मिडिल ईस्ट में सऊदी अरब और इजराइल के बीच एक छोटा का मुल्क है- जॉर्डन। पीएम नरेंद्र मोदी 15 और 16 दिसंबर को यहीं के दौरे पर हैं। जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला II के आलीशान हुसैनिया पैलेस में सोमवार शाम पीएम मोदी का स्वागत हुआ। किंग अब्दुल्ला को पैगंबर मोहम्मद की 41वीं पीढ़ी का वंशज माना जाता है। उनका परिवार 1400 साल से जॉर्डन पर राज कर रहा है। अब्दुल्ला का नाम सबसे अमीर किंग और उनकी पत्नी का सबसे खूबसूरत क्वीन में शुमार होता है। इस स्टोरी में जानेंगे, जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला द्वितीय की कहानी और उनसे जुड़े रोचक किस्से… तारीख 30 जनवरी 1962 और जगह जॉर्डन की राजधानी अम्मान। किंग हुसैन और उनकी दूसरी पत्नी प्रिंसेस मुना के घर एक बच्चे का जन्म हुआ। किंग हुसैन की ये पहली संतान थी। उन्होंने दादा अब्दुल्ला के नाम पर उस बच्चे का नाम रखा- अब्दुल्ला द्वितीय इब्न अल हुसैन। कायदे से किंग का सबसे बड़ा बेटा क्राउन प्रिंस बनता है। इसलिए अब्दुल्ला द्वितीय जन्म से ही क्राउन प्रिंस बने। हालांकि जब वे 3 साल के हुए तो मिडिल ईस्ट में राजनीतिक उठापटक शुरू हो गई। ऐसे में किंग हुसैन ने छोटे भाई हसन बिन तलाल को क्राउन प्रिंस बना दिया। दरअसल, क्राउन-प्रिंस राजा की मौत या उनके गद्दी छोड़ने के बाद देश का राजा बनता है। अब्दुल्ला की शुरुआती पढ़ाई अम्मान के इस्लामिक एजुकेशनल कॉलेज में हुई। इसके बाद उन्होंने इंग्लैंड के सेंट एडमंड्स स्कूल और अमेरिका के डियरफील्ड एकेडमी से स्कूली पढ़ाई पूरी की। अब्दुल्ला की बचपन से ही आर्मी और हथियारों में दिलचस्पी थी। 1980 में उन्होंने इंग्लैंड की ब्रिटिश रॉयल मिलिट्री एकेडमी में ट्रेनिंग ली और ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने कुछ समय ब्रिटिश आर्म्ड फोर्सेस में काम किया। फिर जॉर्डन आर्म्ड फोर्सेस जॉइन की। 1993 में स्पेशल फोर्सेस के डिप्टी कमांडर और अगले साल कमांडर बने। 9 साल छोटी एक आम लड़की से पहली नजर में प्यार, 6 महीने बाद शादी साल 1992 के आखिरी महीने का किस्सा है। एक शाम अब्दुला एक डिनर पार्टी में गए। वे साथियों के साथ शाम का लुफ्त उठा रहे थे। तभी वहां एक फिलिस्तीनी लड़की ने कदम रखे। नाम था- रानिया अल-यासीन। पहली ही नजर में 31 साल के अब्दुल्ला के दिल में 23 साल की रानिया बस गई। रानिया को भी उनसे प्यार हो गया। दोनों के बीच गुफ्तगू हुई। फिर दोस्ती और मोहब्बत तक बात पहुंच गई। पहली मुलाकात के 6 महीने बाद अब्दुला और रानिया ने सगाई कर ली और फिर 10 जून 1993 को अम्मान के जहरान पैलेस में शादी। शादी के वक्त अब्दुला ने अपनी सैन्य वर्दी पहनी हुई थी और कमर पर एक तलवार लगाई थी। वहीं रानिया ने सोने की किनारी वाला छोटी आस्तीन का गाउन पहना था। साथ में सुनहरा बेल्ट, सफेद जैकेट और दस्ताने पहने थे। रानिया किसी शाही परिवार से नहीं थीं। फिर भी अब्दुल्ला का परिवार इस शादी के लिए राजी हो गया। दरअसल, रानिया का जन्म 31 अगस्त 1970 को वेस्ट बैंक के एक फिलिस्तीनी परिवार में हुआ था। पिता फैजल डॉक्टर थे। बाद में वे काम के सिलसिले में परिवार के साथ कुवैत चले गए, लेकिन 1990 में उन्हें कुवैत से जॉर्डन आना पड़ा। इस दौरान रानिया काहिरा की अमेरिकन यूनिवर्सिटी से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की पढ़ाई कर रही थीं। पढ़ाई पूरी होने के बाद वे जॉर्डन आईं। पहले एक बैंक में और फिर एपल कंपनी उन्होंने काम किया। आज रानिया जॉर्डन की महारानी हैं। उनके 4 बच्चे हैं- प्रिंस हुसैन, प्रिंसेस इमान, प्रिंसेस सलमा और प्रिंस हाशेम। रानिया महिलाओं और बच्चों की पढ़ाई, अधिकार और पोषण के लिए काम करती हैं। इसके लिए प्रोग्राम्स चलाती हैं। सोशल मीडिया और ग्लोबल समिस्ट्स में एक्टिव रहती हैं। अक्सर वे अपने मॉडर्न लुक, डिजाइनर कपड़ों, ज्वेलरी और मेकअप के लिए सुर्खियों में छाई रहती हैं। रानिया दुनिया की सबसे सुंदर और मिलनसार महारानियों में शुमार हैं। दूसरी बार क्राउन प्रिंस बने, 2 हफ्ते बाद मिली जॉर्डन की गद्दी किस्सा है जनवरी 1999 का। 63 साल के किंग हुसैन 46 साल से जॉर्डन की गद्दी संभाल रहे थे, लेकिन कैंसर से जूझ रहे थे। एक दिन अचानक से उनकी तबीयत बहुत बिगड़ गई। उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया, लेकिन उनके बचने की उम्मीद दिन-ब-दिन कम हो रही थी। फिर एक दिन अस्पताल से एक चिट्ठी आई, जिसने पूरे देश में हंगामा मचा दिया। ये चिट्ठी क्राउन प्रिंस तलाल के लिए थी। इसमें लिखा था कि किंग हुसैन छोटे भाई क्राउन प्रिंस हसन बिन तलाल से काफी नाराज हैं। उन्होंने तलाल पर सत्ता के गलत इस्तेमाल का आरोप लगाया। इसके चलते तलाल को क्राउन प्रिंस के पद हटा दिया गया। कहा गया कि किंग हुसैन को अपने आखिरी दिनों में लगा कि बेटे को ही उत्ताराधिकारी बनाना सही रहेगा। ऐसे में उन्होंने सबसे बड़े बेटे अब्दुल्ला द्वितीय को दोबारा क्राउन प्रिंस बनाया। दोबारा इसलिए, क्योंकि अब्दुल्ला जन्म से ही क्राउन प्रिंस थे। लेकिन जब वे 3 साल के हुए तो मिडिल ईस्ट में उठापटक शुरू हो गई। ऐसे में किंग हुसैन ने 1965 में छोटे भाई हसन बिन तलाल को क्राउन प्रिंस बना दिया। अब्दुल्ला के क्राउन प्रिंस बनने के 2 हफ्ते बाद 7 फरवरी 1999 को किंग हुसैन चल बसे। इसी दिन अब्दुल्ला जॉर्डन के नए राजा बने। हालांकि 4 महीने बाद 9 जून 1999 को उनका राज्याभिषेक हुआ। सौतेले भाई को पहले प्रिंस बनाया, फिर 5 साल बाद हटाया; आज नजरबंद अब्दुल्ला ने सत्ता संभालते ही सौतेले भाई प्रिंस हमजा को क्राउन प्रिंस बनाया। कहा गया कि ये भाई-भाई का प्यार है। लेकिन बात कुछ और थी। दरअसल, किंग हुसैन ने 4 शादियां की थी। हमजा उनकी चौथी बेगम नूर अल-हुसैन का बेटा था। नूर चाहती थीं कि हुसैन के बाद हमजा राजा बने और वे खुद राजमाता। किंग हुसैन को भी अपनी 11 संतानों में से हमजा सबसे ज्यादा प्यारा था। वे उसे आंखों का सुकून कहते। इतना चहेता होने के कारण किंग हुसैन ने मरते वक्त अब्दुल्ला से कहा कि राजा बनते ही वे हमजा को क्राउन प्रिंस बनाए। अब्दुल्ला ने ठीक ऐसा किया, लेकिन 5 साल बाद सबकुछ बदल गया। नवंबर 2008 में अब्दुल्ला ने हमजा को क्राउन प्रिंस के पद से हटा दिया। अब्दुल्ला ने हमजा को एक चिट्ठी भी लिखी, 'इस पद के कारण से तुम कुछ जरूरी जिम्मेदारियां नहीं उठा पा रहे हो। जॉर्डन को तुम्हारी जरूरत है। ऐसे में मैंने तुम्हें क्राउन प्रिंस के पद से हटाने का फैसला किया है। उम्मीद है तुम राजा के प्रति वफादार बने रहोगे।’ चिट्ठी की बातें तो अच्छी थी, लेकिन मकसद कुछ और था। दरअसल, अब्दुल्ला हमजा को हटाकर अपने बेटे हुसैन के लिए रास्ता बना रहे थे। जुलाई 2009 में उन्होंने हुसैन को क्राउन प्रिंस बना भी दिया। फिर अप्रैल 2021 में खबरें आईं कि पूर्व क्राउन प्रिंस हमजा को उनके ही घर में नजरबंद कर दिया गया है। उनकी सिक्योरिटी हटा ली गई है और उन्हें घर से नहीं निकलने दिया जा रहा। किसी से मिलने, बात करने, फोन और इंटरनेट पर भी रोक लगा दी गई। तब जॉर्डन के डिप्टी पीएम ऐमान सफादी ने कहा कि प्रिंस हमजा जॉर्डन की सुरक्षा और स्थिरता के खिलाफ काम कर रहे थे। इसलिए उन्हें हिरासत में लिया गया है। हमजा पर तख्तापलट का आरोप लगा। ISIS के आतंकियों को मारने खुद उड़ाया फाइटर जेट! साल 2015 और तारीख 2 फरवरी। आतंकी संगठन ISIS ने 22 मिनट का एक वीडियो जारी किया। इसमें जॉर्डन के पायलट लेफ्टिनेंट मुआथ अल-कसासबह से पहले पूछताछ की गई। फिर उसे पिंजरे में बंद करके जिंदा जला दिया गया। दरअसल, पिछले साल दिसंबर में 27 साल के मुआथ का F-16 फाइटर जेट सीरिया में ISIS के खिलाफ एक मिशन में क्रैश हो गया था। इसके बाद ISIS ने उन्हें पकड़ लिया। मुआथ की मौत का वीडियो देखकर जॉर्डन में गुस्सा फूट पड़ा। लोग सड़कों पर उतर आए। ‘बदला लो!’ के नारे लगने लगे। उस वक्त किंग अब्दुल्ला अमेरिका में थे। जैसे ही खबर मिली, वो फौरन जॉर्डन लौट आए। अम्मान एयरपोर्ट से अब्दुल्ला सीधे मुआथ के परिवार से मिलने गए। वहां उन्होंने कहा, ‘ये कायरों की हरकत है। ISIS न सिर्फ जॉर्डन से लड़ रहा है, बल्कि इस्लाम और इंसानियत से भी। हम इसका जवाब इतना जोरदार देंगे कि धरती हिल जाएगी।’ अगले ही दिन जॉर्डन ने ISIS के 2 आतंकियों को फांसी दे दी। इसके बाद किंग अब्दुल्ला ने ‘ऑपरेशन शहीद मुआथ’ लॉन्च किया। 3 दिन के इस ऑपरेशन में जॉर्डन की एयर फोर्स ने सीरिया में मौजूद ISIS के ठिकानों पर जोरदार बमबारी की। इसमें 56 आतंकी मारे गए। इस बीच किंग अब्दुल्ला की एक फोटो वायरल हुई, जिसमें वो जंग वाली वर्दी में नजर आए। सोशल मीडिया पर चर्चा होने लगी कि किंग खुद फाइटर जेट उड़ा रहे हैं। वो ISIS पर बम बरसा रहे हैं। अब्दुल्ला को ‘वॉरियर किंग’ कहा जाने लगा। हालांकि कुछ देर बाद साफ हो गया कि ये सब अफवाह है और अब्दुल्ला ने खुद जेट नहीं उड़ा। उन्होंने सिर्फ ऑपरेशन की कमान संभाली। फिर भी इस घटना ने किंग अब्दुल्ला की इमेज को और मजबूत कर दिया। वो एक ऐसे नेता बने जो अपने देश और सैनिकों के लिए कुछ भी कर सकते हैं। दुनिया के सबसे अमीर राजाओं में शुमार; 6,750 करोड़ की संपत्ति, 12 पैलेस किंग अब्दुल्ला के अनुमानित पर्सनल प्रॉपर्टी करीब 750 मिलियन डॉलर यानी 6,750 करोड़ रुपए है। इसमें उनकी विरासत, रियल एस्टेट, इन्वेस्टमेंट्स और अन्य इनकम शामिल है। दुनिया के सबसे अमीर राजाओं में अब्दुल्ला का नाम शुमार है। हालांकि उनकी सैलरी के बारे में कोई जानकारी नहीं है। अब्दुल्ला के पास 12 पैलेस हैं, जिनका इस्तेमाल शाही परिवार घर और ऑफिस के तौर पर करता है। उनके शाही परिवार और महलों पर सालाना 35 मिलियन डॉलर यानी 300 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए जाते हैं। इसके अलावा उनके पास एक रॉयल ऑटोमोबाइल म्यूजियम है, जिसमें 80 से ज्यादा कार और बाइक हैं। इसमें रोल्स-रॉयस, बुगाटी वेरोन, पॉर्शे, एस्टन मार्टिन, मर्सिडीज जैसी लग्जरी कारें शामिल हैं। वहीं हार्ले-डेविडसन, BMW, Zundapp KS जैसी आलीशान बाइक हैं। इसके अलावा उनके पास 3 एयरक्राफ्ट और 1 यॉट है। अब्दुल्ला को सबसे मॉर्डन किंग भी माना जाता है। पैंडोरा पेपर्स, स्विस सीक्रेट्स से अब्दुल्ला की 3,200 करोड़ की संपत्ति उजागर अक्टूबर 2021 में पैंडोरा पेपर्स का खुलासा हुआ, जिसमें 1.19 लाख दस्तावेज और 2.9 टीबी डेटा लीक हुआ। इसमें पता चला कि किंग अब्दुल्ला ने 2003 से 2017 के बीच गुप्त रूप से अमेरिका और ब्रिटेन में 14 लग्जरी संपत्तियां खरीदीं। इनकी कीमत करीब 100 मिलियन डॉलर यानी करीब 900 करोड़ है। इसमें मालिबू बीच की 3 आलीशान हवेली, वॉशिंगटन डीसी के 3 लक्जरी अपार्टमेंट, लंदन और एस्कॉट के कई घर शामिल हैं। फरवरी 2022 में स्विट्जरलैंड के 'क्रेडिट सुइस' बैंक के 18 हजार खातों का डेटा लीक हुआ। इसका नाम रखा गया- स्विस सीक्रेट्स। इसमें किंग अब्दुल्ला के 6 सीक्रेट अकाउंट मिले, जिनमें करीब 250 मिलियन डॉलर यानी 2250 करोड़ रुपए जमा थे। इस पर रॉयल हाशेमाइट कोर्ट ने कहा, यह पैसा राजा अब्दुल्ला का निजी। इसका इस्तेमाल सुरक्षा, रॉयल प्रोजेक्ट्स, निजी खर्च और इस्लामी पवित्र स्थलों के रखरखाव के लिए किया जाता है। अपने पसंदीदा 'स्टार ट्रेक' सीरियल में एक्टिंग की जब अब्दुल्ला 34 साल के थे, तब उन्हें स्पेस एडवेंचर, एलियंस और स्टारशिप में काफी दिलचस्पी थी। इसी के चलते वे एक साइंस फिक्शन सीरियल ‘स्टार ट्रेक: वॉयजर’ के फैन बन गए। एक बार जब वे इसकी शूटिंग देखने कैलिफोर्निया के पैरामाउंट स्टूडियो पहुंचे तो सीरियल के प्रोड्यूसर्स ने उन्हें एक छोटा रोल ऑफर किया। अब्दुल्ला ने खुशी-खुशी ऑफर अपना लिया। 13 मार्च 1996 को पब्लिश हुए शो में अब्दुल्ला एक साइंस ऑफिसर के तौर पर नजर आए। हालांकि उन्होंने न तो डायलॉब बोल और न ही क्रेडिट लिया। कुछ ही सेकंड के लिए वे स्क्रीन पर नजर आए। एक फैन के तौर पर अब्दुल्ला इतना खुश हुए कि उन्होंने शो के दो एक्टर्स- इथन फिलिप्स और रॉबर्ट पिकार्डो को जॉर्डन आने का न्योता दे दिया। बाद वे दोनों जॉर्डन गए भी। कार रेसिंग, स्कूबा डाइविंग, स्काइ डाइविंग के शौकीन 1980 के दशक में स्पेशल फोर्सेस के कमांडो रह चुके किंग अब्दुल्ला को एडवेंचर गेम्स बहुत पसंद है। उनका कार रेसिंग से बहुत जुड़ाव है। वे 1986 और 1988 में जॉर्डनियन डेजर्ट रैलियों में चैंपियन बने। उन्होंने रेगिस्तान में कई रैलियां भी जीतीं। 2000 में अब्दुल्ला ने जॉर्डन में बनी ‘Black Iris’ रैली कार खुद चलाई, जो यंग रैली ड्राइवरों के लिए सस्ती कार थी। आज भी वे रैली से पहले ट्रैक चेक करने वाली ‘जीरो कार’ चलाते हैं। इसके अलावा वे एक क्वालिफाइड फ्रॉगमैन यानी पेशेवर सैन्य गोताखोर हैं। रेड सी पर बना शहर अकाबा उनकी पसंदीदा स्कूबाडाइविंग जगह है। वे अपने बेटे क्राउन प्रिंस हुसैन के साथ समुद्र की गहराई में जाकर कचरा साफ करने के लिए क्लीन-अप डाइव्स भी करते हैं। अब्दुल्ला को स्काईडाइविंग और पैराशूटिंग का भी शौक है। वे फ्री-फॉल पैराशूटिस्ट हैं। यानी जो प्लेन से कूदकर कुछ समय तक बिना पैराशूट खोले हवा में गिरते हैं और तय ऊंचाई पर पैराशूट खोलकर फिर जमीन पर उतरते है। किंग बनने से पहले वे रेगुलर स्काईडाइविंग करते थे, लेकिन अब सुरक्षा कारणों से वे ये शौक पूरा नहीं कर पाते। हालांकि स्पेशल फोर्सेस की ट्रेनिंग में जंप मास्टर बनकर जवानों का हौसला बढ़ाते हैं। **** पीएम मोदी की जॉर्डन यात्रा से जुड़ी ये खबर भी पढ़िए... मोदी बोले- आतंकवाद के खिलाफ जॉर्डन की सोच भारत जैसी: किंग अब्दुल्ला के साथ द्विपक्षीय बैठक की; हुसैनिया महल में PM का स्वागत हुआ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला से हुसैनिया पैलेस में मुलाकात की। हुसैनिया पैलेस पहुंचने पर पीएम का औपचारिक स्वागत किया गया। दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय बैठक भी की। पूरी खबर पढ़ें...
