Sarkari Naukri Results 2022 LIVE: विभिन्न सरकारी विभागों और कंपनियों में कई पदों पर निकलीं भर्तियां
सरकारी नौकरी की तैयारी करने वाले युवाओं की संख्या बढ़ती जा रही है।
कलकत्ता हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच के फैसले को बरकरार रखा है। कोर्ट ने कहा कि सिंगल बेंच के आदेश में और हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
SSC Recruitment 2022: दिल्ली पुलिस हेड कांस्टेबल के लिए 835 पदों पर भर्तियां, मिलेगी बंपर सैलरी
जो भी उम्मीदवार हेड कांस्टेबल भर्ती में शामिल होने के इच्छुक हैं वह अपना आवेदन अब कर्मचारी चयन आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर कर सकते हैं।
SBI SCO Recruitment: स्टेट बैंक में स्पेशलिसट कैडर के पदों पर भर्तियां, आज है आवेदन की आखिरी तारीख
भारतीय स्टेट बैंक की ओर से जारी की गई स्पेशलिस्ट कैडर ऑफिसर भर्ती के लिए रिक्त पदों की संख्या 35 निर्धारित की गई है।
BPSC Paper Leak: बीपीएससी पेपर लीक मामले में चार अन्य आरोपी गिरफ्तार, ये निकला सरगना
आर्थिक आपराध यूनिट ने गिरफ्तार किए गए आरोपियों के पास से बैंक अकाउंट, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और 2.9 लाख रुपये नकद सीज किए हैं।
UPSC Recruitment 2022: संघ लोक सेवा आयोग ने निकालीं बंपर भर्तियां, लाखों में मिलेगा वेतन
यूपीएससी की ओर से जारी की गई इस भर्ती के लिए ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया शुरू है। आयोग ने आवेदन की आखिरी तारीख 2 जून, 2022 को निर्धारित की है।
अपनाएं ये टिप्स करियर में जरूर मिलेगी सफलता
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ऑफिस में रखे इन जरुरी बातों का ध्यान, नहीं तो होगा बड़ा नुकसान
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जल्द सुधार ले इन गलतियों को, नौकरी में जल्दी मिलेगा प्रमोशन
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क्या आप बनना चाहते है क्रिकेट कमेंटेटर? तो बस करना होगा ये काम
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Career Tips : क्या ऑफिस की पॉलीटिक्स से हो गए है आप परेशान, तो अपनाएं ये कारगर उपाय
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इस वक्त कई विभागों में बंपर नौकरियां निकली हैं, जिनके लिए आवेदन जारी हैं। इनके लिए योग्य और इच्छुक उम्मीदवार इन भर्तियों के लिए आवेदन कर सकते हैं।
राजस्थान में सभी सरकारी नौकरियों के लिए अब होगा कॉमन एंट्रेंस टेस्ट
राजस्थान में अलग-अलग सरकारी नौकरियों में भर्ती के लिए अब एक कॉमन एन्ट्रेंस टेस्ट होगा। राज्य कर्मचारी चयन...
संस्कृत में ग्रेजुएशन के साथ-साथ अपनी पसंद के दूसरे डिग्री पाठ्यक्रमों में भी ले सकेंगे दाखिला
यूजीसी भारतीय एवं विदेशी विश्वविद्यालयों के सहयोग से विभिन्न विषयों में संयुक्त और दोहरी डिग्री कार्यक्रम...
चयनित उम्मीदवारों को पुलिस विभाग के अंतर्गत निषेध और एक्साइज कांस्टेबल के पदों पर नियुक्ति दी जाएगी।
इस वक्त कई विभागों में बंपर नौकरियां निकली हैं, जिनके लिए आवेदन जारी हैं। इनके लिए योग्य और इच्छुक उम्मीदवार इन भर्तियों के लिए आवेदन कर सकते हैं।
उम्मीदवारों का चयन टियर-1 और टियर-2 परीक्षा एवं स्किल टेस्ट के माध्यम से किया जाएगा।
BIS Recruitment 2022: 300 से अधिक पदों पर भर्ती के लिए आवेदन की आखिरी तारीख आज, जल्दी करें
किसी भी नई जानकारी या अपडेट के लिए उम्मीदवार भारतीय मानक ब्यूरो की आधिकारिक वेबसाइट पर नजर बना कर रखें।
RRB NTPC CBT 2: आज से शुरू हो रही है एनटीपीसी सीबीटी-2 परीक्षा, यहां जानें जरूरी गाइडलाइन
रेलवे भर्ती बोर्ड की ओर से सीबीटी-1 परीक्षा का आयोजन 28 दिसंबर, 2020 से 31 जुलाई, 2021 तक सात चरणों में किया गया था। इस परीक्षा में सफल उम्मीदवारों को ही सीबीटी-2 परीक्षा में भाग लेने का मौका मिल रहा है।
Indian Army Recruitment: भारतीय सेना में विभिन्न पदों पर भर्तियां, जानें आवेदन की पूरी प्रक्रिया
भारतीय सेना में इस भर्ती में जारी की गई रिक्त पदों की कुल संख्या 113 है। भर्ती के माध्यम से चयनित उम्मीदवारों को स्वास्थ्य निरीक्षक, नाई और चौकीदार के रिक्त पदों पर नियुक्ति दी जाएगी।
इस वक्त कई विभागों में बंपर नौकरियां निकली हैं, जिनके लिए आवेदन जारी हैं। इनके लिए योग्य और इच्छुक उम्मीदवार इन भर्तियों के लिए आवेदन कर सकते हैं।
SSC CGL 2020 Tier-2: एसएससी सीजीएल टियर-2 फाइनल आंसर की जारी, ऐसे करें डाउनलोड
कर्मचारी चयन आयोग ने एसएससी सीजीएल टियर- 2 परीक्षा 2020 की अंतिम उत्तर कुंजी यानी फाइनल आंसर की जारी कर दी है।
RRB-NTPC Exam: आरआरबी-एनटीपीसी परीक्षा उम्मीदवारों के लिए चलेंगी 65 विशेष ट्रेन, देखें शहरों की सूची
भारतीय रेलवे ने नौ और 10 मई को अपनी परीक्षाओं में शामिल होने वाले उम्मीदवारों की सुविधा के लिए देश भर में 65 से अधिक विशेष ट्रेन चलाने का फैसला किया है।
अमेरिका के प्राइवेट सेक्टर ने अप्रैल में निकाली 247,000 नौकरियां
पेरोल डेटा कंपनी ऑटोमेटिक डेटा प्रोसेसिंग (एडीपी) ने बताया कि अमेरिका में प्राइवेट...
सरकारी नौकरी की चाहत रखने वाले युवाओं के लिए खुशखबर है। 10वीं पास युवाओं के लिए करीब 39 हजार नौकरियां निकली हैं।
भारतीय रेलवे में शामिल होने के इच्छुक उम्मीदवारों के लिए यह नौकरी पाने और सवैतनिक प्रशिक्षण प्राप्त करने का सुनहरा अवसर है।
DTC recruitment 2022: दिल्ली परिवहन निगम में सैकड़ों पदों पर भर्तियां, आज है आवेदन की आखिरी तारीख
दिल्ली परिवहन निगम की ओर से जारी की गई भर्ती के माध्यम से चयनित उम्मीदवारों को सहायक फोरमैन, सहायक फिटर और सहायक इलेक्ट्रीशियन (आर एंड एम) के रिक्त पदों पर नियुक्ति दी जाएगी। इस भर्ती के तहत रिक्त पदों की कुल संख्या 357 हैं।
सरकारी नौकरी की तैयारी करने वाले युवाओं की संख्या बढ़ती जा रही है। ऐसे में तैयारी कर रहे युवाओं को इंतजार होता है तो सिर्फ आवेदन निकलने का।
अब नौकरी पर होगा सबका हक, डिजिटल मार्केटिंग व ग्राफिक्स डिजाइन की दुनियाँ में आज ही करें अपने करियर की सुनहरी शुरुआत
अधिक जानकारी के लिए उम्मीदवार पंजाब लोक सेवा आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध नोटिफिकेशन को चेक और डाउनलोड कर सकते हैं।
SEO में कैसे शुरू करें कॅरियर और क्या है इसके लिए आवश्यक कौशल
डिजिटल क्रांति ने व्यापार की दुनिया को काफी बदल दिया है, विशेष रूप से डिजिटल मार्केटिंग के क्षेत्र में और एसईओ में करियर के रूप में नए अवसर खोले हैं। मार्केटिंग के भीतर पूरे नए टूलकिट सामने आए हैं, जो कुछ दशक पहले अकल्पनीय था। SEO आज मार्केटिंग के उन महत्वपूर्ण कार्यों में से एक है जिसने पिछले एक दशक में SEO नौकरी के अवसरों की संख्या में काफी इजाफा किया है। सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन या SEO एक ऐसी अवधारणा है जो दो दशकों से भी कम समय से अस्तित्व में आयी है लेकिन नौकरियों की एक बड़ी तादात को पैदा किया है, जिसमें लगभग हर उद्योग में पुरुषों और महिलाओं ने अपना कॅरियर बनाया है। एसईओ एक ऐसा पेशेवर व्यक्ति होता है जो सर्च इंजन परिणामों के पीछे एल्गोरिदम को सीखने और उसमें महारत हासिल करने में माहिर होता है ताकि वे अपने ग्राहकों और कंपनियों को सर्च करने में मदद कर सकें। इसे भी पढ़ें: चार्टर्ड अकाउंटेंट बनने का सपना है तो जान लें ये जरूरी बातें, ऐसे करें तैयारी आजकल एसईओ पेशेवर उच्च मांग में हैं। एसईओ विशेषज्ञों को डिजिटल और सामग्री विपणन कार्यक्रमों के हिस्से के रूप में वेब डेवलपर्स द्वारा सामग्री विपणक के रूप में और कई अन्य भूमिकाओं में काम पर रखा जाता है, केवल इसलिए कि डिजिटल अभियानों को सफल बनाने के लिए कंपनियों को वेब ट्रैफ़िक की आवश्यकता होती है। सबसे पहले आइए समझते हैं कि एक SEO क्या करता है? जैसे-जैसे अधिक से अधिक व्यवसाय ऑनलाइन होते जा रहे हैं वे प्रतिदिन और भी अधिक सामग्री का उत्पादन कर रहे हैं और अपने ब्लॉग या लेख के जरिये स्टैंड करना और दृश्यता हासिल करना चुनौतीपूर्ण हो गया है, खासकर यदि आप इस क्षेत्र में नए हैं। सही विजिबिलिटी के बिना व्यवसायों के लिए अपने लक्षित दर्शकों तक पहुंचना, अपनी ब्रांड की उपस्थिति बनाना और अपनी वेबसाइट के माध्यम से विश्वास पैदा करके और एक मजबूत मूल्य प्रस्ताव पेश करके संभावनाओं को आकर्षित करना मुश्किल हो जाएगा। इसलिए SEO में करियर आपको ऑर्गेनिक तरीकों के माध्यम से सर्च इंजन पर ब्रांड विजिबिलिटी बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने की मांग करेगा। एसईओ कैसे काम करता है? SEO कॅरियर के अवसरों के साथ आप मुख्य रूप से दो मूल सिद्धांतों के साथ काम करेंगे- अत्यधिक प्रासंगिक कीवर्ड-रिच कंटेंट विकसित करना और वेबसाइट और वेब पेजों के लिए गुणवत्ता वाले बैकलिंक बनाना। सर्च इंजन ने एक व्यापक सूचकांक बनाया है जो सर्च क्वेरी के लिए प्रासंगिकता के क्रम में क्रमबद्ध है। इस प्रकार जब उपयोगकर्ता एक खोज क्वेरी में प्रवेश करता है तो सर्च इंजन जल्दी से अपने सूचकांक के माध्यम से चलता है और तुरंत परिणाम देता है। प्रत्येक कीवर्ड के लिए खोजकर्ता सर्च इंजन में इनपुट करता है। इसे भी पढ़ें: एनडीए की कर रहे हैं तैयारी तो समझ लीजिए एग्जाम पैटर्न, पढ़ें परीक्षा से जुड़ी सारी जरुरी डिटेल्स इंडेक्सेशन के लिए ये सर्च इंजन क्रॉलर पर भरोसा करते हैं और इसलिए ऐसा नाम दिया गया है क्योंकि एक स्पाइडर की तरह वे पूरी वेब डायरेक्टरी को क्रॉल करते