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पुतिन की भारत यात्रा के संदेश से बौखलाए हैं पश्चिमी देश

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा दोनों देशों के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण थी

देशबन्धु 13 Dec 2025 3:39 am

उभरती वैश्विक भूराजनीति में यूरोप कहां है?

अमीर यूरोपीय देशों, खासकर जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन की तिकड़ी के लिए, साल 2026 में जो भूराजनीतिक स्थिति बन रही है, उसमें अस्तित्व के संकट के काफी तत्व हैं

देशबन्धु 13 Dec 2025 3:33 am

जहरमुक्त खेती की ओर बढ़ते कदम

मौजूदा दौर में रासायनिक खेती के दुष्परिणाम सामने आने लगे हैं। इसके मद्देनजर देश के कई कोनों में जैविक व प्राकृतिक खेती की ओर किसानों का रूझान बढ़ रहा है

देशबन्धु 13 Dec 2025 3:29 am

स्वामिभक्त दूधा

जरूरी न था रोटी लाना। जो हाथ यूं कटवा आया।। एक दिन अगर मैं नहीं खाता, मुझको राम रखता भाया।। देख दशा भील बालक की, राणा का हृदय भर आया। मैं केसे ऋण मुक्त होऊंगा, तेने जो कर्ज मुझ पर ढ़ाया।। प्रताप को दुश्मन घेरे थे, तब भील ... Read more

अजमेरनामा 12 Dec 2025 10:14 pm

सोशल मीडिया का बढ़ता वर्चस्व और खोता हुआ बचपन

पिछले एक दशक में जिस सोशल मीडिया को आधुनिकता की उपलब्धि, अभिव्यक्ति की आजादी और वैश्विक संपर्क का सबसे बड़ा माध्यम माना गया था, उसी सोशल मीडिया ने अब अपने छिपे डरावने एवं वीभत्स चेहरे दिखाने शुरू कर दिए हैं। पश्चिमी देश, जो कल तक इसके गुणगान करते नहीं थकते थे, अब उसके दुष्परिणामों से ... Read more

अजमेरनामा 12 Dec 2025 10:00 pm

पाक में हिन्दू-सिख अल्पसंख्यकों की चिन्ताजनक तस्वीर

पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के हालात पर उठती चिंताएँ कोई नई बात नहीं हैं, पाक में हिन्दू-सिख अल्पसंख्यकों पर किस कदर अत्याचार हो रहे हैं और यह समस्या दिन-ब-दिन गहरी होती गयी है। लेकिन हाल ही के आधिकारिक आँकड़ों ने एक बार फिर इस सच्चाई को निर्मम रूप से सामने ला दिया है कि वहाँ रहने ... Read more

अजमेरनामा 12 Dec 2025 9:52 pm

यूनेस्को ने दीपावली को विश्व धरोहर घोषित किया

यूनेस्को द्वारा दीपावली को अमूर्त विश्व धरोहर घोषित किया जाना भारत की सांस्कृतिक चेतना का ऐसा महत्त्वपूर्ण क्षण है, जो न केवल भारतीयों को गौरवान्वित करता है बल्कि यह सिद्ध करता है कि भारतीय सभ्यता की आत्मा आज भी मानवता का मार्गदर्शन करने की क्षमता रखती है। दीपावली मात्र एक त्योहार नहीं, बल्कि जीवन, आत्मा, ... Read more

अजमेरनामा 12 Dec 2025 3:32 am

ललित सुरजन की कलम से - सेंसरशिप:प्लेटो से अब तक

'जनतंत्र की पहिली शर्त अभिव्यक्ति की आजादी है। एक जनतांत्रिक समाज में ही नाना विचारों का प्रस्फुटन और असहमति का आदर संभव है।

देशबन्धु 12 Dec 2025 2:30 am

अमेरिकी अधिकारियों के दिल्ली दौरे से आया व्यापार समझौता वार्ता में निर्णायक मोड़

अमेरिका को भारत के शिपमेंट मुख्य रूप से खुशबूदार बासमती किस्म के होते हैं, जो खास उपभोक्ता वर्ग और ऐसे बाजार की जरूरतों को पूरा करते हैं।

देशबन्धु 12 Dec 2025 2:20 am

जनता का डर न एयरलाइंस को है न सरकार को

विमानन मंत्री के. राममोहन नायडू दोषी इंडिगो कंपनी को 'एकजेम्पलरी' सजा देने की घोषणा कर रहे थे तभी इस विमानन कंपनी का एक विमान गोवा नाइट क्लब की आगजनी के मुख्य दोषियों को लेकर फुकट पहुंचाने उड़ा।

देशबन्धु 12 Dec 2025 2:10 am

संसद के लिए काला दिन

जब केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने चुनाव सुधारों पर सरकार की तरफ से पक्ष रखते हुए एक अपशब्द के साथ चुनाव आयोग को जोड़ा।

देशबन्धु 12 Dec 2025 2:00 am

कांग्रेस का सुख, मोदी का दुख

नरेन्द्र मोदी के अंधसमर्थकों ने उन्हें दैवीय पुरुष बना दिया है। मोदी खुद को ब्रह्मांड की असीम ऊर्जा से संपन्न अवतरित बता चुके हैं

देशबन्धु 11 Dec 2025 3:22 am

मुश्किल मुद्दों की वजह से मणिपुर समस्या के समाधान में हो रही है देरी

मणिपुर का पूरा इलाका- पहाड़ियां और घाटियां दोनों- हमेशा मणिपुर के राजाओं, राज्य दरबार और बाद में, राज्य सरकार के प्रशासन में था

देशबन्धु 11 Dec 2025 3:14 am

ललित सुरजन की कलम से - उसमें प्राण जगाओ साथी- 15

'चुनावी राजनीति का एक प्रसंग 1985 में फिर घटित हुआ। मेरे पास प्रस्ताव आया कि रायपुर ग्रामीण या मंदिर हसौद से कांग्रेस टिकट पर चुनाव लडूं

देशबन्धु 11 Dec 2025 3:02 am

मोदी को उलटा पड़ा वंदे मातरम् पर बहस का दांव

राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम्' की रचना के 150 वर्ष पूरे होने पर सरकार की पहल पर संसद के दोनों सदनों में एक-एक दिन की विशेष बहस का आयोजन हुआ

देशबन्धु 10 Dec 2025 2:35 am

खनन से खत्म होते पहाड़?

'राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड' ने भी यहां खनन कार्य में लगी भारी मशीनों और उनसे उत्पन्न ध्वनि-प्रदूषण, वायु-प्रदूषण सहित कई नकारात्मक प्रभावों की अनदेखी की है जिससे खनन कारोबार को अधिक बल मिला है

देशबन्धु 10 Dec 2025 2:30 am

ललित सुरजन की कलम से - देशबन्धु : चौथा खंभा बनने से इंकार- 24

'दिग्विजय सिंह के शासनकाल की सबसे बड़ी परिघटना छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण की है

देशबन्धु 10 Dec 2025 2:23 am

गोवा अग्निकांड : असली दोषी कहां हैं

गोवा के रोमियो लेन नाइट क्लब में शनिवार रात लगी आग में 25 लोग अकाल मौत मारे गए

देशबन्धु 10 Dec 2025 2:19 am

फिर वे ''वंदे मातरम्'' के लिए आए!

मोदी राज में संसद समेत देश को चलाने वाली सभी महत्वपूर्ण संस्थाओं की प्राथमिकताओं को जान-बूझकर सिर के बल खड़ा कर दिया गया है

देशबन्धु 9 Dec 2025 2:45 am

मोदी-पुतिन शिखर वार्ता ने दी भारत की भूराजनीतिक पहचान को नई ऊंचाई

रूस और भारत के संयुक्त बयान के मुताबिक, दोनों नेताओं ने संतुलित और टिकाऊ तरीके से द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने की अपनी साझा इच्छा की फिर से पुष्टि की

देशबन्धु 9 Dec 2025 2:39 am

ललित सुरजन की कलम से - क्या गाँधी के विचार जीवित हैं?

