भारत-दक्षिण अफ्रीका टेस्ट में बुमराह की एलबीडब्ल्यू अपील के दौरान स्टंप माइक पर टेम्बा को “बौना” कहने की बात सामने आई, जिसके बाद सोशल मीडिया पर विवाद बढ़ा. क्या इस शब्द पर कार्रवाई हो सकती है, जानने के लिए ऊपर दी गई इमेज पर क्लिक कर वीडियो देखें.
खुद की पार्टी को लगा झटका, तो ट्रंप ने इन चीजों से हटा दिया टैरिफ, बढ़ती महंगाई ने किया मजबूर
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने देश के कंज्यूमर्स को राहत देते हुए कई जरूरी चीजों पर टैरिफ हटा दिए हैं. इससे उनके देश में इन चीजों की कीमतें घट जाएंगी.
10 नवंबर 2025…दिल्ली में लाल किला के पास आतंकी डॉ उमर ने हमले की साजिश को अंजाम दिया। कार में हुए ब्लास्ट में 13 लोगों की मौत हुई, जबकि 20 लोग घायल हुए। इस हमले के कनेक्शन में अब तक डॉ. मुजम्मिल, डॉ. आदिल और डॉ. शाहीन समेत 8 लोग गिरफ्तार किए गए हैं। हमले के 5 दिन बाद भी अब सवाल ये है कि आतंकी उमर कार में विस्फोटक लेकर कब और कैसे दिल्ली पहुंचा? दिल्ली में वो कहां-कहां गया? कार में इतना विस्फोटक होने के बाद क्या रास्ते में ब्लास्ट होने का खतरा नहीं था? आखिर उसने डेटोनेटर और फ्यूज को कब और कैसे कनेक्ट किया? आतंकी उमर के सीसीटीवी फुटेज की पड़ताल करने पर पता चला कि वो कार में विस्फोटक लेकर नूंह-मेवात रूट से हरियाणा से दिल्ली पहुंचा। फिर बदरपुर से होते हुए तुर्कमान गेट के पास आसफ अली रोड पर मौजूद दरगाह पहुंचा। यहां उसने नमाज पढ़ी और और लाल किला के पास सुनहरी बाग पार्किंग में 3 घंटे इंतजार किया। फिर ब्लास्ट की साजिश को अंजाम दिया। सोर्स के मुताबिक, सुनहरी बाग पार्किंग में इंतजार करने के दौरान ही उसने ब्लास्ट देने के लिए डेटोनेटर और फ्यूज को विस्फोटक से कनेक्ट किया था। इस आतंकी हमले का पैटर्न कोई नया नहीं है। इससे पहले 2000 में दीनदार अंजुमन ग्रुप ने भी इसी पैटर्न पर सीरियल ब्लास्ट कराए थे। दैनिक भास्कर ने आतंकी उमर के सीसीटीवी फुटेज खंगाले और आपस में इनके लिंक जोड़े। एक्सपर्ट और सोर्स से बात करके हमने ये भी समझने की कोशिश की कि उमर ने पूरे हमले को कैसे अंजाम दिया। साथ ही इसमें डॉक्टर मॉड्यूल के इस्तेमाल की वजह भी समझी। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… सीसीटीवी में कब-कहां नजर आया आतंकी उमरदिल्ली हमले को लेकर अब तक कई सीसीटीवी फुटेज सामने आए हैं। इसमें धमाके से 17 घंटे पहले के एक सीसीटीवी में रात करीब डेढ़ बजे आतंकी डॉ उमर और उसकी कार नूंह-मेवात रूट पर देखी गई। उस वक्त कार की रफ्तार तेज थी। इसके बाद आतंकी उमर 10 नवंबर की सुबह करीब 8 बजे के दिल्ली बदरपुर बॉर्डर के सीसीटीवी फुटेज में नजर आया। ये फुटेज काफी साफ है। इसमें कार की पिछली सीट पर काले और सफेद रंग का एक बैग दिख रहा है। उमर ने खुद भी काले रंग का मास्क लगा रखा है। ये फुटेज देखने के बाद जांच टीम के सोर्सेज ने बताया कि तब तक कार में मौजूद विस्फोटक को डेटोनेटर और फ्यूज से कनेक्ट नहीं किया था। इसीलिए कार की रफ्तार तेज थी। इसके बाद दोपहर में उमर तुर्कमान गेट के पास आसफ अली रोड पर मौजूद दरगाह पहुंचा था। यहां उसने नमाज पढ़ी। फिर दोपहर करीब 3.19 बजे वो कार लेकर लाल किला के पास सुनहरी बाग पार्किंग पहुंचा था। फिर शाम करीब 6:48 बजे तक यानी करीब साढ़े तीन घंटे यहीं रुका रहा। सोर्स के मुताबिक, इसी दौरान आतंकी उमर ने कार में ही विस्फोटक को डेटोनेटर और फ्यूज से जोड़ा। इसमें महज 3-4 मिनट ही लगते हैं। यानी उसने घटना को अंजाम देने के लिए जानबूझकर शाम होने का इंतजार किया। पोटेशियम क्लोरेट और अमोनियम नाइट्रेट केमिकल से ब्लास्टआखिर डेटोनेटर और फ्यूज को कैसे कनेक्ट किया। क्या ये विस्फोटक अमोनियम नाइट्रेट था या कुछ और था। इसे समझने के लिए हमने फोरेंसिक जांच से जुड़े कुछ सीनियर अफसरों से बात की। इसमें हमें घटनास्थल से पोटेशियम क्लोरेट जैसा केमिकल मिलने की बात कंफर्म हुई है। पूरा मामला समझने के लिए हमने दिल्ली में 2008 में हुए सीरियल ब्लास्ट की जांच से जुड़े दिल्ली के रिटायर्ड पुलिस अफसर कर्नल सिंह से बात की। उन्होंने बताया, पोटेशियम क्लोरेट और अमोनियम नाइट्रेट को मिलाकर काफी पावरफुल विस्फोटक तैयार होता है। इससे पहले 2005 में दिल्ली के सरोजनी नगर में हुए ब्लास्ट में भी आतंकियों ने इसी तरह के विस्फोटक का इस्तेमाल किया था। हमने सवाल किया कि आतंकी उमर विस्फोटक कार में लेकर नूंह और फरीदाबाद से दिल्ली के लाल किला तक गया। क्या इस दौरान रास्ते में ब्लास्ट होने का खतरा नहीं था। इस पर रिटायर्ड अधिकारी कहते हैं, ‘उसने डेटोनेटर और फ्यूज को विस्फोटक से कनेक्ट नहीं किया होगा इसलिए कोई खतरा नहीं हुआ। इस घटना में वैसे भी लिक्विड डेटोनेटर के इस्तेमाल की आशंका है। ये सब कुछ अलग-अलग से रेडीमेड मिल जाते हैं। फिर विस्फोटक को डेटोनेटर और फ्यूज के जरिए बैटरी पावर सप्लाई से कनेक्ट करने में महज 3-4 मिनट ही लगते हैं।‘ ‘इसलिए अब तक यही आशंका जताई जा रहा है कि आतंकी उमर जब सुनहरी बाग पार्किंग में था, तभी उसने कार में विस्फोटक को लिक्विड डेटोनेटर और फ्यूज से कनेक्ट किया होगा।‘ इसे विस्फोट कैसे किया गया होगा? इसके जवाब में कर्नल सिंह कहते हैं कि विस्फोट के लिए रिमोट और मैनुअल दोनों तरीके होते हैं। इस केस में मैनुअल ही कराने का आशंका ज्यादा है या फिर हड़बड़ी में भी ये अचानक ब्लास्ट हो सकता है। हालांकि एक बात साफ है कि आतंकी उमर बहुत बड़े धमाके की साजिश में था। इसीलिए इस ब्लास्ट की इंटेंसिटी इतनी ज्यादा थी। कार की बैटरी से कनेक्ट किया गया विस्फोटकअब तक की जांच और सीसीटीवी फुटेज से साफ हुआ है कि 10 नवंबर की शाम करीब 6:48 बजे जब सुनहरी बाग पार्किंग से कार निकली तो उसका बोनट रस्सी से बंधा हुआ था। इसलिए आशंका ये भी है कि कार की बैटरी से ही डेटोनेटर और फ्यूज को कनेक्ट किया गया। सोर्स के मुताबिक, असल में विस्फोटक को एक्टिवेट करने के लिए भी पावर सप्लाई की जरूरत होती है, जिससे विस्फोटक में आग लगाई जा सके। इसलिए कार की बैटरी से ही डेटोनेटर और फ्यूज से विस्फोटक को कनेक्ट किया गया। इसे तार के जरिए कनेक्ट करने की वजह से बोनट दो से ढाई इंच तक खुला रह गया था। इसे ही कवर करने के लिए आतंकी उमर ने बोनट को रस्सी से बांध दिया था। केमिकल को पेट्रोल या CNG से मिलाकर बनाया हाई एक्सप्लोसिव बमदेश में कई बम धमाकों की जांच से जुड़े रहे एक अन्य सीनियर पुलिस अफसर ने बताया कि धमाके के बाद जिस तरह लोगों के चीथड़े उड़े। घटना के तीन दिन बाद मौके से करीब 300-400 मीटर दूर एक छत से लाश के टुकड़े मिले हैं। धमाके में कई लोगों की शॉक वेव की वजह से सुनने की क्षमता चली गई या बॉडी में इंटर्नल इंजरी हुई। उससे एक बात साफ है कि बम की इंटेंसिटी बहुत ज्यादा थी। सीसीटीवी में विस्फोटक कार की पिछली सीट पर दिख रहा था। कार भी पेट्रोल या CNG वाली थी। सोर्स के मुताबिक, अगर 5 किलो अमोनियम नाइट्रेट और पोटेशियम क्लोरेट के मिक्सर को बैटरी के जरिए लिक्विड डेटोनेटर और फ्यूज से कनेक्ट करके ब्लास्ट किया जाए तो ये पेट्रोल और CNG के साथ मिलकर धमाकेदार अग्नि बम बन जाता है। यही दिल्ली वाले मामले में भी हुआ। इसलिए धमाका काफी तेज हुआ था। ऐसे धमाकों में कई बार डेटोनेटर नहीं मिलता है। क्योंकि हाई इंटेंसिटी के चलते वो घटनास्थल से काफी दूर चला जाता है। दिल्ली ब्लास्ट दीनदार अंजुमन नेटवर्क से कैसे मिलता-जुलताअसल में साल 2000 में मई और जुलाई के बीच आंध्रप्रदेश के ताडेपल्लीगुडेम, वानपर्थी और कर्नाटक के हुबली और गोवा के वास्को में बम धमाके हुए। ये सभी धमाके चर्च के आस-पास हुए लेकिन इन्हें अंजाम देने वालों का कोई खास सुराग नहीं मिला था। इसके बाद जुलाई में ही बेंगलुरु में टारगेट से पहले ही अचानक एक कार में धमाका हो गया। उस धमाके से जांच एजेंसियों को लीड मिली थी। इस बारे में दिल्ली स्पेशल सेल में सीनियर अधिकारी रह चुके कर्नल सिंह बताते हैं, '10 नवंबर को दिल्ली ब्लास्ट का पैटर्न काफी हद तक 2000 में हुए दीनदार अंजुमन नेटवर्क के सीरियल ब्लास्ट जैसा दिख रहा है। जिस तरह 3 महीने के अंदर कर्नाटक, आंध्रप्रदेश और गोवा में कई ब्लास्ट हुए लेकिन सुराग नहीं मिल रहा था। फिर जुलाई में बेंगलुरु में अचानक एक्सिडेंटली एक कार में ब्लास्ट हो गया। उस ब्लास्ट में भी अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल हुआ था।' 'इसकी जांच करते हुए दीनदार अंजुमन नेटवर्क का पता चला था। इस ग्रुप को बाद में भारत सरकार ने बैन कर दिया था। अभी जिस तरह से कारों में बम प्लांट करके अलग-अलग जगहों पर धमाके करने की साजिश की खबरें आ रही हैं। उससे आशंका है कि आतंकी नेटवर्क फिर उसी पैटर्न का इस्तेमाल कर रहा था। हालांकि इसकी पुष्टि जांच रिपोर्ट से ही हो सकेगी।' पढ़े-लिखे लोगों को ब्रेनवॉश कर बना रहे ‘व्हाइट कॉलर टेररिस्ट’दिल्ली ब्लास्ट मामले में डॉक्टरों के ही ज्यादातर लिंक क्यों सामने आ रहे हैं। इसे लेकर रिटायर्ड IPS अफसर कर्नल सिंह बताते हैं, 'मैं सिर्फ डॉक्टर की बात नहीं अच्छे पढ़े-लिखे और कम पढ़े लिखे लोगों से तुलना कर बात करूंगा। असल में साल 2000 से पहले इंडियन मुजाहिद्दीन में काफी पढ़े-लिखे आतंकी थे। इनमें से कई दिल्ली की जामिया यूनिवर्सिटी से पास आउट थे।‘ ‘जब पहले जिहादी नेटवर्क ब्रेनवॉश करके युवाओं को आतंकी बनाते थे तो उसमें लंबा वक्त लगता था। पहले उन्हें किसी धार्मिक जगह जैसे मदरसे पर बुलाया जाता है। फिर बातचीत के दौरान उनका ब्रेनवॉश किया जाता है। हालांकि ये तरीके 2004 से पहले ज्यादा अपनाए जाते थे।‘ हमने पूछा कि आखिर वो क्या तरीके हैं, जिससे पढ़े-लिखे डॉक्टर जैसे लोग भी ब्रेनवॉश के बाद फिदायीन हमले के लिए तैयार हो जाते हैं। इसे समझाते हुए रिटायर्ड अधिकारी कहते हैं कि मैंने आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिद्दीन के ब्रेनवॉश करने वाले एक आतंकी से पूछताछ की थी। उसने जो पूरा प्रॉसेस बताया, उसे हम तीन स्टेप में समझ सकते हैं। ‘पहले ये लोग ऐसे लोगों से संपर्क करते हैं, जो पढ़-लिखकर बड़े पदों पर तो पहुंच जाते हैं लेकिन धार्मिक कार्यों में थोड़ा पीछे हो जाते हैं। पहले उनसे धार्मिक एंगल पर सामान्य बातचीत की जाती है कि जैसे- क्या आपको नमाज पढ़नी आती है। क्या आप वजू कर लेते हैं। अगर वे इस पर ध्यान देते हैं और नमाज या धार्मिक कामकाज में रुचि दिखाने लगते हैं तो इससे तय हो जाता है कि वो कट्टरपंथियों की बातें गंभीरता से ले रहे हैं।‘ इसके बाद उसे दूसरा टास्क दिया जाता है। इसमें उसे धर्म से जुड़े फोटो और वीडियो दिखाए जाते हैं। इनमें ज्यादातर फोटो और वीडियो फेक होते हैं, जिसमें उसे धर्म खतरे में बताकर भड़काया जाता है। ‘तीसरे स्टेप में उन्हें जिहाद के बारे में बताया जाता है और इसके फायदे गिनाए जाते हैं, जैसे- जिहाद करना हज करने से भी ज्यादा बड़ा है, मौत के बाद जन्नत नसीब होगी, पावर मिलेगी। इस तरह उनका ब्रेनवॉश क किया जाता है।‘ वे आगे बताते हैं, ‘जब वो मेंटली दूसरे के कंट्रोल में आ जाता है। तब उसे आखिरी ट्रेनिंग दी जाती है। कई बार ये ट्रेनिंग ऑनलाइन या फिर फिजिकली किसी दूसरे देश में बुलाकर दी जाती है। इसके बाद उसे टेरर एक्टिविटीज से जोड़ दिया जाता है।‘ डॉक्टरों का दुबई और लंदन नेटवर्क, जांच में जुटी एजेंसियां फरीदाबाद डॉक्टर टेरर मॉड्यूल में सबसे पहले गिरफ्तार हुए डॉ. आदिल के भाई के दुबई में होने की आशंका है। इससे पहले मुंबई में हुए 26/11 हमले के आरोपी डेविड हेडली के भी लंदन और दुबई में रुककर साजिश रचने के सबूत मिल चुके हैं। ऐसे में जांच एजेंसियों को शक है कि भारत में आतंकियों के नेटवर्क को विदेश से मदद मिल रही है। बीच-बीच में फंडिंग और ट्रेनिंग के लिए दूसरे देशों का इस्तेमाल किया जा रहा है। दैनिक भास्कर को सूत्रों के जरिए डॉ. शाहीन की एक फोटो मिली है। ये फोटो पुलिस ने 3 नवंबर को फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी में वीजा वेरिफिकेशन के लिए ली थी। आशंका जताई जा रही है कि जब पकड़े जाने का शक हुआ तो डॉ. शाहीन विदेश भागने की फिराक में थी। ये भी पता चला है कि डॉ. शाहीन दुबई या लंदन भागने की तैयारी में थी। कश्मीर में पहले भी डॉक्टर और सरकारी कर्मियों के आतंकियों से लिंक मिलेफरीदाबाद डॉक्टर टेरर मॉड्यूल में ज्यादातर कश्मीर से आए संदिग्ध आतंकी डॉक्टर ही शामिल हैं। इसे लेकर हमने जम्मू कश्मीर के पूर्व DGP के. राजेंद्र कुमार से बात की। वे कहते हैं, ‘ऐसा नहीं है कि पहली बार किसी टेरर अटैक में डॉक्टरों की भूमिका सामने आई हैं। जम्मू कश्मीर में पिछले कुछ सालों में कई सरकारी कर्मचारी टेरर लिंक में बर्खास्त किए जा चुके हैं।‘ ‘इस केस में अब तक शोपियां के मौलवी इरफान के कट्टरपंथी बनाने की बात आई है। इसलिए धर्म के आधार पर इन्हें कट्टरपंथ से जोड़कर आतंक की राह पर ले जाया रहा है।‘ वो आगे कहते हैं कि पहले भी कुछ लोकल फिदायीन अटैक में शामिल रहे हैं। अब अगर दिल्ली तक देश के ही फिदायीन अटैक की साजिश रच रहे हैं, तो ये बेहद खतरनाक हो सकता है। इसके लिए जांच एजेंसियों को ज्यादा अलर्ट रहने की जरूरत है।‘.................... ये खबर भी पढ़ें... दिल्ली ब्लास्ट-कौन है डॉक्टरों का ब्रेनवॉश करने वाला मौलवी इरफान दिल्ली में लाल किले के पास कार में हुए ब्लास्ट के तार पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर तक पहुंच रहे हैं। भारत में आतंकी हमलों के लिए 3-4 महीनों से साजिश रची जा रही थी। इसके पीछे आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा शामिल थे। खुफिया एजेंसियों को इसके संकेत PoK में आतंकियों के इंटरसेप्ट कम्युनिकेशन से मिले हैं। पढ़िए पूरी खबर...
सीरिया की राजधानी दमिश्क में अचानक हुआ रॉकेट हमला, जानिए कितने लोग हुए हताहत
पूर्व राष्ट्रपति बशर अल-असद की सत्ता का अंत होने के बाद सीरिया में इस तरह का रॉकेट हमला होना अजीब है, लेकिन इसकी वजह का पता लगाया जा रहा है.
