डिजिटल समाचार स्रोत

फिलीपींस: फर्जी 'आधार' से नागरिकता फिर इस शहर की मेयर बनी जासूस चीनी लड़की? चौंकाने वाला खुलासा

Chinese Spy: राजधानी के नजदीक की एक जिलाअदालत ने पूर्व लेडी मेयर को मानव तस्करी के आरोप में दोषी ठहराते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई है. अधिकारियों का कहना है कि एलिस चीनी नागरिक है जो धड़ल्ले से मानव तस्करी समेत कई गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम दे रही थी.

ज़ी न्यूज़ 21 Nov 2025 9:15 am

46 साल पहले जंग का मैदान बन गया था पवित्र काबे का कैंपस, महदी के नाम पर मक्का में खेला गया 'खूनी खेल'

History of Kaaba: मुसलमानों के सबसे पवित्र स्थल 'काबा' का इतिहास बहुत लंबा और उतार चढ़ाव वाला रहा है. आज हम आपको काबे पर हुए 1979 के एक हमले के बारे में बताने जा रहे हैं. इस हमले के बाद ना सिर्फ इस्लामी दुनिया बल्कि पूरी दुनिया हैरान रह गई थी.

ज़ी न्यूज़ 21 Nov 2025 9:11 am

'हमारे पास कम्युनिस्ट आ रहा है', ट्रंप-जोहरान की मुलाकात से पहले व्हाइट हाउस ने NYC मेयर का खूब उड़ाया मजाक, किसने मांगा था मिलने का समय?

Donald Trump meeting with Mamdani: न्यूयॉर्क सिटी के मेयरजोहरान ममदानीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से होने वाली मुलाकात से पहले व्हाइट हाउस ने उन पर तीखा हमला बोला है. व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैरोलिन लेविटने ममदानी को “कम्युनिस्ट” कहते हुए कहा “कल हमारे पास एक कम्युनिस्ट व्हाइट हाउस आ रहा है.” शुक्रवार को दोनों की मुलाकात ओवल ऑफिस में होगी. जानते हैं किसने मुलाकात के लिए मांगा था समय.

ज़ी न्यूज़ 21 Nov 2025 8:18 am

पाकिस्तान : खैबर पख्तूनख्वा में हुए हमले में दो पुलिसकर्मियों की मौत, चार घायल

पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा के डेरा इस्माइल खान में एक पुलिस वैन को बम से निशाना बनाया गया। इस हमले में दो पुलिसकर्मियों की मौत हो गई और चार अन्य घायल हो गए

देशबन्धु 21 Nov 2025 5:50 am

दक्षिण कोरिया और मिस्र के बीच कई डील हुई सील, वैश्विक शांति को दोनों देशों ने बताया जरूरी

दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ली जे म्युंग और मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी के बीच शिखर वार्ता हुई

देशबन्धु 21 Nov 2025 5:30 am

स्पॉटलाइट- गाड़ी में सरकारी स्टीकर, चेहरे पर मास्क:कैश से भरी वैन रोककर बोले- हम RBI अधिकारी; बेंगलुरु में दिनदहाड़े कैसे लूटे 7 करोड़, देखे वीडियो

चोरों के एक गैंग ने फर्जी RBI अधिकारी बनकर 7 करोड़ रुपए की लूट को अंजाम दिया है। लेकिन फुल सिक्योरिटी के साथ बैंक से आती कैश वैन को ये चोर कैसे लूटकर फरार हो गए। आखिर क्या है दिनदहाड़े होने वाली इस चोरी की पूरी कहानी। जानने के लिए ऊपर दी गई इमेज पर क्लिक कर देखें वीडियो..

दैनिक भास्कर 21 Nov 2025 5:15 am

Most Expensive Commode: प्योर गोल्ड से बनी दुनिया की सबसे महंगी टॉयलेट सीट; अरबों खर्च करने वाले ने क्या बोला?

Commode Made of Pure Gold News: आपने घर-दफ्तरों में एक से बढ़कर एक महंगे कमोड देखे होंगे. लेकिन क्या आपने कभी ऐसी टॉयलेट शीट का इस्तेमाल किया है, जो प्योर गोल्ड से बनी हुई हो. वह भी महज 102 करोड़ रुपये में.

ज़ी न्यूज़ 20 Nov 2025 10:40 pm

JAPAN: समुद्र में आई गर्मी से संकट में हिरोशिमा के किसान, चौपट हो रहा ऑयस्टर का धंधा; मचा हड़कंप

Globel Warming: समुद्र का तापमान इस साल असामान्य रूप से ज्यादा रहा है और बारिश कम होने के कारण समुद्र का पानी ज़्यादा नमकीन हो गया है. गर्म और नमक-भरा पानी ऑयस्टर के लिए बहुत तनावपूर्ण हालात पैदा करता है, जिससे वे धीरे-धीरे कमजोर होकर मरने लगते हैं.

ज़ी न्यूज़ 20 Nov 2025 9:04 pm

'वो मुसलमानों से नफरत करते हैं, लेकिन...', मोहम्मद बिन सलमान के शानदार स्वागत पर बर्नी सैंडर्स का ट्रंप पर तंज

Bernie Sanders slams Trump:ट्रंप ने अपने राष्ट्रपति कार्यकाल के सबसे शानदार स्वागत में से एक किया, जिसमें उन्होंने मोहम्मद बिन सलमान का स्वागत मिलिट्री फ्लाईपास्ट, तोपों की फायरिंग, घोड़ों की परेड और व्हाइट हाउस में एक शानदार डिनर के साथ किया.

ज़ी न्यूज़ 20 Nov 2025 7:19 pm

चीन से निपटने के लिए भारत और US ने मिलाया हाथ, अमेरिका देगा 'टैंक किलर' मिसाइलें; थर्रा उठेगा दुश्मन

India US News in Hindi: चीन की दादागिरी खत्म करने के लिए अब अमेरिका और भारत ने मिलकर काम करने का फैसला किया है. अमेरिका अपनी सबसे घातक 'टैंक किलर' मिसाइलें और दूसरे हथियार भारत को देगा, जिससे ड्रैगन का फन कुचला जा सकेगा.

ज़ी न्यूज़ 20 Nov 2025 6:28 pm

नेपाल में फिर भड़का Gen Z का विरोध, पुलिस ने छोड़े आंसू गैस के गोले, की हवाई फायरिंग, कई घायल

Gen Z protests In Nepal:नेपाल में Gen Z युवाओं के विरोध प्रदर्शनों के कारण हालात तनावपूर्ण हो गए हैं. प्रशासन ने कई संवेदनशील क्षेत्रों में कर्फ्यू लगा दिया है. प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर बुधवार को हुई झड़पों के संबंध में नामित व्यक्तियों को गिरफ्तार न करने का आरोप लगाया था. जिसके बाद आज ये हिंसा भड़क गई.

ज़ी न्यूज़ 20 Nov 2025 4:22 pm

इंडोनेशिया के सेराम में भूकंप के झटके, 136 किलोमीटर नीचे की हिली धरती, जानें कितना हुआ नुकसान?

Earthquake of magnitude 6 hits Indonesia:इंडोनेशिया के पूर्वी क्षेत्र के सेराम द्वीप पर गुरुवार को भूकंप के झटके महसूस किए गए. जर्मन रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर जियोलॉजी (जीएफजेड) ने सिंहुआ को बताया कि रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 6.1 मापी गई. जीएफजेड के अनुसार भूकंप की गहराई जमीन से 136 किलोमीटर नीचे थी.

ज़ी न्यूज़ 20 Nov 2025 3:15 pm

Czech Republic Trains collide: हे राम! एक तरफ से आ रही थी एक्सप्रेस, दूसरी तरफ से पैसेंजर; आमने-सामने हो गई भयंकर भिड़ंत और फिर...

Trains collide in Czech Republic:चेक रिपब्लिक के साउथ बोहेमियन हिस्से में गुरुवार सुबह एक बड़ा रेल हादसा हो गया, जब दो ट्रेनें आमने-सामने टकरा गईं. स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, इस दुर्घटना में 40 से अधिक लोग घायल हुए हैं, जिनमें कई की हालत गंभीर बताई जा रही है.

ज़ी न्यूज़ 20 Nov 2025 2:45 pm

रूस संग मिलकर किस प्लान पर काम कर रहे डोनाल्ड ट्रंप! नाराज हो सकते हैं जेलेंस्की

Donald Trump: अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प रूस और यूक्रेन के बीच शांति स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं. ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ मॉस्को में बातचीत कर रहे हैं, जबकि आर्मी सेक्रेटरी डैन ड्रिस्कॉल और पेंटागन प्रतिनिधिमंडल यूक्रेन में युद्ध हालात और शांति प्रयासों पर चर्चा कर रहे हैं.

ज़ी न्यूज़ 20 Nov 2025 1:30 pm

आ रही है 100 Javelin मिसाइल! भारत-अमेरिका में 824 करोड़ की डिफेंस डील पक्की, ट्रंप देने जा रहे ऐसा 'ब्रह्मास्त्र', पाकिस्तान-चीन का फट जाएगा कलेजा

US approves USD 93 mn defence deal to India:भारत की सैन्य ताकत अब और बढ़ने जा रही है.अमेरिका ने करीब 824 करोड़ रुपये (93 मिलियन डॉलर) की बड़ी रक्षा डील को मंजूरी दे दी है.इस पैकेज में दुनिया की सबसे घातक एंटी-टैंक मिसाइलों में से एक Javelin Missile System और अमेरिकी सेना में उपयोग होने वाले Excalibur Artillery Projectiles शामिल हैं. जानें इस डील से भारत को क्या होगा फायदा.

ज़ी न्यूज़ 20 Nov 2025 11:31 am

अमेरिकी सैन्य अधिकारी पहुंचे यूक्रेन, जल्द खत्म हो सकता है रूस-यूक्रेन युद्ध ?

पेंटागन के वरिष्ठ अधिकारी रूस के साथ युद्ध समाप्त करने के प्रयासों पर चर्चा करने के लिए यूक्रेन पहुंचे हैं। यह जानकारी बीबीसी ने गुरुवार को अमेरिकी सेना के हवाले से दी

देशबन्धु 20 Nov 2025 10:53 am

ट्रंप ने एपस्टीन मामले की फाइलें जारी करने वाले बिल पर किया साइन, सीनेट ने डॉक्यूमेंट पब्लिक करने की दी मंजूरी

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जेफरी एपस्टीन की जांच से जुड़ी फाइलें जारी करने वाले बिल पर साइन कर दिया है। ट्रंप ने बुधवार देर शाम को इस बात की जानकारी दी

देशबन्धु 20 Nov 2025 10:22 am

तीखे हमलों के बाद अब गले मिलेंगे ट्रंप और ममदानी! कल व्हाइट हाउस में आमने-सामने मुलाकात

Zohran Mamdani: न्यूयॉर्क मेयर चुनाव के दौरान एक दूसरे पर तीखे हमले करने वाले जोहरान ममदानी और डोनाल्ड ट्रंप शुक्रवार को व्हाइट हाउस में मिलने वाले हैं. इसकी जानकारी खुद ट्रंप ने दी है.

ज़ी न्यूज़ 20 Nov 2025 9:56 am

अमेरिका में चीनी सरकार की एक-एक प्रॉपर्टी हो जाएगी जब्त! बेचकर सूद-ब्याज समेत 25 अरब डॉलर वसूलने की तैयारी, दोनों देशों में मच गया घमासान

Missouri seeks China for $25 billion in COVID damages: अमेरिका के मिसौरी राज्य ने चीन से लगभग 25 अरब डॉलर का कोविड-19 हर्जाना वसूलने की कोशिश तेज कर दी है. राज्य की अटॉर्नी जनरल ने अमेरिकी विदेश विभाग से मदद मांगी है ताकि चीन की सरकारी हिस्सेदारी वाली संपत्तियों को जब्त किया जा सके. चीन ने इस फैसले को मानने से साफ इनकार कर दिया है. मामला अब कूटनीतिक रूप से संवेदनशील होता जा रहा है. जानते हैं पूरी कहानी.

ज़ी न्यूज़ 20 Nov 2025 9:06 am

शेख हसीना को फांसी की सजा, यूनुस के खिलाफ बगावत! बांग्लादेश में अगर नहीं हुआ आम चुनाव तो क्या होंगे परिणाम?

Bangladesh Election: बांग्लादेश चुनाव के नजदीक है लेकिन उससे पहले हालात खराब होते जा रहे हैं. पहले शेख हसीना को सजा-ए-मौत, फिर उनसे और उनके परिवार से वोट डालने का हक भी छीन लिया गया. खबरें चुनाव को लेकर ठीक नहीं आ रही हैं.

ज़ी न्यूज़ 20 Nov 2025 8:56 am

Sudan Crisis: 2 जनरलों की लड़ाई में फंसा देश, गाजा-यूक्रेन के बाद 'हॉर्न ऑफ अफ्रीका' पर ट्रंप ने क्‍यों लगाया दांव?

सूडान में 2023 से ही RSF (रैपिड सपोर्ट फोर्सेज) और SAF (सूडानी सेना) के बीच युद्ध चल रहा है. हजारों लोगों की मौत हो चुकी है. कई घायल यह ‘जंग’ दो शक्तिशाली नेताओं की ‘सत्ता की लड़ाई’ को लेकर शुरू हुई, जिसने सूडान को ‘बर्बाद’ कर दिया. अमेरिका वहां शांति के लिए पूरा जोर लगा रहा है. आइए जानते हैं उसकी सूडान में दिलचस्पी क्यों है....

ज़ी न्यूज़ 20 Nov 2025 8:30 am

मिडिल-ईस्ट में ईरान को 'पंगु' बनाकर ट्रंप ने सऊदी अरब को बना दिया 'हीरो'! अमेरिका ने कैसे मिडिल ईस्ट का बदल दिया 'चौधरी'?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सऊदी अरब को अब तक के सबसे बेहतरीन सैन्य हथियार बेचने का ऐलान कर पूरी दुनिया को चौंका दिया है. इससे सिर्फ एक दिन पहले ही सऊदी को “प्रमुख गैर-नाटो सहयोगी” का दर्जा दिया गया था. यानी अब अमेरिका खुलकर सऊदी के साथ खड़ा नजर आ रहा है. आइए जानते हैं कैसेमिडिल-ईस्ट में ईरान को 'पंगु' बनाकर ट्रंप ने सऊदी अरब को बना दिया 'हीरो'.

ज़ी न्यूज़ 20 Nov 2025 7:13 am

ब्लैकबोर्ड-'दिल्ली में धमाका हुआ, लोग हमें पाकिस्तान भेजने लगे':मानो मुस्लिम होना गुनाह है; कभी-कभी तो खुद की पहचान से डर लगने लगता है