'गुजरात गांधीजी का गृह प्रदेश है। गांधीजी के विचारों के अनुसरण में ही पिछले साठ साल से वहां मद्यनिषेध लागू है

देशबन्धु 9 Dec 2025 2:35 am

संसद में खतरनाक खेल की शुरुआत

देश में सांप्रदायिक धु्रवीकरण के खेल को भाजपा अब एक खतरनाक स्तर पर ले आई है। इसे रोकना या इसका हल निकालना आसान नहीं है

देशबन्धु 9 Dec 2025 2:31 am

बंगाल में हुमायूं कबीर के भरोसे बीजेपी

33 साल में पहली बार उत्तर भारत में 6 दिसंबर को शांति रही। कहीं भी पराक्रम दिवस के उग्र प्रदर्शन या बाबरी मस्जिद शहादत का सार्वजनिक गम और गुस्सा प्रकट नहीं किया गया

देशबन्धु 8 Dec 2025 5:24 am

व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य शर्त संहिता, 2020 को वापस लेना होगा

पेशाजन्य स्वास्थ्य और सुरक्षा लंबे समय से स्वास्थ्य कर्मचारियों के साथ-साथ श्रम संगठनों के लिए भी गंभीर चिंता का विषय रहा है

देशबन्धु 8 Dec 2025 5:20 am

ललित सुरजन की कलम से - परिभाषा और आंकड़ों में उलझी गरीबी

'यह बात विचित्र लगती है कि देश में बड़े स्तर पर हुए उन घोटालों का ढिंढोरा तो बहुत पीटा जाता है जिनका आम जनता के साथ प्रत्यक्ष कोई संबंध नहीं है

देशबन्धु 8 Dec 2025 5:12 am

अव्यवस्था का मोदी मॉडल

देश में चारों तरफ अफरा-तफरी और घबराहट, सड़कों पर उतरे परेशान नागरिक, अपने सवालों के जवाब मांगते लोग ऐसा माहौल अक्सर किसी आपातकालीन अवसर पर बनता है

देशबन्धु 8 Dec 2025 5:08 am

श्रमिक असंतोष बढ़ा सकते हैं नए लेबर कोड

लंबे समय से यह तर्क दिया जाता रहा है कि भारत के श्रम कानून- व्यापार, विशेष रूप से विनिर्माण क्षेत्र को कार्यप्रवण होने और देश की विकास गाथा में शामिल होने से रोकते हैं।

देशबन्धु 6 Dec 2025 2:30 am

जवाबदेही के अभाव में पिछड़ती भारतीय टेस्ट क्रिकेट

पहले किसी भी टेस्ट सीरीज से पूर्व क्रिकेट टीम का कैम्प होता था। अब व्यस्त कार्यक्रम की वजह से कैम्प नहीं हो पाते हैं।

देशबन्धु 6 Dec 2025 2:10 am

लोक शिक्षण के लिए समर्पित : पन्नालाल सुराणा

पन्नालाल सुराणा, सादगी, ईमानदारी, आदर्श की मिसाल थे। लिंगराज भाई ने बताया कि वे पूरे देश में घूम-घूमकर युवाओं को प्रशिक्षित करते रहते थे।

देशबन्धु 6 Dec 2025 2:00 am

पुतिन के भारत दौरे से जोड़कर 8 साल पुराना सीरिया दौरे से जुड़ा वीडियो वायरल

बूम ने जांच में पाया कि वायरल वीडियो रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के 11 दिसंबर 2017 को सीरिया के अघोषित दौरे से जुड़ा हुआ है.

बूमलाइव 5 Dec 2025 7:06 pm

चुप-चोरी आई श्रमिक संहिताओं के राज

मजदूरों से जुड़ी चार संहिताओं को आये आज लगभग दो सप्ताह (इनकी अधिसूचना 21 नवंबर को हुई थी) हो गए लेकिन कहीं से इस बारे में कोई खास उत्साह या विरोध का स्वर सुनाई नहीं दे रहा है

देशबन्धु 5 Dec 2025 7:42 am

ललित सुरजन की कलम से - बिहार के बाद क्या?

पहले तो लोग इस बात पर माथापच्ची करते रहे कि बिहार में विधानसभा चुनावों के नतीजे क्या होंगे। जिस दिन मतदान का आखिरी चरण सम्पन्न हुआ उस दिन तमाम विशेषज्ञ एक्जिट पोलों की चीर-फाड़ में लग गए

देशबन्धु 5 Dec 2025 7:36 am

बड़ी कंपनियों के मुनाफे के लिए बनाया गया दवा बाजार

हर देश आखिरकार यह तय करता है कि हेल्थकेयर एक अधिकार है या कमाई का ज़रिया

देशबन्धु 5 Dec 2025 7:36 am

अर्थव्यवस्था की हालत ठीक नहीं है

विदेशी पूंजी की लगातार निकासी और कच्चे तेल की ऊंची कीमतों के बीच रुपया बुधवार को पहली बार 90 प्रति डॉलर के नीचे चला गया

देशबन्धु 5 Dec 2025 7:24 am

अमेरिकी टूरिस्ट के उदयपुर की झील में शौच का दावा झूठा, वीडियो ऑस्ट्रेलिया का है

बूम ने पाया कि वायरल वीडियो में दिख रही महिला ऑस्ट्रेलिया की Ellie-Jean Coffey हैं. यह वीडियो उदयपुर का नहीं बल्कि ऑस्ट्रेलियाई आउटबैक के Kimberley क्षेत्र का है.

बूमलाइव 4 Dec 2025 3:13 pm

मोबाइल का साथी या आस्तीन का सांप

मोदी सरकार तानाशाही कायम करने के नित नए तरीके ईजाद कर रही है। और यह काम इतनी चालाकी से किया जा रहा है कि जनता को लगता है कि सब उसके भले के लिए है

देशबन्धु 4 Dec 2025 7:16 am

अंतरराष्ट्रीय बैंक दिवस : बैंकिंग से बदलता भारत

संयुक्त राष्ट्र संघ' ने वर्ष 2020 में 4 दिसंबर को 'अंतरराष्ट्रीय बैंक दिवस' घोषित किया था। यह दिवस बहुपक्षीय विकास बैंकों और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों की उस महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है

देशबन्धु 4 Dec 2025 7:12 am

ललित सुरजन की कलम से - एक गैर-चुनावी चर्चा

'भाजपाई बृजमोहन अग्रवाल सन् 1990 में पहली बार विधायक बने। हाल में संपन्न विधानसभा चुनावों में उन्होंने लगातार सातवीं बार जीत का रिकॉर्ड बनाया है

देशबन्धु 4 Dec 2025 3:41 am

बांग्लादेश में नाबालिग लड़की की 75 साल के आदमी से शादी कराने का वीडियो स्क्रिप्टेड है

बूम ने पाया कि इस स्क्रिप्टेड वीडियो को बांग्लादेश के Nk Media One नाम के यूट्यूब चैनल ने शेयर किया था.

बूमलाइव 3 Dec 2025 3:28 pm

एसआईआर पर नया विवाद

24 जून 2025 को चुनाव आयोग ने बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर का आदेश) दिया था

देशबन्धु 3 Dec 2025 3:08 am

भोपाल में उस रात की सुबह अभी तक नहीं हो सकी

इंसान को तमाम तरह की सुख-सुविधाओं के साजो-सामान देने वाला सतर्कताविहीन या कहें कि गैरजिम्मेदाराना विकास कितना मारक हो सकता है

देशबन्धु 3 Dec 2025 3:07 am

भारत-रूस संबंधों में नया रणनीतिगत बदलाव

राजनीतिक इरादे और आर्थिक व्यावहारिक सोच का बढ़ता मेल भारत-रूस रिश्ते को नई रफ़्तार दे रहा है, जिससे नई दिल्ली में होने वाला शिखर सम्मेलन एक ऐसी भागीदारी में एक अहम पल बन रहा है जिसने पहले ही दशकों के भूराजनीतिक बदलावों को झेला है

देशबन्धु 3 Dec 2025 2:59 am

ललित सुरजन की कलम से - परिवर्तन

'भाजपा के मुखिया डॉ. रमन सिंह इस बार जनता के मन को नहीं पढ़ पाए। वे अपने इर्द-गिर्द के कुछ अफसरों पर सीमा से अधिक विश्वास कर बैठे

देशबन्धु 3 Dec 2025 2:53 am

डीके शिवकुमार की चंद्रबाबू नायडू से मुलाकात का पुराना वीडियो भ्रामक दावे से वायरल

बूम ने पाया कि आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार की मुलाकात का यह वीडियो करीब दो साल पुराना है.

बूमलाइव 2 Dec 2025 5:53 pm

सचिन पायलट ने सरकार के दबाव में ऑक्सफोर्ड डिबेट छोड़ने का दावा नहीं किया

बूम ने पाया कि सचिन पायलट ने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है. एआई डिटेक्टर टूल Deepfake-O-Meter, Hive Moderation और एआई वॉइस डिटेक्टर टूल Hiya ने इस वीडियो के एआई से बने होने की पुष्टि की है.

