर दी थी। वे अपने भाषणों में कहते थे कि भारत जुल्म कर रहा है और बांग्लादेश पर कब्जा करना चाहता है। शेख हसीना बांग्लादेश को बेच रही हैं। ये सब 2-3 साल से चल रहा था। भारत विरोध की राजनीति हादी को मजबूत बना रही थी, इसलिए उन्होंने इसे बढ़ावा देना शुरू कर दिया।’ कैसे सभी के खिलाफ होते गए उस्मान हादी 1. सेक्युलर पॉलिटिक्स उस्मान हादी के दोस्त मोहम्मद महीन सरकार कहते हैं, ‘हसीना सरकार के खिलाफ जून से ही ढाका यूनिवर्सिटी में छात्र एकजुट होने लगे थे। उस्मान हादी ने दूसरे छात्र नेताओं जैसे जिया उल-हसन, अफरोजा तूली के साथ मिलकर इंकलाब कल्चरल सेंटर और इंकिलाब मंच नाम से संगठन बनाया। इस संगठन के जरिए हादी ने एंटी सेक्युलर राजनीति शुरू की। 'वे शेख हसीना की 16 साल की सरकार को सांस्कृतिक फासीवाद बताते थे। कहते थे कि भारत हसीना सरकार के जरिए सांस्कृतिक फासीवाद ला रही है। हादी अपनी तकरीरों में कहते थे कि बांग्लादेश का असली नारा जय बांग्ला नहीं, ‘नारा-ए-तकबीर है। उनकी राजनीति राइट विंग की तरफ झुकी हुई थी।’ ‘बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद छात्रों के बीच अपनी राजनीति के लिए रस्साकशी शुरू हो गई। एक धड़ा जिसमें महफूज आलम, नाहिद इस्लाम, सजीब भूयान हैं, उसने डॉ. यूनुस के साथ सरकार में शामिल होना चुना। दूसरा धड़ा, जिसने छात्रों की बनाई पार्टी NCP के संगठन पर काम करना चाहा।’ ‘उस्मान हादी ने तीसरा रास्ता चुना। उन्हें ऐसे लोगों का साथ मिला भारत की दक्षिण एशिया में दखलंदाजी पर खुलकर बोलते थे। उस्मान हादी सभी पार्टियों बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी से लेकर छात्रों की नेशनल सिटिजन पार्टी की आलोचना करते थे। दूसरी तरफ कोई भी पार्टी उस्मान हादी की राजनीति का विरोध नहीं कर पाती थी।’ उस्मान हादी के एक दोस्त अब NCP में हैं। वे कहते हैं कि राजनीतिक पार्टी की अपनी सीमा होती है, लेकिन बतौर एक्टिविस्ट उस्मान कुछ भी कह सकता था। हादी भारतीय प्रभुत्व के बारे में खुलकर बात करता था। अपने भाषणों में बार-बार कहता था कि अवामी लीग के जरिए भारत बांग्लादेश में अपना राज चला रहा है। NCP भी अवामी लीग की तरह राजनीति कर रही है। इसलिए उसने NCP छोड़कर अपना रास्ता चुना। 2. अवामी लीग अवामी लीग के नेतृत्व में बांग्लादेश को आजादी मिली। पार्टी अगले 50 साल तक आजादी की विरासत की सबसे बड़ी दावेदार बनी रही। उस्मान हादी ने 1971 की आजादी की लड़ाई को छलावा बताना शुरू किया। वे जमात-ए-इस्लामी की सोच के तहत बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई और उसकी अहमियत को नकारते रहे। छात्रों के कोटा आंदोलन से लेकर शेख हसीना के खिलाफ विरोध में उस्मान हादी की सोच ने ही आंदोलन की दिशा तय की। हसीना सरकार के खिलाफ आम लोगों को एकजुट करने में हादी ने मेहनत की और आंदोलन को लीड किया। 3. बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टीबांग्लादेश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी यानी BNP ने कभी आजादी की लड़ाई को नकारने पर उस्मान हादी या जमात का समर्थन नहीं किया। पार्टी इस इतिहास का सम्मान करती आई है। हादी ने ऐलान किया था कि वे 25 दिसंबर को बांग्लादेश लौट रहे BNP के एक्टिंग प्रेसिडेंट तारिक रहमान का विरोध करेंगे। तारिक रहमान 18 साल का निर्वासन काटकर बांग्लादेश लौट रहे हैं। BNP ने पूरी ताकत रहमान की वापसी की तैयारियों में लगा दी है। उधर, उस्मान हादी ने एयरपोर्ट पर रहमान का विरोध करने का ऐलान कर दिया था। अगर रहमान के देश लौटने पर इस तरह का विरोध होता, तो इससे BNP की नेगेटिव इमेज बनती। पत्रकार अमानुर रहमान बताते हैं कि हादी खुलकर कहते थे कि तारिक रहमान बांग्लादेश के लिए सही नहीं हैं। 4. डॉ. यूनुस की अंतरिम सरकार उस्मान हादी के साथ आंदोलन कर चुके एक स्टूडेंट लीडर दावा करते हैं कि उनका कद इतना बढ़ गया था कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार उनकी बातों को नजरअंदाज करके कोई फैसला नहीं ले सकती थी। चुनाव के ऐलान से पहले अवामी लीग को चुनाव लड़ने देने को लेकर चर्चा हुई, तो छात्रों की पार्टी NCP का एक धड़ा सभी पार्टियों को चुनाव लड़ने देने की वकालत कर रहा था। उस्मान हादी के विरोध के बाद अंतरिम सरकार को अवामी लीग को बैन करने का फैसला लेना पड़ा। सरकार में न रहते हुए हादी सरकार के फैसलों को प्रभावित करने लगे थे। सरकार में बैठे छात्र नेताओं को भी ये बात चुभने लगी थी। उस्मान हादी ने कई बार ये बात कही कि अंतरिम सरकार में बैठे लोग जनता के लिए जवाबदेह नहीं बचे हैं। उस्मान की राजनीति का ही असर था कि NCP अपना आधार खोने लगी। उस्मान हादी बांग्लादेश की सरकार में बैठे लोगों के लिए आंख का कांटा बन चुके थे, जो चुनाव करीब आने के साथ ज्यादा चुभने लगा था। वे बांग्लादेश के कट्टरपंथी इस्लामिक गुट हिफाजत-ए-इस्लाम के बारे में भी खुलकर बात करते थे। ग्रेटर बांग्लादेश का नक्शा जारी किया, जिसमें भारत के राज्य भी शामिलदक्षिण एशिया में भारत के दबदबे वाली बातों से आगे बढ़कर हादी ने ग्रेटर बांग्लादेश को बढ़ावा दिया। उस्मान हादी का मानना था कि बांग्लादेश का इतिहास 1971 से नहीं, इससे काफी पहले का है। उन्होंने ग्रेटर बांग्लादेश का एक नक्शा भी जारी किया था। इसमें पश्चिम बंगाल, असम और नॉर्थ ईस्ट राज्यों का भी कुछ हिस्सा शामिल किया था। एक्सपर्ट बोले- हादी ने पार्टियों का विरोध कर नया विजन रखाजिंदल यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर और साउथ एशिया मामलों की जानकार श्रीराधा दत्ता कहती हैं कि हादी की विचारधारा भारत की आलोचना से भरी थी, लेकिन उसने अपनी राजनीति लोकतांत्रिक तरीके से की। मुझे ऐसा लगता है कि बांग्लादेश में कुछ ऐसे तत्व थे, जो राजनीति को हिंसक बनाना चाहते थे। ये तत्व चुनाव समय पर नहीं होने देना चाहते। प्रशासन को ऐसे तत्वों के खिलाफ एक्टिव रहना चाहिए था। हादी की राजनीति पर प्रोफेसर दत्ता कहती हैं, ‘वे अपनी मदरसे वाली पहचान को खुलकर सामने रखते थे। नए बांग्लादेश को लेकर अपने विचार रखते थे। मैंने कभी नहीं सुना कि उन्होंने खुलकर बांग्लादेश को इस्लामिक मुल्क बनाने की बात कही हो।’
पाकिस्तान को तुर्की से मिला PNS खैबर, समुद्र सुरक्षा को मजबूत करने में जुटा दुश्मन देश
MILGEM class ship: चार जहाजों को बनाने के लिए पाकिस्तान और तुर्की के बीच में साल 2018 के दौरान समझौता हुआ था. इस समझौते के तहत दो जहाज तुर्की में बनाने थे और दो पाकिस्तान में. अब, PNS खैबर के पाकिस्तान नौसेना में शामिल होने पर तुर्की निर्मित दोनों युद्धपोतों का काम पूरा हो गया है.
