त्रिपुरा, सिक्किम में 80 फीसदी से ज्यादा मतदान; बिहार में 50 से कम (लीड-1)

नई दिल्ली, 19 अप्रैल . लोकसभा चुनाव के पहले चरण में शुक्रवार को 21 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों की 102 सीटों पर 60 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ. पश्चिम बंगाल और मणिपुर से छिटपुट हिंसा की खबरों को छोड़कर मतदान कुल मिलाकर शांतिपूर्ण रहा. चुनाव आयोग ने बताया कि राज्यों से और आंकड़े आने ... Read more The post त्रिपुरा, सिक्किम में 80 फीसदी से ज्यादा मतदान; बिहार में 50 से कम (लीड-1) first appeared on दैनिक किरण .

डेली किरण 20 Apr 2024 12:09 am

Lok Sabha Elections : पहले चरण में आठ केंद्रीय मंत्रियों की किस्मत दांव पर, 102 सीटों पर डाले जा रहे हैं वोट

देश के 21 राज्यों और केंद्रीय शासित प्रदेशों में पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को होगा। पहले चरण में कुल 102 सीटों पर मतदान किया जाएगा। चुनाव प्रचार के लिए अंतिम दिन 17 अप्रैल था, जिसके बाद सार्वजनिक सभा या जुलूस जैसे कई कार्यक्रमों पर रोक लग गई थी। पहले चरण का मतदान सुबह सात बजे से शुरू होगा, जो की शाम छह बजे तक जारी रहने वाला है। पहले चरण के लोकसभा चुनाव में आठ केंद्रीय मंत्री, दो पूर्व मुख्यमंत्री और एक पूर्व राज्यपाल की किस्मत का फैसला होगा। इस चरण में कई राज्यों में चुनाव होने है। इस चरण में तमिलनाडु (39), उत्तराखंड (5), अरुणाचल प्रदेश (2), मेघालय की (2), अंडमान निकोबार द्वीप समूह (1), मिजोरम (1), नगालैंड (1), पुडुचेरी (1), सिक्किम (1) और लक्षद्वीप (1) की सभी लोकसभा सीट पर मतदान होगा। इनके अलावा राजस्थान में 12, उत्तर प्रदेश में 8, मध्य प्रदेश में 6, असम और महाराष्ट्र में 5-5, बिहार में 4, पश्चिम बंगाल में 3, मणिपुर में 2 और त्रिपुरा, जम्मू कश्मीर तथा छत्तीसगढ़ में एक-एक सीट पर मतदान होगा। इसे भी पढ़ें: Lok Sabha Elections 2024: गडकरी से लेकर के अन्नामलाई तक, 19 अप्रैल को चरण 1 में इन उम्मीदवारों पर होंगी सबकी नजर पहले चरण में केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी नागपुर लोकसभा क्षेत्र से हैट्रिक लगाने की तैयारी में है। बता दें कि नितिन गडकरी ने सबसे पहली बार लोकसभा के लिए 2014 में चुनाव लड़ा था। उन्होंने नागपुर से सात बार के सांसद विलास मुत्तेमवार को 2.84 लाख मतों से मात दी थी। इसके बाद वर्ष 2019 के चुनावों में कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के वर्तमान प्रमुख नाना पटोले को 2.16 लाख मतों से हराकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को दूसरी बार लगातार नागपुर सीट से विजयी बनाया था। वहीं केंद्रीय मंत्री किरण रीजीजू अरुणाचल पश्चिम सीट से चुनाव मैदान में हैं, जो चौथी बार जीत दर्ज करने उतरेंगे। 52 वर्षीय भाजपा नेता 2004 से तीन बार इस सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। अरुणाचल पश्चिम लोकसभा सीट पर रीजीजू का मुकाबला पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस की अरुणाचल प्रदेश इकाई के वर्तमान अध्यक्ष नबाम तुकी से है। केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी एवं जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल असम के डिब्रूगढ़ लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में हैं। केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री रामेश्वर तेली का टिकट कटने के बाद राज्यसभा सदस्य सोनोवाल को डिब्रूगढ़ से चुनाव मैदान में उतारा गया। मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले की उम्मीद है, जहां केंद्रीय मंत्री संजीव बलियान का मुकाबला समाजवादी पार्टी (सपा) के हरेंद्र मलिक और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के उम्मीदवार दारा सिंह प्रजापति से है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मंत्रिमंडल में शामिल और दो बार के सांसद जितेंद्र सिंह उधमपुर लोकसभा सीट से लगातार तीसरी बार चुनाव जीतने की उम्मीद लगाये हुए हैं। केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सदस्य भूपेन्द्र यादव को राजस्थान की अलवरलोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा गया है। राजस्थान की बीकानेर संसदीय सीट पर केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल का मुकाबला कांग्रेस के पूर्व मंत्री गोविंद राम मेघवाल से है। तमिलनाडु की नीलगिरी लोकसभा सीट पर द्रमुक सांसद एवं पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा का मुकाबला भाजपा के एल मुरुगन से है जो केंद्रीय मत्स्य राज्य मंत्री