हैं। उदाहरण के तौर पर Google Bots जोड़े जाने वाली किसी भी नई सामग्री के लिए संपूर्ण वेब निर्देशिका को क्रॉल करता है। बैकलिंक्स Google बॉट्स को आपकी सामग्री को शीघ्रता से खोजने में मदद करते हैं क्योंकि वे अधिक आधिकारिक साइटों पर अधिक बार क्रॉल करते हैं। साथ ही अच्छे ऑर्गेनिक बैकलिंक्स आपकी वेबसाइट के लिए विश्वास और प्रासंगिकता का एक मीट्रिक है जो उपस्थिति और रैंक को बढ़ाने में मदद करता है। इसलिए एक प्रासंगिक आधिकारिक साइट से बैकलिंक्स प्राप्त करना SEO कॅरियर के अवसरों के आवश्यक पहलू होते हैं। इसके साथ ही केवल कुछ डोमेन के बजाय कई डोमेन से बैकलिंक प्राप्त करना आवश्यक होता है। गुणवत्ता वाले बैकलिंक आपकी रैंकिंग को त्वरित अवधि में बड़े पैमाने पर बढ़ावा दे सकते हैं और इन सभी विभिन्न आधिकारिक वेबसाइटों से बड़ी मात्रा में रेफ़रल ट्रैफ़िक भी प्रदान कर सकते हैं। इसके अलावा एक गुणवत्तापूर्ण सामग्री बनाने और उच्च-गुणवत्ता वाले बैकलिंक्स प्राप्त करने के लिए आपकी गतिविधियाँ भी समय लेने वाली और एक श्रमसाध्य कार्य हो सकती हैं। इसलिए आपको एक उचित योजना के साथ काम करने और धैर्य रखने की आवश्यकता होगी। किस तरह के कौशल की जरूरत होती है? SEO अधिक से अधिक जटिल होता जा रहा है क्योंकि सर्च इंजन एल्गोरिदम पर्याप्त रूप से उन्नत होते जा रहे हैं। इसलिए, SEO में कॅरियर आज कई कौशलों में महारत हासिल करने की मांग करता है। सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण आपको बाजार के रुझानों के साथ बने रहने के लिए एक डायनामिक लर्नर होने की आवश्यकता होती है। सर्च इंजन एक वर्ष के भीतर कई अपडेट लाते हैं और इस बात पर नज़र रखना कि वे आपके व्यवसाय को कैसे प्रभावित कर सकते हैं, महत्वपूर्ण होने जा रहा है क्योंकि विभिन्न अपडेट आते रहते हैं। इसे भी पढ़ें: बैचलर ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज (BMS) करने के लाभ और इसके स्कोप इसके बाद आपको मुख्य एसईओ कौशल में अपने लिए एक मजबूत नींव बनाने की जरूरत होती है। आपको डिजिटल मार्केटिंग के नट और बोल्ट को समझने और व्यावसायिक कौशल विकसित करना शुरू करने की आवश्यकता होती है। आपको नज़र रखने और विश्लेषण करने की आवश्यकता है कि प्रतियोगी कैसे आगे बढ़ रहे हैं और इस पर शोध फिर से पूरी तरह से सुनिश्चित होने वाला है। इसके आलावा आपको वेब फंडामेंटल, डेटाबेस तकनीकों और विशेष रूप से फ्रंट एंड, वेबसाइट प्रबंधन के फ़ाइल प्रबंधन पहलुओं की एक ठोस समझ होनी चाहिए। विश्लेषणात्मक कौशल अत्यधिक मूल्यवान होने जा रहे हैं। SEO में कॅरियर के लिए आपको अपने प्रयासों के प्रभाव और परिणाम को मापने के लिए Google विश्लेषिकी और Google सर्च कंसोल के साथ समझने और काम करने की आवश्यकता होती है। आप विविध स्रोतों से प्रतिदिन आने वाली ढेर सारी सूचनाओं के साथ काम कर रहे होंगे। इसलिए आपको न केवल इसका अर्थ निकालने के लिए विश्लेषणात्मक कौशल की आवश्यकता होगी, बल्कि जानकारी को प्राथमिकता भी देनी होगी। SEO में कॅरियर के लिए आपको व्यावसायिक परिदृश्य को समझने और गहन प्रतिस्पर्धा विश्लेषण करने की आवश्यकता होगी। बैकलिंक प्रोफ़ाइल को समझने के लिए एक टैब रखें कि वे क्या बना रहे हैं, वे किस प्रकार की सामग्री पोस्ट कर रहे हैं और वे कौन सी प्रेस विज्ञप्ति कर रहे हैं। आप कैसे शुरुआत कर सकते हैं? पहले सर्च इंजन विजिबिलिटी और रैंकिंग के लिए वेबसाइट सेट करना वेबसाइट डेवलपर्स और एडमिन का डोमेन हुआ करता था। लेकिन एक अलग डोमेन और स्वतंत्र अभ्यास के रूप में SEO के उदय के साथ अब यह बदल गया है। यदि आप मार्केटिंग, ब्लॉगिंग, एनालिटिक्स के बारे में सीरियस हैं तो यह आपके लिए शुरुआत करने के लिए यह सही क्षेत्र है। इस अभ्यास में उत्कृष्ट विकास क्षमता है। जैसे-जैसे आप अधिक कौशल प्राप्त करते रहेंगे और अपने व्यवसाय और संचार कौशल का निर्माण करते रहेंगे, आप समय के साथ अपने आप से एक डिजिटल मार्केटिंग प्रबंधक बनने की उम्मीद कर सकते हैं। SEO में कॅरियर फ्रीलांसिंग स्पेस में कई अवसर भी खोलता है। यदि आप विज्ञान पृष्ठभूमि से नहीं आते हैं तो भी SEO कॅरियर के अवसरों में प्रवेश पाना असंभव नहीं होगा। कुछ तकनीकी अवधारणाएँ होंगी जिनमें आपको महारत हासिल करने की आवश्यकता होगी, लेकिन जब आप कोशिश करना शुरू करेंगे तो यह अंततः आपके पास आ जाएगी। - जे. पी. शुक्ला
बिजली संयंत्रों से कार्बन कैप्चर के लिए ऊर्जा कुशल प्रौद्योगिकी
बिजली संयंत्रों से कार्बनडाईऑक्साइड (CO2) कैप्चर के लिए ऊर्जा कुशल संयंत्र डिजाइन और विकसित करने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), गुवाहाटी ने राष्ट्रीय तापविद्युत निगम (एनटीपीसी लिमिटेड) के साथ हाथ मिलाया है। इसे भी पढ़ें: ग्रामीण विकास का नया मंत्र बनी ड्रोन आधारित मैपिंग तकनीक यह प्रौद्योगिकी एक नये सक्रिय अमोनिया यौगिक ऐमिन विलायक (आईआईटीजीएस) का उपयोग करके फ्लू गैस पर काम करती है। कमर्शियल सक्रिय एमडीईए (मोनोएथेनॉलमाइन) विलायक की तुलना में यह प्रौद्योगिकी 11 प्रतिशत कम ऊर्जा और बेंचमार्क एमईए (मोनोएथेनॉलमाइन) विलायक की तुलना में 31 प्रतिशत कम ऊर्जा की खपत करती है। इस परियोजना से तेल, प्राकृतिक गैस, बायोगैस उद्योग और पेट्रोलियम रिफाइनरियों को लाभ हो सकता है। इस स्वदेशी तकनीक को प्रोफेसर बिष्णुपाद मंडल, केमिकल इंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी, गुवाहाटी के नेतृत्व में विकसित किया गया है। यह परियोजना, अपने अनुसंधान और शिक्षा के माध्यम से, संयुक्त राष्ट्र के सतत् विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को भी समर्थन तथा मजबूती प्रदान करेगी। इसके साथ-साथ यह प्रौद्योगिकी देश के लिए बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा बचा सकती है। परीक्षण अध्ययन के पूर्ण होने के बाद, पायलट प्लांट को एनटीपीसी एनर्जी टेक्नोलॉजी रिसर्च एलायंस (NETRA) में स्थानांतरित कर दिया गया है। आईआईटी, गुवाहाटी और एनटीपीसी लिमिटेड इस प्रौद्योगिकी का पेटेंट कराने का प्रयास कर रहे हैं। अध्ययन के अगले चरण में औद्योगिक फ्लू गैस का उपयोग करके पायलट-पैंट का परीक्षण शामिल होगा। इसे भी पढ़ें: बेहतर कार्ययोजना से लैस हो प्रौद्योगिकी विजन-2047 प्रौद्योगिकी के व्यावहारिक उपयोग, और इसके लाभ के बारे में विस्तार से बताते हुए, आईआईटी गुवाहाटी के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर बिष्णुपाद मंडल बताते हैं कि “मानवजनित कार्बनडाईऑक्साइड उत्सर्जन में वृद्धि ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार कारणों में से एक है। इस वैश्विक चुनौती को दूर करने के लिए वैज्ञानिक समुदाय द्वारा व्यापक शोध प्रयास किए जा रहे हैं, जिसमें कार्बनडाईऑक्साइड कैप्चर के लिए दक्षता में सुधार के माध्यम से मौजूदा प्रौद्योगिकियों में संशोधन शामिल हैं।” एमईए (मोनोएथेनॉलमाइन) और अन्य गुणों वाले विलायक-आधारित प्रौद्योगिकियां रासायनिक उद्योग में कार्बनडाईऑक्साइड कैप्चर के लिए उपलब्ध हैं। इस तकनीक का उपयोग कोयले और गैस से चलने वाले बिजली संयंत्रों में मुख्य रूप से कम मात्रा में खाद्य-ग्रेड कार्बनडाईऑक्साइड का उत्पादन करने के लिए किया जाता है। बिजली संयंत्रों में बड़े पैमाने पर CO2 कैप्चर के लिए इस प्रक्रिया को अपनायें तो अधिक ऊर्जा खपत होती है। इसीलिए, आईआईटी, गुवाहाटी ने फ्लू गैस से CO2 कैप्चर के लिए एक ऊर्जा-कुशल ऐमिन-आधारित प्रक्रिया विकसित की है। 'सभी के लिए बिजली' के भारत के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने, और अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में महत्वपूर्ण वृद्धि को बनाए रखने पर भारत का बल है। इसके साथ ही, भारत कार्बनडाईऑक्साइड उत्सर्जन को कम करने के उद्देश्य से प्रौद्योगिकियों के अनुसंधान और विकास की दिशा में वैश्विक प्रयासों का समर्थन करता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह तकनीक इन दोनों लक्ष्यों को एक साथ हासिल करने में मदद करेगी। (इंडिया साइंस वायर)
इस भर्ती के लिए आयोजित की जा रही मुख्य परीक्षा में कुल 200 अंकों के बहुवैकल्पिक प्रश्न पूछे जाएंगे।
ग्रामीण विकास का नया मंत्र बनी ड्रोन आधारित मैपिंग तकनीक