Weapons of F-35 Fighter Plane: अमेरिकी एफ-35 फाइटर महज एक लड़ाकू विमान ही नहीं है. यह उड़ता हुआ 'सुपरकंप्यूटर' है. वह अपने आप तय करता है कि दुश्मन को किस हथियार से खत्म करना है.
अमेरिकी शहर में अचानक गायब हुई 1 लाख से ज्यादा घरों की बिजली, 'ब्लैकआउट' से थमा पूरा शहर
San Francisco blackout: अधिकारियों का मानना है कि सिर्फ आग लगने की वजह से ही पूरी बिजली आपूर्ति सेवा ठप हुई थी और इसकी जांच भी की जाएगी.दूसरी तरफ फायर ब्रिगेड ने लोगों को सलाह दी है कि वो 8वीं और मिशन स्ट्रीट के आसपास के इलाके से दूर रहें.
Putin Macron talk:रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने भी इस बातचीत को लेकर बयान दिया है. उनका कहना है कि राष्ट्रपति पुतिन बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन वो सिर्फ शालीन लोगों के साथ बातचीत करना पसंद करते हैं, जो विनम्र हो.
Bangladesh violence news update: बांग्लादेश हिंसा के पीछे केवल पाकिस्तान ही नहीं बल्कि तुर्की भी शामिल है. यह खुलासा अवामी लीग के पूर्व सांसद सोतो मुनीर ने किया है. उन्होंने कहा कि यूनुस के शासनकाल में हिंदू बांग्लादेश में बिल्कुल सुरक्षित नहीं हैं.
Bangladesh mob attack: युवक को पिटाई के बाद पुलिस के हवाले कर दिया गया. इस हमले में गोबिंदा को सीने और गले पर चोटें आईं हैं. इस पूरी घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.
'ट्रू पैट्रियट्स ऑफ़ न्यूज़ीलैंड' नाम के एक ग्रुप के लगभग 30 से 50 सदस्यों ने ग्रेट साउथ रोड पर एक गुरुद्वारे से लौट रहे सिख 'नगर कीर्तन' का रास्ता रोक दिया था. ये प्रदर्शनकारी विवादित धार्मिक और सियासी हस्ती ब्रायन तमाकी की अगुवई वाले डेस्टिनी चर्च से जुड़े थे.
त्रिपक्षीय बातचीत को तैयार नहीं पुतिन, पर मैक्रों से मिलने को राजी
यूक्रेन में शांति की बातचीत को त्रिपक्षीय बनाने की बात को रूस ने नकार दिया है. हालांकि संकेत दिया है कि युद्ध खत्म करने को लेकर फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों से रूसी राष्ट्रपति पुतिन की बातचीत हो सकती है
सऊदी अरब में अब शराब खरीद पा रहे हैं अमीर गैर-मुस्लिम विदेशी
इस्लामिक शरिया कानून से चलने वाले सऊदी अरब ने बिना आधिकारिक घोषणा किए देश में रह रहे अमीर विदेशी नागरिकों को शराब खरीदने की इजाजत दे दी है. 1951 की एक घटना के बाद देश में शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया था
'वर्क वीजा' पर अमेरिका आये कर्मचारियों को देश छोड़ने से रोक रहे गूगल-ऐप्पल
अमेरिकी टेक दिग्गज गूगल और ऐप्पल में नौकरी वाले वीज़ा पर अमेरिका आये कर्मचारियों को देश छोड़ने से रोक रहे हैं। बिजनेस इनसाइडर ने एक ईमेल का हवाला देते हुए यह दावा किया है
अब ढाका यूनिवर्सिटी में इतिहास से छेड़छाड़? शेख मुजीबुर हॉल का नाम रातों-रात बदला, और भड़का विवाद
usman hadi hall: बांग्लादेश में छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद तनाव का माहौल है. ढाका यूनिवर्सिटी के शेख मुजीबुर रहमान हॉल का नाम बदलकर 'उस्मान हादी हॉल' कर दिया गया है, जबकि हत्यारों की गिरफ्तारी नहीं हुई है.
जापान में भूकंप, 5.5 रही तीव्रता; मौसम विभाग ने लोगों से सतर्क रहने का किया आग्रह
उत्तरी जापान के अमोरी प्रान्त के तट पर रविवार को 5.5 की तीव्रता वाला भूकंप आया। जापान मौसम एजेंसी (जेएमए) ने यह जानकारी दी है
छात्र से नेता बने शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद से बांग्लादेश में तनाव का माहौल है। अब तक हादी के हत्यारों की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है। इस बीच ढाका यूनिवर्सिटी में शेख मुजीबुर रहमान हॉल के हॉल यूनियन ने इसका वास्तविक नाम बदलकर 'उस्मान हादी हॉल' कर दिया है। हॉल के बाहर लगे नेमप्लेट को हटाकर वहां हादी के नाम का नेमप्लेट लगा दिया गया है
Epstein Files : एप्स्टीन मामले में नया ट्विस्ट, अमेरिकी विधि विभाग की वेबसाइट से 16 फाइलें गायब
अमेरिकी विधि विभाग की वेबसाइट के उस विभाग से कम से कम 16 फाइलें गायब हो गई हैं, जहाँ फाइनेंसर जेफरी एप्स्टीन के मामले से संबंधित दस्तावेज प्रकाशित किये गये थे
UK: 2023 की गर्मियों में अल्वास्टन में एक कबड्डी टूर्नामेंट में हुई हिंसक झड़प में शामिल होने के आरोप में 3 भारतीय मूल के लोगों को जेल हुई है. डर्बीशायर पुलिस के अनुसार, बूटा सिंह, दमनजीत सिंह और राजविंदर तखर सिंह को नवंबर में ट्रायल में दोषी पाए जाने के बाद 19 दिसंबर को डर्बी क्राउन कोर्ट में सजा सुनाई गई.
