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गुजरात इस बार मांग रहा है राजस्थान की मूंगफली:बारिश की वजह से खराबा हुआ; यूरोप और ​थाईलैंड तक होती है सप्लाई

गुजरात इस बार राजस्थान की मूंगफली मांग रहा है। हालात ये है कि बीकानेर में इस बार मंडी में आई अब तक फसल में से 50 फीसदी मूंगफली गुजरात जा चुकी है। वहीं गुजरात से बीकानेर में होने वाली मूंगफली विदेशों तक में सप्लाई हो रही है। इन सभी कारण गुजरात में इस बार बारिश से हुई फसल खराबा है। दावा किया जा रहा है कि मूंगफली उत्पादन में बीकानेर ने इस बार गुजरात को पीछे छोड़ दिया है। इधर, बढ़ती डिमांड से मूंगफली के दाम भी बढ़ गए है। गुजरात में मूंगफली का दाना खराब हुआ, बीकानेर में क्वालिटी एक रिपोर्ट के अनुसार गुजरात में इस बार 46 लाख टन मूंगफली का उत्पादन होने की संभावना है। मंडियों में भी मूंगफली पहुंच चुकी है लेकिन बारिश की वजह से इस बार गुजरात में इसकी फसल प्रभावित हुई है। बताया जा रहा है कि बारिश की वजह से खेतों में काफी पानी भर गया था। जमीन पथरीली होने के कारण वहां पानी फसल के ऊपर ही रहा, जिससे फसल खराब हुआ। ऐसे में इस बार दाना काफी छोटा और गीला निकला। लेकिन, उसकी तुलना में इस बार बीकानेर में गुजरात जैसी फसल हुई है। यहां इस इस बार दाना बड़ा और सूखा है। ऐसे में वहां के प्रोसेसिंग यूनिट और व्यापारियों में राजस्थान में होने वाली मूंगफली की डिमांड में अचानक बढ़ोतरी आई है। अब तक 40 लाख बोरी सप्लाई बीकानेर मंडी में रोजाना डेढ़ लाख बोरी पहुंच रही है। कृषि मंडी के अधिकारियों के अनुसार इस बार 2 करोड़ क्विंटल बोरी इस बार बीकानेर की मंडी में आएगी। गुजरात में इतनी डिमांड बढ़ चुकी है कि रोजाना बीकानेर मंडी से हर रोज करीब 40 लाख बोरी गुजरात के व्यापारी खरीद रहे है। वहीं पिछले पांच वर्षों में बीकानेर में मूंगफली का उत्पादन में लगातार बढ़ता जा रहा है। इसका आंकड़ा देखे तो लगातार दूसरी बार सबसे ज्यादा 8 लाख 70 हजार मीट्रिक टन उत्पादन हुआ है। ये ही कारण है कि इस बार भी बीकानेर की मंडी पूरी तरह मूंगफली से अटी पड़ी है। हर रोज डेढ़ लाख बोरी मंडी पहुंच रही है। बढ़ती डिमांड की वजह से भाव भी बढ़े मूंगफली की बढ़ती डिमांड की वजह से इस बार भाव भी बढ़े है। पिछली साल की तुलना में प्रति क्विंटल 500 रुपए का मुनाफ हो रहा है। इस बार मूंगफली 5500 से 6500 रुपए क्विंटल के आस-पास बिक रही है। जबकि पिछले साल भाव पांच सौ रुपए कम था। सरकारी खरीद में मूंगफली का भाव सात हजार से ऊपर है लेकिन किसान इसके बाद भी मंडी में दे रहा है ताकि मूंगफली की बिक्री समय पर हो और सरकारी प्रक्रिया में न जाना पड़े। 60 फीसदी उत्पादक अकेला बीकानेर राजस्थान में मूंगफली उत्पादन का सबसे बड़ा केंद्र बना हुआ है। राज्य के कुल मूंगफली उत्पादन में जिले का करीब 60% योगदान है। विशेष रूप से श्रीडूंगरगढ़ क्षेत्र अपनी उच्च गुणवत्ता, ज्यादा तेल मात्रा और स्टोरेज क्षमता वाली मूंगफली के लिए देशभर में मशहूर है। यहां की मूंगफली की मांग न सिर्फ भारत में, बल्कि थाईलैंड, चीन, मंगोलिया और यूरोपीय देशों तक रहती है। बताया जाता है कि बीकानेर में महज तीन से चार प्रोसेसिंग यूनिट है। जबकि गुजरात में बड़ी संख्या में ये यूनिट्स है। इन बड़े दाने वाले मूंगफली की मसालेदार बनाकर इथोपिया, श्रीलंका और बांग्लादेश आदि भेजा जाता है। ​​​​​​

दैनिक भास्कर 8 Dec 2025 8:33 am

183 रैली-30 दिन मस्ती, तेजस्वी की राहुल पैटर्न की पॉलिटिक्स:हार-फैमिली टेंशन को दूर करने बड़े नेता ने भेजा यूरोप; जानिए, आगे की लड़ाई कितनी कठिन