गाँवों में होने वाले विवादों का एक प्रमुख कारण भूमि के मालिकाना अधिकार से जुड़ा होता है। भूमि सर्वेक्षण में ड्रोन आधारित तकनीक का उपयोग इन विवादों को दूर करने में प्रभावी भूमिका निभा सकती है। केंद्र सरकार की स्वामित्व योजना इस बदलाव का सूत्रधार बनी है, जिसके अंतर्गत गाँवों में रहने वाले लोगों को उनके घरों के अधिकार का रिकॉर्ड और प्रॉपर्टी के मालिकों को प्रॉपर्टी कार्ड जारी किए जा रहे हैं। इसे भी पढ़ें: बेहतर कार्ययोजना से लैस हो प्रौद्योगिकी विजन-2047 स्वामित्व योजना के अंतर्गत ग्रामीण भारत के भूमि रिकॉर्ड डिजिटल किए जा रहे हैं, जिससे गाँवों के सशक्तिकरण का मार्ग प्रशस्त हुआ है। इस योजना के तहत, ड्रोन का उपयोग करके सभी ग्रामीण इलाकों का सर्वेक्षण किया जा रहा है, और इस प्रकार देश के हर गाँव के लिए भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) आधारित मानचित्र तैयार किये जा रहे हैं। भौगोलिक सूचना प्रणाली या जीआईएस; कंप्यूटर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर को भौगोलिक सूचना के साथ एकीकृत कर इनके लिए आंकड़े एकत्रण, प्रबंधन, विश्लेषण, संरक्षण और निरूपण की व्यवस्था करता है। गत वर्ष 24 अप्रैल को पंचायती राज दिवस के अवसर पर शुरू की गई स्वामित्व योजना का एक साल पूरा होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसकी प्रभावी भूमिका को सराहा है। राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू क्षेत्र के सांबा जिले की पल्ली पंचायत में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम को संबोधित करते हुए स्वामित्व योजना को ग्रामीण विकास के क्षेत्र में परिवर्तनकारी कदम बताया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के गाँवों में सुशासन प्रयासों के मूल में लोगों के कल्याण के लिए प्रौद्योगिकी की शक्ति का उपयोग प्रमुखता से शामिल है। इसका एक उदाहरण स्वामित्व योजना है, जिसने शानदार परिणाम दिए हैं। उन्होंने कहा है कि स्वामित्व योजना आधुनिक प्रौद्योगिकी की मदद से देश के गाँवों में विकास और विश्वास का नया मंत्र बनकर उभरी है। इसे भी पढ़ें: राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस समारोह में आकर्षण का केंद्र बनी ग्रामीण प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी ड्रोन आधारित सर्वेक्षण से गाँवों में भूमि का सीमांकन करने और भूमि संबंधी आंकड़े डिजिटल किये जा रहे हैं। इस पहल से गाँवों में संपत्ति का स्वामित्व सुनिश्चत करने, भूमि रिकॉर्ड के आधार पर बैंक से लोन प्राप्त करने, भूमि विवादों को दूर करने, सटीक भूमि रिकॉर्ड से बेहतर ग्रामीण विकास नियोजन करने, संपत्ति कर एकत्रित करने, और भूमि एवं सीमाओं की सटीक मैपिंग करने में मदद मिल रही है। स्वामित्व योजना के अंतर्गत अब तक 42 लाख से अधिक ग्रामीणों को प्रॉपर्टी कार्ड बाँटे जा चुके हैं। स्वामित्व योजना के तहत मार्च 2025 तक देश के सभी गाँवों को कवर करने का लक्ष्य रखा गया है। (इंडिया साइंस वायर)
इस भर्ती के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवारों के पास में किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से दसवीं पास की योग्यता होनी चाहिए।
बेहतर कार्ययोजना से लैस हो प्रौद्योगिकी विजन-2047
देश स्वाधीनता के 75वें वर्ष से गुजर रहा है और 25 साल बाद वर्ष 2047 में हम स्वतंत्र भारत की 100वीं वर्षगाँठ मनाएंगे। स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष में देश को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महाशक्ति के रूप में स्थापित करना भारत का लक्ष्य है, जिसके लिए स्वयं को समर्पित करने के साथ-साथ एक विस्तृत रूपरेखा की आवश्यकता है। इसे भी पढ़ें: राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस समारोह में आकर्षण का केंद्र बनी ग्रामीण प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी देश के समग्र विकास में प्रौद्योगिकी की भूमिका सुनिश्चित करने के लिए नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ राजीव कुमार ने सूचना, पूर्वानुमान एवं मूल्यांकन परिषद् (टाइफैक) से प्रौद्योगिकी विजन-2047 दस्तावेज में प्रभावी कार्ययोजना को शामिल किये जाने का आह्वान किया है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग से सम्बद्ध टाइफैक द्वारा आयोजित दो दिवसीय ‘टेक्नोलॉजी ऐंड सस्टेनेबिलिटी फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया’ मंथन सत्र के दौरान डॉ राजीव कुमार ने यह बात कही है। डॉ कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी देश के समग्र विकास में प्रौद्योगिकी के योगदान को महत्वपूर्ण मानते हैं, और आगामी 25 वर्षों के दौरान देश के विकास में प्रौद्योगिकी की भूमिका को लेकर उनका अपना एक समग्र दृष्टिकोण है। स्थायी विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए डॉ कुमार ने जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चुनौतियों से लड़ने में अनुकूलन एवं रोकथाम जैसे प्रयासों को नाकाफी बताते हुए कार्बन कैप्चर, और कार्बन को मिट्टी में स्थापित करने जैसे टिकाऊ विकल्पों पर ध्यान केंद्रित करने का आह्वान किया है। एग्रो-इकोलॉजी के बारे में बताते हुए उन्होंने इसमें रसायन मुक्त खेती की भूमिका भी उल्लेख किया। यह उल्लेखनीय है कि टाइफैक द्वारा ही विजन-2020 और विजन-2035 जैसे दृष्टिपत्र तैयार किए गए हैं, जिसमें देश के समग्र एवं संवहनीय विकास पर केंद्रित रूपरेखा प्रस्तुत की गई है। स्वाधीनता के 100वें वर्ष में भारत को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विश्व स्तर पर शीर्ष पंक्ति में खड़ा करने के लिए इसी प्रकार का दृष्टिपत्र टाइफैक द्वारा तैयार किया जा रहा है। दृष्टिपत्र तैयार करने के लिए आवश्यक विचार विमर्श की दृष्टि से इस आयोजन को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इसे भी पढ़ें: नये बायो-इन्क्यूबेशन केंद्र से जम्मू-कश्मीर में स्टार्टअप कल्चर बढ़ने की उम्मीद यह दो दिवसीय ‘टेक्नोलॉजी ऐंड सस्टेनेबिलिटी फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया’ सत्र 28-29 अप्रैल को नई दिल्ली में आयोजित किया गया है, जिसमें बदलते भारत में स्थायी विकास के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकी हस्तक्षेपों पर गहन चर्चा की गई। स्थायी स्वास्थ्य, स्थायी पोषण, संसाधनों का टिकाऊ उपयोग और सस्ती एवं सुलभ शिक्षा के लक्ष्य को प्राप्त करने में प्रौद्योगिकी की भूमिका को लेकर गहन चर्चा इस सम्मेलन में की जा रही है। सत्र के पहले दिन डॉ राजीव कुमार के अलावा टाइफैक के कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर प्रदीप श्रीवास्तव, टाइफैक के चेयरमैन प्रोफेसर देवांग खाखर, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के पूर्व महानिदेशक प्रोफेसर पंजाब सिंह, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी के पूर्व निदेशक अमूल्य कुमार पांडा और एकोर्ड सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, फरीदाबाद के निदेशक डॉ जितेंद्र कुमार जैसे प्रबुद्ध विशेषज्ञ चर्चा में शामिल थे। टाइफैक के चेयरमैन प्रोफेसर देवांग खाखर ने कहा कि भारत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सशक्त क्षमता रखता है, और हमें अपनी इस क्षमता को स्थायी विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में लगाना है। (इंडिया साइंस वायर)
हम यहां ऐसी नौकरियों के बारे में बता रहे हैं, जहां आवेदन के जरिए आप बेहतरीन सैलरी पा सकते हैं। दरअसल, इस वक्त कई विभागों में बंपर नौकरियां निकली हैं, जिनके लिए आवेदन जारी हैं।
राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस समारोह में आकर्षण का केंद्र बनी ग्रामीण प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी
गरीबी उन्मूलन, ग्रामीण आत्मनिर्भरता एवं आजीविका बढ़ावा देने में मददगार प्रौद्योगिकी एवं नवाचारों पर केंद्रित जम्मू के सांबा जिले के पल्ली में आयोजित तीन दिवसीय प्रदर्शनी मंगलवार को समाप्त हो गई। इस प्रदर्शनी में ग्रामीण आजीविका एवं उद्यमिता को बढ़ावा देने से जुड़े वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के तकनीकी नवाचारों ने लोगों को सबसे अधिक आकर्षित किया। इनमें जम्मू की ‘बैंगनी क्रांति’ का पर्याय बनी लैवेंडर की खेती; सीएसआईआर फ्लोरीकल्चर मिशन; सीएसआईआर-अरोमा मिशन, हींग, केसर, दालचीनी जैसे बहुमूल्य उत्पादों की खेती से जुड़ी प्रौद्योगिकी, एकीकृत कीट प्रबंधन, बाँस अपशिष्ट से चारकोल बनाने की तकनीक, और कृषि उत्पादों को बेचने में मददगार किसान सभा ऐप प्रमुखता से शामिल हैं। इसे भी पढ़ें: नये बायो-इन्क्यूबेशन केंद्र से जम्मू-कश्मीर में स्टार्टअप कल्चर बढ़ने की उम्मीद इस प्रदर्शनी में एक तरफ ‘अरोमा मिशन’ के अंतर्गत सीएसआईआर-सीमैप द्वारा ‘बैंगनी क्रांति’ को प्रदर्शित किया गया, तो फ्लोरीकल्चर मिशन से जुड़े आयाम सीएसआईआर-एनबीआरआई के वैज्ञानिकों द्वारा प्रदर्शित किये गए। इसी तरह, हींग, केसर, दालचीनी जैसे उच्च मूल्य वाले औषधीय पौधों के उत्पादन एवं विपणन के बारे में जानकारी सीएसआईआर-आईएचबीटी द्वारा प्रदान की गई। सीएसआईआर-आईआईसीटी द्वारा प्रदर्शित सेमिओकेमिकल्स/फेरोमोन अनुप्रयोग प्रौद्योगिकी और सीएसआईआर-सीएमईआरआई द्वारा विकसित ई-टैक्टर ने भी लोगों को खूब लुभाया। जम्मू और कश्मीर के लिए चमड़ा क्षेत्र में कौशल एवं उद्यमिता विकास से संबंधित सीएसआईआर-सीएलआरआई के प्रयासों को भी यहाँ प्रदर्शित किया गया था। राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर पर यह इस तीन दिवसीय प्रदर्शनी 24-26 अप्रैल तक आयोजित की गई थी। इस प्रदर्शनी को देखने के लिए स्कूली बच्चों एवं कॉलेज छात्रों के साथ-साथ बड़ी संख्या में शिक्षक, शोधार्थी, उद्यमी, और ग्रामीण विकास से जुड़ी सरकारी एवं गैर-सरकारी संस्थाओं के प्रतिनिधि पहुँच रहे थे। प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी के दौरान देश भर में फैली सीएसआईआर की घटक प्रयोगशालाओं द्वारा पोस्टर, शॉर्ट फिल्म, प्रोडक्ट डिस्प्ले, और सफल लाभार्थी उद्यमियों की उपस्थिति के माध्यम से ग्रामीण प्रौद्योगिकियों एवं उनकी उपयोगिता को प्रदर्शित किया गया। केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी; राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पृथ्वी विज्ञान; राज्य मंत्री पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष; डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा है कि इस प्रदर्शनी में गरीबी उन्मूलन, आजीविका वृद्धि, स्वस्थ गाँव, बच्चों के अनुकूल गाँव, जल सुलभ गाँव, स्वच्छ एवं