दुनिया में ऑस्ट्रेलिया की पहचान तीन जगहों से है- ओपेरा हाउस, सिडनी हार्बर ब्रिज और बॉन्डी बीच। ओपेरा हाउस और सिडनी हार्बर ब्रिज तो पहले की तरह गुलजार हैं, लेकिन सिडनी के मशहूर बॉन्डी बीच पर मातम पसरा है। 14 दिसंबर की शाम दो हमलावरों ने यहूदियों को टारगेट कर 50 राउंड फायरिंग की। 15 लोग मारे गए। 40 लोग घायल हैं। ये सभी धार्मिक त्योहार ‘हनुक्का’ सेलिब्रेट कर रहे थे। मरने वालों में फेस्टिवल ऑर्गनाइज करने वाले एली स्लैंगर भी थे। हमलावरों ने सबसे पहले उन्हें ही गोली मारी। सिडनी में रहने वाले 41 साल के एली स्लैंगर ऑस्ट्रेलिया के यहूदियों में जाना-पहचाना नाम थे। मरने वालों में 10 साल की बच्ची से लेकर बुजुर्ग तक हैं। दैनिक भास्कर ने बॉन्डी बीच में हुए हमले के चश्मदीद और विक्टिम रहे कुछ किरदारों से बात की। पहले किरदार: यांकी बर्गरयहूदियों के नेता और एली स्लैंगर के दोस्तऑस्ट्रेलिया की राजधानी सिडनी के बॉन्डी बीच वाले इलाके में देश के सबसे अमीर लोग रहते हैं। यहूदी समुदाय के ज्यादातर लोग बड़े कारोबारी हैं और इसी इलाके में रहते हैं। ऑस्ट्रेलिया में यहूदियों को शांति से रहने वाली प्रोफेशनल कम्युनिटी के तौर पर जाना जाता है। इसी एरिया में रहने वाले यांकी बर्गर यहूदियों के नेता है। वे बताते हैं, ‘बॉन्डी बीच पर मेरे दोस्त एली स्लैंगर ने हनुक्का फेस्टिवल का आयोजन किया था। अचानक 2 आतंकियों ने फेस्टिवल को टारगेट कर फायरिंग शुरू कर दी। फेस्टिवल मना रहे लोग भागने लगे। आतंकियों ने महिलाओं, बच्चों, बुजुर्ग सभी को गोली मारी।’ ‘पहली गोली एली को ही लगी। एली यहूदियों के नेता थे। उनके 5 बच्चे हैं। एली खुशमिजाज शख्स थे। हमले के वक्त वे स्टेज पर खड़े थे। तभी हमलावरों ने उनके सिर पर गोली मारी।’ हमले के वक्त यांकी बर्गर के बेटे और पोती भी फेस्टिवल में मौजूद थे। उनकी आंखों देखी बताते हुए यांकी कहते हैं, ‘बेटे मेंडी ने फायरिंग की आवाज सुनी। मेरी पोती बाथिया उसके साथ थी। मेंडी ने बेटी को गोद में उठाया और बचने के लिए छिप गया। उसे महसूस हो रहा था कि फायरिंग की आवाज तेज हो रही है और उसके आसपास भीड़ जमा हो रही है।’ ‘मेंडी को लगा कि अब मौत करीब है। वो बेटी के साथ हमारे धर्म में पढ़ी जाने वाली आखिरी प्रार्थना करने लगा। उसने लोगों को गोली लगते और गिरते देखा। हमलावरों को भी करीब से देखा। इस हमले के बाद लोग खौफ और सदमे में हैं। दर्द से जूझ रहे हैं, लेकिन उम्मीद है हम और ज्यादा मजबूत बनेंगे।’ ‘हमास के हमले के बाद ऑस्ट्रेलिया में यहूदियों के खिलाफ नफरत बढ़ी’यांकी ऑस्ट्रेलिया की सरकार से नाराज दिखते हैं। वे कहते हैं, ‘7 अक्टूबर 2023 को इजराइल पर हमास के हमले के बाद से ऑस्ट्रेलिया में यहूदियों के खिलाफ नफरत बढ़ी है। यहां भीड़ यहूदियों के खिलाफ प्रदर्शन करती थी। इसके बावजूद सरकार कुछ नहीं करती थी। प्रदर्शन में शामिल लोग कई बार यहूदियों को मारने की बात कहते थे। एली स्लैंगर इसी तरह के मुद्दे उठाते रहते थे।’ ‘यहूदी होने के नाते मुझे लगता है कि इस हमले के बाद जरूरी है कि हमारी सुरक्षा के लिए ऑस्ट्रेलिया की सरकार कदम उठाए। समुदाय के तौर पर भी ये हमारे लिए बड़ी सीख है। हमें और ज्यादा एकजुट रहना होगा। होलोकास्ट के सिर्फ 3 साल बाद हमने 1948 में अपना खुद का देश इजराइल बनाया था।’ ‘पूरी दुनिया जानती है कि यहूदियों ने सदियों से बहुत कुछ झेला है। मुझे लगता है कि अब यहूदी जाग गए हैं और अपने खिलाफ होने वाले जुल्म के खिलाफ आवाज उठाना सीख गए हैं। हम फेस्टिवल मनाने के लिए इकट्ठे हुए थे। ये रोशनी का त्योहार है। अंधेरे को दूर करता है और दुनिया को रोशन बनाने का संदेश देता है।’ एली स्लैंगर के एक और दोस्त एलीजर टेवेल ने उनके लिए लिखा, ‘वे सिर्फ अपना काम कर रहे थे। वे किसी युद्ध के मैदान में नहीं थे। वे सिर्फ एक फेस्टिवल में थे।’ दूसरे किरदार: अमित सरवालऑस्ट्रेलिया टुडे के एडिटरअमित सरवाल बताते हैं, ‘हादसे के बाद पुलिस ने पूरे बॉन्डी बीच को खाली करवा लिया था। इस इलाके से एक कार मिली है। इसे हमलावरों की कार बताया जा रहा है। कार में बम बनाने का सामान मिला है। हमलावरों में 24 साल का नवीद अकरम शामिल है। उसका ड्राइविंग लाइसेंस भी मिला। इसके बाद हमलावरों के घर पर छापेमारी की गई।’ ‘ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंटनी अल्बनीज ने हाईलेवल सिक्योरिटी मीटिंग बुलाई थी। वे चाहते हैं कि बंदूक लाइसेंस से जुड़े नियमों को सख्त किया जाए। एक व्यक्ति के पास 1-2 से ज्यादा हथियार न हों, ये सुनिश्चित करने की बात हो रही है।’ क्या इसे यहूदी विरोधी इस्लामिक हिंसा माना जाए? अमित जवाब देते हैं, ‘अभी ये पुख्ता तरीके से नहीं कहा जा सकता। ये कंफर्म होना बाकी है कि हमलावर कुछ ऐसा बोल रहे थे या उन्होंने इस्लाम का हवाला देकर हमले के समर्थन में पोस्टर-पर्चे फेंके हों।’ ‘ये सच है कि बॉन्डी बीच पर उस वक्त बहुत सारे लोग थे। टारगेट करके सिर्फ यहूदियों को ही मारा गया। हमलावरों ने दूसरे कैफे में बैठे लोगों पर फायरिंग नहीं की। जानबूझकर फेस्टिवल मना रहे यहूदियों पर ही फायरिंग की। प्रधानमंत्री और पुलिस ने भी ये बात मानी है। हमलावरों ने राजनीति या धर्म से प्रेरित होकर हमला किया, ये अब तक साफ नहीं हो सका है।’ ‘ऑस्ट्रेलिया की पार्टी ग्रीन्स की डिप्टी लीडर महरीन फारुकी बॉन्डी एरिया में गईं, तो लोगों ने उनका विरोध किया। अब लोगों को लग रहा है कि 7 अक्टूबर 2023 के बाद से ग्रीन्स और लेफ्ट पार्टियों ने यहूदी विरोध को इतनी ज्यादा हवा दे दी है कि लोगों में कट्टर सोच पैदा हो रही है। ये बहस भी चल रही है।’ तीसरे किरदार: यहूदी चश्मदीदइस शख्स की पहचान नहीं हुई है। उन्होंने हमलावरों को करीब से देखा था। वे कहते हैं, ‘वहां दो शूटर थे। एक ब्रिज के नीचे और ऊपर था। वे लगातार 20 मिनट तक फायरिंग करते रहे। मैगजीन बदलते और फिर फायरिंग शुरू कर देते थे। 20 मिनट तक किसी ने भी जवाबी फायरिंग नहीं की। मैंने अपने बच्चों को छिपा लिया। मैं उन हमलावरों को ही देख रहा था।’ ‘हमलावर काफी दूर थे, इसलिए मैं उनकी आवाज नहीं सुन पाया। वहां 4 पुलिसवाले भी थे, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया। मैं इजराइली हूं। मैंने इस तरह के हालात देखे हैं। मैं 6 बच्चों के साथ आया था, शुक्र है हम सब सही-सलामत हैं।’ ‘फेस्टिवल का पहला दिन था। हम उसी के लिए इकट्ठा हुए थे। आतंकी हमें मार देना चाहते थे। हम बाकी नागरिकों की तरह ही हैं, लेकिन हमें इस तरह मारा जा रहा है। मैं खुद फौजी रहा हूं, मैंने ये सब करीब से देखा है, लेकिन ऑस्ट्रेलिया में ऐसा हो जाएगा कभी नहीं सोचा था। आतंकी फायरिंग करते रहें और उन पर जवाबी फायरिंग न हो, ये चौंकाने वाली बात है।’ चौथे किरदार: अहमद अल अहमदहमलावर की बंदूक छीनकर हीरो बनेसीरियाई मूल के प्रवासी अहमद अल अहमद सिडनी में दुकान चलाते हैं। हमले के वक्त बीच पर मौजूद थे। उन्होंने देखा कि एक हमलावर लोगों पर फायरिंग कर रहा है। वे चुपके से गए और उसे पकड़ लिया। उसकी बंदूक छीन ली। हमलावर को रोकने की कोशिश में अहमद को गोली लग गई। वे गंभीर रूप से घायल हैं और हॉस्पिटल में एडमिट हैं। 43 साल के अहमद के परिवार ने बताया कि उनके कंधे में गोलियां लगी हैं। कुछ गोलियां हड्डियों में फंसी हैं। अहमद का परिवार कुछ महीने पहले ही सीरिया से सिडनी शिफ्ट हुआ था। हमला करने वाले बाप-बेटे, ISIS से जुड़े होने का शकहमला करने वालों की पहचान साजिद अकरम और उसके 24 साल के बेटे नवीद के तौर पर हुई है। उन्होंने परिवार को बताया था कि वीकेंड पर मछलियां पकड़ने जा रहे हैं। नवीद का जन्म ऑस्ट्रेलिया में हुआ था। ऑस्ट्रेलियाई खुफिया पुलिस के मुताबिक, दोनों पर आतंकी संगठन ISIS से जुड़े होने का शक था। 2019 से उन पर नजर रखी जा रही थी। अब सवाल उठ रहे हैं कि प्रशासन ने इस जानकारी पर एक्शन क्यों नहीं लिया। साजिद के पास 6 राइफल के लाइसेंस थे। वो फायरिंग क्लब का मेंबर था। इसलिए उसे इतने लाइसेंस मिल गए थे। क्लब के जरिए उसे शॉटगन के लाइसेंस मिले थे। पुलिस के मुताबिक, उसने सामान्य तरीके से ही लाइसेंस हासिल किए थे। 50 साल के साजिद को मौके पर ही मार दिया गया। नवीद घायल है, उसका इलाज चल रहा है। न्यू साउथ वेल्स के पुलिस कमिश्नर माल लैन्योन ने कहा कि पुलिस को एक शूटर के बारे में जानकारी थी, लेकिन यह नहीं पता था कि वे हमले की योजना बना रहे हैं।
‘सब काम पर चले जाते हैं तो मैं नीचे कुर्सी डालकर बैठ जाती हूं। अकेले ऊपर नहीं रह पाती। रात के 12 बजे तक जागती रहती हूं, लगता है कि अब बेटा दरवाजा खटखटाते हुए कहेगा, मम्मी खोलो। अगर मुझे मार देते तो ठीक रहता। 14 साल के बच्चे ने क्या बिगाड़ा था?‘ नीशा खातून बेटे साहिल को याद कर भावुक हो जाती हैं। बेटे की मौत के सदमे से परिवार अब भी उभर नहीं पाया है। आरोप है कि 29 नवंबर को CISF के हेड कॉन्स्टेबल मदन गोपाल तिवारी ने 14 साल के साहिल की गोली मारकर हत्या कर दी। पुलिस को मिली शिकायत के मुताबिक, CISF जवान मदन के भाई की शादी थी। बारात में साहिल अपने दोस्तों के साथ नोट बीन रहा था। इसी पर गुस्साए मदन ने साहिल को पहले पीटा फिर पिस्तौल से सिर में गोली मार दी। हालांकि मदन का परिवार जानबूझकर गोली मारने के आरोप को गलत बता रहा है। आरोपी मदन पुलिस की हिरासत में है। साहिल का परिवार इंसाफ की मांग कर रहा है। घटना वाले दिन हुआ क्या था? साहिल का परिवार किस हाल में रह रहा है? आरोपी के परिवार की क्या दलील है। ये जानने के लिए दैनिक भास्कर दिल्ली के शाहदरा में घटनास्थल पर पहुंचा। सबसे पहले जानिए 29 नवंबर को क्या हुआशाहदरा में मानसरोवर पार्क इलाके में DDA के फ्लैट्स और कम्युनिटी हॉल है। पहले इसके बगल में ही मानसरोवर पार्क थाना हुआ करता था, लेकिन अब इसके पीछे शिफ्ट किया गया है। यहां से लगभग 500 मीटर दूर गली नंबर-14 में रेलवे ट्रैक के किनारे साहिल का परिवार रहता है। रेलवे ट्रैक और घर के बीच में एक दीवार खड़ी है। दीवार की एक तरफ घर और दूसरी तरफ कचरे का ढेर है। गंदगी के बीच बने 25 गज के एक मंजिला मकान में साहिल के पिता सिराजुद्दीन अंसारी और मां नीशा खातून 3 बच्चों के साथ रहते हैं। नीचे के हिस्से में मकान मालिक ने सामान भर रखा है। परिवार पहली मंजिल पर रहता है। संकरी सीढ़ियों से पहली मंजिल तक पहुंचने पर एक छोटा सा कमरा और शौचालय दिखता है। मकान का किराया 38 सौ रुपए है। घर पर पहले हमारी मुलाकात साहिल के पिता 42 साल के सिराजुद्दीन अंसारी से हुई। 6 महीने पहले उनके शरीर के एक हिस्से में लकवा मार गया था। इसीलिए वे काम पर नहीं जा पाते थे। ऐसे में 14 साल के साहिल का ही सहारा था। वो परचून की दुकान में दूध की सप्लाई करता था और उसी की कमाई से घर चलता था। पिता सिराजुद्दीन बताते हैं कि साहिल दुकान से रोजाना 9 बजे लौटता था। उस रात भी उसी वक्त लौटा। मोहल्ले में शादी थी और बाकी बच्चे बारात में लुटाए गए पैसे बटोर रहे थे। साहिल ने पैसे तो नहीं लूटे लेकिन वो वहीं खड़ा हो गया। तभी CISF जवान ने उसे पकड़ लिया और लात-जूते मारे। जवान नशे में धुत लग रहा था। साहिल बोला कि अंकल, मैंने कुछ नहीं किया। मेरी कोई गलती नहीं। फिर भी वो साहिल को पीटता रहा। फिर पिस्टल निकाली और गोली मार दी। साहिल को गोली मारकर आरोपी मदन कार में बैठकर भाग निकला। पुलिस ने जब दूल्हे और उसके पिता को हिरासत में लेकर पूछताछ की, तब आरोपी मदन का पता लगा। CISF जवान मदन दूल्हे के मामा का बेटा है और छुट्टी लेकर शादी में आया था। वो इटावा के भरथना का रहने वाला है और कानपुर में पोस्टेड है। इसके बाद मानसरोवर थाना पुलिस ने आरोपी को अगले दिन सुबह भरथना से अरेस्ट कर लिया। बच्चे ने पत्थर मारने की कोशिश की इसलिए मारी गोलीसिराजुद्दीन दावा करते हैं, ‘जब मैं आरोपी CISF जवान से थाने में मिला था, तब वो साहिल को कसूरवार ठहरा रहा था। उसने कहा कि साहिल पैसे लूट रहा था। मैंने उसे भगाया लेकिन वो भागा नहीं। उलटा उसने पत्थर मारने की कोशिश की, इसलिए गोली मार दी।’ सिराजुद्दीन सवाल करते हुए कहते हैं, ’14 साल का बच्चा क्या कर सकता है। शादी में बच्चे का पैसे लूटना आम बात है।’ मां बोलीं- गोली आर-पार हो गई थी, शादी में नोट लूटने की बात झूठीसाहिल के पिता सिराजुद्दीन और मां नीशा इससे पहले 2020 में भी एक बेटा खो चुके हैं। उनके सबसे बड़े बेटे की बीमारी के चलते मौत हो गई थी। अब साहिल की मौत से परिवार को एक और धक्का लगा है। साहिल की हत्या वाले दिन को याद करते हुए साहिल की मां नीशा की आंखों में आंसू आ जाते हैं। वे कहती हैं, ‘मैं रात करीब 10 बजे खाना बना रही थी। अचानक दो बच्चे भागते हुए आए और चिल्लाने लगे कि गोली मार दी, गोली मार दी। मुझे लगा कि शायद मजाक कर रहे हैं। दरवाजा खोला तो देखा चारों ओर भीड़ लगी हुई है। मैं भी भागकर शादी वाली जगह पहुंचीं।’ ‘वहां साहिल सड़क पर पड़ा था। उसके सिर में गोली लगी थी, जो आर-पार हो गई थी। मैंने छुआ तो सांसें थम चुकी थीं। उसकी ऑन-स्पॉट ही मौत हो गई। पुलिस ने मुझे हटा दिया। थाने से एम्बुलेंस आई और हम उसे जीटीबी हॉस्पिटल ले गए। वहां डॉक्टरों ने कहा कि बच्चा खत्म हो गया।‘ नीशा नोट लूटने की बात को गलत बताती हैं। वे कहती हैं, ‘साहिल पैसे कमाकर मेरे हाथ में देता था। फिर मैं ही उसे खर्च के लिए पैसे देती थी। उस दिन मैंने उसे 50 रूपए दिए थे। पुलिस को भी जेब से 60 रुपए मिले। पैसे लूटने का बहाना बनाया जा रहा है, साहिल तो बस साइड में खड़ा होकर सब देख रहा था।‘ घर चलाना मुश्किल, साहिल ही कमाता था परिवार का हाल पूछने पर साहिल के पिता बताते हैं, ‘1999 में झारखंड के गोड्डा से मेरा परिवार कमाई की आस में दिल्ली आया था। परिवार में 7 बच्चे थे, जिनमें से 3 बेटियों की शादी हो गई। वहीं 2020 में एक बेटे की मौत के बाद तीन बेटों का परिवार बचा था।‘ ‘अब परिवार में दो लड़के और हम मियां-बीवी हैं। साहिल और बड़ा भाई मिलकर कमाते थे। मैं मजदूरी करता था, लेकिन हाथ में लकवा मारने के बाद से दिक्कत हो गई। अब हेल्पर का काम करता हूं, जिसमें 400-500 रुपए ही मिलते हैं। ऐसे में घर का खर्च चलाने में दिक्कत आती है।‘ घटना के 8-10 दिन बाद अब सिराजुद्दीन ने फिर से काम शुरू किया। पिता सिराजुद्दीन कहते हैं, ‘काम में दिल कहां लगता है? लोग आते-जाते रहते हैं। दुनिया कहेगी कि बच्चा मर गया और पिता काम पर निकल पड़े लेकिन गुजारा तो करना पड़ता है। हमें कोई आर्थिक मदद नहीं मिली है। गांव वालों ने अंतिम संस्कार में थोड़ी मदद की लेकिन बाकी किसी ने मदद का कोई हाथ नहीं बढ़ाया।