तेजस्वी यादव की नई पॉलिटिक्स, नई लाइफ स्टाइल और नई रणनीति...। सब कुछ एक साथ सुर्खियों में है। चुनावी मैदान में 17 दिनों (24 अक्टूबर से 9 नवंबर) में 183 रैलियां करने वाले तेजस्वी नतीजों में सिर्फ 25 सीटों पर सिमट गए। इतनी बड़ी हार के बाद ना कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस की और ना ही बड़ी समीक्षा बैठक। कुछ दिन बाद एक दिन पार्टी की रिव्यू मीटिंग की। उसमें विधायक दल का नेता चुन लिया। इसके बाद फिर चुप्पी साध ली। घर से तब निकले (1 दिसंबर को) जब विधानसभा में शपथ लेनी थी। शपथ ली। अगले दिन स्पीकर के चुनाव पर धन्यवाद भाषण दिया और यूरोप की फ्लाइट ले ली। 30 दिनों की यूरोप ट्रिप-आखिर यह ब्रेक है, रिसेट है या नई राजनीति का हिस्सा? मंडे मेगा स्टोरी में पढ़िए, तेजस्वी यादव की यूरोप यात्रा के पीछे की असली वजह, उनकी वापसी की टाइमिंग और इसका बिहार की राजनीति पर संभावित असर...। 2 पॉइंट में तेजस्वी यादव विदेश क्यों गए… 1- चुनावी हार और परिवार में कलह 14 नवंबर को रिजल्ट आया, पार्टी की शर्मनाक हार हुई। 15 नवंबर को रोहिणी आचार्या ने घर छोड़ दिया। रोती-बिलखती नजर आईं। गंभीर आरोप लगाए। पार्टी सूत्रों के अनुसार चुनावी हार और परिवार में चल रही कलह से तेजस्वी यादव रिलैक्स होना चाहते थे। धुआंधार चुनाव प्रचार के बाद आराम और परिवार को समय देने की जरूरत महसूस हो रही थी। इसके चलते तेजस्वी विदेश गए। वह फैमिली के साथ क्वालिटी टाइम बिता रहे हैं। अभी तुरंत कोई चुनाव नहीं है। वह तरोताजा होकर आएंगे और पार्टी को नई रणनीति के साथ आगे ले जाएंगे। 2. किसी बड़े नेता के इशारे पर, विदेश गए तेजस्वी बिहार के राजनीतिक गलियारों में तेजस्वी यादव के विदेश जाने के पीछे एक बड़े नेता की भूमिका की भी चर्चा है। वह नेता राजद के नहीं हैं। तेजस्वी ने हाल के समय में कुछ ऐसे काम किए, जिससे ऐसी अटकलों को बल मिला है। चुनाव से पहले तेजस्वी यादव ने 2 एजेंसियों से सर्वे कराए। इसके डाटा के एनालिसिस के अनुसार टिकट बांटना था, लेकिन तेजस्वी नेताओं के साथ मीटिंग में बैठे तो उनके हाथ में भाजपा की एजेंसी द्वारा किए गए सर्वे की रिपोर्ट थी। पार्टी सूत्रों के अनुसार रिपोर्ट में विधानसभा वाइज जानकारी थी। पार्टी के बड़े नेताओं के बीच यह चर्चा रही कि भाजपा के चाहे बगैर यह रिपोर्ट कैसे तेजस्वी यादव तक पहुंच सकती है। शेंगेन वीजा लेकर यूरोप गए तेजस्वी, जानें क्या है यह तेजस्वी यादव शेंगेन वीजा लेकर यूरोप गए हैं। यह वीजा यूरोप के 29 देशों में बिना किसी अलग-अलग इमिग्रेशन चेक के फ्री मूवमेंट की सुविधा देता है। यह शॉर्ट-स्टे वीजा है। 4 जनवरी को यूरोप से लौटेंगे तेजस्वी शेंगेन जोन में फ्रांस, इटली, जर्मनी, स्पेन, नीदरलैंड, स्विट्जरलैंड, बेल्जियम और ऑस्ट्रिया जैसे 29 देश आते हैं। इसमें स्विट्जरलैंड को दुनिया का सबसे सुंदर देश माना जाता है। शेंगेन वीजा के 4 तरह के काम के लिए मिलता है। ये हैं- घूमने के लिए टूरिस्ट वीजा, बिजनेस मीटिंग, परिवार या दोस्तों से मिलना और यूरोप होकर आगे दूसरे देश में जाना। तेजस्वी घूमने के लिए यूरोप गए हैं। 4 जनवरी के बाद भारत लौटने वाले हैं। पत्नी संग यूरोप में न्यू ईयर सेलिब्रेशन करेंगे तेजस्वी यादव तेजस्वी यादव की पत्नी रेचल गोडिन्हो (अब राजश्री यादव) ईसाई हैं। 25 दिसंबर को क्रिसमस है। क्रिसमस और न्यू ईयर का सेलिब्रेशन यूरोप में सबसे शानदार होता है। यही वजह है कि तेजस्वी इस मौके पर यूरोप की यात्रा कर रहे हैं। वह पत्नी के साथ न्यू ईयर सेलिब्रेशन करेंगे। यूरोप में कहां घूम सकते हैं तेजस्वी यादव? भारत से यूरोप घूमने जाने वालों का मुख्य आकर्षण स्विट्जरलैंड होता है। आल्प्स पहाड़ पर बसे इस देश में सुंदर पहाड़ और घाटियां हैं। यह फिल्मी दुनिया के लोगों की पसंदीदा जगह है। इसके अलावा तेजस्वी परिवार के साथ पेरिस, रोम, वेनिस, फ्लोरेंस और एथेंस जैसे शहरों की भी सैर कर सकते हैं। यूरोप यात्रा से तेजस्वी यादव पर क्या पड़ेगा असर? 3 पॉइंट में समझें 1- इमेज बिगड़ा तेजस्वी यादव जिस तरह यूरोप गए हैं, उससे उनके काम करने के तरीके को लेकर सवाल उठे हैं। छवि बिगड़ी है। विधानसभा का शीतकालीन सत्र 5 दिसंबर तक चला। तेजस्वी इसके बाद भी जा सकते थे, लेकिन वह 3 दिसंबर को विदेश निकल गए। कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी चुनाव हारने के बाद विदेश यात्रा कर चुके हैं। विरोधी तेजस्वी को राहुल के साथ जोड़ते हुए नॉन सीरियस नेता बता रहे हैं। राहुल बिहार चुनाव से पहले दक्षिण अमेरिका के 4 देशों की यात्रा पर चले गए थे। 2023 में मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ चुनावों में कांग्रेस की हार के बाद विदेश गए थे। 