शी चिनफिंग ने थाईलैंड के राजा महा वजिरालोंगकोर्न से मुलाकात की
चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने पेइचिंग के ग्रेट हॉल ऑफ द पीपल में चीन की राजकीय यात्रा पर आए थाईलैंड के राजा महा वजिरालोंगकोर्न से मुलाकात की
इस अक्टूबर में स्थिरता के साथ आगे बढ़ी चीनी अर्थव्यवस्था
चीनी राजकीय सांख्यिकी ब्यूरो से 14 नवंबर को जारी आंकड़ों के अनुसार इस अक्टूबर में चीन का उत्पादन और सप्लाई आम तौर पर स्थिर रहा। रोजगार की आम स्थिति भी स्थिर रही और अर्थव्यवस्था स्थिरता के साथ आगे बढ़ी
बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी 90% स्ट्राइक रेट के साथ 92 सीटें जीत रही है, लेकिन जेडीयू भी सभी को चौंकाते हुए 80% स्ट्राइक रेट से 82 सीटों पर आगे चल रही है। नतीजों के बाद बीजेपी की बारगेनिंग पावर जरूर बढ़ेगी, लेकिन नेशनल पॉलिटिक्स में वो अब भी सहयोगियों के भरोसे रहेगी। ब्रांड मोदी से राहुल गांधी तक, महिलाओं की फ्री स्कीम्स से SIR के मुद्दे तक; बिहार चुनाव के ऐसे 7 बड़े नेशनल इम्पैक्ट जानेंगे भास्कर एक्सप्लेनर में… पॉलिटिकल एनालिस्ट अमिताभ तिवारी के मुताबिक, 'महिलाओं को पैसे देकर लुभाना यह एक रेसिपी फॉर सक्सेस हो सकता है। आने वाले चुनाव में अब यह एक फॉर्मूला बन जाएगा और यह हमेशा काम करता है। सरकार, इलेक्शन कमीशन या सुप्रीम कोर्ट ही इसके खिलाफ नियम बनाकर कुछ बदलाव ला सकते हैं।' सीनियर जर्नलिस्ट हर्षवर्धन त्रिपाठी बताते हैं, 'अगर चुनाव के पहले NDA ने जो 10,000 रुपए बांटे हैं, इससे 50% महिलाएं भी कोई उद्यम शुरू करने में सफल होती हैं, तो ये एक अच्छा ट्रेंड बनेगा, लेकिन अगर ऐसा नहीं होता है और यह सिर्फ चुनाव जीतने की स्कीम बनकर रह जाती है तो यह अर्थव्यवस्था के लिए बहुत खतरनाक है। खासकर तब जब हम कह रहे हैं कि चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने वाले हैं।' हर्षवर्धन त्रिपाठी बताते हैं, ‘ब्रांड मोदी अभी भी इनटैक्ट है। भले ही मोदी ने मैं-मैं करके ज्यादा बात नहीं की, लेकिन जिन महिलाओं को 10,000 रुपए मिले वो नीतीश के साथ मोदी का भी नाम ले रही थीं। बदलाव बस इतना आया बीजेपी अब नरेंद्र मोदी का इस्तेमाल जरूरत के हिसाब से और रणनीतिक रूप से करेगी, जैसा उसने पहले हरियाणा, महाराष्ट्र और अब बिहार में भी किया।’ अमिताभ तिवारी बताते हैं, 'बीजेपी अब मोदी के नाम पर चुनाव जीतने के बजाय लोकल मुद्दों और लोकल नेताओं के दम पर चुनाव जीतने की नीति अपना रही है। महाराष्ट्र चुनाव में भी यही हुआ। बीजेपी के लिए यह जरूरी भी है क्योंकि अगले साल जिन 5 राज्यों में चुनाव होने वाले हैं, उसमें एक असम को छोड़ दें तो बीजेपी का कहीं बहुत स्ट्रॉन्ग होल्ड नहीं है।' अमिताभ तिवारी कहते हैं, किसी भी ब्रांड के चार फेज होते हैं- परिचय, विकास, परिपक्वता और अवनति यानी गिरावट। ब्रांड मोदी अभी परिपक्वता की ऊंचाई पर है। हर्षवर्धन त्रिपाठी कहते हैं, 'बीजेपी की उसके सहयोगी दलों पर डिपेंडेंसी तो साफ तौर पर है। बिहार में भले ही वो अब अकेले दम सरकार बना सकती है, लेकिन वो नीतीश कुमार को खारिज नहीं कर सकती। नेशनल लेवल पर बीजेपी चाहेगी कि उसके सहयोगी किसी तरह से बंधे रहें। अच्छी बात यह है कि चंद्रबाबू नायडू छोड़कर जाएंगे नहीं क्योंकि उन्हें अपनी राजनीति के लिए केंद्र की जरूरत है। चिराग पासवान की राजनीति भी बीजेपी पर निर्भर है।’ सी-वोटर के फाउंडर यशवंत देशमुख के मुताबिक, ‘इस चुनाव में अगर कुछ बहुत बुरी तरह से फेल हुआ है तो वो वोट चोरी कैम्पेन है। अगर वोटिंग परसेंट थोड़ा भी कम होता तो हम यह मान सकते थे कि लोगों का लोकतांत्रिक चुनाव प्रक्रिया में भरोसा कम हुआ है, लेकिन वोटर टर्नआउट ने इतिहास बना दिया। इस बार ऐसा भी नहीं हुआ कि आखिरी घंटों में वोटिंग परसेंट बढ़े, बल्कि शुरू से ही ज्यादा टर्नआउट रहा।’ अमिताभ तिवारी कहते हैं, ‘कांग्रेस महागठबंधन की कमजोर कड़ी है। क्षेत्रीय पार्टियां अब कांग्रेस पर हमलावर होंगी कि उसकी वजह से हम चुनाव हारते हैं। कांग्रेस पर सवाल उठेंगे कि वो लोकल लीडर्स को अपने हिसाब से काम नहीं करने दे रही और मुद्दों को भटका रही है।’ पॉलिटिकल एक्सपर्ट रजत सेठी के मुताबिक, वोट परसेंट बढ़ने का सबसे बड़ा कारण SIR है। वोटर्स के रिवीजन की वजह से डुप्लिकेट वोट हटे हैं, जिसकी वजह से स्वाभाविक रूप से पोलिंग परसेंट बढ़ा है। अब बाकी देश में भी SIR की प्रक्रिया शुरू हो गई है। 2026 में पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव होना है। ऐसे में इन चुनावों में भी वोटिंग परसेंट बढ़ सकता है। अमिताभ तिवारी के मुताबिक वोटिंग परसेंट बढ़ने की वजह SIR बिल्कुल नहीं है, बल्कि यह वास्तविक ग्रोथ है। हालांकि हर्षवर्धन त्रिपाठी बताते हैं, 'SIR होगा तो निश्चित रूप से वोटर लिस्ट प्यूरिफाई होगी। जो लोग कहीं और चले गए हैं, उनके नाम कटेंगे और नए लोगों के नाम जुड़ेंगे। इससे एक अच्छी वोटर लिस्ट बनेगी जिसके कारण देश भर के चुनावों में वोट परसेंट बिल्कुल बढ़ेगा।' सी-वोटर के फाउंडर यशवंत देशमुख के मुताबिक, नौकरी और रोजगार के वादों ने युवा वोटर्स खासकर ग्रामीण युवा वोटर्स को आकर्षित किया। ये वो लोग हैं जिन्होंने वो दौर नहीं देखा जिसे लालू का जंगलराज कहकर NDA ने प्रचारित किया। हर्षवर्धन त्रिपाठी बताते हैं, ‘इस चुनाव से यह सुखद संकेत दिखाई दे रहे हैं कि रोजगार अब चुनावी मुद्दा बनेगा, लेकिन यह वोट में कितना तब्दील होगा, यह कहना मुश्किल है। रोजगार का मुद्दा तो उठेगा, लेकिन अभी का ट्रेंड देखकर तो लगता है कि वोटर अपना नेता या अपनी जाति देखकर ही वोट डालेगा।' सीनियर जर्नलिस्ट अरुण दीक्षित के मुताबिक, 'अब रोजगार पर बात करना पार्टियों की मजबूरी होगी। तेजस्वी यादव ने जिस तरह रोजगार का मुद्दा उठाकर युवाओं को साधा, बिहार में यह चुनावी मुद्दा बन गया। आने वाले चुनावों में भी अब पार्टियां इस मुद्दे से बच नहीं सकती।' अमिताभ तिवारी कहते हैं, 'भारत की राजनीति में तीसरे मोर्चे का स्कोप जरूर है, लेकिन इसमें समय लगता है। हर पार्टी आम आदमी पार्टी की तरह नहीं होती, जिसे आंदोलन के कारण पहले चुनाव से ही एक बेस मिल गया था। अगर लगे रहेंगे तो पीके की जगह जरूर बनेगी।' ----------- ये खबर भी पढ़िए... जब प्यार में नीतीश कुमार ने आधी रात दौड़ाई बाइक:साथ रहने के लिए दिल्ली में पत्नी की नौकरी लगवाई, विवाद हुआ तो लालू को लिखी चिट्ठी साल 1985। बिहार के मौजूदा CM नीतीश कुमार तब पहली बार विधायक बने। जब चुनाव जीतकर अपने घर बख्तियारपुर पहुंचे, तो उनका खूब स्वागत हुआ, लेकिन धूम-धाम के बीच नीतीश की आंखें पत्नी मंजू को ढूंढ रही थीं, जो उस समय अपने मायके सेवदह जा चुकी थीं। बेचैन नीतीश ने आधी रात अपने एक साथी से कहा- मोटरसाइकिल निकालो, हम मंजू से मिलने जाएंगे। पूरी खबर पढ़िए...
इंडोनेशिया में लैंडस्लाइड से भारी तबाही, दो की मौत, दर्जनों लापता; राहत-बचाव का काम जारी
Jakarta news: रेस्क्यू में जुटे अधिकारियों के मुताबिकअधिकारी ने फोन पर बताया, 'भूस्खलन रिहायशी इलाकों में हुआ और हताहत हुए. दो लोगों की मौत हो गई. तीन घायल हो गए और 21 अन्य लापता हो गए.'
Florida news:1979 में अपने बेडरूम से अगवा की गई 6 साल की बच्ची की हत्या के दोषी एक व्यक्ति को चंद घंटो पहले यानी गुरुवार की देर शाम को मौत की सजा दे दी गई. इस साल फ्लोरिडा में यह रिकॉर्ड 16वीं मौत की सजा थी.
रूस के करेलिया में लड़ाकू विमान दुर्घटनाग्रस्त, दो पायलटों की मौत
रूस के करेलिया गणराज्य के प्रियोनेज़्स्की जिले में प्रशिक्षण उड़ान के दौरान एक सुखोई-30 लड़ाकू विमान के दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसके कारण दो पायलटों की मौत हो गयी
ढाका छोड़ने के पहले शेख हसीना ने किए थे कौन से 'गुनाह', 72 घंटे बाद सुनाई जाएगी सजा-ए-मौत?
Bangladesh News: जस्टिस मोहम्मद गुलाम मुर्तुजा मजूमदार, जस्टिस मोहम्मद शफीउल आलम महमूद, और जस्टिस मोहम्मद मोहितुल हक इनाम चौधरी की अध्यक्षता वाले तीन सदस्यीय बेंच ने मामले में सजा सुनाने की तारीख 17 नवंबर तय की है.
हिटलर सेक्सुअल जेनेटिक डिसऑर्डर का था शिकार, पहले कभी नहीं हुआ ऐसा खुलासा
Hitler: जर्मनी की तानाशाह को लेकर एक ऐसा चौंकाने वाला खुलासा हुआ है जिसके बारे में उसके बेहद करीबियों को भी नहीं पता था. दरअसल ये हिटलर की व्यक्तिगत यौन कुंठाओं से जुड़ा मामला था जिसे वो हर किसी से शेयर नहीं करता था.
जी-7 के तेहरान विरोधी दावे 'निराधार और गैर-जिम्मेदाराना' : ईरान
ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बघई ने जी-7 देशों द्वारा लगाए गए आरोपों को बेबुनियाद और गैर-जिम्मेदाराना बताया है
बांग्लादेश में डेंगू से तीन अन्य लोगों की मौत, 2025 में मरने वालों की संख्या 326 हुई
बांग्लादेश में डेंगू का प्रकोप तेजी से बढ़ता जा रहा है। देशभर में संक्रमण और मौतों में वृद्धि देखी जा रही है
दिल्ली कार ब्लास्ट में डॉक्टर टेटर मॉड्यूल के बाद अगर सबसे ज्यादा चर्चा में है, तो वो फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी है। यहीं बिल्डिंग नंबर-17 का रूम नंबर-13 वो जगह है, जहां बड़े हमले को अंजाम देने की साजिश रची जा रही थी। डॉ. उमर और मुजम्मिल ने यहीं बैठकर फंडिंग से लेकर विस्फोटक जुटाने तक का प्लान बनाया और उस पर काम किया। हालांकि विस्फोटक जुटाने के बाद इसे कहां और कैसे इस्तेमाल करना है, ये बात फाइनल हो पाती कि उसके पहले ही साजिश का पर्दाफाश हो गया। टेरर मॉड्यूल में अब तक यूनिवर्सिटी के चार डॉक्टरों के लिंक मिले हैं। इनमें मुजम्मिल, आदिल, शाहीन और उमर शामिल हैं। इसके साथ ही यूनिवर्सिटी का प्रोफेसर डॉ निसार अल हसन भी शक के घेरे में है। सोर्स से ये भी पता चला है कि डॉ मुजम्मिल और आदिल बम बनाने के लिए पिछले 4 महीने से फर्टिलाइजर और केमिकल स्टोर करके रख रहे थे। वहीं उमर और शाहीन ने यूनिवर्सिटी के लैब से केमिकल चुराया था। इनकी प्लानिंग करीब 200 बम बनाने की थी। जांच एजेंसियों से जुड़े सोर्स से पता चला है कि थ्रीमा एप के जरिए ही लालकिला ब्लास्ट की प्लानिंग हुई थी। हमने अल-फलाह यूनिवर्सिटी का भी दौरा किया। जांच में शामिल पुलिस और एजेंसियों के सोर्सेज से बात की। साथ ही यूनिवर्सिटी स्टाफ और स्टूडेंट्स से भी बात की। उनके लगाए आरोपों पर यूनिवर्सिटी से सवाल भी पूछे हैं। हमने 4 सवालों के जरिए ब्लास्ट के आइडिया, प्लानिंग, और एग्जीक्यूशन की पड़ताल की। 1- सफेदपोश संदिग्ध आतंकी डॉक्टरों को फंडिंग कहां से मिली?2- संदिग्ध डॉक्टरों की मीटिंग कहां होती थी और कैसे प्लानिंग हुई?3- लैब से केमिकल की चोरी किसने की और ब्लास्ट की क्या तैयारी थी?4- कहां चूक हुई और क्या ये ब्लास्ट हड़बड़ी में करना पड़ा? अब आइए सिलसिलेवार जानते हैं इन सवालों के जवाब…सवाल 1. डॉक्टरों की मीटिंग कहां होती थी और प्लानिंग कैसे हुई?पुलिस ने जांच के दौरान अल-फलाह यूनिवर्सिटी से एक डायरी बरामद की है। इससे दिल्ली बम ब्लास्ट की साजिश के सबूत मिले हैं। सोर्स के मुताबिक, यूनिवर्सिटी की बिल्डिंग नंबर-17 सफेदपोश डॉक्टरों के टेरर नेटवर्क की मीटिंग का अड्डा थी। संदिग्ध डॉक्टरों की मुलाकात इसी बिल्डिंग के रूम नंबर-13 में होती थी। ये दिल्ली ब्लास्ट से लिंक में पकड़े गए डॉ. मुजम्मिल का कमरा था। वो अपनी नेटवर्क के दूसरे डॉक्टर्स से यहीं मिला करता था और यहीं ब्लास्ट की प्लानिंग को अंजाम दिया गया था। पुलिस में हमारे सोर्स के मुताबिक, डॉ उमर और डॉ मुजम्मिल इस मॉड्यूल के मास्टरमाइंड हैं। दोनों किसी बड़ी साजिश को अंजाम देने की तैयारी में थे। हालांकि अभी तक इनका टारगेट तय नहीं हुआ था। इसे तय करने को लेकर बातचीत ही चल रही थी। सवाल 2. सफेदपोश आतंकी डॉक्टरों को फंडिंग कहां से मिली?सोर्स बताते हैं कि संदिग्ध आतंकी डॉ. मुजम्मिल, उमर और शाहीन अपने नेटवर्क के जरिए बड़ी वारदात को अंजाम देने की तैयारी में थे। इसके लिए उन्होंने करीब 26 लाख रुपए कैश भी जुटा लिया था। ये कैश डॉ उमर के पास रखा गया था। बाद में डॉ. मुजम्मिल और उमर ने इसी रकम से कई किस्तों में गुरुग्राम, नूंह और फरीदाबाद की मार्केट से एनपीके फर्टिलाइजर खरीदना शुरू किया। ये फर्टिलाइजर किस्तों में करीब 4 महीने में खरीदा गया। डॉ. मुजम्मिल ने इसे घर पर स्टोर किया। उसका प्लान था कि पहले बड़ी मात्रा में फर्टिलाइजर स्टोर कर लिया जाए और फिर इससे IED बम बनाया जाए। जांच एजेंसियों को शक है कि इतनी मात्रा में खरीदा गया फर्टिलाइजर ही बम ब्लास्ट कॉन्सपिरेसी में इस्तेमाल किया जाना था। अब जांच एजेंसियां एक तरफ इसके लिए हुई फंडिंग को ट्रैक कर रही हैं। तीनों डॉक्टर्स के बैंक अकाउंट की डिटेलिंग ट्रैक कर रही हैं। वहीं फंडिंग का सोर्स भी तलाश रही हैं। दूसरी तरफ जांच एजेंसियों की एक टीम गुरुग्राम, फरीदाबाद और नूंह में लोकल फर्टिलाइजर मार्केट से की गई खरीदारी की तफ्तीश कर रही हैं। अलग-अलग दुकानों पर सीसीटीवी खंगाले जा रहे हैं और फर्टिलाइजर खरीदने के सबूत जुटाए जा रहे हैं। सवाल 3. लैब से केमिकल की चोरी और ब्लास्ट की क्या तैयारी थी।इसकी प्लानिंग भी हॉस्टल के रूम नंबर-13 में ही हुई थी। बम बनाने के लिए फर्टिलाइजर के अलावा दूसरे सामान जुटाने थे। तय हुआ कि पहले लैब से केमिकल चुराकर उसे डॉ मुजम्मिल के कमरे में रखा जाएगा। फिर वहां से उसे मुजम्मिल के धौज गांव वाले कमरे में शिफ्ट किया जाएगा। दरअसल हॉस्टल में मुजम्मिल का रूम लैब से चंद कदम की दूरी पर है। इसलिए वहां केमिकल शिफ्ट करना सबसे आसान था। डॉ उमर और डॉ शाहीन ने लैब से केमिकल निकाला और मुजम्मिल के कमरे में रख दिया। सोर्स के मुताबिक, करीब 350 किलो अमोनियम नाइट्रेट डॉ मुजम्मिल के किराए वाले घर से बरामद किया गया था। पुलिस को यहां से कई पेन ड्राइव, 3 डायरी और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस भी मिली है। पुलिस ने कमरा जांच पड़ताल के बाद सील कर दिया है। वहीं फरीदाबाद में मौलवी इश्तियाक के घर से भी विस्फोटक मिला था। सोर्स के मुताबिक, पुलिस ने मुजम्मिल के कमरे और लैबोरेटरी के केमिकल के सैंपल भी लिए हैं। उन्हें जांच के लिए भेजा गया है। जांच एजेंसियों को शक है कि लैब से चुराया गया केमिकल अमोनियम नाइट्रेट और ऑक्सीडाइजर का इस्तेमाल एक्सप्लोसिव बनाने के लिए किया गया। सवाल 4. कहां चूक हुई और क्या दिल्ली का ब्लास्ट हड़बड़ी में करना पड़ा?जांच एजेंसियों का मानना है कि उमर और मुजम्मिल दोनों एक दूसरे को 2018 से ही जानते थे। ब्लास्ट के लिए फंडिंग से लेकर सामान जुटाने तक की तैयारी की सारी जिम्मेदारी डॉ उमर और मुजम्मिल के पास थी। दोनों ने प्लानिंग के तहत कई महीनों में विस्फोटक, टाइमर और डेटोनेटिव जुटाए। सोर्स ने बताया कि ब्लास्ट की प्लानिंग पूरी हो पाती, इसके पहले ही जम्मू-कश्मीर पुलिस ने फरीदाबाद पुलिस के साथ इस टेरर मॉड्यूल पर रेड कर दी। डॉ मुजम्मिल शुरू में ही गिरफ्तार हो गया, जिससे डॉ उमर घबरा गया था। इसके बाद हड़बड़ी में उसने लालकिला के पास ब्लास्ट का प्लान बनाया और खुद ही इसे अंजाम दे दिया। उमर ने रेड से घबराकर हड़बड़ी में किया ब्लास्टउत्तर प्रदेश पुलिस के पूर्व DGP विक्रम सिंह इस केस की जांच को लेकर कहते हैं, ‘दिल्ली ब्लास्ट केस में जांच की अब तक की दिशा और दशा दोनों ही एकदम सही है। इससे बेहतर तरीके से जांच नहीं हो सकती थी।’ ’28 अक्टूबर को जब से कश्मीर में जैश-ए-मोहम्मद का पोस्टर पकड़ा गया। कश्मीर पुलिस ने गहराई में जाकर इसे आइडेंटिफाई किया और जिस तरह वे केस की तह तक पहुंची वो काबिल-ए-तारीफ है। डॉ उमर और शाहीन की कार से AK-47 रिकवर की और करीब 2900 किलो अमोनियम नाइट्रेट जब्त किया। दरअसल डॉ. उमर इन्हीं सब कार्रवाइयों से घबरा गया और उसने हड़बड़ी में विस्फोट को अंजाम दिया।’ ’जांच में अब तक जो तथ्य सामने आए हैं, उससे पता चलता है कि इनकी प्लानिंग करीब 200 बम बनाने की थी। ये या तो 26/11 की सालगिरह, 6 दिसंबर (बाबरी मस्जिद गिराए जाने की बरसी) या फिर 13 दिसंबर ( संसद अटैक की सालगिरह) जैसे दिन कुछ बड़ा करने की प्लानिंग कर रहे थे।’ विक्रम सिंह आगे कहते हैं, ‘जो AK-47 और AK-56 के साथ बड़े पैमाने पर कारतूस बरामद हुए हैं, इससे साफ है कि इनकी प्लानिंग पहले बम विस्फोट की थी और फिर गोलियां बरसाने की।’ थ्रीमा एप के जरिए करते खुफिया कम्युनिकेशनसोर्स के मुताबिक, अल-फलाह यूनिवर्सिटी के ये तीनों डॉक्टर उमर, मुजम्मिल और आदिल Theerma App के जरिए कॉन्टैक्ट में रहते थे। ये एक एनक्रिप्टेड प्लेटफॉर्म है। आतंकी गतिविधियों से जुड़ी बातचीत करने के लिए तीनों इसी एप पर चर्चा करते थे। तीनों ने एप पर अपना प्राइवेट सर्वर बना रखा था ताकि सीक्रेट बातचीत कर सकें। सोर्स के मुताबिक, डिटेल प्लानिंग और लोकेशन शेयर करने का काम इसी एप के जरिए होता था। तीनों डॉक्टर एनक्रिप्टेड चैट, फाइल शेयरिंग, वॉयस कम्युनिकेशन और लोकेशन शेयरिंग के लिए इसी का इस्तेमाल करते थे। इससे इनको स्टैंडर्ड मोबाइल नेटवर्क का भी इस्तेमाल नहीं करना पड़ा। जांच एजेंसियों से जुड़े सोर्स से पता चला है कि थ्रीमा एप के जरिए ही लालकिला ब्लास्ट की प्लानिंग हुई थी। अब एजेंसियां ये पता करने की कोशिश कर रही हैं कि इनका एप जिस सर्वर पर ऑपरेट हो रहा था क्या उसे भारत में ही होस्ट किया गया था या फिर किसी दूसरे देश से किया गया। अरब मुल्कों से अल-फलाह यूनिवर्सिटी को फंडिंगहमने अल-फलाह यूनिवर्सिटी का भी दौरा किया। फंडिंग के बारे में पूछने पर यूनिवर्सिटी स्टाफ के कुछ लोगों ने नाम ना जाहिर करने की शर्त पर बताया कि यूनिवर्सिटी को अरब मुल्कों से फंडिंग मिला करती थी। वहां के इन्वेस्टर साल में एक बार यूनिवर्सिटी का दौरा करने भी आते थे। भले ही कॉलेज को ट्रस्ट चलाता है लेकिन इन्हें दूसरे देशों से भी फंड मिलता है।’ यूनिवर्सिटी की पिछले 10 सालों की फाइनेंशियल फाइलिंग्स और FCRA रिकॉर्ड्स सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं हैं। हमने ट्रस्ट को मिलने वाली फॉरेन फंडिंग को लेकर अल-फलाह यूनिवर्सिटी को डिटेल में मेल करके जानकारी मांगी है। रिपोर्ट लिखे जाने तक हमें कोई जवाब नहीं मिला है। यूनिवर्सिटी प्रशासन का जवाब आने पर रिपोर्ट में अपडेट किया जाएगा। यूनिवर्सिटी को लेकर पूर्व DGP विक्रम सिंह कहते हैं, ‘अल फलाह यूनिवर्सिटी ने इन आतंकियों को सेफ हाउस दिया। उन्होंने इसे एक ऐसा टापू बना लिया, जहां बाहरी तत्व आसानी से आ जा नहीं सकते थे। इनके चांसलर जवाद अहमद सिद्धिकी चिटफंड केस में तिहाड़ जेल में रह चुके हैं। 2000 में इनके खिलाफ मुकदमा लिखा गया था। हैरानी की बात ये है कि ऐसे सजायाफ्ता मुल्जिम को मंजूरी पर मंजूरी कैसे मिलती चली गईं?‘ ‘अल-फलाह को UGC से मान्यता कैसे मिल गई? 4-5 कमरे में चलने वाले इंजीनियरिंग कॉलेज को इतनी अच्छी रेटिंग कैसे मिल गई? इस यूनिवर्सिटी में तब्लीगी जमात ने एक मस्जिद भी बना रखी है। पहले मस्जिद छोटी थी, अब ये बड़ी हो गई है। कश्मीरी छात्र यहां बड़े पैमाने पर दाखिला कैसे ले रहे हैं, इसकी भी जांच होनी चाहिए।’ फ्री चेकअप और मेडिकल कैंप लगाती थी अल-फलाह यूनिवर्सिटीलोकल लोगों को खुश करने के लिए यूनिवर्सिटी में समय-समय पर फ्री चेकअप, मेडिकल कैंप और निशुल्क इलाज किया जाता था। इसलिए आसपास रहने वाले गांव के लोगों में यूनिवर्सिटी को लेकर एक सहानुभूति भी थी। हमने पास के रहने वाले धौज और फतेहपुर तगा गांव के लोगों से बात की। वहां के लोगों ने भी बताया कि वो यूनिवर्सिटी में इलाज कराने के लिए आते रहे हैं। यहां उनका फ्री में इलाज किया जाता था। यूनिवर्सिटी में करीब 40% स्टूडेंट कश्मीर के पढ़ते थे। इसके साथ ही हरियाणा के मेवात और बिहार के भी कई स्टूडेंट यहां पढ़ाई कर रहे हैं लेकिन यूनिवर्सिटी में स्टाफ भर्ती की प्रक्रिया ट्रस्ट के ओखला वाले दफ्तर से की जाती थी, जिसमें चांसलर सिद्धिकी ही आखिरी फैसला करते थे। दिल्ली ब्लास्ट मामले में 12 नवंबर को यूनिवर्सिटी ने पहली बार बयान जारी किया है। वाइस चांसलर प्रो. भूपिंदर कौर आनंद ने कहा कि हमारे दो डॉक्टर पुलिस की हिरासत में हैं। उनकी ड्यूटी के अलावा यूनिवर्सिटी का इनसे कोई संबंध नहीं है। यूनिवर्सिटी के अंदर किसी भी तरह का केमिकल या विस्फोटक स्टोर नहीं हुआ। हमारी लैब का इस्तेमाल सिर्फ MBBS स्टूडेंट्स को पढ़ाने और ट्रेनिंग देने के लिए होता है। हर काम कानून के हिसाब से किया जाता है। 70 एकड़ कैंपस का चप्पा-चप्पा तलाश रही जांच एजेंसियांपिछले लगातार 4 दिन से अल-फलाह यूनिवर्सिटी में पुलिस और एजेंसियां जांच कर रही हैं। यूनिवर्सिटी के चप्पे-चप्पे की जांच की जा रही है। आरोपी डॉक्टरों के करीबी दोस्तों, स्टूडेंट और सहकर्मियों से पूछताछ की जा रही है। पुलिस ने अभी आधिकारिक तौर पर ये नहीं बताया है कि कितने लोगों को हिरासत में लिया गया है। यूनिवर्सिटी के एक छात्र ने नाम ना लिखने की शर्त पर बताया कि कैंपस में पुलिस का तलाशी अभियान लगातार जारी है। कई लोगों से पूछताछ भी की गई है। हमारे लिए ये चौंकाने वाली बात है कि हम यहीं पढ़ते रहे और हमें भनक ही नहीं लगी कि यहां इतनी बड़ी साजिश चल रही थी।.............. ये खबर भी पढ़ें... दिल्ली ब्लास्ट-कौन है डॉक्टरों का ब्रेनवॉश करने वाला मौलवी इरफान दिल्ली में लाल किले के पास कार में हुए ब्लास्ट के तार पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर तक पहुंच रहे हैं। भारत में आतंकी हमलों के लिए 3-4 महीनों से साजिश रची जा रही थी। इसके पीछे आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा शामिल थे। खुफिया एजेंसियों को इसके संकेत PoK में आतंकियों के इंटरसेप्ट कम्युनिकेशन से मिले हैं। पढ़िए पूरी खबर...