हरा-भरा गाँव, गाँव में आत्मनिर्भर बुनियादी ढांचा जैसे विषय शामिल किये गए हैं। उन्होंने कहा कि ग्रामीण विकास और पंचायती राज के विषयों के साथ विज्ञान और प्रौद्योगिकी के एकीकरण को प्रदर्शित करने वाले स्टाल इस प्रदर्शनी में प्रमुखता से लगाए गए हैं। सीएसआईआर-एनएएल द्वारा विकसित मीडियम मल्टी-कॉप्टर मानव रहित एयर व्हीकल (एमयूएवी), जो कृषि क्षेत्र के अनुप्रयोगों में उपयोग हो सकता है, को भी लोगों ने उत्सुक्तापूर्वक देखा। ग्रामीण स्तर पर उद्यमिता को बढ़ावा देने से जुड़ी विभिन्न प्रौद्योगिकियों को इस प्रदर्शनी में पेश किया गया। अपशिष्ट फूलों से अगरबत्ती निर्माण, कृषि अपशिष्ट से बनी कटलरी, सूखे फूलों से बने शिल्प के बारे में विशेषज्ञों द्वारा प्रदान की जा रही जानकारी में लोग रुचि लेते देखे गए। इसे भी पढ़ें: ग्रामीण आत्मनिर्भरता का सूत्रधार बनी प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी जल की उपलब्धता का पता लगाने के लिए हेलीकॉप्टर की मदद से हाई रिजोल्यूशन जलभृत मैपिंग, इंटरनेट ऑफ थिंग्स आधारित वाटर सर्विस डिलीवरी मेजरमेंट ऐंड मॉनिटरिंग सेंसिंग सिस्टम, अपशिष्ट जल उपचार, जल प्रबंधन, जलस्रोतों के पुनरुद्धार, और पर्वतीय क्षेत्रों में सापेक्ष आर्द्रता से वायुमंडल से जल प्राप्त करने से जुड़ी तकनीकों को प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी में प्रस्तुत किया गया, जो जल प्रबंधन के क्षेत्र में प्रभावी बदलाव लाने में सक्षम हैं। स्वच्छ एवं हरित गाँव के सपने को साकार करने से संबंधित अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियाँ भी इस प्रदर्शनी में देखने को मिली हैं। ठोस कचरा प्रबंधन, सूक्ष्मजीवों की मदद से मल को खाद में परिवर्तित करने में सक्षम शुष्क टॉयलेट, प्लास्टिक कचरे का उपयोग, सोलर पावर ट्री जैसे नवीकरणीय ऊर्जा से जुड़ी तकनीक, और सोलर चूल्हा जैसी ऊर्जा प्रौद्योगिकियों को भी खूब पसंद किया गया। सीएसआईआर को पर्यावरण, स्वास्थ्य, पेयजल, भोजन, आवास, ऊर्जा, कृषि और गैर-कृषि क्षेत्र सहित विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी आधारित अनुसंधान एवं विकास कार्यों के लिए जाना जाता है। सीएसआईआर के पास 37 राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं, 39 आउटरीच केंद्रों, 03 नवाचार परिसरों और अखिल भारतीय उपस्थिति वाली पाँच इकाइयों का एक गतिशील नेटवर्क है। सीएसआईआर समुद्र विज्ञान, भूभौतिकी, रसायन, दवाओं, जीनोमिक्स, जैव प्रौद्योगिकी और नैनो प्रौद्योगिकी से लेकर खनन, वैमानिकी, इंस्ट्रूमेंटेशन, पर्यावरण इंजीनियरिंग और सूचना प्रौद्योगिकी तक एक व्यापक स्पेक्ट्रम को कवर करता है। (इंडिया साइंस वायर)
20 लाख Jobs के लिए व्यवसायिक परियोजनाओं की समीक्षा
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नये बायो-इन्क्यूबेशन केंद्र से जम्मू-कश्मीर में स्टार्टअप कल्चर बढ़ने की उम्मीद
वैज्ञानिक तथा औद्योगिकी अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की जम्मू स्थित प्रयोगशाला- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटिव मेडिसिन (सीएसआईआर-आईआईआईएम) में बायोनेस्ट (BioNEST) इन्क्यूबेशन सेंटर शुरू हो गया है। केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी; राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पृथ्वी विज्ञान; राज्य मंत्री पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष, डॉ जितेंद्र सिंह द्वारा बायोनेस्ट की शुरुआत की गई है। इसे भी पढ़ें: ग्रामीण आत्मनिर्भरता का सूत्रधार बनी प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी बायोनेस्ट के आरंभ से जम्मू-कश्मीर में सुगंधित एवं औषधीय पौधों पर आधारित स्टार्टअप्स को बढ़ावा मिलने की उम्मीद बढ़ गई है। भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) द्वारा जम्मू-कश्मीर में जैव प्रौद्योगिकी आधारित स्टार्ट-अप्स को प्रोत्साहन देने और स्थानीय युवाओं में उद्यमीय दृष्टिकोण एवं कौशल विकसित करने के उद्देश्य से बायोनेस्ट इन्क्यूबेशन सेंटर को डिजाइन किया गया है। हिमालय के जैव विविधता समृद्ध क्षेत्र में बसे जम्मू-कश्मीर में सुगंधित तेल उत्पादों, औषधीय मशरूम, न्यूट्रासटिकल उत्पादों, हर्बल दवाओं और वेलनेस उद्योग में अपार संभावनाएं हैं। यह स्थिति बायोटेक स्टार्ट-अप के लिए एक बेहतर उद्यमशीलता क्षमता प्रदान करती है। प्रतिभाशाली युवाओं और प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक संसाधनों के बावजूद इस क्षेत्र में उद्यमिता का अभाव रहा है। बायोनेस्ट की स्थापना इस खाई को पाटने में कारगर हो सकती है। बायोनेस्ट इनक्यूबेशन केंद्र का उद्देश्य उद्यमीय विचारों को प्रोत्साहित करना, और इस क्षेत्र के युवाओं के बीच स्टार्ट-अप संस्कृति का पोषण करना है। यह इन्क्यूबेशन केंद्र स्टार्टअप्स को उत्पाद विकास चक्र के दौरान समग्र समर्थन, सलाह और पोषण के जरिये मुख्यधारा में शामिल होने में मदद करने में अपनी भूमिका निभाने के लिए तैयार है। औषधीय एवं सुगंधित पौधों पर आधारित स्टार्ट-अप्स को बढ़ावा देने में नया इन्क्यूबेशन केंद्र विशेष भूमिका निभा सकता है। इसे भी पढ़ें: मंगल पर भवन-निर्माण के लिए ‘अंतरिक्ष ईंट’ केंद्रीय मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा है कि स्टार्टअप कॉन्सेप्ट आखिरकार जम्मू में भी रफ्तार पकड़ रहा है। उन्होंने बताया कि सीएसआईआर-आईआईआईएम द्वारा पहले ही 64 स्टार्टअप पंजीकृत किए जा चुके हैं, और कई अन्य स्टार्टअप्स बायोनेस्ट द्वारा प्रदान किये जा रहे आजीविका से जुड़े समर्थन एवं नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र का लाभ उठाने के लिए लगातार संपर्क में हैं। केंद्रीय मंत्री ने बायोनेस्ट के उद्घाटन के अवसर पर बताया कि सीएसआईआर-आईआईआईएम में पंजीकृत स्टार्टअप्स द्वारा 14 उत्पाद विकसित किए जा चुके हैं, जिनमें से चार उत्पाद बाजार में पहुँच चुके हैं। डॉ सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय महत्व के संस्थान सीएसआईआर-आईआईआईएम द्वारा अरोमा मिशन की शुरुआत की गई है, जिससे युवाओं और किसानों के लिए रोजगार एवं आत्मनिर्भरता का मार्ग प्रशस्त हुआ है। जम्मू में लैवेंडर की खेती से हुई ‘बैंगनी क्रांति’ का उदाहरण देते हुए कहा कि इस क्षेत्र लैंवेडर की खेती परिवर्तनकारी साबित हुई है। डॉ सिंह ने बताया कि मुंबई स्थित अजमल बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड, अदिति इंटरनेशनल और नवनेत्री गमिका जैसी प्रमुख कंपनिया सुगंधित तेल खरीद रही है, जिससे सुगंधित पौधों की खेती कर रहे किसानों एवं युवाओं को अपना उत्पाद बेचने के लिए बाजार तलाशने जैसी व्यावसायिक चुनौतियों का सामना नहीं करना पड़ेगा। सीएसआईआर-आईआईआईएम, जहाँ यह इन्क्यूबेशन केंद्र स्थापित किया गया है, को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार के लिए उच्च मूल्य के उत्पादों की खोज और विकास के लिए अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे एवं वैज्ञानिक सहायता प्रदान करने के लिए जाना जाता है। वर्ष 1942 में ड्रग लेबोरेटरी (अब सीएसआईआर-आईआईआईएम) के रूप में अपनी स्थापना के बाद से यह राष्ट्रीय प्रयोगशाला जम्मू-कश्मीर में मजबूत अनुसंधान तथा विकास आधार विकसित करके राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। (इंडिया साइंस वायर)
चार्टर्ड अकाउंटेंट बनने का सपना है तो जान लें ये जरूरी बातें, ऐसे करें तैयारी
बहुत से छात्र 12वीं के बाद CA यानी चार्टर्ड अकाउंटेंट बनने का सपना देखते हैं। सीए बहुत ही प्रतिष्ठा और मेहनत का काम होता है। चार्टर्ड अकाउंटेंट बनने का सपना काफी लोग देखते हैं लेकिन चार्टर्ड अकाउंटेंट बनता सिर्फ वही है जिसमें पढ़ने की लगन और चाह होती है। चार्टर्ड अकाउंटेंट के लिए बहुत सारे पेपर देने पड़ते हैं। सीए में करियर बनाने के लिए आपको तीन एग्जाम क्लियर करने होंगे। सीपीटी (एंट्रेंस एग्जाम), आईपीसीसी (इंटरमीडिएट एग्जाम) और फाइनल सीए एग्जाम। इसे भी पढ़ें: एनडीए की कर रहे हैं तैयारी तो समझ लीजिए एग्जाम पैटर्न, पढ़ें परीक्षा से जुड़ी सारी जरुरी डिटेल्स कॉमन प्रोफिसिएंसी टेस्ट (CPT)- सीए में करियर बनाने के लिए आपको इसकी शुरूआत कॉमन प्रोफिसिएंसी टेस्ट सीपीटी से करनी होती है, इसे पास करने के बाद ही आप अपने सीए बनने की एक सीढ़ी और चढ़ जाएंगे। सीए के पेपर में आपके चार विषय होंगे जैसे अकाउंटिंग, मर्केटाइल लॉ, जनरल इकोनॉमिक्स एवं क्वांटिटेटिव एप्टीटयूड। इन विषयों में से आपके पूरे पेपर के सवाल आएँगे। इंटीग्रेटेड प्रोफेशनल कंपीटेंस कोर्स (IPCC)- इस पेपर में अकाउंटिंग, बिजनेस और कंपनी लॉ, एथिक्स एंड कम्युनिकेशन, कास्ट अकाउंटिंग और फाइनेंशियल मैनेजमेंट, टैक्सेशन, एडवांस अकाउंटिंग, आईटी एंड स्ट्रेटेजिक मैनेजमेंट विषय से सवाल आएँगे। सीपीटी का पेपर क्लियर करने के बाद स्टूडेंट्स आईपीसीसी का एग्जाम दे सकते हैं। पहले पेपर को क्लियर करने के बाद दूसरे पेपर के लिए 9 महीने का समय लगता है। ऐसे करें तैयारी सीए में अपने करियर बनाने के लिए छात्र शुरुआत से ही अपनी तैयारी पक्की करने लग जाते हैं। कॉमर्स स्ट्रीम में 12वीं पास करने के बाद अक्सर छात्र चार्टर्ड अकाउंटेंट बनने का सपना देखता है। वहीं, कुछ लोग चार्टर्ड अकाउंटेंट का कोर्स करने के लिए पहले ग्रेजुएशन करते हैं। सीए में रूचिरखने वाले छात्रों को अर्थव्यवस्था और एकाउंटिंग सामान्य ज्ञान होना चाहिए। इसे भी पढ़ें: बैचलर ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज (BMS) करने के लाभ और इसके स्कोप योग्यता चार्टर्ड अकाउंटेंट का कोर्स करने के लिए 12वीं पास करना अनिवार्य है। 12वीं में कम से कम 50 प्रतिशत अंक कॉमर्स वाले और 55 प्रतिशत अंक नॉन कॉमर्स वालों के लिए अनिवार्य होते हैं। अगर आप चार्टर्ड अकाउंटेंट बनने के लिए ग्रेजुएशन के बाद आवेदन करते है तो 60 प्रतिशत अंक होने चाहिए। - प्रिया मिश्रा