‘ दूसरे बच्चे पर भी चलाई थी गोली, वो बाल-बाल बचाइस घटना का एक वीडियो सामने आया है। इसमें साहिल के सिर पर गोली लगी है और वे सड़क पर पड़े दिख रहे हैं। घटना वाली जगह पर खाने-पीने की कुछ दुकानें हैं। रात साढ़े नौ बजे के आस-पास जब साहिल को गोली मारी गई, तब यहां खाने की एक दुकान खुली हुई थी। जब हम इस दुकान पर पहुंचे तो यहां काम करने वाले एक वर्कर ने बताया, ‘उस दिन जब गोली चली तब लगा कि पटाखों की आवाज है। शादियों में अक्सर पटाखे जलते हैं। बाद में जब लड़के को गोली लगने की बात पता लगी तो हम दुकान बंद कर चुके थे। तुरंत पुलिस भी आ गई थी।’ घटना के वक्त साहिल का दोस्त 14 साल के संतोष (बदला हुआ नाम) भी ट्यूशन पढ़कर लौट रहा था। संतोष दावा करते हैं कि वहां दूसरा बच्चा भी था, जो बाल-बाल बच गया। उसे भी गोली मारी थी लेकिन वो नीचे लेट गया इसलिए बच गया। संतोष आगे बताते हैं, ’मैं ट्यूशन से लौट रहा था। रास्ते में साहिल सड़क पर पड़ा था। मैं और साहिल का छोटा भाई साजिम घर गए और आंटी को बताया। जब हम लौटे, तो पुलिस सबको हटा रही थी। कोई उसे उठा नहीं रहा था, न ही कुछ कर रहा था।’ संतोष भी पैसे लूटने की बात नहीं मानते। वे कहते हैं कि साहिल मेरा बचपन का दोस्त था। 6-7 साल से हम साथ थे। शादियों में हम दोनों साथ आते-जाते थे। शादी-ब्याह का मौसम चलता रहता है। हम बस आकर देखते और चले जाते थे। कभी पैसे नहीं लूटते थे। साहिल तो ऐसा बिल्कुल नहीं था। पुलिस बोली- आरोपी ने गुस्से में गोली चलाने की बात कबूली आरोपी CISF जवान मदन गोपाल तिवारी फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं। शाहदरा के डिप्टी कमिश्नर प्रशांत गौतम ने बताया कि आरोपी घटना के बाद तुरंत फरार हो गया था। वो गाड़ी में बैठकर दिल्ली के रास्ते इटावा भाग गया। पुलिस ने दूल्हे के पिता और दूल्हे से पूछताछ की तब पता लगा कि आरोपी इटावा के भरथना में रहता है। प्रशांत गौतम बताते हैं, ‘जानकारी मिलने पर जांच के लिए सीमापुरी के ASP और मानसरोवर थाना के SHO की निगरानी में टीम बनाई गई है। लोकल स्तर पर पूछताछ और विवाह स्थल पर लगे सीसीटीवी फुटेज की मदद से अगले ही दिन यानी 30 नवंबर को उत्तर प्रदेश से आरोपी को पकड़ लिया गया।‘ मानसरोवर थाने के SI सुनील कुमार भरथना गई टीम का हिस्सा थे। वे बताते हैं कि आरोपी ने घटना में इस्तेमाल लाइसेंसी .32 बोर की पिस्तौल को एक्सप्रेस-वे पर फेंक दिया था। हालांकि पुलिस रात को ही आरोपी के ठिकाने पर पहुंच गई। आरोपी को साथ दिल्ली लाते वक्त पिस्तौल और गाड़ी भी बरामद हो गई। आरोपी की फैमिली बोली- आरोप झूठे, हम कानूनी लड़ाई लड़ेंगेआरोपी मदन गोपाल तिवारी का परिवार इटावा के भरथना में रहता है। परिवार में उसके अलावा पत्नी और दो बच्चे हैं। इटावा के भरथना में रहने वाले आरोपी के भाई सोनू से हमने फोन पर बात की। वे अपने भाई पर लगे आरोपों को गलत बताते हैं। सोनू दावा करते हैं, ‘मेरे भाई ने गोली जानबूझकर नहीं चलाई। बारात में काफी भीड़ थी और पिस्तौल लोडेड थी। भीड़-भाड़ में गलती से पिस्तौल चल गई और बच्चे को गोली लग गई।‘ आरोपी के नशे में होने की बात को भी सोनू गलत बताते हैं। वे कहते हैं कि सब कह रहे हैं कि मेरा भाई नशे में था लेकिन ये बात पूरी तरह से गलत है। मेरे भाई ने कभी शराब को हाथ तक नहीं लगाया है। सोनू कहते हैं कि परिवार अब कानूनी लड़ाई लड़ेगा। CISF के जवाब का इंतजारआरोपी मदन गोपाल तिवारी CISF का हेड कॉन्स्टेबल है। उसकी फिलहाल कानपुर में पोस्टिंग थी। हमने मामले में CISF का पक्ष जानने की कोशिश की। CISF की आधिकारिक वेबसाइट पर दिए गए कॉन्टैक्ट पर कॉल नहीं उठा। इसके बाद हमने CISF को अपना सवाल मेल किया है। जवाब आने पर खबर में अपडेट करेंगे। हालांकि CISF के नियमों की बात करें तो अगर कोई जवान किसी आपराधिक मामले में 48 घंटे से ज्यादा समय तक हिरासत में रहता है तो उसे सस्पेंड कर दिया जाता है।........................ ये खबर भी पढ़ें... ‘सिर्फ मुसलमानों के घर तोड़े, अब हमें गोली मार दो‘ ‘अगर हम ही बांग्लादेशी हैं तो पहले दिन ही क्यों नहीं उजाड़ दिया? हिंदुओं को टारगेट क्यों नहीं करते? बस हमें मुसलमान होने की वजह से निशाना बनाया जा रहा है। अगर इतनी ही नफरत है, तो एक गोली मारकर खत्म कर दो न। कम से कम ऐसी जिल्लत तो नहीं देखनी पड़ेगी। कम से कम बेघर होकर सड़क पर मरने-जीने की नौबत नहीं आएगी न।’ असम में नागांव जिले के लुटीमारी इलाके में रहने वाली रुबीना बेगम (बदला हुआ नाम) के घर 29 नवंबर को बुलडोजर चलाया गया। पढ़िए पूरी खबर...
रॉब रेनर और पत्नी मिशेल की घर में हत्या! डोनाल्ड ट्रंप ने कसा तंज, कहा- TDS से थे पीड़ित
हॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता और प्रोड्यूसर रॉब रेनर की रविवार को उनकी पत्नी मिशेल के साथ वो अपने ही घर में मृत पाए गए थे. उनकी इस रहस्यमयी मौत से पूरे हॉलीवुड में सनसनी फैल गई है. पीपुल मैग्जीन के मुताबिक कपल की हत्या उनके बेटे निक पर शक जा रहा है, मैंगजीन के मुताबिक कई सूत्रों से इसकी पुष्टि हुई है.
Vijay Diwas: भारतीय सेना (Indian Army), इतिहास के पन्नों में16 दिसंबर की तारीख के जिक्र के दौरान अपना नाम सुनहरे अक्षरों में लिखवा चुकी है. भारत-पाकिस्तान युद्ध साल 1971 में 3 दिसंबर को शुरू होकर 16 दिसंबर को पाकिस्तानी सेना (Pak Army) के सरेंडर के साथ खत्म हुआ था. जिसके बाद बांग्लादेश का जन्म हुआ था.
Sydney Bondi Beach Attack:सोमवार को ऑस्ट्रेलियाई पुलिस ने बताया कि इस हमले के पीछे 50 साल के पिता और उसका 24 साल का बेटा है. 16 लोगों की मौत के बाद पूरे ऑस्ट्रेलिया में गुस्सा है और यह पिछले 3 दशकों में मास शूटिंग का सबसे खौफनाक मामला है.
Srilanka Petroleum Corruption:भ्रष्टाचार पर निगाह रखने वाली संस्था ने बताया, 'राणातुंगा और उनके भाई ने लंबे वक्त के लिए दिए जाने वाले तेल के कॉन्ट्रैक्ट्स की प्रक्रिया को बदला और ज्यादा कीमत पर खरीद की'
यूक्रेनी बच्चों को उत्तर कोरिया भेजे जाने पर मचा हंगामा
यूक्रेनी बच्चों को उत्तर कोरिया भेजे जाने पर मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने तीखा विरोध जताया. उनका आरोप है कि रूस नाबालिग बच्चों का इस्तेमाल दुष्प्रचार फैलाने और अपनी राजनीतिक साझेदारी मजबूत करने के लिए कर रहा है
Murder: आपने फिल्मों और वेबसीरीज में अपराध जगत की एक से बढ़कर एक खबरें पढ़ीं होंगी, लेकिन मर्डर के जिस केस के बारे में अब आपको बताने जा रहे हैं वो 62 साल पहले हुआ था. अपने पिता के बारे में सबकुछ जानने और उनके हत्यारों को सजा दिलाने के लिए दिन-रात एक कर देने वाले बेटा आखिरकार अपने पिता के लापता होने की गुत्थी कैसे सुलझाई, आइए जानते हैं.
कौन हैं रोमी रेनर? जिन्होंने सबसे पहले देखी हॉलीवुड के दिग्गज रेनर दंपति की डेडबॉडी?
आज पूरी दुनिया हॉलीवुड लेजेंड रॉब रेनर के निधन पर शोक मना रही है. रविवार को वो अपनी पत्नी मिशेल के साथ ब्रेंटवुड स्थित अपने घर में मृत पाए गए थे. इस दुखद घटना का पता उनकी सबसे छोटी बेटी 28 वर्षीय रोमी रेनर को तब चला था, जब उन्होंने अपने माता-पिता से संपर्क न हो पाने पर अधिकारियों को इस बात की जानकारी दी थी कि कई दिनों से वो अपने माता-पिता से संपर्क नहीं कर पा रही हैं.
क्लिप के पहले कुछ सेकंड में विमान के दोनों हिस्से बर्फ से ढके, दूरदराज के इलाके में पानी में गिरते हुए दिख रहे हैं. जैसे ही विमान जलाशय की सतह से टकराता है, पानी साफ तौर पर हवा में उछलता हुआ दिखाई देता है.
बांग्लादेश में जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है, देश में हिंसा और तनाव का माहौल बढ़ रहा है। आए दिन हिंसा के मामले सामने आ रहे हैं। हालात ऐसे हैं कि पत्रकार भी वहां सुरक्षित नहीं हैं
Who is Jose Antonio Kast?जोस एंटोनियो कास्ट चिली के नए राष्ट्रपति चुने गए हैं. 59 साल के ये दक्षिणपंथी नेता अपराध और अवैध प्रवासन के खिलाफ सख्त रुख के लिए मशहूर हैं. वामपंथी सरकार से तंग आ चुकी जनता ने उन्हें बंपर वोट दिए हैं. जानते हैं पूरी खबर.
Bondi Beach Attack: सिडनी के बोंडी बीच पर पाकिस्तानी मूल के दो शूटर, साजिद अकरम और उसके बेटे नावेद अकरम ने हनुक्का त्योहार मना रही भीड़ पर गोलियां चला दीं, जिसमें 16 लोग मारे गए. पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए एक हमलावर को मार गिराया, जबकि नावेद घायल हो गया.
बर्लिन में यूक्रेन प्रेसिडेंट ज़ेलेंस्की ने अमेरिकी दूतों से कहा कि NATO सदस्यता छोड़ने को तैयार अगर मजबूत सुरक्षा गारंटी मिले. अमेरिका लगातार दबाव डाल रहा है शांति डील पर, जिसके बाद अब यूरोप को डर समा गया है कि रूस यूक्रेन को हराने के बाद रुकेंगा नहीं, इसलिए हर संभव मदद का ऐलान कर दिया है.
इस देश में अचानक भरभराकर गिरा मंदिर, भारतीय मूल के युवक की गई जान, चल रहा था काम
South Africa News: साउथ अफ्रीका में एक मंदिर अचानक ढह गया जिसकी वजह से भारतीय मूल के आदमी के साथ 3 अन्य लोगों की मौत हो गई. बताया जा रहा है कि कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा था.
दुनिया के 4 सबसे कठोर पेड़, जिनसे मिलती है सबसे मजबूत और टिकाऊ लकड़ी...
Hardest Wood in World: दुनिया भर में तरह-तरह के पेड़ पाए जाते हैं. लेकिन क्या आपको बता है कि दुनिया की सबसे कठोर लकड़ी कौन सी है? इस खबर में हम आपको ऐसे पेड़ के बारे में बताएंगे, जो कि धरती के सबसे कठोर पेड़ों में गिने जाते हैं.
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what is Turkish Hammam:इस्तांबुल के तुर्की हमाम की चर्चा पूरी दुनिया में होती है. भाप भरी गर्मी, मार्बल की चमक और गुंबद से आती रोशनी आपको जन्नत जैसा अहसास कराती है. ये सदियों पुरानी परंपरा जो आज इससेमहिलाएं-पुरूष धरती पर जन्नत जैसा सुख ले रही होती हैं. तो आइए जानते हैं आखिर क्या हैक्या है तुर्की का हमाम?क्या भारतीय जा सकता है क्या. जानें पूरी कहानी.
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Bondi Beach: ऑस्ट्रेलिया की राजधानी सिडनी से एक और बुरी खबर आ रही है कि कुछ लोगों मुस्लिम कब्रिस्तान में सुअर के कटे हुए सिर फेंके हैं. बताया जा रहा है कि आतंकी हमले के बाद यह बदले की भावना के साथ की गई हरकत है.
दुनिया की वो जनजाति जो दुल्हन पाने के लिए करती है लड़ाई, ताकत के लिए पीती है खून
Most Dangers Tribe In The World: दुनिया में विभिन्न प्रकार की जनजातियां पाई जाती है लेकिन इनमें से कुछ जनजाति अपनी अजीब परंपरा के लिए पूरे विश्व में जानी जाती है. इन्हीं में से एक जनजाति है सूरी जनजाति. आइए जानते है इस जनजाति की अनोखी परंपराओं के बारे में...
Who is Ahmed al Ahmed Hero wrestled gunman Bondi shooter:सिडनी के बॉन्डी बीच पर हनुक्का सेलिब्रेशन के दौरान बाप बेटे नवीद और साजिद अकरम ने जिस अंदाज में निहत्थों पर गालियां बरसाईं हैं उनकी चर्चा पूरी दुनिया में है. इसी बीच इस आतंकी हमले के बाद एक हीरो की चर्चा हो रही है उसका नाम है अहमद. जो फरिश्ता बनकर कई लोगों की जानें बचा ली है. जानते हैं अहमद की पूरी कहानी.
Australia Attack:ऑस्ट्रेलिया के सिडनी स्थित बोंडी बीच पर एक यहूदी उत्सव के दौरान हुई गोलीबारी में पाकिस्तान के साजिद अकरम और उनके बेटे नवीद अकरम का हाथ था. इस हमले में कम से कम 15 लोगों की मौत हो गई. न्यू साउथ वेल्स पुलिस के आयुक्त माल लैन्योन ने बताया कि पुलिस ने 50 वर्षीय साजिद अकरम को मार डाला, जबकि 24 वर्षीय नवीद अकरम घायल हो गया और अस्पताल में इलाज चल रहा है.
Bondi Beach shooting:यहूदियों के आठ दिवसीय पर्व हनुक्का के पहले दिन ऑस्ट्रेलिया केसिडनी में बोंडी बीच पर हुए हमलों में अब तक 15 बेगुनाहों के मारे जाने की खबर है. घटना के बाद इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू नेऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज पर हमला बोला है. उन्होंने आरोप लगाया कि फिलिस्तीन राज्य के समर्थन ने यहूदी विरोधी भावनाओं को भड़काया है.
पाकिस्तान: इमरान खान ने जेल से मांगी 'मौत या रिहाई', कोहाट में गूंजा 'हकीकी आजादी' का नारा
पाकिस्तान में इमरान खान की आवाज जन-जन तक पहुंचाने का काम मुहम्मद सोहेल अफरीदी कर रहे हैं
Brown University Shooting: अमेरिका की ब्राउन यूनिवर्सिटी में हुई गोलीबारी की वजह से पूरे देश में दहशत का माहौल है. अब अधिकारियों ने संदिग्ध बंदूकधारी बेंजामिन एरिक्सन की पहचान कर ली है. वो राष्ट्रपति की सुरक्षा में भी काम कर चुका है.
Bondi Beach Firing: आतंकवादियों की गाड़ी में मिला ISIS का झंडा, खाई थी वफादारी की कसम
Australia Firing: ऑस्ट्रेलिया में रविवार को हुई गोलीबारी में अब तक 16 लोगों की मौत हो गई है. इसके अलावा ताजा अपडेट यह है कि आतंकवादियों की गाड़ी के पास से इस्लामिक स्टेट का झंडा मिला है.
ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में यहूदियों पर हुई ताबड़तोड़ फायरिंग की घटना की इजरायल के राष्ट्रपति इसाक हर्जोग ने कड़ी निंदा की है
जून 2024 में टी20 वर्ल्ड कप जीतने के साथ ही राहुल द्रविड़ का बतौर हेड कोच ढाई साल लंबा कार्यकाल खत्म हुआ। BCCI ने गौतम गंभीर को नया कोच बनाया, जिन्होंने 2 महीने पहले ही KKR को IPL खिताब जिताया था। पिछले 17 महीनों में टीम इंडिया ने लिमिटेड ओवर्स में चैम्पियंस ट्रॉफी और एशिया कप जीता, वहीं घरेलू मैदान पर दो टेस्ट सीरीज हारने का शर्मनाक रिकॉर्ड भी बनाया। इस दौरान टीम इंडिया के साथ कोच गौतम गंभीर के अनोखे एक्सपेरिमेंट्स विवादों में रहे। क्या टीम इंडिया को तबाह कर रहे गौतम गंभीर, मंडे मेगा स्टोरी में 5 पैमानों पर पूरा एनालिसिस… **** ग्राफिक्स: द्रगचंद्र भुर्जी और अंकित द्विवेदी ------ ये खबर भी पढ़िए... नेहरू क्यों नहीं चाहते थे 'वंदे मातरम्' राष्ट्रगान बने:गांधी ने अल्लाहू अकबर से तुलना की; क्या इसमें मुसलमानों को मारने का आह्वान भारत के राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् पर आज लोकसभा में 10 घंटे की बहस हो रही है। शुरुआत पीएम मोदी के भाषण से हुई। पिछले महीने मोदी ने कहा था कि 1937 में कांग्रेस ने वंदे मातरम् के टुकड़े कर दिए थे, इसी ने भारत-पाक विभाजन के बीज बोए। पूरी खबर पढ़िए...