हैं। मध्य प्रदेश से राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए मुरुगन पहली बार नीलगिरी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। शिवगंगा लोकसभा सीट से सांसद कार्ति चिदंबरम कांग्रेस के टिकट पर पुन: मैदान में हैं और उनका मुकाबला भाजपा के टी देवनाथन यादव और अन्नाद्रमुक के जेवियर दास से है। कार्ति के पिता, पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम शिवगंगा लोकसभा सीट से सात बार सांसद चुने गए थे। भाजपा की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष के. अन्नामलाई कोयंबटूर लोकसभा सीट से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, जहां उनका मुकाबला द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के नेता गणपति पी. राजकुमार और अखिल भारतीय द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) के सिंगाई रामचंद्रन से है। हाल ही में तेलंगाना के राज्यपाल और पुडुचेरी के उपराज्यपाल पद से इस्तीफा देने वाली तमिलिसाई सौंदरराजन सक्रिय राजनीति में वापसी करते हुए चेन्नई दक्षिण लोकसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में हैं। कांग्रेस नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेटे नकुल नाथ छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र से एक बार फिर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। छिंदवाड़ा लोकसभा सीट को कमलनाथ का गढ़ माना जाता है, जिन्होंने 1980 के बाद से नौ बार इस सीट पर जीत हासिल की थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने राज्य की 29 में से 28 सीट जीती थीं लेकिन छिंदवाड़ा पर विजय प्राप्त करने से चूक गई थी। नकुल नाथ ने छिंदवाड़ा से भाजपा उम्मीदवार को 37,536 वोट से हराया था और राज्य में एकमात्र कांग्रेस सांसद के रूप में उभरे थे। त्रिपुरा की दो लोकसभा सीट में से एक पश्चिम त्रिपुरा पर 19 अप्रैल को पहले चरण के अंतर्गत मतदान होना है। पश्चिम त्रिपुरा लोकसभा सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब और कांग्रेस की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष आशीष कुमार साहा के बीच मुकाबला है। मणिपुर के कानून एवं शिक्षा मंत्री और भाजपा के उम्मीदवार बसंत कुमार सिंह इनर मणिपुर निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव मैदान में हैं और उनका मुकाबला जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के प्रोफेसर व कांग्रेस उम्मीदवार बिमल अकोइजाम से है। भाजपा का गढ़ मानी जानी वाली उत्तरी राजस्थान की चूरू लोकसभा सीट पर दो बार के पैरालंपिक स्वर्ण पदक विजेता भाला फेंक खिलाड़ी और भाजपा उम्मीदवार देवेंद्र झाझरिया अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। उनका मुकाबला कांग्रेस उम्मीदवार राहुल कस्वां से है। कस्वां ने टिकट मिलने पर मार्च में भाजपा छोड़कर कांग्रेस का हाथ थाम लिया था। देश की 18 वीं लोकसभा के लिए सात चरणों में 543 सीट पर मतदान होगा और मतगणना चार जून को होगी। इन सीटों पर है चुनाव उत्तर प्रदेश में पहले चरण में 19 अप्रैल को जिन लोकसभा सीट पर मतदान होना है उनमें राज्य के पश्चिमी क्षेत्र की सहारनपुर, बिजनौर, कैराना, मुजफ्फरनगर, नगीना, मुरादाबाद, रामपुर और पीलीभीत सीट शामिल हैं। राजस्थान की जिन 12 लोकसभा सीट पर पहले चरण में मतदान होना है उनमें गंगानगर, बीकानेर, चूरू, झुंझूनूं, सीकर, जयपुर ग्रामीण, जयपुर, अलवर, भरतपुर, करौली-धौलपुर, दौसा और नागौर हैं। नगालैंड की एकमात्र लोकसभा सीट के लिए 19 अप्रैल को मतदान होगा। सिक्किम में 32 विधानसभा सीटों और एकमात्र लोकसभा क्षेत्र में मतदान होगा। असम में जिन पांच सीटों पर मतदान होना है उनमें डिब्रूगढ़, जोरहाट, काजीरंगा, सोनितपुर और लखीमपुर शामिल हैं। पश्चिम बंगाल में तीन लोकसभा सीट, कूच बिहार (एससी), जलपाईगुड़ी (एससी) और अलीपुरद्वार (एसटी) के लिए मतदान होगा। महाराष्ट्र में पहले चरण में नागपुर, रामटेक, भंडारा-गोंदिया, चंद्रपुर और गढ़चिरौली सीट पर मतदान होगा। जम्मू-कश्मीर की पांच लोकसभा सीट में एक उधमपुर सीट पर पहले चरण में चुनाव होगा। उत्तराखंड की सभी लोकसभा सीट—पौड़ी गढ़वाल , टिहरी, अल्मोड़ा (सुरक्षित), हरिद्वार और नैनीताल—पर 19 अप्रैल को मतदान होगा। Voting for Assembly Elections in Arunachal Pradesh and Sikkim begins. The polling is being simultaneous with the first phase of Lok Sabha Elections 2024. All 60 Assembly seats in Arunachal Pradesh and 32 Assembly seats in Sikkim are going to polls today. pic.twitter.com/sf6xzoxHzP — ANI (@ANI) April 19, 2024