2019 में CAA के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के वक्त कांग्रेस नेता दक्षिण कोरिया चले गए थे। ऐसे कई और उदाहरण हैं। तेजस्वी के यूरोप जाने पर वरिष्ठ पत्रकार ओम प्रकाश अश्क ने कहा, ‘महागठबंधन ने तेजस्वी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा और हार हुई। ऐसे में विदेश जाकर तेजस्वी ने गैर जिम्मेदाराना हरकत की है।’ उन्होंने कहा, ‘तेजस्वी को महागठबंधन का मनोबल बढ़ाना था, लेकिन वह विदेश चले गए। राजद को दूसरी बार ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ा है। 2010 में राजद को सिर्फ 22 सीटें मिलीं। लालू ने जेल से ही पार्टी को एकजुट रखा।’ 2. लीडरशिप पर सवाल, बिखर सकता है गठबंधन चुनाव में मिली हार और इसके बाद तेजस्वी यादव जिस तरह जनता के बीच जाने से बच रहे हैं, इससे उनके नेतृत्व को लेकर सवाल उठ रहे हैं। रिजल्ट आने के बाद से तेजस्वी यादव ने अब तक कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं किया है। सार्वजनिक जगहों पर कम दिखे हैं। विधानसभा चुनाव में राजद ने कांग्रेस पर दबाव डालकर तेजस्वी यादव को महागठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करा लिया था। महागठबंधन ने तेजस्वी यादव के नेतृत्व में चुनाव लड़ा, लेकिन सीट शेयरिंग से लेकर रैली तक, तालमेल बिगड़ा रहा। नतीजा, बड़ी हार हुई। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम कह चुके हैं कि राजद से हमारा गठबंधन चुनाव तक के लिए ही था। कांग्रेस एकला चलो की राह पर है। लेफ्ट की पार्टियां (माले, CPI, CPIM) चुनाव के रिजल्ट के बाद नए सिरे से अपने गठबंधन पर विचार कर सकती हैं। ये पार्टियां अभी बीजेपी को रोकने के लिए तेजस्वी के साथ हैं। अगर आगे उनको लगेगा कि कोई दूसरी पार्टी यह काम कर सकती है तो वे उसके साथ जा सकते हैं। 3 . आगे की लड़ाई कठिन राजद प्रमुख लालू यादव के सबसे छोटे बेटे तेजस्वी यादव के नेतृत्व में पार्टी 3 बड़े चुनाव (2020 विधानसभा चुनाव, 2024 लोकसभा चुनाव, 2025 विधानसभा चुनाव) लड़ी। तीनों हार गई। 2020 के चुनाव में राजद 75 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी, लेकिन 2025 में सिर्फ 25 सीटें जीत सकी। लोकसभा चुनाव में पार्टी को मात्र 4 सीट मिले। तेजस्वी यादव जिस तरह रिजल्ट आने के बाद गायब रहे, अब विदेश चले गए। इससे उनके लिए आगे की लड़ाई और कठिन होगी। वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी ने कहा, ‘विधानसभा सत्र में तेजस्वी की अनुपस्थिति ने कई सवाल खड़े किए हैं। साफ दिख रहा है कि उन्होंने हार से सबक नहीं ली। आत्मविश्वास खो चुके हैं। जब-जब बिहार को जरूरत पड़ी तेजस्वी गायब थे।’ क्यों हो रही तेजस्वी की आलोचना? बिहार के राजनीतिक मामलों के जानकार कह रहे हैं कि तेजस्वी को कम से कम विधानसभा सत्र में पूरी तरह से उपस्थित रहना चाहिए था। इसके बाद विदेश जा सकते थे। हालांकि किसी के निजी यात्रा पर सवाल नहीं उठाया जा सकता, लेकिन विधानसभा सत्र में जनता के करोड़ों रुपए खर्च होते हैं और तेजस्वी विपक्ष के नेता हैं, इसलिए सवाल उठ रहे हैं। तेजस्वी पहले भी सत्र में गैरमौजूद रह चुके हैं। राजद के सीनियर नेता शिवानंद तिवारी ने तो कहा था कि तेजस्वी ने मैदान छोड़ दिया है। अगले पांच साल तक विरोधी दल के नेता की भूमिका निभाने की क्षमता उनमें नहीं है। तेजस्वी की यूरोप यात्रा पर क्या कहते हैं उनके विरोधी रमीज से तमीज सीख रहे क्या तेजस्वी: नीरज कुमार तेजस्वी की विदेश यात्रा पर जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा, ‘तेजस्वी यादव चुनाव में जननायक बन रहे थे, लेकिन राजनीति के खलनायक हैं। नेता प्रतिपक्ष का दर्जा ले लिया और सुविधा जुटा कर यूरोप चले गए। क्या वे हार से घबरा गए हैं? उन्होंने कहा, ‘सुन रहे हैं कि उनके साथ हिस्ट्रीशीटर रमीज भी गए हैं। तेजस्वी यादव को बताना चाहिए कि उनके साथ कौन-कौन गए हैं? यूरोप में तेजस्वी कहां हैं? लोकेशन तो मिलना चाहिए। रमीज से राजनीति की तमीज सीख रहे हैं क्या?’ अगली बार तेजस्वी की जीत मुश्किल हो जाएगी: कुंतल कृष्ण बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता कुंंतल कृष्ण ने कहा, ‘इस देश और प्रदेश का दुर्भाग्य है कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव जैसे लोग राजनीति में हैं। इतने गैर गंभीर लोग हैं कि पूछिए मत। कुर्सी पाने के लिए बेचैनी और जब जिम्मेदारी सामने आई तो छोड़ कर भाग लिए।’ उन्होंने कहा, ‘अभी तक तो राहुल गांधी ब्राजील और कोलंबिया की यात्रा पर जाया करते थे। बाकी काम छोड़ कर अब तो तेजस्वी भी विदेश जाने लगे। सत्र खत्म नहीं हुआ कि निगल गए।’ तेजस्वी यादव अपने काम में लगे हैं: एजाज अहमद आरजेडी के प्रदेश प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा, ‘नीरज कुमार को तेजस्वी से आगे निकलना चाहिए। तेजस्वी यादव अपने काम में लगे हैं। बिहार की जनता बुलडोजर से परेशान है। महिलाओं को 10 हजार देकर बुलडोजर से आंसू दे रही है नीतीश सरकार।’