लाचारी! बाढ़, बारिश, सैलाब और... मिडिल ईस्ट से ईस्ट एशिया तक मची तबाही, वजह क्या है?
weather news:बाढ़ की विनाशकारी मुसीबत का सवाल एक मुल्क, एक इलाके तक सीमित नहीं है. इस वक्त दुनिया का बड़ा इलाका सैलाबी आफत का कहर झेल रहा है. ब्राजील से लेकर कई देशों में बेमौसम हो रही इस बरसात से हाहाकार मचा है.
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की हिरासत को लेकर शहबाज सरकार के ऊपर अंतर्राष्ट्रीय दबाव बढ़ता जा रहा है
सर बानी यास फोरम में शामिल हुए एस जयशंकर, बेल्जियम के डिप्टी पीएम प्रीवोट से की मुलाकात
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अबू धाबी में सर बानी यास फोरम 2025 में हिस्सा लिया। इस मौके पर उन्होंने बेल्जियम के उप प्रधानमंत्री मैक्सिम प्रीवोट के साथ बैठक भी की
Hanukkah festival:ऑस्ट्रेलिया के बॉन्डी बीच पर हनुका त्योहार मना रहे यहूदियों पर 2 हमलवारों ने फायरिंग (Bondi beech shooting) की. वारदात में 12 लोगों की मौत हो गई, कई घायल हैं. आइए बताते हैं क्या है हनुका और कैसे मनाया जाता है.
थाईलैंड-कंबोडिया के बीच चले रॉकेट, जंग में एक नागरिक की मौत, किस बात पर आपस में भिड़े दोनों देश?
Thailand Cambodia war: पिछले हफ्ते शुरू हुई इस लड़ाई में दोनों देशों के दो दर्जन से अधिक लोगों के मारे जाने की खबर सामने आई थी, वहीं 5 लाख से ज्यादा लोगों को अपनी जगह छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा है.
सिडनी के बोंडाई बीच पर गोलीबारी, 10 लोगों की मौत
ऑस्ट्रेलिया के एक मशहूर बीच पर हुई गोलीबारी में कम से कम 10 लोगों की मौत की खबर है. देश के प्रधानमंत्री ने जांच पूरी होने तक किसी निष्कर्ष पर ना पहुंचने की अपील की है
जर्मनी में क्रिसमस बाजार पर वाहन से हमला करने की कथित साजिश नाकाम
जर्मनी के बायर्न में पुलिस ने पांच लोगों को गिरफ्तार किया है. आरोप है कि ये लोग क्रिसमस बाजार पर वाहन से हमला करने की साजिश रच रहे थे
Australia Bondi Beach shooting: सिडनी में बड़े पैमाने पर यहूदियों का नरसंहार किया गया है. दो आतंकवादियों ने 14 दिसंबर को '7 अक्टूबर इजरायल पार्ट-2! यानी हमास जैसे हमले को अंजाम दिया. ऑस्ट्रेलिया पुलिस ने इसे आतंकवादी हमला करार दिया है. बोंडी बीच पर हुई गोलीबारी में पूर्व क्रिकेटर माइकल वॉन बाल-बाल बच गए, वो भी वहां मौजूद थे.
Bondi Beach Shooting: ऑस्ट्रेलिया के मशहूर बॉन्डी बीच पर अचानक गोलीबारी की घटना से अफरा-तफरी मच गई. जहां दो हमालवरों ने त्यौहार मना रहे यहूदियों पर गोलियां बरसाईं हैं. घटना के बाद से लोगों में दहशत का माहौल देखा जा रहा है. घटना में अभी तक 10 लोगों के मारे जाने की खबरें सामने आ रही है. दर्जनों लोग घायल बताए जा रहे हैं.
बलूच अमेरिकन कांग्रेस के अध्यक्ष तारा चंद ने बॉलीवुड और भारतीय फिल्म इंडस्ट्री से बड़ी अपील की है. वो चाहते हैं कि बलूचिस्तान पर एक फिल्म बनाई जाए, जिसमें पाकिस्तान को बेनकाम किया जाए और उसकी हकीकत दुनिया को सामने रखी जाए. उन्होंने आरोप लगाया कि पाकिस्तान बलोचों पर अत्याचार कर रहा है.
अमेरिका : ब्राउन यूनिवर्सिटी में चलीं गोलियां, दो लोगों की मौत, कई अन्य घायल
अमेरिका के रोड आइलैंड राज्य में प्रोविडेंस के ब्राउन विश्वविद्यालय में शनिवार को अपराह्न में गोलीबारी में कम से कम दो लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए
Brown University Shooting: अमेरिका में हुई गोलीबारी की वजह से लोगों में दहशत का माहौल है, गोलीबारी की वजह से 2 की मौत हो गई है जबकि 8 लोग घायल हो गए हैं, अब स्टूडेंट का अपनी मां को कैंपस में हुई मास शूटिंग के दौरान भेजा गया एक डरावना मैसेज वायरल हो रहा है.
यूरोप बसने का सपना बना खौफनाक... पुर्तगाल के लिए निकला गुजरात का परिवार लीबिया में कैसा हुआ कैद?
Gujarat couple: गुजरात के मेहसाणा का एक परिवार पुर्तगाल बसने निकला, लेकिन लीबिया में बंधक बना लिया गया. अपहरणकर्ताओं ने 2 करोड़ की फिरौती मांगी है. मामला राज्य सरकार और विदेश मंत्रालय तक पहुंच चुका है.
Drone attack hits UN facility in Sudan: सूडान में चल रही जंग में अब UN शांति सैनिकों की मौत भी हो रही है. साउथ कोर्डोफान राज्य की राजधानी कडुगली में हुए ड्रोन हमले में कुल 6 UN शांति सैनिकों की मौत हो गई. आइए जानते हैं कि जिस कडुगली में यह हमला हुआ, वो आखिर क्यों खास है...
हैरान करने वाला मामला...पैर में जोड़ दिया महिला का कान...5 महीने तक रहा जिंदा, फिर हुआ 'चमत्कार'
Woman Ear Reattached to Foot Transplant: एक हादसे ने जब महिला का कान छीन लिया तो लगा सबकुछ खत्म हो गया, लेकिन चीन के डॉक्टरों ने 5 महीने बाद उसी कान को सही जगह फिट कर दिया.ये सर्जरी इसलिए रिस्की थी, क्योंकि कान 5 महीने तक पैर में जिंदा रखा गया.
बांग्लादेश के लक्ष्मीपुर में बदमाशों ने चुनाव आयोग के दफ्तर में लगाई आग
बांग्लादेश में आम चुनाव का शेड्यूल जारी होने के बाद से अलग-अलग हिस्सों में हिंसा की घटनाओं में तेजी से बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है
बलूचिस्तान में हैजा का प्रकोप, आठ लोगों की मौत
स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि पाकिस्तान के दक्षिण-पश्चिम बलूचिस्तान प्रांत में इस हफ्ते हैजा फैलने से आठ लोगों की मौत हो गई
14 दिसंबर 1931 यानी आज से ठीक 94 साल पहले। बंगाल में इंटेलिजेंस ब्यूरो ऑफिस में एक कश्मकश भरी गहमागहमी थी। पुलिस के सामने 14 और 15 साल की दो लड़कियां थीं, जिन्होंने कुछ घंटे पहले ही एक अंग्रेज डीएम को घर में घुसकर गोली मारी थी। बेखौफ लड़कियों ने कबूल किया- हमने भगत सिंह की फांसी का बदला लेने के लिए डीएम का वध किया है। इस घटना की 95वीं सालगिरह पर जानिए इतिहास के पन्नों में दबा आजादी की लड़ाई का एक अनोखा किस्सा... साल 1929। बंगाल के चिटागोंग (चटगांव) के कोमिला तालुका के एक स्कूल में 12 साल की सुनीति चौधरी पढ़ती थी। वो अपने आस-पास स्वतंत्रता सेनानियों के विरोध और अंग्रेजों के अत्याचार को देखती और बेचैन होती। इन्हीं दिनों सुनीति की मुलाकात स्कूल की सीनियर शांति घोष से हुई, जिन्होंने उसी साल छात्री संघ की स्थापना की थी। जिससे लड़कियां भी देश की लड़ाई में योगदान दे सकें। शांति उम्र में दो साल बड़ी प्रफुल्ल नंदिनी ब्रह्मा के संपर्क में थी, जो जुगांतर पार्टी की सदस्य थीं। जुगांतर पार्टी एक सीक्रेट सोसाइटी थी, जो हथियार के दम पर अंग्रेजों को भारत से खदेड़ना चाहती थी। नंदिनी ब्रह्मा ने छात्री संघ की लड़कियों को लाठी भांजने, चाकू और तलवार चलाने की ट्रेनिंग का इंतजाम किया। शांति और सुनीति अब हथियार चलाने की ट्रेनिंग देने के साथ ऐसी किताबें और साहित्य भी पढ़ने लगीं, जो अन्य क्रांतिकारियों के कारनामे बताती थीं। सरकार ने ऐसे साहित्य को प्रतिबंधित कर दिया था, फिर भी इस सीक्रेट सोसाइटी में सब उपलब्ध था। सुनीति को सबसे ज्यादा बम बनाने में एक्सपर्ट उल्लासकर दत्त ने प्रभावित किया था। दत्त कलकत्ता के प्रेसिडेंसी कॉलेज में केमिस्ट्री के छात्र थे, पर बंगालियों की भर्त्सना करने वाले एक प्रोफेसर को धक्का देकर गिरा देने के कारण उनको कॉलेज से निकाल दिया गया था। साल 1908 में मुजफ्फरपुर में मानिकटोला बम कांड में खुदीराम बोस और अरबिंदो घोष पर केस चला था। इस कांड के लिए दत्त ने बम बनाया था जिसके लिए उन्होंने 12 साल अंडमान जेल में कालेपानी की सजा काटी। दत्त से प्रेरणा लेकर सुनीति ने गोला, बारूद, बम को समझना शुरू किया। जुगांतर पार्टी में पुरुष हमले करते और अंडरग्राउंड हो जाते थे। छात्री संघ की जो सबसे होनहार लड़कियां थीं, उन्हें पुरुष क्रांतिकारियों को सूचना, पैसे और हथियार मुहैया करवाने की जिम्मेदारी मिलती थी। लेकिन ब्रह्मा, शांति और सुनीति ने भी फ्रंट पर जाने की मांग की। सुनीति का तर्क था कि अगर उन्हें एक्शन का मौका ही नहीं मिलेगा, तो लाठी, तलवार भांजने का औचित्य ही क्या है। आखिरकार अंडरग्राउंड सीनियर लीडर वीरेंद्र भट्टाचार्जी ने इन तीनों लड़कियों का सीक्रेट इंटरव्यू लिया और इन्हें प्रैक्टिकल ट्रेनिंग की इजाजत दे दी। त्रिपुरा छात्र संघ के प्रेसिडेंट अखिल चंद्र नंदी ने इन्हें ट्रेनिंग देनी शुरू की। रोज ये घर से स्कूल के लिए निकलतीं, लेकिन स्कूल के बजाय शहर की आबादी से दूर मैनमती पहाड़ी पर बंदूक चलाने की ट्रेनिंग करने लगीं। ट्रेनर नंदी के सामने चुनौती थी कि क्या ये लड़कियां रिवॉल्वर का झटका संभाल पाएंगीं। सुनीति के हाथ में छोटा बेल्जियन रिवॉल्वर आया तो पता चला कि उसकी तर्जनी उंगली ट्रिगर तक ही नहीं पहुंच पा रही थी। सुनीति ने बीच की उंगली से बंदूक चलाने की प्रैक्टिस की। इसी दौरान 23 मार्च 1931 को भगत सिंह को फांसी दे दी गई। उन पर हत्या और कोर्ट में बम फेंकने का आरोप था। फांसी पर झूलने से पहले भगत सिंह ने कहा था कि असल क्रांतिकारी सेना तो भारत के गांव और कारखानों में है। इन्हीं क्रांतिकारियों में शांति और सुनीति भी थीं, जिन्होंने अंग्रेजों से बदला लेने की ठान ली। 6 मई 1931 को त्रिपुरा जिला छात्री संघ के एनुअल कॉन्फ्रेंस में नेताजी सुभाष चंद्र बोस चीफ गेस्ट थे। लड़कियों की परेड का नेतृत्व सुनीति कर रही थीं। परेड के बाद सुनीति को हथियार चलाने में ट्रेंड लड़कियों का मुखिया बना दिया गया और फायर आर्म्स की कस्टडी भी उन्हें दे दी गई। परेड के बाद ब्रह्मा ने नेताजी से पूछा कि युद्ध में महिलाओं का कर्तव्य क्या होना चाहिए। नेताजी ने कहा, ‘तुम लोगों को फ्रंट पे देख कर मुझे बड़ी प्रसन्नता होगी।’ जब शांति ने नेताजी से ऑटोग्राफ मांगा तो उन्होंने लिख कर दिया, ‘हे मात्रशक्ति, अपने सम्मान के लिए अपने हाथ में शस्त्र उठाओ।’ 6 मार्च 1930 को चार्ल्स ज्योफ्री बकलैंड स्टीवंस नाम के अंग्रेज अफसर को त्रिपुरा जिले का डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट बनाया गया। इसी का एक सब डिवीजन कोमिला था। इसी दौरान 12 मार्च 1930 को पूरे देश में गांधी जी का नमक सत्याग्रह शुरू हो गया। 4 मई को गांधी जी को गिरफ्तार कर लिया गया। सरकार ने पूरे देश में क्रांतिकारियों की गिरफ्तारी शुरू कर दी। स्टीवंस सिर्फ गिरफ्तार करने पर नहीं रुका। उसने निहत्थे स्वतंत्रता सेनानियों को टॉर्चर करना शुरू कर दिया। पुलिस को छूट दे दी कि वो सेनानियों के परिवार की महिलाओं के साथ अत्याचार करे। महिलाओं के बलात्कार तक करवाने के आरोप लगे। अपनी सुरक्षा के नाम पर उसने ऑफिस जाना छोड़ दिया और पुलिस के संरक्षण में बंगले से ही प्रताड़ना के फरमान जारी करता रहा। स्टीवंस पर खुद भी महिलाओं के शारीरिक शोषण के आरोप लगे। कोमिला में जुगांतर पार्टी का हर कार्यकर्ता स्टीवंस को मारने को तैयार था, लेकिन उसके बंगले के अंदर जा पाना बेहद मुश्किल था। शांति और सुनीति ने स्टीवंस को मारने की जिम्मेदारी खुद ले ली। 14 दिसंबर 1931। डीएम के बंगले के बाहर सड़क पर एक बैलगाड़ी रुकती है और उसमे से खिलखिलाती हुई शांति और सुनीति उतर कर सिक्योरिटी गार्ड तक पहुंचती हैं। कद-काठी और पहनावे से वे स्कूल की छात्राएं लग भी रही थीं। गार्ड से उन्होंने स्टीवंस से मिलने की अनुमति मांगी। कारण पूछने पर उन्होंने विनम्रता पूर्वक अंग्रेजी में लिखा एक एप्लिकेशन लेटर दिखाया। बताया कि अपने स्कूल में तैराकी प्रतियोगिता आयोजित करने की अनुमति लेने के लिए साहब से मिलना जरूरी है। पुलिस को स्कूल की लड़कियों पर कोई शक नहीं हुआ। उनकी तलाशी लिए बिना उन्हें बंगले के अंदर जाने दिया गया। स्टीवंस अपने कार्यालय में अपने सब डिविजनल अफसर नेपाल सेन के साथ बैठा हुआ था। बाहर बैठे अर्दली को इन्होंने एक पर्ची साहब तक पहुंचाने का आग्रह किया। पर्ची पढ़ कर दोनों बाहर आ गए। किसी को नहीं पता था कि शॉल के अंदर दोनों ने एक-एक रिवॉल्वर छुपा रखी थी। डीएम साहब को उन्होंने योर मैजेस्टी से संबोधित किया। एप्लिकेशन में दोनों ने नाम बदल कर साइन किया था। शायद उन्हें आशा थी कि वे गोली मारने के बाद बच के निकल जाएंगी। साहब ने तैराकी प्रतियोगिता की अनुमति दे दी। लड़कियों ने मुस्कुराते हुए आग्रह किया कि वे एप्लिकेशन पर अनुमति का नोट लिख कर साइन कर दें। साहब और सेन ऑफिस के अंदर गए और साइन करने के बाद स्टीवंस अकेले बाहर आ गया। जब वो बाहर आया तो उसने देखा कि लड़कियां एकदम गंभीर मुद्रा में हैं। उनके शॉल उतरे हुए हैं और दोनों के हाथ में रिवॉल्वर है जो उसके सीने पर तनी है। बिना पलक झपके दोनों ने एक साथ ट्रिगर दबा दिया। स्टीवंस ऑन द स्पॉट मारा गया। गोली चलने की आवाज सुनते ही पुलिस ने दोनों को घेर लिया। दोनों ने भागने की कोशिश भी नहीं की। वे पिटाई और प्रताड़ना के लिए तैयार थीं। दर्द को बर्दाश्त करने के लिए वे ट्रेनिंग के तौर पर अपनी उंगलियों में सुई चुभोया करती थीं। वे जानती थीं कि उनके साथ क्या सलूक किया जाएगा। वो किसी भी सूरत में अपनी पार्टी और संघ का नाम उगलने वाली नहीं थीं। पूरे बंगाल में दोनों के साहस की सूचना पैम्फलेट के जरिए फैलने लगी। सुनीति की मेजर की वर्दी में फोटो को लोगों ने बहुत सराहा। उस फोटो पर बांग्ला में लिखा था, ‘ध्वस्त कर देने की ज्वाला मेरे खून में दहक रही है।’ ये ज्वाला सरकार को ध्वस्त करने की थी। फाइल नंबर 223/19 तैयार की जा चुकी थी। मुस्कुराते, राष्ट्रगान गाते दोनों जेल गईं और कोर्ट रूम में 3 जजों का सामना किया। आईबी की रिपोर्ट में दर्ज है कि शांति और सुनीति हत्या करने के बाद शांत और निर्भीक थीं। कोर्ट में जब इन्हें बैठने के लिए कुर्सी नहीं दी गई, तो ये जज की तरफ पीठ करके 9 दिनों तक चली सुनवाई में खड़ी रहीं। इनका एकमात्र अफसोस ये था कि इन्हें कोर्ट ने नाबालिग होने के नाते फांसी की सजा के बदले उम्रकैद की सजा दी थी। पहली गोली सुनीति ने चलाई थी, लिहाजा उसे जेल की थर्ड क्लास कोठरी में रखा गया जहां चोर-उचक्कों को रखा जाता था। शांति को सेकेंड क्लास कोठरी में क्रांतिकारियों के साथ कैद किया गया। साल 1939 में कांग्रेस की राज्य सरकार ने राजनैतिक कैदियों को रिहा नहीं करने पर रिजाइन कर दिया। लिहाजा 7 साल की कैद के बाद देश के अन्य कैदियों के साथ दोनों को रिहा कर दिया गया। दोनों के साहस का खामियाजा दोनों के परिवार को झेलना पड़ा। दोनों के पिता की पेंशन रोक दी गई। सुनीति के दोनों भाइयों को बिना ट्रायल के जेल में रखा गया। बड़ा भाई जेल में ही था जब छोटे भाई को छोड़ दिया गया। घर की हालत बदहाल थी। छोटे भाई को कलकत्ता की गलियों में ठेला लगाने पर मजबूर होना पड़ा। कुछ दिनों में उसकी मौत हो गई। दोनों ने रिवॉल्वर छोड़ कर कलम पकड़ लिया था। शांति ने बंगाली विमेंस कॉलेज से पढ़ाई पूरी की और कम्युनिस्ट पार्टी की कार्यकर्ता बन गईं। आजादी के बाद वो कांग्रेस में आ गईं और 1952 से लेकर 1968 तक पश्चिम बंगाल की विधानसभा में चुन कर आती रहीं। सुनीति डॉक्टर बनीं। उन्हें भी विधायक बनने का प्रस्ताव था, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। वे अपना क्लिनिक चलाती रहीं और अपने लकवाग्रस्त माता-पिता की देखभाल करती रहीं। वो जीवनभर लेडी मां के नाम से जानी गईं। दोनों के जन्म में एक-एक साल का अंतर था और दोनों के स्वर्गवास में भी एक ही वर्ष का अंतर था। 1988 में सुनीति और 1989 में शांति का निधन हुआ। ---------- ये खबर भी पढ़िए... जब 3 हजार चीनी सैनिकों से भिड़ गए 120 बहादुर:एक इंच पीछे नहीं हटे, पोजिशन पर जमी लाशें मिलीं; रेजांग-ला की लड़ाई नवंबर 1962। भारत और चीन के बीच जंग जारी थी। लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानी LAC के नजदीक लद्दाख के रेजांग ला में 13 कुमाऊं बटालियन की चार्ली कंपनी तैनात थी। माइनस 30 डिग्री की तूफानी हवाओं से बचने के लिए जवानों के पास ढंग के स्वेटर और दस्ताने तक नहीं थे। पूरी खबर पढ़िए