बूमलाइव 2 Dec 2025 3:20 pm

सीएम योगी के बी एन राव को संविधान निर्माता बोलने के दावे से एडिटेड पोस्ट वायरल

बूम ने जांच में पाया कि सीएम योगी आदित्यनाथ के आधिकारिक फेसबुक अकाउंट पर शेयर की गई पोस्ट की तस्वीर को एडिट करके गलत दावा किया जा रहा है.

बूमलाइव 2 Dec 2025 11:33 am

हत्यारा एसआइआर

आखिरकार, चुनाव आयोग ने 12 राज्यों में जारी मतदाता सूचियों के विशेष सघन पुनरीक्षण या एसआइआर की समय सूची में एक हफ्तेे की मोहलत दे दी है

देशबन्धु 2 Dec 2025 6:26 am

असरदार सामाजिक सुरक्षा की ज़रूरत पर ज़ोर देता है भारत पर आईएमएफ का दस्तावेज

अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की भारत के साथ ताजा देश स्तरीय विचार-विमर्श के बाद किये गये आकलन से भारतीय अर्थव्यवस्था की वर्तमान हालत की अच्छी तस्वीर सामने आई है

देशबन्धु 2 Dec 2025 6:21 am

ललित सुरजन की कलम से - कसाब को फांसी के बाद

'21 नवंबर को फांसी देने के बाद से अनेक तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं

देशबन्धु 2 Dec 2025 6:18 am

एसआईआर की समय सीमा में संशोधन

देश के 12 राज्यों में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम यानी एसआईआर की समय सीमा एक सप्ताह के लिए बढ़ा दी गई है

देशबन्धु 2 Dec 2025 6:14 am

सत्र छोटा करके इस सबसे बड़ी संवैधानिक संस्था को भी खत्म करने की तैयारी

संसद का सत्र अभी कुछ साल पहले तक मीडिया के लिए सबसे बड़ी खबर हुआ करता था। मगर अब प्रधानमंत्री सदन में आते नहीं

देशबन्धु 1 Dec 2025 4:45 am

भारत के बढ़ते विदेशी कर्ज के पीछे बढ़ता व्यापार घाटा

सरकार भले ही इससे सहमत न हो, लेकिन भारत का लगातार व्यापार घाटा देश की अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर रहा है, जबकि विकास दर शानदार है

देशबन्धु 1 Dec 2025 4:40 am

ललित सुरजन की कलम से - जनतांत्रिक संस्थाओं की साख का सवाल

'कुछ माह पूर्व सर्वोच्च न्यायालय ने गुजरात के रायपाल द्वारा मनोनीत लोकायुक्त की नियुक्ति को जब वैध ठहराते हुए इस प्रदेश के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की राय को जो वजन दिया तब उसे भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने उचित नहीं माना था

देशबन्धु 1 Dec 2025 4:33 am

शीतकालीन सत्र में बढ़ेगा सियासी तापमान

संसद का शीतकालीन सत्र 1 दिसंबर से शुरु हो रहा है, जो 19 दिसंबर तक चलेगा। सत्र शुरु होने से पहले रविवार को परंपरानुसार सर्वदलीय बैठक हुई

देशबन्धु 1 Dec 2025 4:27 am

केंद्र की श्रम संहिताएं करती हैं मज़दूरों की सुरक्षा को कमज़ोर

हार विधानसभा चुनावों में एनडीए की बड़ी चुनावी जीत और उसके साथ हुई खुशी के तुरंत बाद भारत सरकार ने चार श्रम संहिताओं (लेबर कोड) को अधिसूचित कर दिया है

देशबन्धु 29 Nov 2025 4:12 am

अच्छी परंपराओं की सीख

सर्दियों का मौसम आ गया है। लोगों ने गर्म कपड़े पहनने शुरू कर दिए हैं। रंग-बिरंगी स्वेटर, शॉल, ऊनी टोपी, जैकेट, मफलर इत्यादि की दुकानें सजने लगी हैं

देशबन्धु 29 Nov 2025 4:08 am

पीएम मोदी के सामने 'जिहाद' का मतलब समझाते शाहरुख खान का यह वीडियो एडिटेड है

बूम ने पाया कि वायरल वीडियो में शाहरुख खान के एक अन्य इवेंट में दिए गए बयान को एडिट कर अलग से जोड़ दिया गया है.

बूमलाइव 28 Nov 2025 3:28 pm

पाकिस्तानी फौज को खतरनाक बताते भारतीय सैनिकों का वीडियो AI जनरेटेड है

एआई डिटेक्टर टूल Deepfake-O-Meter, Hive Moderation और एआई वॉइस डिटेक्टर टूल Hiya ने इस वीडियो के एआई से बने होने की पुष्टि की है.

बूमलाइव 28 Nov 2025 3:27 pm

बिहार पर भाजपाई जीत का मतलब

भाजपा के स्टार प्रचारक और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपनी जनसभाओं में अक्सर एक वाक्य कहा करते हैं-बंटोगे तो कटोगे, एक रहोगे तो सेफ रहोगे

देशबन्धु 28 Nov 2025 5:18 am

अर्थव्यवस्था में डिजिटल छलांग के भरोसे उद्यमों का विकास संभव नहीं

भारत के अनौपचारिक क्षेत्र (अनइनकॉरपोरेटेड नॉन-एग्रीकल्चरल सेक्टर) के गत तिमाही के बुलेटिन, पहली नजऱ में, वैश्विक झटकों से जूझ रही अर्थव्यवस्था के लिए एक मामूली जीत की तरह लगते हैं: डिजिटल संरचना अपनाने की रफ़्तार तेज़ी से बढ़ रही है, उद्यम थोड़े आगे बढ़े हैं, और रोजग़ार स्थिर बना हुआ है

देशबन्धु 28 Nov 2025 5:14 am

बीएलओ की आत्महत्या चिंताजनक

विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर विवाद खत्म होने की जगह अब घातक होता जा रहा है

देशबन्धु 28 Nov 2025 2:56 am

राजस्थान में बाघ के एक शख्स पर हमला करने के दावे से वायरल वीडियो असली नहीं

बूम ने जांच में पाया कि वायरल वीडियो वास्तविक घटना का नहीं है, इसे Open AI के वीडियो जनरेटर टूल Sora द्वारा बनाया गया है.

बूमलाइव 27 Nov 2025 5:21 pm

शिखर पर धर्मध्वजा, हाशिए पर संविधान

19 वींसदी के मध्य में कार्ल मार्क्स ने लिखा था कि धर्म 'जनता के लिए अफीम' है - जो वंचित लोगों को वर्तमान से अलग कर देता है

देशबन्धु 27 Nov 2025 3:32 am

गुरु तेग बहादुरजी की शहादत ज़ुल्म के सामने मानव अधिकारों का फ़लसफ़ा और व्यवहार

गुरु तेग बहादुर, सिखों के नौवें गुरु हैं, जिन्होंने मानव अधिकारों की सार्वभौमिक विचारधारा का अनुसरण करते हुए हिन्दू ब्राह्मणों के धार्मिक अधिकार की रक्षा के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी

देशबन्धु 27 Nov 2025 3:28 am

ललित सुरजन की कलम से : विधानसभा चुनाव : कुछ देखी, कुछ सुनी

ईवीएम को लेकर चुनाव के पहले आशंकाएं व्यक्त की गई थीं और अभी भी जारी हैं

देशबन्धु 27 Nov 2025 3:24 am

अरुणाचल पर चीन का दावा भाजपा की गलती का नतीजा

चीन ने अपनी विस्तारवादी नीति और हड़पने वाली नीयत का परिचय देते हुए फिर से अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बताया है

देशबन्धु 27 Nov 2025 3:13 am

ललित सुरजन की कलम से: 'नक्सली हिंसा : लोकतंत्र पर हमला'

एक समय प्राण, जीवन, कन्हैयालाल जैसे खलनायक होते थे जिन्हें देखकर समझ आ जाता था कि वे क्या करने वाले हैं।

देशबन्धु 26 Nov 2025 2:30 am

संविधान दिवस पर विशेष: संविधान में लिखे शब्द नहीं, उसके भाव और नैतिकता महत्वपूर्ण

भारतीय संविधान विविधता और अनेकता में एकता का अनुकरणीय उदाहरण है,

देशबन्धु 26 Nov 2025 2:20 am

भक्ति-मार्ग के 272 पथिकों की प्रतिमाओं का अनावरण

संसदीय समितियों में विचार और परीक्षण के लिए भेजे जाने वाले विधेयकों की सुस्थापित परंपरा पिछले लगभग एक दशक में शनै: शनै: खत्म कर दी गई है।