दिल्ली के लालकिला बम धमाके के धुएं ने सिर्फ आसमान को नहीं, लोगों के दिलों-दिमाग में भी अंधेरा कर दिया है। इसकी पहली मार पड़ी उन मुसलमानों पर, जिनका इस घटना से कोई लेना-देना ही नहीं था। सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने एक मुस्लिम पत्रकार का कमेंट बॉक्स गालियों से भर दिया। मानो उनका मुसलमान होना ही सबसे बड़ा गुनाह हो। लोग पाकिस्तान भेजने की बात कहने लगे। गालियां देने लगे। ब्लैकबोर्ड में इस बार कहानी उन आम मुसलमानों की, जिन्हें देश में आतंकी घटना या हमलों के बाद कुछ लोग टारगेट करने लगते हैं। लोग कमेंट करते हैं। धमकी देने लगते हैं। दिल्ली की तेज-तर्रार टीवी पत्रकार रहीं शीबा असलम फहमी अपने साथ घटा एक किस्सा बताती हैं। वह कहती हैं- ‘दोस्तों का एक वॉट्सऐप ग्रुप था। हम बचपन से एक ही मोहल्ले में बड़े हुए थे। एक ही स्कूल, वही टिफिन, वही शरारतें। हमारी दोस्ती इतनी गहरी थी कि हमें लगता था- इसे कोई नहीं हिला सकता, लेकिन ग्रुप में नोटबंदी को लेकर हमारी मामूली-सी चर्चा ने सब चकनाचूर कर दिया। जब मैंने नोटबंदी को गलत ठहराया तो मेरे सबसे करीबी दोस्तों में से एक ने लिखा- तुम लोगों को तो 1947 में ही देश से निकाल देना चाहिए था… तुम लोग यहां न होते तो आधी समस्याएं अपने आप खत्म हो जातीं।’ वह वही दोस्त था, जो मेरी मम्मी के हाथ की बिरयानी खाए बिना नहीं रह पाता था। उस दिन मैं मोबाइल की स्क्रीन घूरती रह गई थी। शीबा एक पल चुप रहती हैं- फिर धीरे से कहती हैं, ‘ये सिर्फ तंज नहीं था… यह एक रिश्ते के मरने की आवाज थी। सोच रही थी क्या हमारी दोस्ती सिर्फ नामों की दोस्ती थी? क्या वह रिश्ता उतना ही था, जितना किसी की पहचान इजाजत दे? हमारी हंसी, वो लड़ाइयां, वो साथ गुजरे साल- सब एक पल में धुंध की तरह उड़ गए और पीछे सिर्फ एक कड़वी हकीकत रह गई- कुछ तो बदल गया है। और बहुत बुरी तरह बदल गया है। शीबा जब अपने स्टूडियो में माइक ऑन करती हैं, तो आमतौर पर उनकी आवाज स्थिर रहती है- एक पत्रकार की तरह, लेकिन 10 नवंबर का जिक्र आते ही अचानक हल्की-सी कांप जाती है। वह धीरे से कहती हैं- 'उस दिन मैं ठीक उसी रास्ते से गुजरने वाली थी… लालकिले के पास। सोचकर आज भी दिल बैठ जाता है कि कुछ मिनट इधर-उधर हुई होती, तो शायद मैं भी…' शीबा बताती हैं कि उनके ही मोहल्ले के कुछ लोग धमाके में मारे गए, लेकिन उससे भी ज्यादा डरावना वह था, जो उसके बाद हुआ। 'ब्लास्ट के कुछ घंटों में ही सोशल मीडिया पर अफवाह फैला दी गई- इसके जिम्मेदार मुसलमान हैं। टोपी पहनने वालों की एक्स्ट्रा चेकिंग हो रही है। यह कहते हुए उनकी आंखों में दर्द सिर्फ धमाके का नहीं था…दर्द यह था कि लोग इंसानों की मौत भूलकर फिर से नाम, शक्ल और पहचान पर हमला करने लगे। शीबा मुस्कुराने की कोशिश करती हैं, लेकिन मुस्कान होठों तक आते-आते टूट जाती है। वह धीमे से कहती हैं- 'एक घटना है, जो आज भी दिमाग में कहीं अटकी हुई है…' 'एक दिन मैं जेएनयू से एक दोस्त के साथ लौट रही थी। गाड़ी में देश की राजनीति पर बहस चल रही थी- धीरे-धीरे गंभीर, फिर थोड़ी तीखी हुई। जब दोस्त उतरने लगा, तो उसने अचानक हाथ बढ़ाकर डैशबोर्ड से तिरंगा खींच लिया।' बोला- 'अब तुम लोग भी तिरंगा लगाने लगे? मुसलमान भी?' 'मैं उस दिन सन्न रह गई थी। उसे पता था कि मेरे पिता सालों तक रक्षा मंत्रालय में सेवा दे चुके हैं। हमारा पूरा बचपन कैंट में बीता है। फिर भी उसके जेहन में ये बात आ गई कि तिरंगा सिर्फ किसी एक पहचान की जागीर है। उस घटना ने मेरी आत्मा को भीतर तक हिला दिया। जैसे किसी ने यह साबित करने की कोशिश की हो कि देशभक्ति भी मजहब देखकर नापी जाती है।' शीबा थोड़ा रुककर कहती हैं- सालों तक टीवी डिबेट्स में हिस्सा लिया है। तीन तलाक का हमेशा विरोध किया…क्योंकि हम बहस तर्क, फैक्ट, लॉजिक पर करते थे। यही हमारी दुनिया थी। लेकिन जेएनयू वाली घटना के कुछ समय बाद सब बदल गया। एक दिन लाइव डिबेट में वही प्रवक्ता- जो कभी मेरे तर्कों की तारीफ करते नहीं थकते थे, अचानक जैसे किसी और ही चेहरे के साथ सामने आए। बहस चल ही रही थी कि उन्होंने कैमरे की ओर देख कर कहा- 'आपके नाम से ही पता चलता है कि आप टुकड़े-टुकड़े गैंग का हिस्सा हैं।' 'एक सेकेंड में समझ आ गया कि मेरे सारे लॉजिक, सारे शब्द, मेरी सारी मेहनत…सब कुछ पीछे रह गया है। अब उनके लिए सिर्फ मेरा नाम ही तर्क बन गया था।' धर्म को लेकर प्रदर्शन पर शीबा एक दिलचस्प बात बताती हैं- हमारे घर वाले आज भी हिंदू-बहुल इलाके में रहते हैं। हमें कभी नहीं लगा कि मुस्लिम मोहल्ले में जाना चाहिए, लेकिन मैं देख रही हूं कि हाल के सालों में मुसलमानों के व्यवहार में भी बदलाव आया है। अब कहीं भी खुलकर नमाज पढ़ने की घटनाएं बढ़ी हैं- जैसे एयरपोर्ट, पार्क में, ट्रेनों में। ये पहले नहीं होता था। धर्म निजी मामला है। रास्ता रोककर इस तरह नमाज पढ़ना, मुझे सही नहीं लगता। 'मैंने एक वीडियो देखा, जिसमें ट्रेन के कॉरिडोर को पूरा ब्लॉक करके नमाज पढ़ी जा रही है। ये देखकर हैरानी हुई कि लोगों का रास्ता रोककर इबादत कैसे की जा सकती है।' अपनी युवावस्था का जिक्र करते हुए शीबा कहती हैं- जब मैं बड़ी हो रही थी, तब बाबरी मस्जिद गिराई गई। माहौल तनावपूर्ण था, लेकिन समाज में इतनी खाई नहीं थी। कर्फ्यू लगता था तो बस इस बात की चिंता होती थी कि कॉलेज का सेशन न छूट जाए। कभी ये एहसास नहीं होता था कि जान का खतरा है, लेकिन आज तो हिंदू-मुस्लिम का मुद्दा चरम पर है। पहले हमारे बुजुर्ग कहते थे कि ये देश हमारा है, लेकिन अब वही कहते हैं कि अगर आपकी हैसियत है तो आप देश छोड़कर चले जाइए। बहुत सारे लोग देश छोड़कर जा भी रहे हैं। इतना ही नहीं, कई बुद्धिजीवी कहते हैं कि अब हम किसी से यह नहीं कह सकते कि देश मत छोड़ो। जो जाना चाहता है, हम उसे कहते हैं कि चले जाओ। अंत में उम्मीद करती हूं कि हमारा राजनीतिक नेतृत्व ऐसे बयान दे जो देश को जोड़े। हिंदू-मुस्लिम एकता की बात करे। समाज को डर से नहीं, भरोसे से चलाया जा सकता है। स्वतंत्र पत्रकार वसीम अकरम त्यागी दिल्ली के शाहीन बाग में रहते हैं। वह कहते हैं, ‘10 नवंबर को दिल्ली लालकिला के बाहर ब्लास्ट के बाद मेरा कमेंट बॉक्स लोगों की गालियों से भरा हुआ है। कई कमेंट ऐसे हैं, जिनमें कहा जा रहा है कि धमाका करने वाले हमारे लोग हैं, हमारे ही भाई हैं। मेरी पत्नी और बच्चों को भी घसीटा जा रहा है।’ वसीम कहते हैं, ‘इस देश में कोई भी छोटी-बड़ी आतंकी घटना होती है, तो लोगों की उंगलियां एक साथ मुसलमानों की ओर घूम जाती हैं।’ इस तरह धमाका एक कार में हुआ, लेकिन उसका धुआं उन चेहरों तक पहुंच गया है, जिनका उससे कोई लेना-देना नहीं। उन्हें सिर्फ इसलिए टारगेट किया जा रहा है, क्योंकि वे मुसलमान हैं। वसीम एक पुरानी घटना याद करते हैं। वह बताते हैं, ‘मैं मेरठ में कॉलेज में पढ़ रहा था, तब मुंबई में 26/11 का आतंकी हमला हुआ। उसी दिन कॉलेज के डायरेक्टर ने मुझे अपने केबिन में बुलाया। अंदर जाते ही उन्होंने बस एक सवाल किया- ‘ये क्या है?’ वसीम उस पल को याद करते हुए ठहर जाते हैं। मुंबई में जो हुआ था, उसके बारे में वह उतने ही अनजान थे, जितने उनके आसपास बैठे बाकी छात्र। फिर भी पूछताछ सिर्फ उनसे हुई- सिर्फ उनकी पहचान की वजह से। मुझे आज भी वह दिन साफ याद है- अन्ना आंदोलन के शोर के बीच एक धमाके से दिल्ली दहल गई थी। सायरनों की आवाजें गूंज रही थीं, लोग टीवी स्क्रीन से चिपके थे। मैं भी उसी उथल-पुथल के बीच खड़ा था। तभी मेरा एक साथी तेजी से मेरे पास आया। उसके चेहरे पर कोई डर नहीं था- सिर्फ एक अजीब-सी मुस्कान। उसने कहा, ‘आज तुम तो बहुत खुश होगे।’ उसकी आवाज में जो तंज था, वह शब्दों से ज्यादा गहरा चुभ रहा था। जैसे उसके दिमाग में कहीं यह बैठा था कि उर्दू नाम वाले लोग ऐसे धमाकों से खुश होते हैं। उस पल मुझे पहली बार इतने करीब से महसूस हुआ कि कुछ लोगों के मन में यह जहर कितना पुराना है। उनके लिए सच मायने नहीं रखता है कि- धमाका किसने किया, क्यों किया… यह सब बाद की बातें हैं। पहले से तय हो चुका होता है कि दोष किसका है। सच तो यह है कि कोई भी घटना हो, अगर उसमें मुसलमान शामिल है, तो लोग पूरे समुदाय को दोषी मानने लगते हैं। घटना की असलियत जानने के बजाय ध्यान इस पर होता है कि दोष किस पर मढ़ा जाए। यह डर और पूर्वाग्रह, समाज के भीतर एक जहर की तरह फैलता है, जो सीधे हमारे निजी जीवन पर असर डालता है। इतने सालों में हमने ऐसे तंज, ऐसे शक, ऐसे आरोप इतनी बार सुने हैं कि अब ये सब सामान्य लगने लगे हैं। और यही बात भीतर तक चुभती है कि हम धीरे-धीरे उस दर्द के भी आदी हो गए हैं, जिसे कभी बर्दाश्त करना मुश्किल लगता था। सोशल मीडिया का एक किस्सा बताता हूं, चार महीने पुराना- लेकिन आज भी उसका दर्द उतना ही ताजा है। एक दिन मैंने एक पोस्ट देखी- एक लड़के ने एक ईरानी महिला के बारे में घिनौना, अपमानजनक कमेंट लिखा था। मुझे बर्दाश्त नहीं हुआ। मैंने वही प्लेटफॉर्म पर उसे जवाब दिया- और उदाहरण के तौर पर बीजेपी नेता के अश्लील वायरल वीडियो का जिक्र किया। लेकिन मुझे अंदाजा नहीं था कि इसके बाद क्या होने वाला है। उसके दोस्तों का पूरा झुंड मेरे पीछे पड़ गया। कमेंट बॉक्स गालियों से पट गया- लेकिन यह सिर्फ शुरुआत थी। अचानक उन्होंने मेरी पत्नी की तस्वीरें निकालकर पोस्ट करना शुरू कर दिया, उन पर अश्लील और बेहूदा बातें लिखीं। फिर उन्होंने मेरे बच्चों तक को नहीं छोड़ा- उनकी तस्वीरें डालकर भी फूहड़ टिप्पणियां कीं। हद तो तब पार हो गई, जब मुझे फोन आने लगे- हर कॉल में सिर्फ गालियां, धमकियां। उस रात मैंने पहली बार महसूस किया कि ऑनलाइन नफरत कैसे आपकी फोन स्क्रीन से निकलकर आपके घर के अंदर तक पहुंच सकती है। मैंने थाने में शिकायत की। सब कुछ बताया- तस्वीरें, कॉल, धमकियां। लेकिन नतीजा? कुछ नहीं। बस वही पुरानी खामोशी, जो हर बार ऐसे मामलों को निगल जाती है। यह सब अब हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन चुका है- सिर्फ मेरे लिए नहीं, बल्कि मेरे बच्चों, मेरे परिवार और पूरे समुदाय के लिए। बाहर की दुनिया में फैलती नफरत का असर घर की दीवारों तक आने में अब देर नहीं लगती। एक दिन मेरी छोटी-सी बेटी मेरे पास आई। उसकी आंखों में मासूमियत थी और उसने कहा, ‘अब्बू, क्या हिंदू बुरे होते हैं?’ उस एक लाइन ने जैसे मुझे अंदर से हिला दिया। यह वही बच्ची थी, जो अभी तक दुनिया को रंग-बिरंगी किताबों और कार्टूनों की नजर से देखती थी और आज वह ऐसा सवाल पूछ रही थी- सिर्फ इसलिए कि उसके आस-पास का माहौल और टीवी मीडिया अपनी नफरत उसके कानों तक पहुंचा चुका था। मैंने उसे तुरंत अपने पास बैठाया और कहा, ‘नहीं बेटा, अच्छा-बुरा तो इंसान होता है। कोई भी कम्युनिटी अच्छी या बुरी नहीं होती। यही बात मुसलमानों पर भी लागू होती है। हम भी इंसान हैं- हममें भी अच्छे-बुरे लोग होते हैं।’ उस पल मेरे लिए यह सिर्फ एक जवाब नहीं था- यह एक जिम्मेदारी थी। मुझे सुनिश्चित करना था कि मेरे बच्चों का मन इस झूठी, जहरीली धारणाओं से कभी न भर जाए। वे दुनिया को नफरत की नजर से नहीं, इंसानियत की नजर से देखें- भले ही दुनिया उन्हें बार-बार अलग तरह से देखने की कोशिश क्यों न करे। वसीम धीरे-धीरे बोलते हैं, जैसे हर शब्द का बोझ पहले दिल से उतर रहा हो और फिर ज़ुबान पर आ रहा हो। वह कहते हैं, ‘दरअसल ये सब अब सोशल मीडिया पर एक खुला बिजनेस बन चुका है। कुछ लोग जान-बूझकर हिंदू-मुसलमान को भिड़ाने वाले कंटेंट तैयार करते हैं, और यही कंटेंट उनके लिए कमाई का जरिया है। वे इससे लाखों रुपए कमाते हैं। और ये वीडियो सिर्फ वायरल नहीं होते- नफरत फैलाने के लिए बनाए जाते हैं। उनके पीछे पूरी मशीनरी काम करती है।’ लेकिन उनकी सबसे बड़ी चिंता है- इन वीडियो का बच्चों पर असर। वह कहते हैं, ‘मेरे मोबाइल पर अगर ऐसी रील्स आ जाएं, तो मैं उन्हें देखता भी नहीं, लेकिन मैं जानता हूं- मेरे न देखने से कुछ नहीं बदलता। ऐसे वीडियोज पर मिलियन व्यूज आते हैं। लोग देखते हैं, तभी ये कंटेंट बनते हैं।’ उनके शब्दों में एक खामोश पीड़ा है- मानो नफरत सिर्फ बनती नहीं, खरीदी भी जाती है और इसकी कीमत सबसे पहले बच्चों की मासूमियत चुकाती है। ऐसे माहौल में माता-पिता की जिम्मेदारी कई गुना बढ़ जाती है, क्योंकि नफरत सिर्फ सड़कों पर नहीं फैलती, वह बच्चों के दिमाग में भी जगह बनाने लगती है। हमें यह समझना होगा कि कोई भी पूरी कम्युनिटी बुरी नहीं होती। अगर गलतियां होती हैं, तो वे कुछ लोगों की होती हैं, लेकिन उसकी सजा अक्सर उन लाखों लोगों को मिलती है, जिनका उस गलती से कोई लेना-देना ही नहीं होता। इसीलिए हमें समझदारी, सहानुभूति और इंसानियत का रास्ता चुनना होगा। यही वह रास्ता है, जिससे हम अपने बच्चों को एक बेहतर, साफ-सुथरा, खूबसूरत समाज दे सकते हैं- जहां वे किसी पहचान से नहीं, इंसान होने से पहचाने जाएं। वाहिद शेख को 9 साल जेल में रहना पड़ा मुंबई के रहने वाले वाहिद शेख कहते हैं- ‘नफरत अब हवा में घुली हुई है। आप इसे हर गली, हर नजर, हर बातचीत में महसूस कर सकते हैं।’ वह कहते हैं, ‘दिल्ली के लालकिले के पास हुआ हालिया धमाका जैसे ही खबरों में आया, शक सबसे पहले हम पर किया गया। शक का यह बोझ इतना भारी होता है कि बिना कुछ किए भी आप खुद को अपराधी समझने लगते हैं।’ ‘कभी-कभी लगता है, हमारे नाम, हमारे चेहरे, हमारी दाढ़ी तक को लोग संदिग्ध की तरह पढ़ने लगे हैं और यही सबसे डरावनी बात है।’ वाहिद बताते हैं कि इसी माहौल की वजह से उनके साथ ज्यादती हुई। ‘मुझे 2006 मुंबई ब्लास्ट में गिरफ्तार किया गया था- एक ऐसे गुनाह में, जिसे मैंने किया ही नहीं था। और फिर शुरू हुआ मुझे 9 साल जेल में रखने का अंधेरा। 9 साल… बिना किसी सबूत के, बिना किसी गलती के जेल में रखा गया। बस इसलिए कि मेरा नाम एक मुसलमान का नाम था।’ ‘पुलिस ने उस वक्त कितने ही बेगुनाहों को पकड़कर इसी तरह फंसाया। जेल के दिन याद करते हुए उनकी आवाज भर आती है- ‘जेल में बहुत टॉर्चर किया गया। हमें कहा जाता- ‘मुसलमान देशद्रोही होते हैं, पाकिस्तान के लिए जीते हैं।’ हर रोज यह सुन-सुनकर लगता था जैसे हमारी पहचान ही अपराध बना दी गई है। वह धीरे से बताते हैं- ’जेल में मुझे नंगा किया जाता। वहां लोग मेरे प्राइवेट पार्ट की तरफ इशारा करके हंसते थे और गालियां देते थे।’ वार्डन तक नमाज पढ़ने नहीं देता था। वह रुकते हैं, फिर कहते हैं- ‘जांच एजेंसियां मुझे जबर्दस्ती चरमपंथी संगठन PFI से जोड़ना चाहती थीं। मैं बार-बार कहता कि मैंने कोई गलत काम नहीं किया है, लेकिन मेरी बात सुनने वाला कोई नहीं था। जैसे सच से ज्यादा उन्हें कहानी चाहिए थी और उस कहानी का विलेन मैं था।’ ‘जेल में टॉर्चर झेलना एक सजा थी, लेकिन उससे भी बड़ी सजा तब मिली जब मीडिया ने मेरी पहचान को उछाल-उछालकर रौंद दिया। टीवी स्क्रीन पर मेरा चेहरा चमकता और नीचे लाल पट्टी में लिखा आता- ‘आतंकवादी का साथी’। मेरा नाम जैश और लश्कर जैसे संगठनों के साथ जोड़ा जाता।’ वह कहते हैं- ‘अदालत में जब जज मेरे केस की फाइल देखते, तो उनके चेहरे पर एक ही भाव होता- उबाऊ। जैसे फैसला पहले ही हो चुका हो। बिना सुने, बिना पढ़े… और ‘अगली तारीख’ दे देते। और मैं? मैं हर तारीख पर अपनी ही बेगुनाही का गवाह बनकर खड़ा रहता।’ ‘9 साल… नौ लंबे साल, जहां हर दिन मैंने अपनी सच्चाई को साबित करने की कोशिश की, लेकिन मुझे बेल नहीं मिली।' जेल से बाहर आया तो सोचा- अब जिंदगी आसान होगी, लेकिन जिंदगी अब भी दर्द और तंज से भरी हुई है। ‘मेरे इलाके में मस्जिद की अजान बंद करवा दी गई। मैं अब समय देखकर, धीमे कदमों से मस्जिद जाता हूं। सार्वजनिक जगहों पर नमाज पढ़ने की मनाही है।' वह कहते हैं- हाल ही में, 19 साल बाद, बंबई हाईकोर्ट ने खुद कहा- ‘असली गुनहगार आज भी आजाद घूम रहे हैं और बेगुनाहों ने जेल की सजा काटी।’ इस फैसले के बाद हमारे जख्म पर थोड़ी मरहम लगी है, लेकिन जेलों में जो इतना साल सड़े, उसका क्या? वह धीमी आवाज में बताते हैं- ‘दिल्ली में हालिया ब्लास्ट के बाद तो माहौल और जहरीला हो गया है। लोग मुझे फोन कर-कर के कह रहे हैं- ‘पुलिस बिना वजह गिरफ्तार कर रही है, पूछताछ के नाम पर धमका रही है। बिना नोटिस फोटो खींच रही है… आधार, पैन, बैंक डिटेल ले रही है। जैसे किसी की पहचान ही उसके खिलाफ सबूत बन गई हो।’ फिर वह एक लंबी सांस लेते हैं- ‘मैंने तो अब खुद को घर में कैद कर लिया है। हर कमरे में कैमरे लगा दिए हैं, ताकि अगर कोई आए… तो कम से कम सच रिकॉर्ड हो जाए।’ ‘मैं आज भी उम्मीद कर रहा हूं कि एक दिन नफरत खत्म होगी। लोग फिर से भाईचारे के साथ जिएंगे। एक ऐसी दुनिया होगी, जहां किसी को उसके नाम, उसके मजहब या उसके पहनावे के आधार पर दोषी नहीं ठहराया जाएगा।’

दैनिक भास्कर 20 Nov 2025 5:24 am

स्पॉटलाइट-पाकिस्तान से आईं थी सीमा,भारत से गईं सरबजीत:सोशल मीडिया से कैसे हुआ प्यार, पाकिस्तान में नूर बनी और अब फरार; देखें वीडियो

सचिन के प्यार में पाकिस्तान से भागकर आई सीमा हैदर की तरह अब भारत की एक महिला पाकिस्तानी शख्स के प्रेम में वहां जाकर शादी कर चुकी हैं। लेकिन दोनों अब फरार है, जिनकी पाकिस्तान में तलाश जारी है। आखिर सोशल मीडिया के जरिए ये प्रेम कहानी कैसे शुरू हुई, जानने के लिए ऊपर दी गई इमेज पर क्लिक कर देखें वीडियो...

दैनिक भास्कर 20 Nov 2025 5:24 am

शादी के कार्ड छपने के बाद भड़क गए थे नीतीश:मंडप में पहली बार मंजू को देखा, ज्यादा वक्त साथ क्यों नहीं रह सके; जानिए लव स्टोरी

आखिरकार घरवालों को झुकना पड़ा। शादी के नए कार्ड छपे, जिनमें लिखा था- ‘तिलक, दहेज एवं शोषण युक्त कुप्रथाओं से मुक्त’ और ‘पुष्प-माला एवं आशीर्वचन के अतिरिक्त किसी प्रकार के उपहार का आदान-प्रदान नहीं होगा।’ नीतीश कुमार आज 10वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहे हैं। इस स्टोरी में जानेंगे उनकी पूरी लव स्टोरी… बख्तियारपुर में शुरुआती पढ़ाई के बाद नीतीश कुमार ने 1967 में पटना कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में दाखिला लिया। बचपन से ही नीतीश पढ़ाई में तेज थे और संपन्न परिवार से आते थे, इसलिए परिवार उन्हें इंजीनियर बनाना चाहता था। इंजीनियरिंग के आखिरी साल में ही परिवार वालों ने नीतीश का रिश्ता मंजू कुमारी सिन्हा से तय कर दिया। उस वक्त मंजू पटना के मगध महिला कॉलेज से सोशियोलॉजी की पढ़ाई कर रही थीं। नीतीश के कॉलेज के दिनों के दोस्त उदय कांत की किताब ‘नीतीश कुमार: अंतरंग दोस्तों की नजर से’ में मंजू के पिता कृष्णनंदन बाबू बताते हैं, 'मेरे समाज की बात तो छोड़ दीजिए, उस समय पूरे बिहार की किसी भी जाति में, मंजू जैसी बुद्धिमती बेटी के लिए नीतीश जी से अच्छा लड़का मिल ही नहीं सकता था।' नीतीश कुमार ने शादी के मंडप में पहली बार मंजू को देखा थाजब नीतीश और मंजू की शादी तय हुई तो दोनों पटना में ही पढ़ाई कर रहे थे। नीतीश कुमार: अंतरंग दोस्तों की नजर से में नीतीश के दोस्त कौशल बताते हैं, ‘मंजू को तब तक हममें से किसी ने नहीं देखा था, पर इतना पता था कि वे पटना यूनिवर्सिटी में ही सोशियोलॉजी की पढ़ाई कर रही हैं। हम तीन बदमाश दोस्त, बिना किसी को बताए सोशियोलॉजी विभाग में उन्हें देखने पहुंच गए।’ जब यूनिवर्सिटी में नीतीश के दोस्तों ने मंजू को रोकने की कोशिश की तो वह बस मुस्कुराकर वहां से चली गईं। नीतीश के दोस्तों की हरकतों से वो समझ गईं कि वे लोग उन्हें ही देखने आए हैं, इसलिए वह शर्मा कर भागने लगीं। नीतीश के दोस्तों ने मंजू को पास कर दिया था और नीतीश इस बात से काफी खुश थे। दोस्तों ने भले ही मंजू को देख लिया था, लेकिन नीतीश ने शादी के मंडप में ही पहली बार मंजू को देखा था। नीतीश की शर्तें- दहेज नहीं लूंगा और मंजू की सहमति से होगी शादी नीतीश की शादी परिवार वालों ने ही तय की थी। उन्होंने मंजू से मिले बिना ही विवाह के लिए अपनी सहमति भी दे दी थी। शादी के कार्ड बंट जाने के बाद नीतीश को पता चला कि तिलक में 22 हजार रुपए देने की बात तय हुई है। नीतीश ने बहुत पहले ही शादी में दहेज न लेने की कसम खाई थी और यह बात उनके परिवार को भी पता थी। ऐसे में जब उन्हें तिलक में पैसे लेने की बात पता चली तो वे काफी नाराज हुए। उन्होंने अपने और मंजू के परिवार से साफ कह दिया कि वे तिलक या दहेज के नाम पर कोई पैसे नहीं लेंगे। साथ ही उन्होंने शादी के लिए दो शर्तें रख दीं। पहली- जैसे मंजू के बारे में उनसे सहमति ली गई, वैसे ही मंजू से भी उनके बारे में सहमति ली जाए। दूसरी- अगर मंजू को कोई समस्या न हो तो बिना किसी तामझाम के, पारंपरिक तरीके से बारात निकाले बिना और सिर्फ करीबियों की मौजूदगी में शादी करेंगे। मंजू को इसमें कोई आपत्ति नहीं थी। इसके बाद शादी के नए कार्ड छपवाए गए। अपनी शादी के समय नीतीश कॉलेज में भी छात्र राजनीति के चलते काफी प्रचलित हो गए थे। उनकी शादी कॉलेज की यादगार शादियों में गिनी जाती है। उदय कांत अपनी किताब में लिखते हैं, ‘मैं किराए की एम्बेसडर गाड़ी पर, सारे विश्वविद्यालय में घूम-घूमकर सभी को एक विद्रोही की शादी का आमंत्रण दे आया था।’ शादी के सालभर में जेल गए नीतीश, जाली से मंजू को देखते नीतीश चाहते थे कि शादी के बाद भी मंजू अपनी पढ़ाई जारी रखें। इसलिए कुछ दिन ससुराल में रहने के बाद वे पटना लौट आईं और जीडी हॉस्टल में रहते हुए अपनी पढ़ाई पूरी की। नीतीश अक्सर मंजू से कॉलेज या हॉस्टल के बाहर मिलने जाते। कई बार रिक्शे पर उन्हें फिल्म दिखाने भी ले जाते। ‘अंतरंग दोस्तों की नजर से’ किताब के मुताबिक, ‘नीतीश उन दिनों कई रोमांटिक गाने गुनगुनाते थे। जैसे- जो बात तुझमें है, तेरी तस्वीर में नहीं... और हमने देखी है उन आंखों की महकती खुशबू...।’ एक तरफ नीतीश दांपत्य जीवन में प्रवेश कर रहे थे, दूसरी तरफ बिहार में जेपी आंदोलन जोर पकड़ रहा था। नीतीश ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी करने से इनकार कर दिया था। वे राजनीति में आना चाहते थे। उनके पिता का भी इसमें समर्थन था। इसी समय छात्र आंदोलन के दौरान नीतीश को जेल जाना पड़ा। मंजू अक्सर उनसे जेल में मिलने आतीं। उस समय की एक घटना याद करते हुए नीतीश बताते हैं, ‘गया सेंट्रल जेल का सुपरिंटेंडेंट बड़ा सख्त था। वह सप्ताह में एक बार ही परिवार से मिलने देता। वह भी जाली के आर-पार से। मंजू मुझसे मिलने आती थी। मगर हमारे दुर्भाग्य से जाली भी इतनी घनी थी कि उससे छोटी उंगली तक न निकल सके।’ पत्नी की सैलरी से घर चलता, लगातार चुनाव हार रहे थे नीतीश नीतीश की राजनीति में व्यस्तता और जेल आने-जाने के क्रम से मंजू परेशान थीं। अपने आप को व्यस्त रखने के लिए BA करने के बाद मंजू ने BEd और फिर MA कर लिया। नीतीश से शादी से पहले मंजू ने कभी पैसों का अभाव नहीं देखा था, लेकिन शादी के 12 सालों तक जब नीतीश ने कोई ढंग की नौकरी नहीं की और लगातार दो चुनाव भी हार गए, तो उनके लिए घर चलाना मुश्किल हो गया। 1982 में मंजू बिहार सरकार में शिक्षिका बन गईं। उनकी पहली नियुक्ति अपने मायके यानी सेवदह के हाईस्कूल में हुई। मंजू की नौकरी से परिवार चलाने की समस्या तो सुलझ गई, लेकिन नीतीश का परिवार दो हिस्सों में बंट गया। मंजू और बेटा निशांत सेवदह में रहते और नीतीश कभी पटना तो कभी बख्तियारपुर। दोनों लंबे वक्त तक मिल नहीं पाते थे। नीतीश राजनीति छोड़ने वाले थे, मंजू ने ढाई साल की सेविंग दे दी 1985 के विधानसभा चुनाव में नीतीश ने फैसला कर लिया था कि यह आखिरी कोशिश होगी। अगर नहीं जीतते हैं, तो फिर कभी चुनाव नहीं लड़ेंगे। किताब ‘नीतीश कुमार: अंतरंग दोस्तों की नजर से’ में दोस्त मीता बताते हैं, चुनाव लड़ने के लिए नीतीश के पास पैसे नहीं थे। तब मंजू भाभी ने अपनी ढाई साल की सेविंग्स उठाकर नीतीश को सौंप दी। उस वक्त ये 20 हजार रुपए नीतीश को डूबते के लिए तिनके का सहारा साबित हुए। दो चुनावों में हार के बाद 1985 में नीतीश ने लोकदल की तरफ से हरनौत विधानसभा सीट पर जीत दर्ज की। चुनाव जीतने के बाद जब नीतीश बख्तियारपुर अपने घर पहुंचे तो खूब धूम-धाम से उनका स्वागत हुआ, लेकिन उनकी आंखें पत्नी मंजू को खोज रही थीं जो इस वक्त अपने मायके सेवदह में थीं। पत्नी से मिलने आधी रात मोटरसाइकिल से निकल पड़े नीतीश पत्नी से मिलने को आतुर नीतीश रात में ही एक साथी के साथ मोटरसाइकिल पर सेवदह के लिए निकल गए। वह होली के एक दिन पहले की रात थी। हुड़दंग के डर से कई लोगों ने नीतीश को जाने से मना भी किया, लेकिन वे नहीं माने। नीतीश के साथ सेवदह पहुंचे दोस्त मुन्ना सरकार के मुताबिक, भाभी जी रात से ही नेताजी की प्रतीक्षा कर रही थीं। जैसे ही नेताजी घर पहुंचे उन्हें देखकर भाभी जी पहले मुस्कुराईं, फिर अचानक शरमाती हुई हमारी आवभगत की तैयारी में लग गईं। विधायक बनने के बाद नीतीश को पटना में रहने के लिए फ्लैट मिला। तब मंजू ने भी अपना ट्रांसफर पटना करा लिया। शादी के इतने सालों बाद नीतीश, मंजू और उनका बेटा निशांत साथ रहने लगे। नीतीश हर दिन व्यस्त होने के बावजूद खुद मंजू को स्कूल छोड़ने जाते। पत्नी को दिल्ली में नौकरी दिलाने में गड़बड़ी के आरोप लगे उदय कांत अपनी किताब ‘नीतीश कुमार: अंतरंग दोस्तों की नजर से’ में लिखते हैं- '5 साल साथ रहने के बाद नीतीश और मंजू को फिर एक-दूसरे से दूर रहना पड़ा। दरअसल, 1989 में नीतीश लोकसभा का चुनाव जीतकर दिल्ली पहुंच गए। मंजू ने भी बिहार सूचना केंद्र, नई दिल्ली में अपनी प्रतिनियुक्ति करवा ली। यह खबर बिहार के अखबारों में छप गई और नीतीश पर पत्नी को दिल्ली बुलाने के लिए नियम तोड़ने के आरोप लगे। इन आरोपों से परेशान होकर नीतीश ने तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को पत्र लिखकर मंजू की प्रतिनियुक्ति रद्द करने की विनती की। मंजू फिर पटना लौट गईं। नीतीश को जब भी दिल्ली के काम से फुरसत मिलती, पत्नी और बेटे से मिलने पटना चले जाते। जब मंजू की छुट्टियां होतीं, वो बेटे को लेकर दिल्ली चली जातीं। नीतीश के काम के चलते बार-बार घर बदलने और फिर से गृहस्थी जमाने से मंजू हमेशा परेशान रहती थीं। साल 2005 में नीतीश मुख्यमंत्री बने, लेकिन मुख्यमंत्री आवास चार महीने बाद मिला। तब तक मंजू अपने बेटे निशांत के साथ मायके में रहती थीं और नीतीश सरकारी इंतजाम वाले घर में अकेले रहते थे।' मंजू ने कहा था- रिटायरमेंट के बाद साथ रहेंगे, लेकिन ऐसा हो न सका 2007 में जब मंजू को निमोनिया हुआ, तो नीतीश उन्हें दिल्ली के मैक्स अस्पताल इलाज के लिए ले गए। यहां पूरे समय नीतीश, मंजू के साथ ही रहते थे। अस्पताल में नीतीश अक्सर मंजू के पास बैठकर उनके साथ समय न बिता पाने का अफसोस करते। तब मंजू कहतीं कि मेरे रिटायरमेंट के बाद हम सभी साथ रहेंगे। उस समय मंजू के रिटायरमेंट में पांच साल बाकी थे। वे 2012 में रिटायर होने वाली थीं, लेकिन रिटायरमेंट से पहले ही 14 मई, 2007 को मंजू ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। पत्रकार अरुण पांडे के मुताबिक, ‘अपनी पत्नी की मौत पर नीतीश कुमार फूट-फूटकर रोए थे।’ बाद में नीतीश ने मंजू के नाम पर पटना के कंकड़बाग में मंजू कुमारी स्मृति पार्क और स्मारक बनवाया। अब हर साल नीतीश अपनी पत्नी की पुण्यतिथि पर इस स्मारक पर जाते हैं और फूल चढ़ाते हैं। ---------------- ये स्टोरी भी पढ़िए... शाहनवाज की हिंदू प्रेमिका से साध्वी उमा ने कराई शादी: DTC बस में प्यार हुआ; BJP नेता बने बाराती, आडवाणी का दामाद कहते थे विपक्षी एक रोज BJP सांसद उमा भारती ने युवा मोर्चा के सैयद शाहनवाज हुसैन की चुटकी लेते हुए कहा कि शाहनवाज, दिल्ली में लड़कियों से संभलकर रहना। शाहनवाज ने शर्माते हुए जवाब दिया, 'दीदी, मैं तो नहीं बच पाया। मेरे जीवन में कोई है।' लड़की का नाम सुनते ही उमा बोल पड़ीं- 'तुम्हारी शादी धूमधाम से तो नहीं हो पाएगी।' पूरी स्टोरी पढ़िए