प्रभासाक्षी 19 Apr 2024 7:00 am

त्रिपुरा में फिर दोनों सीट जीत सकती है BJP:बिना विपक्ष वाले नगालैंड में माहौल कांग्रेस के पक्ष में, सिक्किम में SKM मजबूत

‘पूर्वोत्तर में रहना हमारा सौभाग्य है, जहां सूर्य की किरणें सबसे पहले पृथ्वी को छूती हैं। ये भारत के उज्ज्वल भविष्य का प्रतीक हैं। हम पूर्वोत्तर के डेवलपमेंट के लिए लगातार काम कर रहे हैं। आज त्रिपुरा के लिए BJP का मतलब विकास की राजनीति है।’ त्रिपुरा में चुनाव से दो दिन पहले 17 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगरतला में रैली की। PM ने कहा कि मैं इकलौता प्रधानमंत्री हूं, जिसने एक दशक में 50 से ज्यादा बार पूर्वोत्तर का दौरा किया है। त्रिपुरा, नगालैंड और सिक्किम में फर्स्ट फेज में 19 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे। त्रिपुरा में 2 लोकसभा सीट हैं- त्रिपुरा ईस्ट और त्रिपुरा वेस्ट। यहां दो फेज में 19 और 26 अप्रैल को चुनाव होने जा रहा है। त्रिपुरा ईस्ट में फर्स्ट फेज में 19 अप्रैल को वोटिंग होगी। त्रिपुरा वेस्ट में 26 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे। चुनाव से पहले दैनिक भास्कर की टीम त्रिपुरा, नगालैंड और सिक्किम में अलग-अलग जगहों पर पहुंची और वहां चुनावी मुद्दे, सियासी माहौल और हवा का रुख जानने की कोशिश की। सबसे पहले बात त्रिपुरा कीत्रिपुरा तीन तरफ, यानी उत्तर, पश्चिम और दक्षिण में बांग्लादेश से सरहद साझा करता है। ये सरहद करीब 856 किमी है। महज 36 लाख आबादी वाला त्रिपुरा दो दशकों से ज्यादा वक्त से उग्रवाद का संकट झेल रहा है। यहां अब भी NLFT और ATTF नाम के दो उग्रवादी ग्रुप एक्टिव हैं, जो आधुनिक हथियारों से लैस हैं। BJP और INDIA ब्लॉक में मुकाबला, पूर्व CM बिप्लब कुमार भी मैदान मेंत्रिपुरा के लोकसभा चुनाव में BJP, CPI-M, RPI, कांग्रेस, बहुजन मुक्ति मोर्चा के अलावा लोकल पार्टियां चुनाव लड़ रही हैं। त्रिपुरा वेस्ट सीट पर BJP कैंडिडेट बिप्लब कुमार देब और कांग्रेस कैंडिडेट आशीष कुमार साहा के बीच मुकाबला है। वहीं, त्रिपुरा ईस्ट से BJP और CPI-M आमने-सामने है। BJP से कृति सिंह और CPI-M से राजेंद्र रिआंग चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस और CPI-M, INDIA ब्लॉक का हिस्सा हैं। घुसपैठ बड़ा मुद्दा, ट्राइब्स परेशान, अल्पसंख्यक होने का डरत्रिपुरा की कुल जनसंख्या में करीब 31% आबादी ST है। यहां बड़ी संख्या में बांग्लादेश से आए माइग्रेंट्स रह रहे हैं। ये भी यहां सबसे बड़े मुद्दों में से एक है। ट्राइब्स लंबे समय से आरोप लगा रहे हैं कि बांग्लादेश से लगातार घुसपैठ की वजह से प्रदेश की आबादी में बदलाव हो रहा है। इससे वे अपने राज्य में ही अल्पसंख्यक बन गए हैं। यहां माइग्रेशन के तहत आए बंगाली लोगों के हाथों में राज्य की बागडोर है