SSC CGL Tier 2 Result: एसएससी सीजीएल टियर-2 परीक्षा के परिणाम जारी, यहां देखें अपना रिजल्ट
कर्मचारी चयन आयोग की ओर से CGL Tier-2 परीक्षा का आयोजन सीबीटी मोड में 28, 29 जनवरी और 2 फरवरी, 2022 को किया गया था।
NSDC भारतीय युवाओं को यूएई और अन्य देशों में रोजगार खोजने में करेगा मदद
NSDC भारतीय युवाओं को यूएई और अन्य देशों में रोजगार खोजने में करेगा मदद
ग्रामीण आत्मनिर्भरता का सूत्रधार बनी प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी
भारत की आत्मा उसके गाँवों में बसती है। भारत में छह लाख से अधिक गाँव हैं, छह हजार से अधिक ब्लॉक, और 750 से अधिक जिले हैं, और सभी पंचायती राज प्रणाली द्वारा शासित हैं। पंचायती राज संस्था को भारत के सबसे पुराने शासी निकायों में से एक माना जाता है। राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर जम्मू क्षेत्र के सांबा जिले की पल्ली पंचायत में प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी आयोजित की गई है। 24 से 26 अप्रैल तक चलने वाली इस तीन दिवसीय प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी में ग्रामीण आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने में मददगार प्रौद्योगिकियों को दर्शाया गया है। इसे भी पढ़ें: मंगल पर भवन-निर्माण के लिए ‘अंतरिक्ष ईंट’ गरीबी उन्मूलन और ग्रामीण आजीविका विकास को बढ़ावा देने में उपयोगी आधुनिक प्रौद्योगिकियों एवं नवाचारों को इस प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया गया है। ड्रोन आधारित मैपिंग से लेकर जम्मू में बैंगनी क्रांति का पर्याय बनी लैवेंडर की खेती, सीएसआईआर फ्लोरीकल्चर मिशन; हींग, केसर, दालचीनी जैसे बहुमूल्य उत्पादों की खेती से जुड़ी प्रौद्योगिकी, एकीकृत कीट प्रबंधन, बाँस अपशिष्ट से चारकोल बनाने की तकनीक, और किसानों के उत्पादों को बेचने में मददगार किसान सभा ऐप इत्यादि इस प्रदर्शनी में शामिल हैं, जो गाँवों के समग्र विकास का मार्ग प्रशस्त कर सकती हैं। रविवार को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं पल्ली में लगी इस प्रदर्शनी को देखने पहुँचे थे। लोगों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पंचायतें भारतीय लोकतंत्र का आधारस्तंभ हैं, जिनकी मजबूती में ही नये भारत की समृद्धि निहित है। उन्होंने आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में पंचायतों को और अधिक सशक्त करने का संकल्प लेने का आह्ववान किया है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी द्वारा सांबा में कई विकास परियोजनाओं की आधारशिला भी रखी गई है। केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी; राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पृथ्वी विज्ञान; राज्य मंत्री पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष, डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा है कि स्टार्ट-अप्स को प्रेरित करने, और देश भर में आजीविका के नये अवसरों के बारे में जागरूकता पैदा करने में मदद करने के लिए प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी आयोजित की गई है। पल्ली में लगी इस विज्ञान प्रदर्शनी को देखने के लिए स्कूली बच्चों एवं कॉलेज छात्रों के साथ-साथ बड़ी संख्या में शिक्षक, शोधार्थी, और ग्रामीण विकास से जुड़ी सरकारी एवं गैर-सरकारी संस्थाओं के प्रतिनिधि पहुँच रहे हैं। सांबा जिले का पल्ली, जो देश का पहला कार्बन न्यूट्रल गाँव बनकर उभरा है, ग्रामीण भारत के लिए एक मिसाल बन गया है। पल्ली में 340 घरों को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जम्मू यात्रा के दौरान सौर ऊर्जा की सौगात मिली है। पल्ली में 500 केवी क्षमता का सौर संयंत्र स्थापित किया गया है। अब पल्ली पंचायत के घरों को स्वच्छ बिजली और प्रकाश मिल सकेगा, जिससे यह गाँव भारत सरकार के ‘ग्राम ऊर्जा स्वराज’ कार्यक्रम के तहत पहली कार्बन तटस्थ पंचायत बनकर उभरा है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान विभाग (डीएसआईआर) के अंतर्गत कार्यरत भारत सरकार के उद्यम सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (सीईएल) द्वारा 20 दिनों के रिकॉर्ड समय में पल्ली में ग्राउंड माउंटेड सोलर पावर (GMSP) संयंत्र स्थापित किया गया है। इसे भी पढ़ें: कोविड-19 संक्रमण-रोधी नया सुरक्षित डिसइन्फेक्टेंट डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रदर्शनी में गरीबी उन्मूलन, आजीविका वृद्धि, स्वस्थ गाँव, बच्चों के अनुकूल गाँव, जल सुलभ गाँव, स्वच्छ एवं हरा-भरा गाँव, गाँव में आत्मनिर्भर बुनियादी ढांचा जैसे विषय शामिल किये गए हैं। उन्होंने कहा कि ग्रामीण विकास और पंचायती राज के विषयों के साथ विज्ञान और प्रौद्योगिकी के एकीकरण को प्रदर्शित करने वाले स्टाल इस प्रदर्शनी में प्रमुखता से लगाए गए हैं। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि आयोजन में पारंपरिक स्टॉल के बजाय, नवीनतम तकनीक का प्रदर्शन करने का प्रयास किया गया है, जो किसानों की आय बढ़ाने में सक्षम हैं। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय, वैज्ञानिक तथा औद्योगिकी अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर), अंतरिक्ष विभाग, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, जैव प्रौद्योगिकी विभाग, परमाणु ऊर्जा विभाग, सर्वे ऑफ इंडिया, नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन, अंतरिक्ष विभाग, और ड्रोन फेडरेशन ऑफ इंडिया सहित विभिन्न विभाग एवं मंत्रालय इस प्रदर्शनी में ग्रामीण विकास से जुड़ी अपनी प्रौद्योगिकियों को प्रदर्शित कर रहे हैं। (इंडिया साइंस वायर)
अगर आप सरकारी क्षेत्र में नौकरी की तलाश कर रहे हैं,तो यहां कई छोटी से लेकर बड़ीभर्तियों की जानकारी दी गईहै,जिनके लिए आप आने वाले दिनों में आवेदन कर सकते हैं।
स्वतंत्रता के बाद इस देश को आगे ले जाने और जन जन तक आजादी की अहमियत को पहुंचाने के लिए तमाम दलों ने साथ मिलकर काम किया। आजादी के वक्त देश की जो अंतरिम सरकरा बनी उसमें तमाम दलों के लोग शामिल थे। इन लोगों की राजनीतिक राय एक दूसरे से अलग जरूर रही होगी। लेकिन देश को नये रास्ते पर ले जाने की चाहत सबके मन में थी। इनमें से कुछ ऐसे लोग भी थे जिन्होंने अपनी विचारधारा और राष्ट्रवाद से कभी समझौता नहीं किया और देश की अखंडता के लिए अपना सबकुछ न्य़ौछावर कर दिया। ऐसे ही शख्सियत थे डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी। एक दक्ष राजनेता, विद्वान और स्पष्टवादी के रूप तौर पर न केवल वो अपने चाहने वालों बल्कि वैचारिक विरोधियों के बीच भी वो सम्मान से याद किए जाते हैं। लेकिन उनका जीवन दुर्भाग्यवश इतना लंबा नहीं चला और 1953 में उनकी मौत हो गई। श्यामा प्रसाद मुखर्जी के निधन के करीब सात दशक गुजर चुके हैं लेकिन फिर भी उनकी मौत एक पहेली बनी हुई है। कुछ समय पूर्व कोलकाता हाईकोर्ट में एक याचिका भी दायर की गई थी। जिसमें याचिकाकर्ता की तरफ से मांग की गई थी कि डॉ मुखर्जी की मौत की जांच के लिए कमीशन बने। इससे तय होगा कि उनकी मौत प्राकृतिक थी या साजिश। 23 जून 1953 इतिहास में दर्ज वो तारीख जो हिन्दुस्तान के एक महानायक की रहस्मय मौत की गवाह है। जो गवाह है डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी की उस डेथ मिस्ट्री की जो आज तक पूरे देश के लिए अनसुलझी और अबूझ पहेली है। जन्नत की खुश्बू को समेटे कश्मीर की उन वादियों में वो कौन सी घुटन थी जिसकी वजह से संघ के भीष्मपितामह की सांसे थम गई। पिछले 68 साल से इस सवाल का जवाब अंधेरे में गुम है कि आखिर डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के साथ कश्मीर के उस 10x11 फीट के कमरे में क्या हुआ था। जिसमें उन्हें नजरबंद किया गया था। श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मौत कब और कैसे हुई? कौन सा इंजेक्शन लगने के बाद डॉ. मुखर्जी की मौत हुई? क्यों नेहरू सरकार ने उनकी मौत की जांच तक नहीं करवाई? इसे भी पढ़ें: History Revisited: विमान दुर्घटना के बाद संजय की जेब में क्या तलाश रही थीं इंदिरा? विमान हादसे के पीछे का रहस्य डॉ. मुखर्जी का सफरनामा श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई 1901 को एक संपन्न और प्रतिष्ठित बंगाली परिवार में हुआ था। पिता आशुतोष मुखर्जी बंगाल के एक जाने माने शिक्षाविद् थे। श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बचपन का नाम बेनी था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा भवानीपुर के मित्र इंस्टीटूशन से हुई थी। 1917 में मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद उन्होंने कलकत्ता के प्रेसिडेंसी कॉलेज से 1919 में इंटरमीडिएट और 1921 में अंग्रेजी साहित्य में स्नात्तकोत्तर की पढ़ाई पूरी की। 1922 में उनका विवाह सुधा चक्रवर्ती के साथ हुआ। 1923 में वे विश्वविद्यालय सीनेट के फैलो बने। 