बंगाल के शांतिनिकेतन का रहना वाला मैं राहुल सरकार न्यूड पेंटिंग यानी नग्न तस्वीरें बनाता हूं। नग्न चित्रों की दुनिया में उतरकर मैंने अपनी पहचान खोजनी शुरू की। हर पेंटिंग में खुद को एक नग्न औरत के रूप में गढ़ता हूं, उसके जिस्म पर गहने पहनाता हूं- वे गहने, जिन्हें जीते-जी पहनने की इजाजत मुझे कभी नहीं मिली। लेकिन हर चित्र में मेरा चेहरा मुड़ा हुआ होता है। नजरें दुनिया से बचती हुईं। क्योंकि सच यह है कि मैं कैनवास पर तो नंगा हो सकता हूं, दुनिया के सामने नहीं। वहां मेरी हिम्मत टूट जाती है। ये पेंटिंग्स मेरी चाह, मेरा डर, मेरी सच्चाई हैं। रंगों में मैं वही बन जाता हूं, जो जीवन में बनने से रोका गया। सामने देखना अभी मुमकिन नहीं, इसलिए हर बार मुंह फेर लेता हूं। यही मेरी कला है और यही मेरी बेबसी। इस रास्ते पर चलते हुए मेरे सामने परिवार के सवाल थे, समाज के ताने थे और आलोचनाओं की दीवारें थीं। हर मोड़ पर मुझे रोका गया, डराया गया, शर्मिंदा किया गया। फिर भी मैंने यही रास्ता चुना- और अब पीछे मुड़कर देखने का कोई इरादा नहीं है। मैं एक ऐसा मर्द हूं, जिसकी इच्छाएं, संवेदनाएं और जज्बात उस दुनिया से आते हैं, जिसे समाज सिर्फ औरतों की दुनिया कहकर सीमित कर देता है। यही मेरी सच्चाई है- और इसी सच्चाई के साथ मैं जी रहा हूं, चाहे दुनिया मेरी तरफ पीठ ही क्यों न कर ले। दरअसल, मैं उस बंगाली मिट्टी से उठा हूं, जहां हवा में आज भी रवीन्द्रनाथ टैगोर की कविताएं बहती हैं। शांतिनिकेतन की पेड़ों की छांव वाली गलियों में सांस लेनी सीखी। बाहर की दुनिया शांत और सुंदर थी- लेकिन मेरे भीतर लगातार एक युद्ध चल रहा था। जब होश संभाला, खुद को दूसरों से अलग पाया। मुझे औरतों के गहने और साड़ियां अपनी ओर खींचती थीं। शायद इसलिए कि मेरे घर में लड़कियां ज्यादा थीं, या शायद इसलिए कि मुझे लड़कों की दुनिया हमेशा फीकी और सूनी लगती थी। लड़कों के कपड़ों में मुझे कुछ भी सुंदर नहीं दिखता था- जबकि लड़कियों के कपड़े, उनके रंग और बनावट मुझे बहुत लुभावने लगते थे। मैं छोटा था। चोरी से मां के गहने निकालता और शीशे के सामने खड़ा हो जाता। वे गहने मेरे छोटे हाथों के लिए बहुत बड़े थे, ठीक से पहन भी नहीं पाता था- लेकिन उन्हें छूते ही अंदर एक अजीब-सा सुख जाग उठता। लेकिन मां देख लेतीं तो डांट पड़ती- कड़ी, डराने वाली। कहती- 'लड़के ऐसा नहीं करते। तुम क्यों नहीं समझते कि तुम लड़के हो?' फिर भी, मौका मिलते ही मां से आंख चुरा कर ऐसा ही करता। धीरे-धीरे घर में सबको पता चल गया। वे मुझ पर लानतें बरसाने लगे। इन गहनों में कमरबंध, चूड़ियां, कंगन, पायल, मांग टीका- कोई एक लिस्ट नहीं थी। जो भी औरतों से जुड़ा था, वही मुझे खींचता था। साड़ी पहनना भी उतना ही स्वाभाविक लगता था। इसी तरह मां की नजर से बचाकर उनकी साड़ी पहन लेता। कभी पकड़ा जाता तो झूठ बोल देता- 'मैं आपकी नकल कर रहा हूं।' सच यह था कि अगर बस चलता, तो मैं इन्हीं गहनों और साड़ी में खुलकर घूमता। लेकिन हर बार पकड़े जाने पर डांट इतनी तीखी होती कि डर शरीर में उतर जाता। मां की आवाज में गुस्सा नहीं, बल्कि सजा का ठोस ऐलान होता था। मैं बहुत छोटा था- इसलिए सहम जाता। उस उम्र में भी एक सवाल पीछा नहीं छोड़ता था- अगर मैं लड़का हूं, तो लड़कियों के गहने पहनना गलत क्यों है? यह सवाल आज भी मेरे भीतर गूंजता है। मैं एक दोहरी जिंदगी जी रहा था, जिसमें शरीर मर्द का था, लेकिन मन उससे मेल नहीं खाता था। सोचता था कि अगर कुदरत ने मुझे ऐसा बनाया है, तो परिवार और समाज मुझसे क्यों लड़ रहे थे- इसका जवाब कभी नहीं मिला। मां का एक ही तर्क था- 'लड़के हो, लड़कों की तरह रहो।' उस आदेश में न समझ थी, न कोई और दूसरा रास्ता। आखिरकार, मैंने डर के आगे हथियार डाल दिए। गहने उतार दिए, साड़ी पहननी छोड़ दी। खुद को छुपाना सीख लिया। जब मैंने स्कूल जाना शुरू किया, तो यह साफ होने लगा कि बाकी बच्चों से अलग हूं। फर्क इतना था कि कुछ भी छुपाए नहीं छुपता था। धीरे-धीरे दोस्त दूर होने लगे। कुछ ने साफ कह दिया- 'तुम अलग टाइप के हो, हमारी दोस्ती तुम्हारे साथ नहीं चल पाएगी।' उनका मुझसे दूर होना मुझे भीतर से तोड़ने लगा। इसके बाद मैंने खुद को सुधारने की कोशिश शुरू की। अपने साथ के लड़कों को ध्यान से देखने लगा- वे कैसे चलते हैं, कैसे बैठते हैं, कैसे बोलते हैं, हाथ कैसे हिलाते हैं। उनसे तुलना करने पर मेरा हर हाव-भाव जैसे मुझे अपराध की तरह लगता। मेरा व्यवहार ‘ज्यादा औरतों जैसा’ माना जाता था। कुछ दोस्तों ने बाकायदा मुझे सिखाया कि लड़के कैसे होते हैं- उन्होंने मेरी चाल बदली, आवाज के उतार-चढ़ाव ठीक किए, लड़कों वाले इशारे सिखाए। यह सीख नहीं थी, यह खुद से दूरी बनाने की ट्रेनिंग थी। हर दिन लगता था कि शायद मैं अपने भीतर के उस हिस्से से बाहर निकल पाऊंगा, जिसे समाज ने गलत ठहरा दिया है, लेकिन जितना उसे दबाने की कोशिश करता, उतना ही भीतर से टूटता चला जाता। खुद को संभालने में ही लगा रहा- ऐसे नहीं करना है, वैसे नहीं करना। जब लगता कि कोई व्यवहार मुझसे ज्यादा औरतों वाला हो गया, तो उसे रोकने की कोशिश करता। दरअसल, मेरी शारीरिक भाषा औरतों जैसी हो जाती, तो डर लग जाता। सोचता, लोग क्या कहेंगे। उसे बदलना या कंट्रोल करना मेरे लिए बेहद तकलीफ भरा होता। एक तरह से मैं आजाद नहीं था- खुद को वैसा जाहिर नहीं कर पा रहा था, जैसा मैं अंदर से था। उस वक्त खुद को ठीक से खोज नहीं पाया। ये खुद को बदलने की कोशिश मुझे भीतर तक तोड़ने वाली थी। हर दिन ऐसा लगता था, जैसे मैं अपने ही खिलाफ मुकदमा लड़ रहा हूं- अपने हाव-भाव, अपनी इच्छाओं, अपनी संवेदनाओं के खिलाफ। जो मैं नहीं था, वह बनने की जिद ने लगातार मुझे खोखला कर दिया। खोखलेपन का यह दर्द दिखता नहीं था, लेकिन लगातार मौजूद रहता था। इसे शब्दों में बताना मुश्किल है, क्योंकि यह किसी एक घटना का नहीं, बल्कि रोज-रोज खुद को नकारने का नतीजा था। इस तरह मैं बड़ा होता गया, हर साल अपनी ही पहचान को थोड़ा-थोड़ा दबाते हुए। बाहर से सामान्य दिखने की कोशिश करता, लेकिन भीतर घुटन बढ़ती गई। आखिरकार यही महसूस कर रहा था कि वैसा नहीं बन पा रहा जैसा मेरे दोस्त और परिवार मुझसे उम्मीद कर रहे हैं। जितनी कोशिश की, उतना साफ होता गया कि यह लड़ाई मेरी काबिलियत की नहीं, बल्कि मेरी पहचान से थी। तब मैंने एक फैसला लिया- अब से जो हूं, उसी रूप में जिऊंगा। फिर वह मोड़ आया, जब पढ़ाई के लिए घर से बाहर निकला और हॉस्टल पहुंचा। यह सिर्फ जगह बदलना नहीं था; यह पहली बार था जब लोगों की मुझ पर निगरानी टूटी। मेरी जिंदगी में आजादी आई- ऐसा महसूस हुआ जैसे लंबे समय बाद पहली बार सच में सांस ले रहा हूं। हॉस्टल में रहकर पढ़ाई पूरी करते-करते यह साफ हो गया कि अब पीछे लौटना संभव नहीं। वहीं मैंने पेंटिंग सीखी और पहली बार अपने भीतर दबे सवालों को कैनवास पर उतारना शुरू किया। जो बनना चाहता था, जैसा रहना चाहता था- उस पहचान को रंगों में उतारने लगा। यहीं से न्यूड आर्ट पेंटिंग की शुरुआत हुई। नग्न देह के साथ मैं खुद को औरतों वाले गहनों के साथ बनाने लगा, जिन्हें पहनने का हक मुझे बचपन में कभी नहीं मिला। यह सिर्फ कला नहीं थी, बल्कि खुद को दोबारा गढ़ने की प्रक्रिया थी। बचपन का डर, दमन और अधूरी इच्छाएं रंगों में बदलती गईं। मैंने अपने अरमान और दर्द- दोनों को कैनवास पर नंगा उतारना शुरू किया। न्यूड आर्ट कोई नई सनक नहीं है। यह कला अपने ही देश में हजारों सालों से मौजूद रही है। भारतीय मंदिरों की दीवारों और शिल्पों में मर्द-मर्द को सेक्स करते दिखाया गया है- आज जिसे हम ‘गे’ कहते हैं, वह कभी कला और संस्कृति का हिस्सा था, लेकिन समय के साथ यह विरासत नहीं बनी, बल्कि डर बन गई। आज वही देह, वही इच्छा, वही अभिव्यक्ति अचानक ‘अश्लीलता’ और ‘टैबू’ में बदल दी गई है। दरअसल, कला से पहले समाज ने अपनी असहजता को बचाया। देह को देखने की नजर बदली नहीं- सिर्फ उसे छिपाने की जिद बढ़ गई। मेरी पेंटिंग्स इसी टकराव से जन्म लेती हैं- एक ऐसे समाज में जो अपने इतिहास को पूजता है, लेकिन उसकी सच्चाइयों से आंख चुराता है। मेरी पेंटिंग में न्यूडिटी यानी नग्नता, उत्तेजना नहीं, एक सवाल है; यह परंपरा नहीं तोड़ती, बल्कि याद दिलाती है कि जिसे आज हव्वा बना दिया गया है, वह कभी हमारी सांस्कृति का हिस्सा था। मैं अपने काम में पेंटिंग में एंड्रोजेनस दिखाता हूं। एंड्रोजेनस का मतलब है कोई भी इंसान, जिसे विपरीत जेंडर की चीजें और व्यवहार अच्छे लगे हैं। यह कोई भी हो सकता है- महिला या पुरुष। इसमें मैं जिन गहनों को कभी पहन नहीं सका, उन्हें अपनी पेंटिंग में खुद की कल्पना करके पहनाता हूं। मेरे लिए गहनों का कोई जेंडर नहीं होता। समाज का खेल अजीब है- हम जैसे लोगों को कभी महान बना दिया जाता है- हमारे सम्मान में नारेबाजी की जाती है, तो कई बार हमें बेवजह नफरत की निगाहों से घेर लिया जाता है। मेरी एक पेंटिंग इसी कश्मकश की कहानी कहती है। इसमें एक मर्द है, औरतों के गहने पहने, ऊंचे स्टूल पर बैठा- लेकिन उस स्टूल की कोई टांग नहीं। ऊंचा दिखाई देता है, लेकिन टिकने का कोई आधार नहीं। यह उस टूटे हुए सम्मान की तरह है, जो थोड़े से लोग देते हैं- इतना ऊंचा कि बाकी दुनिया से कट जाओ, लेकिन असल में हमेशा गिरने के खतरे में रहो। मैं पूछता हूं- हमें सम्मान भी क्यों चाहिए? क्यों न हम बस सामान्य समझे जाएं? तालियां मिलेंगी, लेकिन साथ नहीं; इज्जत मिलेगी, पर नजरअंदाज भी किया जाएगा। ऊंचाई देते हैं ताकि गिरना तय हो- यह पेंटिंग वही दर्द, वही अकेलापन, वही टकराव बयां करती है। इसे देखो और सोचो, क्या यही समाज की दया है, या बस एक और तरह की सजा? आजादी का मतलब सिर्फ फ्री सेक्स नहीं है, बल्कि अपने आप को चुनने की ताकत है- जो आप हैं, वही जीने की आजादी। बचपन में मां-बाप सही-गलत सिखाते हैं, लेकिन उनकी शिक्षा जेंडर की दीवारों से ऊपर होनी चाहिए। मुझे याद है, जब मैं छत पर खड़ा होता, तो कहा जाता- ‘वहां मत जाओ, गिर जाओगे’। यह सुरक्षा की बात थी, समझ में आती थी, लेकिन जब कहा जाता- ‘फलां काम लड़कों का नहीं करते’। तब वे बातें मेरे भीतर फूट पैदा करतीं। बचपन से हमें सिखाया जाता है कि लड़के रोते नहीं। सोचिए, अगर लड़के नहीं रोते, तो दुनिया आज कुछ और होती। मैं रोया भी, पर कभी किसी के सामने नहीं। ये छोटी-छोटी बंदिशें, ये नकली नियम, धीरे-धीरे दिमाग को तोड़ते हैं। लड़के और लड़कियों में फर्क केवल बायोलॉजिकल यानी जैविक है, बाकी सब समाज ने बनाया है। और उस झूठ ने मुझे सालों तक भीतर से घेरा रखा, मेरी आवाज दबा दी। यह सिर्फ बचपन की कहानी नहीं, उस रोजमर्रा की जंग की कहानी है, जिसे मैं हर सांस में जीता रहा। आज मैं समाज के हिसाब से ‘रहने लायक’ इंसान बन गया हूं। बाहर से ठीक दिखता हूं, सभ्य हूं, लोग स्वीकार करते हैं, लेकिन भीतर- पूरी तरह अकेला हूं। मेरे पीछे टंगी यह न्यूड पेंटिंग देखिए। 'यह मैं हूं'। इसमें देह के बीचोंबीच एक बड़ा सा छेद है- क्योंकि अंदर कुछ बचा ही नहीं। सालों तक खुद को काट-छांटकर मैंने वह रूप गढ़ा, जिसे समाज देखना चाहता था। उसी प्रक्रिया में मैं खुद से खाली होता चला गया। यह खालीपन अचानक नहीं आया। धीरे-धीरे बना- हर उस बार, जब मैंने अपनी सच्ची चाह को दबाया, हर उस पल, जब ‘नॉर्मल’ दिखने के लिए खुद को चुप कराया। अब मैं हूं, लेकिन पूरा नहीं हूं। एक तरह से मैं, मैं नहीं रहा। खुश नहीं हूं। पर चलिए, कोई बात नहीं, समाज तो खुश है! अब मैं गहनों पर रिसर्च कर रहा हूं- तरह-तरह के गहनों पर, ताकि उन्हें अपनी पेंटिंग में दिखा सकूं। मैं दिखाना चाहता हूं कि देश के किस कोने में औरतें कौन-सा गहना पहनती थीं। मैं इस काम को जारी रखूंगा। समाज की मर्जी है कि वह इसे पसंद करे या न करे। उसे हक है मेरे काम को नापसंद करने का। मैं उसे समझा नहीं पाऊंगा। न्यूडिटी एक चॉइस है, जो आपके आर्ट वर्क को आगे ले जाती है। यह एक तरह फॉर्म ऑफ आर्ट यानी कला का ही एक रूप है। (राहुल सरकार ने अपने ये जज्बात भास्कर रिपोर्टर मनीषा भल्ला से साझा किए हैं।) ------------------------------ 1- संडे जज्बात-रिश्तेदार की लाश लेकर आया, मेरे गाल छूने लगा:लाशें जलाने के कारण शादी नहीं हुई- पति के बिना जी लूंगी, लाशों के बिना नहीं मैं टुम्पा दास- पश्चिम बंगाल में डोम समुदाय की पहली महिला हूं, जो पिछले कई सालों से कोलकाता के बड़िपुर गांव के श्मशान में लाशें जला रही हूं। पता नहीं भारत में कोई और महिला यह काम करती है या नहीं, पर मैंने यही रास्ता चुना… और यह रास्ता आसान नहीं था। पूरी स्टोरी यहां पढ़ें 2-संडे जज्बात-मैं मुर्दा बनकर अर्थी पर भीतर-ही-भीतर मुस्कुरा रहा था:लोग ‘राम नाम सत्य है’ बोले तो सोचा- सत्य तो मैं ही हूं, थोड़ी देर में उठकर साबित करूंगा मेरा नाम मोहनलाल है। बिहार के गयाजी के गांव पोची का रहने वाला हूं। विश्व में शायद अकेला ऐसा इंसान हूं, जिसने जिंदा रहते अपनी शव यात्रा देखी। यह बात चंद करीबी लोगों को ही पता थी। मरने का यह सारा नाटक किसी खास वजह से किया गया था। पूरी स्टोरी यहां पढ़ें