दैनिक भास्कर 8 Dec 2025 5:18 am

पहले पुतिन ने दी यूरोप को वार्निंग, फिर फ्रांस के न्यूक्लियर बेस पर मंडराने लगे संदिग्ध ड्रोन, यूक्रेन युद्ध का दायरा बढ़ तो नहीं रहा?

Russia Ukraine war: क्या रूस-यूक्रेन युद्ध अब पूरे यूरोप को अपनी चपेट में लेने वाला है. दरअसल बीते चार दिनों से कुछ ऐसे संकेत मिल रहे हैं जो नए विनाश की आहट का इशारा कर रहे हैं.

ज़ी न्यूज़ 7 Dec 2025 8:40 pm

सरकार बनते ही बिहार में 3 नए विभाग क्यों बने:बंगाल-UP चुनाव से पहले 1 करोड़ युवाओं पर फोकस, तेजस्वी यूरोप में, नीतीश 30 के मिशन में

पहले CM नीतीश कुमार के 2 बयान पढ़िए… 50 लाख लोगों को नौकरी रोजगार दे दिया हूं, अब अगले 5 साल में एक करोड़ लोगों को नौकरी और रोजगार दूंगा।- 4 दिसंबर, विधानसभा सरकार ने अगले 5 सालों में 1 करोड़ युवाओं को नौकरी-रोजगार देने का टारगेट रखा है। नई सरकार बनने के बाद, हमने राज्य में इंडस्ट्री को बढ़ावा देने और ज्यादा से ज्यादा रोजगार के मौके देने के लिए तेजी से काम करना शुरू कर दिया है।- 25 नवंबर, सोशल मीडिया अब 5 दिसंबर को नीतीश कुमार ने सोशल मीडिया के माध्यम से ऐलान किया कि सरकार 3 नए विभाग की स्थापना करने जा रही है। लक्ष्य 1 करोड़ युवाओं को नौकरी और रोजगार देना है। सरकार बनने के बाद नीतीश कुमार सबसे ज्यादा अपने जिस वादे को दोहरा रहे हैं वो है, एक करोड़ युवाओं को नौकरी और रोजगार देना। अब सरकार ने अपने इस वादे को पूरा करने के रोडमैप को सामने रखना शुरू कर दिया है। जिन नए विभागों, निदेशालय और निगम की शुरुआत सरकार की तरफ से की जा रही है उसका सीधा कनेक्शन नौकरी और रोजगार से जुड़ा है। स्पेशल स्टोरी में पढ़िए बिहार को इन विभागों की जरूरत क्यों थी? इनके शुरू होने का क्या असर होगा? इनका क्या काम होगा? चुनाव के बाद राजद नेता तेजस्वी यादव जहां यूरोप की यात्रा पर निकल गए हैं। वहीं, सीएम नीतीश कुमार 2030 में भी NDA सरकार के मिशन पर जुट गए हैं। इन तीन नए विभाग की स्थापना होगी एक-एक निदेशालय और निगम बनेंगे युवा, रोजगार एवं कौशल विभाग से युवाओं को स्किल्ड बनाने पर ध्यान अभी तक ये विभाग सीधा श्रम संसाधन विभाग से जुड़ा हुआ था। अब इसे पूरी तरीके से इंडिपेंडेंट किया जा रहा है। इस विभाग का सीधा संबंध रोजगार से जुड़ा है। इससे पहले 2014 में जब केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनी थी तो उन्होंने सबसे पहले कौशल विकास के एक अलग विभाग की शुरुआत की थी। उस समय बिहार में कौशल विश्वविद्यालय की स्थापना होनी थी, लेकिन अभी तक नहीं हो पाई। विभाग बनने के बाद इस काम में तेजी आ सकती है। बिहार में कौशल विकास को लेकर नई-नई योजनाएं शुरू हो सकती हैं। पूर्व मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा कहते हैं, अभी तक इस पर किसी का अटेंशन नहीं था। विभाग के अलग हो जाने से इस पर फोकस्ड वर्किंग होगी। बिहार को अब तक मजदूरों का प्रदेश कहा जाता रहा है। बिहार से लगभग 50 लाख लोग काम की तलाश में दूसरे राज्यों में पलायन करते हैं। ऐसे में अगर उनके स्किल्ड को बेहतर किया जाएगा तो न केवल वे अपने राज्य में ही बेहतर काम कर सकते हैं, बल्कि उनके मेहनत का उचित मेहनताना भी मिल सकता है। उच्च शिक्षा विभाग- रिसर्च के साथ प्रोफेशनल कोर्सेज बढ़ेंगे अभी तक बिहार में एजुकेशन का सारा काम केवल शिक्षा विभाग के माध्यम से ही किया जा रहा है। प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक सभी का काम शिक्षा विभाग के माध्यम से हो रहा था। जबकि अन्य राज्यों में यहां तक कि बिहार से अलग हुए झारखंड में भी उच्च शिक्षा का अलग विभाग है। एक्सपर्ट बोले- गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलेगी, पलायन रुकेगा मगध यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर एसपी शाही कहते हैं, ’उच्च शिक्षा विभाग बनने का सीधा लाभ यूनिवर्सिटीज को मिलेगा। रिसर्च को बढ़ावा मिलेगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में रिसर्च यूनिवर्सिटी का जरूरी हिस्सा है। बिहार इसमें लगातार पिछड़ रहा है। यह निर्णय प्रोफेशनल एजुकेशन में मील का पत्थर साबित होगा।’ एसपी शाही ने कहा, ‘अभी एक ही विभाग से सभी की मॉनिटरिंग होने के कारण विभाग पर काम का दबाव अधिक है। कई फैसले नहीं हो पाते हैं या इसमें काफी देर हो जाती है। उच्च शिक्षा में निजी निवेश होगा तो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा बिहार में ही मिलेगी, युवा बाहर नहीं जाएंगे।’ एयरपोर्ट बनाने की रफ्तार तेज होगी, कनेक्टिविटी बेहतर होगी सरकार इस बात को अच्छे से समझ रही है कि उद्योग के लिए जरूरी है बेहतर कनेक्टिविटी। राज्य में रोड कनेक्टिविटी की स्थिति पहले ही बेहतर हो चुकी है। राज्य के किसी भी हिस्से से 6 घंटे में पटना पहुंचने के लक्ष्य को सरकार ने हासिल किया है। अब रोड कनेक्टिविटी के साथ-साथ सरकार एयर कनेक्टिविटी को भी बेहतर बनाने पर तेजी से काम कर रही है। फिलहाल राज्य में 4 एयरपोर्ट (पटना, गया, दरभंगा और पूर्णिया) काम कर रहे हैं। इसके अलावा भागलपुर के सुल्तानगंज, मुजफ्फरपुर, सहरसा, बीरपुर और वाल्मीकिनगर जैसे छोटे शहरों में एयरपोर्ट बनाने का काम शुरू हुआ है। सुल्तानगंज एयरपोर्ट को कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है। इसके लिए डेडिकेटेड विभाग होने से इस काम में तेजी आ सकती है। एक्सपर्ट बोले- एयरपोर्ट निर्माण कार्य में तेजी आएगी बिहार में एयरपोर्ट विकसित बनाने की दिशा में कई अहम काम करने वाले पूर्व डेवलपमेंट कमिश्नर एस सिद्धार्थ ने बताया, ‘पहले सिविल एविएशन परिवहन विभाग का हिस्सा हुआ करता था। इसे वहां से अलग किया गया। अब ये पूरी तरह इंडिपेंडेंट होगा। इसके अलग होने से एयरपोर्ट निर्माण के काम में तेजी आएगी।’ घोषणा के राजनीतिक मायने समझिए सरकार का मैसेज, हम अपने वादे पूरा करेंगे पॉलिटिकल एनालिस्ट अरुण कुमार पांडेय बताते हैं, ’सरकार के इस फैसला का सीधा मैसेज है कि सरकार अपने रोजगार के वादों को पूरा करने के लिए तत्पर है। चुनाव के दौरान नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने हर घर में सरकारी नौकरी देने का ऐलान किया था, लेकिन जब इसका ब्लू प्रिंट मांगा गया था तब वे नहीं दे सके।’ अरुण पांडेय ने कहा, ‘नीतीश कुमार युवाओं और महिलाओं के सहारे प्रचंड बहुमत हासिल कर सत्ता में आए हैं। उनका पूरा फोकस इनसे जुड़ी घोषणाओं को पूरा करने कि दिशा में तत्पर दिखने का है। यही कारण है कि सरकार अपनी हर एक्शन में इस बात को बता रही है कि नौकरी और रोजगार ही उनके एजेंडे में है।’ विभाग की संख्या बढ़ेगी, मंत्री की नहीं नए विभागों का गठन, पुराने विभागों को बंद करना या विभागों का विलय सामान्य प्रक्रिया है। अगर सरकार को लगता है कि किसी खास क्षेत्र पर ध्यान देने की ज्यादा जरूरत है तो विभागों का गठन या मंत्रालयों का विलय किया जा सकता है। सरकार जरूरत के हिसाब से इनकी संरचना में बदलाव कर सकती है, लेकिन मंत्रियों की संख्या तय है। नियमों के मुताबिक, मंत्रिमंडल में विधानसभा सदस्यों के 15 प्रतिशत से अधिक सदस्य नहीं हो सकते। फिलहाल बिहार विधानसभा में 243 सदस्य हैं। इस हिसाब से मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री समेत अधिकतम 36 सदस्य ही हो सकते हैं।

दैनिक भास्कर 7 Dec 2025 5:26 am

हरियाणवी युवक रूस-यूक्रेन युद्ध में फंसा,VIDEO:स्टडी वीजा पर गया, 52 लाख का लालच दे एजेंट ने वर्दी पहनाई; डेढ़ माह से संपर्क नहीं