देशबन्धु 26 Nov 2025 2:10 am

उच्च शिक्षण संस्थानों में नफरत का विस्तार

भाजपा शासन में नफरत का विस्तार किस हद तक किया जा रहा है, इसका ताजा उदाहरण जम्मू-कश्मीर से आया है, जहां कटरा के श्री माता वैष्णो देवी इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल एक्सीलेंस में मुस्लिम छात्रों का दाखिला रद्द करने की भाजपा ने की और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने इस मांग को स्वीकार भी कर लिया। यह सरासर छात्रों के साथ अन्याय है और उस संविधान का भी अपमान है, जिसकी शपथ उपराज्यपाल ने पद ग्रहण करते वक्त ली थी। भाजपा की तो राजनीति ही धर्मांधता और नफरत की है, लेकिन क्या मनोज सिन्हा अब भी खुद को भाजपा की राजनीति से बांध कर चल रहे हैं। जबकि उनका पद उन्हें दलगत राजनीति से ऊपर उठकर संविधान की मर्यादा के अनुरूप फैसले लेने की मांग करता है। गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुनील शर्मा की अगुवाई में पांच सदस्यीय भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने शनिवार 22 नवंबर को एलजी मनोज सिन्हा से मुलाकात की और मांग की कि प्रतिनिधिमंडल ने श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के नियमों में संशोधन कर विश्वविद्यालय में केवल हिंदू छात्रों के लिए सीटें आरक्षित की जाएं। इसके साथ ही इस साल मुस्लिम छात्रों का दाखिला रद्द करने की मांग की। सुनील शर्मा का कहना है कि 'इस साल प्रवेश सूची में ज़्यादातर छात्र एक ही समुदाय से हैं। यह विश्वविद्यालय एक धार्मिक संस्था है। हर श्रद्धालु अपनी भक्ति भावना से इस धार्मिक संस्था को दान देता है और चाहता है कि उसकी आस्था को बढ़ावा मिले। लेकिन बोर्ड और विश्वविद्यालय दोनों ने इस पहलू पर ध्यान नहीं दिया। हमने एलजी से साफ कहा है कि केवल वही छात्र प्रवेश पा सकें जिन्हें माता वैष्णो देवी में आस्था हो।उच्च शिक्षण संस्थानों में नफरत का विस्तार भाजपा शासन में नफरत का विस्तार किस हद तक किया जा रहा है, इसका ताजा उदाहरण जम्मू-कश्मीर से आया है, जहां कटरा के श्री माता वैष्णो देवी इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल एक्सीलेंस में मुस्लिम छात्रों का दाखिला रद्द करने की भाजपा ने की और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने इस मांग को स्वीकार भी कर लिया। यह सरासर छात्रों के साथ अन्याय है और उस संविधान का भी अपमान है, जिसकी शपथ उपराज्यपाल ने पद ग्रहण करते वक्त ली थी। भाजपा की तो राजनीति ही धर्मांधता और नफरत की है, लेकिन क्या मनोज सिन्हा अब भी खुद को भाजपा की राजनीति से बांध कर चल रहे हैं। जबकि उनका पद उन्हें दलगत राजनीति से ऊपर उठकर संविधान की मर्यादा के अनुरूप फैसले लेने की मांग करता है। गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुनील शर्मा की अगुवाई में पांच सदस्यीय भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने शनिवार 22 नवंबर को एलजी मनोज सिन्हा से मुलाकात की और मांग की कि प्रतिनिधिमंडल ने श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के नियमों में संशोधन कर विश्वविद्यालय में केवल हिंदू छात्रों के लिए सीटें आरक्षित की जाएं। इसके साथ ही इस साल मुस्लिम छात्रों का दाखिला रद्द करने की मांग की। सुनील शर्मा का कहना है कि 'इस साल प्रवेश सूची में ज़्यादातर छात्र एक ही समुदाय से हैं। यह विश्वविद्यालय एक धार्मिक संस्था है। हर श्रद्धालु अपनी भक्ति भावना से इस धार्मिक संस्था को दान देता है और चाहता है कि उसकी आस्था को बढ़ावा मिले। लेकिन बोर्ड और विश्वविद्यालय दोनों ने इस पहलू पर ध्यान नहीं दिया। हमने एलजी से साफ कहा है कि केवल वही छात्र प्रवेश पा सकें जिन्हें माता वैष्णो देवी में आस्था हो।उच्च शिक्षण संस्थानों में नफरत का विस्तार भाजपा शासन में नफरत का विस्तार किस हद तक किया जा रहा है, इसका ताजा उदाहरण जम्मू-कश्मीर से आया है, जहां कटरा के श्री माता वैष्णो देवी इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल एक्सीलेंस में मुस्लिम छात्रों का दाखिला रद्द करने की भाजपा ने की और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने इस मांग को स्वीकार भी कर लिया। यह सरासर छात्रों के साथ अन्याय है और उस संविधान का भी अपमान है, जिसकी शपथ उपराज्यपाल ने पद ग्रहण करते वक्त ली थी। भाजपा की तो राजनीति ही धर्मांधता और नफरत की है, लेकिन क्या मनोज सिन्हा अब भी खुद को भाजपा की राजनीति से बांध कर चल रहे हैं। जबकि उनका पद उन्हें दलगत राजनीति से ऊपर उठकर संविधान की मर्यादा के अनुरूप फैसले लेने की मांग करता है। गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुनील शर्मा की अगुवाई में पांच सदस्यीय भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने शनिवार 22 नवंबर को एलजी मनोज सिन्हा से मुलाकात की और मांग की कि प्रतिनिधिमंडल ने श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के नियमों में संशोधन कर विश्वविद्यालय में केवल हिंदू छात्रों के लिए सीटें आरक्षित की जाएं। इसके साथ ही इस साल मुस्लिम छात्रों का दाखिला रद्द करने की मांग की। सुनील शर्मा का कहना है कि 'इस साल प्रवेश सूची में ज़्यादातर छात्र एक ही समुदाय से हैं। यह विश्वविद्यालय एक धार्मिक संस्था है। हर श्रद्धालु अपनी भक्ति भावना से इस धार्मिक संस्था को दान देता है और चाहता है कि उसकी आस्था को बढ़ावा मिले। लेकिन बोर्ड और विश्वविद्यालय दोनों ने इस पहलू पर ध्यान नहीं दिया। हमने एलजी से साफ कहा है कि केवल वही छात्र प्रवेश पा सकें जिन्हें माता वैष्णो देवी में आस्था हो।' दरअसल जम्मू कश्मीर बोर्ड ऑफ प्रोफेशनल एंट्रेंस एग्जामिनेशन (जेकेबीओपीईई) ने श्री माता वैष्णोदेवी इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल एक्सीलेंस में दाखिले के लिए 50 छात्रों की सूची जारी की थी, जिसमें 42 कश्मीर के और 8 जम्मू के छात्रों का नाम था। इसके बाद विहिप और बजरंग दल ने कटरा में संस्थान के बाहर प्रदर्शन किया और वैष्णोदेवी श्राइन बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी का पुतला जलाया। वहीं विहिप के जम्मू-कश्मीर अध्यक्ष राजेश गुप्ता ने कहा कि 2025-26 सत्र के दाखिले रोके जाएं और प्रबंधन अपनी 'गलतीÓ सुधारते हुए सुनिश्चित करे कि अगली बार चुने जाने वाले छात्रों में बहुमत हिंदू हों। उन्होंने इस बार तैयार की गई 50 छात्रों की सूची को 'मेडिकल कॉलेज का इस्लामीकरण करने की साजिशÓ बताया। वहीं अधिकारियों ने कहा था कि सभी दाखिले नियमों के अनुसार किए गए हैं और राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) के दिशा-निर्देशों के अनुरूप हैं। विश्वविद्यालय में धर्म के आधार पर दाखिला देने की इस बेतुकी मांग को लेकर भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ परिवार से जुड़े संगठन जम्मू में लगातार विरोध प्रदर्शन और बैठकें भी कर रहे हैं, जिससे अनावश्यक धार्मिक तनाव बढ़ रहा है और जम्मू बनाम घाटी का मसला फिर खड़ा होता दिख रहा है। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का कहना है कि विरोध अनावश्यक है और प्रवेश पूरी तरह मेरिट पर आधारित है। वहीं विपक्षी पार्टी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने भाजपा के इस कदम को शर्मनाक बताते हुए कहा, 'नए कश्मीर में अब मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव शिक्षा तक फैल चुका है। विडंबना यह है कि इस मुस्लिम विरोधी भेदभाव को भारत के एकमात्र मुस्लिम बहुल राज्य में लागू किया जा रहा है.. एकमात्र ऐसे राज्य में जिसका मुख्यमंत्री मुसलमान है।' भाजपा की मांग और उपराज्यपाल के रुख की आलोचना तो हो रही है, लेकिन क्या यह फैसला पलट पाएगा, यह देखना होगा। क्योंकि मनोज सिन्हा ने एक विभाजनकारी और सांप्रदायिक ज्ञापन स्वीकार कर बता दिया कि भाजपा अपनी सत्ता में केवल हिंदुत्व को बढ़ावा नहीं दे रही, वह अल्पसंख्यकों के हक पर आघात भी कर रही है। देश में मंदिर-मस्जिद विवाद बरसों से हो रहे हैं। अब त्योहारों पर भी खुशी से पहले तनाव पसरने लगा है। लेकिन शिक्षण संस्थान जो राजनीति का शिकार तो थे, लेकिन धर्मांधता से काफी हद तक बचे हुए थे, वहां भी अब नफरत का यह कैरोसिन उंड़ेला जा चुका है। देश में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, जामिया मिलिया इस्लामिया, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय जैसे धार्मिक पहचान वाले उच्च शिक्षण संस्थान हैं, लेकिन इनमें सभी धर्मों के छात्र पढ़ते आए हैं। कभी किसी ने ऐसा सवाल नहीं उठाया कि इस धर्म के इतने छात्र यहां क्यों हैं। यह चिंताजनक सवाल है कि अगर अस्पताल, स्कूल, विश्वविद्यालय और मेडिकल कॉलेजों में धर्म के आधार पर दाखिला दिया जाए, तो फिर हम किस किस्म का भारत बना रहे हैं या बना चुके हैं। आज मुस्लिम छात्रों के उस मेडिकल कॉलेज में प्रवेश पर आपत्ति हो रही है, जिसमें हिंदू भक्त दान देते हैं, तो कल को मरीजों का इलाज भी धर्म के आधार करने की बात की जाएगी। वैसे भी दिल्ली हमले के बाद से पढ़े-लिखे मुसलमानों पर सवाल उठाए जा रहे हैं, जो निहायत बेवकूफी है। श्री माता वैष्णो देवी इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल एक्सीलेंस में मुसलमानों के प्रवेश को रोकने पर भाजपा का रुख न केवल गुमराह करने वाला है बल्कि खतरनाक भी है। यह सही है कि इस संस्थान का वित्त पोषण धार्मिक चंदे से होता है, लेकिन इससे यह धर्म आधारित संस्था नहीं बन जाता। अकेले वैष्णो देवी में ही नहीं तिरुपति बालाजी से लेकर शिरडी तक देश भर में न जाने कितनी ऐसी संस्थाएं हैं, जिन्होंने दान की राशि से उच्च शिक्षण संस्थान, अस्पताल, वाचनालय, धर्मशालाएं बनवाईं और अनेक समाजोपयोगी कार्यों को बढ़ावा दिया। रायपुर में ही 1958 में दूधाधारी मठ के राजेश्री वैष्णवदास जी महंत ने तीन लाख एक सौ एक रुपये की राशि के साथ-साथ तीन सौ एक एकड़ भूमि स्त्री शिक्षा के लिए दान दी थी। यहां सभी धर्मों की लड़कियों को पढ़ने का मौका मिला, कहीं कोई शर्त नहीं थी कि केवल हिंदू या मुस्लिम या ईसाई या आदिवासी ही यहां प्रवेश ले सकती हैं। भाजपा को यह बात समझना चाहिए कि श्रद्धा से दी गई दान राशि को भेदभाव का औजार नहीं बनाया जा सकता। तात्कालिक लाभ के लिए शिक्षण संस्थाओं को सियासी अखाड़े में बदलने के परिणाम घातक हो सकते हैं। देश में इससे ऐसा विभाजन पैदा हो जाएगा, जिसे भरने में सदियां गुजर जाएंगी।