पाकिस्तानी डॉन शहजाद भट्टी अपने गैंगस्टर टेरर मॉड्यूल के जरिए भारत के खिलाफ खतरनाक साजिश रच रहा है। ये वही शहजाद है, जो कभी गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का सबसे करीबी दोस्त था। पहलगाम हमले के बाद लॉरेंस ने हाफिज सईद को जान से मारने की धमकी दी। इसके बाद से शहजाद भट्टी लॉरेंस बिश्नोई और उसकी गैंग का दुश्मन बन गया। अभी नवंबर में शहजाद ने लॉरेंस के भाई अनमोल को जान से मारने की धमकी दी। उसने कहा, ‘बुलेटप्रूफ गाड़ी भी नहीं बचा पाएगी, वो जो चाहे कर ले।’ सोर्स बताते हैं कि शहजाद अब ISI के इशारे पर डिएक्टिवेट हो चुके स्लीपर सेल को एक्टिव करने में जुट गया है। लॉरेंस गैंग के साथ काम करके शहजाद उसी के तरीके इस्तेमाल कर गैंगस्टर-टेटर मॉड्यूल ऑपरेट कर रहा है। वो पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के इशारे पर भारतीय युवाओं को टारगेट कर रहा है। उसके निशाने पर कम पढ़े-लिखे और गरीब तबके के लोग हैं। ये खुलासा 30 नवंबर को पकड़े गए शहजाद भट्टी के तीन गुर्गों और इसके नेटवर्क की जांच में हुआ है। अब इंटेलिजेंस ब्यूरो भी स्लीपर सेल को एक्टिव करने वाले एंगल से शहजाद भट्टी की जांच में जुटी है। शहजाद का ये मॉड्यूल कैसे काम कर रहा है? वो कैसे सोशल मीडिया पर लॉरेंस बिश्नोई की तर्ज पर वीडियो और हथियार डालकर यूथ को टारगेट कर रहा है। दैनिक भास्कर ने इसकी पड़ताल की। सोशल मीडिया पर कोडवर्ड 333 से कई अकाउंट, वीडियो कॉल पर फॉलोअर्स से बातशहजाद भट्टी सोशल मीडिया के जरिए यूथ को टारगेट कर रहा है। इसका खुलासा उसके 3 गुर्गों ने किया है, जिन्हें दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने पिछले महीने अरेस्ट किया था। ये तीनों इंस्टाग्राम के जरिए शहजाद भट्टी के संपर्क में आए थे। शहजाद के इंस्टाग्राम अकाउंट पर ज्यादातर फॉलोअर्स भारत के युवा हैं। पड़ताल के दौरान हमें शहजाद भट्टी के नाम से कई इंस्टाग्राम अकाउंट मिले। उसके कुछ अकाउंट एक्टिव हैं, लेकिन हाल में उसने कई अकाउंट बंद कर दिए हैं। कई अकाउंट पर वो अलग-अलग नाम से है। सोशल मीडिया पर ज्यादातर अकाउंट 333 कोडवर्ड से हैं। शहजाद अक्टूबर 2025 से एक्टिव एक अकाउंट पर लगातार युवाओं को गैंगस्टर टेरर मॉड्यूल में शामिल करने के लिए पोस्ट कर रहा है। युवाओं के लिए उसने 'ट्यूशन बदमाशी का' जैसे गानों पर रील बनाकर पोस्ट की है। इसी अकाउंट से उसने लॉरेंस बिश्नोई और अनमोल बिश्नोई को धमकी देने वाला वीडियो भी पोस्ट किया था। इसके बाद ही 27 अक्टूबर को अनमोल ने वकील के जरिए कोर्ट में एप्लिकेशन लगाई। उसने दावा किया था कि पाकिस्तानी गैंगस्टर शहजाद भट्टी से उसे जान का खतरा है। हथियार और महंगी गाड़ियां दिखाकर युवाओं को फंसा रहाशहजाद भट्टी ने खुद को UAE का रील क्रिएटर बताकर इंस्टाग्राम प्रोफाइल बना रखा है। इसमें दुबई के नंबर वाली लग्जरी गाड़ियों में रील बनाते हुए वीडियो पोस्ट किए हैं। इसके साथ ही हथियारों के भी वीडियोज पोस्ट किए हैं। टिकटॉक पर भी वो वीडियो पोस्ट करता है। हमें कई ऐसे वीडियो भी मिले हैं, जिनमें शहजाद वीडियो कॉल पर बात करता दिख रहा है। वो खासकर यूथ को हथियार दिखाकर नेटवर्क का हिस्सा बनाने के लिए जाल फेंक रहा है। युवा इसके अलग-अलग सोशल मीडिया प्रोफाइल पर मैसेज कर संपर्क कर रहे हैं। अब जानिए दिल्ली पुलिस के सोर्स क्या कह रहे…शहजाद और उसका गैंग लोगों को कैसे टारगेट करता है, इसे समझने के लिए हमने दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल में अपने सोर्स और इंटेलिजेंस ब्यूरो के अफसरों से बात की। हमने शहजाद की भारत के यूथ को टारगेट करने की मोड्स ऑपरेंडी समझी। हमें दो मुख्य टारगेट समझ आए। पहला टारगेटगरीब, कम पढ़े-लिखे नौजवान, छोटे धमाकों से स्लीपर सेल एक्टिव करना मकसदशहजाद भट्टी भारत में गरीब और कम पढ़े-लिखे हर धर्म के युवाओं को टारगेट कर रहा है, जो क्राइम नेटवर्क से जुड़ने की इच्छा दिखाते हैं। उन्हें 4-5 हजार रुपए और हथियार देकर कहीं भी हैंड ग्रेनेड फिंकवाया जा सके। शहजाद भट्टी इन युवाओं का इस्तेमाल सिर्फ एक या दो बार ही करता है। पुलिस सोर्स इसका मकसद बताते हैं, ‘शहजाद भट्टी की टेरर मॉड्यूल में मौजूदगी और खौफ की चर्चा हो। इसके बाद भारत में ISI के कई साल पुराने डिएक्टिवेट हो चुके स्लीपर सेल भी संपर्क में आएं, जिन्हें आने वाले दिनों में बड़े टारगेट के लिए एक्टिव किया जा सके। दूसरा टारगेटलॉरेंस-अनमोल बिश्नोई को चैलेंज कर नया गैंगस्टर-टेरर मॉड्यूल खड़ा करनासोर्स बताते हैं कि लॉरेंस से अलग होने के बाद शहजाद भट्टी भारत में नेटवर्क खड़ा करना चाहता है। इसकी एक वजह ये भी है कि ISI अब बांग्लादेशियों को नेटवर्क बढ़ाने के लिए इस्तेमाल नहीं करना चाहती क्योंकि भारत में घुसपैठियों और बांग्लादेशियों के खिलाफ लगातार अभियान चल रहे हैं। लिहाजा ISI भी शहजाद भट्टी के जरिए भारत के यूथ का इस्तेमाल करना चाहती है। पाकिस्तान ने भारतीय सीमा में हथियारों और ड्रग्स की सप्लाई कराने के लिए पहले शहजाद भट्टी के जरिए लॉरेंस गैंग का इस्तेमाल किया। अब दोनों के अलग होने के बाद शहजाद सोशल मीडिया के जरिए खुद ये नेटवर्क चला रहा है। उसने क्रिमिनल बैकग्राउंड वाले यूथ को जोड़ने के लिए आसान तरीका तलाशा है। वो लॉरेंस और उसके भाई अनमोल को सीधे धमकी देता है ताकि चर्चा में रहे। दूसरी बात ऐसे यूथ को लॉरेंस गैंग का विकल्प भी मिल रहा है। इसलिए शहजाद भट्टी लगातार सोशल मीडिया पर भड़काऊ वीडियो पोस्ट कर रहा है। 17 से 25 साल का यूथ शहजाद भट्टी के टारगेट पर दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने 30 नवंबर को शहजाद भट्टी के लिए भारत में एक्टिव तीन गुर्गों को अरेस्ट किया। इन तीनों की उम्र 19 से 23 साल के बीच है। तीनों अलग-अलग राज्य से थे। तीनों के धर्म भी अलग-अलग हैं, लेकिन इनमें दो बातें कॉमन रहीं। पहली: इनकी गरीबी और कम पढ़ा-लिखा होना। इनमें से एक मजदूर है।दूसरी: तीनों सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम के जरिए शहजाद के संपर्क में आए। ऐसे टारगेट को शहजाद सिर्फ डिस्पोजेबल फुट सोल्जर्स की तरह इस्तेमाल करता है। यानी इन्हें एक बार इस्तेमाल करके छोड़ देता है। इसलिए ऐसे लोगों की तलाश करता है, जिन्हें तुरंत पैसे की जरूरत होती है। अमृतसर में जासूसी कराई, गुरदासपुर पुलिस स्टेशन के बाहर ग्रेनेड अटैक करायास्पेशल सेल के एडिशनल पुलिस कमिश्नर प्रमोद कुशवाहा ने बताया कि विकास प्रजापति मध्य प्रदेश के दतिया जिले की एक अनाज मंडी में पहले मजदूरी करता था। इसे दिहाड़ी पर पैसे मिलते थे। वो कम समय में ज्यादा पैसे कमाने के लालच में गैंगस्टर बनना चाहता था। उसने पहले लॉरेंस गैंग से भी संपर्क किया, लेकिन बात नहीं बनी। इसके बाद उसने शहजाद भट्टी से इंस्टाग्राम के जरिए कॉन्टैक्ट किया। फिर वो शहजाद भट्टी से टेलीग्राम और दूसरे सोशल नेटवर्किंग एप पर चैट करने लगा। शहजाद ने उसे जल्दी पैसे कमाने का लालच देकर हथियारों की सप्लाई और अटैक करने के लिए तैयार कर लिया। इसके लिए महज 4 से 5 हजार रुपए में बात तय हुई। उसे बताया गया कि गुरदासपुर में एक पार्सल मिलेगा। वहां एक पुराने नेटवर्क से विकास को पार्सल मिला, जिसमें ग्रेनेड था। इसके बाद शहजाद भट्टी ने उसे खुद वीडियो कॉल पर ग्रेनेड को एक्टिवेट करने का तरीका समझाया। फिर उसे करीब 5 हजार रुपए भी दिए गए। उससे गुरदासपुर और टाउन हॉल पुलिस थाने के साथ अमृतसर में जासूसी कराई गई। इसके बाद दूसरे गुर्गे हरगुनप्रीत सिंह और उसके साथी को हैंड ग्रेनेड देकर गुरदासपुर पुलिस स्टेशन के बाहर फेंकने की जानकारी दी। हरगुनप्रीत 12वीं तक पढ़ा है। वो भी सोशल मीडिया के जरिए ही शहजाद के संपर्क में आया था। उसी ने 25 नवंबर को गुरदासपुर पुलिस स्टेशन के बाहर ग्रेनेड फेंका था। एडिशनल पुलिस कमिश्नर के मुताबिक, यूपी के बिजनौर का रहने वाला आसिफ करीब ढाई महीने पहले ही इंस्टाग्राम के जरिए शहजाद भट्टी के संपर्क में आया था। शहजाद ने विकास प्रजापति से उसका कॉन्टैक्ट कराया। उसे कुछ और बड़ी जिम्मेदारी देने की तैयारी थी, लेकिन उससे पहले ही पुलिस ने दबोच लिया। कौन है खुद को पाकिस्तान का सिपाही बताने वाला शहजादशहजाद भट्टी खुद को पाकिस्तान का सिपाही बताता है। वो ISI के इशारे पर भारत विरोधी एक्टिविटी करता है। पहले लॉरेंस के लिए काम करता था। फिर गैंगस्टर फारूक खोखर से जुड़ा। लॉरेंस से दुश्मनी के बाद ISI के संपर्क में आया। ISI के इशारे पर शहजाद भारत में हथियारों की तस्करी कराने लगा। 2022-23 में ये ज्यादा एक्टिव हुआ और फिलहाल दुबई में है। वो ड्रोन के जरिए पाकिस्तान से भारत की सीमा में अवैध हथियार, हैंड ग्रेनेड से लेकर ड्रग्स की सप्लाई में शामिल है। उसका भारत के अलावा अमेरिका और कनाडा में भी नेटवर्क है। पिछले साल ही इसने वीडियो कॉल पर लॉरेंस को ईद की बधाई दी थी। 2022 में पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या में इस्तेमाल हथियारों की सप्लाई करने का आरोप शहजाद भट्टी पर ही है। मुंबई में बाबा सिद्दीकी हत्याकांड की साजिश में शामिल जीशान अख्तर को भारत से भागने में शहजाद भट्टी ने मदद की। उसे अजरबैजान पहुंचाकर सेटल कराया। पिछले ही महीने इसने अनमोल बिश्नोई को धमकी दी थी और कहा, 'बुलेटप्रूफ गाड़ी भी नहीं बचा पाएगी, वो जो चाहे कर सकता है।' इस धमकी को सुरक्षा एजेंसियों ने गंभीरता से लिया। NIA अब अनमोल बिश्नोई को पटियाला कोर्ट नहीं ले जा रही है। कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही कोर्ट में उसकी सुनवाई करा रही है। अनमोल बिश्नोई के गैंगस्टर-टेरर नेटवर्क में सफेदपोशों के शामिल होने का शकअनमोल बिश्नोई को अमेरिका से भारत लाया गया। यहां वो NIA की कस्टडी में है। उसकी मर्डर और रंगदारी वसूलने वाले केसों में जांच हो रही है। खासकर फंडिंग और गैंगस्टर-टेरर मॉड्यूल की जांच हो रही है। इनमें मुंबई में बाबा सिद्दीकी मर्डर केस, सिद्धू मूसेवाला मर्डर केस और सलमान खान के घर फायरिंग कराने की घटना की भी जांच शामिल है। अनमोल पर 22 से ज्यादा केस हैं। वो 2022 में ही भारत से फर्जी पासपोर्ट के जरिए विदेश भाग गया था। तभी से NIA ने उसे वांटेड घोषित कर रखा था। इसके बाद 19 नवंबर 2025 में अमेरिका से डिपोर्ट कर भारत भेज दिया गया। तब से लेकर अब तक की जांच में NIA को हवाला के जरिए अमेरिका, कनाडा, थाईलैंड और भारत के बीच गैंगस्टर-टेरर फंडिंग के नेटवर्क के बारे में कई अहम जानकारी मिली है। इसी के जरिए इनके नेटवर्क से जुड़े ऐसे लोगों की पहचान हो रही है, जो सफेदपोश हैं। इन सफेदपोशों से जुड़ी सीक्रेट जानकारी भी जांच एजेंसियां जुटा रही हैं। आने वाले दिनों में दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच, पंजाब पुलिस और फिर मुंबई पुलिस भी अनमोल बिश्नोई को रिमांड पर लेकर पूछताछ कर सकती हैं।...................... ये खबर भी पढ़ें... अभिजीत कातिल नहीं तो मॉडल दिव्या पाहूजा को किसने मारा 2 जनवरी 2024, शाम करीब 6 बजे का वक्त था। गुरुग्राम के एक होटल में 27 साल की मॉडल दिव्या पाहूजा की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। शुरुआती जांच में घटना सिटी पॉइंट होटल के कमरा नंबर-111 में होने का दावा किया गया। हत्या का आरोप बिजनेसमैन अभिजीत पर लगा। अब इस वारदात के करीब 2 साल पूरे होने वाले हैं। मॉडल की बहन नैना पाहूजा और मां सोनिया पाहूजा अब अभिजीत पर हत्या के आरोप से पलट गई हैं। पढ़िए पूरी खबर...
बांग्लादेश: हादी गोलीकांड के बाद यूनुस सरकार ने शुरू किया 'ऑपरेशन डेविल हंट फेज-2'
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने 'ऑपरेशन डेविल हंट फेज-2' शुरू करने का ऐलान किया है
China Philippines Conflict: चीन और फिलीपींस के बीच क्यों मचा घमासान? समझें पूरे विवाद की ABCD
China and Philippines conflict: फिलीपींस अधिकारियों के अनुसार यह घटना सबीना शोल के पास हुई. सबीना शोल पलावन द्वीप से लगभग 150 किलोमीटर दूर है. इस इलाके में बहुत ज्यादा संख्या में मछलियां पाई जाती हैं. वहीं चीन की तरफ से शुक्रवार को उनकी तरफ से उनके इलाके में मछली पकड़ने के लिए घुसी करीब 20 फिलीपींस की नावों पर जरूरी कंट्रोल उपाय किए गए हैं.
Dubai Living Cost: दुबई में बस जाने का है सपना? जानिए वहां रहने के लिए हर महीने कितनी सैलरी चाहिए
Living Cost per month in Dubai: क्या आप भी चकाचौंध भरे दुबई में बसना चाहते हैं. अगर हां तो पहले वहां रहने की लागत यानी लिविंग कोस्ट जान लें. इसके बाद वहां बसने का प्लान बनाना ठीक रहेगा.
Donald Trump on Europe: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप यूरोप के 'टुकड़े-टुकड़े' करने का प्लान बना रहे हैं. जो यूरोप अब तक अमेरिका की आंख का टुकड़ा हुआ करता था, अब वो यूएस से दूर क्यों हो रहा है.
UK News: पाकिस्तान के सैकड़ों लोग ऑन कैमरा कह चुके हैं कि वीजा होने के बावजूद अमेरिकी एयरपोर्ट्स पर पुलिस कपड़े उतारकर तलाशी लेती है तब एंट्री मिलती है. अब ब्रिटिश मुस्लिम्स को लेकर ये बड़ी खबर सामने आ रही है.
चुनावी हिंसा की आग में धधक रहा बांग्लादेश, बदमाशों ने EC के दफ्तर में लगाई आग
यूएनबी के अनुसार, शनिवार को लक्ष्मीपुर शहर में स्थित जिला चुनाव ऑफिस में बदमाशों ने आग लगा दी. जिला चुनाव अधिकारी मोहम्मद अब्दुर रशीद ने बताया कि बदमाशों ने सुबह करीब 3:30 बजे ऑफिस की खिड़कियों से पेट्रोल डालकर आग लगा दी और वहां से भाग गए.
श्यामन: यूनेस्को अमूर्त सांस्कृतिक विरासत संरक्षण अंतरसरकारी समिति का 21वां सत्र आयोजित
भारत की राजधानी नई दिल्ली में आयोजित संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत संरक्षण अंतरसरकारी समिति के 20वें सत्र ने 12 दिसंबर को यह निर्णय लिया कि समिति का 21वां सत्र 30 नवंबर से 5 दिसंबर 2026 तक, दक्षिणी चीन के फूच्येन प्रांत के श्यामन शहर में आयोजित किया जाएगा
53 हजार करोड़ की नेट वर्थ... भारतीय अरबपति ने दुबई की बस में किया सफर, ड्राइवर से पूछा गजब सवाल
भारतीय अरबपति बिजनेसमैन की इस शालीनता को देखकर सोशल मीडिया यूजर्स उनपर जमकर प्यार लुटा रहे हैं. वहीं कुछ सोशल मीडिया यूजर उन्हें दुनिया का सबसे विनम्र व्यक्ति बता रहे हैं. एक अन्य सोशल मीडिया यूजर ने इस वीडियो पर कमेंट में लिखा कि युसुफ अली की सादगी उन्होंने खुद देखी है.