Mass Shooting: अब जोहान्सबर्ग में अंधाधुंध फायरिंग, 3 बच्चों सहित 11 की मौत; 20 लोग घायल
Johannesburg Mass Shooting:दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में अज्ञात बंदूकधारियों की फायरिंग में 11 लोगों की मौत हो गई जबकि 20 लोग घायल हो गए.घायलों को इलाज के लिए नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है. शुरुआती रिपोर्टों के अनुसार, गोलीबारी एक शराबखाने के पास हुई जहां पर अवैध रूप से शराब बेची जा रही थी.
इस्लाम के खिलाफ नहीं बोला था कोई अपशब्द...बांग्लादेश में हिंदू युवक की हत्या में हुए बड़े खुलासे
Bangladesh Violence: शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद बांग्लादेश में हिंसा के बीच मैमनसिंह में अल्पसंख्यक हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की मॉब लिंचिंग का मामला सामने आया. अधिकारियों ने कहा कि दीपू चंद्र दास के खिलाफ धार्मिक भावनाएं आहत करने का कोई सबूत नहीं मिला. आरएबी के अनुसार, न तो सोशल मीडिया पोस्ट मिले और न ही स्थानीय लोगों ने ऐसे किसी कार्य की पुष्टि की.
बांग्लादेश में इकबाल मंच के प्रवक्ता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद से हिंसा और आगजनी की तस्वीरें सामने आई हैं। इस बीच बांग्लादेश में नृशंस हत्या का एक मामला भी सामने आया। बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी
USA: तुलसी गैबार्ड ने इस्लामी विचारधारा को स्वतंत्रता और लोकतंत्र के लिए खतरा बताते हुए उसकी आलोचना की है. तुलसी गैबार्ड के बयान के बाद से अमेरिका में तीखी बहस छिड़ गई है.
दक्षिण अफ्रीका में हुई गोलीबारी, 10 लोगों की मौत, 10 अन्य घायल
दक्षिण अफ्रीका में जोहान्सबर्ग के पास हुयी गोलीबारी की घटना में कम से कम 10 लोग मारे गए और 10 अन्य घायल हो गए है। एएफपी ने पुलिस के हवाले से यह जानकारी दी है
दुनिया के पहले सबसे अमीर व्यक्ति बने मस्क, 700 अरब डॉलर से ज़्यादा की सम्पति है इनके पास
अमेरिका के उद्योगपति एलन मस्क 700 अरब डॉलर से ज्यादा की सम्पति वाले दुनिया के पहले व्यक्ति बन गए है। फोर्ब्स मैगज़ीन ने यह जानकारी दी है
अमेरिकी सेना ने वेनेजुएला तट से दूसरा तेल टैंकर किया जब्त, तनाव बढ़ा
अमेरिका होमलैंड सिक्योरिटी सेक्रेटरी क्रिस्टी नोएम ने बताया कि अमेरिकी सेना ने शनिवार को वेनेजुएला के तट के पास एक और तेल टैंकर को अपने कब्जे में ले लिया है
जेलेंस्की आशावादी : यूक्रेन-यूएस-रूस त्रिपक्षीय बैठक पर नजरें टिकीं
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदीमीर जेलेंस्की ने कहा है कि वे यूक्रेन, अमेरिका और रूस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की त्रिपक्षीय बैठक के विचार का आमतौर पर समर्थन करते हैं
लैटिन अमेरिकी देश के पीछे क्यों पड़े हैं ट्रंप? अब ब्राजील के राष्ट्रपति लूला ने US को दी चेतावनी
US-Venezuela Tensions:ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा ने वेनेजुएला में किसी भी सैन्य हस्तक्षेप के खिलाफ चेतावनी दी है. मर्कोसुर शिखर सम्मेलन में उन्होंने कहा कि अमेरिकी सैन्य दबाव, नौसैनिक नाकेबंदी और धमकियां चिंताजनक हैं. लूला ने इसे पूरे दक्षिण अमेरिका के लिए मानवीय आपदा बताते हुए संवाद और कूटनीति पर जोर दिया.
एक्सप्लेनर: कवि काजी नजरुल इस्लाम और उस्मान हादी की विचारधारा अलग तो कब्र साथ क्यों?
Osman Hadi:हादी को नजरूल इस्लाम के बगल में दफना दिया गया है लेकिन इसके बाद बांग्लादेश में एक बड़ी बहस शुरू हो गई है. एक पक्ष कहता है कि हादी ने सत्ता के खिलाफ आवाज उठाई इसलिए वे शहीद हैं. दूसरा पक्ष मानता है कि नजरूल सहिष्णुता और धर्मनिरपेक्षता के प्रतीक थे जबकि हादी पर उग्र राजनीति और पहचान आधारित नफरत को बढ़ावा देने के आरोप हैं तो उन्हें क्यों राष्ट्रकवि के बगल में दफनाया गया.
Sharif Usman Hadi: बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने संसद भवन में आयोजित भारत विरोधी युवा नेता शरीफ उस्मान हादी के अंतिम संस्कार के दौरान कहा कि देश हादी को हमेशा याद रखेगा और उनके सपनों को साकार करने के लिए प्रतिबद्ध रहेगा. उन्होंने कहा कि हादी ने बांग्लादेश को ऐसा मंत्र दिया है, जिसे देश कभी नहीं भूलेगा.
Donald Trump: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी पत्नी और फर्स्ट लेडी मेलानिया के अंडरगारमेंट्स के बारे में बात की. उन्होंने तहा कि उन्हें देखकर ऐसा लगा कि जैसे वह उन्हें स्टीम करती हैं.
Brown University shooter: अमेरिका की ब्राउन यूनिवर्सिटी में गोलीबारी करने वाले शूटर ने सुसाइड कर लिया, शूटर को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है. जानकारी के मुताबिक स्टूडेंट कभी एक अच्छा-खासा स्टूडेंट था.
ढाका में उफान: भीड़ ने मासूम बच्ची को जिंदा जलाया, सरकार को 24 घंटे का दिया अल्टीमेटम
Bangladesh violence: छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद बांग्लादेश में हिंसा भड़क गई है, इसी बीच एक सात साल की बच्ची को जिंदा जलाए जाने की घटना ने देश को झकझोर दिया है. हालात बेकाबू होते देख हादी की पार्टी ने सरकार को 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया है, जिससे तनाव और बढ़ गया है.
ट्रंप का सख्त एक्शन! अमेरिका ने वेनेजुएला के तट पर किया दूसरा टैंकर सीज, ग्लोबल मार्केट में टेंशन...
US-Venezuela tensions: अमेरिका ने वेनेजुएला के तट के पास दूसरे तेल टैंकर को जब्त कर दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ा दिया है. इस कार्रवाई से वेनेजुएला के तेल निर्यात पर असर पड़ा है और अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार पर भी इसके संकेत दिखने लगे हैं.