1924 में कलकत्ता विश्विद्यालय से बैचलर ऑफ लॉ की परीक्षा पास करने के बाद अधिवक्ता के रूप में कलकत्ता उच्च न्यायालय में अपना नाम दर्ज कराया। 1927 में मुखर्जी इंग्लैंड से बैरिस्टर की डिग्री लेकर भारत लौटे। मुखर्जी केवल 33 साल की उम्र में कोलकाता यूनिवर्सिटी के कुलपति बन गए। वहां से वो कोलकाता विधानसभा पहुंचे। यहां से उनका राजनैतिक करियर शुरू हुआ। बंगाल के फजलुल हक की सरकार में वित्त मंत्री बने। एक साल के अंदर मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इसके कुछ दिन बाद ही वे अखिल भारतीय हिन्दू महासभा में शामिल हो गए। 1944 में डॉ मुखर्जी को अखिल भारतीय हिन्दू महासभा का अध्यक्ष बना दिया गया। स्वतंत्रता के बाद का आम चुनाव और मुखर्जी गांधी जी की हत्या के बाद श्यामा प्रसाद मुखर्जी चाहते थे कि हिंदू महासभा को केवल हिन्दुओं तक ही सीमित न रखा जाए। साल 1948 में जब श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मांगों को नहीं माना गया तो वो इससे अलग हो गए। आजादी के मुखर्जी तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित नेहरू की अंतरिम सरकार में उद्योग एवं आपूर्ति मंत्री बने। लेकिन वो ज्यादा दिनों तक मंत्रिमंडल का हिस्सा नहीं रहे। पंडित नेहरू और लियाकत अली के समझौते से दुखी होकर 6 अप्रैल 1950 को उन्होंने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। बाद में आरएसएस के सरसंघचालक गोलवलकर से सलाह मशवरा करने के बाद 21 अक्टूबर 1951 को भारतीय जनसंघ की स्थापना की और इसके पहले अध्यक्ष बने। 1951-52 के आम चुनाव में भारतीय जनसंघ के तीन सांसद चुने गए। परमिट राज राज विरोध और मुखर्जी का कश्मीर दौरा महाराजा हरि सिंह के जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय के बावजूद नेहरू और शेख अब्दुल्ला के समझौते के तहत अनुच्छेद-370 पूर्ण विलय में बाधा बन गया था। यहां तक कि राज्य में प्रवेश के लिए भी परमिट लेना पड़ता था। डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी धारा 370 के उस प्रावधान के सख्त खिलाफ थे जिसके तहत भारत सरकार से परमिट लिए बगैर कोई भी भारतीय जम्मू कश्मीर की सीमा में प्रवेश नहीं कर सकता था। 8 मई 1953 को सुबह साढ़े छह बजे दिल्ली रेलवे स्टेशन से अपने समर्थकों के साथ एक पैसेंजर ट्रेन में सवार होकर डॉ. मुखर्जी पंजाब के रास्ते जम्मू के लिए निकले। श्यामा प्रसाद मुखर्जी जम्मू कश्मीर में लागू परमिट सिस्टम तोड़ने के लिए आए थे। डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के साथ बलराज मधोक और अटल बिहारी वाजपेयी के अलावा कुछ पत्रकार भी थे। रास्ते में डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की एक झलक पाने के लिए लोगों का जनसैलाब उमड़ पड़ता था। जालंधर में डॉ मुखर्जी ने बलराज मधोक को वापस भेज दिया और अमृतसर के लिए ट्रेन पकड़ ली। हैरानी की बात ये थी की मुखर्जी कश्मीर जा रहे थे लेकिन सरकार न तो उन्हें रोक रही थी और न ही गिरफ्तार कर रही थी। श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन का आरोप है कि यहीं से असली साजिश शुरू हुई थी। 10 मई 1953 को जैसे ही श्यामा प्रसाद मुखर्जी जम्मू पहुंचे उन्हें पुलिस ने पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत लखनपुर में गिरफ्तार कर लिया। कहा गया कि उनके यहां आने से शांति में खलल पड़ सकता है और माहौल बिगड़ सकता है। गिरफ्तारी के बाद मुखर्जी को श्रीनगर ले जाया गया। लेकिन जेल की जगह उन्हें एक सेफ हाउस में नजरबंद कर दिया गया। पीर पंजाल की पहाड़ियों के बीच डॉ मुखर्जी को गिरफ्तार करके रखा गया। उन्हें कश्मीर में 44 दिन जेल में रखा गया, जहां 23 जून, 1953 को रहस्यमय हालात में उनकी मौत हो गई। इसे भी पढ़ें: History Revisited: चंगेज खान और मंगोलों के बारे में ऐसी जानकारी कहीं नहीं मिलेगी लगातार बिगड़ती गई सेहत लेकिन श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मौत की कहानी इतनी सरल नहीं है। इसको लेकर कई कहानियां हैं, दावे हैं, जिसका जिक्र गृह मंत्री अमित शाह से लेकर बीजेपी अध्यक्ष तक ने कई बार विभिन्न मंचों पर किया है। डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नजरबंदी के दौरान सरकार की तरफ से उन पर लगातार नजर रखी जाती थी। वो अपनी कैद के दौरान लगातार चिट्ठियां भी लिखते थे जिसकी भाषा बंगाली होती थी। सरकार इसकी जांच के लिए उन चिट्ठियों को ट्रांसलेट भी करवाती थी। नजरबंदी के दौरान डॉ मुखर्जी से न कोई उनका रिश्तेदार मिल सकता था और न कोई उनका दोस्त। इंजेक्शन के बाद मौत एक महीने से ज्यादा वक्त तक कैद डॉ मुखर्जी की सेहत लगातार बिगड़ रही थी। उन्हें बुखार और पीठ में दर्द की शिकायते थीं। 19 और 20 जून की दरमियानी रात को उन्हें प्लूराइटिस हो गया। उन्हें 1937 और 1944 में भी हो चुका था। डॉ. अली मोहम्मद ने उनकी जांच की और फिर उन्हें एक इंजेक्शन दिया। जिसके कुछ घंटों बाद ही उनकी मौत हो गई। डॉक्टर अली मोहम्मद ने उन्हें स्ट्रेप्टोमाइसिन का इंजेक्शन दिया था। मुखर्जी ने डॉ. अली को बताया था कि उनके फैमिली डॉक्टर का कहना रहा था कि ये दवा मुखर्जी के शरीर को सूट नहीं करती थी, फिर भी अली ने उन्हें भरोसा दिलाकर ये इंजेक्शन दिया था। ढाई बजे रात को उनका देहांत हुआ। लेकिन हॉस्पिटल की रिपोर्ट में चार बजे का वक्त दिखाया गया। नेहरू ने मौत की जांच क्यों नहीं कराई? बीजेपी के राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा दावा करते हैं कि जब डॉ मुखर्जी जेल में थे उस वक्त पंडित जवाहर लाल नेहरू कश्मीर गए थे। उनके साथ तत्कालीन गृह मंत्री भी थे। लेकिन एक बार भी नेहरू ने अपने पूर्व मंत्रिमंडल के सदस्य के हालचाल के बारे में पूछताछ नहीं की। हिरासत में मुखर्जी की मौत की खबर ने पूरे देश में खलबली पैदा कर दी थी। कई नेताओं और समाज व सियासत से जुड़े कई समूहों ने मुखर्जी की मौत की निष्पक्ष जांच कराए जाने की मांग की थी। मुखर्जी की मां जोगमाया देवी ने भी तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू को इस मांग संबंधी चिट्ठी लिखी। लेकिन जवाब में नेहरू ने यही कहा कि मुखर्जी की मौत कुदरती थी, कोई रहस्य नहीं कि जांच करवाई जाए। बहरहाल सात दशक बीत गए कई सरकारें आईं और चलीं गई लेकिन राष्ट्रवादी शख्सियत डॉ मुखर्जी की डेथ मिस्ट्री से जुड़े सवाल आज भी इंतजारों में घूम रहे हैं। - अभिनय आकाश
BSF SI Recruitment 2022: सीमा सुरक्षा बल, बीएसएफ (BSF) में सरकारी नौकरी का मौका है। बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स ने इंस्पेक्टर, सब इंस्पेक्टर और जूनियर इंजीनियर/सब इंस्पेक्टर (इलेक्ट्रिकल) पदों के लिए भर्ती निकाली है। इस भर्ती के लिए आवेदन ऑनलाइन मोड में करना है। इच्छुक और योग्य उम्मीदवार रोजगार समाचार में विज्ञापन के प्रकाशन की तिथि से 45 दिनों (31 मई 2022) के अंदर आवेदन जमा कर सकते हैं। इस भर्ती के जरिए 90 पद भरे जाएंगे। आवेदन करने से पहले उम्मीदवार यहां शैक्षणिक योग्यता, अनुभव, चयन मानदंड और अन्य विवरण देख सकते हैं। महत्वपूर्ण तिथियां आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि : रोजगार समाचार में विज्ञापन के प्रकाशन की तिथि से 45 दिनों (31 मई 2022) तक। वैकेंसी डिटेल कुल पदों की संख्या : 90 पद इंस्पेक्टर (आर्किटेक्ट) : 1 पद सब इंस्पेक्टर वर्क्स : 57 पद जूनियर इंजीनियर/सब इंस्पेक्टर (इलेक्ट्रिकल) : 32 पद यह भी पढ़ें- PSPCL Recruitment 2022: 1690 सहायक लाइनमैन की भर्ती, ऐसे करें आवेदन शैक्षिक योग्यता इंस्पेक्टर (आर्किटेक्ट) : उम्मीदवार आर्किटेक्चर में बीटेक किया होना चाहिए। सब इंस्पेक्टर वर्क्स : इस के लिए आवेदक के पास सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया होना चाहिए। जूनियर इंजीनियर/सब इंस्पेक्टर (इलेक्ट्रिकल) : इस पद के लिए इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा होना चाहिए। वेतनमान इंस्पेक्टर (आर्किटेक्ट) : पे मैट्रिक्स लेवल 7 (44900 रुपये-1,42400) सब इंस्पेक्टर वर्क्स/ जूनियर इंजीनियर/सब इंस्पेक्टर (इलेक्ट्रिकल) : पे मैट्रिक्स लेवल 6 (35400 रुपये-1,12400) यह भी पढ़ें- PNB Recruitment 2022: पंजाब नेशनल बैंक में 145 पदों पर भर्ती, जानिए वैकेंसी डिटेल आयु सीमा जारी अधिसूचना के अनुसार इन पदों के लिए उम्मीदवार की आयु 30 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। ऐसे करें आवेदन उम्मीदवारों को सलाह दी जाती है कि वे rectt.bsf.gov.in पर लॉग इन करें और रोजगार समाचार में विज्ञापन के प्रकाशन की तिथि से 45 दिनों (31 मई 2022) के भीतर ऑनलाइन आवेदन जमा करें।
गुजरात पंचायत सेवा चयन बोर्ड की ओर से महिला स्वास्थ्यकर्मी के पदों पर भर्ती के लिए आवेदन की प्रक्रिया 26 अप्रैल, 2022 से शुरू की जाएगी।
इच्छुक व योग्य उम्मीदवार 14 मई, 2022 तक या उससे पहले ईसीआईएल की आधिकारिक वेबसाइट ecil.co.in पर जाकर ऑनलाइन माध्यम से आवेदन कर सकते है।
EPIL Recruitment 2022: ईपीआईएल ने इंजीनियर और मैनेजर के पदों पर निकाली भर्तियां, जानें पात्रता
योग्य और इच्छुक उम्मीदवार 11 मई, 2022 तक या उससे पहले ईपीआईएल की आधिकारिक वेबसाइट epi.gov.in पर ऑनलाइन मोड के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं।
NDA Cut Off 2022: एनडीए भर्ती के एग्जाम में इतने अंक आने की है उम्मीद तो अभ्यर्थी शुरू कर दें एसएसबी की तैयारी, जानिए कब तक आ सकता है रिजल्ट,
IAS इंटरव्यू में लड़की से पूछा- ऐसी कौन सी चीज है जो आदमी और औरत रात को ही लेना पसंद करते हैं?