देशबन्धु 26 Nov 2025 2:00 am

ललित सुरजन की कलम से- वंशवाद चिरजीवी हो ! - 2

'इतिहास के अध्येता जानते हैं कि कांग्रेस के 1950 के नासिक अधिवेशन के दौरान पंडित नेहरू के नेतृत्व को चुनौती देने की पूरी तैयारी कर ली गई थी।

देशबन्धु 25 Nov 2025 2:50 am

दक्षिण एशियाई देशों के लिए सावधानी और सहयोग से चलने का समय

अब समय आ गया है कि हम कुछ सकारात्मक सोचना शुरू करें। हमें यह समझना होगा कि हम तीन न्यूक्लियर हथियार वाले पड़ोसी हैं।

देशबन्धु 25 Nov 2025 2:30 am

बिहार चुनाव नतीजे : अर्थ और अनर्थ

राजेन्द्र शर्मा लालू-राबड़ी का कथित जंगल राज, वंचित जातियों की, जिसमें मुस्लिम और महिला भी आते थे, एकजुटता के एसर्शन की ही कहानी थी। और भाजपा द्वारा लालू प्रसाद के यादव से तोड़कर, नीतीश कुमार को अपने पाले में खींचे जाने से, इस एकजुटता के तोड़े जाने की शुरूआत हुई थी। संघ-भाजपा ने तभी यह पहचान लिया था कि विशेषाधिकार-प्राप्त तबकों के हाथ में सामाजिक सत्ता बनाए रखने के लिए, वंचितों की संभव एकजुटता को नेतृत्वविहीन करना। जीता वो सिकंदर! इसलिए, हैरानी की बात नहीं है कि अपने रामनाथ गोयनका स्मृति व्याख्यान में प्रधानमंत्री मोदी को अपनी बिहार की जीत पर खूब गाल बजाना नहीं भूला। यहां तक कि इस जीत को प्रधानमंत्री ने इसका प्रमाण और उदाहरण बनाकर भी पेश कर दिया कि उनके नेतृत्व में चल रही राजनीतिक ताकत की 'सबसे बड़ी प्राथमिकता सिर्फ एक' है, 'विकास, विकास और सिर्फ विकास।' लेकिन, इस लफ्फाजी के पर्दे से क्या प्रधानमंत्री इस नतीजे के उस महत्वपूर्ण अर्थ को ढांपने की ही कोशिश नहीं कर रहे थे, जिसे उनकी पार्टी की असम सरकार के मंत्री, अशोक सिंघल ने इस चुनावी जीत पर अपनी पहली प्रतिक्रिया में उजागर कर दिया था। भाजपायी मंत्री का ट्वीट जितना संक्षिप्त था, उससे ज्यादा मारक था। उसने फूल गोभी की खेती की तस्वीर लगाकर, बिहार में भागलपुर के अस्सी के दशक के आखिर के दंगों और उसमें खासतौर पर लोगाई गांव की दरिंदगी की याद दिलायी थी, जहां एक सौ अठारह मुसलमानों को मारकर, खेतों में गाढ़ दिया गया था और उसके ऊपर से फूल गोभी बो दी गयी थी। इस तस्वीर के साथ भाजपायी मंत्री की टिप्पणी थी—बिहार ने अनुमोदन किया! यानी बिहार चुनाव का नतीजा, मुस्लिम-विरोधी नरसंहार की ओर ले जाने वाले विचार का अनुमोदन है। इसके बावजूद भाजपा के नेतृत्व वाले गठजोड़ की जीत के सांप्रदायिक तत्व को ही पूरी तरह से दबा दिया गया है। यह इसके बावजूद था कि मुख्यमंत्री के रूप में नीतिश कुमार के नेतृत्व और खुल्लमखुल्ला मुस्लिम-विरोधी रुख अपनाने से बचने वाली पार्टियों के साथ गठजोड़ की मजबूरी भी, भाजपा को गिरिराज सिंह से लेकर, योगी आदित्यनाथ तक, मुख्यत: सांप्रदायिक बोली के लिए कुख्यात अपने नेताओं को, स्टार प्रचारकों के रूप में चुनाव प्रचार में उतारने से रोक नहीं पायी थी। यहां तक कि पहले चरण के मतदान के बाद, खासतौर पर सीमांचल क्षेत्र में अपनी चुनाव सभाओं में खुद प्रधानमंत्री मोदी और उनके नंबर दो अमित शाह, 'घुसपैठियों के खतरे' के बहाने से, मुस्लिम-विरोधी संदेश देने में जुट गए थे। लेकिन, बिहार के नतीजे का सांप्रदायिक पहलू ही नहीं है, जिसे पूरी तरह से छुपाया गया है, छुपाया जा रहा है। इस चुनाव नतीजे का दूसरा इसी तरह से छुपाया गया पहलू है, इसका सामाजिक पहलू। यह हैरानी की बात नहीं है कि भाजपा के नेतृत्व वाले सत्ताधारी गठजोड़ ने इस चुनाव में केंद्रीय नैरेटिव के तौर पर लालू-राबड़ी के 'जंगल राज' बनाम नीतीश कुमार के 'सुशासन' को स्थापित करने की जो कोशिश की थी, उसके केंद्र में यादवों का दानवीकरण था। इसी को पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी खुद 'कनपटी पर कट्टïा' लगाए जाने का डर दिखाने में लगे रहे थे। बाद में तो उन्होंने अहीरों के 'सिक्सर से छ: गोली सीने में उतारनेÓ का भोजपुरी गीत भी गाना शुरू कर दिया! इस दानवीकरण का मकसद, सत्ताधारी गठजोड़ द्वारा गढ़े गए उस सामाजिक/जातिगत गठजोड़ के वास्तविक चरित्र को छुपाना था, जो ऊंची जातियों की लगभग मुकम्मल एकजुटता के गिर्द, गैर-यादव पिछड़ों, अति-पिछड़ों और दलितों के बड़े हिस्से को जुटाने के जरिए गढ़ा गया था। 'जंगल राज' का मिथक और दो जाति-गठजोड़ों के बीच झूठी-बराबरी की गढ़ंत, ये दोनों इस सच्चाई को छुपाने के सबसे मोटे पर्दे थे कि सत्ताधारी गठजोड़ का सामाजिक सार क्या था? मीडिया के विश्लेषणों में एक तथ्य कथन के रूप में इसके बखानों ने इस पर्दे को और मोटा कर दिया था कि किस तरह सत्ताधारी गठजोड़, विपक्षी गठबंधन के मुकाबले कहीं व्यापक तथा संख्याबल में बड़े सामाजिक गठबंधन का प्रतिनिधित्व करता था। इसके जरिए कई बार अनजाने में, हालांकि अक्सर समझ-बूझकर, इस सच्चाई को छुपाया जा रहा था कि यह जाति-गठबंधनों के बीच होड़ भर नहीं थी, बल्कि सवर्ण जातियों पर केंद्रित कतारबंदी द्वारा, वंचित तबकों की एकजुटता में, वह चाहे वास्तविक हो या संभावित, सेंध लगाए जाने की कहानी थी। वास्तव में लालू-राबड़ी का कथित जंगल राज, वंचित जातियों की, जिसमें मुस्लिम और महिला भी आते थे, एकजुटता के एसर्शन की ही कहानी थी। और भाजपा द्वारा लालू प्रसाद के यादव से तोड़कर, नीतीश कुमार को अपने पाले में खींचे जाने से, इस एकजुटता के तोड़े जाने की शुरूआत हुई थी। संघ-भाजपा ने तभी यह पहचान लिया था कि विशेषाधिकार-प्राप्त तबकों के हाथ में सामाजिक सत्ता बनाए रखने के लिए, वंचितों की संभव एकजुटता को नेतृत्वविहीन करना और इसके लिए उसको