दैनिक भास्कर 20 Nov 2025 5:22 am

जब नीतीश पर इनाम घोषित हुआ, कनपटी चूमकर निकली गोली:कभी बिहार में मोदी की एंट्री रोकी; 10वीं बार CM बन रहे नीतीश के किस्से

नीतीश कुमार रिकॉर्ड 10वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहे हैं। कभी कॉलेज में लालू यादव के लिए पोस्टर चिपकाए, कभी पुलिस की गोली से बाल-बाल बचे और कभी पत्नी से मिलने की ऐसी उत्सुकता की आधी रात बाइक दौड़ा दी; नीतीश की जिंदगी के ऐसी ही रोचक किस्सों को हमने 12 ग्राफिक्स में समेटा है… **** ग्राफिक्स: द्रगचंद्र भुर्जी, अजीत सिंह, और अंकुर बंसल ------ ये स्टोरी भी पढ़िए... प्रशांत किशोर पर छापे क्यों नहीं पड़ते: मोदी के एक फोन पर UN की नौकरी छोड़ी, 6 साल में 6 सीएम बनवाए; PK की पॉलिटिक्स क्या है 12वीं करने के बाद 3 साल पढ़ाई छोड़ दी। नरेंद्र मोदी की कॉल पर यूनाइटेड नेशंस की नौकरी छोड़ दी। मोदी के पीएम बनने के बाद नीतीश के साथ गए। 6 साल में 6 सीएम बनवाने वाला ये शख्स अब खुद बिहार जीतने निकला है। कहता है- इस बार अर्श पर रहूंगा या फर्श पर। विरोधी कहते हैं वो बीजेपी की ‘B-टीम' हैं। पूरी खबर पढ़िए... ----------- क्या आप हैं बिहार के एक्सपर्ट? खेलिए और जीतिए 2 करोड़ तक के इनाम बिहार से जुड़े 3 आसान सवालों के जवाब दीजिए और जीतिए 2 करोड़ तक के इनाम। रोज 50 लोग जीत सकते हैं आकर्षक डेली प्राइज। लगातार खेलिए और पाएं लकी ड्रॉ में बंपर प्राइज सुजुकी ग्रैंड विटारा जीतने के मौके। क्विज अभी खेलने के लिए यहां क्लिक करें - https://dainik.bhaskar.com/vkQR1zsokWb

दैनिक भास्कर 20 Nov 2025 5:20 am

यूक्रेन: देश के सबसे बड़े भ्रष्टाचार घोटाले में फंसे दो मंत्रियों का इस्तीफा संसद ने मंजूर किया

यूक्रेन की संसद ने ऊर्जा और न्याय मंत्री, दोनों को उनके पदों से हटाने के लिए मतदान किया

देशबन्धु 20 Nov 2025 5:20 am

अल-फलाह यूनिवर्सिटी की ‘सीक्रेट’ पार्किंग, आने-जाने वाली गाड़ियां किसकी:मरे लोगों की जमीन हड़पी, 415 करोड़ का फर्जीवाड़ा; क्या है जवाद का तरबिया फाउंडेशन

दिल्ली के कालिंदी कुंज थाने से करीब 300 मीटर दूर कच्चे रास्ते से गुजरने के बाद जेजे कॉलोनी, राजनगर आती है। ये मदनपुर खादर एरिया है। कॉलोनी में सामने एक बड़ा गेट है। हाल ही में उस पर काला पेंट किया गया है। गेट के पास वाली दीवार पर लिखा है- अल-फलाह यूनिवर्सिटी, फरीदाबाद। पहले गेट पर भी ये लिखा था, लेकिन दिल्ली बम ब्लास्ट के बाद उसे पेंट कर छिपा दिया गया है। अल-फलाह वही यूनिवर्सिटी है, जिसका नाम फरीदाबाद टेरर मॉड्यूल से जुड़ा है। इसी मॉड्यूल से जुड़े डॉ. उमर ने 10 नवंबर को लाल किले के पास कार में ब्लास्ट किया था, जिसमें 15 लोग मारे गए। 18 नवंबर को ED ने यूनिवर्सिटी के चेयरमैन जवाद अहमद सिद्दीकी को मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार कर लिया। उन पर फर्जी तरीके से मान्यता लेने और 415 करोड़ रुपए का फर्जीवाड़ा करने का आरोप है। ये भी पता चला है कि यूनिवर्सिटी के अलावा जवाद अहमद के नाम पर 9 फर्जी कंपनियां हैं। दैनिक भास्कर ने इन कंपनियों की पड़ताल शुरू की। कागजों पर दर्ज पते तलाशते हुए हम जेजे कॉलोनी पहुंचे। यहां जवाद अहमद के नाम पर रजिस्टर्ड फाउंडेशन है। पता चला कि ये जमीन मर चुके लोगों के फर्जी साइन करके हड़पी गई थी। इसका केस कोर्ट में है। हम इस जमीन के मालिकों से भी मिले। कॉलोनी के लोगों ने बताया कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी की गाड़ियां यहां आती थीं। लोगों में डर, बोले- रोज रात में कारें आती थीं पड़ताल के दौरान हमें जवाद अहमद सिद्दीकी के नाम पर रजिस्टर्ड तरबिया एजुकेशन फाउंडेशन का पता चला। इसका रजिस्ट्रेशन 21 दिसंबर 2012 को हुआ था। इसमें दो डायरेक्टर हैं, जवाद अहमद सिद्दीकी और सूफियान अहमद सिद्दीकी। हमें पता चला कि ये फाउंडेशन दिल्ली के मदनपुर खादर के आसपास है। हम पहले कालिंदी कुंज थाने पहुंचे। यहां लोगों से इस जगह के बारे में पूछा। कई लोग अल-फलाह यूनिवर्सिटी का नाम सुनते ही बात करने के लिए तैयार नहीं हुए। आखिर में एक बुजुर्ग महिला राजी हो गईं। वे बताती हैं, ‘यहां रोज स्कूल की गाड़ियां आती हैं। कभी-कभी शाम को अंधेरा होने के बाद कारें भी आती हैं। पास में श्मशान घाट की जमीन है। उसी की जमीन पर ये फाउंडेशन बना है। पहले इसके गेट पर नाम लिखा था। दिल्ली में ब्लास्ट के बाद इसे हटा दिया। एक-दो दिन पहले ही गेट को पूरा काला कर दिया।’ यहीं हमें एक और शख्स मिले। वे डर की वजह से नाम नहीं बताते। हमने पूछा कि इस गेट पर क्या लिखा था। ये प्रॉपर्टी किसकी है। जवाब मिला, ‘गेट पर कोई नाम लिखा था। यहां यूनिवर्सिटी की गाड़ियां लगती हैं। इस जमीन पर केस भी चल रहा है।’ हमने पूछा कि दिल्ली में ब्लास्ट के बाद जिस यूनिवर्सिटी का नाम आया था, क्या ये प्रॉपर्टी उसी से जुड़ी है? इस पर वे कहते हैं, ‘आप दीवार पर नाम पढ़ लो। साफ लिखा है।’ इस बातचीत से दो जानकारियां मिलीं। एक कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी की गाड़ियां इस जगह खड़ी की जाती थीं और दूसरी कि ये जमीन विवादित है। केयरटेकर बोला- ये जवाद अहमद का तरबिया फाउंडेशन हैहम काले रंग से पोते गए गेट पर पहुंचे। एक शख्स ने थोड़ा गेट खोला और बात करने लगा। वो केयरटेकर था। हमने कहा कि अंदर आना है। उसने जवाब दिया- गेट खोलने से मना किया गया है। हमने पूछा कि इस जगह का नाम क्या है? केयरटेकर ने बताया तरबिया एजुकेशन फाउंडेशन के नाम से है। गेट पर काला रंग कब हुआ है? जवाब मिला- 3-4 दिन पहले। फिर बोला- इससे ज्यादा बात नहीं करूंगा। बातचीत के दौरान केयरटेकर बार-बार चेहरा छिपाने की कोशिश करता रहा। हमने पूछा कि क्या ये जवाद अहमद सिद्दीकी का है। जवाब मिला- हां जी, उन्हीं का है। आरोप- मर चुके 30 लोगों के फर्जी साइन कराकर प्रॉपर्टी हड़पी ये बात साफ हो गई कि तरबिया फाउंडेशन अल-फलाह यूनिवर्सिटी के चेयरमैन जवाद अहमद सिद्दीकी का ही है। इसके बाद हमने जमीन विवाद की पड़ताल शुरू की। करीब 3-4 किमी घूमने और लोगों से बात करने के बाद हमें पीड़ित मिल गए। कोर्ट में जमीन का केस कुलदीप सिंह बिधूड़ी लड़ रहे हैं। हमने उनसे पूरे विवाद के बारे में पूछा। कुलदीप सिंह प्रॉपर्टी से जुड़े डॉक्यूमेंट दिखाते हुए कहते हैं, ‘हमारी मदनपुर खादर एक्सटेंशन में प्रॉपर्टी है। उसका खसरा नंबर 792 है। वह हमारे परिवार की जॉइंट प्रॉपर्टी है। वहां मेरे परिवार की और भी प्रॉपर्टी हैं।' '2015 में पता चला कि कुछ लोगों ने तरबिया एजुकेशन फाउंडेशन के नाम पर रजिस्ट्री करा दी है। वहां बाउंड्री करा रहे हैं।’ ‘मेरे परिवार के नत्थू सिंह का निधन 1972 में हो गया था। उनके नाम से 2004 में नकली GPA यानी जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी बनवाई। 2004 की GPA से 2013-14 में तरबिया एजुकेशन फाउंडेशन के नाम पर रजिस्ट्री करा दी। डॉ. जवाद अहमद सिद्दीकी उस फाउंडेशन का चेयरमैन है।’ ‘हमें फर्जीवाड़े का पता चला, जब हमने रजिस्ट्री के कागजात निकलवाए। हमारे परिवार और आसपास के कई लोगों के नकली साइन कराकर रजिस्ट्री कराई गई थी। 25 से 30 ऐसे लोग हैं, जिनके नाम पर 2004 में नकली GPA बनवाई गई। ये लोग 2004 से पहले मर चुके थे। उनकी तीसरी पीढ़ी को प्रॉपर्टी ट्रांसफर हो चुकी है। इसके बाद भी जमीन अपने नाम करा ली।’ ‘तरबिया एजुकेशन फाउंडेशन जवाद अहमद सिद्दीकी का है। हमने 2015 में उनके खिलाफ थाने में शिकायत की। इसके बाद मुझे कई बार धमकी दी गई। मैंने कहा कि आप मुझे गोली मार दो, तभी चुप हो पाऊंगा, वर्ना लड़ाई लड़ता रहूंगा।’ विदेशी फंडिंग की जांच के लिए PMO को लेटर लिखा, लेकिन एक्शन नहींकुलदीप सिंह आगे बताते हैं, ‘जिस तरह मुझे धमकी दी गई, हमारे साथ फर्जीवाड़ा किया गया, पुलिस अधिकारियों से शिकायत पर भी कार्रवाई नहीं होती थी, पैसों में हेराफेरी हुई, उससे शक हो गया था कि तरबिया फाउंडेशन को गलत तरीके से फंडिंग हो रही थी।’ ‘मैंने 2015 में इसकी शिकायत PMO में की। कहा कि तरबिया एजुकेशन फाउंडेशन की फंडिंग की जांच होनी चाहिए। इन्हें इतनी फंडिंग कहां से आ रही है। उन्होंने मेरे एडवोकेट को भी मैनेज कर लिया था। मैंने अपने बेटे को वकालत की पढ़ाई करवाई। अब वही एडवोकेट बनकर केस देख रहा है। आतंकियों के नेटवर्क का अल-फलाह यूनिवर्सिटी से कनेक्शन का पता चला है, तब से डर और बढ़ गया है।’ हमने पूछा कि अभी केस की क्या स्थिति है? कुलदीप कहते हैं, ‘आरोपियों के खिलाफ FIR हुई थी। उन्होंने कोर्ट में जाकर केस रुकवा दिए। हम इसके खिलाफ हाईकोर्ट चले गए। तब धमकाने के लिए मेरे ऊपर भी FIR की गई। दूसरे कई लोगों पर FIR दर्ज करा दी गई।’ मरने वालों के डेथ सर्टिफिकेट जारी, उनके भी फर्जी साइन कराएकुलदीप के आरोपों की पड़ताल के लिए हमने रजिस्ट्री विभाग की सर्टिफाइड कॉपी देखी। वे शिकायतें भी देखीं, जो फर्जीवाड़े के खिलाफ की गई थीं। इस दौरान स्टांप विभाग का 24 जून, 2013 का डॉक्यूमेंट मिला। इस पर मदनपुर खादर के खसरा नंबर-792 की रजिस्ट्री है। कुल 1.146 एकड़ जमीन को 75 लाख रुपए में लेने का जिक्र है। ये जमीन 58 अलग-अलग लोगों के नाम पर थी, जिनसे जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी बनवाकर विनोद कुमार नाम के शख्स ने जवाद अहमद को बेची थी। इस बारे में जानने के लिए हम नत्थू सिंह के परपोते धर्मेंद्र से मिले। वे कहते हैं, ‘तरबिया एजुकेशन फाउंडेशन ने हमारे साथ फ्रॉड किया है। मेरे परदादा नत्थू सिंह की 1972 में डेथ हो गई थी। उनके चार बेटे थे। उनके बड़े बेटे लालचंद की 1987 में डेथ हो गई थी। दूसरे बेटे लिक्खी राम भी अब दुनिया में नहीं हैं।' 'तीसरे बेटे रामपाल सिंह की 2012 में डेथ हुई थी। चौथे बेटे बाबू सिंह ने जवाद सिद्दीकी से सेटलमेंट कर लिया। उन्होंने बाकी तीन भाइयों का जिक्र ही नहीं किया और फर्जी तरीके से जमीन ले ली। हम लड़ाई लड़ रहे थे।’ धर्मेंद्र के परिवार से जुड़े बिजेंद्र कुमार बताते हैं, ‘मैं लाल चंद का बेटा हूं। मेरे दादा नत्थू सिंह की मौत 1972 में हुई तो 2004 में उनके साइन कैसे हो गए। ये फर्जीवाड़ा जवाद अहमद ने किया है।’ ‘अंग्रेजी में साइन करता हूं, मेरे नाम से हिंदी में साइन कर जमीन हड़प ली’ यहीं रहने वाले भगत सिंह बताते हैं, ‘हमारी जमीन जेजे कॉलोनी में थीं। पता चला कि मेरे जाली साइन करके जमीन तरबिया फाउंडेशन को बेच दी गई है। हमने पुलिस में केस किया। इसके बाद तरबिया फाउंडेशन की तरफ से कई लोग आए। हमें धमकी देने लगे। एक का नाम डॉ. अब्बास करके कुछ था।’ ‘हम 5 भाई हैं। सभी के जाली साइन करके जमीन हड़प ली गई। एक भाई का नाम प्रेम सिंह है। उनका नाम देवा सिंह लिखा है।’ साकेत कोर्ट ने जांच रोकी, दो सिविल केस जारी, हाईकोर्ट में केस पेंडिंगइस पूरे मामले पर हमने कोर्ट से जानकारी जुटाई। पता चला कि कोर्ट ने जांच पर रोक लगा दी है। हालांकि, केस रद्द नहीं हुआ है। पीड़ित कहते हैं कि हम कोर्ट से जांच कर कार्रवाई की मांग करेंगे। कोर्ट में अल-फलाह यूनिवर्सिटी की तरफ से पैरवी करने वाले एडवोकेट मोहम्मद रजी से हमने केस के स्टेटस और फर्जीवाड़े के बारे में पूछा। हालांकि उन्होंने कहा मैं ये केस नहीं देख रहा हूं। इस बारे में हमने अल-फलाह यूनिवर्सिटी से भी जानकारी मांगी है। उनका बयान मिलते ही स्टोरी में जोड़ेंगे। इसके बाद हमने पीड़ितों के वकील दीपक से बात की। वे कहते हैं, ‘इस फर्जीवाड़े में सिविल और क्रिमिनल दोनों केस चल रहे हैं। क्रिमिनल केस में एक FIR 2015 की और दूसरी 2021 की है। ये केस साकेत कोर्ट में चल रहे थे। बाद में क्रिमिनल केस में कोर्ट ने जांच पर रोक लगा दी।’ ‘इसके खिलाफ हमने दिल्ली हाईकोर्ट में अपील की है। इसी तरह दो सिविल केस भी चल रहे हैं। फर्जी तरीके से साइन कराकर जमीन की रजिस्ट्री कराने का मामला है। इसमें रजिस्ट्री रद्द कराने का मामला चल रहा है। ये अभी पेंडिंग है।’ 7 साल में अल-फलाह यूनिवर्सिटी ने कमाए 415 करोड़ रुपएअब तक की जांच में पता चला है कि अल फलाह यूनिवर्सिटी ने सात साल में 415 करोड़ रुपए की कमाई की है। यूनिवर्सिटी से जुड़ी 9 शेल कंपनियां भी मिली हैं। एक ही पैन नंबर से सभी का लेनदेन हो रहा था। साफ है कि सभी का काम एक ही ट्रस्ट से हो रहा था। ED ने 18 नवंबर को अल-फलाह यूनिवर्सिटी के फाउंडर जवाद अहमद सिद्दीकी को मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बाद सिद्दीकी को एडिशनल सेशन जज शीतल चौधरी प्रधान के सामने पेश किया गया। कोर्ट ने उन्हें 13 दिन की कस्टडी में भेज दिया। ED ने कोर्ट में बताया कि 2018-19 और 2024-25 के बीच अल-फलाह यूनिवर्सिटी ने करीब 415.10 करोड़ रुपए की कमाई हुई। ED का तर्क है कि ये रकम उस वक्त कमाई गई जब यूनिवर्सिटी ने गलत तरीके से मान्यता ले रखी थी। इस तरह ये कमाई अपराध है। ED ने अल-फलाह ग्रुप के खिलाफ दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की तरफ से दर्ज दो FIR के आधार पर जांच शुरू की थी। इनमें आरोप लगाया गया था कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी ने छात्रों और अभिभावकों को धोखा देने के लिए NAAC मान्यता के बारे में झूठे दावे किए हैं। यह यूनिवर्सिटी अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट चलाता है। अल-फलाह यूनिवर्सिटी के 10 लोग लापता, दिल्ली ब्लास्ट से जुड़े होने का शकदिल्ली में लाल किले के पास हुए कार ब्लास्ट के बाद अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े 10 लोग लापता हैं। उनके फोन भी बंद है। जांच एजेंसी को शक है कि ये सभी ब्लास्ट में शामिल हो सकते हैं। वहीं जांच एजेंसियों ने खुलासा किया है कि विस्फोटक से भरी कार उड़ाने वाला डॉ. उमर नबी अपने जैसे और सुसाइडल बॉम्बर तैयार करने की साजिश रच रहा था। इसके लिए वह वीडियो बनाकर युवाओं को भेजता था। दिल्ली ब्लास्ट में अब तक डॉ. मुजम्मिल, डॉ. आदिल और डॉ. शाहीन समेत 8 लोग गिरफ्तार किए गए हैं। इनके अलावा अलफलाह यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाला डॉ. उमर कश्मीर के पुलवामा का रहने वाला है। दिल्ली में ब्लास्ट वाली कार उमर ही चला रहा था। ......................................दिल्ली ब्लास्ट से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें ब्लास्ट की साजिश का अड्डा अल-फलाह का रूम नंबर-13 दिल्ली कार ब्लास्ट में डॉक्टर टेटर मॉड्यूल के बाद अगर सबसे ज्यादा चर्चा में है, तो वो फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी है। यहीं बिल्डिंग नंबर-17 का रूम नंबर-13 वो जगह है, जहां बड़े हमले को अंजाम देने की साजिश रची जा रही थी। डॉ. उमर और मुजम्मिल ने यहीं बैठकर फंडिंग से लेकर विस्फोटक जुटाने तक का प्लान बनाया और उस पर काम किया। पढ़िए पूरी खबर