हरियाणा में करनाल जिले का युवक रूस में फंस गया है। 6 माह पहले वह स्टडी वीजा पर गया। उसे 52 लाख रुपए कमाने का लालच देकर रूस-यूक्रेन युद्ध में धकेल दिया गया। डेढ़ माह पहले युवक की परिवार से अंतिम बार बात हुई थी। उसने बताया था कि उन्हें युद्ध के रेड जोन में भेज दिया गया है। उनके आसपास लगातार फायरिंग होती रहती है। इसी दौरान युवक ने रशियन सेना द्वारा दिए गए हथियार की वीडियो भी बनाकर परिवार को भेजी थी। इसके बाद परिजन लगातार अपने बेटे से संपर्क करने की कोशिश कर रहे है, लेकिन सिर्फ निराशा ही हाथ लग रही है। किसी अनहोनी की आशंका के चलते परिजन चिंतित हैं। उन्होंने बेटे की वापसी के लिए सरकार और विदेश मंत्रालय से गुहार लगाई है। यहां तक कि रूस के राष्ट्रपति को भी मेल आदि भेजकर बेटे की सकुशल वापसी की मांग की है। परिवार को आरोप है कि वह कई मंत्रियों और सरकार के अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर काट चुका है, लेकिन आश्वासनों के अलावा कुछ भी नहीं मिल पा रहा है। उसकी चिंता लगातार बढ़ती जा रही है। यहां सिलसिलेवार ढंग से जानिए, कैसे रूस में फंसा युवक... आखिरी बार फोन कर बोला- रेड जोन’ में भेज रहे हैअर्जुन ने बताया कि 13 अक्टूबर को अनुज का आखिरी बार कॉल आया था। उसने कहा था कि उसे और अन्य भारतीय युवाओं को लड़ाई वाली सबसे खतरनाक जगह भेजा जा रहा है। इसके बाद फोन बंद हो गया और संपर्क टूट गया। अनुज के दूसरे भाई विशाल ने कहा ने कहा कि हम प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन दोनों से हाथ जोड़कर गुहार लगाते हैं कि हमारे भाई को सुरक्षित वापस लाया जाए। भारत और रूस के बीच मजबूत रिश्ते हैं, इसलिए हमें उम्मीद है कि रूस हमारी मदद करेगा। हर जगह गुहार लगा चुके, पर जवाब नहींपरिवार ने भारतीय दूतावास, भारत सरकार और पीएमओ को मेल कर संपर्क किया है। आरोप है कि अभी तक कोई अधिकृत जानकारी नहीं दी गई है कि अनुज कहां है और उसकी हालत कैसी है। परिवार का कहना है कि घर का माहौल दिन-रात चिंताओं से भरा रहता है। मां हर रोज बेटे के फोन का इंतजार करती है। परिजन बस एक ही दुआ कर रहे हैं कि अनुज सुरक्षित मिले और जल्द से जल्द घर लौट आए। एक माह पहले हिसार के युवक की युद्ध में हुई थी मौतरूस-युक्रेन युद्ध में हिसार के युवक सोनू की मौत हो चुकी है। एक माह पहले इसकी खबर परिवार को मिली थी। गांव मदनहेड़ी के 28 वर्षीय सोनू को भी जबरन रशियन आर्मी में भर्ती कर युद्ध में भेजा गया था। सोनू की मौत के बाद रूस आर्मी के कमांडर का फोन परिवार के पास आया था, जिसमें बताया कि यूक्रेन के ड्रोन अटैक में सोनू मारा गया है। इससे पहले कैथल के 22 वर्षीय कर्मचंद की मौत हो गई थी। उसे भी धोखे से रशियन आर्मी में भर्ती किया गया था। हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, उत्तराखंड समेत 6 राज्यों के युवा फंसेभारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से 61 नामों की एक लिस्ट जारी की गई। इसमें 6 राज्यों के युवाओं के नाम हैं, जिनकी रशियन आर्मी में भर्ती होने की पुष्टि हुई है। इनमें हरियाणा के युवकों के नाम हैं। बाकी नाम राजस्थान, पंजाब, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर व तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद के नाम शामिल हैं। हरियाणा के कैथल और हिसार के युवक की मौत की पुष्टि हो चुकी है। ----------------- ये खबर भी पढ़ें..... रूसी आर्मी का डरावना सच, भर्ती के लिए नेटवर्क सक्रिय:हरियाणवी युवक बोला- 10 दिन की ट्रेनिंग, फिर मरने को यूक्रेन युद्ध में छोड़ रहे रूस-यूक्रेन के बीच फरवरी 2022 से जंग जारी है। रूसी सेना पर वहां आए कई भारतीयों को लालच देकर सेना में भर्ती करने और जंग में धकेलने के आरोप लग रहे हैं। वहां फंसे युवाओं ने बताया कि रशियन आर्मी को मैन पावर उपलब्ध कराने वाला बड़ा नेटवर्क काम कर रहा है। (पूरी खबर पढ़ें)

दैनिक भास्कर 7 Dec 2025 5:22 am

के.के. विश्नोई बोले- कांग्रेस 2 सालों से दांतों-तले-अंगुली दबा रहे:उनके पास कोई सॉलिड मुद्दा नहीं; गुड़ामालानी को जापानी-यूरोपीय मॉडल पर होगा सौन्दर्यकरण

राजस्थान सरकार के राज्य मंत्री के.के. विश्नोई ने कहा- विपक्ष 2 सालों से दांतों तले अंगुली दबा रहा है। उनके पास कोई सॉलिड मुद्दे नहीं है। उनके मुख्यमंत्री ने उपमुख्यमंत्री को लेकर जो बयान दिए पूरे प्रदेश ने सुनें। वो हर कदम पर आपसी फूट से बाहर नहीं आ पा रहे थे। उन्होंने यह भी कहा कि गुड़ामालानी मुख्यालय का सौंदर्यीकरण जापान और यूरोप मॉडल पर होगा। यह बात के.के. मंत्री शुक्रवार रात को नई पंचायत समिति मांगता बनाने पर वहां के लोगों ने उनका स्वागत समारोह में कही। जिसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी भी शामिल हुए थे। दरअसल, मांगता में नवगठित पंचायत समिति और राजकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का उद्घाटन किया गया। यह नई पंचायत समिति धोरीमन्ना पंचायत समिति से अलग होकर सृजित हुई है। इस अवसर पर धन्यवाद सभा का आयोजन किया गया। जिसमें राज्य मंत्री केके बिश्नोई मुख्य अतिथि थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी ने की। विपक्ष के पास कोई ठोस मुद्दा नहीं- के.के. विश्नोई मीडिया से चर्चा में मंत्री बिश्नोई ने कहा कि विपक्ष पिछले दो सालों से सिर्फ आरोप लगा रहा है लेकिन उनके पास कोई सॉलिड मुद्दे नहीं है। उन्होंने कहा - “पूर्व सरकार में पेपर लीक, कुशासन, विकास को लेकर मुद्दे, उद्योगों को लेकर मुद्दे और आपसी फूट ने विकास रोक दिया था। मुख्यमंत्री (अशोक गहलोत) और उपमुख्यमंत्री (सचिन पायलट) के सार्वजनिक बयानों को पूरा प्रदेश याद रखता है। उनकी तुलना करना भी आज लोगों को ठीक नहीं लग रहा है। गुड़ामालानी मुख्यालय पर यूरोप की तर्ज पर सौन्दर्य करण किया जाएगा। यहां पर शानदार काम होने वाला है। ग्रामीणों के मन में खुशी है लेकिन विपक्ष के लोगों को ठीक नहीं लगेंगा। क्योंकि उनकी आदत में आ चुका है उसमें कोई न कोई कमी ढूंढ होती है। लेकिन जैसा बीते दो सालों में मुंह में अंगुली दबाने के अलावा उनके पास कोई काम नहीं है। गुड़ामालानी को यूरोप मॉडल पर विकसित करने की योजना बिश्नोई ने कहा कि केंद्र सरकार से अपग्रेडेशन की एक स्कीम है। उसके तहत गुड़ामालानी सीमांत जिले का हिस्सा है। अलग-अलग जिलों में आईटीआई दी गई। उसका प्रक्रियाधीन है। अलवर, भरतपुर, जैसलमेर और बाड़मेर जिला है। जहां पर अधिक आवश्यकता भी है। जहां पर नई-नई फैक्ट्रियां भी लगी हुई है। आगे भी संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए यह नवाचार करने का प्रयास किया गया है। जापानी और यूरोपीय मॉडल पर सौंदर्यकरण किया जाएगा ग्रामीणों में खुशी, जगह-जगह स्वागत के.के. विश्नोई ने मीडिया बातचीत में कहा कि लगातार पंचायती राज पुनर्गठन का काम किया जा रहा है। रेवन्यू विलेज और ग्राम पंचायतें बनी उसके बाद से वहां के लोगों में खुशी का माहौल है। यहां के लोगों ने मेरा जगह-जगह स्वागत किया। इनका प्यार समझ लो या खुशी समझ लो। इन्होंने पूरे गुड़ामालानी विधानसभा में जगह-जगह स्वागत कर धन्यवाद और खुशी जाहिर की है। बजट पर बोले- सुझावों के आधार पर निर्णय आगामी बजट पर पूछे गए सवाल में बिश्नोई ने कहा कि कार्यकर्ताओं व जनता की राय के बाद ही बजट घोषणाएं तय होती हैं। उन्होंने कहा कि छोटे स्तर पर बैठकों में आने वाले सुझावों को प्राथमिकता दी जाएगी।