और ट्राइब्स को अधिकारों की लड़ाई लड़नी पड़ रही है। एक्सपर्ट्स का दावा: BJP दोनों सीटों पर जीतेगीत्रिपुरा में BJP की सरकार है और दोनों ही लोकसभा सीटों पर BJP के सांसद हैं। त्रिपुरा विधानसभा की 60 सीट में से 20 और लोकसभा की 1 सीट ST के लिए रिजर्व है। लिहाजा, त्रिपुरा में सरकार बनाने के लिए अनुसूचित जनजातियों का सपोर्ट बहुत जरूरी है। एक्सपर्ट्स त्रिपुरा में दोनों सीटों पर BJP के जीतने की बात कर रहे हैं। त्रिपुरा की राजनीति के जानकार सीनियर जर्नलिस्ट मानस पाल मानते हैं कि BJP की जीत तय है। INDIA ब्लॉक साथ, लेकिन वोट मिलना मुश्किलत्रिपुरा में CPI-M और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ रही हैं। ईस्ट त्रिपुरा SC सीट है और वहां से CPI-M ने कैंडिडेट उतारा है। वहीं, त्रिपुरा वेस्ट से कांग्रेस प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं। दोनों पार्टियां भले ही अलायंस में चुनाव लड़ रही हों, लेकिन एक्सपर्ट मानते हैं कि ये अलायंस सिर्फ नेशनल लेवल पर है। त्रिपुरा के नेता इससे खुश नहीं हैं और न ही एक दूसरे को जमीन पर सपोर्ट करेंगे। सीनियर जर्नलिस्ट मानस पाल कहते हैं, ‘BJP विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ रही है और वहीं INDIA ब्लॉक के लोग संविधान बचाने जैसे मुद्दों पर चुनाव लड़ रहे हैं।’ अब बात एक सीट वाले नगालैंड कीईसाई बहुल आबादी वाले नगालैंड में NDPP यानी नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी की सरकार है। प्रदेश में NDPP का BJP के साथ अलायंस भी है। यहां विधानसभा की 12 और लोकसभा की एक सीट है। फर्स्ट फेज में 19 अप्रैल को यहां वोट डाले जाएंगे। मुद्दों की बात करें तो नगालैंड के चुनाव में वोट का सौदा करना एक बड़ा मुद्दा है। इसके साथ सरकार का फ्री मूवमेंट रिजीम खत्म करना भी एक बड़ा मुद्दा है, जिसे विपक्ष भुनाने में लगा है। दरअसल, नगालैंड समेत नॉर्थ ईस्ट के राज्य म्यांमार के साथ 16 हजार किमी लंबी सीमा साझा करते हैं। इन राज्यों में रहे लोगों के रिश्तेदार सीमा के उस पार भी हैं। भारत सरकार और म्यांमार सरकार के बीच समझौता हुआ था। इस फ्री मूवमेंट रिजीम के तहत दोनों देशों के लोग एक-दूसरे की सीमा पर 16 किमी तक अंदर जा सकते थे। हाल में केंद्र सरकार ने ये समझौता खत्म कर दिया और पूरे 16 हजार किमी लंबे बॉर्डर की फेंसिंग करने का फैसला लिया। BJP चुनाव नहीं लड़ रही, NDPP को सपोर्ट करेगी नगालैंड में BJP से चुनाव मैदान में कोई उम्मीदवार नहीं है। BJP अपने सहयोगी दल NDPP के उम्मीदवार का समर्थन कर रही है। NDPP से चुम्बेन मुरी मैदान में हैं। वहीं, कांग्रेस ने एस. सपंगमरेन जामिर को अपना कैंडिडेट बनाया है। पॉलिटिकल पार्टियां चुनाव में क्या मुद्दे उठा रहींकांग्रेस: फ्री मूवमेंट रिजीम खत्म करना और UCC