दैनिक भास्कर 20 Nov 2025 5:19 am

बसवाराजू से हिड़मा तक, 2 अफसरों से हारा नक्सलवाद:‘सरेंडर या एनकाउंटर' पॉलिसी से डरे नक्सली, 2100 का सरेंडर; 477 ढेर

21 मई, 2025 की सुबह बसवाराजू और 18 नवंबर की सुबह माड़वी हिड़मा, नक्सलियों के दो सबसे बड़े लीडर मारे गए। इन दोनों एनकाउंटर के बाद दावा किया जा रहा है कि नक्सलवाद अब खात्मे की तरफ है। 19 नवंबर को पोलित ब्यूरो मेंबर देवजी भी मारा गया। नक्सलियों के खिलाफ चल रहे इस ऑपरेशन में पिछले 10 साल काफी अहम रहे। छत्तीसगढ़ के दो अफसरों ने नक्सलियों के खिलाफ जारी इस ऑपरेशन की दिशा बदल दी। पहले हैं रिटायर्ड DIG डीएम अवस्थी, जो 2015 में नक्सल डीजी बने। दूसरे बस्तर रेंज के IG पी. सुंदरराज, जो 2016 से लगातार नक्सल ऑपरेशन से जुड़े हैं। पहले ने जमीन तैयार की, दूसरे ने एक्शन लिया। आखिर ये सब कैसे हुआ, दैनिक भास्कर ने छत्तीसगढ़ सरकार में मौजूद अपने सोर्स, डीएम अवस्थी और पी सुंदरराज से बात करके नक्सलियों के सरेंडर के पीछे की रणनीति समझी। सरेंडर या एनकाउंटर, नक्सलियों के सामने दो ही ऑप्शन17 अक्टूबर 2025 को छत्तीसगढ़ के बड़े नक्सली लीडर टी वासुदेव राव उर्फ रूपेश ने सरेंडर कर दिया। रूपेश पर 1 करोड़ रुपए का इनाम था। उसके साथ 140 और नक्सलियों ने भी सरेंडर किया। हालांकि ये सब इतना सीधा नहीं, जितना दिखता है। दैनिक भास्कर के भरोसेमंद सोर्स के मुताबिक सरेंडर से दो दिन पहले बस्तर रेंज के IG पी सुंदरराज रूपेश से मिले थे। करीब दो घंटे बात हुई। सोर्स का ये भी दावा है कि इसी मुलाकात के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने भी रूपेश से फोन पर बात की। नक्सली लीडर ने कुछ शर्तें भी रखीं, जिसके बाद सरेंडर की प्रोसेस हुई। रूपेश के सरेंडर से दो दिन पहले 15 अक्टूबर को मोजुल्ला वेणुगोपाल उर्फ भूपति ने गढ़चिरौली में सरेंडर किया था। उस पर छत्तीसगढ़ सरकार ने 1 करोड़ का इनाम रखा था। दावा है कि रूपेश और भूपति कॉन्टैक्ट में थे और सरेंडर का फैसला दोनों ने मिलकर लिया था। रूपेश और भूपति के अलावा पिछले करीब दो साल में 2100 नक्सली सरेंडर कर चुके हैं। इनमें सेंट्रल कमेटी के 6 मेंबर थे। इसी दौरान 477 नक्सली एनकाउंटर में ढेर कर दिए गए। नक्सल लीडर रूपेश के सरेंडर की इनसाइड स्टोरी एंटी नक्सल ऑपरेशन से जुड़े एक सोर्स ने हमें रूपेश के सरेंडर की पूरी कहानी सुनाई। उन्होंने बताया, ‘सरेंडर से दो दिन पहले रूपेश अपने गढ़ बीजापुर से जगदलपुर आया। सरेंडर से पहले रूपेश ने कुछ शर्तें भी रखी थीं। इसमें आदिवासी मूल मंच पर लगा बैन हटाने की मांग भी थी। शर्तें मान ली गईं और दो दिन बाद ही रूपेश ने सरेंडर का ऐलान कर दिया।' सोर्स आगे कहते हैं, ‘इस कहानी का सबसे अहम पहलू ये है कि इतना बड़ा नक्सली लीडर जगदलपुर तक पी सुंदरराज के संदेश पर उनसे मिलने आ जाता है, तो ये बहुत बड़ी बात है। यानी सुंदरराज पर उसे इतना भरोसा था। उसे इस बात को लेकर जरा भी डर या आशंका नहीं हुई कि कहीं उसका एनकाउंटर न हो जाए या फिर उसे गिरफ्तार न कर लिया जाए।‘ ‘सुंदरराज ने रूपेश को जिस भरोसे के साथ बुलाया था, उसी भरोसे और सुरक्षा के साथ वापस भी भेज दिया। ये कोई छोटी घटना नहीं थी। पहली बार किसी नक्सली लीडर ने सुरक्षाबलों पर इतना भरोसा जताया था।‘ अब बात उन दो अफसरों की, जिन्होंने नक्सलियों के खात्मे की रणनीति बनाईअफसर: रिटायर्ड IPS डीएम अवस्थीक्या किया: नक्सलवाद के खात्मे में आ रही मुश्किलें दूर कींडीएम अवस्थी 2015 के आखिर में DG नक्सल बने। वे बताते हैं, '2014 में देश में नई सरकार बनी थी। 2015 के नवंबर में एक मीटिंग हुई। उस वक्त राजनाथ सिंह गृह मंत्री थे। नक्सलवाद खत्म करने को लेकर मीटिंग में निर्देश मिले। कहा गया कि वे मुद्दे और लूपहोल्स तलाशने हैं, जो नक्सलवाद के खात्मे में रोड़ा बन रहे हैं। मुझे नक्सल DG बनाया गया और सुंदरराज को नक्सल DIG। हमने मिलकर टीम बनाई। इसमें CRPF के कुछ अधिकारी भी थे।' 'मैं DG बना, तब नक्सलियों के हौसले बढ़े हुए थे। 2013 में ही उन्होंने झीरम घाटी में कांग्रेस काफिले पर हमला किया था। बीच में कुछ और भी हमले किए थे।' 2000 से 2015 तक नक्सलवाद की हिस्ट्री खंगाली, 3 बातें सामने आईं… 1. सुरक्षा बलों की इंटेलिजेंस यूनिट कमजोर है।2. नक्सली इलाकों में हमारी मौजूदगी नहीं है, इसलिए फोर्स डॉमिनेट नहीं कर पा रही।3. नक्सलवाद से प्रभावित इलाकों में फर्जी मुठभेड़ और अत्याचार के आरोप लग रहे थे। इसलिए आदिवासी समुदाय सुरक्षाबलों को दुश्मन मानता रहा। कमजोरियां पता चलीं, तो नक्सलवाद खत्म करने की स्ट्रैटजी पर काम शुरू1. नक्सलियों की जमीन पर सुरक्षाबलों के कैंप लगने शुरू हुएनक्सलियों के गढ़ में पहुंचने के लिए सुरक्षाबलों को 40-50 किमी जंगल के अंदर जाना पड़ता था। हमने तय किया कि ये दूरी 5 किलोमीटर से ज्यादा नहीं रहेगी। सुरक्षाबलों ने नए कैंप बनाने शुरू किए। हर 20-30 किलोमीटर पर एक कैंप का टारगेट रखा गया। 2. कनेक्टिविटी के लिए सड़कें बनींतय हुआ कि घने जंगलों को कनेक्ट करने के लिए सड़कें बनेंगी। कॉन्ट्रैक्टर्स से संपर्क किया। सड़कों के ठेकों के साथ उन्हें सुरक्षा भी दी गई। इस दौरान कई कॉन्ट्रैक्टर्स और इंजीनियर्स की हत्याएं भी हुईं। ये दुखद था, लेकिन सड़कें बनती रहीं। ऐसे हम नक्सलियों के गढ़ के करीब पहुंचे। 3. मानवाधिकार उल्लंघन के मामले आए तो खैर नहीं सुरक्षाबलों को सख्ती के साथ आदेश दिया गया कि नक्सलवाद से प्रभावित इलाकों में अतिरिक्त सतर्कता और संवेदनशीलता बरती जाए। जवानों पर निर्दोष लोगों पर अत्याचार करने के आरोप थे। फर्जी मुठभेड़ के मुकदमे चल रहे थे। लिहाजा आदेश दिया गया कि सुरक्षाबलों में से कोई भी किसी निर्दोष को तंग नहीं करेगा। अगर किसी के खिलाफ शिकायत आई तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। हर सिपाही पर इमेज सुधारने का दबाव था क्योंकि मानवाधिकार के आरोपों के उल्लंघन के मुकदमों में सुरक्षाबल लगातार फंसे रहते थे और असली मकसद पर काम नहीं हो पाता था। 4. मजबूत इंटेलिजेंस यूनिट बनाईफोर्स के सबसे जरूरी हिस्से यानी इंटेलिजेंस यूनिट को मजबूत किया गया। नक्सली इलाकों में रहने वाले आदिवासियों से जुड़ने की प्रक्रिया शुरू हुई। इन इलाकों में अंदर तक जवानों के कैंप बन रहे थे तो यहां रहने वाली यूनिट के लिए दूध, सब्जियां और रोजमर्रा की जरूरतों के लिए लोगों की जरूरत थी। हमने ये काम लोकल लोगों को दिया। पहला तो उन्हें काम मिला और दूसरा वो हमसे जुड़ने लगे। इनमें से कई हमारी इंटेलिजेंस यूनिट का मजबूत हिस्सा बने। हमें इंटेलिजेंस यूनिट से रियल टाइम जानकारी मिलने लगी। फिर नक्सलियों का गढ़ रहे इलाकों में स्कूल बनाए गए। कैंप में आदिवासियों के इलाज का इंतजाम हुआ। महिलाओं की डिलीवरी तो न जाने कितनी बार हुईं। आम लोगों और फौज के बीच भरोसे का पुल बना। आदिवासी औरतें खासतौर पर बीमारी या डिलीवरी के वक्त कैंप में तैनात महिला बल से संपर्क करने लगीं। 5. नक्सलियों से मुकाबले के लिए जवानों को ट्रेनिंग दी मिजोरम के वैरांगटे आर्मी ट्रेनिंग स्कूल में छत्तीसगढ़ की DRG (डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड) की टीमों को ट्रेनिंग के लिए भेजा गया। उधर, छत्तीसगढ़ की पुलिस (STF) को हमने आंध्र प्रदेश की ग्रेहाउंड पुलिस यूनिट के पास ट्रेनिंग के लिए भेजा। ये वो पुलिस यूनिट थी, जिसे दुनियाभर में नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन में विशेषज्ञता के लिए जाना जाता है। करीब साल भर अलग-अलग यूनिट्स को ट्रेनिंग दी गई। 2016 खत्म होते-होते हमारी ट्रेंड फौज तैयार थी। 6. CRPF की 8 बटालियन टर्निंग पॉइंट बनीं2018 में दिल्ली के नॉर्थ ब्लॉक में एक मीटिंग हुई। इसमें नक्सल डीजी, IB और गृह सचिव मौजूद थे। इस मीटिंग में डीएम अवस्थी भी थे। वे बताते हैं, 'हमने बताया कि हम मकसद के बहुत करीब हैं, लेकिन इसे पूरा करने के लिए और फोर्स चाहिए। हमारी मांग तुरंत पूरी की गई और हमें CRPF की 8 बटालियन दे दी गईं।’ अवस्थी कहते हैं, ‘इन बटालियन का हमारे साथ आना टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। नक्सली इलाकों में कैंप बनाने की रफ्तार तेज हुई। अब जवानों को नक्सलगढ़ तक पहुंचने के लिए 30-40 किमी नहीं बल्कि मुश्किल से 5 किमी का सफर करना पड़ता था।' 'हम नक्सलियों के इलाकों पर कब्जा करके वहां जवानों के कैंप बना रहे थे। 2016 से 2021 तक मेरे छत्तीसगढ़ DGP रहते हुए करीब 250 कैंप बन चुके थे।' 7. 2023 में डेडलाइन तय, गृह मंत्री बोले-2026 तक नक्सलवाद खत्म करोडीएम अवस्थी बताते हैं, '2023 में देश के गृहमंत्री ने बैठक ली और डेडलाइन दी। कहा कि मार्च 2026 तक नक्सलवाद खत्म करना है। वे हर महीने ऑपरेशन की मॉनिटरिंग करते हैं। रिव्यू होता है। ट्रेंड फौज, आम आदिवासियों का भरोसा और पॉलिटिकल विल तीनों हमारे पास थे। यही ऑपरेशन की वो सीढ़ी थी, जो हमें कामयाबी के करीब ले गई।' डीएम अवस्थी कहते हैं, ‘रणनीति बनाने की शुरुआत से लेकर आखिर तक मौजूदा बस्तर रेंज के IG पी सुंदरराज पहले ADG के रूप में, फिर IG के रूप में अहम भूमिका में रहे।’ अफसर: पी. सुंदरराज, IG बस्तर रेंजक्या किया: नक्सल ऑपरेशन की स्ट्रैटजी बनाने से लेकर एक्शन की जिम्मेदारीएंटी नक्सल ऑपरेशन में शामिल एक अफसर नाम न छापने की शर्त पर बताते हैं, 'बस्तर रेंज के IG पी सुंदरराज की सबसे बड़ी खासियत ये है कि उन्हें सिंघम बनने की चाहत नहीं है। वे मीडिया से बात करते हैं, लेकिन खुद को ग्लोरीफाई करने के लिए नहीं बल्कि जितना जरूरी है, बस उतनी सूचना देने के लिए।' डीएम अवस्थी भी मानते हैं कि सुरक्षाबलों के बीच तालमेल बैठाना, हर छोटी से छोटी बात पर गहराई से सोचना और तुरंत एक्शन लेना पी सुंदरराज की खासियत है। डीएम अवस्थी कहते हैं, 'मैं नक्सल DG था, तब सुंदरराज DIG थे। करीब 2 साल (2016 से 2018) मेरे साथ इसी पद पर रहे। स्ट्रैटजी बननी शुरू हुई, तो सुंदरराज की काबिलियत देखते हुए उनकी भूमिका बदल दी गई। तब से आज तक वे दोहरी जिम्मेदारी निभा रहे हैं।' 'पहले नक्सल ऑपरेशन और नक्सल इंटेलिजेंस के लिए दो अलग-अलग अधिकारी होते थे। सुंदरराज को एक साथ दोनों काम दिए गए क्योंकि सुंदरराज पहले दिन से स्ट्रैटजी का हिस्सा थे।' उस वक्त बस्तर रेंज के आईजी विवेकानंद सिन्हा थे। डीएम अवस्थी कहते हैं, 'विवेकानंद को 3 साल हो चुके थे। अब किसी और को IG बस्तर बनाना था। मैं DG नक्सल से छत्तीसगढ़ DGP बन चुका था। मैंने मुख्यमंत्री को 2019 में रिकमेंड किया कि अब सुंदरराज को IG का चार्ज देना चाहिए क्योंकि वे शुरू से इस ऑपरेशन का हिस्सा हैं। किसी नए IG को इस ऑपरेशन में जोड़ना कंटिन्यूटी तोड़ना होगा।' फिर सुंदरराज को IG का चार्ज सौंप दिया गया। करीब डेढ़ साल तक उन्होंने IG की जिम्मेदारी संभाली। 2021 में उन्हें प्रमोट कर दिया गया। ऐसे वे करीब 6 साल से IG का कार्यभार संभाल रहे हैं। उसके 4 साल पहले से वे नक्सल ऑपरेशन के लिए स्ट्रैटजी बनाने वाली कोर टीम में थे। सुंदरराज को 2016 में दोहरी जिम्मेदारी मिली थी, वो आज तक उनके पास ही है। सरेंडर कर चुका एक नक्सली सुंदरराज के बारे में कहता है, 'सरकार भले कहती रहे कि हम नक्सलियों से बात नहीं करेंगे, लेकिन सुंदरराज हमसे बात करते थे। वो हमें डराते नहीं, समझाते थे। हमने सरेंडर किया क्योंकि हमें IG पर भरोसा था कि वे धोखा नहीं देंगे।' सुंदरराज बोले- मैं हीरो नहीं, ये कम्युनिटी पुलिस-महिला बल का कमालहमने इस बारे में पी सुंदरराज से भी बात की। सुंदरराज 2003 बैच के IPS अधिकारी हैं। वे तमिलनाडु से हैं, लेकिन उनका कैडर छत्तीसगढ़ है। सुंदरराज कहते हैं, 'मैं कोई हीरो नहीं, पूरी फोर्स ही हीरो है। खासतौर पर कम्युनिटी पुलिस और महिला सुरक्षा बल।' सुंदरराज इतना कहकर चुप हो गए। हमने उनसे पूछा सरेंडर के लिए आप नक्सलियों को कैसे मना रहे हैं? वे जवाब देते हैं, 'उनका भरोसा जीता। हमारी कम्युनिटी यानी सिविक (नागरिक) पुलिस लगातार आदिवासियों के बीच उठती-बैठती है। महिला सुरक्षा बल ने आदिवासी महिलाओं का भरोसा जीता। उनकी बीमारी से लेकर डिलीवरी तक हमारे कैंप की मेडिकल टीम उनकी मदद करती है। हमारे सुरक्षाबलों पर अब मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप नहीं लगते।' हमने पूछा- कई बड़े नक्सलियों ने सरेंडर से पहले आपके ऑफिस में मुलाकात की। उन्हें ये भरोसा कैसे दिलाया कि वे आएंगे तो उनका एनकाउंटर नहीं होगा, न वे गिरफ्तार होंगे? बात बदलते हुए उन्होंने जवाब दिया, 'ऑपरेशन की गोपनीयता के लिए हम इस पर कोई बात नहीं कर सकते। इस विश्वास को बनाने में समाज के कई लोग भागीदार हैं। मैं उनका नाम नहीं ले सकता। यहां तक पहुंचने में हमारी फौज की कई टीमें लगीं और हमने कई साल खर्च किए।' सुंदरराज कहते हैं, पत्रकार, सोशल एक्टिविस्ट, आदिवासी समाज के प्रमुख जैसे गांवों के मुखिया इस अभियान का हिस्सा हैं। ये सारे नाम गोपनीय हैं और आपको नहीं बता सकते। एनकाउंटर का डर खत्म हुआ तो नक्सली लौट आएबस्तर रेंज के पूर्व IG शिवराम प्रसाद कल्लूरी जून 2017 में रिटायर हुए, तो उनके खिलाफ मानवाधिकार उल्लंघन और फर्जी मुठभेड़ के मुकदमों की लंबी लिस्ट थी। बीच में विवेकानंद सिन्हा का कार्यकाल शांत रहा। फिर कार्यकारी IG के तौर पर 2019 के आखिर में ही IPS सुंदरराज पट्टालिंगम को नक्सल ऑपरेशन की जिम्मेदारी मिली। छत्तीसगढ़ के सीनियर जर्नलिस्ट आलोक पुतुल उनके दौर को लेकर कहते हैं, ‘पहले ने नारा दिया था, शैतान से निपटने के लिए उसके ही तरीके अपनाने होंगे। ये वो दौर था, जब फर्जी मुठभेड़ आम बात थी। बस्तर रेंज के IG रहते हुए पी. सुंदरराज ने हर पक्ष का भरोसा जीता।' 'मैं पुख्ता तौर पर कह सकता हूं कि नक्सलियों के एक बहुत बड़े धड़े को मुख्यधारा से जुड़ने के लिए जिस मौके का इंतजार था, वो उन्हें पी. सुंदरराज ने दिया। कल्लूरी अपने हर मानवाधिकार उल्लंघन के मामले को जस्टिफाई करते थे। सुंदरराज फर्जी मुठभेड़ या मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप लगने पर अपनी फौज से सवाल करते हैं।' 'सुंदरराज की दूसरी सबसे बड़ी खासियत है सभी पक्षों की सुनना, बिना किसी इफ एंड बट के। सरकार भले कहती रही कि बंदूक छोड़ो, तब बात करेंगे, लेकिन सुंदरराज ने बिना शर्त अपना दरवाजा बातचीत के लिए खुला रखा। वे पत्रकारों, समाजसेवियों, आदिवासियों को टारगेट पर नहीं लेते बल्कि उनके साथ मिलकर काम करते हैं।' .......................................ये खबर भी पढ़ेंथ्री-लेयर सिक्योरिटी में रहने वाला नक्सली हिड़मा कैसे फंसा 18 नवंबर की सुबह सबसे बड़े नक्सली माड़वी हिड़मा को छत्तीसगढ़-आंध्र प्रदेश बॉर्डर पर मारेडुमिल्ली जंगल में एनकाउंटर के दौरान मार गिराया गया। उसकी पत्नी मडकम राजे उर्फ रजक्का और 4 अन्य नक्सलियों को भी ढेर कर दिया गया। थ्री लेयर सिक्योरिटी में रहने वाला हिड़मा पिछले 2 दशक में हुए 26 से ज्यादा बड़े नक्सली हमलों का मास्टरमाइंड रहा है। पढ़िए उसके एनकाउंटर की पूरी स्टोरी...