नेतृत्व मुहैया कराने वाले अपेक्षाकृत संख्या बल वाले तबकों को अलग-थलग करना, जरूरी है। बिहार में यादवों, उत्तर प्रदेश में यादवों तथा जाटवों, हरियाणा में जाटों और अन्यत्र इसी प्रकार महत्वपूर्ण खेतिहर जातियों को निशाना बनाकर, विशेषाधिकार-प्राप्त तबकों के हाथ में सत्ता बनाए रखने की यह रणनीति, चुनावी पहलू से काफी कामयाब भी रही है। विपक्षी महागठबंधन की सामाजिक न्याय के प्रति निर्विवाद प्रतिबद्घता के बावजूद, बिहार में एक बार फिर वंचितों को एकजुट करने की कोशिशों को विफल कर, विशेषाधिकार-प्राप्त तबकों का सत्ता पर नियंत्रण बनाए रखा गया है। इस सच्चाई को, जिसे अक्सर छुपा ही लिया जाता है, नयी गठित विधानसभा में और सत्ताधारी गठबंधन के विधायकों में, जातिवार अनुपात में आसानी से देखा जा सकता है। जाहिर है कि सवर्णों की संख्या, अनुपात से कहीं बहुत ज्यादा है। जो जीता वो सिकंदर के शोर में जिस एक और बुनियादी सच्चाई को दबा ही दिया गया है, वह यह है कि 14 नवंबर को जिसका नतीजा निकला, वह चुनाव बस कहने-गिनाने के लिए ही चुनाव था। जनता के बहुमत की स्वतंत्र इच्छा की अभिव्यक्ति होने से यह चुनाव कोसों दूर ही नहीं था बल्कि व्यवहार में बहुत दूर तक उसका निषेध भी था। और जनमत की अभिव्यक्ति के निषेध का यह सिलसिला शुरू तो मोदी की भाजपा के देश में और बिहार में भी सत्ता में आने के बाद से ही हो गया था, जब संसाधनों में भाजपा की अनुपातहीन बढ़त और अंधाधुंध संसाधन झोंकने की उसकी तत्परता के जरिए, चुनावी मुकाबले को पूरी तरह से नाबराबरी का बना दिया गया। चुनाव मुकाबले की इस असमानता को, मोदी राज की विपक्ष के खिलाफ सत्ता के दमनकारी औजारों का सहारा लेने की उत्सुकता ने विपक्ष के लिए, योगेंद्र यादव के शब्दों में कहें तो एक कठिन 'बाधा दौड़Ó ही बना दिया था। और अन्य तमाम संवैधानिक संस्थाओं की तरह, चुनाव आयोग पर सत्ताधारी पार्टी के कब्जे ने, इस बाधा दौड़ को भी एक लगभग असंभव दौड़ बना दिया था। लेकिन, 2024 के आम चुनाव के बाद से, चुनाव आयोग की मिलीभगत से, सत्ताधारी पार्टी ने चुनाव से पहले ही अपनी जीत का ऐलान कराने के इतने पक्के इंतजाम कर लिए हैं कि, जनतंत्र की वास्तव में चिंता करने वालों ने गंभीरता से यह सवाल भी पूछना शुरू कर दिया है कि विपक्ष को ऐसे चुनाव में हिस्सा लेना भी चाहिए या नहीं? बिहार के हाल के चुनाव में, चुनाव आयोग के जरिए चुनावी नौकरशाही को सत्ताधारी गठजोड़ के पक्ष में सैट करने के अलावा, कम से कम तीन स्तर पर अनुकूल नतीज के ये पक्के इंतजाम काम कर रहे थे। पहला, एसआईआर के जरिए मतदाता सूचियों से नामों की टार्गेटेड छंटाई और टार्गेटेड जुड़ाई भी। यह कोई संयोग ही नहीं है कि पिछले चुनाव में विपक्ष द्वारा कम अंतर से जीती गयी कई सीटों पर, वहां काटे गए वोटों से कम अंतर से, इस बार सत्ता पक्ष के उम्मीदवार जीत गए हैं। मतदाता सूचियों के कथित रूप से स्वच्छ किए जाने के बाद, हजारों लोगों को इस बार मतदान केंद्रों से निराश लौटना पड़ा क्योंकि उनके वोट काट दिए गए थे। दूसरी ओर, वोटों की टार्गेटेड जुड़ाई के साक्ष्य के तौर पर दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मुंबई आदि के दर्जनों जाने-पहचाने भाजपा नेताओं के, अपने-अपने राज्यों में मतदान करने के बाद, बिहार में भी मतदान करने वीडियो सामने आए हैं। यह मानने का कोई कारण नहीं है कि यह संख्या दर्जनों में ही होगी, जबकि एक खोजी रिपोर्ट से एक विधानसभाई क्षेत्र में ही मतदाता सूची में, उत्तर प्रदेश के पांच हजार मतदाताओं के नाम शामिल होने की सच्चाई सामने आयी थी। और कथित रूप से शुद्घ की गयी मतदाता सूचियों में फर्जी पते, अधूरे नाम, न पहचानने वाली तस्वीरों वाले लाखों मतदाता मौजूद थे। दूसरे, चुनाव आयोग की मिलीभगत से एक करोड़ बीस लाख महिलाओं के खातों में दस-दस हजार रुपए चुनाव के बीच में डाले जाने समेत, सरकारी खजाने से अनुमानत: 30,000 करोड़ रुपए की खैरात टार्गेटेड मतदाता समूहों में बांटी ही नहीं, यह पैसा पाने वाली करीब एक-एक लाख जीविका दीदियों से, चुनाव आयोग द्वारा दोनों चरणों में मतदान के काम में मदद भी ली गयी! तीसरे, चुनाव आयोग ने मतदाताओं की कुल संख्या से लेकर मत फीसद तक और वोटों की गिनती में भी, संदेहजनक आचरण की पराकाष्ठïा कर दी। न सिर्फ एक बार फिर मत फीसद बाद तक बढ़ाया जाता रहा, आयोग के अनुसार ही जितने वोट पड़े, उससे करीब पौने दो लाख वोट ज्यादा गिने गए; कम से कम छ: सीटों पर कैंसिल किए गए डाक मतों से कम अंतर से हार-जीत हुई; कम से कम आठ सीटों पर जीतने वाले सत्ताधारी गठजोड़ के उम्मीदवारों के वोट की संख्या संदेहजनक तरीके से एक जैसी निकली, आदि। हैरानी की बात नहीं है कि ऐसे चुनाव में अकेले सबसे ज्यादा, 23 फीसद वोट हासिल कर, राजद 25 सीटों पर रुक गयी है और 38 फीसद वोट लेकर भी महागठबंधन 34 सीटों पर ही सिमट गया है, जबकि लगभग 44 फीसद वोट हासिल कर, सत्ता पक्ष ने 243 में से 202 सीटें हासिल कर ली हैं। नतीजों का यह असंतुलन एक बार फिर आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अपरिहार्य होने को सामने लाता है। याद रहे कि अनुपातिक प्रणाली ही टार्गेटेड 'वोट चोरीÓ के जरिए नतीजों को बदलने की कोशिशों का रास्ता रोक सकती है। वोट चोरी रोकने और चुनाव आयोग की स्वतंत्रता की मांग के साथ, आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली की मांग को विपक्ष को अर्जेंसी के साथ अपने एजेंडे पर लाना होगा। (लेखक साप्ताहिक पत्रिका लोक लहर के संपादक हैं।)