मुद्दाकांग्रेस पार्टी नगालैंड में फ्री मूवमेंट रिजीम और UCC को एक बड़ा मुद्दा बना रही है। कांग्रेस कैंडिडेट एस. सपंगमरेन जामिर कहते हैं, ‘राष्ट्र और एक ईसाई राज्य के रूप में हम देख रहे हैं कि PM मोदी ने खुले तौर पर अपने मैनिफेस्टो में यूनिफॉर्म सिविल कोर्ट की घोषणा कर दी। ऐसे में हम उन अल्पसंख्यकों के लिए लड़ रहे हैं, जो हमारे राज्य के साथ-साथ देश के बाकी हिस्सों में भी हैं।’ जामिर आगे कहते हैं, ‘अगर अगले 5 साल के लिए फिर मोदी सरकार आती है तो वे UCC लागू कर देंगे। इसके साथ ही एक देश, एक कानून और एक चुनाव भी लागू हो जाएगा। ऐसे में हमारे नगा लोगों की परंपराएं और रीति-रिवाज खुद-ब-खुद खत्म हो जाएंगे। इसलिए हम अपने धर्म, रीति-रिवाजों और परंपरा की रक्षा करने की कोशिश कर रहे हैं।’ वो आगे कहते हैं, ‘हमारे पास आर्टिकल 371-ए है, लेकिन PM मोदी ने सरकार में आते ही जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल-370 हटाया तो हमें महसूस होता है कि आर्टिकल 371-ए भी सुरक्षित नहीं है।’ BJP के लिए डेवलपमेंट चुनावी मुद्दाविपक्ष का मानना है कि नगालैंड के लोगों में UCC को लेकर गुस्सा है और वे इस बार सरकार के विरोध में वोट डालेंगे। हालांकि BJP UCC और फ्री मूवमेंट रिजीम को मुद्दा नहीं मानती। BJP के प्रदेश अध्यक्ष इमना कहते हैं, ‘बॉर्डर फेंसिंग होना देश के लिए जरूरी है, लेकिन ऐसा भी नहीं है कि सरकार उसमें कोई रियायत नहीं देगी। केंद्र में भी हमारी ही सरकार है और अगर कुछ हमारे मुद्दे होंगे तो उन्हें हम जरूर रखेंगे और हमारी बात भी मानी जाएगी। इमना कहते हैं, ‘कांग्रेस लोगों के दिल में डर पैदा करके वोट लेना चाहती हैं क्योंकि कांग्रेस के पास कोई भी चुनावी मुद्दा नहीं है। नरेंद्र मोदी सरकार देश हित में काम कर रही है।’ हमने डेवलपमेंट न होने को लेकर ईस्टर्न नगालैंड के लोगों की नाराजगी और इलेक्शन बायकॉट को लेकर सवाल किया तो इमना कहते हैं, 'ईस्टर्न नगालैंड की जो भी जनजातियां हैं, वो हमारे ही लोग हैं। ईस्टर्न एरिया का जो इश्यू है, वो सबका है। हमारे लिए साथ मिलकर डेवलपमेंट करना एजेंडा है।' वो आगे कहते हैं, 'ईस्टर्न नगालैंड ने इलेक्शन बॉयकॉट करने की बात नहीं कही है। उन्होंने इसे आगे बढ़ाने के लिए कहा है। भारत लोकतांत्रिक देश है और मेरे ख्याल से ईस्टर्न नगालैंड के लोग भी 19 तारीख को वोट देंगे।' वोटर बोले- नगा के लिए काम करने वाला ही जीतेगानगालैंड की राजधानी कोहिमा में हमने लोकसभा चुनाव पर लोगों से बात की। यहां मिले ली संथान चुनावी मुद्दों और BJP के घोषणा पत्र पर कहते हैं, ‘अगर वे नगा लोगों के लिए काम करने को तैयार हैं और कुछ बदलाव लाना चाहते हैं तो सभी खुश होंगे और सपोर्ट भी करेंगे। अगर वो नगा के लिए काम नहीं करेंगे तो चुनाव हार जाएंगे।’ ‘रही बात UCC की तो हम मन से तो स्वीकार नहीं कर पाएंगे। हमने देखा है कि केंद्र सरकार अचानक से फैसले लेती है, जैसे पहले आधार कार्ड को लेकर लिया था। हम सबने विरोध किया, लेकिन बाद में बनवाना ही पड़ा क्योंकि आजकल सब कुछ आधार से लिंक है।’ एक्सपर्ट बोले- कौन जीतेगा, कह नहीं सकते, लेकिन कांग्रेस की लहर मजबूतनगालैंड में भले ही कांग्रेस जमीनी स्तर पर मजबूत नहीं है, लेकिन एक्सपर्ट मान रहे हैं कि ये चुनाव कांग्रेस जीत जाएगी। एक्सपर्ट इसके पीछे देश में बढ़ रही सांप्रदायिक राजनीति को बताते हैं। सोशल वर्कर और पॉलिटिक्स एनालिस्ट केविथो केरा कहते हैं, ‘मैं ये नहीं कह सकता कि कौन सी पार्टी जीतेगी, लेकिन इतना कह सकता हूं कि इस बार नगालैंड में कांग्रेस की लहर मजबूत दिख रही है।’ ‘नगालैंड के लोग खास तौर से देश में BJP की सांप्रदायिक माहौल बनाने वाली राजनीति देख रहे हैं। साथ ही, धर्मनिरपेक्ष आदर्शों को इससे होने वाले खतरे से सावधान हो रहे हैं। यही वजह है कि कांग्रेस ये चुनाव जीत सकती है।’ चुनाव में शराब और पैसा बंट रहा, विरोध में क्लीन इलेक्शन मूवमेंट शुरूनगालैंड भले ही ड्राई स्टेट है, लेकिन यहां चुनावों में शराब और पैसा बांटा जाता है। इसे रोकने के लिए क्लीन इलेक्शन मूवमेंट चल रहा है। इस मूवमेंट के कोऑर्डिनेटर डॉ. विलो नेलियोक्लीन कहते हैं, ‘हम किसी पार्टी के पक्ष या विपक्ष में काम नहीं करते हैं, हम बस निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया चाहते हैं। हमारा सिर्फ एक ही मुद्दा है कि चुनाव में वोटिंग ठीक से हो। दिक्कत इस बात की है कि यहां कोई विपक्ष नहीं है।’ डॉ. विलो आगे कहते हैं, ‘हालांकि कई बार हमने ये भी देखा है कि NPF के नेता सरकार के साथ अलायंस में होने के बाद भी उनके साथ सहमति नहीं जताते हैं। NPF के नेता ने फ्री मूवमेंट रिजीम का मुद्दा काफी जोर-शोर से उठाया और फिर सभी पार्टियों ने उनसे सहमति भी जताई।’ डॉ. विलो का कहना है कि 2025 से वो नगालैंड के हर शहर में एक हेल्प डेस्क भी खोल देंगे, ताकि लोग इस तरह की गतिविधियों को रोकने के लिए उनके पास शिकायत लेकर आ सकें। आखिर में सिक्किम की बात अरुणाचल प्रदेश की ही तरह सिक्किम में भी लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होते हैं। सिक्किम में कांग्रेस और BJP दोनों ही पार्टियों के लिए चुनाव जीतना काफी मुश्किल हो जाता है क्योंकि यहां लोकल पार्टियों का ज्यादा दबदबा है। सिक्किम में 25 साल तक सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट सत्ता में रहा। 