Elon Musk X Post: एलन मस्क की ये एक्स पोस्ट थोड़ी ही देर में वायरल हो गई और एक्स यूजर्स के बीच तीखी बहस का केंद्र भी बन गई. इस पोस्ट पर अपने-अपने विचार साझा करते हुए कुछ यूजर्स ने मस्क की तीखी आलोचना की तो कुछ यूजर्स ने मस्क के विचारों का समर्थन भी किया है.
इंसानियत भूल बेशर्मी पर उतरा पाक और ईरान, 10 हजार अफगानी शरणार्थियों को जबरन निकाला बाहर
Afghan refugee: संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) की तरफ से बताया गया है कि पाकिस्तान ने 2025 के दौरान रिकॉर्ड संख्या में अफगानी प्रवासियों को हिरासत में लिया है. इन शरणार्थियों की सबसे ज्यादा गिरफ्तारी बलूचिस्तान और पंजाब प्रांत में हुई हैं.
हिंद महासागर में चाल नहीं चल पाएगा चीन! इस धाकड़ IPS अफसर को भारत ने बनाया मॉरीशस का नया NSA
New NSA of Mauritius: हिंद महासागर में अपना फुटप्रिंट बढ़ाने की कोशिश कर रहे विस्तारवादी चीन को भारत ने मौन शब्दों में तीखा संदेश दिया है. भारत ने धाकड़ रहे अपने एक पूर्व IPS अफसर को मॉरीशस का नया NSA नियुक्ति किया है.
Social Media Ban: ऑस्ट्रेलिया के बाद अब एक और देश से सोशल मीडिया बैन को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है! एक और देश कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया के नेगेटिव इम्पैक्ट से बचाने के लिए सख्त कदम उठाने की तैयारी में है. सरकार की योजना के तहत 15 साल से कम उम्र के बच्चों की सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की यूज करने की इजाजत नहीं होगी.
IMF Loan Pakistan News: इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) ने पाकिस्तान को 7 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज के साथ 11 नई शर्तें रखी हैं. इसके साथ ही अगले 18 महीनों में लागू कुल शर्तों की संख्या 64 हो गई है.
Donald Trump: दुनियाभर में एच-1बी वीजा फीस को लेकर चर्चा छिड़ी है. अमेरिका के कई राज्यों में भी इस फीस को लेकर लोग परेशान हैं. ऐसे में कई राज्यों ने ट्रंप पर मुकदमा किया है.
ट्रंप टैरिफ का बड़ा असर: अमेरिका का व्यापार घाटा 5 साल के निचले स्तर पर
अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा कई देशों पर लगाए टैरिफ के बाद वैश्विक बाजार में ये कयास लगाए जा रहे थे कि ट्रंप की इस नीति से अमेरिकी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचेगा
China Pacific Airfield: चीन की मदद से माइक्रोनेशिया के वोलाई द्वीप पर द्वितीय विश्व युद्ध का एक पुराना रनवे लगभग बनकर तैयार है , प्रशांत महासागर में चाइना के बढ़ते हुए निवेश से अमेरिकी रक्षा विभाग परेशानी में दिख रहा है.
शहबाज का वायरल वीडियो डिलीट! ट्रंप के बाद अब पाकिस्तान को पुतिन के करीब लाने वाला वो चौधरी कौन है?
एक समय पुतिन के सामने शहबाज शरीफ लड़खड़ा जाते थे, कान में ईयरफोन नहीं फंसता था लेकिन अब उन्होंने खंबे के बगल में पुतिन से हाथ मिलाकर जो गर्मजोशी दिखाई है पाकिस्तान में काफी चर्चा है. भारत भी उस तस्वीर को देख रहा है जिसमें पुतिन और शहबाज शरीफ बैठकर बात कर रहे हैं. पाकिस्तान और रूस को करीब लाने में तीसरे शख्स का बहुत बड़ा रोल है.
40 मिनट की बेइज्जती और...कैसे हुई पाक पीएम की किरकिरी? डिलीट हुआ वीडियो तो ये बोले यूजर्स
Vladimir Putin: तुर्कमेनिस्तान की राजधानी अश्गाबात में पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ की घनघोर बेइज्जती हुई, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है. पाक पीएम ने करीब 40 मिनट तक रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का इंतजार करते रहे. अब ये वीडियो RT के द्वारा डिलीट कर दिया गया है.
अमेरिका में भारत पर लगे 50% टैरिफ पर बवाल- ट्रंप के फैसले को हटाने की मांग तेज
अमेरिका की राजनीति में भारत से जुड़े ट्रेड फैसले को लेकर एक बार फिर हलचल बढ़ गई है। तीन अमेरिकी सांसदों ने मिलकर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत से आयातित सामान पर लगाए गए 50% टैरिफ को समाप्त करने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया है
53 साल उम्र, 36 बरस की कैद, 13 बार जेल और 154 कोड़े... नरगिस पर ईरान में क्यों हो रहा अत्याचार?
Narges Mohammadi: नोबेल शांति पुरस्कार विजेता नरगिस मोहम्मदी को फिर से गिरफ्तार किए जाने का दावा किया गया है. इस्लामिक रिपब्लिक में ह्यूमन राइट्स के लिए 2 दशक की लड़ाई लड़ने वालीं नरगिस को बार-बार क्यों गिरफ्तार किया जा रहा है? ईरान उनसे क्यों चिढ़ा हुआ है? आइए जानते हैं.
गाजियाबाद के रहने वाले अशोक राणा और निर्मला राणा बेटे हरीश के लिए सुप्रीम कोर्ट से इच्छामृत्यु मांग रहे हैं। 11 दिसंबर को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली एम्स को रिपोर्ट बनाने को कहा। अब अगली सुनवाई 18 दिसंबर को होनी है। इससे पहले भी हरीश के माता-पिता दिल्ली हाईकोर्ट और सु्प्रीम कोर्ट में ऐसी अर्जी लगा चुके हैं, लेकिन तब इसे खारिज कर दिया गया था। आखिर एक नौजवान के माता-पिता अपने ही बेटे की इच्छामृत्यु क्यों चाहते है, भारत में इसपर क्या कानून है और इससे पहले किन्हें इच्छामृत्यु मिल चुकी है; जानेंगे भास्कर एक्सप्लेनर में…. सवाल-1: हरीश राणा केस क्या है, जिसपर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है? जवाबः दिल्ली में जन्मे हरीश राणा चंडीगढ़ की पंजाब यूर्निवर्सिटी से बीटेक की पढ़ाई कर रहे थे। 2013 में वह हॉस्टल की चौथी मंजिल से गिर गए। इसकी वजह से उनके पूरे शरीर में लकवा लग गया और वह कोमा में चले गए। हरीश अब ना कुछ बोल सकते हैं और ना ही कुछ महसूस कर सकते हैं। उनके 63 साल के पिता अशोक राणा और 60 साल की मां निर्मला राणा उनकी देखभाल करते हैं। बीबीसी से बात करते हुए अशोक राणा ने बताया था कि उन्हें उम्मीद थी कि एक दिन उनका बेटा ठीक हो जाएगा, लेकिन 12 साल बाद भी उनका बेटा बिस्तर पर हिल तक नहीं सकता। अब उन्होंने अपने बेटे के ठीक होने की उम्मीद खो दी है। अशोक राणा कहते हैं कि डॉक्टर ने उन्हें बताया है कि बेटे के दिमाग की नसें पूरी तरह सूख गई हैं। उसके इलाज के लिए उन्हें दिल्ली के द्वारका में अपना घर बेचना पड़ा। अब वो गाजियाबाद के दो कमरे के एक फ्लैट में रहते हैं। अशोक राणा ताज कैटरिंग में नौकरी करते थे। वहां से रिटायर होने के बाद अब उन्हें हर महीने 3600 रुपए पेंशन मिलती है। शनिवार और रविवार को गाजियाबाद के एक क्रिकेट ग्राउंड में सैंडविच और बर्गर बेचते हैं ताकि किसी तरह घर का खर्च और बेटे का इलाज हो सके। वह कहते हैं कि अब उनके पास बेटे के इलाज के लिए पैसे नहीं है इसलिए वे कोर्ट से इच्छामृत्यु मांग रहे हैं। हरीश की मां निर्मला राणा का भी यही कहना है कि वे उसके ठीक होने की उम्मीद खो चुकी हैं। उनके बाद बेटे को देखने वाला कोई नहीं है। हरीश के एक महीने का मेडिकल खर्च कम से कम 25-30 हजार रुपए है। निर्मला कहती हैं कि उनके बेटे के साथ जो हो रहा है भगवान न करें किसी और के साथ हो। डॉक्टर्स ने हरीश को क्वाड्रिप्लेजिया बीमारी से पीड़ित करार दिया। इसमें मरीज पूरी तरह से फीडिंग ट्यूब यानी खाने-पीने की नली और वेंटिलेटर सपोर्ट पर निर्भर रहता है। इसमें रिकवरी की कोई गुंजाइश नहीं होती। माता-पिता हरीश की इच्छामृत्यु चाहते है, क्योंकि सवाल-2: भारत के संविधान में इच्छामृत्यु का क्या कानून है? जवाब: हां, संविधान में इच्छामृत्यु को लेकर कानून है। दरअसल, 2005 में कॉमन कॉज नाम की एक NGO ने पैसिव यूथेनेशिया यानी निष्क्रिय इच्छामृत्यु के अधिकार की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस पर 9 मार्च 2018 को CJI दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली 5 जजों की बेंच ने इच्छामृत्यु को कानूनी मान्यता दी। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, ‘अगर किसी मरीज को लाइलाज बीमारी हो या वेजिटेटिव स्टेट में यानी लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर ही जिंदा हो, तो प्राकृतिक तरीके से मृत्यु के लिए उसका इलाज बंद किया जा सकता है। इसे इच्छामृत्यु नहीं, बल्कि सम्मान के साथ मृत्यु का अधिकार माना जाएगा।’ यह अधिकार संविधान के आर्टिकल 21 का हिस्सा है, जिसमें सम्मान से जीने के साथ सम्मान से मरने का अधिकार है। सवाल-3: इच्छामृत्यु को लेकर क्या नियम है? जवाब: 2018 में पैसिव यूथनेशिया को वैधता देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए 2 तरह के नियम बनाए… 1. जब मरीज ने पहले ही ‘लिविंग विल’ लिख रखी हो ये कंडीशन तब लागू होती है, जब मरीज ने मेंटली फिट रहते हुए अपनी इच्छा से लिविंग विल लिखी हो। इस लिविंग विल में साफ तौर पर लिखा जाता है कि मरीज की बीमारी अगर लाइलाज हो जाए यानी अगर वह अब कभी ठीक होने लायक न बचे तो उसे लाइफ सपोर्ट सिस्टम से हटा दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए भी कुछ नियम बनाए हैं… इस पूरी प्रक्रिया के बारे में परिवार को जानकारी दी जाती है। किसी भी तरह के विवाद की स्थिति में हाईकोर्ट में अपील की जा सकती है। 2. जब कोई लिविंग विल न हो जब मरीज अपने होश में रहते हुए लिविंग विल नहीं बनाता तो उसका परिवार या करीबी ये फैसला ले सकते हैं। हालांकि, ये इतना आसान नहीं है। इसके लिए 2018 में सुप्रीम कोर्ट के बनाए गए इन नियमों का पालन करना होता है… अगर इसमें किसी तरह की विवाद की स्थिति होती है, तो हाइकोर्ट में अपील की जा सकती है। सवाल-4: पैसिव यूथेनेशिया क्या होती है और यह एक्टिव यूथेनेशिया से कैसे अलग है? जवाब: इच्छामृत्यु के 2 तरीके होते हैं… सवाल-5: कैसे तय होता है कि मरीज पैसिव यूथेनेशिया के लायक है? जवाब: भारत में किसी मरीज को पैसिव यूथेनेशिया देने का फैसला एक तय कानूनी और मेडिकल प्रक्रिया के तहत ही लिया जाता है। यह केवल उन मरीजों पर लागू होता है, जो सवाल-6: क्या इससे पहले ऐसा किसी मामले में हुआ है? जवाब: नहीं, हरीश राणा का मामला भारत में पैसिव यूथेनेशिया का ऐसा पहला मामला है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के बनाए नियम फॉलो हो रहे हैं। दरअसल, 2018 के कॉमन कॉज फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने नियम बनाए थे, जो अब तक किसी मामले पर लागू नहीं हुए हैं। लेकिन हरीश का केस पहला मामला है, जिसमें इन्हें लागू किया जा रहा है। 11 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली AIIMS को आदेश दिया है कि वो एक दूसरी मेडिकल बोर्ड बनाए जो हरीश राणा की कंडीशन की चांज करे। इस केस में प्राइमरी और सेकेंडरी मेडिकल बोर्ड की प्रक्रिया कोर्ट की निगरानी में चल रही है। हालांकि, 2011 के अरुणा शानबाग केस ने पैसिव यूथेनेशिया को पहली बार लीगल बनाया, जो 2018 के कॉमन कॉज केस का आधार बना। अरुणा शानबाग केस: 1973 में मुंबई के KEM अस्पताल में 42 साल की नर्स अरुणा शानबाग पर एक वार्ड अटेंडेंट ने हमला किया और फिर रेप किया। हमले में लगी गंभीर दिमागी चोटों की वजह से अरूणा कोमा में चली गईं। उनकी गंभीर हालत को देखते हुए साल 2009 में एक पत्रकार पिंकी विरानी ने अरुणा की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की। याचिका में अरुणा की लाइफ सपोर्ट मशीनें हटाने की मांग की गई, ताकि उनकी प्राकृतिक रूप से मृत्यु हो सके। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने इच्छामृत्यु को कानूनी अधिकार बताया था, लेकिन अरुणा को इच्छामृत्यु की अनुमति नहीं दी। क्योंकि वह तब कुछ हद तक बिना मशीनों के सांस ले रही थीं। इसके बाद 2015 में अरुणा शानबाग की प्राकृतिक रूप से मृत्यु हो गई। सवाल-7: अन्य देशों में इसे लेकर क्या कानून है?जवाब: अलग-अलग देशों में इच्छामृत्यु को लेकर अलग-अलग कानून हैं… अमेरिका: सभी 50 राज्यों में एक्टिव यूथेनेशिया अवैध है। जबकि वाशिंगटन डीसी, कैलिफोर्निया, कोलोराडो जैसे 12 राज्यों में कोर्ट के फैसले के आधार पर ‘मेडिकल एड इन डाइंग’ यानी सहायता प्राप्त आत्महत्या वैध है। रूस: एक्टिव और पैसिव दोनों तरह के यूथेनेशिया अवैध हैं। फेडरल लॉ नंबर 323 के आर्टिकल 45 के तहत ये रोक है। अगर डॉक्टर यूथेनेशिया करते हैं तो उन्हें सजा भी हो सकती है। पाकिस्तान: यूथेनेशिया पूरी तरह से अवैध है। इसमें मदद करने या बढ़ावा देने पर 14 साल तक की सजा मिल सकती है। चीन: एक्टिव यूथेनेशिया को हत्या जैसा माना जाता है। 2022 में शेन्जेन शहर में एक केस में ये अधिकार मिला, जिसमें अगर कोई मरीज बहुत गंभीर बीमारी में है और डॉक्टर उसका जीवन बचाने के लिए बहुत ज्यादा दवाइयां या मशीनों का सहारा ले रहे हैं, लेकिन सिर्फ दर्द बढ़े तो मरीज या उसका परिवार ऐसा गैर-जरूरी रोक सकता है। इसे मौत देना नहीं बल्कि इलाज रोकना माना जाएगा। मिडिल ईस्ट: सऊदी अरब में एक्टिव यूथेनेशिया अवैध और पैसिव यूथेनेशिया कई शर्तों पर निर्भर करता है। इस्लामी कानून के तहत एक्टिव यूथेनेशिया हत्या माना जाता है। इसीलिए ईरान, तुर्की, जॉर्डन, मिस्त्र, लेबनान, ईराक जैसे मिडिल ईस्ट देशों में यूथेनेशिया पूरी तरह से अवैध है। वहीं इजराइल और यूएई में एक्टिव यूथेनेशिया अवैध तो पैसिव यूथेनेशिया अदालत के फैसलों पर निर्भर करता है। --------- ये खबर भी पढ़ें-आज का एक्सप्लेनर: मंदिर के पक्ष में फैसला देने वाले जज पर महाभियोग की तैयारी; 107 विपक्षी सांसदों ने दिया नोटिस; क्या है मंदिर-दरगाह विवाद तमिलनाडु में एक मंदिर और दरगाह के पुराने विवाद पर फैसला सुनाने वाले हाईकोर्ट के जज पद से हटाए जा सकते हैं। जस्टिस स्वामीनाथन ने तमिलनाडु की DMK सरकार को आदेश दिया कि हिंदुओं को मंदिर परिसर के पास एक खंभे पर दिया जलाने दिया जाए... पूरी खबर पढ़ें।