मैं संतोष दास, पश्चिम बंगाल के बर्धवान जिले के छोटे से गांव गिद्धग्राम का रहने वाला हूं। वो शिवरात्रि का दिन मुझे कभी नहीं भूलता। 300 पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में हम पांच लोगों ने मंदिर में कदम रखा था। पैर लड़खड़ा रहे थे। मंदिर के बाहर दंगे का माहौल था। लोग लाठी-डंडे लेकर खड़े थे। कह रहे थे- गाय का चमड़ा निकालने वाले भगवान नहीं छू सकते। किसी भी वक्त हम पर हमला हो सकता था। जब हमने शिवलिंग पर जल चढ़ाया तो हाथ कांप रहे थे। पुलिसकर्मियों ने हमें चारों तरफ से घेरा हुआ था, ताकि हम पर हमला न हो। इसी शिव मंदिर से मेरे पापा और दादा को धक्के मारकर बाहर कर दिया गया था। वो लोग हाथ-पैर जोड़ते रहे, लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी। वो कहने लगे कि तुम लोग नीच हो, गाय के चमड़े का काम करते हो और हम लोग गाय की पूजा करते हैं। तुम लोग अपना अलग मंदिर बना लो। तब दादाजी ने उन लोगों ये भी कहा कि हमारे घर में बहुएं हैं, दामाद आते हैं, शादी ब्याह होते हैं, कई घरों में लोगों की मौत होती है, तब हम कहां जाएं। उन लोगों ने एक नहीं सुनी। उस वक्त हम बहुत छोटे थे। हमारे गांव में बिजली भी नहीं थी। तेल की बत्ती वाला दीया जल रहा था। शाम में दादा रुंआसे होकर घर लौट आए। उस रात हमारे घर में कोई सो नहीं पाया था। पापा का कहना था कि हम अलग मंदिर क्यों बनाएं। हमने कोई पाप तो नहीं किया है। उस दिन के बाद से हमने हर दिन अपने दादाजी को जलील होते देखा है। हर दिन उन लोगों के घर जाते थे। चप्पल-जूते भी उनके घर के बाहर ही उतारना पड़ता था। दादाजी उनके आंगन में जमीन पर बैठकर हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाते थे, मिन्नतें करते थे। बदले में उन्हें केवल गालियां मिलती थीं। इसके बाद इस हक के लिए मैंने अपने पिता को जलील होते देखा है। कुछ सालों बाद हमने अपना अलग मंदिर बना भी लिया। दरअसल, हमारे गांव में दलितों के लगभग 200 घर हैं और मेरे दादाजी के दादाजी ने भी कभी इस मंदिर में किसी को जाते नहीं देखा था। ऊंची जाति के लोग हम दलितों को शिव मंदिर नहीं जाने देना चाहते थे। वो लोग गोमांस को लेकर भी हम पर आरोप लगाते थे। जब मैं बड़ा हुआ और ये सब समझने लगा तो एक दिन मैंने ठान लिया कि अब दलित भी इसी शिव मंदिर में जाएंगे। चाहे इसके लिए मुझे कितनी भी लंबी लड़ाई क्यों न लड़नी पड़े। इस लड़ाई के लिए मुझे गांव के दलितों को राजी करना था। सभी को इस लड़ाई के लिए राजी करना आसान काम नहीं था। सभी को मनाने, उनके दिल में डर खत्म करना, मंदिर में प्रवेश के लिए जोश जगाने में मुझे आठ महीने लगे। हमारा गांव तो हजारों साल पुराना है। मैं नहीं जानता कि मंदिर में प्रवेश कितने सालों से बंद है लेकिन दादा बताया करते थे कि उनके दादा को भी यह सौभाग्य हासिल नहीं हुआ था। जितना हमने सुना है उस हिसाब से लगभग 500 साल से हम दलितों को गांव के शिव मंदिर में जाने की इजाजत नहीं थी। मेरे लिए यह सिर्फ एक धार्मिक अधिकार नहीं था बल्कि मेरी पहचान थी। जब हमारे घर नई दुल्हन आती और मंदिर जाने के लिए कहती, तो उसे ये बताने में हमें शर्म आती कि मंदिर जाने की इजाजत नहीं है। ऐसे में बहुत खराब लगता था। मैं कई दफा रात को लेटा हुआ सोचता था कि शिव तो श्मशान में रहने वालों को भी अपना लेते थे, तो दलितों के कैसे नहीं अपनाएंगे। मुझे लगता था कि नहीं शिव ने कहीं दलितों को मंदिर में आने की मनाही नहीं की। राम ने दलितों को खुद से दूर नहीं किया। मैंने धीरे-धीरे अपने लोगों से बात करना शुरू किया, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं था। बस पीढ़ी दर पीढ़ी उन लोगों ने मान लिया था कि यह रिवाज सदियों से चला आ रहा है। ऊंची जात वालों ने फरमान सुना दिया और हमने सिर झुका कर मान लिया। किसी ने सवाल ही नहीं किया। मुझे तो नहीं भूलता था कि किस तरह से मेरे दादा और पिता ने उन लोगों के आगे हाथ जोड़े थे, मिन्नतें की थी, अपने लोगों को एकजुट करने की कोशिश की थी। मुझे लगा कि दादाजी और पिता तो एकदम अनपढ़ थे। मैं 7वीं क्लास तक पढ़ा हूं, लेकिन कानून तो जानता हूं कि मेरा हक क्या है, क्या नहीं है। इतनी सूझ है मुझे। आज से 30 साल पहले की बात है। मैं स्कूल जाता था। जब मेरे पिता की विनती और हाथ जोड़ने से भी ऊंची जात के लोग नहीं माने तो मेरे पिता ने अपने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश की थी। लेकिन ऊंची जात के सभी लोग इकट्ठा हो गए और बात मरने मारने पर आ गई। मेरे पिता डर गए कि उनकी वजह से गांव में हिंसा न हो जाए इसलिए उन्होंने तमाम कोशिशें छोड़ दीं और आराम से घर बैठ गए। मेरे और मेरे पिता के दौर में एक फर्क है कि मुझे डराया नहीं जा सकता है। इस तैयारी में मैंने सबसे पहले तो अपनी पत्नी से बात की। जैसे ही उसने सुना तो आग बबूला हो गई। कहने लगी कि तुम्हें क्या पड़ी है, हर कोई अपने अपने काम में लगा है। तुम भी कुछ काम-धंधा करो। किसी और को तो मंदिर जाना नहीं है। बहुत दिन तक हमारी बहस चलती रही, लेकिन मैं जिद पर अड़ा था। पत्नी इस लड़ाई में साथ नहीं थी, लेकिन उसने अब मेरा विरोध करना भी छोड़ दिया था। बस मैं यही चाहता था कि अगर वह साथ नहीं भी दे रही है तो कम से कम विरोध भी न करे। मैं अकेला घर-घर गया। घर के एक एक सदस्य से बात की। मैंने उनसे पूछा कि हमें मंदिर जाने की