2019 में पहली बार वो सत्ता से बाहर हुआ और सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा की सरकार बनी। इस लोकसभा चुनाव में भी प्रमुख कैंडिडेट्स में लोकल पार्टियों के कैंडिडेट ही सबसे पहले हैं। इसके बाद BJP और कांग्रेस कैंडिडेट का जिक्र आता है। सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा से इंद्र हंग सुब्बा और सिक्किम डेमोक्रेटिक फंड से प्रेम दास राय चुनावी मैदान में आमने-सामने हैं। इसके साथ ही BJP ने दिनेश चंद्र नेपाल और कांग्रेस ने गोपाल छेत्री को उम्मीदवार बनाया है। BJP का आरोप: सिक्किम में केंद्र की योजनाएं नहीं पहुंचने दे रही सरकारसिक्किम में BJP लगातार केंद्र की योजनाओं का फायदा जनता तक पहुंचने से रोकने का आरोप लगा रही है। पार्टी का कहना है कि प्रदेश में BJP की सरकार न होने से सिक्किम के लोगों के पास PM मोदी की योजनाओं का फायदा नहीं पहुंच पा रहा है। हालांकि एक्सपर्ट का कहना है कि सिक्किम के लोगों के लिए मुख्यमंत्री की तरफ से कई स्कीम पहले से हैं। मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत सरकार घर बनाकर दे रही है। इसलिए लोगों को केंद्र की योजनाओं की कोई खास जरूरत महसूस नहीं होती। 2019 से बदली सिक्किम की सियासत, सत्ता में SKM 2019 के चुनाव में सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा के उम्मीदवार इंद्र हांग सुब्बा ने जीत हासिल की थी। उन्होंने सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट के डेक बहादुर कटवाल को हराया था। 25 साल में ऐसा पहली बार हुआ था जब SDF न सिर्फ चुनाव हारी, बल्कि पहली बार विधानसभा और लोकसभा दोनों चुनाव में नई पार्टी जीती। सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा 2014 का चुनाव लड़ी थी और पहली बार विधानसभा में पार्टी ने 10 सीटें जीती थीं। 2019 के लोकसभा चुनावों में सिक्किम में SKM और SDF के बीच मुकाबला था। इसमें SKM जीत गया और बाकी सभी कैंडिडेट्स की जमानत जब्त हो गई थी। इस चुनाव को लेकर एक्सपर्ट मानते हैं कि BJP मजबूत स्थिति में है, लेकिन SKM सीट निकाल लेगी। एक्सपर्ट्स भी मान रहे, SKM ही चुनाव जीतेगा सीनियर जर्नलिस्ट पेमा वांगचुक कहते हैं, ‘सिक्किम में पिछला चुनाव सिर्फ 2 पार्टियों के बीच था। इस बार BJP भी मुकाबले में दिख रही है। उसके विधायकों ने काफी काम किया है। BJP वोट काटने का काम कर सकती है।’ SKM और BJP ने सिक्किम में अलायंस किया था। SDF के कई नेताओं ने BJP जॉइन की थी। इसके बाद पार्टी सिक्किम में मजबूत हो गई। सिक्किम में राज्य सभा की एक सीट है और SKM ने राज्य में बड़ी पार्टी होने के बाद भी BJP प्रत्याशी को सिक्किम की तरफ से राज्यसभा सांसद बनाया। सिक्किम से ‘दोर्जी शेरिंग लेप्चा’ राज्यसभा सांसद हैं। हालांकि इस लोकसभा चुनाव में SKM और BJP अलग-अलग चुनाव लड़ रही हैं। ...............................................................स्टोरी में सहयोग: विशाल चौहान, भास्कर फेलो............................................................... देश के दूसरे राज्यों में क्या है हवा का रुख, पढ़िए ये स्टोरीज