बांग्लादेश में थम नहीं रहा डेंगू से मौत का कहर, क्या है आंकड़े बढ़ने की असल वजह?
बांदलादेश में पिछले साल की तरह इस साल भी डेंगू के मरीजों की तादाद लगातार बढ़ रही है, सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद राहत की कमी नजर आ रही है.
फिलीपींस में मार्शल लॉ के वास्तुकार जुआन पोंस एनरिले का निधन
101 वर्ष की आयु में फिलीपींस के दिग्गज राजनेता और पूर्व सीनेट अध्यक्ष जुआन पोंस एनरिल का निधन हो गया
दिल्ली आतंकी धमाके के बाद पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने भारत-अफगानिस्तान को दी धमकी
आतंक को पनाह देने वाला पाकिस्तान इन दिनों खुद परेशान है। दिल्ली में आतंकी धमाके के बाद इस्लामाबाद के कोर्ट परिसर में धमाका हुआ। इसे लेकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री दोनों की बौखलाहट देखने को मिल रही है
900 उड़ानें रद्द, सरकारी विभाग ठप! आखिरकार ट्रंप ने साइन कर खत्म किया अमेरिका का सबसे बड़ा शटडाउन
अमेरिकी सीनेट और सदन दोनों ने इस पर सहमति जताते हुए फेडरल फंडिंग बिल को मंजूरी दे दी, जिसके बाद इसे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पास भेजा गया. ट्रंप ने बुधवार को इस बिल पर हस्ताक्षर कर दिए, जिससे अब देश की सभी सरकारी एजेंसियों का कामकाज दोबारा शुरू हो जाएगा.
डेमोक्रेटिक पार्टी ने एपस्टीन के पुराने ईमेल्स जारी किए हैं, जिनमें यह दावा किया गया है कि ट्रंप और एपस्टीन के बीच नजदीकी रिश्ते थे और ट्रंप ने उसके घर पर एक यौन पीड़िता के साथ घंटों समय बिताया था.
बांग्लादेश में जारी तनावपूर्ण माहौल के बीच चुनावी सरगर्मी तेज हो गई है। जगह-जगह पर हिंसा और आगजनी देखने को मिल रही है। इस बीच यूनाइटेड किंगडम कंजर्वेटिव पार्टी के नेता और सांसद बॉब ब्लैकमैन ने मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार से देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने का आग्रह किया है
ट्रंप-एपस्टीन घंटों रहे साथ, डेमोक्रेट्स ने जारी किए ईमेल, व्हाइट हाउस ने आरोपों का किया खंडन
जेफरी एपस्टीन से दोस्ती अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भारी पड़ रही है। बुधवार को एपस्टीन फाइल से जुड़े दस्तावेज को सार्वजनिक किया गया, जिसे लेकर अमेरिका के सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है
कनाडा ने रूस के खिलाफ प्रतिबंध लगाने की घोषणा की
कनाडा ने रूस के ऊर्जा क्षेत्र, सैन्य क्षमताओं और साइबर बुनियादी ढांचे से जुड़े व्यक्तियों और संस्थाओं के खिलाफ प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है
अमेरिका का सबसे लंबा शटडाउन खत्म, ट्रंप ने फंडिंग बिल पर किए हस्ताक्षर
अमेरिका में चल रहा अब तक का सबसे लंबा शटडाउन खत्म हो गया है। अमेरिकी इतिहास के सबसे लंबे शटडाउन को खत्म करने के लिए सीनेट समर्थित विधेयक को सदन ने मंजूरी दी
अमेरिका : शटडाउन खत्म करने के लिए सीनेट समर्थित विधेयक को सदन ने दी मंजूरी, ट्रंप ने किया हस्ताक्षर
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भारत और कंबोडिया के बीच शुरू होगी डायरेक्ट फ्लाइट, इंडिगो ने किया ऐलान
भारत और कंबोडिया के सिएम रीप के बीच डायरेक्ट फ्लाइट की शुरुआत होने जा रही है
बांग्लादेश में सड़क से सफर 'खतरनाक', सिर्फ अक्टूबर में दुर्घटनाओं में 500 से अधिक लोगों की मौत
बांग्लादेश में इन दिनों हालात काफी खराब नजर आ रहे हैं। यूनुस की सरकार में देश में अराजकता की स्थिति बनी हुई है
'ढाका लॉकडाउन' से पहले धोलाईपार में यात्री बस को उपद्रवियों ने लगाई आग, पुलिस के दावों की खुली पोल
गुरुवार को अवामी लीग ने ढाका लॉकडाउन का ऐलान किया, तो वहीं सिटी पुलिस ने दावा किया कि स्थिति नियंत्रण में है
ट्रंप के एच-1बी वीजा कार्यक्रम का बचाव करने के बाद व्हाइट हाउस ने दिया स्पष्टीकरण
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा एच-1बी वीज़ा कार्यक्रम का बचाव करने के एक दिन बाद, व्हाइट हाउस ने कहा कि वह वीज़ा प्रणाली के दुरुपयोग पर सख्त कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है
दिल्ली और इस्लामाबाद ब्लास्ट के बाद दुनियाभर से प्रतिक्रियाएं आईं, लेकिन अमेरिकी एंबेसी का बयान सबसे ज्यादा चर्चा में रहा. इसी बयान के बाद अमेरिका पर भारत के खिलाफ दोहरा रवैया अपनाने के आरोप क्यों लगे. पूरी कहानी जानने के लिए ऊपर दी गई इमेज पर क्लिक करें.
भारत–पाक बॉर्डर पर निगरानी आधी हुई:जहां 30 जवान थे, अब आधे भी नहीं; बॉर्डर की आंखों देखी
भारत-पाक बॉर्डर पर जवानों की संख्या आधी रह गई है। जिन बॉर्डर आउट पोस्ट, यानी BOP पर 30 से 40 जवान पहरेदारी करते थे, वो अभी 10 से 12 पर पहुंच गया हैं। पेट्रोलिंग की फ्रीक्वेंसी भी पहले से आधी रह गई है। जवान कम होने से निगरानी का इलाका बढ़ गया है। पहले जहां दो जवान 500 से 600 मीटर का एरिया देखते थे, वो अब डेढ़ से दो किमी हो गया है। इससे घुसपैठ का खतरा बढ़ गया है। मैं भारत-पाक बॉर्डर के राजस्थान से साझा होने वाले हिस्से में हूं। शाम के 4 बजे हैं। यहां आकर पता चला कि BSF की 375 कंपनियां बिहार चुनाव में भेजी गई हैं। बॉर्डर पर जवानों की संख्या कम होने की बड़ी वजह यही है। अक्टूबर के पहले हफ्ते से जवानों का मोबलाइजेशन शुरू हुआ था। वापसी नवंबर के तीसरे हफ्ते तक होगी। जहां 500 जवान होते थे, वहां से 360 हट गए BSF की स्ट्रेंथ को ऐसे समझिए-कुल जवान- 2.65 लाख, ये जवान 193 बटालियन में बंटे हैं। एक बटालियन में 7 कंपनियां होती हैं। इस तरह BSF में करीब 1351 कंपनियां हुईं। हर 7 में से 1 कंपनी मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स, यानी MHA, यानी गृह मंत्रालय के लिए रिजर्व होती है। ऐसे में हर बटालियन से 6 कंपनियों पर ही बॉर्डर संभालने की जिम्मेदारी होती है। इन्हीं में से 375 कंपनियों को चुनावी ड्यूटी के लिए भेजा गया है। एक कंपनी 2 से 3 BOP संभालती है। इसी तरह 6 कंपनियां 16 से 18 BOP संभालती हैं। एक कंपनी में एवरेज 80 का मैदानी मैनपावर होता है, यानी 6 कंपनियों में 500 का मैनपावर हुआ। 6 में से कहीं से 3 तो कहीं से 4 कंपनियां हटाई गई हैं। यानी 500 में से 360 के आसपास जवान हट गए हैं। क्योंकि ये भी नियम है कि जब कोई कंपनी बाहर मोबलाइज करेगी तो कम से कम उसमें 90 जवान होना ही चाहिए। इसे और बारीकी से समझते हैं। BSF की एक बटालियन में औसत 1100 का मैनपावर है। 25 फीसदी छुट्टी वालो जवानों को हटा दें तो 825 मैनपावर बचा। इसमें 360 इलेक्शन वाले हटा दें तो 465 जवान बचे। करीब 10 फीसदी बीमारी वाले निकल जाएंगे, ऐसे करीब 400 जवान बचे। इनमें 50 से 60 अटैचमेंट पर होते हैं, कुछ दिल्ली में, कुछ कमांड, सेक्टर या फ्रंटियर में अटैच हैं। इसके बाद करीब 350 जवान बचे। अब इन 350 जवानों को बॉर्डर और बटालियन का हेडक्वार्टर दोनों चलाना है। इसमें 50 से 60 ड्राइवर होंगे। 35 से 40 क्लेरिकल स्टाफ, कम्युनिकेशन सिग्नल वाले, कैमल हैंडलर, सीएमएचओ, कुक हैं। इन सबको हटा दें तो बॉर्डर के लिए करीब 200 जवान बचेंगे। अब इन 200 जवानों को 16 से 18 BOP संभालना है। यानी BOP पर एवरेज 10 से 12 जवान रह गए। ये भी दो शिफ्ट में काम करेंगे। यानी एक शिफ्ट में हर दो से तीन BOP पर 6 से 8 जवान ही सुरक्षा के लिए बचे। एक कंपनी में 140 जवान होना चाहिए। लेकिन छुटि्टयों, ट्रेनिंग कोर्स, टेंपरेरी ड्यूटी, मेडिकल लीव को हटा दें तो एक बार में 80 से 90 जवान ही मैदान में होते हैं। 375 कंपनियों के बिहार जाने का मतलब है कि, BSF की 193 बटालियन में से करीब 53 बटालियन चुनावी ड्यूटी में लगी हैं। यानी बॉर्डर की सुरक्षा में लगे करीब 34 हजार जवान इलेक्शन में ड्यूटी कर रहे हैं। नक्सल और कश्मीर से जवान नहीं हटाए जा सकते कुछ जगहों से जवानों को नहीं हटाया जाता। जैसे, एंटी नक्सल ऑपरेशन यानी NO। इसमें दो फ्रंटियर हैं, करीब 16 बटालियन हैं, 112 कंपनी हैं, इन्हें हटाया नहीं जाता। इसी तरह कश्मीर में BSF की करीब 15 बटालियन हैं, जो भारतीय सेना के साथ मिलकर काम करती हैं, यहां से भी जवान हटाए नहीं जाते। करीब 3 बटालियन दिल्ली में हैं, जो VVIP की सुरक्षा और दूसरे कामों के लिए नियुक्त हैं, इन्हें भी नहीं हटाया जाता। इन सबको मिला लें तो करीब 35 बटालियन ऐसी हैं, जिनका मैनपावर कहीं नहीं जाता। इसके अलावा ट्रेनिंग सेंटर, सेक्टर, फ्रंटियर, आईजी, डीआईजी हेडक्वार्टर वाला मैनपावर भी नहीं हटाया जाता। BSF के एक अफसर कहते हैं, ‘जवान सिर्फ बॉर्डर वाले हटाए जाते हैं।’ 25 फीसदी जवान छुट्टी पर होते हैं। नियम है कि, कम से कम 25 फीसदी जवान छुट्टी पर रहना चाहिए ताकि सभी को छुटि्टयां मिल सकें। एक जवान को एक साल में ढाई से तीन महीने की छुट्टी दी जाती है। कुछ डिफिशिएंसी चल रही है, यानी जितने पद खाली हुए, उसके अगेंस्ट में अभी भर्ती नहीं हुई है, या चल रही है। करीब 10 फीसदी जवान मेडिकल लीव पर होते हैं। बिहार इलेक्शन में BSF का करीब 30 फीसदी मैनपावर लगा है। 15 से 20 फीसदी मैनपावर अलग–अलग ड्यूटीज में कमिटेड है। 25 फीसदी जवान छुटि्टयों पर होते हैं। करीब 10 फीसदी लो मेडिकल कैटेगरी यानी MLC वाले होते हैं। यानी बॉर्डर की सिक्योरिटी के लिए अभी 25 से 30 फीसदी मैनपावर ही है। अब चलिए बॉर्डर पर… शाम के 5 बज रहे हैं। बॉर्डर आउट पोस्ट यानी BOP से जवान बॉर्डर पर जाने की तैयारी कर रहे हैं। बॉर्डर पर जाने से पहले जवान कम से कम आधा घंटे BOP में साफ–सफाई और दूसरे मेंटेनेन्स से जुड़े काम करते हैं। बॉर्डर पर पहुंचने के बाद गश्त शुरू हो जाती है। कुछ जवान पैदल गश्त कर रहे हैं। कुछ व्हीकल पेट्रोलिंग कर रहे हैं तो कोई ऊंट पर भी सवार है। वॉच टॉवर के ऊपर एक जवान खड़ा है। हाथ में दूरबीन है, जो आंखों से सटा हुआ है। रात हो चुकी है, इसलिए बड़े–बड़े पोल्स पर लगे फ्लड लाइट्स ऑन हो चुके हैं। इनका मुंह पाकिस्तान की तरफ है, ताकि वहां से कोई भी मूवमेंट हो तो साफ नजर आ सके। एक जवान ने कहा कि, ‘हमने तो फेंसिंग लगाई है, लाइट्स भी हैं, लेकिन पाकिस्तान ने कुछ इंतजाम नहीं किया। फेंसिंग तक नहीं लगाई। उनके जवान पहरा भी नहीं देते क्योंकि उन्हें पता है कि, भारत से तो कोई घुसपैठ होना नहीं है। वो बेफिक्र हैं, और हमारी निगाहें 24 घंटे उन पर टिकी रहती हैं।’ हर रोज फुटप्रिंट्स की जांच की जाती है एक अफसर कहते हैं, ‘बॉर्डर पर हम रोजाना पैरों के निशान यानी फुटप्रिंट्स और अन्य रिकॉर्ड्स की जांच करते हैं इससे पता चलता है कि उस पार से कोई इंसान या जानवर हमारे एरिया में तो नहीं आया। रात में तारों में करंट भी छोड़ते हैं।’ खैर, जो जवान अभी गश्त कर रहे हैं, वे रात 12 बजे तक बॉर्डर रहेंगे। फिर दूसरी शिफ्ट वाले जवान आएंगे जो सुबह 6 बजे तक रहेंगे, और उनके जान के बाद यही जवान फिर बॉर्डर पर आ जाएंगे। इसी तरीके से 24 घंटे निगरानी चलती रहती है। BSF में एक जवान को एक दिन में 2 शिफ्ट करनी होती है। यदि सुबह 6 बजे वाली शिफ्ट में कोई जवान जाता है तो उसकी शिफ्ट दोपहर 12 बजे खत्म होती है। कैंप में आते-आते 12.30 बज जाते हैं। फिर जवान नहाने, कपड़े साफ करने, कैंप मेंटेनेन्स करने जैसे छोटे-मोटे काम करते हैं। इसके बाद लंच करते हैं और सोते-सोते 2.30 बज जाते हैं। शाम को 6 बजे से फिर दूसरी शिफ्ट पर जाना होता है इसलिए 5 बजे तक उठ जाते हैं और तैयार होकर बॉर्डर पर चले जाते हैं। फिर रात में 12 बजे शिफ्ट ओवर होती है। आते-आते 12.30 बज जाते हैं। रात में फिर एक-डेढ़ घंटा डेली रूटीन एक्टिविटी में लगता है। इस तरह सोना 2 बजे तक हो पाता है और सुबह 5 बजे फिर उठना पड़ता है। ऐसे में जवानों की दोनों शिफ्ट में मिलने वाले गैप को मिलाकर भी 6 घंटे की नींद बमुश्किल हो पाती है। भारत–पाक बॉर्डर पर निगरानी होती कैसे है 3323 किमी लंबी भारत–पाक बॉर्डर की सुरक्षा की मुख्य जिम्मेदारी बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स यानी BSF की है। मोटेतौर पर BSF चार तरीकों ह्युमन सिक्योरिटी यानी हथियार लैस जवान, फिजिकल बैरियर्स जैसे कंटीले तारों की बाड़, टेक्नोलॉजिकल सर्विलांस जैसे सेंसर, कैमरा, ड्रोन और इंटेलीजेंस कोर्डिनेशन जैसे, एजेंसी के बीच शेयरिंग से बॉर्डर की सुरक्षा करता है। इनमें सबसे अहम हथियार लैस जवानों की गश्त होती है। जवान 24 घंटे बॉर्डर पर पहरा देते हैं। यही घुसपैठ रोकते हैं। यही तस्करी रोकते हैं। यही बॉर्डर के पास होने वाले क्राइम को रोकते हैं। BSF में 6 से 12 और 12 से 6 की शिफ्ट लगती है। यानी जवानों को सुबह 6 से दोपहर के 12 बजे तक, दोपहर 12 से शाम के 6 बजे तक, शाम 6 से रात 12 बजे तक और रात 12 से सुबह 6 बजे तक बॉर्डर पर ड्यूटी करनी होती है। एक जवान की एक दिन में दो शिफ्ट लगती हैं। शिफ्ट के दौरान जवान एक BOP से दूसरी BOP के बीच पहरेदारी करते हैं। कहीं यह दूरी 2 से 3 किमी होती है। कहीं 3 से 5 किमी तक होती है। संवेदनशील इलाकों में दूरी कम है, जहां रिस्क ज्यादा नहीं है, वहां दूरी ज्यादा है। जवान कम होने से निगरानी का एरिया दोगुना होता है BSF के रिटायर्ड एडिशनल डीजी एसके सूद कहते हैं, ‘BSF के जवान मणिपुर, कश्मीर और माओवादी इलाकों में भी तैनात हैं, जहां से उन्हें हटाया नहीं जा सकता।’ ‘ऐसे में चुनाव के लिए बची हुई कंपनियों में से ही कुछ को भेजा जाता है। इससे सिक्योरिटी कमजोर होती है। क्योंकि लंबे समय के लिए जवान सीमा से दूर हो जाते हैं। वहीं जो मौजूदा जवान होते हैं, उन पर एक्स्ट्रा बर्डन आता है। जवान पहले ही 12 से 14 घंटे की ड्यूटी कर रहे हैं।’ सूद के मुताबिक, ‘जवान कम होने से जो जवान पहले 10 किमी को देख रहा होगा, अब उसे 20 किमी का एरिया कवर करना होगा। ऐसे में जवान का फिजिकल, मेंटल स्ट्रेस तो बढ़ेगा ही साथ ही निगरानी कमजोर होना लाजिमी है, क्योंकि गश्त की फ्रिक्वेंसी कम होगी।’ वे कहते हैं, ‘1999 के बाद करगिल रिव्यू कमेटी ने कहा था वन फोर्स एक टास्क। यानी जो जवान बॉर्डर पर ड्यूटी कर रहे हैं, वो वही करेंगे। जो अंदरूनी काम में है, वो वहीं देखेंगे। लेकिन कमेटी की सिफारिशें आज तक लागू नहीं हो पाईं।’ कुछ कंपनियां भी कम हो जाएं तो पूरे एरिया पर असर BSF के रिटायर्ड आईजी बीएन शर्मा कहते हैं, ‘बॉर्डर से कुछ कंपनियों को भी निकाला जाए तो उसका असर पूरे एरिया में पड़ता है। बॉर्डर से मिनिमम रिक्वायरमेंट किसी भी हाल में कम नहीं होना चाहिए।’ ‘इलेक्शन में जहां हाइपर सेंसेटिव एरिया हैं, वहां जवानों को भेजा जा सकता है, लेकिन हर जगह ही BSF को लगा दिया जाएगा तो बॉर्डर कौन संभालेगा। BSF की पहली ड्यूटी सीमा सुरक्षा है।’ जून में एक पाकिस्तानी युवक–युवती अंदर घुस आए थे इसी साल जून में राजस्थान के जैसलमेर में एक पाकिस्तानी युवक–युवती बॉर्डर क्रॉस कर भारत में घुस आए थे। भेड़–बकरी पालने वालों ने इनकी लाश देखकर तनोट पुलिस को सूचना दी थी। दोनों भारतीय सीमा में करीब 15 किमी अंदर तक घुस आए थे। दोनों के पास से पाकिस्तानी पहचान पत्र मिले। बाद में पता चला कि, प्यास और डिहाइड्रेशन के चलते दोनों की मौत हुई। इस घटना के बाद बॉर्डर की सुरक्षा पर सवाल खड़े हुए थे। हम उन गांव वालों से मिले, जिन्होंने दोनों पाकिस्तानियों की लाश देखकर पुलिस को सूचना दी थी। भेड़–बकरी पालने वाले पर्वत सिंह ने बताया कि, हम बॉर्डर के नजदीक तक भेड़ें लेकर जाते हैं। हमारे ही एक साथी ने दोनों लाशें देखी थीं। पर्वत सिंह कहते हैं, बाद में पुलिस–BSF सब ने हमसे पूछताछ की। लेकिन वे अंदर कैसे आए ये किसी को पता नहीं चला। बॉर्डर के नीचे से सुरंग करके आए होंगे या ऊपर कई बार रेत आ जाती है, उसे पार करके आए होंगे। इसी गांव में रहने वाले भगवानदास कहते हैं, जब बाड़ नहीं लगी थी तब पाकिस्तानी हथियार लेकर गांव में घुस जाते थे और हमारे मवेशी ले जाते थे। वे कई लोग एकसाथ आते थे, लेकिन जब से बाड़ लगी है, तब से कम से कम जैसलमेर में तो घुसपैठ नहीं होती। कई सालों बाद पाकिस्तानी युवक–युवती कैसे घुस आए ये पता नहीं। BSF में 10 हजार वैकेंसी : पिछले साल गृह मंत्रालय में राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने एक सवाल के जवाब में बताया था कि, BSF में 10 हजार 145 वैकेंसी हैं। वहीं पिछले 5 साल में 7372 नई पोस्ट क्रिएट की गई हैं। उन्होंने जानकारी दी थी कि, बीते 5 सालों में 54 हजार 760 पर्सनेल BSF में रिक्रूट किए गए हैं। हमने इस मामले में मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स के बॉर्डर मैनेजमेंट डिवीजन में सेक्रेटरी डॉ राजेंद्र कुमार से बात करने की कोशिश की, लेकिन बात नहीं हो पाई। हमने उन्हें सवाल आधिकारिक वेबसाइट पर ईमेल किए हैं। मिनिस्ट्री से जैसे ही रिप्लाई आएगा, खबर में अपडेट किया जाएगा। नोट : सुरक्षा के नजरिए से इस खबर में लोकेशन, BOP के नाम, जवानों के चेहरे उजागर नहीं किए जा रहे। ................................................. आप ये इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट भी पढ़ सकते हैं विदेशी लड़कियों को हाथ–पैर बांध, पीटकर बना रहे सेक्स वर्कर:बॉस के चंगुल में फंसाते हैं; उज्बेक, तुर्कमेनिस्तान की लड़कियां टारगेट पर ‘मैं उज्बेकिस्तान की रहने वाली हूं। नौकरी की तलाश में थी। इंस्टाग्राम पर एक लड़की से दोस्ती हुई। उसने दुबई आने को कहा। बोली– एक गर्भवती महिला है, उसके बच्चे को संभालने का काम है।’ ‘मैं उस पर यकीन कर दुबई पहुंची। फिर कहा गया कि, आपको किसी दूसरे शहर में रहना होगा। यह बोलकर मुझे नेपाल ले गए। फिर एक आदमी नेपाल से भारत ले आया।’ पूरी खबर पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें...।
बिहार चुनाव से जुड़े 2 बड़े अपडेट हैं। पहला- इस बार आजादी के बाद सबसे ज्यादा 66.9% वोटिंग हुई है। यानी पिछले चुनाव से करीब 9.6% ज्यादा। दूसरा- 17 एग्जिट पोल में NDA मजबूती के साथ सरकार बना रही है। सिर्फ 2 एग्जिट पोल महागठबंधन के फेवर में हैं। इन दोनों सिनेरियो में सरकार किसकी बन रही और मुख्यमंत्री कौन बनने जा रहा है? हमने 5 अलग-अलग पैरामीटर पर इसका एनालिसिस किया। पता चला कि 4 पैरामीटर्स NDA के फेवर में हैं और नीतीश मुख्यमंत्री बने रहेंगे। चलिए अब एक-एक करके पांचों पैरामीटर जान लेते हैं… 1. पोल ऑफ पोल्स : 17 एजेंसियों के सर्वे में NDA सरकार 17 एजेंसियों के एग्जिट पोल ऑफ पोल्स में NDA को साफ बहुमत मिल रहा है। कुल 243 सीटों में से NDA को 154 और महागठबंधन को 83 सीटें मिलने का अनुमान है। अन्य के खाते में 5 सीटें जा सकती हैं। गठबंधन के हिसाब से बीजेपी को सबसे ज्यादा 75, जदयू को 67 और 12 सीटें बाकी सहयोगियों को। महागठबंधन में राजद को 58, कांग्रेस को 13 और अन्य को 12 सीटें मिल सकती हैं। यानी, NDA की सरकार बन रही और बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी। अब सवाल है कि मुख्यमंत्री कौन होगा…. दरअसल, 16 अक्टूबर को अमित शाह ने एक इंटरव्यू में कहा कि चुनाव बाद विधायक दल तय करेगा कि कौन अगला मुख्यमंत्री होगा? इससे पहले उन्होंने जून 2025 में भी कहा था- ‘चुनाव बाद NDA के विधायक दल की बैठक होगी, उसमें तय हो जाएगा कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा।’ शाह के इस बयान के बाद सियासी गलियारों में चर्चा होने लगी कि बीजेपी बहुमत मिलने पर नीतीश को मुख्यमंत्री नहीं बनाएगी। विपक्ष ने भी इसे मुद्दा बनाया। इसके बाद डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी, केंद्रीय राज्य मंत्री नित्यानंद राय और सांसद राजीव प्रताप रुड़ी जैसे कई नेताओं ने साफ किया कि नीतीश ही सीएम बनेंगे। आखिरकार 1 नवंबर को गृहमंत्री ने भी साफ कर दिया कि नीतीश ही सीएम होंगे। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा-‘इसमें कोई कन्फ्यूजन नहीं है। मैं फिर से एक बार स्पष्ट करता हूं कि नीतीश ही मुख्यमंत्री हैं और चुनाव जीतने के बाद भी वही रहेंगे।’ आंकड़े भी नीतीश के ही साथ हैं। नीतीश के बिना बीजेपी बाकी सहयोगियों के साथ मिलकर भी 75+12=87 तक ही पहुंच पा रही। जबकि सरकार बनाने के लिए कम से कम 122 विधायक चाहिए। यानी एनडीए की सरकार आती है, तो नीतीश का सीएम बनना तय है। निष्कर्ष : नीतीश का सीएम बनना तय 2. भास्कर रिपोर्टर्स पोल : 145-160 सीटों के साथ फिर से NDA सरकार दैनिक भास्कर ने बिहार चुनाव में 400 से ज्यादा रिपोर्टरों को ग्राउंड से मिले इनपुट, 5 सीनियर जर्नलिस्ट, 4 पॉलिटिकल एक्सपर्ट और 2 सेफोलॉजिस्ट से डिस्कशन और पॉलिटिकल पार्टियों के इंटरनल सर्वे से मिले इनपुट के आधार पर सर्वे रिजल्ट तैयार किया है। भास्कर रिपोर्टर्स पोल के मुताबिक NDA को 145-160, महागठबंधन को 73-91 और अन्य को 5-10 सीटें मिल सकती हैं। गठबंधन के हिसाब से देखें तो NDA में बीजेपी को 72-82, जदयू को 59-68 और अन्य को 10-12 सीटें मिल सकती हैं। वहीं, महागठबंधन में राजद को 51-63, कांग्रेस को 12-15 अन्य को 10-13 सीटें मिल सकती हैं। NDA की सरकार बनी, तो मुख्यमंत्री कौन होगा…. भास्कर रिपोर्टर्स पोल के मुताबिक भी आंकड़े नीतीश के साथ ही हैं। नीतीश के बिना NDA अधिकतम 94 सीटें मिल सकती हैं। यानी बहुमत के लिए जरूरी आंकड़े से 28 कम। निष्कर्ष : नीतीश का सीएम बनना तय 3. वोटर टर्नआउट : 5% से ज्यादा वोटिंग घटने-बढ़ने पर बदलाव, अबकी बार 10% ज्यादा आजादी के बाद के 16 विधानसभा चुनाव के वोटिंग पैटर्न को देखें, तो बिहार में जब भी 5% से ज्यादा मतदान बढ़ा या घटा है, तब-तब सरकार बदली है। अब तक ऐसा 4 बार हो चुका है। इसमें से 3 बार 5% से ज्यादा वोट बढ़ने पर बदलाव हुआ है और एक बार 16% कम वोटिंग होने पर। इस बार के चुनाव में रिकार्ड 66.9% वोटिंग हुई है, जो 2020 की तुलना में 9.61% ज्यादा है। यानी अगर वोटिंग बढ़ने-घटने का पुराना रिकॉर्ड कायम रहा, तो नीतीश सरकार बदल सकती है। इससे जुड़ा एक और आंकड़ा भी है। दरअसल, 2025 से पहले बिहार में अब तक सिर्फ तीन बार 60% से ज्यादा वोटिंग हुई है और तीनों बार राजद सरकार बनी है या वापसी हुई है। अब ये ग्राफिक देखिए... निष्कर्ष : नीतीश मुख्यमंत्री नहीं बन रहे। 4. माहौल और पोस्टर : नीतीश को CM बनाने वाले पोस्टर लगे, तेजस्वी का दावा- 18 को शपथ लूंगा पहले फेज की वोटिंग के बाद पटना में कम से कम दो जगह नीतीश के समर्थन में पोस्टर लगे। जिस पर लिखा था- ‘25 से 30 फिर से नीतीश।’ ये पोस्टर जदयू की तरफ से लगवा गया था। हालांकि, बाद में चुनाव आयोग ने इसे हटवा दिया। जानकार इस पोस्टर को प्रेशर पॉलिटिक्स का संकेत मानते हैं। मतलब ये कि जदयू और नीतीश ने एनडीए के भीतर खास करके बीजेपी को यह मैसेज दिया है कि सरकार बनी तो नीतीश ही सीएम होंगे। हाल ही में बीजेपी दफ्तर में लगे पोस्टरों ने भी सबका ध्यान खींचा। जिस पर मोदी और नीतीश की तस्वीर के साथ लिखा था- ‘सोच दमदार, काम असरदार, फिर एक बार NDA सरकार।’ कहा जा रहा है कि पहली बार बीजेपी के दफ्तर में नीतीश की तस्वीर लगी है। इधर, भाजपा कार्यकर्ता पटना में 500 किलो लड्डू बना रहे हैं। कार्यकर्ताओं का कहना है कि NDA की सरकार बनेगी। धीरे-धीरे भाजपा कार्यालय में नेताओं और कार्यकर्ताओं के जुटने का सिलसिला भी शुरू हो गया है। तेजस्वी खेमे में कोई हलचल नहीं 12 नवंबर को महागठबंधन के CM पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा- ‘नीतीश सरकार जा रही है। हमारी सरकार आ रही है। 18 नवंबर को मैं मुख्यमंत्री पद की शपथ लूंगा।’ हालांकि, एग्जिट पोल के बाद RJD दफ्तर में कोई चहल-पहल नहीं दिख रही। कांग्रेस और मुकेश सहनी की पार्टी में भी कोई हलचल नहीं है। निष्कर्ष : NDA सरकार बना सकती है, सीएम नीतीश ही होंगे 5. सट्टा बाजार : NDA को 140 से ज्यादा सीट, बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी दिल्ली सट्टा बाजार के मुताबिक NDA को 142-45 और महागठबंधन को 88-91 सीटें मिल सकती हैं। NDA में बीजेपी को 69-71 और जदयू को 59-61 सीट मिल सकती हैं। जबकि राजद को 67-69 सीटें। फलोदी सट्टा बाजार के मुताबिक NDA को 145-148 और महागठबंधन को 86-89 सीटें मिल सकती हैं। बीजेपी को सबसे ज्यादा 70-72, जदयू को 57-59 और राजद को 66 से 68 सीटें मिल रही हैं। मुंबई सट्टा बाजार का आंकड़ा भी NDA के फेवर में है। उसके मुताबिक NDA को 147-150 और महागठबंधन को 86-89 सीटें मिल सकती हैं। इसमें बीजेपी को 70 और जदयू को 62 सीटें मिल रहीं। इस तरह तीनों NDA की सरकार बनने का दावा कर रहे हैं। तीनों के आंकड़ों में बीजेपी को अधिकतम 72 सीटें मिल रहीं और जदयू को 62 सीट। यानी सरकार बनाने के लिए जरूरी आंकड़े तक पहुंचने के लिए बीजेपी को नीतीश का साथ चाहिए ही होगा। निष्कर्ष : NDA को साफ बहुमत, नीतीश मुख्यमंत्री बन सकते हैं।
43 दिन के शटडाउन को खत्म करने की कवायद, यूएस हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में होगी वोटिंग
US Shutdown: अमेरिकी इतिहास के सबसे लंबे गवर्नमेंट शटडाउन को खत्म करने के लिए हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में वोटिंग करने की कवायद शुरू हो गई है.
Immigrants in US: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप घुसपैठियों के मुद्दों को लेकर अक्सर मुखर और कार्रवाई के मूड में रहते हैं, लेकिन अब उनके प्रशासन को एक जिला अदालत से तगड़ा झटका लगा है.