दैनिक भास्कर 6 Dec 2025 8:08 am

हार के 20 दिन बाद यूरोप घूमने निकले तेजस्वी:पत्नी और दोनों बच्चे भी साथ; 3 दिन का विधानसभा सत्र छोड़ा

बिहार विधानसभा चुनाव में हार के 20 दिन बाद तेजस्वी यादव यूरोप घूमने निकले हैं। इस ट्रिप में उनकी पत्नी और दोनों बच्चे भी उनके साथ हैं। तेजस्वी यादव ने 3 दिन का विधानसभा सत्र भी छोड़ दिया। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सबसे ज्यादा चर्चा जिस नेता ने बटोरी, वह थे तेजस्वी यादव। क्योंकि वे जीत को लेकर इतने आश्वस्त थे कि उन्होंने तारीख भी तय कर दी थी- “14 नवंबर रिजल्ट, 18 को शपथ”। लेकिन जब नतीजे आए, घटनाक्रम उलट गया। NDA ने 202 सीटें जीतकर सत्ता में वापसी की और RJD सिर्फ 25 सीटों पर सिमट गई। महागठबंधन का आंकड़ा भी 35 से आगे नहीं बढ़ा। चुनावी हार के बाद एक और बात चर्चा में रही- तेजस्वी यादव का सार्वजनिक जीवन से अचानक गायब हो जाना। विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले और दूसरे दिन तेजस्वी यादव सदन में दिखे। इसके बाद उनका पटना एयरपोर्ट से वीडियो सामने आया था। कहा गया था कि दिल्ली जा रहे हैं। सदन से तेजस्वी यादव के गायब होने पर बीजेपी विधायक नीरज कुमार ने निशाना भी साधा। उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव सदन में क्यों नहीं आ रहे हैं? कहां गायब हो गए हैं? 20 नवंबर को पटना के गांधी मैदान में ऐतिहासिक शपथ समारोह हुआ। प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, 11 राज्यों के मुख्यमंत्री मौजूद थे, लेकिन तेजस्वी यादव गायब। आमंत्रण भी गया था, सीट भी रिजर्व थी, लेकिन तेजस्वी नहीं दिखे। 14 से 23 नवंबर तक वे ना रोड पर, ना मीडिया के सामने, ना प्रेस कॉन्फ्रेंस में नजर आए। इसके बाद वो एकाध शादियों में दिखाई दिए। विधानसभा सत्र के 2 दिन कार्यवाही में भी वो दिखाई दिए, लेकिन इसके बाद वो सदन भी नहीं आए। सोशल मीडिया X पर तेजस्वी ने नीतीश सरकार को सिर्फ एक औपचारिक रूप से बधाई दी। इन 20 दिनों में RJD में विवाद, परिवार में नाराजगी, हार की समीक्षा को लेकर उथल पुथल चलती रही। तेजस्वी के बाहर नहीं आने को लेकर सैकड़ों सवाल उठे कि क्या ये रणनीतिक तौर पर चुप हैं, मानसिक थकान है, आंतरिक असंतोष है या राजनीतिक पुनर्गठन का समय? इसके पीछे की पूरी कहानी पढ़िए, अगले 9 पॉइंट में...। सबसे बड़ा सवाल- सबसे बड़ी चुप्पी: 18 नवंबर शपथ तक गायब क्यों? 14 नवंबर को नतीजों की घोषणा शुरू हुई तो तेजस्वी अपने 1, पोलो रोड आवास में ही रहे। RJD की सीटें घटती गईं, लेकिन पूरे दिन उन्होंने मीडिया से दूरी बनाए रखी। रात में वे राबड़ी आवास पहुंचे, लेकिन कोई बयान नहीं दिया। 15-16 नवंबर के दिन भी सन्नाटा देखने को मिला। इस चुनावी हार के बाद परंपरा रही है कि विपक्ष का नेता जनता और समर्थकों को संदेश दे, लेकिन तेजस्वी बाहर ही नहीं आए। सबसे बड़ा सवाल शपथ ग्रहण समारोह को लेकर उठा, क्योंकि बिहार के राजनीतिक इतिहास में ऐसा शायद ही हुआ होगा कि नेता प्रतिपक्ष इस मौके पर मौजूद ना हो। नीतीश कुमार 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहे थे। मंच पर प्रधानमंत्री सहित दर्जनों राष्ट्रीय नेता थे, लेकिन RJD की खाली कुर्सी सभी का ध्यान खींच रही थी। क्या तेजस्वी निमंत्रण से नाखुश थे या कोई रणनीति थी या परिवार में चल रहे विवाद ने सार्वजनिक उपस्थिति रोक ली? RJD नेताओं ने भी इस मामले पर चुप्पी साथ रखी थी। तेजस्वी की यही चुप्पी चर्चा का सबसे बड़ा विषय बन गई है। 14 नवंबर- नतीजों के दिन राबड़ी आवास के बंद दरवाजे और बेचैनी 14 नवंबर की सुबह चुनावी गिनती के दौरान शुरुआत में RJD कार्यकर्ता उत्साहित थे। सेट ट्रेंड देख उम्मीदें बनीं, लेकिन धीरे-धीरे तस्वीर बदलने लगी। पोलो रोड आवास के बाहर मीडिया, समर्थक, राजनीतिक विश्लेषक जुटे। सभी को केवल तेजस्वी के बयान का इंतजार था, लेकिन पूरे दिन ना कोई प्रेस नोट, ना अपीयरेंस, ना सोशल मीडिया संदेश। देर रात तक जब हार तय हो गई थी, तेजस्वी राबड़ी आवास पहुंचे, लेकिन वहां भी सन्नाटा पसरा था। लालू परिवार में क्या हुआ, रणनीति पर क्या चर्चा हुई, इसको लेकर बाहर किसी को भी जानकारी नहीं दी गई। यह पहली बार हुआ, जब तेजस्वी ने चुनावी हार पर फौरन कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। इससे यह सवाल उठा कि क्या RJD की हार उम्मीद के विपरीत थी, जबकि वे जीत को निश्चित मान बैठे थे या पार्टी के भीतर असंतोष को शांत करने में देरी हुई। RJD के युवा कैडर लगातार पूछते रहे- “दिशा क्या है?” लेकिन जवाब नहीं मिला। उस रात RJD की चुप्पी ने कहानी बदल दी। 17 नवंबर- हार की समीक्षा बैठक, लेकिन कैमरे से रही दूरी 17 नवंबर का दिन RJD के लिए बेहद अहम था। एक पोलो रोड स्थित कार्यालय में सभी हारे उम्मीदवारों को बुलाया गया। लालू प्रसाद, राबड़ी देवी, मीसा भारती और तेजस्वी यादव एक साथ पहुंचे। अंदर लगभग तीन घंटे समीक्षा चली- किसकी हार क्यों हुई? सीट बंटवारे में गलती? कैडर मैनेजमेंट? मुस्लिम-यादव वोट का बिखराव? INDIA गठबंधन का नुकसान? लेकिन इस बैठक के दौरान तेजस्वी चुप थे, कैमरे से चेहरे छुपाते दिखे। राजनीति में हार के बाद नेतृत्व की भूमिका और भी बड़ी मानी जाती है। बैठक के बाद RJD ने उन्हें औपचारिक रूप से नेता प्रतिपक्ष चुना। यानी संगठन को अभी भी उन पर भरोसा है। लेकिन बाहर आकर भी तेजस्वी ने एक शब्द नहीं बोला। यही चुप्पी राजनीतिक पहेली बन गई कि क्या वे खुद को जिम्मेवार मान रहे हैं? या आरोप लगाने वालों से बच रहे हैं? 