हमारे देश में हर साल आईएएस की परीक्षा होती है और हर साल इस परीक्षा में लाखों बच्चे सम्मिलित होते है और उनमे से कुछ ही बच्चे ऐसे होते हिया जो इस परीक्षा को पास कर पाते है क्योंकि आईएएस की परीक्षा हमारे देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक मानी जाती है
वे सभी उम्मीदवार जिन्होंने अपना पंजीकरण कराया और जो इंटरव्यू में शामिल हुए थे, वे अब अपना परिणाम नाबार्ड की आधिकारिक वेबसाइट nabard.org पर जाकर देख और डाउनलोड कर सकते है।
असम राइफल्स में 10वीं, 12वीं पास के लिए निकली बंपर वैकेंसी, कहीं निकल न जाए आवेदन की अंतिम तारीख
सरकारी नौकरी की चाह रखने वालों के लिए बड़ी खबर है। कार्यालय महानिदेशक, असम राइफल्स ने स्पोर्ट्स कोटा के तहत ट्रेड्समैन, टेक्निशियन और राइफलमैन/राइफलवुमन (जनरल ड्यूटी) सहित विभिन्न पदों पर भर्ती के लिए नोटिफिकेशन जारी किया है। तकनीशियन और ट्रेड्समैन पदों के लिए असम राइफल भर्ती रैली 2022 के लिए उपस्थित होने के इच्छुक और योग्य उम्मीदवार 30 अप्रैल 2022 से आवेदन जमा कर सकेंगे। जबकि, राइफल्स मेधावी स्पोर्ट्सपर्सन कोटा भर्ती रैली 2022 की भर्ती के लिए आवेदन की अंतिम तिथि 30 अप्रैल 2022 है। इसे भी पढ़ें: बैचलर ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज (BMS) करने के लाभ और इसके स्कोप आपको बता दें कि इस भर्ती प्रक्रिया के माध्यम से कुल 1484 रिक्तियों पर भर्ती की जाएगी, जिसमें ट्रेड्समैन और तकनीशियन पदों के लिए 1380 रिक्तियों की भर्ती की जाएगी और राइफलमैन / राइफलवुमन (जनरल ड्यूटी) के लिए 104 रिक्तियों की भर्ती की जाएगी। इच्छुक उम्मीदवार अंतिम तिथि को या उससे पहले ऑनलाइन मोड के माध्यम से पदों पर आवेदन कर सकते हैं। उम्मीदवार आधिकारिक वेबसाइट assamrifles.gov.in पर जाकर इन पदों पर आवेदन कर सकते हैं। आवश्यक शैक्षिक योग्यता इस भर्ती के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवार को किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से 10वीं या 12वीं पास होना चाहिए। आयु सीमा इन पदों के लिए उम्मीदवारों की उम्र 18 से 23 और 18 से 25 वर्ष के बीच मांगी गई है। रिक्ति विवरण पुल और सड़क- 17 पद क्लर्क- 287 पद धार्मिक शिक्षक- 9 पद ऑपरेटर रेडियो और लाइन- 729 पद रेडियो मैकेनिक- 72 पद अस्रकार- 48 पद प्रयोगशाला सहायक- 13 पद नर्सिंग सहयोगी- 100 पद पशु चिकित्सा क्षेत्र सहायक- 10 पद अया (पैरा-मेडिकल)- 15 पद धोबी- 80 पद इसे भी पढ़ें: कॉमर्स से की है 12वीं तो इन कोर्सेज में ले सकते हैं दाखिला, कॅरियर के लिए हैं बेहतरीन संभावनाएं स्पोर्ट्स कोटा के तहत रिक्ति विवरण फ़ुटबॉल- 20 मुक्केबाज़ी- 21 रोइंग- 18 तीरंदाजी- 15 क्रॉस कंट्री- 10 व्यायाम- 10 पोलो- 10 असम राइफल्स भर्ती 2022 चयन मानदंड भर्ती प्रक्रिया में 3 चरण की प्रक्रिया शामिल है जिसमें लिखित परीक्षा, शारीरिक दक्षता परीक्षा (पीईटी) और चिकित्सा परीक्षा शामिल है। - प्रिया मिश्रा
Digital Marketing & Graphic Designing Jobs: 2 महीने के इस कोर्स से मिल रही है अपने ही शहर में नौकरियां और हज़ारों में सैलरी
SSC MTS Exam: एसएससी एमटीएस टियर-2 परीक्षा आठ मई को होगी, यहां पढ़ें जरूरी दिशा-निर्देश
कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) की ओर से मल्टी-टास्किंग स्टाफ (गैर-तकनीकी) के पदों पर भर्ती के लिए परीक्षा-2020 का पेपर-2 (वर्णनात्मक) को आठ मई, 2022 को आयोजित किया जाएगा।
Graphic Designing Jobs Success Stories 2022: बहुत बड़ी है ग्राफिक्स डिजाइनिंग की दुनिया, सफलता के इस कोर्स से इसमें बना सकते हैं अपनी एक नई पहचान
RBI Assistant Result: आरबीआई असिस्टेंट प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम जारी, ऐसे चेक करें अपना रिजल्ट
आरबीआई की ओर से असिस्टेंट के पदों पर भर्ती के लिए लिखित प्रारंभिक परीक्षा का आयोजन 26 और 27 मार्च, 2022 को किया गया था।
DSSSB ने विभिन्न पदों पर निकाली बंपर वैकेंसी, यहाँ पढ़ें आवेदन की पूरी प्रक्रिया
दिल्ली सबोर्डिनेट सर्विसेज सिलेक्शन बोर्ड (DSSSB) ने दिल्ली जल बोर्ड और दिल्ली परिवहन निगम सहित कई अन्य विभागों में भर्ती के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। इस भर्ती अभियान के तहत कुल 168 पदों पर भर्ती की जानी है। इच्छुक और योग्य उम्मीदवार आधिकारिक वेबसाइट dsssbonline.nic.in पर जाकर ऑनलाइन माध्यम से आवेदन कर सकते हैं। आपको बता दें कि आवेदन प्रक्रिया 20 अप्रैल 2022 से शुरू हो चुकी है। आवेदन करने की अंतिम तिथि 9 मई 2022 है। इन पदों पर अभ्यर्थियों का चयन लिखित परीक्षा और स्किल टेस्ट के अनुसार पर होगी। इसे भी पढ़ें: बैचलर ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज (BMS) करने के लाभ और इसके स्कोप रिक्ति विवरण असिस्टेंट आर्किविस्ट - 6 पद मैनेजर (सिविल) - 1 पद शिफ्ट इंचार्ज - 8 पद मैनेजर (मैकेनिकल) - 24 पद मैनेजर (ट्रैफिक) - 13 पद प्रोटेक्शन ऑफिसर - 23 पद डिप्टी मैनेजर (ट्रैफिक) - 3 पद पंप ड्राइवर / इलेक्ट्रिकल / इलेक्ट्रिक ड्राइवर / मोटर मैन / इलेक्ट्रिक मिस्त्री - 68 पद मैनेजर (आईटी) - 1 पद फिल्टर सुपरवाइजर - 18 पद मैनेजर (इलेक्ट्रिकल) - 1 पद बैक्टीरियोलॉजिस्ट - 2 पद इसे भी पढ़ें: कॉमर्स से की है 12वीं तो इन कोर्सेज में ले सकते हैं दाखिला, कॅरियर के लिए हैं बेहतरीन संभावनाएं ऐसे करें आवेदन बोर्ड की आधिकारिक साइट dsssbonline.nic.in पर जाएं। फिर जन्मतिथि और पासवर्ड आदि के माध्यम से उम्मीदवार लॉगिन करें। आवेदन के लिए मांगी गई सभी आवश्यक जानकारी भरने के बाद उम्मीदवार दस्तावेज अपलोड करें। आवेदन पत्र जमा करने के बाद ऑनलाइन आवेदन शुल्क को जमा करें और अपने आवेदन पत्र को डाउनलोड करके प्रिंट आउट निकाल लें। - प्रिया मिश्रा
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने भारतीय वन सेवा (मुख्य) परीक्षा 2021 के लिए विस्तृत आवेदन पत्र-2 (DAF-II) जारी कर दिया है।
सरकारी नौकरी की तैयारी करने वाले युवाओं की संख्या बढ़ती जा रही है। ऐसे में तैयारी कर रहे युवाओं को इंतजार होता है तो सिर्फ आवेदन निकलने का। कभी-कभी उम्मीदवार जिस नौकरी के लिए तैयारी कर रहे होते और उनको यह देरी से पता चलता है।
बैचलर ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज (BMS) करने के लाभ और इसके स्कोप
बीएमएस (बैचलर ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज) एक ऐसा कोर्स है जिसे प्रबंधन के क्षेत्र में एक आशाजनक करियर के लिए स्नातक स्तर पर किया जा सकता है। यह 3 साल की अवधि का कोर्स है जिसे कॉलेज में या डिस्टेंस लर्निंग के जरिए पूरा किया जा सकता है। बीएमएस तेजी से लोकप्रियता हासिल कर रहा है, क्योंकि कई छात्र सामान्य विज्ञान, कला और वाणिज्य के अलावा अन्य व्यावसायिक पाठ्यक्रमों को भी देख रहे हैं। इसे भी पढ़ें: नीट यूजी का रजिस्ट्रेशन शुरू! जानें कब होगी परीक्षा, इस लिंक के जरिए करें आवेदन बीएमएस कोर्स की लोकप्रियता का एक और कारण यह है कि कॅरियर शुरू करने के लिए यह एक अच्छा कोर्स है। यह एक पेशेवर पाठ्यक्रम है जिसका पेशेवर दुनिया में बहुत महत्व है और बीएमएस डिग्री धारक कॉलेज के ठीक बाद अच्छी नौकरी भी पा जाते हैं। यह डिग्री आपको अपनी पसंद के उद्योग में कॅरियर बनाने का अवसर देती है। ये नौकरियां प्रबंधन और प्रशासन के क्षेत्र में हैं, इसलिए शुरुआती वेतन अन्य स्नातक डिग्री धारकों की तुलना में बेहतर होता है। बीएमएस डिग्री निश्चित रूप से एक अच्छा करियर विकल्प है। बीएमएस डिग्री हासिल करने की आवश्यकता क्या है? आज कॉरपोरेट जगत कड़ी प्रतिस्पर्धा से भरा हुआ है और जिसके पास कोई विशिष्ट कौशल नहीं है, उसे नौकरी के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता है। यह प्रतियोगिता प्रबंधन क्षेत्र में पेशेवर रूप से योग्य स्नातकों को आकर्षित करती है जो प्रशासनिक नौकरियों के कार्यों और जिम्मेदारियों को उठा सकते हैं। छात्रों को स्नातक स्तर पर ही प्रबंधन के मूल सिद्धांतों को सीखने के लिए बीएमएस डिग्री आवश्यक हो जाती है। इस तरह छात्र न केवल नौकरियों के लिए अच्छी तरह से तैयार होंगे बल्कि वे बेहतर समझ के साथ विशेष मास्टर्स कोर्स भी कर सकेंगे। बीएमएस का अध्ययन करने के स्कोप और लाभ क्या हैं? बीएमएस डिग्री हासिल करने का पहला और सबसे महत्वपूर्ण लाभ यह है कि छात्रों को कॉर्पोरेट कल्चर की मूल बातों से अवगत कराया जाता है। उन्हें किसी भी संकट के मूल कारण का विश्लेषण करने और समझने और उपलब्ध बुनियादी ढांचे का उपयोग करके इस मुद्दे को रणनीतिक रूप से हल करने के लिए सिखाया जाता है। इसे भी पढ़ें: CTET एग्जाम की तैयारी कर रहे हैं तो फॉलो करें ये टिप्स, जरूर मिलेगी सफलता छात्रों को बीएमएस पाठ्यक्रम में संगठनात्मक पदानुक्रम, टीम वर्क, लक्ष्य-उन्मुख रवैया, नेतृत्व, समस्या-समाधान कौशल और काम में मुस्तैदी के महत्व को समझने के लिए भी बनाया जाता है। यह उन्हें कॉर्पोरेट जगत के साथ अत्यधिक संगत बनाता है। बीएमएस कोर्स के टॉप 5 लाभ यहां दिए गए हैं: 1. बहुमुखी प्रतिभा बीएमएस कोर्स में छात्रों को बहुमुखी होना सिखाया जाता है। वे एक कंपनी चलाने में शामिल हर चीज के बारे में सीखते हैं और उन्हें सभी विभागों की गहरी समझ दी जाती है। 