फरीदाबाद और कश्मीर के डॉक्टर टेरर मॉड्यूल से अब एक नाम और जुड़ रहा है। वो है डॉ. निसार उल हसन का। फरीदाबाद की अल-फलाह मेडिकल यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर डॉ. निसार दिल्ली कार ब्लास्ट के बाद से गायब है। ऐसे में जांच एजेंसियों को शक है कि वो भी आतंकी नेटवर्क से जुड़ा हुआ है और गिरफ्तारी के डर से फरार है। हालांकि डॉ. निसार का परिवार फरार होने की बात खारिज कर रहा है। पत्नी डॉ. सुरइया का कहना है कि निसार के बारे में गलत खबरें फैलाई जा रही हैं। उनका ये भी दावा है कि NIA ने यूनिवर्सिटी के बाकी फैकल्टी और स्टाफ की तरह निसार को भी कस्टडी में ले रखा है और पूछताछ कर रही है। डॉ. निसार श्रीनगर के श्री महाराजा हरि सिंह मेडिकल कॉलेज में मेडिसिन का असिस्टेंट प्रोफेसर था। उसे 2023 में आतंकियों से कथित कनेक्शन के आधार पर सरकारी नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था। इस आरोप के बावजूद 2024 में फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी ने उसे प्रोफेसर के तौर पर काम दिया। इधर, दिल्ली बम ब्लास्ट और डॉक्टर टेरर मॉड्यूल से जुड़े डॉ. मुजम्मिल के फोन की जांच के बाद कई बड़े खुलासे हुए हैं। सोर्स के मुताबिक, इस टेरर मॉड्यूल का पहला बड़ा टारगेट इस साल दिवाली पर किसी बड़ा घटना को अंजाम देने का था। हालांकि कामयाबी नहीं मिली। डॉ. मुजम्मिल ने सिर्फ लालकिला ही नहीं कई और जगहों की भी रेकी की थी। दिल्ली कार ब्लास्ट केस में अब तक यूपी, कश्मीर और हरियाणा से 6 डॉक्टर अरेस्ट किए गए हैं। अब पुलिस को डॉ निसार की तलाश है। दैनिक भास्कर ने डॉ निसार का बैकग्राउंड खंगाला और उसके परिवार के दावे जाने। साथ ही डॉ. मुजम्मिल और कश्मीर में अरेस्ट हुए डॉ. तजामुल अहमद को लेकर अब तक क्या जानकारी सामने आई है, वो भी जाना। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… सबसे पहले डॉ. निसार के बारे में जानिए15 साल श्रीनगर के मेडिकल कॉलेज में तैनात रहाडॉ. निसार उल हसन कश्मीर में बारामूला के सोपोर का रहने वाला है। वो करीब 15 साल तक श्रीनगर के श्री महाराजा हरि सिंह मेडिकल कॉलेज में मेडिसिन विभाग में तैनात रहा। कश्मीर डॉक्टर एसोसिएशन से जुड़े एक सीनियर डॉक्टर ने बताया, ‘निसार की गिनती अच्छे डॉक्टरों में रही है। काफी समय तक वो डॉक्टर एसोसिएशन का प्रेसिडेंट भी रहा। 2023 में आतंकियों के साथ संदिग्ध गतिविधियों की जानकारी मिलने के बाद उसे नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था।‘ ‘डॉ. निसार के बारे में बोला गया था कि डॉक्टर होकर वो आतंकवादी विचारधारा को बढ़ावा दे रहा है। इसके अलावा आतंकियों की मदद करने का भी आरोप लगा था।‘ 21 नवंबर 2023 को जम्मू कश्मीर सरकार ने उसे हटाने का नोटिस जारी किया था। इसके बाद डॉ निसार को 2024 में फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी के मेडिसिन विभाग में नियुक्ति मिल गई। सोर्सेज के मुताबिक, जांच एजेंसियों को शक है कि डॉ. निसार को पहले से डॉक्टर टेरर नेटवर्क की पूरी जानकारी थी। वो पहले भी इस नेटवर्क का हिस्सा था। 2023 में जम्मू-कश्मीर सरकार ने जब उसे बर्खास्त किया था, तभी से वो डॉ. उमर, डॉ. आदिल और डॉ. मुजम्मिल से संपर्क में था। पत्नी बोलीं- फरार नहीं, NIA की हिरासत में डॉ निसारदिल्ली बम ब्लास्ट के बाद से डॉ. निसार गायब है। जांच एजेंसियों को शक है कि वो भी डॉक्टर टेरर मॉड्यूल का हिस्सा है और आतंकी नेटवर्क से कनेक्टेड है। हालांकि परिवार इन दावों को सिरे से खारिज कर रहा है। पत्नी सुरइया का कहना है, ‘डॉ निसार फरार नहीं हैं बल्कि NIA की हिरासत में हैं। उनके बारे में झूठी बातें फैलाई जा रही हैं। वो पूछताछ में जांच एजेंसियों का पूरा सहयोग कर रहे हैं।‘ ‘अल-फलाह यूनिवर्सिटी की बाकी फैकल्टी और स्टाफ को हिरासत में लेकर जैसे पूछताछ की जा रही है। उसी तरह डॉ निसार को भी पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है। स्टाफ ही नहीं यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स से भी पूछताछ की जा रही है।‘ डॉ. निसार की बेटी भी अल-फलह यूनिवर्सिटी में MBBS की स्टूडेंट है। जानकारी मिली है कि निसार के फरार होने के बाद जांच एजेंसियों ने बेटी को भी हिरासत में लेकर पूछताछ की है। नकली दवाओं के स्कैंडल में भी आ चुका है डॉ. निसार का नाम2014 में कश्मीर में नकली दवाओं के घोटाले में भी डॉ. निसार का नाम आया था। उस वक्त वो श्रीनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर था। नकली दवाओं की वजह से कश्मीर में कई लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद निसार को सस्पेंड कर दिया गया था। हालांकि 4 साल बाद 13 अगस्त 2018 को उसकी बहाली भी हो गई। इसके बाद डॉ. निसार ने दावा किया था कि उसी ने नकली दवाओं के रैकेट का पर्दाफाश किया है। उसने ये भी दावा किया कि इस रैकेट में उसके सीनियर अधिकारी भी शामिल थे। इन्हीं अफसरों को बचाने के लिए उसे सस्पेंड कर दिया गया था। अब बात टेरर मॉड्यूल से जुड़े डॉ. मुजम्मिल कीपहले दिवाली पर बड़े हमले की थी साजिश, फोन की जांच में खुलासाफरीदाबाद का डॉक्टर टेरर मॉड्यूल देश में कई जगहों पर बड़े धमाके की साजिश रच रहा था। इनका पहला बड़ा टारगेट इस साल दिवाली पर बड़ा हमले को अंजाम देना था। इसका खुलासा फरीदाबाद से पकड़े गए संदिग्ध आतंकी डॉ. मुजम्मिल शकील के फोन की जांच से हुआ है। फोन के लोकेशन लॉग से और भी कई खुलासे हुए हैं। पता चला है कि डॉ. उमर और डॉ. मुजम्मिल दोनों कुछ महीने पहले दिल्ली के लालकिला गए थे। इन्होंने पहले से रेकी करनी शुरू कर दी थी। फोन की लोकेशन हिस्ट्री और गैलरी की जांच से ये भी पता चला है कि लालकिला के अलावा इन्होंने और भी कई जगहों की रेकी की थी। दिवाली पर साजिश क्यों फेल हुई? इसे लेकर सबसे बड़ी वजह विस्फोटक का पूरी तरह तैयार न होना बताया जा रहा है। जांच से जुड़े सूत्रों बताते हैं कि ब्लास्ट कराने वाले मैटीरियल में कुछ खामियां आ रहीं थीं। इसलिए उस समय हमले की साजिश को अंजाम नहीं दिया जा सका। अब इनकी तैयारी 26 जनवरी या इसके आसपास धमाके करने की थी। इसलिए ये विस्फोटक इक्ट्ठा करके उसे तैयार करने में जुटे थे। दिल्ली में लाल किले के पास हुए ब्लास्ट को जांच एजेंसियां शुरू से ही प्री-मैच्योर ब्लास्ट बता रही हैं क्योंकि इनका विस्फोटक अभी पूरी तरह से तैयार नहीं था। जांच एजेंसियों का मानना है कि अगर विस्फोटक पूरी तरह से तैयार होता तो ये धमाका और खतरनाक होता। साथ ही नुकसान भी ज्यादा होता। 2013 से कट्टरपंथ की राह पर डॉ. मुज्जमिलफरीदाबाद से अरेस्ट हुए डॉ. मुजम्मिल की सोशल मीडिया प्रोफाइल की हमने पड़ताल की। उससे पता चलता है कि वो 2013 से ही कट्टरपंथी विचारधारा अपनाने लगा था। उसने 3 मई 2013 को एक न्यूज लिंक पोस्ट की थी। उसमें लिखा था कि अगर सरबजीत शहीद है तो अफजल आतंकवादी कैसे था? हालांकि वेबासाइट ने ये न्यूज लिंक रिमूव कर दिया था लेकिन इस तरह की पोस्ट से उसके कट्टरपंथ की राह पर जाने के सबूत मिलते हैं। मुजम्मिल ने अपने सोशल मीडिया पर आखिरी पोस्ट 20 मई 2014 को की थी, जिसमें उसने कश्मीरी में लिखा है। भारत के खिलाफ भड़काऊ स्पीच देने वाले पाकिस्तानी मौलाना का फॉलोअरडॉ. मुजम्मिल पाकिस्तानी मौलाना तारिक जमील को फॉलो करता है। ताकिर जमील अक्सर भारत के खिलाफ भड़काऊ बयान देता रहता है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद भी उसने भारत के खिलाफ कार्रवाई करने के कई बार दावे किए हैं। मौलाना तारिक जमील को कई वीडियो और इंटरव्यू में गजवा-ए-हिंद की बात करते देखा गया है। कश्मीर में गिरफ्तार डॉ. तजामुल अहमद को छोड़ा गयाजम्मू-कश्मीर के कुलगाम में रहने वाले डॉ. तजामुल मलिक को पुलिस ने 12 नवंबर को गिरफ्तार कर लिया था। वो दिल्ली ब्लास्ट के आरोपी डॉ. उमर के करीबी दोस्त हैं। बताया गया कि इसी वजह से गिरफ्तारी हुई थी। हालांकि डॉ. तजामुल के पिता मोहम्मद अयूब मलिक ने हमारे साथ बातचीत में दावा किया है कि बेटे को श्रीनगर में चल रही एक जांच के सिलसिले में पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया था। बाद में पुलिस ने छोड़ दिया। वो आगे बताते हैं, ‘उसने GMC श्रीनगर से MBBS की पढ़ाई की है और श्रीनगर में ही रहता है। दिल्ली ब्लास्ट मामले में GMC श्रीनगर के 50 से ज्यादा स्टूडेंट से पुलिस ने पूछताछ की है। उसी कड़ी में मेरे बेटे को भी बुलाया था लेकिन पूछताछ के बाद रात करीब 12 बजे छोड़ दिया गया। हालांकि उसे अभी श्रीनगर में ही रहने की हिदायत मिली है। अभी उसका मोबाइल भी बंद करा दिया है।‘ यूनिवर्सिटी ने कहा- ड्यूटी के अलावा डॉक्टरों से कोई संबंध नहींदिल्ली ब्लास्ट मामले में 12 नवंबर को यूनिवर्सिटी ने पहली बार बयान जारी किया है। वाइस चांसलर प्रो. भूपिंदर कौर आनंद ने कहा कि हमारे 2 डॉक्टर, डॉ. मुजम्मिल और डॉ. शाहीन सईद हिरासत में हैं। उनकी ड्यूटी के अलावा यूनिवर्सिटी का इनसे कोई संबंध नहीं है। यूनिवर्सिटी के अंदर किसी भी तरह का केमिकल या विस्फोटक स्टोर नहीं हुआ। हमारी लैब का इस्तेमाल सिर्फ MBBS स्टूडेंट्स को पढ़ाने और ट्रेनिंग देने के लिए होता है। हर काम कानून के हिसाब से किया जाता है। उधर, फरीदाबाद क्राइम ब्रांच के ACP वरुण दहिया के नेतृत्व में टीमें बुधवार को फिर अल-फलाह यूनिवर्सिटी और डॉ. मुजम्मिल के ठिकानों पर पहुंची। टीम ने धौज गांव में मुजम्मिल के मकान मालिक से भी पूछताछ की। दिल्ली से भी केंद्रीय जांच टीमें यूनिवर्सिटी पहुंचीं। दिल्ली ब्लास्ट केस से जुड़ी दूसरी गाड़ी भी मिलीकेंद्र सरकार ने दिल्ली कार ब्लास्ट को आतंकी हमला माना है। साथ ही जांच एजेंसियों को कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। दिल्ली पुलिस को इस मामले में एक लाल रंग की ईको स्पोर्ट्स कार के शामिल होने की भी जानकारी मिली है। फरीदाबाद पुलिस ने इसे राउंड अप भी कर लिया है। फरीदाबाद पुलिस के प्रवक्ता यशपाल सिंह ने बताया कार खंदावली गांव के पास खड़ी मिली। गांव वालों के मुताबिक, कार मंगलवार शाम से यहां खड़ी थी। पुलिस ने कार वाले इलाके को सील कर दिया है। मौके पर पहुंचकर NIA और NSG समेत केंद्रीय एजेंसियां ने इसकी जांच की। गांव से एक व्यक्ति को हिरासत में भी लिया गया है। ये गाड़ी दिल्ली ब्लास्ट में मारे गए आतंकी डॉ. उमर उन नबी के नाम पर रजिस्टर्ड है।.................. ये खबर भी पढ़ें... दिल्ली ब्लास्ट-कौन है डॉक्टरों का ब्रेनवॉश करने वाला मौलवी इरफान दिल्ली में लाल किले के पास कार में हुए ब्लास्ट के तार पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर तक पहुंच रहे हैं। भारत में आतंकी हमलों के लिए 3-4 महीनों से साजिश रची जा रही थी। इसके पीछे आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा शामिल थे। खुफिया एजेंसियों को इसके संकेत PoK में आतंकियों के इंटरसेप्ट कम्युनिकेशन से मिले हैं। पढ़िए पूरी खबर...
’अमेरिका पहुंचने में मुझे पूरे तीन महीने लग गए। इस दौरान डेढ़ महीने जंगल में रहा। वहां खाने-पीने के लिए कुछ नहीं था, भूखे पेट रातें गुजारीं। घरवालों ने अमेरिका भेजने के लिए जमीन बेची और 55 लाख रुपए खर्च कर दिए। बॉर्डर तक पहुंचने के बाद हमें लौटा दिया गया।’ अमेरिका से डिपोर्ट होकर 25 अक्टूबर को दिल्ली पहुंचे करनाल के रिदम ने 11 महीने कैद में गुजारे। ऐसे ही करनाल के गुरप्रीत (बदला हुआ नाम) अमेरिका में एक साल से ज्यादा समय तक जेल में रहे। फिर हाथ-पैर में बेड़ियां डालकर भारत डिपोर्ट कर दिए गए। वे भी डंकी रूट से अमेरिका पहुंचे थे। गुरप्रीत का कहना है कि वो किसी को सलाह नहीं देंगे कि ऐसे अमेरिका या कहीं भी जाए।’ अमेरिका में डोनाल्ड ट्रम्प के दोबारा प्रेसिडेंट बनने के बाद अवैध प्रवासियों के खिलाफ एक्शन जारी है। तब से अब तक ढाई हजार से ज्यादा भारतीयों को अमेरिका से वापस भेजा जा चुका है। अमेरिका से डिपोर्ट हो रहे ज्यादातर लोग हरियाणा, पंजाब और गुजरात के हैं। पिछले महीने हरियाणा के 54 लोगों को अमेरिका से डिपोर्ट किया गया है। ये सभी अवैध तरीके से अमेरिका पहुंचे थे। इनमें ज्यादातर कैथल और करनाल के हैं। हमने डिपोर्ट हुए इनमें से कुछ लोगों से बात की। हालांकि पहचान जाहिर होने के डर से लोग बात करने से बचते दिखे। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… पहले डिपोर्ट हुए परिवारों की बात...डेढ़ महीने जंगल में रहा, 3 महीने बाद अमेरिका पहुंचासबसे पहले हम करनाल के रिदम के घर पहुंचे। उन्होंने 12वीं तक पढ़ाई और एक साल का कंप्यूटर कोर्स किया है। अमेरिका जाने से पहले ITI से एक कोर्स कर रहे थे। इसी बीच एजेंट के संपर्क में आए और अमेरिका जाने का फैसला किया। एजेंट रिदम का रिश्तेदार है और घटना के बाद से फरार है। तीन महीने की मुश्किल यात्रा के बाद वो अमेरिकी बॉर्डर पहुंचे, लेकिन वहीं गिरफ्तार कर लिए गए। अब भारत लौटने के बाद रिदम और उनके पिता सुरेश ने एसपी ऑफिस में एजेंट के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। रिदम ने मीडिया से बताया, मैं 6 अगस्त 2024 को दिल्ली से अमेरिका के लिए निकला था। वहां तक जाने में मुझे पूरे तीन महीने लग गए। इस दौरान डेढ़ महीने जंगल में रहा। वहां खाने-पीने के लिए कुछ नहीं था, न एजेंट ने प्रोवाइड कराया। घर से पैसे मंगवाकर दिन काटे। ‘एजेंट ने बोला था कि लीगल रास्ते से भेजेगा, कोई दिक्कत नहीं होगी, लेकिन डंकी रूट से भेज दिया। आधे रास्ते बाद जब पता चला तो बीच में रुक भी नहीं सकते थे।‘ रिदम 2 अक्टूबर को अमेरिका से डिपोर्ट होकर भारत लौटे। इस दौरान उनके साढ़े 55 लाख रुपए खर्च हो गए। रिदम और उनका परिवार इंसाफ की मांग कर रहा है। जमीन बेचकर 55 लाख रुपए दिए, फ्रॉड बाजी कर डंकी रूट से भेजाकरनाल के कतलाहेरी गांव में घर पर मिले रिदम के पिता सुरेश कुमार इन सबके लिए एजेंट को जिम्मेदार ठहराते हैं। पेशे से सुरेश किसान हैं। वे बताते हैं, ‘उसकी (रिदम) यहां से पहले इथोपिया के लिए फ्लाइट थी। वहां से वो बोलिविया, पेरू, पनामा, कोस्टा रिका होते हुए मेक्सिको तक पहुंचा था। आधे रास्ते में ही उसे डंकी रूट में डाल दिया गया था। कहीं टैक्सी, कहीं बस, कहीं नाव और जंगलों के बीच होते हुए तीन महीने बाद 2 नवंबर 2024 को वो अमेरिकी सीमा पर पहुंचा, लेकिन गिरफ्तार कर लिया गया।’ ’इसके बाद करीब 6 महीने उसे मिसीसिपी के डिटेंशन सेंटर में रखा गया। फिर लुइसियाना के डिटेंशन सेंटर भेज दिया। यानी पिछले महीने डिपोर्ट होने से पहले वो 11 महीने तक हिरासत में रहा।’ एजेंट को कितने पैसे दिए थे। इस पर सुरेश बताते हैं, ’वहां मेरे बेटे को स्टोर, पेट्रोल पंप या रेस्टोरेंट वगैरह में काम मिलता। शुरू में हमने पासपोर्ट के साथ 2 लाख रुपए दिए थे। इसके बाद इथोपिया पहुंचने पर हमने एजेंट को 14 लाख रुपए दिया। फिर आगे बढ़ने पर 14 लाख रुपए और दिए। इस तरीके से बारी-बारी से हमने कुल साढ़े 55 लाख रुपए दिए थे।’ ’हमने डेढ़ एकड़ जमीन बेच दी। सिर्फ इसलिए कि वहां जाकर बेटे का भविष्य बन जाएगा, लेकिन हमारे साथ फ्रॉड बाजी हो गई।’ सुरेश ने तीन एजेंट - विनोद कुमार, प्रवीण कुमार और कुलदीप कुमार के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई है। हालांकि सुरेश खुद को खुशकिस्मत मानते हैं कि उनका बेटा कम से कम सही सलामत वापस आ गया। वे लोगों से अपील भी करते हैं कि कोई डंकी रूट के जरिए अमेरिका या कहीं और न जाएं। इसका अंजाम जो हुआ, वो सबके सामने हैं। डंकी रूट जानकर गए, एजेंट के फंसाने की बातें बेबुनियाद25 अक्टूबर को भी अमेरिका से डिपोर्ट होकर कई लोग भारत आए। इनमें 54 लोग हरियाणा के थे। ये सभी डंकी रूट से अमेरिका गए थे। ज्यादातर करनाल और कैथल जिले के रहने वाले हैं। हमने करनाल के 16 और कैथल के 14 लोगों से बात करने की कोशिश की, लेकिन कोई कैमरे पर आने को राजी नहीं हुआ। हम कई लोगों के घर भी गए, लेकिन किसी ने बात नहीं की। करनाल में लोकल जर्नलिस्ट बताते हैं, ‘लोग बदनामी के कारण अब खुलकर नहीं बोलते हैं। दूसरा फैक्टर ये भी है कि उन्हें एजेंट कुछ रकम लौटाने का भरोसा दे देते हैं। इस वजह से भी वो कैमरे पर नहीं आना चाहते। ये कहना कि एजेंट ने फंसा दिया, ये पूरी तरह से गलत है।‘ ‘उन्हें पहले से पता होता है कि उन्हें किस रास्ते भेजा जा रहा है। उन्हें वीजा मिल नहीं पाता या वो वीजा के लिए क्वालिफाइड नहीं होते हैं इसलिए डंकी रूट का ही विकल्प चुनते हैं। एजेंट बस ये काम करते हैं कि लोगों को इन्हीं अवैध रास्तों के जरिए अमेरिका भेजने का भरोसा दिला देते हैं। फिर इन्हें इनके हाल पर छोड़ देते हैं। डंकी रूट से गया और डिपोर्ट हो गया, दोबारा अमेरिका जाऊंगा इसके बाद हम डिपोर्ट हुए करनाल के 16 लोगों में शामिल एक युवक के गांव पहुंचे। 24 साल के जसमीत (बदला हुआ नाम) ने कैमरे पर बात करने से मना कर दिया। ऑफ द रिकॉर्ड बातचीत में जसमीत कहते हैं, ‘ये बहुत सामान्य बात है। वहां हम डंकी रूट से गए और डिपोर्ट कर दिए गए। ये मीडिया के लिए मसाला है। कोई इन चीजों के बारे में सच्चाई नहीं बताएगा। यहां से लोग जाते ही रहते हैं। मैं 2020 में भी डंकी लगाकर ही अमेरिका गया था। फिर अमेरिका जाऊंगा। जब जिंदगी में कामयाब हो जाऊंगा, तब मेरी स्टोरी करना। बिना कामयाब हुए कोई स्टोरी नहीं है।‘ जसमीत के एक फैमिली मेंबर बताते हैं, परिवार ने उसे अमेरिका भेजने के लिए 60 लाख रुपए खर्च किए थे। करीब 5 महीने की जर्नी के बाद वो वहां पहुंचा था, वहां उसे बेड़ियों में रखा गया। वो करीब 4 महीने डिटेंशन सेंटर में रहा। करनाल के गुरप्रीत (बदला हुआ नाम) ने पहचान जाहिर न करने की शर्त पर बताया कि वो डिपोर्ट होने से पहले 14 महीने अमेरिकी डिटेंशन सेंटर में रहे। वो बताते हैं, ‘मैंने अमेरिका जाने के लिए जमीन बेच दी और करीब 57 लाख रुपए खर्च किए। पिछले साल जनवरी में अमेरिका के लिए निकला था, लेकिन डंकी रूट से दो महीने से भी ज्यादा समय में पहुंचा। मैं एक साल से भी ज्यादा समय तक जेल में रहा। डिपोर्ट होने के दौरान हम सबके हाथों में बेड़ियां लगाई गई थीं। मैं किसी को नहीं बोलूंगा कि कोई इस तरह अमेरिका जाए।’ ग्वाटेमाला में बेटे का मर्डर हुआ, एजेंट्स को फांसी होकैथल जिले के रहने वाले 18 साल के युवराज भी पिछले साल डंकी रूट से अमेरिका जा रहे थे, लेकिन पहुंच नहीं सके। परिवार वालों को अब पता चला है कि डॉनकरों ने लैटिन अमेरिकी देश ग्वाटेमाला में युवराज की हत्या कर दी है। पिता कुलदीप सिंह बेटे की मौत की खबर मिलने के बाद से हताश हैं और आरोपी एजेंट्स के लिए फांसी की मांग कर रहे हैं। युवराज ने 2023 में 12वीं पास की थी। पिता चाहते थे कि वो अमेरिका जाकर अच्छा कमाए। युवराज ने 13 अक्टूबर 2024 को देश छोड़ा था। एजेंट ने परिवार को भरोसा दिलाया था कि वो हर महीने वहां 4-5 लाख रुपए कमा लेगा। कैथल के मोहना गांव में हम युवराज के पिता कुलदीप सिंह से मिले। वे बताते हैं, ‘एजेंट ने बोला था कि बेटे को लीगल तरीके से अमेरिका भेजेंगे, लेकिन आधे रास्ते में उन्होंने डंकी रूट पर शिफ्ट कर दिया। यहां से उसे गुयाना ले जाया गया, लेकिन ब्राजील से डंकी रूट शुरू हो गया था। कभी टैक्सी, कभी जंगल और कभी नाव के सहारे वो आगे बढ़ा। एजेंट जैसा बोलता गया, हम वैसा कर रहे थे।‘ ‘19 दिसंबर 2024 को ग्वाटेमाला में मेरे बेटे को किडनैप कर लिया गया। उसे मारा-पीटा गया और 20 हजार डॉलर (करीब साढ़े 17 लाख रुपए) की डिमांड की गई। उन्होंने हमें बेटे का एक वीडियो भी भेजा था। हालांकि एजेंट ने हमसे तब भी कहा कि उसकी डॉनकर से बात हो गई है, आगे कोई दिक्कत नहीं होगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।‘ एजेंट्स ने पैसे दे दिए होते तो बेटा आज जिंदा होताकुलदीप बताते हैं, ‘पिछले सात-आठ महीने से बेटे का कुछ पता नहीं चल रहा था। फिर अभी कुछ दिन पहले मेरे पास डॉनकर्स का फोन आया। कहा कि 5 हजार डॉलर भेज दो तो बच्चे का पता लगा देंगे। हमने 1500 डॉलर में डील फाइनल की।