देशबन्धु 25 Nov 2025 2:10 am

केवल ही मैन नहीं थे धर्मेन्द्र

लाखों सितारे हो सकते हैं, लेकिन धर्मेंद्र सिफ़र् एक ही हो सकता है। राजीव विजयकर की किताब 'धर्मेंद्र- नॉट जस्ट ए ही-मैन' के पुस्तक विवरण की यह पंक्ति धर्मेन्द्र के निजी और फिल्मी करियर पर बिलकुल सटीक बैठती है। विजयकर की किताब का शीर्षक 'धर्मेंद्र- नॉट जस्ट ए ही-मैन' भी सर्वथा उचित ही है। 24 नवंबर को 89 बरस की उम्र में धर्मेन्द्र ने आखिरी सांस ली, तो देश भर में दुख की लहर दौड़ गई। प्रधानमंत्री मोदी से लेकर तमाम क्षेत्रों के दिग्गजों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। मीडिया में हिंदी फिल्मों के ही मैन के तौर पर धर्मेन्द्र को याद किया जा रहा है। हालांकि आज जिस तरह का एक्शन और स्टंट कई फिल्म कलाकार करते हैं, वैसा धर्मेन्द्र ने कभी नहीं किया। लेकिन 1966 में आई फूल और पत्थर फिल्म के एक दृश्य में जब गुंडे, शराबी के रोल में धर्मेंद्र एक भिखारी और विधवा पर अपनी शर्ट उतार कर पहना देते हैं, तो लोगों ने उनकी कसरती काया को पसंद किया और एक्शन करने के कारण ही मैन का तमगा उनके साथ ताजिंदगी चस्पां हो गया। हालांकि कसरती कद-काठी वाले धर्मेन्द्र के चेहरे पर ऐसी सादगी, भोलापन और रूमानियत थी कि लोग उनकी सुंदरता के भी कायल रहे। करीब 60 सालों के फिल्मी करियर में धर्मेन्द्र ने बंदिनी, सत्यकाम, अनुपमा जैसी आदर्शवादी फिल्में कीं तो चुपके-चुपके और शोले में अपने अभिनय की छाप ऐसे छोड़ी कि उनका दोहराव कोई और कलाकार कर ही नहीं पाया। धर्मेन्द्र से पहले राजकपूर, दिलीप कुमार, देवानंद, अशोक कुमार जैसे सितारों की तूती बोलती थी, तो उनके साथ-साथ राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन जैसे सुपरस्टार बने। बाद में शाहरुख खान, सलमान खान के दीवाने फैंस तैयार हुए, लेकिन धर्मेन्द्र का जलवा शुरु से लेकर आखिर तक कायम ही रहा। हालांकि हकीकत, ममता, शोले, चुपके-चुपके, ड्रीमगर्ल, सीता और गीता जैसी फिल्में करने के बाद धर्मेन्द्र ने बी ग्रेड की भी कई फिल्में कीं, जिनमें न अच्छी कहानी थी, न ढंग का अभिनय था और दर्शक धर्मेन्द्र से निराश भी हुए, लेकिन फिर भी दिलों में वे ऐसी पैठ बना चुके थे, जो वक्त के साथ कमजोर नहीं पड़ी। लुधियाना के नरसाली गांव में एक गणित शिक्षक के घर जन्मे धर्मेन्द्र का मुंबई तक का सफर किसी फिल्मी कहानी जैसा ही है, जिसमें ख्वाब, शोहरत, प्रेम प्रसंग, दिल टूटना, जिंदगी की दिशा बदल जाना जैसे सारे मसाले हैं। मां-बाप के घर पर धर्मेन्द्र की पहचान धरम सिंह देओल के रूप में थी। 10वीं कक्षा में धर्मेन्द्र ने 1948 में आई दिलीप कुमार की फ़िल्म शहीद देखी। उस फ़िल्म और दिलीप कुमार ने उनके दिल पर ऐसा जादू किया कि उन्होंने अभिनेता बनने की ठान ली। दस साल बाद 1958 में फ़िल्मफ़ेयर मैगज़ीन ने एक टैलेंट हंट की घोषणा की जिसमें बिमल रॉय और गुरुदत्त जैसे दिग्गज शामिल थे। धर्मेन्द्र ने इसमें हिस्सा लिया, और यहीं से मुंबई और उनके अटूट रिश्ते की शुरुआत हो गई। धर्मेन्द्र ने बंदिनी फिल्म में काम शुरु किया, लेकिन अर्जुन हिंगोरानी की फिल्म दिल भी तेरा हम भी तेरे' के लिए भी उन्हें इस बीच लिया गया। पैसों की तंगी के बीच धर्मेन्द्र ने इस फिल्म को पूरा किया और उसके बाद उनका फिल्मी सफर अनवरत जारी रहा, जो अब उनकी मौत के बाद भी कायम रहेगा। अगले महीने की 25 तारीख को धर्मेन्द्र की फिल्म इक्कीस रिलीज़ हो रही है। यानी दर्शक अपने चहेते अभिनेता को मौत के एक महीने बाद पर्दे पर सक्रिय देखेंगे। जिंदगी कभी-कभी फिल्मों की तरह ही जादुई हो जाती है। यूं तो धर्मेन्द्र ने एक से बढ़कर एक यादगार किरदार निभाए हैं, लेकिन शोले में टंकी पर चढ़ जाने वाला दृश्य और धर्मेन्द्र का कहना कि- 'वैन आई डेड, पुलिस कमिंग..पुलिस कमिंग, बुढ़िया गोइंग जेल.. इन जेल बुढ़िया चक्की पीसिंग एंड पीसिंग एंड पीसिंग' ऐसा है कि उसे जितनी बार देखो, चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाएगी। इसी तरह चुपके-चुपके में वनस्पति विज्ञान के प्रोफेसर परिमल जब अपने साढ़ू भाई बने ओमप्रकाश को ड्राइवर बनकर तंग करते हैं, वह भी लाजवाब किरदार है। बिमल रॉय, हृषिकेश मुखर्जी, चेतन आनंद जैसे निर्देशकों ने धर्मेन्द्र के अंदर के कलाकार को खुल कर अभिव्यक्त होने का मौका दिया। 1971 में हृषिकेश मुखर्जी ने फिल्म गुड्डी बनाई थी, इसमें धर्मेन्द्र बतौर धर्मेन्द्र ही आए थे। सहज हास्य से भरपूर इस फिल्म में किशोर-किशोरियों पर ग्लैमर के प्रभाव जैसे गंभीर विषय को बेहद सधे हुए तरीके से दर्शाया गया है। धर्मेन्द्र ने उम्र के 9वें दशक में आकर भी जो सक्रियता बनाए रखी, वह काबिले तारीफ है। उम्र को वे महज संख्या मानते थे। शायद उनकी ग्रामीण जड़ों का असर था कि वे लोकप्रियता की बुलंदियों को छूने के बावजूद जमीन से जुड़े ही रहे। फिल्मी दुनिया के बहुत से लोगों की तरह उनके जीवन में भी कई विवाद खड़े हुए। 19 बरस की उम्र में प्रकाश कौर से शादी और चार बच्चे होने के बावजूद उन्होंने अपनी सहयोगी कलाकार हेमा मालिनी से प्रेम किया और फिर उनसे शादी करने के लिए इस्लाम अपनाया, क्योंकि प्रकाश कौर ने उन्हें तलाक देने से इन्कार कर दिया था। दूसरी शादी से धर्मेन्द्र को दो बेटियां हुईं। उनके दोनों बेटे सनी और बॉबी देओल के बाद उनके पोते ने भी फिल्मी दुनिया में कदम रखा। ईशा देओल भी फिल्मों में आईं, हालांकि धर्मेन्द्र अपनी बेटियों को फिल्म जगत में नहीं आने देना चाहते थे। शायद वे इसके स्याह पक्ष से उन्हें दूर रखना चाहते थे। धर्मेन्द्र ने एक बार राजनीति में भी हाथ आजमाया। अटल बिहारी वाजपेयी के कहने पर उन्होंने बीकानेर से लोक सभा चुनाव लड़ा और जीता भी। हालांकि सफल राजनेता की कसौटी पर वे खरे नहीं उतर सके। इसलिए राजनीति में आने को वे बड़ी भूल मानते थे। दरअसल अभिनय के अलावा उर्दू और शायरी से प्यार करने वाले धर्मेंद्र राजनीति के गणित में कमजोर रह गए। एक सफल जीवन, शानदार करियर, शोहरत, पैसा और अच्छी उम्र लेकर धर्मेन्द्र ने इस दुनिया को अलविदा कहा है। उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि।