इजाजत नहीं है, क्या ये सही है। सभी ने कहा कि गलत है। इस तरह से मैंने अपने साथ 100 लोगों को जोड़ा। हम 100 लोगों ने एक पिटीशन तैयार की। हमने कसम खाई कि इस शिवरात्रि हम शिव को जल अर्पित करेंगे। हमने शहर में एक रविदास संस्था से भी मदद ली, जिसने हमें कानून और प्रशासनिक अधिकारियों तक पहुंचने में सुविधा मुहैया करवाई। कानूनी कार्रवाई होने पर गांव में खलबली मच गई। कटवा पुलिस और प्रशासन के उच्च अधिकारी गांव में आए। ऊंची जात के लोगों को समझाया कि मंदिर में जाना इन लोगों का कानूनी और सामाजिक अधिकार है, इन्हें रोका न जाए। गांव में पुलिस दल तैनात किया गया। मैंने सोच लिया था कि मरेंगे तो मर जाएं। कम से कम लाश मंदिर से तो उठेगी। मंदिर में जा नहीं सके तो क्या, लाश तो वहां से उठेगी। भगवान का दर्शन करते वक्त कोई मार दे, तो कोई गम नहीं। एक दिन तो मरना ही है। उस दिन हम दस लोगों ने यह मन बना लिया था। लगभग 300 पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में पांच दलितों ने मंदिर में पैर रखा। लेकिन सब शांति से हो गया। पता है इतिहास में यह लिखा जाएगा कि कैसे हम लोग उस दिन ढोल, नगाड़ों के साथ मंदिर गए। पूरे गांव में दिवाली थी, जश्न था। एसपी मैडम, एसडीएम और तमाम बड़े अधिकारी खड़े थे और हम 5 दलित मंदिर जाने के लिए आगे बढ़ रहे थे। 500 साल बाद हम मंदिर की सीढ़ियां चढ़े तो मैं बस रो रहा था और बोल रहा था कि भोले शंकर गांव में शांति बनाए रखना। हालांकि उस दिन गांव में जो माहौल था उससे मुझे अंदर से डर लग रहा था कि कहीं किसी का कोई नुकसान न हो जाए। मुझे मेरी जान की कोई परवाह नहीं थी। अपने लिए तो मेरे अंदर डर से ज्यादा संकल्प था कि भगवान के दर्शन करने के लिए मरना भी पड़े तो मंजूर। कुछ लोगों के चेहरे बता रहे थे कि वह हमसे नफरत कर रहे हैं, वह नहीं चाहते कि हम वहां जाएं। उनके व्यवहार से हमें फर्क नहीं पड़ता। हमने पहले भी संयम रखा और आज भी संयम रखा है। आज लगभग 9 महीने से हम लोग मंदिर जा रहे हैं। अभी कोई समस्या नहीं आई है । मेरा परिवार आज भी मेरी जिंदगी की चिंता करता है, लेकिन मैं इसी में खुश हूं कि जो कभी सपने में नहीं सोचा था वो हो गया। ऐसा लगता है कि मैंने बाबा और पिता का कर्ज उतार दिया। सम्मानित सा महसूस होता है। गर्व होने लगा खुद पर। त्यौहारों पर घर की औरतें जो रुआंसी रहती थीं, अब ऐसा नहीं होता है। वे मंदिर जाती हैं। मेरी आने वाली पीढ़ियों को अब नहीं सुनना पड़ेगा कि तुम मंदिर नहीं जा सकते हो। यह सब कुछ हो सका कानून की मदद से हम जितना भी पढ़े थे कानून की मदद ली। बहुत सूझ आ गई है कि शिक्षित होना बहुत जरूरी है। (संतोष दास ने अपने ये जज्बात भास्कर रिपोर्टर मनीषा भल्ला से साझा किए हैं) ------------------------------------------------------ 1- संडे जज्बात-रिश्तेदार की लाश लेकर आया, मेरे गाल छूने लगा:लाशें जलाने के कारण शादी नहीं हुई- पति के बिना जी लूंगी, लाशों के बिना नहीं मैं टुम्पा दास- पश्चिम बंगाल में डोम समुदाय की पहली महिला हूं, जो पिछले कई सालों से कोलकाता के बड़िपुर गांव के श्मशान में लाशें जला रही हूं। पता नहीं भारत में कोई और महिला यह काम करती है या नहीं, पर मैंने यही रास्ता चुना… और यह रास्ता आसान नहीं था। पूरी स्टोरी यहां पढ़ें 2-संडे जज्बात-मैं मुर्दा बनकर अर्थी पर भीतर-ही-भीतर मुस्कुरा रहा था:लोग ‘राम नाम सत्य है’ बोले तो सोचा- सत्य तो मैं ही हूं, थोड़ी देर में उठकर साबित करूंगा मेरा नाम मोहनलाल है। बिहार के गयाजी के गांव पोची का रहने वाला हूं। विश्व में शायद अकेला ऐसा इंसान हूं, जिसने जिंदा रहते अपनी शव यात्रा देखी। यह बात चंद करीबी लोगों को ही पता थी। मरने का यह सारा नाटक किसी खास वजह से किया गया था। पूरी स्टोरी यहां पढ़ें
'पति ने मुझे बंगाल से सीधा तलाक का पहला खत भेज दिया। जबकि पहले सुलह का नोटिस आना चाहिए। हमने दूसरे और तीसरे महीने आया तलाक का खत भी रिसीव नहीं किया। फिर भी उधर से कह दिया गया कि तलाक-ए-हसन हो गया। तलाक के पेपर में मेरी बेटी का जिक्र तक नहीं। न कोई मेंटेनेंस, न मेहर की रकम की बात।' झारखंड की रहने वाली हिना 2018 से एकतरफा तलाक के खिलाफ कोर्ट में केस लड़ रही हैं। उनका आरोप है कि तलाक शरिया कानून के मुताबिक नहीं हुआ। क्योंकि तलाक-ए-हसन की 4 शर्तें होती हैं, जो उनके तलाक में पूरी नहीं की गईं। इसे लेकर जब उन्होंने तलाक कराने वाले काजी से शिकायत की तो जवाब मिला- तुम कुत्ते की औलाद हो। मुंबई की जरीना की भी ऐसी ही कहानी है। तीन तलाक पर प्रतिबंध के बाद से अब मुस्लिम महिलाएं तलाक-ए-हसन से परेशान हैं। दैनिक भास्कर ने इसका सामना कर रही हिना और जरीना से बात की। दोनों की कहानियां मिलती-जुलती हैं। पहले निकाह, फिर दहेज की मांग, घरेलू हिंसा और फिर पति ने खत भेजकर तलाक दे दिया। अलग-अलग शहरों में रहने वाली इन महिलाओं के नाम से एक संस्था ने सुप्रीम कोर्ट में PIL लगाई है। 