‘यूपी में 2027 में होने वाला विधानसभा चुनाव सीएम योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। उनके नेतृत्व पर जो सवाल उठाएगा, उसे बागी समझा जाएगा। ये मैसेज सिर्फ राज्य ही नहीं, राष्ट्रीय नेतृत्व के लिए भी है।’ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी RSS का ये मैसेज BJP लीडरशिप के लिए है। 2 दिसंबर को लखनऊ में RSS और BJP की मीटिंग थी। सोर्स बताते हैं कि बैठक में उठे मुद्दे और मैसेज दोनों RSS ने तय किए। बैठक में मोहर लगा दी गई कि यूपी में योगी ही चेहरा हैं। RSS का टिकट बंटवारे से लेकर मुद्दे तय करने में भी दखल रहेगा। एक मैसेज ये भी दिया गया कि लोकसभा चुनाव की तरह BJP और RSS के बीच मतभेद नहीं हैं। इस मीटिंग से पहले 24 नवंबर 2025 को RSS चीफ मोहन भागवत और CM योगी आदित्यनाथ अयोध्या में मिले थे। क्या ये RSS के ‘मिशन यूपी’ की शुरुआत है? यह सवाल हमने दिल्ली और यूपी में RSS से जुड़े पदाधिकारियों, BJP नेताओं और एक्सपर्ट से पूछा। लखनऊ में करीब सवा 4 घंटे मीटिंगलखनऊ के RSS कार्यालय में पहले RSS की बैठक हुई। करीब 3 घंटे चली इस मीटिंग में संगठन मंत्री बीएल संतोष, सह सरकार्यवाह अरुण कुमार और BJP के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी मौजूद थे। इसके बाद एक बैठक BJP ऑफिस में हुई। इसमें CM योगी आदित्यनाथ और यूपी के दोनों डिप्टी CM केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक भी जुड़ गए। ये मीटिंग करीब सवा घंटे चली। मीटिंग में RSS के तीन बड़े मैसेज 1. तनातनी से विधानसभा-लोकसभा चुनाव में सीटें घटीं, ऐसा दोबारा न होRSS के सोर्स बताते हैं, 'लखनऊ में हुई बैठक की कमान RSS के हाथ में ही थी। मीटिंग में साफ कर दिया कि यूपी चुनाव की बागडोर पूरी तरह पार्टी के हाथों में नहीं दी जाएगी, यानी विधानसभा चुनाव में RSS की बड़ी भूमिका होगी। रणनीति से लेकर फैसलों तक में उसकी भूमिका रहेगी।' 'दरअसल 2022 का विधानसभा चुनाव पार्टी ने योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में लड़ा था। इस पर पार्टी के अंदर सवाल उठे। उस वक्त कई नाम सीएम की रेस में आ गए थे। इसका असर ये हुआ कि 2017 के मुकाबले BJP की 57 सीटें घट गईं। पार्टी ने 2017 में 312 सीटें जीती थीं, जो 2022 में 255 रह गईं।’ ‘इस खींचतान का असर 2024 के चुनाव में भी दिखा। 2019 के लोकसभा चुनाव में BJP को यूपी से 62 सीटें मिलीं थीं। 2024 में ये घटकर 33 रह गईं। इसलिए RSS ने चुनाव से करीब डेढ़ साल पहले ही यूपी में नेतृत्व को लेकर किसी भी तरह का असमंजस पालने वालों को संदेश दे दिया है।' ‘RSS की तरफ सें मैसेज दिया गया है कि 2022 जैसी स्थिति दोबारा मंजूर नहीं है। योगी के नेतृत्व पर उंगली उठाने वाले को बागी समझा जाएगा। पार्टी में जल्द ही बड़े बदलाव किए जाएंगे।' 'मतलब साफ है कि योगी के खिलाफ लॉबिंग करने वालों को बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा और कुछ नए चेहरे शामिल होंगे। ये भी कहा गया कि ये मैसेज सिर्फ बैठक तक सीमित न रहे। इसे आम लोगों और पार्टी कार्यकर्ताओं तक पहुंचाना है।’ 2. योगी के खिलाफ न कोई बयान दे, न खबरें फैलाएदूसरा बड़ा मैसेज पार्टी हाईकमान के लिए था। RSS की तरफ से कहा गया कि BJP के राष्ट्रीय स्तर के नेता भी योगी पर कोई बयान न दें और न ही विवादित खबरों को हवा दें। लोगों और विपक्ष के बीच ये संदेश पूरी ताकत के साथ पहुंचाया जाए कि योगी और गृहमंत्री अमित शाह या PM मोदी में मनमुटाव की खबरों का कोई आधार नहीं है। RSS ने ये साफ कर दिया कि योगी ही उसकी पहली पसंद हैं। चाहे चुनावों में टिकटों का बंटवारा हो या नए प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव, योगी की राय लिए बिना कोई फैसला नहीं होगा। 3. यूपी में हिंदूवादी संगठनों और साधु-संतों का बड़ा सम्मेलनसोर्स बताते हैं कि तीसरा अहम मुद्दा सीधे चुनाव से जुड़ा है। बैठक में तय हुआ कि 2026 में यूपी में हिंदूवादी संगठनों और साधु-संतों का बड़ा सम्मेलन किया जाएगा। इसमें देशभर के साधु-संतों और हिंदूवादी संगठनों को बुलाया जाएगा। इसमें RSS के पदाधिकारी और BJP के राष्ट्रीय स्तर के नेता शामिल होंगे। इसका मकसद हिंदुओं को एकता का संदेश देना है। अयोध्या में 90 मिनट योगी-भागवत की सरप्राइज मीटिंग24 नवंबर, 2025 को RSS चीफ मोहन भागवत अयोध्या में थे। वे गुरु तेग बहादुर सिंह के 350वें शहादत दिवस समारोह में शामिल होने आए थे। अचानक दोपहर में दर्शन के लिए राममंदिर पहुंच गए। शाम को अयोध्या में RSS के कार्यालय 'साकेत निलयम' गए। इसी दिन CM योगी आदित्यनाथ भी अयोध्या में थे। वे राम मंदिर में ध्वजारोहण समारोह की तैयारियां देखने गए थे। शाम करीब 7 बजे योगी सीधे RSS कार्यालय पहुंचे और मोहन भागवत से मिले। RSS के प्रांत प्रचारक स्तर के पदाधिकारियों और हमारे सोर्सेज के मुताबिक, योगी-भागवत ने पूरे टाइम अकेले में बात की। ये सरप्राइज मीटिंग करीब डेढ़ घंटे तक चली। ये मीटिंग उस वक्त हुई, जब BJP यूपी में नए अध्यक्ष और कैबिनेट में विस्तार की तैयारी कर रही थी। यूपी में काम कर रहे एक पदाधिकारी से हमने इस मीटिंग पर बात की। वे कहते हैं, 'बिहार चुनाव के नतीजे आने के हफ्ते भर बाद डॉ. भागवत दिव्य गीता प्रेरणा उत्सव में हिस्सा लेने लखनऊ पहुंचे थे। वहीं से वे अयोध्या चले गए। योगी दोनों मौकों पर संघ प्रमुख के साथ मौजूद रहे, लेकिन अयोध्या में संघ कार्यालय में वे उनके साथ 1 घंटे से ज्यादा बैठे।’ ‘इस मुलाकात पर CM योगी और डॉ. भागवत ने कुछ नहीं कहा। RSS में चल रही बातों के आधार पर मैं ये जरूर कह सकता हूं कि जातीय समीकरण, राम मंदिर आंदोलन के बाद हिंदुत्व की नई परिभाषा और यूपी में BJP-RSS के बीच रणनीति जैसे मुद्दों पर ये बैठक अहम मानी जा रही है।’ ‘बिहार चुनाव में RSS के करीब-करीब सारे प्रयोग सफल रहे हैं। इसका नतीजा भी सभी ने देखा। अब इसी तरह के प्रयोग बंगाल और उसके बाद यूपी में आजमाने की बारी है। इसे देखते हुए ये बैठक प्रदेश में संगठन और सरकार के बीच बेहतर समन्वय बनाने की शुरुआत के तौर पर देखी जा रही है।’ RSS से जुड़े संगठन विद्या भारती से जुड़े भास्कर दुबे कहते हैं, ‘RSS का मकसद सरकार के संचालन पर निगाह रखना और समाज के उन वर्गों को अपने साथ जोड़ना है, जिससे भविष्य में संघ को मजबूती मिल सके।' अयोध्या की मुलाकात का असर लखनऊ मेंयोगी-भागवत जब-जब मिले हैं, यूपी में सरकार के फैसलों पर इसका असर दिखा है। सोर्स के मुताबिक, योगी-भागवत की इस मुलाकात के बाद 26 नवंबर से 2 दिसंबर तक लखनऊ में RSS पदाधिकारियों और BJP नेताओं के बीच 6 बार मीटिंग हुई हैं। ये बैठकें डिप्टी CM बृजेश पाठक, श्रम एवं रोजगार मंत्री अनिल राजभर, कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, पर्यावरण मंत्री अरुण सक्सेना, पशुपालन मंत्री धर्मपाल सिंह के आवास पर हुईं। राज्यसभा सांसद अमरपाल मौर्य और BJP किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष कामेश्वर सिंह मीटिंग के कोऑर्डिनेटर रहे। दोनों को RSS का करीबी माना जाता है। सोर्सेज के मुताबिक, इन बैठकों में RSS ने शासन से जुड़े मुद्दों पर फीडबैक लिया। साथ ही संगठन और सरकार के बीच प्लानिंग बेहतर करने के सुझाव दिए। RSS के क्षेत्र सह प्रचार प्रमुख (पूर्वी यूपी) मनोज कांत बताते हैं- संगठन और सरकार के बीच ऐसी बैठकें होती रहती हैं। इसमें संघ और सरकार से जुड़े नेता आपस में फीडबैक लेते रहते हैं। ये मीटिंग भी उसी का हिस्सा हैं। एक्सपर्ट बोले- यूपी में पैचवर्क कर रहा RSSयूपी में RSS और BJP की पॉलिटिक्स पर नजर रखने वाले प्रमोद गोस्वामी कहते हैं, ‘यूपी में विधानसभा और लोकसभा चुनाव में सीटें कम ह BJP और RSS दोनों के लिए चिंता की बात है। लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद भी केशव प्रसाद मौर्य और योगी के बीच अनबन देखी गई। उसका पैचवर्क करने के लिए केंद्रीय नेतृत्व को सामने आना पड़ा। हो सकता है कि योगी-भागवत के बीच अयोध्या में यही बातें हुई हों।’ योगी की हिंदू फायर ब्रांड इमेज RSS को पसंदसीनियर जर्नलिस्ट सुरेंद्र दुबे कहते हैं, ‘योगी कभी RSS से नहीं जुड़े, न ही वे BJP के टिकट पर चुनाव लड़ते थे। वे हिंदू महासभा की तरफ से चुनाव लड़ते थे। BJP हिंदूवादी चेहरे के तौर पर उन्हें सपोर्ट करती थी। 2017 में BJP हाईकमान ने योगी को यूपी की कमान सौंप दी। पार्टी का ये प्रयोग कामयाब रहा और योगी हिंदू फायर ब्रांड नेता के तौर पर उभरे।’ ‘धीरे-धीरे लोगों को योगी की बातचीत का स्टाइल, बुलडोजर और माफिया को मिट्टी में मिलाने वाले डायलॉग पसंद आने लगे। आज वो देश के हर चुनाव में पार्टी के लिए प्रचार कर रहे हैं।’ वे मुद्दे, जिनकी वजह से RSS और BJP के बीच खाई हुई… 1. राममंदिर पर RSS की हर सलाह किनारे कीलोकसभा चुनाव से पहले RSS और BJP के बीच दूरियां बढ़ गई थीं। RSS के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के मुताबिक, 'राम मंदिर के मामले में BJP ने RSS की बात सुननी बंद कर दी थी। शुरुआत श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय पर वित्तीय गड़बड़ी के आरोप से हुई थी।' 'RSS ने चंपत राय को चित्रकूट की प्रतिनिधि सभा में बुलाया और सख्त चेतावनी भी दी। इसके बाद BJP ने राम मंदिर का मसला सीधा अपने हाथ में ले लिया। RSS की सलाह पर ध्यान देना भी जरूरी नहीं समझा।' 2. RSS की सलाह थी, प्राण प्रतिष्ठा लोकसभा चुनाव के बाद होRSS की तरफ से कहा गया था कि अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा चुनाव के ठीक बाद हो। मशविरा दिया गया था कि अगर प्राण प्रतिष्ठा पहले हुई, तो लोग चुनाव आते-आते इस मुद्दे को भूल जाएंगे। प्राण प्रतिष्ठा बाद में हुई, तो लोग मंदिर का मुद्दा याद रखेंगे। चुनाव के दौरान उनके दिमाग में ये बना रहेगा। राम मंदिर बनने की आशा को बचाए रखना था, ये तभी होता जब प्राण प्रतिष्ठा चुनाव के बाद होती, लेकिन BJP को जल्दी थी। इसका नतीजा ये हुआ कि कई धर्मगुरु भी BJP के फैसले के विरोध में आ गए। 3. राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में शंकराचार्यों को तवज्जो नहीं राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के मामले में भी RSS, BJP से बहुत नाराज था। RSS चाहता था कि सभी शंकराचार्य और धर्मगुरु आयोजन में शामिल हों। उन्हें तवज्जो दी जाए। BJP ने हड़बड़ी में किसी को मनाने की जरूरत नहीं समझी, जो नाराज थे, उन्हें नाराज ही रहने दिया। BJP ने अपने गेस्ट बुलाए, जो ग्लैमर और बिजनेस की दुनिया से थे। 4. लोकसभा चुनाव में टिकट बंटवारे पर सहमत नहीं था RSSलोकसभा चुनाव में यूपी ने BJP को बड़ा झटका दिया। इस झटके को RSS ने टिकट बंटवारे के वक्त ही भांप लिया था। RSS ने 10 से ज्यादा सीटों पर कैंडिडेट पर असहमति जताई थी। इनमें प्रतापगढ़, श्रावस्ती, कौशांबी, रायबरेली और कानपुर जैसी सीटें शामिल थीं। कानपुर के अलावा सभी सीटों पर BJP कैंडिडेट हार गए। RSS का कहना था कि कुछ सांसदों को छोड़कर, हमें नए लोगों को टिकट देना चाहिए, जैसा दिल्ली में किया है। हालांकि, टिकट बंटवारे के मामले में भी RSS बेबस ही दिखा। ......................................ये ग्राउंड रिपोर्ट भी पढ़िए 35 दिन, 12 राज्य; 30 BLO की मौत, मुआवजा जीरो, परिवार बोले- चुनाव आयोग डांस देख रहा यूपी, राजस्थान, मध्यप्रदेश समेत 9 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों में 4 नवंबर से SIR यानी स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन चल रहा है। लगातार फील्ड वर्क, देर रात तक डेटा अपलोड करना और प्रेशर की वजह से देशभर में 8 दिसंबर तक 30 बीएलओ की मौत हो चुकी है। इनमें 10 सुसाइड हैं। इनमें से किसी को मुआवजा नहीं मिला। वहीं चुनाव आयोग ने बीएलओ के डांस करते वीडियो पोस्ट किया है। पढ़िए पूरी खबर...
पुतिन-एर्दोआन मीटिंग में अचानक पहुंच गए पाक पीएम, सोशल मीडिया पर मज़ाक उड़ना शुरू
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ तुर्कमेनिस्तान में इंटरनेशनल फोरम ऑन पीस एंड ट्रस्ट में शामिल होने पहुंचे। यहां रूसी राष्ट्रपति पुतिन भी पहुंचे हैं
Bulgaria news: बुल्गारिया के प्रधानमंत्री रोसेन जेलियाजकोव ने संसद में इस्तीफे का ऐलान करते हुए कहा, 'हम नागरिकों की आवाज सुनते हैं. हमें उनकी मांगों के लिए आवाज उठानी चाहिए.युवा और बुजर्ग दोनों ने इस्तीफे के पक्ष में आवाज उठाई है. हम नागरिक भावनाओं का सम्मान करते हुए पद छोड़ रहे हैं'.
40 मिनट इंतजार के बाद 10 मिनट की मुलाकात, पुतिन ने शहबाज को बता दी 'PAK' की असल औकात; वीडियो वायरल
Putin-Shehbaz Sharif Meeting News in Hindi: ऐसा लगता है कि पाकिस्तान के लिए इंटरनेशनल बेइज्जती अब न्यू नॉर्मल हो गया है. शहबाज शरीफ को एक बार फिर इस बेइज्जती का स्वाद चखना पड़ा है. पुतिन ने आज खुलकर शहबाज को पाकिस्तान की असली औकात बता दी.
ट्रंप के हाथों पर बैंडेड क्यों लगी है? मीडिया में चल ही अफवाहों के बाद व्हाइट हाउस ने चुप्पी तोड़ी
ट्रंप की मीडिया सेक्रेटरी कैरोलिन लेविट ने जारी किए गए एक बयान में इसके पीछे की वजह बताईं. लेविट ने इसके पीछे वही वजहें दोहराईं जो उन्होंने कुछ महीने पहले बताई थीं. जब ट्रंप के दाहिने हाथ पर चोट का निशान देखा गया था जिसे मेकअप की मोटी परत से ढका गया था और उन्होंने सेहत की चिंताओं को नजरअंदाज कर दिया था.
Sinkhole Farmers Panic News: दुनिया के एक बड़े इस्लामिक देश इन दिनों अजीब कहर से जूझ रहा है. वहां पर खेतों में अचानक 100-100 फुट चौड़े और सैकड़ों फीट गहरे गड्ढे बन रहे हैं. इससे किसानों और आम लोगों में दहशत बढ़ती जा रही है.
5 महाशक्तियों का नया क्लब बनाएंगे ट्रंप ? Core-5 में भारत-अमेरिका के बाद और कौन से देश होंगे शामिल
भारत और अमेरिका के अलावा वो कौन से तीन देश हैं जो इस मंच में शामिल होंगे ये हम आपको बताएंगे पहले आप जान लीजिए कि इस मंच का नाम क्या रखा गया है? सूत्रों की मानें तो इस मंच का नाम 'C5' या 'कोर फाइव' रखा जा सकता है.
7 मिनट तक थमी रही धड़कन, फिर अचानक लौट आई जान; 22 वर्षीय युवती ने सुनाई मौत से वापसी की कहानी
Life After Death: मरने के बाद का जीवन कैसा होता है, यह आज तक किसी ने नहीं देखा. लेकिन 22 साल की एक लड़की इस घटना को साक्षात महसूस करके आई है. उसकी कहानी इतनी डरावनी है कि दुनिया में वायरल हो रही है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर सबसे गंभीर चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि अगर जल्दी लड़ाई नहीं रुकी तो तीसरा विश्व युद्ध हो सकता है. पिछले एक महीने में ही 25,000 लोग मारे गए हैं. शांति वार्ता फेल हो रही है, यूरोप के नेता अब बीच में कूद पड़े हैं. जानें पूरी बात, देखें ट्रंप का वीडियो.
PM Modi Oman Visit: पीएम मोदी ओमान की यात्रा पर जाने वाले हैं. केवल 50 लाख की आबादी वाला यह अरब देश भारत का पुराना साझेदार है, जिसने पाकिस्तान के साथ जंग के दौरान भारत को खुला समर्थन दिया था.
Former Miss Switzerland Finalist:मिस स्विटजरलैंड की पूर्व फाइनलिस्ट क्रिस्टीना जोक्सिमोचिव की भयानक हत्या का राज खुल गया है. इस मामले में उनके पति थॉमस को दोषी पाया गया है.
जापान में फिर कांपी धरती! 4 दिन में दूसरा बड़ा झटका; 6.7 तीव्रता के जोरदार भूकंप ने मचाया हाहाकार
Japan tsunami warning: जापान के पूर्वोत्तर क्षेत्र आओमोरी प्रान्त के तट पर आज 6.7 तीव्रता का जोरदार भूकंप आया, जिसके बाद जापान मौसम विज्ञान एजेंसी ने 1 मीटर तक की सुनामी लहरों की चेतावनी जारी की थी.
Awami League rejectsBangladesh election schedule: बांग्लादेश चुनाव आयोग ने 12 फरवरी 2026 को संसदीय चुनाव और जुलाई चार्टर रेफरेंडम की घोषणा की, लेकिन शेख हसीना की अवामी लीग ने इसे खारिज कर दिया है. पार्टी ने यूनुस सरकार पक्षपात का आरोप लगाया है. पूरी दुनिया की अब बांग्लादेश में होने वाले चुनाव पर नजरें टिकी हैं.
H-1B वीजा पर फिर विवाद! अमेरिकी पोलस्टर का सनकी बयान, बोला- 'भारतीय लोगों को बाहर फेंको'
Illegal Aliens: अमेरिकी सर्वेक्षण एजेंसी ने दावा किया है कि 1 करोड़ 20 लाख अमेरिकी तकनीकी कर्मचारी बेरोजगार हो गए हैं. इसकी वजह बताई गई कि विदेशी मूल के काम करने वाले लोगों ने सिलिकॉन वैली को आजाद कर दिया है.
Reddit ने ऑस्ट्रेलिया के अंडर-16 सोशल मीडिया बैन को बताया असफल मॉडल, हाई कोर्ट में दी चुनौती
Australia 16 Age Restriction: ग्लोबल ऑनलाइन प्लेटफॉर्म रेडिट ने ऑस्ट्रेलिया की उस नई कानूनी नीति के खिलाफ हाई कोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर रोक लगाई गई है.