देशबन्धु 25 Nov 2025 2:00 am

बिहार चुनाव में हार के बाद राहुल गांधी के मंदिर जाने के दावे से वायरल वीडियो पुराना है

बूम पाया कि वीडियो मार्च 2024 में 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' के दौरान महाराष्ट्र के नासिक में राहुल गांधी के त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में पूजा अर्चना का है.

बूमलाइव 24 Nov 2025 3:21 pm

वोट चोरी को लेकर विरोध-प्रदर्शन के दावे से बार एसोसिएशन चुनाव का वीडियो वायरल

बूम ने जांच में पाया कि वायरल वीडियो इलाहाबाद उच्च न्यायालय में जुलाई 2025 में संपन्न बार एसोसिएशन चुनाव के प्रचार से जुड़ा हुआ है.

बूमलाइव 24 Nov 2025 3:08 pm

अगर बिहार नहीं जीतते तो क्या दूसरे राज्यों में एसआईआर होता?

एसआईआर ( मतदाता विशेष गहन पुनरीक्षण) से अगर बिहार में सफलता नहीं मिलती तो क्या उसे दूसरे राज्यों में लागू किया जाता

देशबन्धु 24 Nov 2025 3:24 am

इंडिया ब्लॉक को निष्पक्ष चुनाव के लिए संघर्ष करते हुए आत्मनिरीक्षण करना होगा

बिहार विधानसभा चुनाव हमारे देश के चुनावी इतिहास में एक अहम मोड़ है। 25 जून को घोषित मतदाता सूची का विशेष गहन पुरनरीक्षण (स्पेशल इंटेंसिवरिविज़न) (एसआईआर) की पृष्ठभूमि में हुए इस चुनाव में, वयस्क मताधिकार के लिए नए बुनियादी नियम बनाए गए

देशबन्धु 24 Nov 2025 3:20 am

श्रम संहिताएं शोषण का नया औजार

केंद्र सरकार ने शुक्रवार को एक अधिसूचना जारी कर चार श्रम संहिताएं लागू कर दी हैं

देशबन्धु 24 Nov 2025 3:12 am

बिहार चुनाव : संदेह के बने रहने से लोकतंत्र को नुकसान

भारत में एक समय था जब चुनाव परिणाम चाहे जो भी हों, भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) युद्ध का सर्वमान्य विजेता और भारत की लोकतांत्रिक परंपराओं का मुख्य रक्षक माना जाता था

देशबन्धु 22 Nov 2025 3:31 am

बिहार चुनाव: सवाल तो जीतने वालों पर भी हैं

बिहार चुनाव पर देश क्या, पूरी दुनिया की निगाहें टिकी थीं। जिनकी भी लोकतंत्र में आस्था है उन्हें यह आशा थी कि बिहार भारत में लोकतंत्र के हरण के धारावाहिक सिलसिले को पलट देगा

देशबन्धु 22 Nov 2025 3:23 am

सिर्फ संत नहीं, विचार के लिए समर्पित थे

देश के प्रख्यात समाजवादी विचारक सच्चिदानंद सिन्हा का दो दिन पहले 19 नवंबर को निधन हो गया

देशबन्धु 22 Nov 2025 3:09 am

बिहार : महागठबंधन की हार की वजह वोट चोरी को बताते खान सर का फर्जी वीडियो वायरल

एआई डिटेक्टर टूल ने बिहार चुनाव के नतीजों पर बोलते खान सर के वीडियो को एआई जनरेटेड बताया है.

बूमलाइव 21 Nov 2025 5:40 pm

महिला विकास उद्देश्य या वोट पाना

चुनाव घोषणा से ठीक पहले बिहार की डेढ़ करोड़ महिलाओं के खाते में दस-दस हजार रुपए भेजने को इस बार के अपूर्व जनादेश का बड़ा कारण माना जा रहा है

देशबन्धु 21 Nov 2025 3:50 am

डिजिटल गार्ड हो गये फेल, साइबर सुरक्षा की कमजोरी हुई उजागर

साइबर-सिक्योरिटी फर्म और वेब-इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदाता कंपनी द्वारा की गई रुकावट एक गंभीर याद दिलाती है कि किस प्रकार रक्षक भी कमजोर हैं

देशबन्धु 21 Nov 2025 3:39 am

ललित सुरजन की कलम से - पत्रकारिता की मिशनरी परंपरा और पतन

मुझे दो मुख्य कारण समझ में आते हैं जिन्होंने 1975 के आसपास, शायद कुछ पहले से, पत्रकारिता को प्रभावित करना प्रारंभ किया

देशबन्धु 21 Nov 2025 3:33 am

देश सेवा- नौकरी के साथ भी, नौकरी के बाद भी

सात अगस्त 2025 को भारतीय राजनीति में एक अभूतपूर्व घटना हुई थी

देशबन्धु 21 Nov 2025 3:27 am

बिहार चुनाव में एक निर्दलीय प्रत्याशी को जीरो वोट मिलने का दावा गलत है

बूम ने पाया कि वायरल वीडियो बिहार की लालगंज सीट से आरजेडी की प्रत्याशी रहीं शिवानी शुक्ला का है. उनको 95483 वोट मिले थे. इसके साथ ही किसी भी सीट पर ऐसा कोई प्रत्याशी नहीं है, जिसे जीरो वोट मिले हों.

बूमलाइव 20 Nov 2025 5:31 pm

ललित सुरजन की कलम से - 21 वीं सदी में जनतंत्र!

हैदराबाद के तकनीकीविद् एम. विजय कुमार ने तर्क रखा कि विकेंद्रीकरण और जनतंत्रीकरण दो अलग-अलग बातें हैं

देशबन्धु 20 Nov 2025 3:10 am

कांग्रेस के भविष्य पर मोदी की चिंता

बिहार में जीत दर्ज करने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भाजपा मुख्यालय में जब जीत का जश्न मनाया तो उसमें फिर उसी प्रतीकात्मक राजनीति को बढ़ावा दिया

देशबन्धु 20 Nov 2025 3:06 am