‘ ‘तब उसने बताया कि मेरे बेटे युवराज की मौत हो गई है। जब हमने 1000 डॉलर और भेजा तो उन्होंने बेटे की डेड बॉडी की फोटो और डेथ सर्टिफिकेट भेजा।‘ कुलदीप कहते हैं कि अगर एजेंट ने पैसे दे दिए होते तो युवराज आज जिंदा होता। एजेंट ने अमेरिका भेजने के नाम पर कितनी रकम ली। इस पर कुलदीप बताते हैं कि एजेंट ने कहा था कि कुल 41 लाख रुपए लगेंगे और अमेरिका पहुंचने के बाद ही पूरे पैसे देने होंगे। बेटा अभी रास्ते में ही था तभी एजेंट ने परेशान करना शुरू कर दिया। पहले 16 लाख रुपए लिए और जब बेटा किडनैप हुआ तो 8 लाख रुपए और मांग लिए। युवराज को भेजने में तीन एजेंट शामिल थे। कुलदीप कहते हैं कि पुलिस को अगर किडनैपिंग की बात पहले बताते तो ये एजेंट पकड़े जाते और उनका बेटा भी नहीं मिलता। इसलिए वे रुक गए। अब जब कई महीनों तक बेटे के बारे में पता नहीं चला, तब मार्च में उन्होंने एजेंट के खिलाफ केस दर्ज करवाया। वे एजेंट्स के लिए फांसी की सजा की मांग करते हैं ताकि किसी और मां-बाप के साथ ऐसा न हो। भारतीय को ईरान में किडनैप करके पीटा गयाइसके बाद हम करनाल के जांबा गांव पहुंचे। यहां रह रहा ऋतिक का परिवार पुलिस और अधिकारियों के चक्कर लगा रहा है। ऋतिक पास के एक गांव दादुपुर के रहने वाले पवन के साथ 22 अक्टूबर को स्पेन के लिए निकला था। ईरान में डॉनकर ने उसे बंधक बना लिया। वो 20 लाख रुपए की मांग कर रहे हैं। दोनों का एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें उन्हें नंगा करके पीटा जा रहा है। जांबा गांव में हम ऋतिक के घर पहुंचे। तब पता चला कि उनकी मां, भाई और घर के बाकी सदस्य करनाल एसपी ऑफिस गए हुए थे। ऋतिक के पिता ने बताया कि बेटे ऋतिक मामले में पत्नी ज्यादा बता पाएंगी। हमने फोन पर ऋतिक के भाई से संपर्क करने की कोशिश की तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। बस इतना कहा कि अभी पुलिस मामला देख रही है। जॉब के लिए कोई खास स्किल नहीं, लेकिन ज्यादा कमाने की चाहतपंजाब यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्र के पूर्व प्रोफेसर मनजीत सिंह बताते हैं कि आज की तारीख में खेती घाटे का सौदा हो गई है। पंजाब और हरियाणा पहले इसी पर टिका हुआ था। इसलिए अब किसानों के आंदोलन भी बढ़े हैं। वहां के बच्चे मौजूदा स्थिति से आगे बढ़ना चाहते हैं। मनजीत कहते हैं, ‘जो लोग जा रहे हैं, उनमें न तो कोई खास स्किल है, न ही उन्होंने कोई ऐसी एजुकेशन ली है। यहां उनकी स्किल के हिसाब से कोई खास रोजगार के मौके नहीं हैं। इसलिए वे यहां से निकलना चाहते हैं ताकि बेहतर जिंदगी जी सकें। वे बाहर जाकर मजदूरी, ट्रक ड्राइवर या दूसरे काम करने को तैयार हैं ताकि यहां के मुकाबले ज्यादा पैसे कमा सकें और इसीलिए जोखिम भी उठा रहे हैं।‘ चंडीगढ़ के इंस्टीट्यूट फॉर डेवलपमेंट एंड कम्युनिकेशन (IDC) में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सुची कपूरिया माइग्रेशन के मुद्दे पर काम कर चुकी हैं। माइग्रेशन के लिए अवैध रास्ता चुनने पर वे कहती हैं, ‘यहां के ग्रामीण इलाकों में युवाओं की एजुकेशन सीमित है। वे अंग्रेजी में काम या बात नहीं कर सकते हैं। वे खुद फॉर्म तक नहीं भर सकते हैं। इसलिए अवैध रास्ता चुनते हैं।‘ ‘उनकी इच्छा अच्छी लाइफस्टाइल जीने की है, लेकिन उस हिसाब से यहां काम नहीं है। उन्हें लगता है कि अगर मजदूरी ही करनी है तो बाहर जाकर क्यों न की जाए, जहां वे डॉलर में कमा सकेंगे।‘ लाखों रुपए खर्च करने वाले ये लोग खुद का काम क्यों नहीं कर सकते? इस पर डॉ. कपूरिया कहती हैं, ‘बिजनेस हर किसी के बस की बात नहीं है। हर कोई किराने की दुकान नहीं खोल सकता। वो आसान काम नहीं है। एक चीज ये भी है कि इन लोगों ने अपने रिश्तेदारों, जानकारों को ऐसे ही आगे बढ़ते देखा है।‘ पुलिस ने कहा- एजेंट्स के खिलाफ एक भी शिकायत नहींकैथल की एसपी उपासना बताती हैं कि अभी तक डिपोर्ट हुए लोगों में किसी ने एजेंट के खिलाफ कोई शिकायत दर्ज नहीं करवाई है। अगर शिकायत आएगी तो पुलिस इसके खिलाफ कार्रवाई करेगी। ग्वाटेमाला में युवराज की मौत के मामले में एसपी का कहना है, ‘इस मामले में पहले ही तीन लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं। हरियाणा पुलिस इंटरपोल के जरिए वेरिफाई करने की कोशिश कर रही है कि डेथ सर्टिफिकेट सही है या नहीं। अगर वो सही है तो हम बॉडी वापस लाने की कार्रवाई करेंगे क्योंकि वहां की सरकार की तरफ से कोई जवाब अभी नहीं आया है। इसके लिए एंबेसी की मदद ली जा रही है।‘ करनाल एसपी गंगाराम पुनिया ने बताया कि अवैध तरीके से विदेश भेजने को लेकर जो भी शिकायतें मिली हैं, उन मामलों में तुरंत केस दर्ज कर कार्रवाई की जा रही है। ईरान में बंधक बनाए गए युवकों के मामले में विदेश मंत्रालय के साथ पत्राचार किया गया है। इंटरपोल से भी मदद मांगी गई है। अवैध गतिविधियों में शामिल वीजा एजेंट्स के खिलाफ भी सबूत जुटाए जा रहे हैं। आगे केस दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी।.................. ये खबर भी पढ़ें... सऊदी में ड्राइवर की नौकरी देकर कचरा उठवाया-बकरी चरवाई 59 साल की सूरजकली बेटे राजीव की फोटो देखकर भावुक हो जाती हैं। राजीव मई 2023 में सऊदी अरब में ड्राइवर की नौकरी करने गए थे, लेकिन वहां वो कफाला सिस्टम का शिकार हो गए। उन पर धोखाधड़ी का केस दर्ज हुआ। वे रियाद में 3 साल कैद की सजा काट रहे। उन पर 18 लाख रुपए जुर्माना भी लगा है। ये कहानी सिर्फ राजीव की ही नहीं है। सऊदी में कफाला सिस्टम के शिकार बन चुके तमाम भारतीयों की है। पढ़िए पूरी खबर..
Russia Robot: सबके सामने हो गई फजीहत, चलते-चलते अचानक गिरा रूस का AI रोबोट, वीडियो वायरल
Russia Robot:घटना के बाद रोबोट के डेवेलपर्स ने उसे लोगों की आंखों के आगे से हटा दिया. अब इंजीनियर्स उसके बैलेंस सिस्टम और कंट्रोल सॉफ्टवेयर्स की जांच कर रहे हैं. रूस की रोबोटिक्स फर्म आइडल के सीईओ व्लादिमीर वितूखिन ने कहा, उम्मीद है कि इस गलती से हमें सीख मिलेगी.
क्रूज शिप का खुशनुमा सफर बन गया आखिरी, 18 साल की लड़की की रहस्यमयी हालात में मौत
नवंबर 2025 के पहले हफ्ते में 18 साल की यंग स्टूडेंट की क्रूज शिप में रहस्यमयी हालात में मौत हो गई, जिसकी जांच अमेरिकी एजेंसी एफबीआई ने अपने हाथों में ले ली है.
सऊदी अरब में मूसलाधार बारिश और तूफान, सड़कों पर भरा पानी, रेंगती दिखी गाड़ियां
सऊदी अरब एक सूखा इलाका है, लेकिन यहां पर आई तूफानी बारिश ने अचानक माहौल बदल दिया. सड़कों पर बारिश का पानी भर गया, जिससे ट्रैफिक की आवाजाही पर असर पड़ा.
Benjamin Netanyahu Latest News: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इजरायल के राष्ट्रपति इसाक हर्जोग को चिट्ठी लिखी है. इस चिट्ठी में उन्होंने पीएम बेंजामिन नेतन्याहू को भ्रष्टाचार केस में माफ कर देने का आग्रह किया है.
एपस्टीन के लीक ईमेल से US में मचा हंगामा, डेमोक्रेट्स का दावा लड़कियों के बारे में सब जानते है ट्रंप
USA: डेमोक्रेट्स ने कुछ ईमेल जारी किए हैं जो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और दोषी ठहराए गए यौन अपराधी जेफरी एपस्टीन के बीच संबंधों को लेकर नए सवाल खड़े करते हैं. द न्यू यॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, इन संदेशों में एपस्टीन ने दावा किया है कि ट्रंप ने अपनी एक पीड़िता के साथ मेरे घर पर घंटों बिताए और लड़कियों के बारे में जानते थे.
Peru Holes: पहाड़ पर कहां से आए 5200 रहस्यमयी गड्ढे? 100 साल पुरानी मिस्ट्री पर हैरतअंगेज खुलासा
Peru Holes:रिसर्चर्स ने स्टडी में बताया है कि ये गड्ढे इंका से पहले के मार्केटप्लेस का हिस्सा थे, और बाद में यह टैक्स वसूलने के एक अकाउंटिंग सिस्टम में बदल गया. यह जगह 'छेदों का समूह' के नाम से भी मशहूर है.
इस मुस्लिम बहुल देश में किया LGBTQ का प्रचार तो लगेगा तगड़ा जुर्माना, खानी पड़ेगी जेल की हवा
Kazakhstan LGBTQ: कजाख राष्ट्रपति कासिम-जोमार्ट तोकायेव ने हाल के महीनों में बार-बार 'पारंपरिक मूल्यों' को बनाए रखने की जरूरत पर जोर दिया है. ये बिल कानून का रूप तभी लेगा जब इस पर उनके दस्तखत होंगे. सांसदों ने सर्वसम्मति से बैन के पक्ष में वोट किया.
America- Venezuela Conflict: अमेरिका और वेनेजुएला के बीच लगातार तनाव बढ़ते जा रहा है. इसको लेकर दोनों देशों ने अपनी सेना को एक्टिव कर दिया है.
पाकिस्तान में बुधवार को खैबर पख्तूनख्वा के स्वात में एक बम धमाका हुआ। अवामी नेशनल पार्टी नेता मुमताज अली खान की गाड़ी के पास विस्फोट किया गया। इस हमले में खान बाल-बाल बच गए उन्हें कोई नुकसान नहीं हुआ
ट्रंप ने एच-1बी वीजा में किया बड़ा बदलाव, कहा- अमेरिका को विदेशी प्रतिभाओं की जरूरत
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एच-1बी वीजा प्रोग्राम का बचाव करते हुए कहा कि अमेरिका को कुछ खास उद्योगों के लिए विदेशी प्रतिभा की जरूरत है
ऑस्ट्रेलिया : केबिन में धुआं निकलने के कारण क्वांटास विमान की करानी पड़ी इमरजेंसी लैंडिंग
दक्षिण ऑस्ट्रेलिया से राष्ट्रीय राजधानी कैनबरा जा रहे क्वांटास के एक विमान को बुधवार सुबह उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद केबिन में धुआं निकलने के कारण आपातकालीन लैंडिंग करानी पड़ी
अवामी लीग ने किया 'ढाका लॉकडाउन' का ऐलान, पुलिस बोली 'नियंत्रण में सब कुछ'
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग (एएल) ने ढाका लॉकडाउन का ऐलान किया है। गुरुवार को होने वाले संभावित बंद पर पुलिस प्रशासन की कड़ी नजर है
Droupadi Murmu Botswana Visit: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू बोत्सवाना पहुंच गई हैं.राजधानी गाबोरोन में औपचारिक स्वागत समारोह के साथ अपने ऐतिहासिक राजकीय दौरे की शुरुआत की.बोत्सवाना अफ्रीका के सबसे खुशहाल देशों में से है. बोत्सवाना का लगभग 70 फीसद हिस्सा कालाहारी रेगिस्तान से ढका हुआ है. चलिए जानते हैं यहां के इतिहास के बारे में.
भूटान के राजा वांगचुक ने दिल्ली धमाके में हुई जान-माल की हानि पर संवेदना व्यक्त की
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय भूटान यात्रा पर हैं। इसी क्रम में पीएम मोदी ने थिम्पू में भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक के साथ बातचीत की
ढाई महीने से आंखों में खुजली झेल रही महिला की पलकों पर 250 से ज्यादा जूं और 85 अंडे मिले. डॉक्टर्स ने इसे रेयर बीमारी ‘फ़्थिरियासिस पैल्पेब्रारम’ बताया. लेकिन जुएं पलकों तक कैसे पहुंचीं और इसका इलाज क्या है, जानने के लिए ऊपर दी गई इमेज पर क्लिक कर देखें वीडियो...
पिछले 30 दिनों में भारत की एजेंसियों ने आतंकी मॉड्यूल पर 7 बड़े वार किए। कोई इंजीनियर था, कोई मौलवी, तो कोई डॉक्टर। जम्मू-कश्मीर के एक पोस्टर से शुरू हुई यह कहानी फरीदाबाद के क्लिनिक तक पहुंची। करीब 2900 किलो विस्फोटक भी जब्त किया गया, लेकिन आखिरी अहम कड़ी तक पहुंचते, उससे पहले ही दिल्ली के लालकिले के करीब ब्लास्ट हो गया। भास्कर एक्सप्लेनर में इससे जुड़े 5 जरूरी सवालों के जवाब… सवाल-1: जांच एजेंसियों ने 1 महीने में कैसे रोके 7 बड़े आतंकी हमले? जवाब: बीते ठीक 1 महीने के अंदर सुरक्षा एजेंसियों ने देश भर में अलग-अलग 7 ठिकानों से संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया। इनके पास से भारी मात्रा में विस्फोटक और हथियार बरामद हुए… 1. 15 सितंबर: सहारनपुर से आतंकी गिरफ्तार 2. 9 अक्टूबर: पंजाब से दो आतंकी पकड़े गए 3. 17 अक्टूबर: जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े दो संदिग्ध गिरफ्तार 4. 24 अक्टूबर: दिल्ली से ISIS के 2 आतंकी पकड़े गए 5. 28 अक्टूबर: अल-कायदा से जुड़ा इंजीनियर 6. 7 नवंबर: टीटीपी से संबंध में एक मौलवी गिरफ्तार 7. 9 नवंबर: अहमदाबाद से ISIS के 3 आतंकी गिरफ्तार इनके अलावा जम्मू-कश्मीर में एक पोस्टर से सुरक्षा एजेंसियों को क्लू मिला, जिसके बाद उत्तर प्रदेश के लखनऊ तक तीन प्रमुख आतंकी पकड़े गए, जो पेशे से डॉक्टर्स थे। डॉक्टर्स का ये आतंकी मॉड्यूल पूरे देश में अमोनियम नाइट्रेट के बम से हमले को अंजाम देने की फिराक में था। सवाल-2: एक पोस्टर से कैसे पकड़ा गया डॉक्टर्स का आतंकी मॉड्यूल? जवाब: 10 नवंबर को दिल्ली में धमाके से पहले हरियाणा के फरीदाबाद में 360 किलो विस्फोटक मिलने से पहले जम्मू-कश्मीर के नौगांव में एक पोस्टर दिखाई दिया था, जिससे पूरी साजिश का खुलासा हुआ… जांच के मुताबिक ये मॉड्यूल 2021-22 में बनना शुरू हुआ था। शुरुआत में एक हाशिम नाम का व्यक्ति लोगों को इकट्ठा कर रहा था। उसके बाद कश्मीर घाटी में डॉ. उमर ने मॉड्यूल को लीड किया। इस मॉड्यूल का मकसद IED बनाना और देश भर में आतंकी हमले करना था। ये लोग लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और अंसर गजवात-उल-हिंद (AGuH) जैसे आतंकी संगठनों से जुड़कर अपनी खुद की एक तंजीम यानी आतंकी संगठन भी बनाना चाह रहे थे। आदिल की गिरफ्तारी के बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस ने हरियाणा के फरीदाबाद से उत्तर प्रदेश के लखनऊ तक 15 दिन अभियान चलाकर 2900 किलो विस्फोटक (संदिग्ध अमोनियम नाइट्रेट) जब्त किया। सवाल-3: अगर 2900 किलो विस्फोटक फटता तो कितनी तबाही होती? जवाब: 2900 किलो अमोनियम नाइट्रेट का बम 2.3 टन के TNT बम के बराबर धमाका करेगा। अगर आतंकी इतने बारूद को एक साथ किसी जगह पर ब्लास्ट कर देते, तो 50 मीटर का इलाका पूरी तरह नष्ट हो जाता। अगर भीड़-भाड़ वाले इलाके में धमाका होता, तो सैकड़ों लोगों की जान जा सकती थी। इतने दायरे में 14,400 किमी/घंटा की स्पीड वाली तरंगें लोगों के फेफड़े फाड़ देतीं। इतने विस्फोटक से 150 मीटर तक के दायरे में इमारतों की दीवारें ढह सकती हैं। करीब 400 मीटर इमारतों में लगे कांच टूट सकते हैं और करीब 800 मीटर तक तेज कंपन महसूस हो सकता है। 1995 में अमेरिका के ओक्लाहोमा सिटी में करीब 1800 किलो अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल किया गया था। इसमें 168 लोगों की जान गई थी और 600 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। अगर आतंकियों के इकट्ठा किए हुए 2900 किलो अमोनियम नाइट्रेट में एक साथ विस्फोट होता, तो ओक्लाहोमा बॉम्बिंग से दोगुना बड़ा हादसा होता। सवाल-4: दिल्ली ब्लास्ट रोकने में चूक कैसे हो गई? जवाब: अभी तक इसे लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन विपक्षी नेता और जानकार कई लेवल की चूक बता रहे हैं… 1. कई बार बिकी ब्लास्ट वाली कार, चालान भी कटा लाल किले के पास जिस कार में ब्लास्ट हुआ, वह हरियाणा नंबर की i20 थी। कार हरियाणा के गुरुग्राम में सलमान के नाम पर रजिस्टर्ड थी। सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक ये कार बार-बार बेची गई। इसकी RC पर नाम मोहम्मद सलमान और तारीख 18 मार्च 2014 लिखी है। इससे पहले ये कार साउथ कश्मीर के पुलवामा के समबोरा गांव में रहने वाले तारिक को बेची गई थी। एक फोटो सामने आई है, जिसमें कार के साथ एक शख्स दिखाई दे रहा है। इसके तारिक होने का दावा किया जा रहा है। फरीदाबाद के तिकोना पार्क में 20 सितंबर, 2025 को गलत जगह पार्किंग करने पर इस कार का 1500 रुपए का चालान कटा था। ये जगह डॉ. मुजम्मिल शकील के घर से सिर्फ 25 किमी दूर है। इस बीच कार सवार पकड़े जाने से बचते रहे और विस्फोटक दिल्ली तक पहुंच गया। 2. भारी मात्रा में विस्फोटक इकट्ठा होता रहा हरियाणा में मौलवी के घर से 2500 किलो विस्फोटक बरामद हुआ। कुल विस्फोटक कितना था और किन रास्तों से इकट्ठा किया गया, इसकी पूरी छानबीन नहीं हो पाई है। अमोनियम नाइट्रेट जैसे खतरनाक केमिकल को बिना लाइसेंस नहीं खरीदा जा सकता। इसके बावजूद आतंकी भारी मात्रा में इसे इकट्ठा करते रहे। हाई अलर्ट के बावजूद विस्फोटक की पूरी खेप पकड़ी नहीं जा सकी और दिल्ली तक विस्फोटक पहुंच गया। हालांकि अभी साफ नहीं है कि दिल्ली जैसे हाई-सिक्योरिटी वाले इलाके में जो विस्फोटक पहुंचा, उसका सोर्स फरीदाबाद मॉड्यूल से है या नहीं, जहां से 360 किलो अमोनियम नाइट्रेट जब्त किया गया था। 3. तीन घंटे कार पार्किंग में रही, कार चला रहा उमर नहीं पकड़ा गया पुलिस के मुताबिक कार में बैठे शख्स का नाम डॉ. मोहम्मद उमर नबी है। वह पुलवामा का रहने वाला है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक उमर ने विस्फोटकों के साथ खुद को उड़ा लिया। सीसीटीवी फुटेज के मुताबिक, कार लाल किले के पास सुनहरी मस्जिद पार्किंग में तीन घंटे रुकी। कई फुटेज खंगाले गए, लेकिन अभी तक चेकिंग से जुड़ा कोई सुराग नहीं मिला है। कहा जा रहा है कि उमर ही धमाके के समय मास्क पहने कार में सवार था। जिसे समय रहते पकड़ा नहीं जा सका। सवाल-5: अभी किन सवालों के जवाब मिलने बाकी हैं? जवाब: दिल्ली ब्लास्ट से जुड़े 6 सवालों के जवाब मिलने अभी बाकी हैं… 1. कौन सा और कितना विस्फोटक इस्तेमाल हुआ: शुरुआती फोरेंसिक जांच से पता चला है कि अमोनियम नाइट्रेट फ्यूल ऑयल (ANFO) के विस्फोटक का इस्तेमाल हुआ, इसका फरीदाबाद में पकड़े गए विस्फोटक से कनेक्शन बताया जा रहा है, लेकिन अभी तक इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। 2. क्या कार में डॉ. उमर के साथ कोई और भी था: माना जा रहा है कि फरीदाबाद मॉड्यूल खुलासे के बाद उमर ने पकड़े जाने के डर से घबरा कर विस्फोट कर दिया। हालांकि अभी डीएनए टेस्ट से इसकी पुष्टि होनी बाकी है। उसके परिवार के 6 सदस्यों को पुलवामा से हिरासत में लिया गया है। 3. हाई-सिक्योरिटी जोन में कार कैसे पहुंची: कार बदरपुर बॉर्डर से फरीदाबाद होते हुए दिल्ली में घुसी, लाल किले तक दो-तीन घंटे रुक-रुक कर चली, लेकिन बिना किसी चेकिंग के कार हाई-सिक्योरिटी चेकपॉइंट्स को पार करते हुए पार्किंग तक पहुंच गई। 4. पार्किंग में तीन घंटे गाड़ी क्यों खड़ी रही: सीसीटीवी फुटेज के आधार पर कहा जा रहा है कि धमाके से पहले डॉ. उमर पार्किंग में कार के अंदर ही बैठा रहा। संदिग्ध या तो किसी का इंतजार कर रहा था या किसी के ऑर्डर का इंतजार कर रहा था। 5. धमाके के पीछे की वजह क्या: लाल किला सोमवार को बंद रहता है, इसलिए भीड़ कम होने पर अंदर घुसना मुश्किल था, लेकिन नेहरू सुभाष मार्ग की रेड लाइट के पास का इलाका चुनने से आतंकियों का मकसद साफ है कि वह ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाना चाहते थे। हालांकि अभी ये पुष्टि नहीं हुई है कि लाल किले जैसी ऐतिहासिक जगह को निशाना बनाने का मकसद कोई विदेशी साजिश है या दिल्ली में दहशत फैलाकर कोई राजनीतिक संदेश देने की कोशिश है। 6. क्या यह आतंकी हमला था: अभी तक किसी आतंकी संगठन ने इसकी जिम्मेदारी नहीं ली है। हमले के पीछे जैश-ए-मोहम्मद का हाथ माना जा रहा है। हालांकि जैश का लिंक संदिग्ध है, क्योंकि जैश पुलवामा जैसे IED हमलों का पैटर्न फॉलो करता है, जिनमें ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाने के लिए विस्फोटक में छर्रे और कीलें मिलाई जाती हैं। जबकि दिल्ली के पुलिस कमिश्नर सतीश गोलचा के मुताबिक, घायलों के शरीर पर पैलेट या छेद के निशान नहीं मिले हैं। ये बम धमाकों में असामान्य है। सभी एंगल से जांच की जा रही है। **** रिसर्च सहयोग: किशन कुमार ---- ये खबर भी पढ़िए... क्या खाद बनाने वाले केमिकल से किया दिल्ली ब्लास्ट:क्या होता है अमोनियम नाइट्रेट फ्यूल ऑयल, ये आसानी से पकड़ में क्यों नहीं आता 10 नवंबर को दिल्ली में लाल किले के पास हुए 'बम धमाके' में ANFO यानी अमोनियम नाइट्रेट फ्यूल ऑयल का इस्तेमाल किया गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सूत्रों ने जांच की शुरुआती रिपोर्ट के हवाले से ये जानकारी दी है। ANFO में विस्फोट करने के लिए डेटोनेटर को मैन्युअली ट्रिगर किया गया। पूरी खबर पढ़िए...