20 नवंबर- सोशल मीडिया पर नहीं दिखे एक्टिव, सिर्फ नीतीश सरकार को औपचारिक बधाई दी तेजस्वी यादव आमतौर पर सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते हैं। तेज प्रतिक्रियाएं, तंज, ग्राफिक्स, रैली अपडेट, वीडियो संदेश। नतीजों आने के बाद तस्वीर बिल्कुल उलट दिखी। तेजस्वी ने 8 दिनों तक एक भी ट्वीट नहीं किया। सिर्फ 20 नवंबर को शपथ दिवस पर औपचारिक पोस्ट- “शुभकामनाएं” बस लिखा। कोई प्रतिक्रिया, कोई आत्मनिरीक्षण, कोई राजनीतिक संदेश नहीं। डिजिटल दौर में चुप्पी राजनीतिक निर्णय नहीं, राजनीतिक संदेश बन जाती है। इससे यह सवाल उठा कि क्या RJD डिजिटल टीम को भी “चुप रहने” का निर्देश मिला था? क्या पार्टी बड़े संकट प्रबंधन मोड में थी? या पारिवारिक विवादों को बढ़ने से रोकना चाहती थी? राजनीतिक संचार विशेषज्ञ कहते हैं कि चुनाव के बाद जनता उम्मीद करती है कि नेता सामने आए, बोले, दिशा दे। लेकिन यहां साइलेंस ने ही खबर बना दी। रोहिणी विवाद- परिवार की कलह ने राजनीतिक सरगर्मी और बढ़ाई हार के तुरंत बाद RJD परिवार में तनाव खुलकर सामने आया। रोहिणी आचार्य के पोस्ट असंयमित, भावुक, आरोपों से भरे थे, जो सोशल मीडिया पर वायरल हुए। फिर मीसा भारती की प्रतिक्रिया, unfollow-follow एपिसोड, समर्थकों की लड़ाई और कथित राजनीतिक सलाहकारों पर निशाना। RJD समर्थकों ने पहली बार इतने खुले रूप में लालू परिवार को विभाजित देखा। यह वही लालू परिवार है, जिसने 30 वर्षों तक एकता की छवि बनाई। राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि हार के बाद पार्टी को संदेश देना चाहिए था कि “हम एक हैं”, लेकिन हुआ उल्टा। फिर भी तेजस्वी चुप रहे और कोई सफाई, कोई अपील, कोई मध्यस्थता नहीं किया। इससे यह धारणा बनी कि या तो वे पहले से नाराज थे या वे पारिवारिक भावनात्मक विस्फोट को रोक नहीं पा रहे थे। इस विवाद ने तेजस्वी की गैर-मौजूदगी को और सवालों के घेरे में ला दिया। क्या 171 रैलियां करने के बाद भी हार ने निजी सदमे का रूप लिया? तेजस्वी यादव का चुनाव अभियान देशभर में चर्चा में रहा। कुल 171 रैलियां, 20 रोड शो, प्रति दिन 7-8 सभाएं, औसतन 4 जिले प्रतिदिन। उन्होंने नीतीश और मोदी दोनों से अधिक रैलियां की। यह असाधारण राजनीतिक ऊर्जा थी। युवाओं की भीड़, महिलाओं की उपस्थिति, बेरोजगारी का मुद्दा- सभी ने संकेत दिए थे कि RJD दौड़ में है। लेकिन नतीजे उम्मीद से बिल्कुल विपरीत आए। शायद यही सबसे बड़ा भावनात्मक झटका बना। राजनीतिक मनोविज्ञान कहता है कि जो नेता अभियान में बेहद निवेश करता है, वह हार के बाद सार्वजनिक रूप से सामने नहीं आता, क्योंकि वह पहले खुद से लड़ता है। तेजस्वी की चुप्पी को इससे भी पढ़ा जा सकता है। या तो आत्ममंथन हो सकता है या हार पचाने की प्रक्रिया। लेकिन सवाल वही- क्या नेता को जनता से भी eight-day recovery की जरूरत थी? 20 नवंबर- NDA का शपथ ग्रहण में सीट खाली, क्या राजनीतिक संदेश था? 20 नवंबर की तस्वीरें आज भी सोशल मीडिया पर तैर रही हैं। गांधी मैदान में ऐतिहासिक मंच, सुरक्षा का अभूतपूर्व इंतजाम, देशभर के नेताओं का जमावड़ा, हजारों कार्यकर्ताओं की भीड़ और तेजस्वी की खाली कुर्सी। समारोह लोकतंत्र का उत्सव था, लेकिन विपक्ष की अनुपस्थिति संतुलन तोड़ रही थी। आमतौर पर विपक्षी नेता भी शपथ ग्रहण समारोह में पहुंचते हैं, क्योंकि सत्ता और विपक्ष संसद की दो अनिवार्य दीवारें हैं। लेकिन RJD की गैर-मौजूदगी को BJP ने अवसर बना लिया। जेडीयू ने कहा “हार पच नहीं रही।” यह राजनीतिक नजारा लोगों के मन में हमेशा के लिए दर्ज हो गया। सवाल है कि क्या यह बायकॉट था? क्या यह निजी निर्णय था या फिर यह कोई संकेत था? तेजस्वी ने न स्पष्टीकरण दिया, न ही खंडन किया। राजनीति में बिना बोले भी संदेश बन जाता है। RJD के भीतर सवाल, नेतृत्व शैली पर पहली बार खुली चर्चा चुनाव समीक्षा बैठक के बाद कई उम्मीदवारों ने खुलकर कहा कि टिकट वितरण जल्दबाजी में हुआ। गठबंधन की रणनीति गलत थी। मुस्लिम-यादव वोट NDA में शिफ्ट हुआ और कुछ जिलों में प्रचार कमजोर रहा। यह आवाजें पहले कम सुनाई देती थीं, जो अब खुलकर सामने आने लगीं। सबसे बड़ा सवाल यह था कि क्या RJD अब भी पूरी तरह से तेजस्वी-केंद्रित है या संगठन बदलाव चाहेगा? अनुभवी नेताओं का यह भी मत है कि हार के बाद नेता को सामने आना चाहिए। जनता और कार्यकर्ताओं को संबोधित करना चाहिए। लेकिन आठ दिनों की अनुपस्थिति ने भीतरी असंतोष को उभरने का मौका दे दिया। इसी बीच तेज प्रताप भी दो बार सार्वजनिक हुए और समर्थकों से मिले। यानी नेतृत्व केवल एक चेहरा नहीं रह गया। यह RJD संरचना में भावी परिवर्तन की संभावनाओं की शुरुआत हो सकती है। अब आगे क्या- तेजस्वी की अगली चाल ही विपक्ष का भविष्य तय करेगी तेजस्वी का राजनीतिक सफर अभी लंबा है। युवा पहचान, जनाधार और विपक्ष का चेहरा, सब उनके पास है। हार एक अंत नहीं, री लॉन्च का अवसर हो सकती है। अब सबसे बड़ा सवाल— क्या वे आक्रामक विपक्ष बनेंगे? क्या वे INDIA ब्लॉक से दूरी बढ़ाएंगे? क्या वे संगठन का पुनर्गठन करेंगे? क्या वे परिवार के भीतर मतभेद सुलझाएंगे? क्या वे बेरोजगारी और महंगाई पर आंदोलन शुरू करेंगे? या कुछ समय के लिए public visibility कम रखेंगे? मीडिया, जनता और राजनीतिक गलियारों की नजर तेजस्वी के अगले कदम पर टिकी हुई है। बिहार की राजनीति में खालीपन नहीं रहता। अगर विपक्ष खामोश रहा तो NDA का नरेटिव स्थायी हो जाएगा। तेजस्वी जल्दी ही लौटेंगे, ऐसी उम्मीद उनके समर्थक कर रहे हैं। लेकिन तेजस्वी का अगला कदम ही तय करेगी कि उन्होंने कुछ सीख लिया या भीतर से टूट गए?