2. बीबीए का विकल्प बीएमएस कोर्स बैचलर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (बीबीए) की डिग्री का एक बढ़िया विकल्प है। हालांकि दोनों डिग्री की शिक्षा और अवसर समान ही होते हैं। 3. व्यावसायिक पाठ्यक्रम बीएमएस एक ऐसा प्रोफेशनल कोर्स माना जाता है जिसका काफी महत्व है और अपने दम पर खड़ा होता है। छात्र पाठ्यक्रम के तुरंत बाद काम करना शुरू कर सकते हैं। 4. बेहतर वेतन चूंकि यह डिग्री आपको किसी संगठन के प्रबंधन पक्ष में नौकरी दिलाएगी, इसलिए आप एक अच्छे शुरुआती वेतन की उम्मीद कर सकते हैं। पाठ्यक्रम के दौरान आपको यह भी सिखाया जाएगा कि बेहतर वेतन के लिए बातचीत कैसे करें। 5. आगे के अध्ययन बीएमएस डिग्री के साथ आप आसानी से एक अच्छे एमबीए कोर्स में प्रवेश पा सकते हैं। साथ ही बीएमएस डिग्री धारक अन्य स्ट्रीम के छात्रों की तुलना में एमबीए में बहुत बेहतर प्रदर्शन कर सकेंगे। इसे भी पढ़ें: रेलवे में नौकरी पाने का सुनहरा मौका, 10वीं पास भी कर सकते हैं आवेदन, पढ़ें सारी जरूरी डिटेल्स भारत में बीएमएस के बाद नौकरी के अवसर एक प्रतिष्ठित संस्थान से प्रबंधन अध्ययन में स्नातक करके आप निम्नलिखित क्षेत्रों में अपना करियर विकसित कर सकते हैं: 1. प्रशासन और संचालन 2. परियोजना प्रबंधन (कार्यकारी स्तर) 3. उद्यम प्रबंधन 4. मानव संसाधन प्रबंधन और विकास 5. ग्राहक प्रबंधन 6. डेटा प्रबंधन और सिस्टम विश्लेषण 7. बिक्री और विपणन 8. वित्तीय प्रबंधन 9. संचार प्रबंधन बीएमएस कोर्स के लिए वेतनमान जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है बीएमएस एक पेशेवर प्रबंधन पाठ्यक्रम है जो आपको एक संगठन के प्रबंधन में ले जाता है। इसलिए आप अपने पूरे करियर में अच्छे वेतन के साथ-साथ लाभ और बढ़ने के अवसरों की उम्मीद कर सकते हैं। शुरुआती वेतन भले ही अधिक न हो लेकिन समय और अनुभव के साथ यह एक सम्मानजनक संख्या में बढ़ सकता है। वर्तमान में बीएमएस स्नातकों के लिए पैमाना 3 लाख से 8 लाख रुपये है। हालांकि यह उस उद्योग और कंपनी पर निर्भर करता है जिसमें आपको काम मिलता है। - जे. पी. शुक्ला
जम्मू की ‘पल्ली’ बनेगी देश की पहली ‘कार्बन तटस्थ’ ग्राम पंचायत
जम्मू क्षेत्र के सांबा जिले की पल्ली पंचायत में 340 घरों को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जम्मू यात्रा के दौरान सौर ऊर्जा का उपहार मिलने जा रहा है। पल्ली में 500 केवी क्षमता का सौर संयंत्र स्थापित किया जा रहा है। इससे पल्ली पंचायत के घरों को स्वच्छ बिजली और प्रकाश मिल सकेगा, जो इसे भारत सरकार के ‘ग्राम ऊर्जा स्वराज’ कार्यक्रम के तहत पहली कार्बन तटस्थ पंचायत बना देगा। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के वक्तव्य में इसकी जानकारी प्रदान की गई है। इसे भी पढ़ें: मिट्टी को अपरदन से बचाने के लिए बैक्टीरिया आधारित पद्धति विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान विभाग (डीएसआईआर) के अंतर्गत कार्यरत भारत सरकार के उद्यम सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (सीईएल) द्वारा 20 दिनों के रिकॉर्ड समय में पल्ली में ग्राउंड माउंटेड सोलर पावर (GMSP) संयंत्र स्थापित किया जा रहा है। जम्मू की पल्ली पंचायत को इस वर्ष पंचायती राज दिवस समारोह के लिए चुना गया है। राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर पर आगामी 24 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जम्मू के पल्ली गाँव से देश भर की पंचायतों को वर्चुअल रूप से संबोधित करेंगे। इस अवसर पर; किसानों, सरपंचों तथा ग्राम प्रधानों को उनकी आय और उनके गाँव में कृषि उपज में सुधार करने में सक्षम बनाने के लिए नवीनतम नवाचारों को प्रदर्शित करने वाली एक प्रदर्शनी लगायी जा रही है। इस प्रदर्शनी में ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज के विषयों के साथ विज्ञान और प्रौद्योगिकी को एकीकृत रूप से प्रदर्शित करने पर बल दिया जा रहा है। इस आयोजन में ऐसी नवीनतम प्रौद्योगिकियों को प्रदर्शित करने का प्रयास किया जा रहा है, जो ग्रामीण विकास का माध्यम बन सकती हैं और किसानों की आय में वृद्धि करने में मददगार हो सकती हैं। ग्रामीण विकास एवं किसानों के लिए भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी, किसानों के उपयोग हेतु पाँच दिनों के मौसम पूर्वानुमान में मददगार ऐप, ‘बैंगनी क्रांति’ के रूप में प्रसिद्ध लैवेंडर की खेती, किसानों की आय में वृद्धि के लिए सेब उत्पादन बढ़ाने हेतु जैव प्रौद्योगिकी नवाचार, कीटनाशक छिड़काव तथा अपशिष्ट उपचार के लिए ड्रोन उपयोग, और परमाणु विकिरण के माध्यम से फलों की शेल्फ लाइफ बढ़ाने जैसी प्रौद्योगिकियों को इस प्रदर्शनी में शामिल किए जाने की योजना है। इसे भी पढ़ें: टैंक-रोधी गाइडेड मिसाइल 'हेलीना' का सफल परीक्षण इस आयोजन से जुड़ी तैयारियों को लेकर हाल में नई दिल्ली में एक शीर्ष बैठक में विचार-विमर्श किया गया। इस बैठक में केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) एवं प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह; तथा ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह उपस्थित थे। ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्रालय के अलावा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर), जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी), अंतरिक्ष विभाग, परमाणु ऊर्जा विभाग, और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय सहित भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के वरिष्ठ अधिकारी बैठक में शामिल थे। विज्ञान से संबंधित इन विभागों/मंत्रालयों द्वारा प्रदर्शनी स्थल पर 25 से 30 स्टाल लगाए जा रहे हैं, जो ग्रामीण क्षेत्रों एवं खेती के लिए लाभकारी नवीनतम तकनीकों तथा नवाचारों को प्रदर्शित करेंगे। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा है कि गरीबी एवं उन्नत आजीविका वाले गाँव, स्वस्थ गाँव, बाल-सुलभ गाँव, पर्याप्त पानी वाले गाँव, स्वच्छ और हरे-भरे गाँव, बुनियादी ढांचों से परिपूर्ण आत्मनिर्भर गाँव प्रदर्शनी की विषयवस्तु में प्रमुखता से शामिल हैं। उन्होंने कहा है कि आधुनिक प्रौद्योगिकी हस्तक्षेप के माध्यम से कृषि और ग्रामीण उत्थान इस प्रदर्शनी का मुख्य आकर्षण होगा। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि बेहतरीन कृषि पद्धतियों का प्रदर्शन करने वाले स्टॉल प्रदर्शनी में शामिल किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि डीबीटी की बायो-टेक किसान योजना से लेकर खेती में ड्रोन उपयोग के साथ-साथ केंद्र सरकार तथा केंद्र शासित प्रदेश सरकार के किसानों के कल्याण से संबंधित अभिनव नवाचारों को प्रदर्शनी में शामिल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अरोमा मिशन और 'बैंगनी क्रांति', फ्लोरीकल्चर मिशन, बाँस के आधुनिक उपयोग, अपशिष्ट जल प्रबंधन को प्रदर्शित करने वाले स्टॉल भी लगाए जाएंगे। (इंडिया साइंस वायर)