दैनिक भास्कर 20 Nov 2025 5:19 am

देश में 5 ब्लास्ट करने वाला भी अल–फलाह का स्टूडेंट:2007 में बीटेक किया, उसी साल गोरखपुर में धमाका, अब तक फरार

देश में 5 बार ब्लास्ट करने वाला आतंकी मिर्जा शादाब बेग भी फरीदाबाद की अल–फलाह यूनिवर्सिटी का ही स्टूडेंट है। ये खुलासा दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की रिपोर्ट से हुआ है, जिसकी कॉपी भास्कर के पास है। 10 नवंबर को दिल्ली के लाल किला के पास ब्लास्ट करने वाला आतंकी डॉ उमर नबी भी यहां प्रोफेसर था। भास्कर ने जब यूनिवर्सिटी की पड़ताल की तो पता चला कि, बीते 18 सालों से फरार आतंकी मिर्जा शादाब बेग ने इसी यूनिवर्सिटी से 2007 में बीटेक किया था। इन्वेस्टिगेशन के दौरान हमारे हाथ दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की वो खुफिया रिपोर्ट लगी, जिसमें शादाब की आतंकी घटनाओं का लेखाजोखा है। ब्लास्ट के बाद दिल्ली पुलिस ने यूनिवर्सिटी के खिलाफ दो FIR दर्ज की हैं। ED की छापेमारी चल रही है। NAAC का शोकॉज नोटिस जारी हो चुका है। गिरफ्तारियां और 70 से ज्यादा लोगों से पूछताछ चल रही है। सिलसिलेवार तरीके से जानिए बेग किन–किन आतंकी घटनाओं में शामिल रहा जयपुर ब्लास्ट, मई 2008 बेग ही विस्फोटक इकट्‌ठा करने उडुपी गया था मिर्जा शादाब बेग यूपी के आजमगढ़ का रहने वाला है। यह इंडियन मुजाहिदीन का अहम सदस्य रहा है। 2008 में जयपुर में हुए सीरियल ब्लास्ट में शामिल था। विस्फोटों को अंजाम देने के लिए बेग ही विस्फोटक इकट्ठा करने के लिए कर्नाटक के उडुपी गया था। उडुपी में, रियाज भटकल और यासीन भटकल को बेग ने बड़ी संख्या में डेटोनेटर और बेयरिंग दिया, जिसका इस्तेमाल IED तैयार करने में किया गया। कहा ये भी जाता है कि इंस्ट्रूमेंटेशन इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के चलते बेग बम बनाने की इंजीनियरिंग से अच्छी तरह वाकिफ था। अहमदाबाद–सूरत ब्लास्ट, जुलाई 2008 15 दिन पहले अहमदाबाद पहुंचा था 2008 में गुजरात के अहमदाबाद और सूरत में ब्लास्ट हुए थे। इसमें भी बेग शामिल था। धमाके से 15 दिन पहले अहमदाबाद पहुंचा था। पहले पूरे शहर की रेकी की थी। कयामुद्दीन कपाड़िया, मुजीब शेख और अब्दुल रजीक के साथ तीन टीमें बनाईं। अब्दुल रजीक की टीम में आतिफ अमीन और मिर्जा शादाब बेग भी शामिल थे। बेग ने ही धमाके के लिए सारा लॉजिस्टिक जुटाया था। धमाकों से पहले बेग बम तैयार करता था और ट्रेनिंग भी देता था। गोरखपुर ब्लास्ट, 2007 सिलसिलेवार धमाके किए थे 2007 में गोरखपुर में हुए सिलसिलेवार बम विस्फोटों में बेग का नाम शामिल है। इन विस्फोटों में छह लोग घायल हुए थे। गोरखपुर पुलिस ने इंडियन मुजाहिद्दीन यानी IM से नाम जुडने के बाद इसकी संपत्ति कुर्क कर ली थी। सितंबर 2008 में इंडियन मुजाहिदीन के उजागर होने के बाद से ही बेग देश भर में बम विस्फोटों को अंजाम देने के आरोप में आज तक फरार है और दिल्ली, जयपुर अहमदाबाद और गोरखपुर के सिलसिलेवार बम विस्फोटों में नाम आने के बाद इस पर एक लाख का इनाम भी घोषित किया गया था। सूत्रों के मुताबिक, 2019 में बेग अंतिम बार अफगानिस्तान में लोकेट हुआ था, अब तक हाथ नहीं आया है। दिल्ली ब्लास्ट से अफगानिस्तान के चलते जुड़ रहा कनेक्शन बेग नए लड़कों को भर्ती करने के लिए रेडिकलाइज करने में भी माहिर था। इस बात का जिक्र खुफिया रिपोर्ट में भी है। 10 अक्टूबर 2025 को दिल्ली में हुए ब्लास्ट में भी गिरफ्तार डॉ मुजम्मिल शकील भी ट्रेनिंग के लिए अफगानिस्तान गया था। ये दोनों अल–फलाह से ही पासआउट हैं। एक सीनियर ऑफिसर नाम न छापने की बात पर कहते हैं कि, दिल्ली धमाकों में बेग के शामिल होने से इंकार नहीं किया जा सकता। 2007 और 2008 में हुए धमाके और हालिया लाल किला धमाके में कोई कनेक्शन निकल सकता है। इंजीनियरिंग बंद, 2019 में एमबीबीएस प्रोग्राम शुरू किए अल-फलाह स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के तौर पर शुरू हुई थी, जिसे बाद में इसे हरियाणा प्राइवेट यूनिवर्सिटीज अमेडमेंट एक्ट-2014 के तहत यूनिवर्सिटी का दर्जा दिया। 70 एकड़ में फैले इसके कैंपस में होस्टल, लैब और मेडिकल कॉलेज हैं। इसकी नई हॉस्पिटल बिल्डिंग का इसी साल जनवरी में ही इनॉगरेशन हुआ है। यहां 2019 में MBBS प्रोग्राम शुरू हुए। 2022 में यहां से लास्ट बैच निकला। इसके बाद यूनिवर्सिटी में इंजीनियरिंग की पढ़ाई बंद कर दी गई। यूनिवर्सिटी में कश्मीर, मेवात और माइनोरिटी कम्युनिटी के स्टूडेंट्स ने बड़ी संख्या में दाखिला लिया। यूनिवर्सिटी का चेयरमैन गिरफ्तार ED ने अल फलाह ग्रुप के चेयरमैन जवाद अहमद सिद्दीकी को गिरफ्तार किया है। यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून (PMLA) 2002 की धारा 19 के तहत हुई है। दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच ने दो FIR दर्ज की थीं। इनमें आरोप है कि फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी ने झूठा दावा किया कि उसे नेशनल असेसमेंट एड एक्रेडिटेशन काउंसिल (NAAC) से मान्यता मिली हुई है, जबकि ऐसा कुछ नहीं था। यूनिवर्सिटी ने यह भी झूठ बोला कि उसे UGC की धारा 12(B) के तहत मान्यता मिली है और सरकारी ग्रांट मिल सकती है। जबकि UGC ने साफ किया कि यूनिवर्सिटी सिर्फ धारा 2(f) में रजिस्टर्ड है, उसने 12(B) के लिए आवेदन ही नहीं किया। इन झूठे दावों से स्टूडेंट्स, पैरेंट्स और आम लोगों को ठगा गया। लाखों-करोड़ों रुपए की फीस वसूली गई। अल फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट 1995 में बना था। जवाद अहमद सिद्दीकी इसके पहले ट्रस्टी और मैनेजिंग ट्रस्टी हैं। यही सब कुछ कंट्रोल करते हैं। कई आतंकी पकड़े गए थे लेकिन बेग फरार हो गया दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के पूर्व DCP एलएन राव कहते हैं, 'इंडियन मुजाहिदीन का आतंकी मिर्जा शादाब बेग देश के कई धमाकों में शामिल रहा है। साल 2007 में उसने फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी। उसी साल देश में हुए सीरियल ब्लास्ट में उसका नाम सामने आया था। ब्लास्ट से जुड़े इंडियन मुजाहिदीन के कई आतंकी पकड़े गए, लेकिन मिर्जा शादाब बेग फरार था।' एल. एन. राव के अनुसार, 'अफगानिस्तान लंबे समय से आतंकियों का ट्रेनिंग हब रहा है। अब तक जितने भी बड़े आतंकी पकड़े गए, उनमें से ज्यादातर ने हथियारों की ट्रेनिंग वहीं से ली थी। दिल्ली ब्लास्ट की जांच में भी यही एंगल उभरकर सामने आ रहा है ऐसे में संभावना है मिर्जा शादाब बेग से संबंध हो सकता है, क्योंकी दोनों एक ही कॉलेज से पढ़े हैं।' यूनिवर्सिटी के चेयरमैन, दो डॉक्टर, मौलवी गिरफ्तार अल फलाह यूनिवर्सिटी से अब तक डॉक्टर डॉ मुजम्मिल शकील, डॉ शाहीन सईद, यूनिवर्सिटी परिसर में मौजूद मस्जिद का इमाम मौलवी इस्तियाक, डॉक्टर जावेद अहमद सिद्दकी, लैब असिस्टेंट बाशीद और इलेक्ट्रिशियन शोएब गिरफ्तार हुए है। जांच एजेंसियों ने आतंकी मॉड्यूल से जुड़े डॉ. निसार उल हसन की डॉक्टर पत्नी और MBBS कर रही बेटी को यूनिवर्सिटी कैंपस में ही हाउस अरेस्ट किया है। इसके अलावा 70 से अधिक लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है। (इस पूरे घटनाक्रम कि शुरूआत 19 अक्टूबर को नौगाम में जैश-ए-मोहम्मद के पोस्टर से होती है, मामले कि जांच के दौरान पहले मौलवी इरफान अहमद पकड़ा गया, जो कि शोपियां, कश्मीर में एक मस्जिद का इमाम है, उससे पूछताछ के बाद जम्मू कश्मीर पुलिस फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी में चल रहे आतंक मॉड्यूल तक पहुंचती है।) ....................................... आप ये इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट भी पढ़ सकते हैं विदेशी लड़कियों को हाथ–पैर बांध, पीटकर बना रहे सेक्स वर्कर:बॉस के चंगुल में फंसाते हैं; उज्बेक, तुर्कमेनिस्तान की लड़कियां टारगेट पर ‘मैं उज्बेकिस्तान की रहने वाली हूं। नौकरी की तलाश में थी। इंस्टाग्राम पर एक लड़की से दोस्ती हुई। उसने दुबई आने को कहा। बोली– एक गर्भवती महिला है, उसके बच्चे को संभालने का काम है।’ ‘मैं उस पर यकीन कर दुबई पहुंची। फिर कहा गया कि, आपको किसी दूसरे शहर में रहना होगा। यह बोलकर मुझे नेपाल ले गए। फिर एक आदमी नेपाल से भारत ले आया।’ पूरी खबर पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें...।

दैनिक भास्कर 20 Nov 2025 5:19 am

चीन की अमेरिका ने खोली पोल, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान 'राफेल' गिराने की फैलाई थी अफवाह

India-China Rafale :अमेरिका की रिपोर्ट में कहा गया कि चीन ने नकली सोशल मीडिया अकाउंट्स का इस्तेमाल किया, जिसमें एआई और वीडियो गेम की तस्वीरों की मदद से दिखाया कि कैसे उसके हथियारों ने राफेल को मलबे में तब्दील कर दिया. रिपोर्ट ने यह भी कहा गया कि चीन ने मौके का फायदा उठाकर अपने हथियारों का प्रदर्शन किया.

ज़ी न्यूज़ 19 Nov 2025 11:16 pm

एपस्टीन फाइल्स पर सवाल से तिलमिलाए ट्रंप, महिला रिपोर्टर को कहा 'चुप पिग्गी'

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का विवादों से गहरा नाता है। एपस्टीन फाइल को लेकर विवादों में घिरे ट्रंप ने अब महिला रिपोर्टर को कुछ ऐसा कह दिया कि जिसकी खूब चर्चा हो रही है

देशबन्धु 19 Nov 2025 10:04 pm

China Taiwan News: अमेरिका ने आग में डाल दिया घी! जापान-चीन में टकराव के बीच ताइवान को बेच दिया ये जंगी सामान

China Taiwan Latest News in Hindi: जापान और चीन के बीच जारी टकराव के दरम्यान अमेरिका ने आग में घी डालने का काम कर दिया है. यूएस ने ताइवान को 700 मिलियन डॉलर का ऐसा जंगी सामान बेच दिया है, जो चीनी विमानों को हवा में ही कबाड़ बना सकता है.

ज़ी न्यूज़ 19 Nov 2025 9:54 pm

लूट से लूव्र म्यूजियम ने लिया सबक, बढ़ाई गई सुरक्षा; जल्द 100 CCTV कैमरों से लैस होगा संग्रहालय

France: लूव्र म्यूजियम में हाल ही में हुई लूट के बाद सुरक्षा बढ़ाने के लिए 100 सीसीटीवी कैमरे लगाने का निर्णय लिया गया है. साथ ही एक उन्नत पुलिस स्टेशन भी स्थापित किया जाएगा. बता दें कि 19 अक्टूबर को हुई लूट में 10.2 करोड़ डॉलर के गहने चोरी हो गए थे.

ज़ी न्यूज़ 19 Nov 2025 7:42 pm

200, 300 करोड़ नहीं...2000 करोड़ से भी ज्यादा में बिका ये पोट्रेट, ऐसा भी क्या है इसमें खास?

World Most Expensive Painting:1914-1916 का यह फोटो क्लिम्ट की उन कुछ कलाकृतियों में से एक है जो दूसरे विश्व युद्ध के बाद भी बरकरार हैं. कम से कम छह कलेक्टर्स के बीच 20 मिनट तक बोली लगी रही. ओलिवर बार्कर नीलामी करने वाले थे, जिन्होंने सोथबी के नए ब्रेउर बिल्डिंग हेडक्वॉर्टर के खचाखच भरे कमरे में नीलामी की अगुआई की.

ज़ी न्यूज़ 19 Nov 2025 7:16 pm

पहले स्पेस क्राइम मामले में आया सबसे बड़ा ट्विस्ट, पत्नी पर आरोप लगाने वाली महिला ने फोड़ा नया बम

Science News: वर्डेन ने गुरुवार को लॉ एन्फोर्समेंट एजेंसियों से झूठ बोलने के दो मामलों में अपना अपराध स्वीकार कर लिया. 2019 में, वर्डेन ने दावा किया था कि मैकक्लेन ने जनवरी में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर रहते हुए उनके पासवर्ड का अनुमान लगाया और उनके बैंक खाता खोल लिया.

ज़ी न्यूज़ 19 Nov 2025 5:09 pm

Trump-Musk News: एक-दूसरे को फूटी आंख नहीं सुहाते हैं ट्रंप और मस्क, अचानक सामने आ गए तो देखिए कैसा था रिएक्शन

Donald Trump-Elon Musk News: ट्रंप और एलन मस्क के रिश्ते पिछले कुछ अरसे से काफी तनाव भरे रहे हैं. दोनों ने कई बार एक दूसरे पर व्यंग्य के तीर चलाए हैं. ऐसे में जब दोनों अचानक आमने-सामने मिले तो नजारा देखने लायक था.

ज़ी न्यूज़ 19 Nov 2025 5:00 pm

बांग्लादेश : चुनाव आयोग ने नेशनल सिटिजन पार्टी को राजनीतिक पार्टी का दिया दर्जा

बांग्लादेश के चुनाव आयोग (ईसी) ने अगले साल होने वाले चुनाव से पहले नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) को आधिकारिक तौर पर एक राजनीतिक दल के रूप में पंजीकृत कर लिया है

देशबन्धु 19 Nov 2025 3:48 pm

ताइवान विवाद को लेकर चीन और जापान के रिश्तों में आई खटास, जापानी सीफूड पर लगाया बैन

ताइवान को लेकर चीन और जापान के बीच रिश्तों में इस कदर कड़वाहट आ गई है कि बात सीफूड बैन तक पहुंच गई है। बुधवार को जापानी और चीनी मीडिया रिपोर्ट्स ने इसका दावा किया

देशबन्धु 19 Nov 2025 2:40 pm

'17 साल से चल रहा 'बेतुका नाटक' बंद करो...' भारत ने UN सुरक्षा परिषद सुधार पर लगा दी सबकी क्लास, 'वीटो' पर क्या कहा?

भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में सुधार की बातचीत को खुलकर “हास्यास्पद और बेकार नाटक” बता दिया है. भारत की उप-स्थायी प्रतिनिधि योजना पटेल नेने कहा कि 17 साल से जो अंतर-सरकारी वार्ता (IGN) चल रही है, वो बस बयानबाजी का चक्कर है. नतीजा शून्य है.

ज़ी न्यूज़ 19 Nov 2025 2:22 pm

कीबोर्ड पर सूखा खून, फिर भी नहीं बच सका कातिल; 2922 दिन बाद खुला राज, कैसे सॉल्व हुई इंटरनेशनल मर्डर मिस्ट्री?

America News: साल 2017 में US में हुए एक भारतीय महिला और उसके बेटे की हत्या के राज खुलासा हुआ है. एक लैपटॉप के जरिए इसका पर्दाफाश हुआ है. जानिए पुलिस कैसे कातिल तक पहुंची है.

ज़ी न्यूज़ 19 Nov 2025 2:12 pm

बांग्लादेश के चुनावी मैदान में नए प्लेयर NCP की एंट्री, कहा- बैलेट या बुलेट दोनों के लिए तैयार हैं

बांग्लादेश चुनाव आयोग ने फरवरी में होने वाले चुनावों से पहले एक और पार्टी को राजनीतिक पार्टी का दर्जा दे दिया दिया है. EC के सीनियर सेक्रेटरी अख्तर अहमद ने बताया कि आयोग ने NCP के साथ-साथ बांग्लादेश समाजतनत्रिक दल (मार्क्सिस्ट) को भी पंजीकरण प्रदान कर दिया है.

ज़ी न्यूज़ 19 Nov 2025 12:23 pm

सऊदी क्राउन प्रिंस सलमान कर रहे थे ट्रंप से मुलाकात, अचानक ओसामा बिन लादेन की क्यों करने लगे बात?

MBS US Visit: अपने अमेरिका दौरे के दौरान मोहम्मद बिन सलमान ने ओसामा बिन लादेन को लेकर भी बड़ी बात कही. उन्होंने पत्रकारों के सवाल-जवाब के दौरान ट्रंप को रोककर बताया कि ओसामा बिन लादेन का क्या मकसद था:

ज़ी न्यूज़ 19 Nov 2025 12:00 pm

ऑस्ट्रेलिया में चलती कार ने भारतीय महिला को मारी टक्कर, मौके पर मौत; 8 महीने की थी गर्भवती

Indian Woman Killed In Australia Car Crash: ऑस्ट्रेलिया में एक गर्भवती महिला कीस कार एक्सीडेंट में दर्दनाक मौत हो गई. महिला अपने परिवार के साथ टचहल रही थी और तभी उसे एक गाड़ी से टक्कर लग गई.

ज़ी न्यूज़ 19 Nov 2025 11:50 am

दुनिया का सबसे डरावना एयरपोर्ट! हवा में 47 डिग्री का मोड़, इमारतों के इतने करीब से गुजरते विमान

Most Dangerous Airport: यूं तो दुनिया में एक से एक डरावने प्लेसेज हैं, यहां के डरावने किस्से रातों की नींद उड़ा देते हैं. कई जगहें तो ऐसी हैं जहां पर सालों से कोई गया ही नहीं है. लेकिन आज हम आपको हॉन्ग-कॉन्ग के एक ऐसे एयरपोर्ट (Kai Tak Airport) के बारे में बता रहे हैं जहां पर हवाई जहाज उतारने में बड़े-बड़े पायलट्स का गला सूख जाता है.

ज़ी न्यूज़ 19 Nov 2025 11:41 am

महिला पत्रकार पर कमेंट कर खुद ट्रोल हो गए ट्रंप, याद आया 29 साल पुराना मिस यूनिवर्स वाला कांड

Donald Trump: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एयरफोर्स वन में पत्रकारों से बातचीत करते हुए एक महिला जर्नलिस्ट से कुछ ऐसा कह दिया कि लोगों ने उन्हें ही ट्रोल कर दिया और आलोचना शुरू कर दी.

ज़ी न्यूज़ 19 Nov 2025 10:48 am

'भारतीयों-यहूदियों से नफरत करते हैं ममदानी'; क्या उनके पास नेतन्याहू को गिरफ्तार करने की शक्तियां हैं?

Eric Trump on Zohran Mamdani: न्यूयॉर्क के नवनिर्वाचित मेयर जोहरान ममदानी को लेकर ट्रंप के बेटे ऐरिक ट्रंप ने कहा कि वो हिंदुस्तानियों और यहूदियों से नफरत करते हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि वो नेतन्याहू को गिरफ्तार करने की बात करते हैं.

ज़ी न्यूज़ 19 Nov 2025 9:29 am

Epstein Files में यौन अपराधों के ऐसे कौन से राज छुपे हैं? जिनको ट्रंप समेत हर कोई दबाना चाहता है

Jaffery Epstein Files:नाबालिग लड़कियों का यौन शोषण किया और बड़े-बड़े ताकतवर लोगों को भी इसमें शामिल करने के आरोपी जेफ्री एप्स्टीन से जुड़ी फाइलें अब खुलने वाली हैं, क्योंकि अमेरिकी सीनेट ने इसको हरी झंडी दिखा दी है. चलिए जानते हैं कि आखिर यह पूरा मामला है क्या?

ज़ी न्यूज़ 19 Nov 2025 7:00 am

स्पॉटलाइट-जब शराब को जूस-पैकेट समझ बैठे सुुप्रीम कोर्ट के जज:किस मामले में कोर्ट में पेश हुई शराब, क्या सुप्रीम कोर्ट लगाएगा रोक, देखें वीडियो

सुप्रीम कोर्ट में एक केस की सुनवाई के दौरान वकीलों ने व्हिस्की का टेट्रापैक पेश किया तो जज चौंक गए. उन्हें यकीन नहीं हुआ कि शराब टेट्रापैक में भी बिकती है. आखिर मामला क्या है और कोर्ट ने सरकार से क्या पूछा, जानने के लिए ऊपर दी गई इमेज पर क्लिक करें.

दैनिक भास्कर 19 Nov 2025 5:24 am

घुसपैठ को लेकर अमेरिका का बड़ा ऑपरेशन, नॉर्थ कैरोलिना में 130 लोग गिरफ्तार

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पॉलिसी इलीगल इमिग्रेंट्स को लेकर सख्त रही है. इस बार उनके प्रशासन के फेडरल एजेंट्स ने नॉर्थ कैरोलिना में बड़ा ऑपरेशन चलाकर 130 लोगों को अरेस्ट किया.