19 नवंबर को कोर्ट ने तलाक-ए हसन का नाम लेकर एक जर्नलिस्ट हिना बेनजीर के हक में फैसला सुनाया तो इन महिलाओं की भी उम्मीद जागी है। पढ़िए इनकी आपबीती... सबसे पहले हिना की कहानी…तलाक पर उठाए सवाल तो काजी बोला- तुम कुत्ते की औलाद36 साल की हिना की शादी 2015 में हुई और 2018 में तलाक हो गया। इस बीच एक बेटी हुई। खत के जरिए उनका तलाक-ए-हसन हुआ। हिना कोर्ट गईं, जहां से मेंटेनेंस का ऑर्डर भी पास कर दिया गया। बावजूद इसके अब तक पति ने एक पैसा नहीं दिया। वो कहती हैं, ‘तलाक के खत में लिखे पते पर हमने फोन करके काजी हकीम अब्दुल अजीज से कॉन्टैक्ट किया। उन्होंने ही हमारा तलाक करवाया था। जब मैंने कहा कि हम तो झारखंड के रहने वाले हैं, हमारा ज्यूरिसडिक्शन कलकत्ता है ही नहीं, फिर आपने वहां से कैसे तलाक करवा दिया। इस पर काजी हकीम भड़़क गए और कहने लगे- 'तुम कुत्ते की औलाद हो, जाओ कोर्ट में अपने बाप के पास जाकर ठीक करवा लो।' हिना कहती हैं कि वो और उनके पति दोनों झारखंड के रहने वाले हैं। पति दिल्ली में जॉब करते थे तो वो भी वहीं उनके साथ रहती थीं लेकिन तलाक का जो खत आया, उस पर पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता की राइटर्स बिल्डिंग का पता था।' तलाक में शरिया कानून फॉलो नहीं हुआ, फिर तलाक कैसे हुआ? हिना बताती हैं कि तलाक-ए-हसन की 4 शर्तें होती हैं, जो मेरे तलाक में पूरी ही नहीं हुई। 1. पति-पत्नी के बीच सुलह के लिए पहले नोटिस भेजा जाता है। नोटिस में पत्नी से कहा जाता है कि आप पति से सुलह कर लें नहीं तो तलाक हो जाएगा। ये नोटिस मुझे मिला ही नहीं। 2. हमारा ज्यूरिसडिक्शन झारखंड है लेकिन तलाक के पेपर में पता कोलकाता का है। काजी कोलकाता का है और हमने पता किया तो वो काजी रजिस्टर्ड भी नहीं है। 3. तलाक-ए-हसन में पति-पत्नी 3 महीने तक एक साथ एक छत के नीचे रहते हैं, तब प्रक्रिया पूरी होती है। मेरे केस में ये भी नहीं हुआ। सीधे तलाक का खत आया। दो खत मैंने रिसीव भी नहीं किए जबकि रिसीविंग जरूरी होती है। 4. तलाक के खत में नाम मेरे पति का था लेकिन साइन मेरे ससुर ने किए थे। अगर तलाक पति देगा तो सिग्नेचर भी उसी के होने चाहिए? बेटी की जिम्मेदारी से भी पति ने किनारा कियाहिना बताती हैं कि जब पति ने तलाक दिया तो मेरी बेटी 2 साल की थी लेकिन तलाक के पेपर में उसका जिक्र तक नहीं था। ये कैसे? उलटा ये लिखा है कि मेरे और मेरी पत्नी के बीच संबंध नहीं थे। CM और गवर्नर से शिकायत की लेकिन जवाब नहीं आयाहिना बताती हैं, 'मैंने ममता बनर्जी के दफ्तर में कई लेटर भेजे। मैंने लिखा कि मेरे पति ने तलाक के लिए आपके राज्य का नाम लेकर एक गैर रजिस्टर्ड काजी का इस्तेमाल किया है। आप इस पर संज्ञान लीजिए लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं आया।' 'गवर्नर ऑफिस में भी खत भेजा तो अजीब जवाब आया। कहा गया कि CM हमारी बात नहीं सुनती हैं। वो क्या करती हैं, किसी को नहीं पता। हमने आपका लेटर आगे भेज दिया है। जब उनका कोई जवाब आएगा, तब ही हम कुछ कर पाएंगे।' हिना आगे कहती हैं, 'हद ये है कि एक व्यक्ति बंगाल के सबसे मशहूर प्रशासनिक भवन राइटर्स बिल्डिंग के पते का मिसयूज कर मुझे तलाक भेज रहा है। इस पर CM की चुप्पी और गवर्नर का अजीब जवाब आता है। जबकि लेटर भेजने वाले का आधार कार्ड दिल्ली का है और घर झारखंड में है। बंगाल से उसका कोई नाता नहीं है। उस काजी पर भी कार्रवाई होनी चाहिए जिसने ये गैर शरीयत वाला झूठा तलाक करवाया।' 'मैं खुद दो बार कोलकाता गई। मेरी वकील ऋतु दुबे ने बंगाल के लॉ सेक्रेटरी सलीम अंसारी को नोटिस भेजा था। मैं जब अंसारी से मिली तो वो कहते हैं कि ऐसे नोटिस तो हम कचरे के डिब्बे में डाल देते हैं। आप बताइए इस तरह सिर्फ मेरी ही नहीं, न जाने कितनी औरतों की जिंदगी तबाह हो रही है और किसी को कोई फिक्र नहीं।' घरेलू हिंसा के केस के जवाब में मिला तलाक हिना बताती हैं, 'मेरे पति दिल्ली में फ्लैट लेना चाहते थे। मुझ पर दबाव डालते थे कि मैं अपने पापा से 5 लाख मांग लाऊं। जबकि वो पहले ही बहुत दहेज दे चुके थे। दहेज की मांग और मारपीट से परेशान होकर मैंने 2017 में घरेलू हिंसा का केस कर दिया। इसके बाद 2018 में उन्होंने तलाक भेज दिया।' 'मैं केस होने से पहले तक उनके साथ दिल्ली में ही थी। जब मैंने केस कर दिया तो उन्होंने मुझे जबरदस्ती झारखंड भेज दिया। अब मैं कोर्ट के ऑर्डर के बाद अपने ससुराल में पैतृक घर पर हूं।' हिना आगे बताती हैं, 'कोर्ट हर महीने 10 हजार रु. का मेंटेनेंस ऑर्डर पास कर चुका है लेकिन अब तक एक फूटी कौड़ी नहीं मिली। 9 लाख रु. अब तक ड्यू हो चुका है। घरेलू हिंसा के केस में मेरे पति ने अपील की तो उसकी अपील रद्द हो गई। अब मेरे पति और सास-ससुर के खिलाफ वारंट निकला है। तीनों फरार हैं।' अब जरीना की कहानी…डिलीवरी के बहाने मायके भेजा, बुलाने से मना कर दियाहिना के बाद हमने मुंबई की रहने वाली जरीना से बात की। वे कहती हैं, ‘मेरे पति अहमद महबूब शेख का परिवार तमिलनाडु के मदुरई में टीवीएस नगर में रहता है। मैं भी शादी करके वहीं गई थी। उन्होंने झूठ बोलकर दूसरी शादी की। मुझसे कहा कि उनकी पहली पत्नी की मौत हो गई है जबकि वो जिंदा थीं। निकाह में मेरे पापा ने 2 लाख रु. का दहेज और कुछ सामान दिया था लेकिन कुछ ही दिन बाद इन लोगों ने और दहेज की डिमांड शुरू कर दी। 