दिल्ली में लाल किले के पास कार में हुए ब्लास्ट के तार पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर तक पहुंच रहे हैं। भारत में आतंकी हमलों के लिए 3-4 महीनों से साजिश रची जा रही थी। इसके पीछे आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा शामिल थे। खुफिया एजेंसियों को इसके संकेत PoK में आतंकियों के इंटरसेप्ट कम्युनिकेशन से मिले हैं। जांच एजेंसियों को पता चला है जैश-ए-मोहम्मद की महिला विंग अक्टूबर से भारत में एक्टिव हो गई थी। इनका मकसद लड़कियों का ब्रेनवॉश करना था। फरीदाबाद से अरेस्ट किए गए तीन डॉक्टर इसी मॉड्यूल का हिस्सा थे। इस मॉड्यूल का दिल्ली ब्लास्ट से लिंक होने के सबूत मिल रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियां इन सबूतों को वेरिफाई कर रही हैं। दैनिक भास्कर के सोर्स बताते हैं कि फरीदाबाद में भारी मात्रा में मिले विस्फोटक से साफ है कि दिल्ली के आसपास बड़े हमले की साजिश थी। इससे जुड़े इनपुट मिलने के बाद खुफिया एजेंसियों ने PoK में चल रही एक्टिविटी को इंटरसेप्ट किया। आखिर पुलिस इस नेटवर्क तक पहुंच गई। इसकी शुरुआत कश्मीर के नौगाम से हुई। इसी दौरान पुलिस मौलवी इरफान अहमद तक भी पहुंची, जिसने डॉक्टरों को ब्रेनवॉश किया था। सुरक्षा एजेंसियों को पता चला है कि आतंकी संगठन भारत में पुराने नेटवर्क को PoK से एक्टिव करने की कोशिश कर रहे हैं। PoK में आतंकियों की मीटिंग, तीन बातों पर फोकससोर्स बताते हैं कि अगस्त से अक्टूबर के बीच PoK में आतंकियों के अलग-अलग गुटों की हाई लेवल मीटिंग हुई थी। इसमें जमात-ए-इस्लामी के अलावा ISI के सीनियर अफसर शामिल थे। इनकी बातचीत को भारत की खुफिया एजेंसियों ने इंटरसेप्ट किया था। इन मीटिंग में 3 बड़ी बातें हुई थीं। 1. भारत में एक्टिव रहे आतंकी ग्रुप पिछले कुछ साल में निष्क्रिय हो गए हैं। इसकी वजह फंडिंग की कमी और कमांड न मिलना है। ऐसे ग्रुप को फंडिंग करके दोबारा एक्टिव करना। 2. आतंकी कैंपों में ट्रेनिंग ले चुके पूर्व कमांडरों को फिर से काम पर लगाना। उन्हें ट्रेनिंग के दौरान पैसे मिलते थे। इसके बाद भी हर महीने वजीफा दिया जाता था। इसे फिर से शुरू करना। 3. भारत में स्लीपर सेल को एक्टिव करना। फिदायीन हमले के लिए भारत के लोगों का ब्रेनवॉश करना। डॉक्टर मॉड्यूल पुराना, दोबारा एक्टिव होने का शकसोर्स बताते हैं कि PoK में हुई मीटिंग के बाद पुराने स्लीपर सेल को एक्टिव किया गया। शक है कि फरीदाबाद की अलफलाह मेडिकल यूनिवर्सिटी से पकड़े गए डॉ. मुजम्मिल और उसकी दोस्त डॉ. शाहीन भी पुराने नेटवर्क से जुड़े हैं। डॉ. उमर और डॉ. आदिल भी इसी नेटवर्क से जुड़े थे। उन्हें पिछले कुछ महीनों से एक्टिव कर दिया गया। उसके बाद ही वे अलग-अलग जगहों से विस्फोटक जमा कर रहे थे। डॉ. शाहीन जैश-ए-मोहम्मद की महिला विंग जमात उल मोमिनीन का काम संभाल रही थी। उसके पास लड़कियों का ब्रेनवॉश कर नेटवर्क में शामिल करने की जिम्मेदारी थी। डॉक्टर मॉड्यूल के अहम किरदार आदिल मोहम्मद कश्मीर के कुलगाम का रहने वाला है। अनंतनाग के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में सीनियर डॉक्टर रहा है। वो 24 अक्टूबर तक पोस्टेड रहा। फिर गायब हो गया। पुलिस के मुताबिक, उसने 27 अक्टूबर को श्रीनगर में जैश-ए-मोहम्मद के पोस्टर लगाए थे। इस पोस्टर से जम्मू-कश्मीर पुलिस को जैश-ए-मोहम्मद के एक्टिव होने का पता चला। इसके बाद पुलिस ने CCTV से सुराग तलाशा। आदिल की पहचान हो गई। उसे ट्रेस करते हुए जम्मू-कश्मीर पुलिस ने 6 नवंबर को यूपी के सहारनपुर से आदिल को अरेस्ट किया। फोन डिटेल्स और पूछताछ से डॉ. मुजम्मिल शकील का सुराग मिला। सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, पुलवामा के कोइल गांव का रहने वाला डॉ. मुजम्मिल शकील जैश-ए-मोहम्मद नेटवर्क का हिस्सा है। आदिल से सुराग मिलने पर पुलिस ने उसे फरीदाबाद में ट्रेस किया। इसके बाद फरीदाबाद और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने उसे अरेस्ट कर लिया। सोर्स बताते हैं कि डॉ. मुजम्मिल शकील के पास से फेस मास्क और 4 विग मिले थे। अंदेशा है कि वो पहचान छिपाने के लिए इनका इस्तेमाल करता था। शकील ने अलफलाह मेडिकल यूनिवर्सिटी के पास दो जगह किराए पर कमरा लिया था। यहां से 360 किलो विस्फोटक, असॉल्ट राइफलें और वॉकी-टॉकी मिला था। दूसरे कमरे से अमोनियम नाइट्रेट बरामद किया गया। पूछताछ और सर्विलांस की मदद से पुलिस को डॉ. शाहीन और डॉ. उमर के बारे में पता चला। इसके बाद डॉ. शाहीन को अरेस्ट किया गया। डॉ. उमर को इसकी भनक लग गई थी। इसलिए वो अपने पास रखा विस्फोटक लेकर गायब हो गया था। लखनऊ से ताल्लुक रखने वाली डॉ. शाहीन भारत में जैश-ए-मोहम्मद की महिला विंग को लीड कर रही थी। उसने प्रयागराज के मेडिकल कॉलेज से पढ़ाई की है। शाहीन को आतंकी मसूद अजहर की बहन सादिया अजहर ने भारत में महिला विंग जमात-उल-मोमिनात की जिम्मेदारी दी थी। ये लड़कियों का ब्रेनवॉश कर उन्हें टास्क देती थी। उसके संपर्क में कौन-कौन था, इसकी जानकारी जुटाई जा रही है। डॉ. शाहीन तीन भाई-बहनों में दूसरे नंबर पर है। उससे छोटा भाई परवेज है। जांच एजेंसियां परवेज को भी तलाश रही हैं। डॉ. शाहीन की शादी महाराष्ट्र के रहने वाले जफर हयात से हुई थी। दोनों का तलाक हो गया। इसके बाद डॉ. शाहीन कानपुर में पढ़ाती रही। फिर नौकरी छोड़ फरीदाबाद चली गई। यहीं वो डॉ. मुजम्मिल से मिली। फरीदाबाद की अलफलाह यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाला डॉ. उमर कश्मीर के पुलवामा का रहने वाला है। दिल्ली में ब्लास्ट वाली कार उमर ही चला रहा था। उसके मारे जाने की खबर है। DNA जांच से ही उसकी मौत की पुष्टि हो सकेगी। हालांकि, सुरक्षा एजेंसियां अब तक इसे आत्मघाती हमला नहीं मान रही हैं। उमर ने जनवरी 2017 में श्रीनगर से MBBS किया था। जम्मू में 7 मार्च 2018 को डॉक्टर का रजिस्ट्रेशन कराया। पिछले डेढ़ साल से अलफलाह यूनिवर्सिटी में पढ़ा रहा था। वो डॉ. सज्जाद के कॉन्टैक्ट में था। डॉ. सज्जाद जम्मू-कश्मीर पुलिस की हिरासत में है। उसे पुलवामा से पकड़ा गया है। कौन है ब्रेनवॉश करने वाला मौलवी इरफान अहमदसोर्स बताते हैं कि फरीदाबाद मॉड्यूल में शामिल सभी डॉक्टरों को मौलवी इरफान अहमद ने कट्टरपंथी बनाया था। वह श्रीनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में काम करता था और सभी स्टूडेंट के संपर्क में था। इरफान नौगाम मस्जिद का इमाम भी था। सोर्स के मुताबिक, इरफान जैश-ए-मोहम्मद से प्रभावित था। स्टूडेंट्स को वीडियो दिखाता था। उसके अफगानिस्तान में कॉन्टैक्ट थे। वॉयस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल के जरिए वो वहां बात करता था। इरफान ही इस मॉड्यूल का मास्टरमाइंड है। डॉ. मुजम्मिल और डॉ. उमर उसके काम में शामिल थे। शाहीन ने सिर्फ मदद की। मौलवी इरफान अहमद ने टेलीग्राम और थ्रीमा पर अकाउंट बनाए हुए थे। इनके जरिए वो जैश-ए-मोहम्मद के लिए प्रोपेगैंडा फैलाता था। एक पोस्टर से मिला हिंट, पूरे नेटवर्क तक पहुंची पुलिस 27 अक्टूबर को श्रीनगर के नौगाम में आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के समर्थन वाले पोस्टर मिले थे। इस मामले में तीन लोगों को अरेस्ट किया गया। ये कभी श्रीनगर में पत्थरबाजी में शामिल रहे थे। उन्होंने पुलिस को मौलवी इरफान अहमद तक पहुंचाया। मौलवी से मिली जानकारी के आधार पर पुलिस ने डॉ. आदिल और जमीर अहनगर को गिरफ्तार किया। दोनों इरफान के साथ काम करते थे। उनसे पूछताछ के आधार पर जम्मू-कश्मीर पुलिस ने डॉ. मुजम्मिल शकील का पता लगाया। मुजम्मिल फरीदाबाद के धौज में अलफलाह यूनिवर्सिटी में काम करता था। मौलवी का संबंध डॉ. उमर से भी था, जिसे दिल्ली ब्लास्ट के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है। फरीदाबाद मॉड्यूल का पर्दाफाश होने के बाद उसने घबराहट में यह हमला किया। अलफलाह यूनिवर्सिटी में एंट्री बैन, 12 हिरासत में10 नवंबर की शाम दिल्ली में हुए बम धमाके के एक दिन बाद जांच एजेंसियों का फोकस फरीदाबाद की अलफलाह यूनिवर्सिटी पर आ गया। 11 नवंबर को दिन भर यूनिवर्सिटी कैंपस में दिल्ली और हरियाणा पुलिस की टीमें सर्च ऑपरेशन करती रहीं। कैंपस में पढ़ने वालों से भी पूछताछ की। पुलिस के मुताबिक, यहां के तीन डॉक्टरों के नाम टेरर मॉड्यूल में सामने आए हैं। मुजम्मिल अहमद गनाई, आदिल मजीद राथर और उमर नबी सीनियर रेसिडेंट डॉक्टर थे और यूनिवर्सिटी में नौकरी करते थे। फिलहाल अलफलाह यूनिवर्सिटी कैंपस के अंदर एंट्री बैन है। यूनिवर्सिटी के गेट सिर्फ पुलिस की गाड़ियों के लिए ही खोले जा रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक पुलिस ने मुजम्मिल और उमर को जानने वालों से पूछताछ की है और करीब 14 लोगों को हिरासत में लिया है। इनमें ज्यादातर जूनियर डॉक्टर बताए जा रहे हैं। अल फलाह यूनिवर्सिटी में करीब 40% डॉक्टर कश्मीर के हैं। पुलिस की कार्रवाई से यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट भी डरे हुए हैं। मीडिया से बात नहीं करना चाहते। सेकेंड ईयर में पढ़ रहे एक स्टूडेंट ने नाम न जाहिर करते हुए बताया कि डॉ. मुजम्मिल मेरी क्लास में पढ़ाने आते थे। कभी ऐसा नहीं लगा कि वो ये सब करते थे। हमारे लिए ये चौंकाने वाली बात है।’ मुजम्मिल के गांव में पुलिस तैनातअलफलाह यूनिवर्सिटी के पास ही दो गांव फतेहपुर तगा और धौज हैं। दोनों जगह मुजम्मिल ने किराए पर कमरे लिए थे। हरियाणा और जम्मू कश्मीर पुलिस ने 8 नवंबर को एक असाल्ट राइफल, 3 मैगजीन, 83 कारतूस, एक पिस्टल, बरामद की थी। 9 नवंबर को पुलिस की टीमें धौज पहुंची। यहां मुजम्मिल के कमरे से 360 किलो विस्फोटक मिला था।। 10 नवंबर को फिर से दोनों राज्यों की पुलिस फतेहपुर तगा पहुंची। यहां से 2563 किलो विस्फोटक बरामद किया। दैनिक भास्कर की टीम फतेहपुर तगा गांव पहुंची। गांव में पुलिस तैनात है। विस्फोटक मिलने वाली जगह तक किसी को नहीं जाने दे रही है। यहां हम मोहम्मद आसिम से मिले। आसिम बताते हैं, जिस घर से विस्फोटक मिला है, वो अक्सर खाली रहता था। वहां रहने वाले मुजम्मिल यूनिवर्सिटी में डॉक्टर थे। इलाज के सिलसिले में मेरी उनसे 2-3 बार मुलाकात हुई है। ‘डॉ. मुजम्मिल ने बेटी का इलाज किया, नॉर्मल आदमी लगा’मोहम्मद सिराज धौज गांव के रहने वाले हैं। सिराज याद करते हैं, ‘एक बार मेरी बेटी को पेट में दर्द हुआ था। तब इमरजेंसी में डॉ. मुजम्मिल थे। उन्होंने 2-3 घंटे तक इलाज किया। मुझे तब उसका नाम पता नहीं था। मैंने फोटो देखी तो डॉ. मुजम्मिल को पहचान गया। उसका व्यवहार सामान्य लगा था।’ डॉ. उमर डेढ़ साल पहले फरीदाबाद आया, भाभी बोली- हमेशा पढ़ता रहता था दैनिक भास्कर ने पुलवामा में डॉ. उमर के परिवार में बात की। उमर की भाभी मुजम्मिला ने बताया कि वो करीब डेढ़ साल पहले फरीदाबाद गया था। वो हमेशा पढ़ता रहता था। वो फरीदाबाद में पढ़ाता था। हमें बोलता था कि दिल्ली में रहता हूं। ये नहीं बताया कि मैं फरीदाबाद में रहता है।’ दिल्ली ब्लास्ट में बिहार के पंकज की मौतलाल किले के पास हुए ब्लास्ट में 12 मौतें हुई हैं। मरने वालों में बिहार के समस्तीपुर के रहने वाले पंकज कुमार सहनी भी हैं। 22 साल के पंकज कैब चलाते थे। 10 नवंबर को पंकज कैब लेकर चांदनी चौक रेलवे स्टेशन गए थे। उसके बाद लाल किले की तरफ चले गए। पंकज का परिवार 30 साल से दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर के पास कंझावला के उपकार विहार में रह रहा है। 2 कमरों के मकान में 5 लोग रहते हैं। इनमें पंकज की मां, पिता, दो छोटी बहनें और एक भाई हैं। पंकज के पिता राम बालक सहनी भी पहले कैब चलाते थे। उन्होंने अस्थमा की वजह से काम छोड़ दिया था। राम बालक बताते हैं, ‘मैं गाड़ी नहीं चला पाता। पंकज की नौकरी गई तो मैंने उससे कहा कि गाड़ी चला ले। उसी से हमारा घर चल रहा था। वो उस दिन पड़ोस के एक परिवार को लेकर पुरानी दिल्ली गया था। वापसी की सवारी मिल गई होगी, इसलिए लाल किला चला गया।' 'हमें ब्लास्ट के बारे में रात 9 बजे पता चला। हम उसे कॉल करते रहे, लेकिन फोन ऑफ आया। हमें लगा कि उसके साथ कुछ गलत हुआ है। हम लाल किला की तरफ गए। वहां सब बंद था। पुलिस से मदद मांगी तो उन्होंने थाने भेज दिया। पुलिस वाले ने नाम और नंबर लेकर बोल दिया कि सुबह आना।’ राम बालक आगे बताते हैं, ‘हम LNJP हॉस्पिटल चले गए। वहां कोई अंदर नहीं जाने दे रहा था। फिर एक व्यक्ति ने पंकज की जली गाड़ी दिखाई। उसका नंबर दिख रहा था। मुझ लग गया कि पंकज अब दुनिया में नहीं है। पूरी रात इधर-उधर भागने के बाद सुबह साढ़े चार बजे पता चला कि पंकज नहीं रहा।’ ब्लास्ट में घायल हुए, लेकिन लिस्ट में नाम नहींLNJP हॉस्पिटल के बाहर हमें विजय यादव मिले। बिहार के सहरसा जिले के रहने वाले हैं। लाल किले के पास पानी बेचते हैं। ब्लास्ट हुआ, तब वे उसी जगह मौजूद थे। ब्लास्ट से घायल हो गए, लेकिन उनका नाम घायलों की लिस्ट में नहीं है। विजय के सिर, बाएं हाथ और चेहरे पर पट्टी लगी है। वे कहते हैं, ‘मैं ब्लास्ट वाली जगह से 10 कदम दूर था। मुझे भी हैरानी है कि मैं कैसे बच गया। बहुत तेज ब्लास्ट था। हर तरफ सिर्फ धुआं था। मैं जमीन पर गिर गया। उठा तो देखा दो लोग तड़प रहे थे। मेरी ऐसी हालत नहीं थी कि उनकी मदद करूं। मेरा हाथ काम नहीं कर रहा था।’ ब्लास्ट में घायल राम प्रसाद लाल किले के पास छोले-कुल्चे की दुकान लगाते हैं। वे ब्लास्ट वाली जगह से 10-15 कदम दूर थे। उनके दोनों हाथों में चोट लगी हैं। घायल होने के बाद उन्होंने प्राइवेट क्लीनिक में मरहम पट्टी करवाई। राम कहते हैं, ‘ब्लास्ट के बाद कोई चीज मेरे हाथों से टकराई। रात में ही मैंने पट्टी करवा ली। अभी इलाज के लिए यहां आया, तो मुझे अंदर नहीं जाने दे रहे हैं। कह रहे हैं कि इमरजेंसी में वही लोग आएंगे, जो ज्यादा घायल हैं। हमारी एंट्री नहीं होगी। प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज करवाने जा रहा हूं, और क्या करूंगा।’ स्टोरी में सहयोग: पुलवामा से रऊफ डार