ज़ी न्यूज़ 19 Nov 2025 5:20 am

हमारे मेहमान को शर्मिंदा न करें पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या पर MBS से रिपोर्ट ने पूछा सवाल, भड़क गए ट्रंप

जैसा की उम्मीद की जा रही थी, वैसा ही हुआ. जब डोनाल्ड ट्रंप और मोहम्मद बिन सलमान एक साथ प्रेस के सामने आए तो एक रिपोर्टर ने एमबीएस से त्रकार जमाल खशोगी की हत्या को लेकर सवाल पूछ दिया.

ज़ी न्यूज़ 19 Nov 2025 4:26 am

थ्री-लेयर सिक्योरिटी में रहने वाला नक्सली हिड़मा कैसे फंसा:मुखबिर से खबर मिली, ग्रेहाउंड फोर्स ने घेरकर मार गिराया; एनकाउंटर की इनसाइड स्टोरी

'नक्सली माड़वी हिड़मा और उसके बॉडीगार्ड बारसे देवा के आत्मसमर्पण के लिए 10 नवंबर को छत्तीसगढ़ के डिप्टी CM और गृह मंत्री विजय शर्मा ने आखिरी कोशिश की थी। डिप्टी CM रायपुर से करीब 550 किलोमीटर का सफर तय कर सुकमा जिले के उस गांव पहुंचे थे, जहां हिड़मा और देवा की मां रहती हैं।' 'विजय शर्मा की सलाह पर दोनों की मांओं ने एक वीडियो के जरिए आत्मसमर्पण की अपील भी की। लेकिन 3-4 दिन बाद छत्तीसगढ़ नक्सल ऑपरेशन की टीम को मुखबिरों से पता चला कि हिड़मा ने मां की गुहार नकार दी है। जाहिर था अगर हिड़मा सरेंडर नहीं करेगा तो उसका सबसे करीबी और बॉडीगार्ड देवा भी नहीं करेगा।' नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन में शामिल एक सोर्स ने बताया उसके बाद ये तय हो गया कि हिड़मा के आतंक को खत्म करने का एनकाउंटर ही एक रास्ता है। इन सबके 8 दिन बाद 18 नवंबर की सुबह माड़वी हिड़मा को छत्तीसगढ़-आंध्र प्रदेश बॉर्डर पर मरेडमिल्ली जंगल में एनकाउंटर के दौरान मारा गिराया गया। उसकी पत्नी मडकम राजे उर्फ रजक्का और 4 अन्य नक्सलियों को भी ढेर कर दिया गया। हिड़मा पिछले 2 दशक में हुए 26 से ज्यादा बड़े नक्सली हमलों का मास्टरमाइंड रहा है। इनमें 2010 का दंतेवाड़ा हमला भी शामिल है, जिसमें 76 CRPF जवान शहीद हुए थे। इसके अलावा 2013 में झीरम घाटी हमला और 2021 सुकमा-बीजापुर हमले में भी हिड़मा की भूमिका रही है। हिड़मा को सरेंडर के ऑफर देने से लेकर एनकाउंटर के बीच इन 8 दिनों में क्या हुआ, हिड़मा की लोकेशन फोर्स को कब और कैसे मिली, थ्री-लेयर सिक्योरिटी में रहने वाले इनामी नक्सली को कैसे मार गिराया गया। पढ़िए हिड़मा के एनकाउंटर की इनसाइड स्टोरी में… तेलंगाना की जगह आंध्र बॉर्डर चुनना हिड़मा की गलतीनक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन में शामिल ऑफिशियल सोर्स से दैनिक भास्कर ने बात कर एनकाउंटर की पूरी कहानी समझी। हमने पूछा कि जिस हिड़मा की लोकेशन का इतने सालों से पता नहीं चल सका, उसके बारे में 8 दिन के अंदर कैसे पता लगा लिया गया? इस पर सोर्स ने बताया, ‘ऐसा नहीं है कि हिड़मा की लोकेशन फोर्स को कभी पता ही नहीं लगी थी। कई बार हिड़मा की क्लियर कट लोकेशन फोर्स तक पहुंची लेकिन उसकी इंटेलिजेंस यूनिट हमसे तेज थी। फोर्स के पहुंचने से पहले वो भाग निकलता था।‘ ‘इस बार फोर्स ज्यादा सतर्क थी। लोकेशन मिलने पर फोर्स उसके भागने से पहले वहां पहुंच गई। हिड़मा की बदकिस्मती ये भी थी कि इस बार मूवमेंट के लिए उसने करीब के बॉर्डर की जगह दूर का बॉर्डर चुना। तेलंगाना की जगह उसने आंध्रप्रदेश के जंगलों का रास्ता चुना। वहां भी आंध्र प्रदेश की एंटी नक्सल पुलिस यूनिट 'ग्रेहाउंड' हिड़मा की तलाश में मौजूद थी।' वे आगे बताते हैं, 'हिड़मा बस्तर का रहने वाला था। बस्तर के सुकमा जिले से आंध्र प्रदेश और तेलंगाना दोनों के बॉर्डर लगते हैं। वो जब भी भागता था तो तेलंगाना का बॉर्डर पार कर राज्य बदलता था। तेलंगाना करीब है जबकि आंध्र दूर पड़ता है। इस बार हिड़मा ने आंध्र को चुना, शायद वो चकमा देना चाहता था। साथ में उसकी पत्नी, बॉडीगार्ड और दूसरे नक्सली भी थे। हालांकि इस बार इसकी भनक आंध्र प्रदेश की इंटेलिजेंस यूनिट को लग गई।' आंध्र प्रदेश की ग्रेहाउंड फोर्स के जाल में कैसे फंसा हिड़मा क्या ग्रेहाउंड फोर्स ने सूचना मिलते ही हिड़मा को घेर लिया था या हिड़मा के यहां आने की खबर उन्हें काफी पहले मिल गई थी? इस पर सोर्स ने बताया, 'हिड़मा के आंध्र प्रदेश के बॉर्डर से स्टेट बदलने की सूचना एंटी नक्सल यूनिट को शायद एक दिन पहले ही मिल गई थी। वो आंध्र के घने जंगल मारेडुमिल्ली के करीब कहीं रातभर रुका भी था। इसलिए एंटी नक्सल यूनिट पहले से चौकन्नी थी।' 'हिड़मा को हमेश बच निकलने में माहिर माना जाता था ये यूनिट को भी मालूम था कि उसे दबे पांव ही दबोचा जा सकता था। 18 नवंबर की रात करीब 1.30 बजे एंटी-नक्सल ग्रेहाउंड पुलिस यूनिट और लोकल पुलिस ने डीप कॉम्बिंग ऑपरेशन शुरू किया। इसकी सूचना कुछ चुने हुए अधिकारियों और उन लोगों को थी, जिन्हें ये ऑपरेशन अंजाम देना था। सुबह तक मुठभेड़ हुई, जिसमें हिड़मा, उसकी पत्नी राजे राजक्का, बॉडीगार्ड देवा और 3 अन्य नक्सली मारे गए।' हिड़मा आंध्र प्रदेश में किस जगह रुका था? सोर्स ने बताया, 'हिड़मा मारेडुमिल्ली जंगल में कहीं रुका था। हालांकि अभी सटीक तौर पर लोकेशन नहीं पता लेकिन जंगल से ही सटे किसी गांव में उसने कुछ घंटे गुजारे थे। ये जंगल बहुत घना है और तीन राज्यों आंध्र प्रदेश-छत्तीसगढ़-ओडिशा की सीमा से लगा हुआ है। वैसे वो इस गांव में भी नहीं रुकने वाला था। वो मूवमेंट शुरू कर चुका था। उसी दौरान उसे मारा गया।' थ्री-लेयर सिक्योरिटी घेरा फेल, भरोसेमंद बॉडीगार्ड देवा भी मारा गयासोर्स ने आगे बताया, ‘अभी ये चर्चा नहीं हो रही है कि हिड़मा के साथ ही एक और बड़ी सफलता हाथ लगी है। वो उसके बॉडी गार्ड देवा का मारा जाना है। हिड़मा और देवा दोनों एक ही गांव के थे। छत्तीसगढ़ के डिप्टी CM ने जब हिड़मा की मां से मुलाकात की थी, तब उसी दिन वो देवा की मां से भी मिले थे। देवा, हिड़मा का सबसे करीबी और भरोसेमंद बॉडीगार्ड था।‘ ‘हिड़मा की तरह ही वो चौकन्ना और तेज था। सोचिए हिड़मा जैसे तेज तर्रार नक्सली ने अगर किसी को अपना बॉडीगार्ड चुना होगा तो उसमें कुछ तो खूबी जरूर रही होगी। हिड़मा की थ्री-लेयर सिक्योरिटी के सबसे अंदर के घेरे में देवा रहता था। अगर दो लेयर पार करने के बाद कोई हिड़मा तक पहुंच गया तो उसे पहले देवा से मुकाबला करना पड़ता था। वो हिड़मा का सबसे पुराना साथी था।‘ हिड़मा के सुरक्षा घेरे में रह चुकी एक पूर्व नक्सली थ्री-लेयर के सिक्योरिटी घेरे के बारे में बताया- 'इसे ए, बी, सी नाम दिया गया था। जब भी हिड़मा तक किसी को पहुंचना होता था तो पहले उसे इन तीरों लेयर को पार करना पड़ता था। यहां तक कि कोई नक्सली भी हिड़मा से मिलना चाहता था तो उसे इन तीनों घेरों के बॉडीगार्ड्स की परमिशन लेनी पड़ती थी।' पूर्व नक्सली ने ये भी बताया कि हिड़मा की सुरक्षा इतनी मजबूत थी कि उसका खाना बनाने के लिए भी एक खास टीम थी। वो जहां जाता था, रसोइए उसके साथ जाते थे। वो हर किसी के हाथ का खाना नहीं खाता था। मां की गुहार पर भी सरेंडर क्यों नहीं किया? इसके जवाब में पूर्व नक्सली ने बताया, 'वो बहुत कट्टर और स्वाभिमानी किस्म का था। जिन नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, उन्हें संगठन में गद्दार कहते हैं। वो कहता था कि मर जाऊंगा लेकिन गद्दार नहीं बनूंगा।' 'आप नहीं समझ सकते कि जिस संगठन में कोई इतनी मुश्किलें उठाकर रहा हो, फिर उसे अपना अलग रास्ता चुनने पर गद्दार कहा जाए तो कितना बुरा लगता है। संगठन में एंट्री होने के बाद आप अपने फैसले लेने के लिए आजाद नहीं रह जाते। फैसला लिया तो संगठन आपका दुश्मन बन जाता है।' अब आंध्र प्रदेश पुलिस की बात...हिड़मा को लेकर एक-दो दिन से मिल रहे थे इंटेलिजेंस इनपुट आंध्र प्रदेश पुलिस के ADG (इंटेलिजेंस) महेश चंद्रा लड्डा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया, ’छत्तीसगढ़ में लगातार दबाव के कारण नक्सलियों के टॉप लीडर्स आंध्र प्रदेश शिफ्ट होने की कोशिश कर रहे थे। हम लगातार उन पर नजर रख रहे थे।’ ’पिछले एक-दो दिन से हमारे पास खास इंटेलिजेंस इनपुट था कि कुछ टॉप नक्सली आंध्र प्रदेश की सीमा में घुस रहे हैं और वे इस तरफ संगठन को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्हीं इनपुट के आधार पर 18 नवंबर की सुबह 6 बजे मरेडमिल्ली गल में नक्सलियों के साथ एनकाउंटर हुआ।’ हिड़मा 16 की उम्र में नक्सल संगठन में हुआ था भर्तीदैनिक भास्कर ने हिड़मा पर अपनी पिछली स्टोरी में पूर्व नक्सली कमांडर बदरना से हिड़मा को लेकर बातचीत की थी। बदरना 2000 में आत्मसमर्पण कर चुके हैं। फिलहाल जगदलपुर में रहते हैं। 1996 में बदरना ने ही हिड़मा को नक्सल संगठन में भर्ती किया था। बदरना उसके नक्सली संगठन में भर्ती होने और फिर सेंट्रल कमेटी तक पहुंचने की बातें विस्तार से बताते हैं। बदरना ने बताया था, '16 साल की उम्र में उसके गांव पूर्वती में नक्सलियों की ग्राम राज्य कमेटी ने उसे चुना। भर्ती की प्रक्रिया मैंने ही पूरी की थी। बच्चों के लिए नक्सलियों में 'बालल संगम' नाम से एक संगठन होता है। हिड़मा की शुरुआत उसी से हुई। दुबली पतली कद काठी वाला हिड़मा बहुत तेज-तर्रार था और चीजों को तेजी से सीखता था।' 'उसकी इसी काबिलियत की वजह से उसे बच्चों की विंग 'बालल संगम' का अध्यक्ष बनाया गया। गोंड समाज से आने वाले हिड़मा की शादी नक्सली संगठन में आने से पहले हो चुकी थी। उसका असली नाम मुझे ठीक से याद नहीं, लेकिन हिड़मा नाम उसे संगठन ने दिया था।' नक्सलियों का अपना एजुकेशन सिस्टम और कल्चरल कमेटी होती है। यहां हिड़मा ने पढ़ाई करने के साथ गाना-बजाना सीखा। बदरना ने बताया था, 'हिड़मा जितना अच्छी तरह एम्बुश लगाना सीख रहा था, उतना ही अच्छा वो वाद्ययंत्र बजाने में भी था। उसकी आवाज में भी दम था। उसकी तेजी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वो प्राथमिक उपचार की शिक्षा लेने में भी सबसे आगे था।' ट्रेनिंग के बाद हिड़मा की पहली पोस्टिंग महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में की गई थी। बदरना के मुताबिक '2010 में ताड़मेटला में 76 जवानों की हत्या के बाद उसे संगठन में अहम जिम्मेदारी दी गई। इसके बाद झीरम घाटी के हमले की रणनीति भी हिड़मा ने ही तैयार की। 2017 में सुकमा के बुर्कापाल में सेंट्रल रिजर्व फोर्स पर हुए हमले का मास्टरमाइंड भी वही था।' 'अपनी उम्र के किसी भी नक्सली से वो बहुत आगे था। हालांकि जब हमले की रणनीति बनती है तो और भी बड़े-बड़े कमांडर इससे जुड़ते हैं, लेकिन हां, हिड़मा जिस हमले को लीड करता है, उसकी रणनीति बनाने में वहीं आगे रहता था।' पत्नी राजे भी कमेटी मेंबर रहीपुलिस के मुताबिक, हिडमा की पत्नी राजे ने भी नक्सलियों के संगठन में कई अहम भूमिकाएं निभा चुकी थी। वो 1994-95 में बाल संगठन सदस्य रही, उसके बाद 2002-03 में जगरगुंडा एरिया कमेटी मेंबर (ACM) बनी। फिर किस्तारम ACM (2006–07), पलाचलमा LOS कमांडर (2008). उसे 2009 में बटालियन मोबाइल पॉलिटिकल स्कूल की शिक्षिका बनाया गया था। बाद में BNPC बटालियन पार्टी कमेटी मेंबर के तौरपर एक्टिव रही।..................ये खबर भी पढ़ें.. शाह ने तय की थी नक्सली हिड़मा की डेडलाइन गृहमंत्री अमित शाह ने सुरक्षाबलों को हिड़मा को खत्म करने के लिए 30 नवंबर तक की डेडलाइन दी थी। इसके बाद आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सीमा पर स्थित मरेडमिल्ली के घने जंगलों में सर्च ऑपरेशन शुरू किया गया था। इसी ऑपरेशन में हिड़मा डेडलाइन से 12 दिन पहले ही मारा गया। पढ़िए पूरी खबर...

दैनिक भास्कर 19 Nov 2025 4:00 am

मक्का-मदीना कॉरिडोर इतना खतरनाक क्यों, 45 भारतीय जिंदा जले:इकलौता शोएब कैसे जिंदा बचा, एक परिवार की 3 जनरेशन खत्म

‘17 नवंबर की सुबह कभी नहीं भूल पाऊंगा। मेरे फूल जैसे इजान-हमदान और सबीया। मेरी बहू हुमारा और बेटा इरफान सब चले गए। सऊदी से आए फोन पर खबर मिली कि मक्का–मदीना जाते वक्त उनकी बस हादसे में जल गई। ये सुनकर मेरा दिल जैसे थम गया। मेरा इरफान तो परिवार की बरकत और सुकून की दुआएं लेकर ‘काबा’ गया था। कैसे मान लूं कि अब वो और उसके मासूम बच्चे इस दुनिया में नहीं हैं। अल्लाह उनकी रूहों को जन्नत नसीब करे।‘ 72 साल के सलीम अहमद अपने 6 और 7 साल के पोते इजान और हमदान की तस्वीर देखकर भावुक हो जाते हैं। हैदराबाद के रहने वाले सलीम ने सऊदी बस हादसे में अपने परिवार की पूरी अगली पीढ़ी खो दी। उनके बेटे इरफान अहमद हादसे में मरने वाले 45 भारतीयों में से एक थे। 16 और 17 नवंबर की दरमियानी रात करीब 1:30 बजे मक्का से मदीना जा रही एक टूरिस्ट बस डीजल टैंकर से टकरा गई। ये टक्कर इतनी जोरदार थी कि पूरी बस जलकर राख हो गई। हादसे में सिर्फ 1 शख्स मोहम्मद शोएब ही जिंदा बच पाए हैं। घटना के वक्त वो ड्राइवर के पास बैठे थे। फिलहाल उनका इलाज एक सरकारी अस्पताल में चल रहा है। वहीं मरने वाले 45 लोगों में 18 महिलाएं, 17 पुरुष और 10 बच्चे शामिल हैं। दैनिक भास्कर इस दर्दनाक हादसे में जान गंवाने वाले लोगों के घर पहुंचा। अपनों को हमेशा-हमेशा के लिए खो चुके लोगों का सिर्फ इतना कहना है कि आखिरी बार ही सही उन्हें अपने घरवालों के शव सौंप दिए जाएं। आइए पूरी कहानी जानते हैं... हैदराबाद से 54 लोग 'काबा-शरीफ' गए थे, सिर्फ 9 जिंदा बचे हैदराबाद पुलिस के मुताबिक, 9 नवंबर को 'काबा-शरीफ' की यात्रा पर हैदराबाद से 54 लोग सऊदी गए थे। इन लोगों ने प्राइवेट टूर ऑपरेटरों के जरिए बुकिंग करवाई थी। सभी की वापसी 23 नवंबर को होनी थी। लेकिन उससे पहले ये दुर्घटना हो गई। हादसा मदीना से लगभग 25 किलोमीटर दूर मुहरास के पास भारतीय समय के मुताबिक रात लगभग 1:30 बजे हुआ। उस समय कई यात्री सो रहे थे। उन्हें बचने का मौका भी नहीं मिला। घटना वाले दिन 4 लोग मक्का में ही ठहर गए जबकि 4 अन्य कार बुक कराकर अलग से मदीना गए थे, जो बच गए। हादसे का शिकार हुई बस में 46 लोग सवार थे। इनमें हैदराबाद के रहने वाले मोहम्मद आसिफ नईम के परिवार के 18 लोग भी शामिल हैं, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं। आसिफ के मुताबिक, दुर्घटना में उनके परिवार के 9 बच्चों और इतने ही नौजवानों की मौत हो गई। सभी 9 तारीख को मक्का-मदीना की यात्रा पर निकले थे। नईम कहते हैं, 'मेरी पत्नी बेटी के साथ उमरा करने मक्का गई थीं। वो उमरा करके मदीना लौट रही थीं, तभी हादसा हो गया। उनके साथ मेरे सास-ससुर, दो साली और उनका परिवार गया था। मेरे भाई की भी पत्नी, बेटी और दामाद के परिवार में अब केवल एक बच्चा बचा है, क्योंकि वो इस वक्त USA में पढ़ाई कर रहा है। इस हादसे में मेरे परिवार की 3 पीढ़ियां खत्म हो गईं।' 'मेरी सरकार से यही मांग है कि हमें सऊदी जाने की मोहलत दी जाए। हादसे की भी जांच होनी जरूरी है। इसमें जो भी जिम्मेदार हैं, उन्हें सजा मिलनी चाहिए।' बहन ने वादा पूरा किया लेकिन अब जिंदा नहीं हादसे में हैदराबाद के रहने वाले मोहम्मद यूनुस की बहन जाकिया की भी मौत हुई है। वो अपने शौहर मस्तान और बेटे सोहेल के साथ उमरा करने गई थीं। यूनुस अपनी बहन को याद करते हुए कहते हैं, ‘9 नवंबर को जाकिया का फोन आया था, वो बहुत खुश थी। बोल रही थी कि भाई आप बचपन से चाहते थे कि मैं एक बार उमरा करने मक्का-मदीना जाऊं। देखिए आज वो दिन आ गया। उसकी ये बात अब रह-रहकर याद आ रही है। बहन ने अपना वादा तो निभाया लेकिन अब वो इस दुनिया में नहीं है।’ हमने तेलंगाना सरकार के अपील की है कि हमें जल्द से जल्द सऊदी भेजने का इंतजाम किया जाए। हमारे पास पासपोर्ट है। हम जितनी जल्दी वहां पहुंचेंगे, अपनों के शवों को आखिरी बार देख सकेंगे। मेरी ख्वाहिश है कि मैं आखिरी बार ही सही अपनी बहन को एकबार देख तो लूं। हैदराबाद के सुलेमान नगर के रहने वाले निजाम की पत्नी परवीन बेगम (34) अपनी दो बहनों के साथ 9 नवंबर को सऊदी पहुंची थी। वे 8 दिनों तक मक्का में ठहरी हुई थीं। 17 नवंबर को मदीना लौटते उनकी सड़क हादसे में मौत हो गई। परवीन घर की सलामती की दुआ लेकर काबा गई थीं। निजाम ने भास्कर से बात करते हुए बताया, ’हमने मक्का टूर एंड ट्रैवल ऑपरेटर से बुकिंग करवाई थी। घटना वाले दिन सुबह 7 बजे के करीब ट्रैवल कंपनी की तरफ से ही हमें सूचना दी गई कि सऊदी में यात्रियों को ले जा रही बस का एक्सिडेंट हो गया है। इसमें आपकी पत्नी और रिश्तेदार बुरी तरह से जल गए हैं। उन्हें अस्पताल ले जा रहे हैं। कुछ देर बाद हमें बताया गया कि उनकी मौत हो चुकी है।’ शोएब बस से न कूदता तो मौत पक्की थी सऊदी बस हादसे पर हैदराबाद के जॉइंट पुलिस कमिश्नर तफसीर इकबाल कहते हैं, ’सउदी के मुहरास इलाके में हुए इस दर्दनाक हादसे में 45 लोगों की मौत हुई है, इनमें से 43 लोग हैदराबाद के थे। जबकि 2 साइबराबाद और एक शख्स कर्नाटक के हुबली का था। बस में 18 पुरुष, 18 महिलाएं और 10 बच्चे सवार थे।’ घटना में जीवित बचने वाला एकमात्र शख्स मोहम्मद शोएब खिड़की का शीशा तोड़कर बस से बाहर कूद गया, जिसकी वजह से उसकी जान बच गई। हालांकि खुद को बचाते हुए हुए उसके दोनों हाथ बुरी तरह जल गए हैं। घटना के बाद तेलंगाना सरकार ने सचिवालय में कंट्रोल रूम बनाया है। इसकी मदद से लोग अपने परिजनों के बारे में जानकारी ले सकेंगे। हम मृतकों के बारे में पोस्ट डेथ इन्क्वायरी के लिए लगातार रियाद पुलिस और भारतीय दूतावास से संपर्क में हैं। हैदराबाद पुलिस के मुताबिक, घटना में मरने वाले 45 भारतीयों में ज्यादातर हैदराबाद, रामनगर, मुरादनगर, मुगलनगर और चिंतालमेट के थे। विक्टिम फैमिली के साथ सऊदी जाएंगे अजहरुद्दीनसऊदी बस हादसे के बाद तेलंगाना सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मोहम्मद अजहरुद्दीन ने पीड़ित परिवारों से मिलकर उन्हें मदद का भरोसा दिलाया है। CM रेवंत रेड्डी के आदेश पर अजहरुद्दीन अब राहत कार्यों में सहयोग के लिए सऊदी अरब जाएंगे। तेलंगाना सरकार के मुताबिक, हादसे में जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों से दो लोगों को सऊदी अरब भेजा जाएगा। वहां से शव भारत न लाकर सऊदी में ही धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार दफनाया जाएगा। मृतकों के परिवारों को 5 लाख रुपए की अनुग्रह राशि दी जाएगी। जेद्दा में भारतीय दूतावास ने भी हेल्पलाइन जारी की है। दूतावास ने बताया कि सऊदी अरब के मदीना के पास भारतीय उमरा तीर्थयात्रियों के साथ हुई दुखद बस दुर्घटना को देखते हुए जेद्दा स्थित भारतीय महावाणिज्य दूतावास में 24x7 कंट्रोल रूम बनाया, हेल्पलाइन का संपर्क विवरण 8002440003 है। असदुद्दीन ओवैसी ने सऊदी अरब में भारतीय उमरा यात्रियों की बस दुर्घटना पर शोक जताया। उन्होंने लोगों को मक्का-मदीना ले जाने वाली हैदराबाद की 2 ट्रैवल एजेंसियों से भी बात की है। AIMIM चीफ ने रियाद में भारतीय दूतावास के डिप्टी चीफ ऑफ मिशन (DCM) अबू मैथन जॉर्ज से भी संपर्क किया। जॉर्ज ने उन्हें बताया है कि रियाद के लोकल ऑफिसर्स मौके पर मौजूद हैं, मृतकों के शव सुरक्षित जगह पर रखे गए हैं। 3 फैक्टर जिनकी वजह से सऊदी में धार्मिक यात्राएं बनीं खतरनाक450 किमी लंबा मक्का–मदीना कॉरिडोर हज और उमरा यात्रियों के लिए बेहद व्यस्त मार्ग माना जाता है, पूरे सऊदी अरब में इस रास्ते पर सड़क दुर्घटनाएं लंबे समय से एक बड़ी चुनौती रही है। इस रूट पर उमरा यात्रियों के लिए जोखिम का डर इतना ज्यादा क्यों है? इसे समझने के लिए हमने लखनऊ के डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के एकेडमिक डीन रहे प्रोफेसर एपी त्रिपाठी से बात की। उन्होंने तीन फैक्टर्स के जरिए अपनी बात कही। 1. मक्का-मदीना कॉरिडोर रोड एक्सीडेंट प्रोन एरिया मक्का से मदीना जाने वाला हाईवे बेहद लंबा और रेतीला है। ये रूट व्यापारिक मार्ग भी है, जहां बहुत कम मोड़ होते हैं। ऐसे में इस रास्ते में तेल के टैंकरों और दूसरे भारी वाहन लगातार चलते रहते हैं। व्यस्त मार्ग होने की वजह से यहां सड़क दुर्घटनाओं का जोखिम ज्यादा रहता है। रास्ता लंबा होने के कारण कई बार ड्राइवरों को भी नींद आने पर या आलस की वजह से एक्सीडेंट होने का खतरा रहता है। 2. टक्कर और आग लगने का खतरा सऊदी में इनकम का सबसे बड़ा जरिया तेल है। यहां हर दूसरे मिनट पर आपको हाईवे पर तेल टैंकर गुजरते हुए मिल जाएंगे। हज यात्री इन्हीं के बीच अपने वाहनों से मक्का-मदीना की यात्रा करते हैं। लिहाजा तेल टैंकर जैसे ज्वलनशील से टक्कर होने पर आग लगने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे हादसे आम सड़क हादसों की तुलना में बेहद दर्दनाक साबित होते हैं। इनसे हमेशा बड़ी जनहानि का खतरा रहता है। 3. रोड बेहतर लेकिन प्राकृतिक चुनौतियां काफी ऐसा देखा गया है कि सऊदी में सड़कें भले ही अच्छी हों, फिर भी यहां रेगिस्तानी क्षेत्रों से गुजरने के कारण धूल भरी आंधी और मुश्किल मौसम की दूसरी चुनौतियां हर वक्त रहती हैं। ऐसे रूट्स पर ट्रैवल जोखिम भरा रहता है। ऐसे में हमेशा यात्रा से पहले सुनिश्चित करें कि आपका ड्राइवर सऊदी रोडवेज एसोसिएशन में रजिस्टर्ड हो। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सऊदी सरकार को अपने रोड इन्फ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान देना होगा। अक्टूबर 2019 में भी मदीना के पास एक बस और वाहन की टक्कर में 35 यात्रियों की मौत हुई थी।..................ये खबरें भी पढ़ें... सऊदी में ड्राइवर की नौकरी देकर कचरा उठवाया-बकरी चरवाई 59 साल की सूरजकली बेटे राजीव की फोटो देखकर भावुक हो जाती हैं। राजीव मई 2023 में सऊदी अरब में ड्राइवर की नौकरी करने गए थे, लेकिन वहां वो कफाला सिस्टम का शिकार हो गए। उन पर धोखाधड़ी का केस दर्ज हुआ। वे रियाद में 3 साल कैद की सजा काट रहे। उन पर 18 लाख रुपए जुर्माना भी लगा है। ये कहानी सिर्फ राजीव की ही नहीं है। सऊदी में कफाला सिस्टम के शिकार बन चुके तमाम भारतीयों की है। पढ़िए पूरी खबर..