दैनिक भास्कर 18 Apr 2024 5:09 am

Train to Sikkim: सिक्किम तक रेल सेवा शुरू होने के क्‍या हैं मायने? Indian Railway पहले ही तय कर चुका है डेडलाइन

हालांकि इस परियोजना को 2009-10 में मंजूरी दी गई थी लेकिन भूमि अधिग्रहण और वन विभाग से मंजूरी मिलने में हुई देरी के कारण इसकी प्रगति में देरी हुई क्योंकि रेल लाइन महानंदा वन्यजीव अभयारण्य कर्सियांग वन प्रभाग दार्जिलिंग वन प्रभाग कलिम्पोंग वन प्रभाग और पूर्वी सिक्किम वन प्रभाग से होकर गुजरती है। रेलवे के अनुसार मई 2024 के आखिर से पटरियां बिछाने का काम शुरू कर दिया जाएगा।

जागरण 17 Apr 2024 9:00 am

गर्मियों में सिक्किम की युमथांग वैली घूमने का प्लान, वापस आने का नहीं करेगा मन!

सिक्किम में एक ऐसीखूबसूरत जगह है जो आपको स्वर्ग जैसा अनुभव देगी। हम बात कर रहे हैं युमथांग वैली की। सिक्किम की राजधानी गंगटोक से लगभग 140 किमी उत्तर में स्थित इस घाटी को “फूलों की घाटी” के नाम से भी जाना जाता है। यहां आप तरह-तरह के खूबसूरत फूल खिले हुए देख सकते हैं। …

न्यूज़ इंडिया लाइव 17 Apr 2024 4:12 am

गर्मियों में सिक्किम घूमने का बनाया है प्लान,तो युमथांग वैली है परफेक्ट डेस्टिनेशन,जरूर करें एक्स्प्लोर

गर्मियों में सिक्किम घूमने का बनाया है प्लान,तो युमथांग वैली है परफेक्ट डेस्टिनेशन,जरूर करें एक्स्प्लोर

समाचार नामा 16 Apr 2024 12:30 pm