‘शेख हसीना ने हम छात्रों पर जो जुल्म किए, साथियों की हत्याएं कराईं। इसके बदले में उन्हें भी सजा-ए-मौत मिलनी चाहिए। 2024 के जुलाई-अगस्त में सरकार ने बांग्लादेश के इतिहास में सबसे क्रूरतम हत्याएं कराईं। हमारे कई साथी सिर्फ इसलिए मार दिए गए क्योंकि वो सरकार के कोटा सिस्टम के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। ये सब शेख हसीना के इशारे पर साजिश के तहत किया गया।‘ ढाका यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहे मोहम्मद महीन सरकार बांग्लादेश की पूर्व PM शेख हसीना पर चल रहे केस की जांच का हिस्सा रहे हैं। हसीना पर जुलाई-अगस्त 2024 के छात्र आंदोलन के दौरान हिंसा और हत्याएं कराने का आरोप है। इस मामले में महीन ने कोर्ट में गवाही भी दी है। बांग्लादेश की इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) ने हसीना के खिलाफ इस मामले में सुनवाई पूरी कर ली है। दैनिक भास्कर को सोर्सेज से पता चला है कि सरकार अभी वेट एंड वॉच की स्थिति में है। इंटेलिजेंस इनपुट के मुताबिक अगर माहौल सही रहा तो कोर्ट 13 नवंबर को मामले में फैसला सुना सकता है। हिंसा की आशंका होने पर फैसले की तारीख आगे भी बढ़ाई जा सकती है। 5 अगस्त 2024 को बांग्लादेश में हुए स्टूडेंट्स प्रोटेस्ट के बाद शेख हसीना ने पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ दिया था। तब से उन्होंने भारत में शरण ले रखी है। दैनिक भास्कर की टीम ने फैसले के पहले केस की डिटेल्ड स्टडी की। इसमें शामिल गवाहों, आंदोलनकारी स्टूडेंट्स, शेख हसीना के करीबियों और केस से जुड़े वकीलों से बात की। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… सबसे पहले केस के बारे में जानिए…हसीना के लिए मौत की सजा की मांग5 अगस्त 2024 को बांग्लादेश में हसीना सरकार का तख्तापलट हुआ। इससे पहले और बाद में हसीना के खिलाफ हुए प्रदर्शन में आगजनी और हिंसक घटनाएं हुईं। हसीना सरकार पर आरोप लगा कि प्रदर्शन कर रहे स्टूडेंट्स को टॉर्चर किया गया और उन पर फायरिंग की गई। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक 2024 के जुलाई-अगस्त में बांग्लादेश में 1400 से ज्यादा लोगों की मौत हुई। इन सबके बीच शेख हसीना ने देश छोड़ दिया और भारत में शरण ली। बांग्लादेश की इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल में हसीना पर ‘मानवता के खिलाफ अपराध‘ के आरोप में केस शुरू हुआ। कोर्ट ने शेख हसीना को बांग्लादेश लौटकर केस में शामिल होने के लिए कहा। हालांकि उन्होंने कोर्ट का आदेश नहीं माना। केस की सुनवाई 1 जून को शुरू हुई और अब फैसले का इंतजार है। सोर्स बताते हैं, शेख हसीना के खिलाफ केस में प्रॉसिक्यूटर की तरफ से 5 आरोप लगाए गए थे, जिसमें हत्या, अपराध रोकने में नाकामी और मानवता के खिलाफ अपराध सबसे अहम हैं। प्रॉसिक्यूटर ने हसीना के लिए मौत की सजा की मांग की है। वहीं शेख हसीना की तरफ से पूरी प्रक्रिया पर सवाल उठाए गए और सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया कर दिया गया। वहीं, बांग्लादेश इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल के प्रॉसिक्यूटर गाजी मुनव्वर हुसैन तमीम ने बताया, ‘13 नवंबर को फैसले की तारीख का ऐलान किया जाएगा। हमारे पुराने अनुभव के हिसाब से कोर्ट फैसला सुनाने में करीब एक हफ्ते का वक्त और लगाएगा। हम साफ करना चाहते हैं कि 13 नवंबर को कोर्ट सिर्फ फैसले की तारीख का ऐलान करेगा।’ अब केस के गवाह की बात…हसीना के खिलाफ ईमानदारी से जांच हुई, हम न्याय चाहते हैं, बदला नहींढाका यूनिवर्सिटी से बांग्ला भाषा में पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहे मोहम्मद महीन हसीना सरकार के खिलाफ हुए स्टूडेंट प्रोटेस्ट का हिस्सा थे। इसकी वजह से उन्हें काफी दिनों तक अंडरग्राउंड रहना पड़ा था। अब महीन छात्रों की बनाई नेशनल सिटिजन पार्टी के मेंबर हैं। साथ ही वो स्टूडेंट ऑर्गनाइजेशन, स्टूडेंट अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन बैनर के भी ढाका यूनिवर्सिटी के संयोजक हैं। आंदोलन को लेकर महीन बताते हैं, ‘जुलाई 2024 में कोटा के खिलाफ आंदोलन में अंडरग्राउंड होने की नौबत आ गई थी। मैं ढाका केंटोनमेंट इलाके में अपने दोस्त इफ्तिकार आलम के घर कई दिनों तक छिपा रहा। इसी दौरान इफ्तिकार एक दिन घर से निकला और गायब हो गया। वो 6 जुलाई को मीरपुर के पास मिला।‘ महीन सरकार और फोर्सेज पर आरोप लगाते हुए कहते हैं कि इफ्तिकार को काफी टॉर्चर करने के बाद छोड़ा गया था। उसका पैर भी टूट गया था। बांग्लादेश की एजेंसियों ने उसे बहुत परेशान किया। मोहम्मद महीन, शेख हसीना के खिलाफ चल रहे केस की जांच का हिस्सा हैं और उन्होंने कोर्ट में गवाही भी दी है। महीन बताते हैं, ‘शेख हसीना के खिलाफ जांच पूरी ईमानदारी और तथ्यों के साथ की गई है। हमने कोटा आंदोलन किया और शेख हसीना को झुकने पर मजबूर कर दिया। इस दौरान हमारे कई साथियों की मौत भी हुई। हमारे दिमाग में एक बात साफ थी कि हम न्याय चाहते हैं, बदला नहीं।‘ डेढ़ साल से न्याय का इंतजार था, अब फैसले की घड़ीबांग्लादेश में छात्रों के आंदोलन से जुड़े स्टूडेंट अलाउद्दीन मोहम्मद कहते हैं, ‘प्रदर्शन के दौरान हमारे जिन साथियों की मौत हुई, हम सब डेढ़ साल से उनके लिए न्याय का इंतजार कर रहे थे। हमने केस की सुनवाई को करीब से देखा और अब फैसले की घड़ी आ गई है। बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद से अब शेख हसीना के खिलाफ पहले केस में फैसला आना है। ये आंदोलन करने वाले हम स्टूडेंट्स के लिए बहुत अहम वक्त है।‘ केस की सुनवाई को लेकर अलाउद्दीन बताते हैं, ‘केस का पूरा ट्रायल बांग्लादेश में टीवी पर प्रसारित किया गया। केस में दी गईं दलीलें लोगों ने घर बैठकर लाइव देखीं औऱ सुनीं। केस की सुनवाई ट्रांसपेरेंसी के साथ हुई है ताकि लोगों की मन में कोई संशय ना रहे। शेख हसीना पर क्या आरोप थे, उनके समर्थन में गवाह और सबूत क्या पेश किए गए, केस के दौरान किसने क्या दलील रखी ये सबने देखा।’ वे आगे कहते हैं, ’हमने आंखों के सामने अपने जानने वालों और दोस्तों को फायरिंग में मरते देखा है। हालांकि ये किसी दोस्त या रिश्तेदार के मारे जाने की बात नहीं है। बल्कि ये मानवता के खिलाफ पूरे सरकारी सिस्टम के अपराध की बात है। अब शहीद छात्रों और उनके परिवारों के लिए न्याय का दिन आ चुका है।’ अलाउद्दीन मोहम्मद छात्रों की बनाई नेशनल सिटिजन पार्टी में जॉइंट मेंबर सेक्रेटरी हैं और इंटरनेशनल सेल का भी हिस्सा हैं। वे आगे कहते हैं कि हमारी लड़ाई सिर्फ यहीं तक खत्म नहीं होती कि शेख हसीना को सजा हो जाए। बल्कि अब हम एक ऐसा सिस्टम बना रहे हैं कि कोई भी सरकार इतनी ताकतवर ना हो पाए कि इतने बड़े पैमाने पर हत्याएं करवाा सके। जांच एजेंसी और वकीलों ने साथ मिलकर मजबूत केस बनाया प्रॉसिक्यूशन की तरफ से केस देख रही वकीलों की टीम के मेंबर ने नाम ना लिखने की शर्त पर हमें पूरी प्रक्रिया बताई, जिसके तहत केस की जांच और कार्रवाई आगे बढ़ी। डॉ यूनुस ने सरकार में आते ही एक टास्क फोर्स बनाई थी और उसे शेख हसीना के खिलाफ जांच का जिम्मा सौंपा था। तब से प्रॉसिक्यूशन और जांच टीम मिलकर इस केस पर काम कर रही थीं ताकि कोर्ट में केस कमजोर ना पड़े। वकील ने बताया कि हमने हर वो जरूरी सबूत और गवाह शामिल किया है, जिससे केस मजबूत हो। प्रॉसिक्यूशन ने कोर्ट में क्या मुख्य दलीलें रखीं-- छात्र आंदोलन के दौरान हुई सरकारी कार्रवाई एक संगठित और योजनाबद्ध हमला था। ये सब अचानक नहीं हुआ बल्कि तय फैसले के तहत किया गया था।- छात्रों पर हमला सिर्फ कुछ लोकल स्तर पर हुई कुछ घटनाएं भर नहीं थीं। बल्कि ये राज्य शासन, सरकारी एजेंसियों, इंटेलिजेंस और फोर्स के जरिए लिया गया फैसला था। प्रॉसिक्यूशन ने 5 मुख्य आरोप तय किए हैं:1. हत्या2. अपराध की साजिश3. अपराध के लिए छूट देना4. कार्रवाई में मदद करना5. अपराध रोकने में नाकामी अवामी लीग फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेगीकोर्ट का फैसला शेख हसीना के खिलाफ आने की संभावना जताई जा रही है। अगर ऐसा होता है तो बांग्लादेश अवामी लीग का क्या रुख होगा। इसे लेकर हमने शेख हसीना की पार्टी के टॉप लीडर सुजीत रॉय नंदी से बात की। नंदी कहते हैं, ‘केस की जांच और ट्रायल राजनीतिक से प्रेरित है। सब बदले की भावना से हुआ है। न्यायिक प्रक्रिया शुरू से ही गैर-कानूनी रही है, इसलिए हम इसे वैध केस नहीं मानते। अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण मूल रूप से युद्ध अपराधियों की सुनवाई के लिए बनाया गया था, राजनीतिक उत्पीड़न के लिए नहीं।‘ ‘पिछले 16 महीनों में बांग्लादेश के लोगों ने समझ लिया है कि अवामी लीग सरकार को प्लानिंग के साथ उग्रवादी हमलों और साजिशों के जरिए कैसे उखाड़ फेंका गया। इसलिए हमें डर है कि ये फैसला न्यायसंगत नहीं होगा बल्कि बदले की भावना से लिया गया होगा और हम इसका खुलकर विरोध करेंगे।‘ नंदी आगे कहते हैं, ‘अवामी लीग हमेशा लोकतांत्रिक और संवैधानिक प्रक्रिया में भरोसा रखती है। हमें जनता की शक्ति पर पूरा भरोसा है। फैसले के दिन हम स्थिति को शांतिपूर्वक देखेंगे। अगर कोई अन्यायपूर्ण फैसला लोगों की आशाओं और लोकतंत्र की भावना को कमजोर करता है तो अवामी लीग जनता के साथ मिलकर शासन के खिलाफ जन आंदोलन चलाने के लिए मजबूर होगी।’ फैसला आने के पहले दो धड़ों में बंटे लोग, हिंसक घटनाएं शुरूइस मामले में फैसला आने से पहले ही राजधानी ढाका में छिटपुट हिंसा की घटनाएं शुरू हो गई हैं। हिंसा की घटनाएं लोकल लेवल की रही हैं और इनमें किसी की मौत की खबर नहीं है। हालांकि आशंका जताई जा रही है कि अवामी लीग का कैडर फिर एक्टिव हो रहा है। यूनुस सरकार ने सुरक्षाबलों को अलर्ट पर रहने के लिए कहा है। साथ ही हिंसा की छोटी-बड़ी घटनाओं पर कंट्रोल करने के निर्देश दिए हैं। बांग्लादेश के लोकल जर्नलिस्ट और हमारे कॉन्ट्रिब्यूटर अमानुर रहमान बताते हैं, ‘पूर्व PM शेख हसीना पर कोर्ट का फैसला आने वाला है। सूत्र बता रहे हैं कि माहौल को देखते हुए कोर्ट अपना फैसला आगे के लिए टाल भी सकता है।‘ ‘शेख हसीना पर फैसले से पहले बांग्लादेश में माहौल बंटा हुआ है। कुछ लोग कह रहे हैं कि ये ‘जस्टिस डे’ होगा, वो इस पूरे केस और सुनवाई को गंभीरता से ले रहे हैं। ऐसा मानने वाले ज्यादातर लोग स्टूडेंट आंदोलन से जुड़े और मौजूदा सरकार के लोग हैं। वहीं दूसरी तरफ अवामी लीग के नेता और समर्थक फैसले का विरोध करने की तैयारी कर रहे हैं।‘ ‘वहीं बांग्लादेश की मुख्य विपक्षी पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी भी जानती है कि मौजूदा सरकार इस फैसले को प्रचार के तौर पर इस्तेमाल करना चाहती है। इसलिए वो भी इस फैसले को लेकर ज्यादा उत्सुक नहीं दिख रही है।’ रहमान आगे कहते हैं, ‘छात्र आंदोलन और तख्तापलट के डेढ़ साल बाद बांग्लादेश के लोग अब पूरी तरह बंटे हुए दिख रहे हैं। अवामी लीग के नेता और कैडर फैसले के खिलाफ बड़े प्रदर्शन की तैयारी में है। बांग्लादेश में जब भी बड़े प्रदर्शन की तैयारी होती तो अक्सर ये प्रदर्शन हिंसक हो जाते हैं।‘..................... ये खबर भी पढ़ें... सऊदी में ड्राइवर की नौकरी देकर कचरा उठवाया-बकरी चरवाई 59 साल की सूरजकली बेटे राजीव की फोटो देखकर भावुक हो जाती हैं। राजीव मई 2023 में सऊदी अरब में ड्राइवर की नौकरी करने गए थे, लेकिन वहां वो कफाला सिस्टम का शिकार हो गए। उन पर धोखाधड़ी का केस दर्ज हुआ। वे रियाद में 3 साल कैद की सजा काट रहे। उन पर 18 लाख रुपए जुर्माना भी लगा है। ये कहानी सिर्फ राजीव की ही नहीं है। सऊदी में कफाला सिस्टम के शिकार बन चुके तमाम भारतीयों की है। पढ़िए पूरी खबर..
क्या बांग्लादेश में फिर भड़केगी हिंसा? शेख हसीना की पार्टी ने किया 'Dhaka Lockdown' का ऐलान
Dhaka Lockdown:बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग ने ढाका में लॉकडाउन का ऐलान किया है. पुलिस और सुरक्षा बलों ने गश्ती बढ़ा दी है और महत्वपूर्ण सरकारी इमारतों की सुरक्षा कड़ी कर दी गई है. गृह मामलों के सलाहकार जहांगीर आलम चौधरी ने कहा कि अंतरिम सरकार को एएल के कार्यक्रम को लेकर कोई डर नहीं है.
Turkiye Plane Crash:मंत्रालय ने बताया कि जॉर्जियाई अधिकारियों के साथ मिलकर जांच और रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिए गए हैं. यह साफ नहीं है कि एयरक्राफ्ट में कितने क्रू मेंबर सवार थे. हालांकि कुछ स्थानीय मीडिया क्रू मेंबर्स की संख्या 20 बता रहे हैं.
Countries Which have Monarch Rule:कई देशों में आज भी राजाओं का राज है. सऊदी अरब के किंग से लेकर वेटिकन सिटी के पोप तक ये लोग ही तमाम बड़े फैसले लेते हैं. चलिए आपको उन देशों के बारे में बताते हैं, जहां आज भी राजाओं का ही राज है.
दुनिया का वो इकलौता देश, जहां सेलिब्रेट नहीं होता बर्थडे! ज्यादातर को याद नहीं जन्म की तारीख
Shocking News: क्या आप जानते हैं कि दुनिया में ऐसा भी देश है जहां के लोग अपना जन्मदिन ही नहीं जानते हैं. चलिए जानते हैं ऐसा क्यों है और यहां के लोग बर्थडे सेलिब्रेट कैसे करते हैं.
नाटो से तनाव के बीच रूस के पक्के दोस्त का अजीब दांव! पुतिन की मिसाइल लेने से क्यों किया इनकार
Burevestnik nuclear missiles: अलेक्जेंडर ने साफ किया कि बेलारूस को दूसरे परमाणु हथियार ओरेशनिक तो मिल गए हैं लेकिन उसे परमाणु से चलने वाले शक्तिशाली बुरेवेस्टेनिक या पोसाइडन की जरूरत नहीं है.
US Shutdown पर ब्रेक की उम्मीद, सीनेट से मिली हरी झंडी; बुधवार को होगा फुल एंड फाइनल
US Shutdown:अमेरिका की सीनेट ने सोमवार को देश में अब तक के सबसे लंबे सरकारी शटडाउन को समाप्त करने के लिए एक समझौते को मंजूरी दे दी. सीनेट में हुए मतदान में 60 सांसदों ने समर्थन और 40 ने विरोध में वोट दिया. इस समझौते के तहत संघीय एजेंसियों के लिए धनराशि बहाल की जाएगी, जिससे लाखों अमेरिकियों को राहत मिलने की उम्मीद है.
दुनिया के किसी भी हिस्से में तबाही मचा सकती है ये मिसाइल! जानें किन देशों के पास है ये क्षमता
Top Intercontinental Missiles: किसी भी देश की ताकत सिर्फ बड़ी इकोनॉमी और सेना से नहीं, बल्कि डिफेंस सिस्टम से लेकर मिसाइलों की रेंज और आधुनिकता से मापी जाती है. आइए जानते हैं किन देशों के पास बेहतरीन और लंबी दूरी की मिसाइल हैं.
Sheikh Hasina condemns Delhi Red Fort blast:बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने दिल्ली में हुए भयानक ब्लास्ट पर गुस्सा जताया है. पूर्व पीएम शेख हसीना ने हमले की कड़ी निंदा करते हुए इसे मानवता पर हमला बताया है. उन्होंने पीएम मोदी को समर्थन दिया और आतंकवाद की जड़ें मिटाने की अपील की है.
पाकिस्तान : इस्लामाबाद में कोर्ट के बाहर जोरदार धमाका, 6 लोग घायल
पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में डिस्ट्रिक्ट ज्यूडिशियल कॉम्प्लेक्स के बाहर जोरदार धमाका हुआ है। स्थानीय मीडिया के अनुसार इस हादसे में करीब 6 लोग घायल हो गए हैं