दैनिक भास्कर 19 Nov 2025 4:00 am

मैंने सचमुच में 8 युद्ध रोके हैं, ट्रंप ने Indo-Pak War को खत्म करने का दावा दोहराया, भारत कर चुका है खंडन

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच जंग को रोकने के अपने पुराने दावे को फिर दोहराया है. हालांकि भारत पहले ही ऐसी बातों का खंडन कर चुका है.

ज़ी न्यूज़ 19 Nov 2025 3:24 am

डेंगू का डंक इस देश पर पड़ रहा बहुत भारी, अब तक 243 लोगों की ले ली जान; 86000 लोग हुए बीमार

Bangladesh Dengue: डीजीएचएस के महानिदेशक अबू जाफर ने 2025 में डेंगू के मामलों की संख्या पिछले साल की तुलना में ज्यादा है और मृत्यु दर कम बताई थी. बांग्लादेश में लगातार डेंगू के डंक से बीमार लोग बीमार हो रहे हैं जिसके लिए मच्छरों का प्रजनन और उनका लार्वा सबसे बड़ा कारण है.

ज़ी न्यूज़ 18 Nov 2025 9:58 pm

Donald Trump: मुस्लिम देश को ट्रंप देंगे अपना सबसे घातक जेट, इजरायल का 'दुश्मन'; आखिर क्या है US का प्लान?

F-35 Fighter Jet to Saudi Arabia:करीब 7 साल के बाद सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने अमेरिका की धरती पर कदम रखा. लेकिन उनके आने से पहले ही ट्रंप ने ऐलान कर दिया कि वह एफ-35 जेट सऊदी अरब को बेचेंगे.

ज़ी न्यूज़ 18 Nov 2025 9:01 pm

क्या है क्लाउडफ्लेयर, जिसके डाउन होने से X, ChatGPT बंद:लाखों वेबसाइट चपेट में क्यों आईं, आगे क्या होगा; 5 सवालों में सबकुछ

मंगलवार की शाम करीब 5 बजे X, ChatGPT और Canva जैसी 75 लाख वेबसाइट्स अचानक बंद हो गईं। वजह- क्लाउडफ्लेयर का डाउन होना। क्लाउडफ्लेयर है क्या, कैसे काम करता है, क्यों डाउन हुआ और क्या यूजर्स को फिक्र करनी चाहिए; भास्कर एक्सप्लेनर में ऐसे 5 जरूरी सवालों के जवाब जानेंगे... सवाल-1: क्लाउडफ्लेयर क्या है और कैसे काम करता है? जवाबः इंटरनेट एक खुली सड़क की तरह है, जहां कोई भी चल सकता है। अच्छे लोग भी और बुरी नीयत वाले लोग भी। बुरी नीयत से वेबसाइट पर खराब ट्रैफिक न आ जाए, इसे रोकने के लिए सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला प्रोडक्ट है- Cloudflare। ये वेबसाइट्स को ज्यादा तेज, सेफ और भरोसेमंद बनाने में मदद करता है। वेबसाइट्स इसकी सर्विस लेती हैं। Cloudflare वेबसाइट के ठीक सामने खड़ा रहता है। जैसे सड़क पर सिक्योरिटी चेकपोस्ट होती है। ये वेबसाइट पर आने वाली हर रिक्वेस्ट को चेक करता है। अगर कोई गड़बड़ी है, तो उसे वेबसाइट से पहले ही रोक देता है। अगर कोई सामान्य जानकारी चाहिए तो उन सवालों के जवाब खुद ही दे देता है। ताकि ट्रैफिक सीधे असली वेबसाइट तक न जाए और वेबसाइट पर लोड न पड़े। सवाल-2: दुनियाभर की 75 लाख वेबसाइट डाउन होने में क्लाउडफ्लेयर का क्या रोल है? जवाबः लाखों वेबसाइट्स के लिए क्लाउडफ्लेयर एक सिक्योरिटी गेट की तरह है। अगर ये गेट बंद हो जाए या खराब हो जाए, तो कोई भी ट्रैफिक आगे नहीं जा सकता। सारा ट्रैफिक या तो रुक जाता है या रिजेक्ट हो जाता है। ठीक यही अभी आउटेज में हो रहा है। क्लाउडफ्लेयर का चेकपोस्ट बंद पड़ा है, इसलिए बहुत सारी वेबसाइट्स काम नहीं कर रही हैं। सवाल-3: क्लाउडफ्लेयर क्यों डाउन होता है, मौजूदा आउटेज क्यों हुआ? जवाबः क्लाउडफ्लेयर जैसी बड़ी CDN कंपनी का पूरा नेटवर्क या बड़ा हिस्सा डाउन होने की वजहें आमतौर पर बहुत कम होती हैं। फिर भी ये 5 प्रमुख संभावनाएं होती हैं… आज के आउटेज में क्लाउडफ्लेयर ने अभी तक सिर्फ इतना कहा है कि “application services” में दिक्कत है और वो ठीक कर रहे हैं। ज्यादातर संकेत यही हैं कि ये कोई कॉन्फिगरेशन चेंज गलत होने की वजह से हुआ है। जून 2024 का आउटेज भी ऐसा ही था। सवाल-4: क्या ये कोई साइबर अटैक भी हो सकता है? जवाबः 99% मामलों में क्लाउडफ्लेयर का बड़ा आउटेज 'अंदर की गलती' से होता है, बाहर का अटैक या फिजिकल डैमेज बहुत कम वजह बनता है। फिलहाल ये साइबर अटैक नहीं लग रहा। यूजर्स को चिंता करने की जरूरत नहीं है। सवाल-5: अब आगे क्या होगा? जवाबः क्लाउडफ्लेयर ने कहा कि उसे इस समस्या की जानकारी है और वह इसकी जांच कर रहा है। हम इस समस्या के पूरे प्रभाव को समझने और इसे कम करने के लिए काम कर रहे हैं। जल्द ही और अपडेट दिए जाएंगे। उनकी ऑफिशियल वेबसाइट https://www.cloudflarestatus.com/ के लेटेस्ट अपडेट में लिखा है कि हम एप्लीकेशन सर्विसेज ग्राहकों के लिए सर्विस बहाल करने का काम लगातार कर रहे हैं। जल्द ही सबकुछ पहले जैसा हो जाएगा। ------------- ये खबर भी पढ़ें... दुनियाभर में चैटजीपीटी और X करीब 2 घंटे से बंद:क्लाउडफ्लेयर डाउन होने से सर्विस गड़बड़ाई, 75 लाख वेबसाइट्स पर असर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X, AI चैटबॉट चैटजीपीटी और कैनवा की सर्विसेज देशभर में करीब 2 घंटे से बंद हैं। ये सर्विसेज मंगलवार शाम करीब 5:00 बजे से डाउन हैं। भारत समेत दुनियाभर में यूजर्स को लॉगिन, साइनअप, पोस्ट करने और देखने के अलावा प्रीमियम सर्विसेज सहित प्रमुख सुविधाओं का उपयोग करने में दिक्कत आ रही है। पढ़िए पूरी खबर...

दैनिक भास्कर 18 Nov 2025 8:27 pm

क्या जापान और चीन के बीच छिड़ेगी जंग? जापान के दूत मसाकी ने बीजिंग छोड़ा; रिश्तों पर साधी चुप्पी

Japan-China Tensions:जापानी विदेश मंत्रालय के एशियाई और महासागरीय मामलों के महानिदेशक मसाकी कनाई ने मंगलवार को चीन की आधिकारिक यात्रा पूरी कर बीजिंग से प्रस्थान किया. उनकी यह यात्रा दोनों देशों के बीच ताइवान को लेकर चल रहे विवाद, कूटनीतिक संपर्क को मजबूत करने और क्षेत्रीय मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के उद्देश्य से आयोजित की गई थी.

ज़ी न्यूज़ 18 Nov 2025 7:52 pm

लॉरेंस के भाई अनमोल बिश्नोई को लाया जा रहा भारत, सलमान खान के घर पर फायरिंग मामले में वांटिड

Anmol Bishnoi: जेल में बंद लॉरेंस बिश्नोई के भाई अनमोल से जुड़ी बड़ी खबर सामने आ रही है. अमेरिका में छिपे बैठा गैंगस्टर अनमोल बिश्नोई कांग्रेस नेता बाबा सिद्दीकी के हत्याकांड में वांटेड है, जिसको सीबीआई भारत ला रही है.

ज़ी न्यूज़ 18 Nov 2025 7:20 pm

सस्ती प्लेट में छुपा था जादुई रहस्य; दुकानदार रातोंरात बना लखपति, ब्रिटेन में कैसे हुआ चमत्कार?

UK News: कहते हैं कि आपकी किस्मत कब चमक जाए, इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है. ऐसा ही ब्रिटेन में एक शख्स के साथ हुआ, उसने मामूली कीमत पर कुछ बर्तन खरीदे लेकिन जैसे ही उसकी असलियत पता चली, उसके होश उड़ गए.

ज़ी न्यूज़ 18 Nov 2025 6:17 pm

क्यों जमाल खशोगी की हत्या फिर से चर्चा में आई, जब सऊदी क्राउन प्रिंस अमेरिका पहुंचे?

MBS US Visit: सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की अमेरिका यात्रा के दौरान कई समझौतों पर दस्तखत होंगे, लेकिन 7 साल पहले जमाल खशोगी की हत्या की चर्चा फिर सामने आने लगी है.

ज़ी न्यूज़ 18 Nov 2025 6:08 pm

SCO Summit: दिल्ली धमाके का 'इंतकाम' तय है...जयशंकर ने रूस की धरती से कह दी वो बात

SCO Summit:जयशंकर ने कहा,'आतंकवाद को कोई सफाई नहीं दी जा सकती, इससे मुंह नहीं मोड़ा जा सकता. ना ही पर्दा डाला जा सकता है.जयशंकर का यह बयान ऐसे वक्त पर आया है, जब दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास जोरदार धमाके में 15 लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए.

ज़ी न्यूज़ 18 Nov 2025 5:56 pm

POK में पाकिस्तान ने बदला प्रधानमंत्री, बिलावल भुट्टो के करीबी फैसल राठौर को मिली कमान

PoK Prime Minister: राठौर को पीओके का पीएम बनाने के साथ ही विवाद भी बढ़ने लगा है. पीओके के राजनीतिक कार्यकर्ता अमजद अयूब मिर्जा ने फैसल को पीएम बनाने पर कड़ी आलोचना की है. अयूब मिर्जा ने फैसल पर पहले से कई गंभीर आरोप लगे होने की बात कही है.

ज़ी न्यूज़ 18 Nov 2025 4:08 pm

'अमेरिकी बगराम की बात करते रहते हैं और हम...', तालिबान ने US को लेकर अब दिया चौंकाने वाला बयान

Taliban-US:मुजाहिद ने कहा, 'हम अमेरिका समेत सभी देशों के साथ अच्छे संबंध चाहते हैं और हमारे संबंध दो चैनलों पर आधारित होंगे-कूटनीति और व्यापार. इस मामले में हमेशा अमेरिका के पास हम गए हैं ताकि वह इसमें हमारे साथ काम करे.'

ज़ी न्यूज़ 18 Nov 2025 3:56 pm

लहरों के नीचे सोए हुए वो 3 शहर; जिसे अचानक निगल गया समंदर, लिस्ट में भारत का पड़ोसी भी है शामिल

Ocean Historical Story: समंदर के किनारे कई ऐसे शहर होते हैं जहां घूमना-टहलना लोग काफी पसंद करते हैं. ऐसे ही हम बताने चल रहे हैं कुछ ऐसे शहरों के बारे में जो अचानक समंदर में समा गए थे.

ज़ी न्यूज़ 18 Nov 2025 3:17 pm

जब शेख हसीना के माता-पिता, चाचा-भाई समेत 18 लोगों को मारा डाला गया, 50 साल बाद फांसी की सजा ने बांग्लादेश को डरा दिया है!

Sheikh Hasina Verdict Sentenced To Death:बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना का फिर सुर्खियों में है. उन पर 'मानवता के खिलाफ अपराध' का आरोप लगाकर फांसी की सजा सुनाई गई है. 78 साल की हसीना भारत में शरण लिए बैठी हैं, लेकिन ढाका की अदालत ने उन्हें और पूर्व गृह मंत्री आसदुज्जमां खान कमाल को मौत की सजा दे दी. इससे बांग्लादेश में तनाव चरम पर है. सड़कों पर झड़पें, पुलिस की लाठीचार्ज और बमबाजी है.

ज़ी न्यूज़ 18 Nov 2025 2:55 pm

अचानक H1B वीजा प्रोग्राम का सपोर्ट करने लगे ट्रंप, अमेरिका को कौनसा डर सता रहा?

America H1B Visa Program: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H1B वीजा का समर्थन किया है. उनका कहना है कि इस वीजा के तहते देश में आने वाले लोग इसलिए जरूरी हैं क्योंकि वे अमेरिकी लोगों को ट्रेनिंग देते हैं.

ज़ी न्यूज़ 18 Nov 2025 2:39 pm

शेख हसीना को मौत की सजा पर सुलग रहा बांग्लादेश, बांटी मिठाई तो ले ली जान, गोली-बम से मचा तांडव, जानें क्या हैं ताजा हालात?

Bangladesh News Update:बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को 17 नवंबर 2025 को ढाका के इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (आईसीटी) ने मौत की सजा सुना दी# यह सजा 2024 के जुलाई-अगस्त छात्र आंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारियों पर की गई क्रूर कार्रवाई के लिए है. ट्रिब्यूनल ने हसीना को मानवता के खिलाफ अपराधों का दोषी ठहराया, जिसमें 1,400 से ज्यादा मौतें शामिल हैं. फैसले के बाद बांग्लादेश में हालात बिगड़ गए हैं. जानें ताजा अपडेट.

ज़ी न्यूज़ 18 Nov 2025 9:50 am

ट्रंप ने एच-1बी वीजा के समर्थन को दोहराया, कहा- अमेरिका फिर से बड़े स्तर पर चिप बनाएगा

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर एच-वन-बी वीजा का समर्थन किया है। उनका कहना है कि विदेशों से आने वाले कामगार जरूरी हैं, क्योंकि वे अमेरिकी कामगारों को प्रशिक्षित करते हैं

देशबन्धु 18 Nov 2025 9:09 am

इस मुस्लिम देश ने भारत के साथ खत्म किया ये 'रिश्ता', भारत ने भी फौरन लिया एक्शन

Iran ends visa-free entry: ईरान ने एक फैसला लेते हुए नई दिल्ली से तेहरान के बीच भारतीयों की सीधी एंट्री को बाधित कर दिया है. ईरान ने आखिर ये फैसला क्यों लिया, क्या है इसके मायने और क्या ईरान सरकार के इस फैसले का दोनों देशों के रिश्ते पर कोई असर पड़ेगा, आइए जानते हैं.

ज़ी न्यूज़ 18 Nov 2025 8:20 am

मास्क पर बैन, दिखाना होगा पहचान पत्र... एजेंट्स का जीवन खतरे में डाल रही सरकार; कैलिफोर्निया में नए कानूनों के खिलाफ कोर्ट पहुंचा ट्रंप प्रशासन

Trump administration Sues California: कैलिफोर्निया में संघीय एजेंटों को लेकर 2 नए नियम निकाले हैं, जिसको लेकर ट्रंप प्रशासन ने संघीय अदालत में याचिका दायर की है.

ज़ी न्यूज़ 18 Nov 2025 8:15 am

रूस से तेल, अमेरिका से गैस! भारत ने एक तीर से किए दो शिकार; जयशंकर ने मास्को में सेट किया एजेंडा

India Russia bilateral summit: भारत और रूस करीब 80 साल पुराने भरोसेमंद साथी हैं. रूस ने हर मुश्किल में भारत का साथ दिया है. ट्रंप की धमकियों से इतर पुतिन भारत आने वाले हैं. इससे पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने लावरोव से मुलाकात करके 23वें भारत-रूस सालाना शिखर सम्मेलन और मोदी-पुतिन की मुलाकात दोनों का एजेंडा सेट कर दिया है.

ज़ी न्यूज़ 18 Nov 2025 7:18 am

शेख हसीना को मौत की सजा मिलने के बाद बांग्लादेश में तनाव, अंतरिम सरकार ने की शांति की अपील

बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल बांग्लादेश (आईसीटीबीडी) ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मौत की सजा सुनाई है

देशबन्धु 18 Nov 2025 5:50 am

डोनाल्ड ट्रंप के गाजा प्लान को यूएन की मंजूरी, इन 2 ताकतवर देशों ने नहीं की वोटिंग

इजरायल हमाल की जंग में गाजा पट्टी पूरी तरह तबाह हो गई है, इसको फिर नॉर्मल बनाने के लिए ट्रंप के प्लान को यूनाइटेड नेशंस की मंजूरी मिल गई है.