'जब मैं प्रेग्नेंट हुई तो डिलीवरी के बहाने मायके भेज दिया। मेरा बेटा हुआ। पापा ने कुछ महीनों बाद ससुराल में फोन किया कि बेटी को ले जाइए तो उन्होंने साफ मना कर दिया।' बिना तलाक पति ने तीसरी-चौथी शादी की, पांचवीं की तैयारी में थाजरीना बताती हैं, 'मुझे फोन करने पर वो गंदी गालियां देते। कई महीने गुजर गए तो मैंने अपने बेटे के साथ चेन्नई पहुंच गईं। ससुराल वालों ने बवाल से बचने के लिए मुझे एक किराए के घर में अकेला रख दिया। ‘मैं दुधमुंहे बच्चे के साथ ऐसे घर में करीब 3 महीने तक रही, जहां बिजली भी नहीं थी। मेरे मकान मालिक को तरस आया तो उन्होंने ससुराल वालों को फोन किया और कहा कि अगर तुम लोग इसे नहीं ले जाते तो मैं पुलिस को इन्फॉर्म कर दूंगा। ये लोग डर गए और मुझे मेरे पति के पास लखनऊ भेज दिया। वहां जाकर मुझे पता चला कि मेरे पति ने तीसरी शादी कर ली थी।' 'मुझे लखनऊ में भी अलग रखा और टॉर्चर करने लगे। तीसरी शादी का पता चले कुछ महीने हुए थे कि तभी उन्होंने बिना किसी को तलाक दिए चौथी शादी भी कर ली। पांचवीं शादी के लिए मैट्रिमोनियल में डायवोर्सी का स्टेटस लगाकर प्रोफाइल भी बना ली। फिर एक दिन तो वो मुझे लेकर चेन्नई लौट गए और वहां मुझे जान से मारने की धमकी देने लगे।' पति ने भेजा पहले तलाक का खत, 3 महीने बाद मुफ्ती ने भेजा फतवाजरीना कहती हैं, 'मैंने चेन्नई में पति के खिलाफ मजिस्ट्रेट के पास शिकायत दर्ज की। पुलिस ने कहा कि आप मायके चली जाएं, तब तक हम कार्रवाई करेंगे। यहां आपको खतरा है। मैं मायके मुंबई आ गई। वहां एक दिन सादे कागज पर पोस्ट के जरिए तलाक का खत आया। तलाक की वजह मेरा कैरेक्टर लेस होना बताया गया। तीन महीने बाद मदरसा नदवा के मुफ्ती ने मुझे फतवा भेजा और कहा कि आपका तलाक हो चुका है।' पुलिस बोली- इसके लिए कोई कानून नहीं जरीना कहती हैं, ‘पुलिस ने साफ कह दिया कि ऐसे मामलों के लिए कोई कानून नहीं, हम कुछ नहीं कर सकते हैं। दूसरी तरफ मुफ्ती ने कहा कि फतवा टाला नहीं जा सकता क्योंकि तलाक हो गया है।‘ ‘जब मैंने कहा कि मेरे कैरेक्टर पर सवाल उठाया गया है जबकि इसका कोई प्रूफ नहीं और मुझसे कुछ पूछा तक नहीं गया। तब मुफ्ती ने कहा कि पूछने की जरूरत नहीं है‘ इस्लामिक स्कॉलर बोले, कुरान के नाम पर फर्जीवाड़ाइस्लामिक स्कॉलर शेख निजामुद्दीन कहते हैं, 'कुरान के नाम पर फर्जीवाड़ा किया जा रहा है। एकतरफा तलाक का जिक्र कुरान या हदीस में है ही नहीं। तलाक दो लोगों के बीच होता है, जैसे निकाह दो लोगों के बीच दोनों की मर्जी से होता है।' 3 तलाक तो अब गैरकानूनी है। तलाक-ए-हसन क्या है? इसके जवाब में वो कहते हैं, 'तलाक-ए-हसन को शरीयत लीगल करार देती है लेकिन ये भी दोनों की मर्जी से होता है। जब पति-पत्नी के बीच किसी बात को लेकर डिस्प्यूट हो जाए तो नियम कहता है कि पहले पंच या मस्जिद के जिम्मेदार लोग या अब अदालत में सुलह की कोशिश करवाई जाती है। तब भी बात न बने तो 3 महीने तक पति-पत्नी साथ रहते हैं।' ' हर महीने में तलाक दिया जाता है यानी तीन माह में तीन बार। इसमें ये ध्यान रखा जाता है, गर्भ नहीं ठहरना चाहिए। कई बार ऐसा होता है कि इन तीन महीनों में मामला खुद ब खुद सुलझ जाता है। कुरान में फोन, लेटर, वॉट्सएप का तो को जिक्र तक नहीं, ये तो वैसे भी गैरकानूनी है।' सुप्रीम कोर्ट में तलाक-ए-हसन और पॉलीगेमी के खिलाफ PIL दाखिलन्याय बोध नाम की संस्था की वकील ऋतु दुबे कहती हैं, 'तलाक-ए-हसन के 7 मामलों की एक PIL हमने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की है। हिना बेनजीर का मामला भी पहले हमारे पास था और करीब 8-9 मामले लाइन में हैं। जो अभी दाखिल नहीं किए हैं।' 'इसका सबसे बुरा पक्ष ये है कि बिना औरत की मर्जी के तलाक दे दिया जाता है। बच्चे का जिक्र तो ससुराल वाले तलाक में करते ही नहीं। मेंटेनेंस अधर में लटका रहता है।' निकाह टूटने के बाद पति मेंटेनेंस के लिए जिम्मेदार नहींऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता एस क्यू आर इलियासी इन मामलों को लेकर कहते हैं, 'तलाक-ए-हसन, तलाक का बेहतर तरीका है। पति पत्नी में विवाद होने की स्थिति में सुलह के लिए पहले कुछ स्टेप फॉलो होते हैं, जैसे शुरुआत में दोनों के बिस्तर अलग कर दिए जाते हैं। ताकि वे साथ न सोएं और कोई संबंध न बने। फिर दोनों पक्षों के लोग सुलह की कोशिश करते हैं।' 'कोई हल न निकलने पर तीन महीने की तलाक-ए-हसन की प्रक्रिया शुरू होती है। इन तीन महीनों को इद्दत कहते हैं। हर महीने में एक बार तलाक बोलना होता है। तीसरे महीने में तलाक बोलने पर निकाह टूट जाता है। अगर इस प्रक्रिया के बीच किसी भी महीने पति-पत्नी के बीच संबंध बन जाए तो फिर तलाक रद्द हो जाता है।' 'इस तरह के तलाक में एक बार प्रक्रिया पूरी होने के बाद दोबारा वही दोनों मर्द उस औरत से निकाह नहीं कर सकता है। क्या बच्चे और पति मेंटेनेंस की हकदार भी नहीं होते? इस पर इलियासी कहते हैं, 'जब निकाह होता है तो पति ही पत्नी की सारी जिम्मेदारी लेता है। बच्चा होने पर उसकी भी लेता है लेकिन तलाक के साथ जिम्मेदारियां भी खत्म हो जाती है। इस्लाम में तलाक के बाद औरत किसी भी तरह के मेंटेनेंस की हकदार नहीं है।' .....................ये खबर भी पढ़ें... कौन हैं देवजी, गणपति और बेसरा, शाह के लिए चैलेंज 'हिड़मा एग्जीक्यूटर था, डिसीजन मेकर नहीं। वो नक्सलियों का एक बेहतरीन लड़ाका था। उसका एनकाउंटर एंटी-नक्सल ऑपरेशन की बड़ी कामयाबी है, लेकिन हम इस मूवमेंट के पीछे लग रहे दिमाग को खत्म करना चाहते हैं। अभी ऐसे 3 नाम हैं, जिनके सरेंडर या एनकाउंटर के बाद हम कह सकते हैं कि अब आंदोलन खत्म हुआ।' नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन खत्म होने के सवाल पर एंटी नक्सल ऑपरेशन की कोर टीम के एक अधिकारी ने ये जवाब दिया। पढ़िए पूरी खबर...