दैनिक भास्कर 4 Dec 2025 2:45 pm

बेनीवाल बोले- 61 भारतीयों को रूस-यूक्रेन युद्ध में धकेला:राजस्थान के भी 5 युवा शामिल, धोखे से फ्रंटलाइन पर भेजा; संसद में उठाया मुद्दा

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 4 दिसंबर को भारत आ रहे हैं। उनके आने से एक दिन पहले बुधवार को राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के संयोजक और नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने लोकसभा के शून्यकाल में रूस में फंसे 61 भारतीय युवकों का मामला उठाया है। बेनीवाल ने रूस में स्टडी और वर्क वीजा पर गए राजस्थान समेत विभिन्न राज्यों के 61 भारतीय नागरिकों की तत्काल वतन वापसी की मांग की है, जिन्हें कथित तौर पर धोखे से रूस-यूक्रेन युद्ध के मोर्चे पर भेज दिया गया है। ​धोखे से युद्ध क्षेत्र में धकेले गए युवक​सांसद बेनीवाल ने सदन को बताया- इन 61 युवकों को रोजगार और सामान्य कार्य का झांसा देकर रूस भेजा गया था। हालांकि, वहां तैनात एजेंटों ने आपराधिक कृत्य करते हुए उन्हें जबरन सैन्य गतिविधियों में लगा दिया है। बेनीवाल ने कहा कि उन्हें इन प्रभावित परिवारों से गंभीर जानकारी प्राप्त हुई है, जिसमें सामने आया है कि ये युवक पिछले तीन से चार महीनों से अपने परिजनों के संपर्क में नहीं हैं। ​परिजनों ने जंतर-मंतर पर दिया था धरना​सांसद ने बताया कि इन 61 युवकों में राजस्थान के मनोज सिंह शेखावत, अजय कुमार, संदीप सूंडा, महावीर प्रसाद और करमचंद जैसे युवा शामिल हैं। अपनी पीड़ा और चिंता सरकार तक पहुंचाने के लिए इन प्रभावित परिवारों ने 3 नवंबर और 1 दिसंबर को दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना भी दिया था। बेनीवाल ने इस विषय की सूचना स्वयं विदेश मंत्रालय को भी दी है और प्रभावित परिवारों से भी मुलाकात की हैं। ​सांसद ने की त्वरित कार्रवाई की मांग​नागौर सांसद ने केंद्र सरकार से तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की है। उन्होंने कहा- वर्तमान में इन भारतीयों की सुरक्षा सुनिश्चित करना बहुत जरूरी है। इसके लिए रूस सरकार से तुरंत वार्ता कर इन्हें युद्ध क्षेत्र से सुरक्षित बाहर निकाला जाए और स्वदेश वापसी की ठोस पहल की जाए। इसके साथ ही युवाओं को धोखा देकर फ्रंटलाइन पर भेजने वाले एजेंटों के खिलाफ भी शीघ्र आपराधिक कार्रवाई की जाए। विदेश मंत्रालय ने जारी की थी एडवाइजरी.... बीते कुछ दिनों में राजस्थान के अलावा, हरियाणा और पंजाब के बाद ऐसे कई वीडियो सामने आए हैं। जिसमें युवक धोखे से उन्हें यूक्रेन युद्ध में धकेलने का दावा कर रहे हैं। ऐसे वीडियो सामने आने के बाद 11 सितंबर 2025 को भारत के विदेश मंत्रालय ने एक एडवाइजरी भी जारी की थी। जानें- क्या है वो एडवाइजरी... .... इंडियन स्टूडेंट्स को यूक्रेन युद्ध में धकेलने से जुड़ी ये खबर भी पढ़िए... रूस के बंकरों से जयपुर के मनोज का आखिरी VIDEO:कहा था- 3 दिन में कॉल नहीं आए तो समझना जिंदा नहीं, अब 2 सप्ताह से संपर्क नहीं, सदमे में परिवार जयपुर के मनोज सिंह शेखावत…15 अक्टूबर को रूस के एक बंकर से खुद का 51 सेकेंड का वीडियो पत्नी को भेजते हैं….चेहरा सहमा हुआ है आवाज में एक डर नजर आ रहा है... पूरी खबर पढ़िए बीकानेर का स्टूडेंट बोला- हमें जबरन यूक्रेन युद्ध में धकेला:ये मेरा लास्ट वीडियो हो सकता है, मां-बाप ने कहा- हमारे इकलौते बेटे को लौटा दो राजस्थान से मॉस्को (रूस) में पढ़ाई के लिए गए एक स्टूडेंट ने दावा किया है कि उसे जबरन युद्ध के मैदान में उतारा गया है। उसने दो वीडियो भी परिवार को भेजे हैं, जिसमें वो सेना की वर्दी में नजर आ रहा है। पूरी खबर पढ़िए

दैनिक भास्कर 3 Dec 2025 3:15 pm

फ्रांस के मशहूर अभिनेता एलेन डेलन का निधन, 88 वर्ष की उम्र में ली अंतिम सांस

Alain Delon passes away: 'द लेपर्ड' और 'रोक्को एंड हिज ब्रदर्स' जैसी सुपर हिट फिल्मों में अभिनय का जौहर दिखाने वाले फ्रांस के मशहूर अभिनेता एलेन डेलन का निधन हो गया है। एलेन डेलन ने 88 वर्ष की उम्र में आखिरी सांस ली। अभिनेता के पारिवारिक सूत्रों ने ...

वेब दुनिया 18 Aug 2024 5:40 pm

इटली से फ्रांस तक समंदर के बीच होगा Anant-Radhika का दूसरा प्री वेडिंग फंक्शन, जानिए मेहमानों से लेकर ड्रेस कोड तक सबकुछ

इटली से फ्रांस तक समंदर के बीच होगा Anant-Radhika का दूसराप्री वेडिंग फंक्शन, जानिए मेहमानों से लेकरड्रेस कोड तक सबकुछ

समाचार नामा 28 May 2024 10:30 am

Heeramandi के बाद अब Cannes में अपनी 'गजगामिनी चाल' दिखाएंगी Aditi Rao Haidari, फ्रांस के लिए रवाना हुई बिब्बोजान

Heeramandi के बाद अब Cannes में अपनी 'गजगामिनी चाल' दिखाएंगी Aditi Rao Haidari,फ्रांस के लिए रवाना हुईबिब्बोजान

समाचार नामा 21 May 2024 2:45 pm

यूरोप से लेकर Sri Lanka तक इन देशो में शूट हुई है Surya और Bobby Deol की फिल्म Kanguva, बजट उड़ा देगा होश

यूरोप से लेकर Sri Lanka तक इन देशो में शूट हुई है Surya और Bobby Deol की फिल्म Kanguva, बजट उड़ा देगा होश

मनोरंजन नामा 29 Apr 2024 9:00 pm