ज़ी न्यूज़ 18 Nov 2025 5:49 am

स्पॉटलाइट-असुरक्षित संबंध बनाए तो बचा सकती है ये दवा:भारत में जल्द मिलेगी लेनाकापविर जो एड्स से बचाएगी; कैसे करती है काम,देखें वीडियो

सेक्स करने वाले लोगों में अक्सर एड्स का खतरा ज्यादा होता है, लेकिन क्यों, भारत में जल्द ही लेनाकापविर की एंट्री के बाद क्या ये डर खत्म हो सकता है. ये कैसे काम करता है,कितने रुपए में मिलेगा, पूरी जानकारी के लिए ऊपर दी गई इमेज पर क्लिक कर देखें वीडियो

दैनिक भास्कर 18 Nov 2025 5:24 am

जब 3 हजार चीनी सैनिकों से भिड़ गए ‘120 बहादुर’:एक इंच पीछे नहीं हटे, महीनों बाद भी पोजिशन पर जमी लाशें मिलीं, रेजांग-ला की लड़ाई

नवंबर 1962। भारत और चीन के बीच जंग जारी थी। लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानी LAC के नजदीक लद्दाख के रेजांग ला में 13 कुमाऊं बटालियन की चार्ली कंपनी तैनात थी। माइनस 30 डिग्री की तूफानी हवाओं से बचने के लिए जवानों के पास ढंग के स्वेटर और दस्ताने तक नहीं थे। पत्थरों से बने बिना छत वाले बंकर, जरूरत से आधी ऑक्सीजन के साथ इस चौकी पर जिंदा रहना भी किसी जंग से कम नहीं था। तभी आई 18 नवंबर 1962 की वो सुबह। चौकी पर तैनात जवानों ने देखा कि 3 हजार से ज्यादा चीनी सैनिक मॉडर्न हथियारों के साथ रेजांग ला दर्रे की ओर चले आ रहे हैं। उनसे भिड़ने का मतलब था मौत। कंपनी कमांडर मेजर शैतान सिंह भाटी ने आदेश दिया- एक इंच भी पीछे नहीं हटना है। और फिर शुरू हुई वह जंग, जो मिसाल बनी। महीनों बाद जब बर्फ पिघली, तो पोजिशन में उनकी जमी हुई देह मिली। साथ ही दिखा चीनी सैनिकों का राइफलें उल्टी रखकर दिया गया Arms Down Salute। 21 नवंबर को रिलीज होने वाली फरहान अख्तर की फिल्म ‘120 बहादुर’ ने इस लड़ाई को फिर सुर्खियों में ला दिया है। कौन थे ये 120 योद्धा? रेजांग ला में उस रात क्या हुआ था और अब क्यों मच रहा है विवाद; जानेंगे भास्कर एक्सप्लेनर में… रेजांग ला की लड़ाई से पहले भारत और चीन के सीमा विवाद को समझना जरूरी है। इसकी जड़ 1914 की मैकमोहन रेखा (McMahon Line) थी, जिसे भारत में ब्रिटिश राज के दौरान तिब्बत के साथ सीमा तय करने के लिए खींचा गया था, लेकिन चीन ने कभी इसे स्वीकार नहीं किया। 1950 में चीन ने तिब्बत पर कब्जा कर लिया, तो भारत ने इसका खुलकर विरोध नहीं किया। तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की सरकार ‘हिंदी-चीनी भाई-भाई’ के नारे के साथ शांति की नीति पर कायम रही। 1959 में तिब्बत के धार्मिक नेता दलाई लामा छुपकर भारत आ गए, जिससे चीन भड़क गया। इसके बाद चीन ने अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख में लगातार घुसपैठ शुरू की। भारत ने जवाब में ‘फॉरवर्ड पॉलिसी’ अपनाई, यानी बॉर्डर के पास छोटी-छोटी चौकियां बनाकर अपने होने का एहसास कराया। इसी नीति के तहत भारतीय सेना ने अक्साई चिन और लद्दाख के इलाकों में कई पोस्टें बनाई थीं, जिनमें से एक थी रेजांग ला पोस्ट। ये इलाका करीब 16,000 फीट की ऊंचाई पर था, जहां तापमान -30 डिग्री तक गिर जाता था और ऑक्सीजन बेहद कम थी। 29 सितंबर 1962 को 13 कुमाऊं बटालियन को इस पोस्ट में तैनाती के आदेश मिले। उस समय चार्ली कंपनी के मुखिया थे मेजर शैतान सिंह भाटी। वो राजस्थान के जोधपुर जिले के बनासर गांव के रहने वाले एक राजपूत थे। बटालियन के ज्यादातर जवान उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और पंजाब से ताल्लुक रखते थे। कश्मीर में पोस्टिंग के चलते ये जवान सर्दियों में रहना सीख चुके थे, लेकिन बर्फ से इनका पाला कम ही पड़ा था। लद्दाख में विंड चिल फैक्टर भी काम करता है। यानी इतनी ठंडी हवाएं चलती हैं कि खाने-पीने की सारी चीजें पत्थर बन जाती हैं। बटालियन का हिस्सा रहे लांस नायक रामचंद्र यादव के मुताबिक, ‘लद्दाख की ठंड से निपटने के लिए जवानों के पास ढंग के कपड़े तक नहीं थे। कुछ ही दिनों बाद जवान बीमार पड़ने लगे।’ शुरुआत के दिनों में खाना बनाते वक्त बर्तनों ने जवाब दे दिया, तो जवानों ने बिस्किट खाकर काम चलाया। फिर एक बड़े प्रेशर कुकर का इंतजाम हुआ, जिसमें चावल उबालकर खाए गए। 20 अक्टूबर को भारत-चीन युद्ध शुरू हुआ। शुरुआती झड़पों में ही भारतीय सेना को पीछे हटना पड़ा और चीन ने तवांग, बोमडिला और गलवान जैसी चौकियों पर कब्जा कर लिया। नेविल मैक्सवेल अपनी किताब ‘इंडियाज चाइना वॉर’ में लिखते हैं कि युद्ध के पहले हफ्तों में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को ये विश्वास था कि चीन भाईचारे के रिश्ते को नहीं तोड़ेगा, लेकिन जैसे-जैसे भारतीय चौकियां गिरती गईं, उन्हें धक्का लगता गया। इधर, लद्दाख में चुशूल ही एकमात्र इलाका बचा था, जिस पर अभी तक तिरंगा लहरा रहा था। रेजांग ला पास पर 13 कुमाऊं बटालियन तैयारियों में जुटी गई थी। बोरे मंगवाए गए, जिनमें कॉन्क्रीट भरकर बंकर बनाए गए। रेजांग ला में भारतीय सेना के पास ऊंचाई का एडवांटेज था। वो 18 हजार 300 फीट की ऊंचाई पर थी, जबकि चीनी सैनिक 16 हजार फीट पर। देर रात बर्फीले तूफान के बीच सैनिक अपने-अपने बंकरों में थे, लेकिन रेडियो ऑपरेटर लांस नायक रामचंद यादव को ब्रिगेड हेडक्वार्टर से एक संदेश मिला, जिसमें कंपनी को पीछे हट जाने का आदेश दिया गया। इस पर कंपनी कमांडर मेजर शैतान सिंह भाटी ने कहा- ‘हम अपनी पोजिशन नहीं छोड़ेंगे। जब तक जिंदा हैं, रेजांग ला की मिट्टी नहीं छोड़ेंगे।’ 18 नवंबर का सूरज अभी निकला नहीं था। रात के अंधेरे में दुश्मन दबे पांव रेजांग ला की ओर बढ़ने लगा। सबसे आगे की पोस्ट पर तैनात जवानों ने मेजर शैतान सिंह को सिग्नल भेजा, तो उनका जवाब आया कि चीनी सैनिक जैसे ही उनकी रेंज में आएं, फायरिंग शुरू कर दी जाए। ऑर्डर मिलते ही भारतीय जवान दुश्मन पर मशीन गन्स और लाइट मशीन गन्स की मदद से ताबड़तोड़ फायर करने लगे। कुछ ही मिनटों के बाद मेजर को इत्तला दी गई कि चीनी सैनिकों को आगे बढ़ने से रोक दिया गया है और अब तक किसी भी जवान को खरोंच तक नहीं आई है। वहीं, दूसरी ओर चीन ने सुबह साढ़े 4 बजे एक नई चाल चली। बटालियन की सभी पोस्ट्स पर एक साथ शेलिंग की। आसमान से बरसते बारूद के गोलों ने जवानों का खड़े रहना मुश्किल कर दिया। शैतान सिंह ने कहा कि जवान चाहें तो पीछे हट सकते हैं। इस पर आगे की सीमा पर लड़ रहे अहीर जवानों का जवाब आया-‘चिंता मत कीजिए साहब, हमें भगवान श्री कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त है।’ इस पर शैतान सिंह ने कहा-‘मैं तुम लोगों के साथ हूं और भले ही मेरे नाम में भाटी लगा है, लेकिन आज मैं भी यादव हूं।’ शैतान सिंह की बातों ने बाकी सैनिकों में भी जोश भरने का काम किया, लेकिन हकीकत ये थी कि 20 मिनट की उस शेलिंग ने सब कुछ तहस-नहस कर दिया था। जवानों के पास अब सिर्फ दूसरे विश्व युद्ध के दौर की 303 राइफलें थीं, जो चीन की हैवी आर्टिलरी के आगे नहीं टिक सकती थीं। 303 राइफलों को एक बार फायर करने के बाद फिर से लोड करना पड़ता था। कुलप्रीत यादव की किताब ‘द बैटल ऑफ रेजांग ला’ में इस बात का जिक्र मिलता है कि भारतीय जवानों के पास ठंड से लड़ने के कपड़े नहीं थे। वो मोटे हैंड ग्लव्स पहने हुए थे, जिससे बंदूक के ट्रिगर में उनकी उंगली नहीं जा पाती थी। इस बात का फायदा उठाकर चीनी सैनिकों ने पूरी ताकत से हमला किया। भारतीयों के टेंट और बंकर चकनाचूर हो गए, लेकिन उन्होंने लड़ना जारी रखा। कई सैनिकों के पैर कुचल दिए गए, वो गोलियां खाकर जमीन पर गिरने लगे। कुछ जवानों ने तो बिना हथियार के भी दो-दो हाथ किए, 2-3 चीनी सैनिकों को उठाकर पहाड़ी से नीचे फेंक दिया, मगर ये ज्यादा देर तक नहीं चल सका। मेजर शैतान सिंह बुरी तरह जख्मी हो गए थे। पहले उनके कंधे पर शेल का एक टुकड़ा आकर लग गया। फिर एक साथ 10 से ज्यादा गोलियां उनके पेट में आकर धंस गईं। उस समय उनके साथ मौजूद लांस नायक रामचंद्र यादव ने देखा कि मेजर की आंतें बाहर आ चुकी हैं। मेजर शैतान सिंह ने रामचंद्र से कहा कि बटालियन में जाओ रामचंद्र और उन्हें बताओ कि कंपनी कितनी बहादुरी से लड़ी और शहीद हो गई। सवा 5 बजे मेजर शैतान सिंह की सांसें थम चुकी थीं। इसके बाद रामचंद्र यादव ने उनके शरीर को बर्फ से ढंक दिया। मेजर शैतान सिंह के अंगरक्षक निहाल सिंह ने उनके आखिरी शब्द सुन लिए थे। वो वहां से निकलकर भाग जाना चाहते थे। उन्होंने किसी तरह अपनी लाइट मशीन गन के पुर्जे अलग किए, ताकि दुश्मन सैनिक उसका इस्तेमाल न कर सकें। लेकिन उनके दोनों हाथों में गोली लग चुकी थी और तभी चीनी सैनिकों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। फिर भी रात के अंधेरे में चीनी सैनिकों को चकमा देकर निहाल सिंह वहां से निकल भागे। भटकते-भटकते 19 नवंबर की दोपहर को निहाल सिंह हेडक्वार्टर पहुंचे, उन्हें जम्मू के अस्पताल में भर्ती कराया गया। जब अधिकारियों ने पूछा कि वहां क्या हुआ था, तो निहाल सिंह ने पूरी कहानी सुनाई। शुरुआत में उनकी बातों पर किसी ने भरोसा नहीं किया। इतिहासकार रचना बिष्ट एक इंटरव्यू में बताती हैं कि वो जवान रेजांग ला से वापस नहीं लौटे। उन्हें दो-तीन महीनों तक कायर कहा गया। आसपास के गांववालों ने उनके परिवारों से बात करना भी छोड़ दिया। यहां तक कि उनके बच्चों को भी स्कूल से निकाल दिया गया। 3 महीने बाद फरवरी 1963 में एक स्थानीय चरवाहे ने बर्फ में जमी लाशें देखकर नजदीकी भारतीय पोस्ट को सूचित किया। सूचना मिलने पर सर्च के लिए टीम भेजी गई। टीम ने वहां जो देखा, वो होश उड़ा देने वाला था। 13 कुमाऊं बटालियन के सैनिकों के शव मोर्चे पर अपनी पोजिशंस पर ही जमे मिले। कितने तो मरते-मरते हथियार जकड़े ही हुए थे। अंतिम संस्कार के लिए हथियारों को अलग करने में मेडिकल टीम के पसीने छूट गए। रेजांग ला की इस लड़ाई में 113 भारतीय सैनिक शहीद हुए। 6 जवानों को बंदी बना लिया गया, जिनमें से एक निहाल सिंह कैद से भाग निकले। एक की मृत्यु चीन की कैद में हुई और 4 वापस देश लौट गए। रेजांग ला की लड़ाई में भारतीय जवानों ने चीनियों को करारा जवाब दिया था। बाद में खुद चीन के रेडियो प्रसारण ने माना कि इस मुकाबले में उनके सैनिकों की हताहत संख्या भारत की तुलना में चार से पांच गुना ज्यादा हुई थी। माना जाता है कि उनकी वीरता को देखकर चीनी सैनिक भी स्तब्ध रह गए थे। जब टीम वहां पहुंची तो उन्होंने देखा कि चीनी सैनिक कई भारतीय सैनिकों की लाशों को आर्म्स डाउन सेल्यूट देकर गए थे। इसे सैनिक परंपरा में सम्मान और श्रद्धांजलि का प्रतीक माना जाता है। आसान शब्दों में कहें तो लाशों पर चीनी सैनिकों की राइफलों के मुंह नीचे की ओर झुके हुए रखे गए थे। कुछ रिकॉर्ड्स ये भी कहते हैं कि लड़ाई के बाद चीनी सैनिकों ने अपने कमांडरों से जाकर कहा था- They did not retreat an inch यानी वे एक इंच भी पीछे नहीं हटे। 13 कुमाऊं की ‘सी कंपनी’ को बाद में कई सम्मान मिले। मेजर शैतान सिंह को मरणोपरांत परमवीर चक्र, जबकि आठ अन्य जवानों को वीर चक्र से सम्मानित किया गया। छह बचे हुए सैनिकों में से पांच को सेना मेडल और एक को मेंशन इन डिस्पैच दिया गया। यह एकमात्र ऐसी कंपनी थी जिसे भारतीय सेना के इतिहास में सबसे ज्यादा वीरता पुरस्कार एक साथ मिले। फरहान अख्तर की फिल्म का ट्रेलर लॉन्च होने के बाद इसका नाम ‘120 बहादुर’ से बदलकर ‘120 वीर अहीर’ करने की मांग उठाई जा रही है। अहीर समाज का आरोप है कि फिल्म में अहीरों की कहानी को कम दिखाकर, इसे मेजर शैतान सिंह भाटी पर केंद्रित कर दिया गया है। अब सच्चाई क्या है, ये तो फिल्म रिलीज होने के बाद ही पता चला चलेगा। **** ये स्टोरी दैनिक भास्कर में फेलोशिप कर रहे प्रथमेश व्यास ने लिखी है। **** References and Further Readings: -------------- ये खबर भी पढ़िए... जब ईरान ने 53 अमेरिकियों को बंधक बनाया:अमेरिका गिड़गिड़ाता रहा, छुड़ाने गए 8 कमांडोज की लाश लौटी; 444 दिनों के जद्दोजहद की कहानी 4 नवंबर 1979 की सुबह… यानी आज से ठीक 46 साल पहले। वॉशिंगटन डीसी स्थित अमेरिकी विदेश मंत्रालय के दफ्तर का फोन बजा। कॉल ईरान से थी। वहां अमेरिकी दूतावास की पॉलिटिकल ऑफिसर एलिजाबेथ ऐन स्विफ्ट ने हांफते हुए कहा- हमला हो गया है। भीड़ दीवार फांदकर दूतावास के अंदर घुस रही है और दूतावास पर कभी भी कब्जा हो सकता है। एलिजाबेथ के आखिरी शब्द थे- ‘वी आर गोइंग डाउन’। पूरी खबर पढ़ें...

दैनिक भास्कर 18 Nov 2025 5:24 am

मोहम्मद बिन सलमान की अमेरिका दौरा, सऊदी के साथ इस लड़ाकू विमान की डील करेंगे ट्रंप

सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान 7 साल बाद अमेरिका दौरे पर होंगे, जहां F-35 स्टील्थ लड़ाकू विमानों की बिक्री को ट्रंप मंजूरी देंगे.

ज़ी न्यूज़ 18 Nov 2025 4:21 am

बांग्लादेश: हसीना की सजा को अवामी लीग ने बताया'अवैध', मंगलवार को देशव्यापी बंद का ऐलान

अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को दोषी ठहराए जाने का विरोध करते हुए अवामी लीग ने मंगलवार को देशव्यापी बंद का ऐलान किया है

देशबन्धु 18 Nov 2025 4:10 am

काश उन्होंने मेरी बात मान ली होती, सऊदी हादसे में परिवार के 18 लोग खोने के बाद झलका दर्द

सऊदी बस हादसे में 45 लोगों की जान चली गई, इसमें से एक ही परिवार के 18 लोग भी थे. उनके अपनों ने उमरा के लिए जाने से पहले एक जरूरी सलाह दी थी, जिस पर अमल नहीं किया गया.

ज़ी न्यूज़ 17 Nov 2025 11:45 pm

चीन से तनाव के बीच जापान ने 'विशेष दूत' को भेजा बीजिंग

चीन से बढ़ते तनाव के बीच जापान ने अपने वरिष्ठ अधिकारी को बीजिंग भेजा है। टोक्यो को उम्मीद है कि बिगड़े रिश्तों में सुधार आएगा

देशबन्धु 17 Nov 2025 11:23 pm

भारत को अस्थिर करने के लिए बांग्लादेश को प्रभावित करने की मची होड़ : प्रियम गांधी

बांग्लादेश में चल रही उठापटक की स्थिति और उसे प्रभावित किए जाने की कोशिश पर विदेश मामलों की विशेषज्ञ और विश्वामित्र रिसर्च फाउंडेशन की संस्थापक प्रियम गांधी-मोदी ने कहा कि भारत के पड़ोस में अच्छे दोस्त नहीं हैं

देशबन्धु 17 Nov 2025 11:18 pm

ड्राइवर के पास थी सीट, फिर भी रहे सलामत, जानिए सऊदी बस हादसे में जिंदा बचे शख्स की हैरतअंगेज दास्तां

Mecca Medina bus accident: सऊदी अरब बस हादसे में 45 भारतीय उमराह तीर्थयात्रियों की मौत हुई, लेकिन एक शख्स जिंदा बच गया. कैसे हुआ ये करिश्मा.

ज़ी न्यूज़ 17 Nov 2025 11:07 pm

सऊदी अरब हादसा: किरेन रिजिजू ने शेयर किए हेल्पलाइन नंबर, बोले-मैं स्तब्ध और दुखी हूं

सऊदी अरब में हुए बस हादसे में भारतीय नागरिकों की मौत पर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने शोक संतप्त परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की

देशबन्धु 17 Nov 2025 11:02 pm

सऊदी अरब हादसे में मारे गए लोगों की पहचान कर पाना मुश्किल, ईरानी दूतावास ने जताया शोक

सऊदी अरब के मदीना में हुई बस दुर्घटना में भारतीय यात्रियों की मौत पर नई दिल्ली स्थित ईरानी दूतावास ने सोमवार को दुख जाहिर किया

देशबन्धु 17 Nov 2025 10:55 pm

मानव तस्करी के बड़े रैकेट का भंडाफोड़, सरगना को म्यांमार से उठा लाई गुजरात पुलिस

Human trafficking: म्यांमार के केके पार्क में माफिया की तरफ से चलाए जा रहे घोटाला केंद्रों के सरगना को गुजरात के साइबर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस ने गिरफ्तार कर बड़ी सफलता हासिल की है. गुजरात में ये ग्रुप पिछले काफी समय से सक्रिय बताया जा रहा था, जिसके एजेंट युवाओं को नौकरी का लालच देते थे लेकिन अब गुजरात साइबर सेंटर ने उनका भंडाफोड़ कर दिया है.

ज़ी न्यूज़ 17 Nov 2025 9:53 pm

Sheikh Hasina Death Penalty: 'जिस शासन को जनता ने नहीं चुना, वो कर रहा दिखावा', शेख हसीना को मौत की सजा मिलने पर बोले सजीब

Sheikh Hasina Death Sentence:अमेरिका में रहने वाले सजीब ने हमारे सहयोगी चैनल WION के संवाददाता सिद्धांत सिब्बल से बातचीत में कहा कि संसदीय अनुमोदन के बिना कानूनों में संशोधन किए जाने के बाद 100 दिनों से भी कम समय में मुकदमा जल्दबाजी में शुरू कर दिया गया.

ज़ी न्यूज़ 17 Nov 2025 9:19 pm

मैरिज एनिवर्सरी पर शेख हसीना को मिली सजा-ए-मौत...क्या जानबूझकर चुनी गई 17 नवंबर की तारीख?

Sheikh Hasina:सोशल मीडिया पर अब जमकर बहस चल रही है. यूजर्स का एक धड़ा यह आरोप लगा रहा है कि हसीना को मौत की सजा सुनाने के लिए जानबूझकर 17 नवंबर की तारीख तय की गई. सुनवाई 23 अक्टूबर को खत्म हो गई थी और सजा असल में 14 नवंबर को सुनाई जानी थी.

ज़ी न्यूज़ 17 Nov 2025 7:32 pm

हथियारबंद बदमाशों ने गर्ल स्कूल पर हमला कर 25 छात्राओं को किया अगवा, वाइस प्रिंसिपल की गोली मारकर हत्या

Girl students kidnapped: बदमाशों के पास अत्याधुनिक हथियार थे और उन्होंने स्कूल में 4 बजे घुसते ही गोलीबारी शुरू कर दी. हालांकि, स्कूल में तैनात पुलिस के जवानों ने उनसे मुठभेड़ की लेकिन बदमाश उससे पहले ही स्कूल की बिल्डिंग के अंदर घुस चुके थे.

ज़ी न्यूज़ 17 Nov 2025 7:30 pm

शेख हसीना ने कोर्ट के फैसले को बताया 'पक्षपाती' और 'राजनीति से प्रेरित', बोलीं-उनका उद्देश्य अवामी लीग को बलि का बकरा बनाना है

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल (आईटीसी) के फैसले पर पहली प्रतिक्रिया सामने आई है

देशबन्धु 17 Nov 2025 6:48 pm

ट्रंप के किस कदम से भारतीय किसानों को हो सकता है फायदा

डॉनल्ड ट्रंप ने 200 से ज्यादा खाद्य पदार्थों को टैरिफ से छूट दी है. इसका फायदा भारतीय किसानों को भी मिलने की उम्मीद है

देशबन्धु 17 Nov 2025 6:35 pm