'आईएस के खिलाफ कार्रवाई में अमेरिका के साथ हम,' सीरिया हवाई हमलों पर जॉर्डन का बयान
जॉर्डन आर्म्ड फोर्सेज (जेएएफ) ने कबूल किया कि उसने सीरिया में मौजूद आईएस के ठिकानों को नष्ट करने के अभियान में अमेरिका का पूरा साथ दिया
'15 मिनट' की धमकी से आगे निकला बांग्लादेश, जान बचाने के लिए सेना दे पा रही महज '20 मिनट' की गारंटी
Bangladesh violence latest news: हैदराबाद में AIMIM का नेता अकबरुद्दीन ओवैसी तो आपको याद ही होगा, जिसने हिंदुओं को 15 मिनट की धमकी दी थी. अब बांग्लादेश के कट्टरपंथी छोटे ओवैसी से भी आगे निकल गए हैं. वे जान बचाने के लिए केवल 20 मिनट का ही वक्त दे रहे हैं.
Bangladesh Violence Latest Updates: बांग्लादेश भले ही इस्लामिक मुल्क था लेकिन उसकी पहचान अब तक सेक्युलर विरासत वाली बनी हुई थी. काजी नजरूल इस्लाम इसके बड़े प्रतीक थे. लेकिन लगता है कि अब यह पहचान खत्म होने वाली है.
आसमान में धमाका! 37 साल पहले उड़ते विमान में लगी भीषण आग, जांच ने खोला खौफनाक राज
अंतरराष्ट्रीय विमानन इतिहास की सबसे भयावह घटनाओं में से एक 21 दिसंबर 1988 की रात घटी, जब पैन अमेरिकन एयरलाइंस की फ्लाइट 103 स्कॉटलैंड के छोटे से शहर लॉकरबी के ऊपर हवा में धमाके के साथ उड़ा दी गई.
हादी की हत्या पर बवाल: इंकलाब मंच ने सरकार को दिया 24 घंटे का अल्टीमेटम
बांग्लादेश बेहद अशांत है। इंकलाब मंच के युवा नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद से बवाल मचा हुआ है
DNA: हादी के जनाजे में पहुंचे जसीमुद्दीन रहमानी और अताउर रहमान बिक्रमपुरी, जानिए इनकी कुंडली
DNA: शरीफ उस्मान हादी की हत्या के बाद ढाका के शाहबाग इलाके में एक जमावड़ा लगा था. इसमें एक से बढ़कर छंटे हुए आतंकी शामिल हुए. इनमें दो नाम सबसे प्रमुख थे. एक जसीमुद्दीन रहमानी और दूसरा नाम है अताउर रहमान बिक्रमपुरी. ये दोनों बांग्लादेश के बड़े आंतकी हैं.
ट्रंप के नए ऐलान से दुनिया भर के फार्मा सेक्टर में हड़कंप, जानें भारत पर क्या पड़ेगा असर?
America drug price cuts: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक और बड़ा ऐलान किया है, जिसमें उन्होंने दवाओं की कीमतों में बड़ी कटौती की बात कही है. जिसके बाद पूरी दुनिया के दवा बाजार पर इसके असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है. इसकी भारत की जेनेरिक दवाओं का निर्यात भी शामिल है. माना जा रहा है कि दवाओं की कीमत तय करने के लिए अमेरिका अब अंतरराष्ट्रीय लेवल पर तुलना करने की ओर बढ़ रहा है.
बांग्लादेश के छात्र नेता उस्मान हादी का शव सुपुर्दे खाक कर दिया गया. हादी के बड़े भाई, अबू बकर ने जनाजे की नमाज पढ़ाई.इस मौके पर जमकर भारत विरोधी नारेबाजी हुई.
यूक्रेन की मदद के लिए 90 अरब यूरो कैसे जुटाएगा ईयू?
रूसी संपत्तियों के एवज में यूक्रेन को कर्ज देने की योजना फेल होने के बाद, ईयू कर्ज लेने के लिए तैयार हो गया है. 90 अरब यूरो के इस कर्ज पर यूरोपीय संघ हर साल लगभग 3 अरब यूरो ब्याज चुकाएगा
हैवानियत पर उतरी पाकिस्तानी सेना, रात के अंधेरे का फायदा उठा बलूच महिला को किया अगवा, मचा हड़कंप
Baloch women Kidnapping: पाकिस्तानी सेना की तरफ से बलूचिस्तान के हब चौकी में दारो होटल इलाके से एक और महिला हजीरा बलूच के जबरन गायब हुई है, जिसको लेकर बलूच महिला फोरम ने गहरी चिंता व्यक्त की है. बीडब्ल्यूएफ ने इसको पाचंवी घटना करार दिया है. जिसमें बलूच महिलाओं का अपहरण किया जा रहा है.
बाहर शाही जिंदगी, अंदर कर्ज का बोझ, 6.2 अरब डॉलर का मालिक अचानक कैसे हो गया कंगाल?
Los Angeles Richest Man: शाही जिंदगी जी रहा 6.2 अरब डॉलर के मालिक विनिक का एक दिन निधन हो गया. उनकी मौत के बाद पता चला कि जिस चकाचौंध भरी जिंदगी को वे जी रहे थे, वह अंदर से कर्ज के बोझ तले दबी थी.
Bangladesh Violence: बांग्लादेश में एक बार फिर हालात गंभीर है और हिंसा भड़क गई है. देश में जारी हिंसा और टकराव के बीच आतंकी नेता का सामने आकर हिंदुओं और मंदिरों की सुरक्षा का दावा करना चौंकाने वाला है. भारत विरोधी उकसावे और कट्टरपंथी गतिविधियों के लिए जाने वाला हारून इजहार के इस बयान ने बांग्लादेश की कानून व्यवस्था और प्रशासनिक कंट्रोल पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
तोशाखाना केस : इमरान खान और उनकी पत्नी बुशरा बीबी को 17 साल की जेल
पाकिस्तान की अदालत से पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी पत्नी बुशरा बीबी को तगड़ा झटका लगा है। अदालत ने उन्हें भ्रष्टाचार के एक मामले में 17-17 साल कैद की सजा सुनाई है। इमरान खान पहले से ही जेल में बंद हैं और कई मामलों में सजा काट रहे हैं।

