हिमालय परिवार श्रीगंगानगर की ओर से कैलाश मानसरोवर को चीन के कब्जे से मुक्त कराने और तिब्बत की आजादी को लेकर श्रीगंगानगर कलेक्ट्रेट के बाहर विरोध-प्रदर्शन किया गया। पदाधिकारियों ने कलेक्टर को राष्ट्रपति का नाम ज्ञापन सौंपा और नारेबाजी की। प्रदेशाध्यक्ष बोले- चीन का 1962 से अवैध कब्जा अब तक कायम संस्था के प्रदेशाध्यक्ष शिव स्वामी ने बताया- चीन ने भाईचारे को तार-तार करते हुए 20 अक्टूबर 1962 को जबरन युद्ध थोपकर 82 हजार वर्ग किलोमीटर भारतीय भूमि पर अवैध कब्जा जमा लिया था।भारत सरकार ने उसी साल 14 नवंबर को इस भूमि को मुक्त कराने का संकल्प लिया था, लेकिन 63 वर्ष बीत जाने के बावजूद यह पवित्र भूमि चीन के चंगुल से आजाद नहीं हो पाई है। जिलाध्यक्ष मुनीश कुमार लड्ढा ने कहा कि हिमालय परिवार ने 14 नवंबर को 'संकल्प स्मरण दिवस' के रूप में विभिन्न आयोजन किए और चीन द्वारा कब्जाई गई भारतीय भूमि से 63 साल गुजरने पर भी चीनी कब्जेदारों को खदेड़ न पाने पर गहरा आक्रोश जताया। भारत सरकार से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कड़ा कदम उठाने की मांग चीन के भारत के आंतरिक मामलों में बार-बार हस्तक्षेप, अरुणाचल प्रदेश सहित बड़े भू-भाग को अपने नक्शे में दिखाने और कब्जाई गई भूमि को विदेशी अड्डों, आतंकवादी प्रशिक्षण, घुसपैठ व नशीले पदार्थों की तस्करी के लिए इस्तेमाल करने जैसे गंभीर मुद्दों को उठाया गया। संगठन ने भारत सरकार से मांग की कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रभावी विरोध दर्ज करवाकर भारतीय भूमि को मुक्त कराया जाए।
लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आज से छह दिवसीय जनजातीय भागीदारी उत्सव की शुरुआत हो रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह आज शाम 5 बजे इसका उद्घाटन करेंगे। यह उत्सव 13 से 18 नवंबर तक चलेगा, जिसमें देशभर के आदिवासी समुदायों की कला, संगीत, परंपराओं और जीवनशैली को प्रदर्शित किया जाएगा। यह आयोजन उत्तर प्रदेश पर्यटन व संस्कृति विभाग और समाज कल्याण विभाग के सहयोग से स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा की जयंती के मौके पर किया जा रहा है। हर साल आयोजित होने वाला यह उत्सव भारत की आदिवासी विरासत को सम्मान देने का प्रतीक बन गया है। 100 स्टॉलों में दिखेगा आदिवासी जीवन का रंग उत्सव परिसर में 100 से अधिक स्टॉल लगाए गए हैं, जिनमें आदिवासी व्यंजन, हस्तशिल्प, पारंपरिक आभूषण, लोक पेंटिंग, घर सजावट का सामान और जनजातीय जीवन से जुड़ी वस्तुएं प्रदर्शित की जा रही हैं। साथ ही, आने वाले लोगों के लिए आदिवासी कहानियों के सत्र, कार्यशालाएं, पारंपरिक खेल और क्षेत्रीय खाद्य प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाएंगी। पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने कहा, “भारतीय सभ्यता अपने आदिवासी समाजों की वजह से इतनी समृद्ध है। यह उत्सव ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के विचार को इन समुदायों की सांस्कृतिक एकता के माध्यम से साकार करता है।” अरुणाचल प्रदेश बनेगा आकर्षण का केंद्र इस बार उत्सव में भागीदार राज्य के रूप में अरुणाचल प्रदेश शामिल है। वहाँ से आए 27 कलाकार लोक गीत, पारंपरिक नृत्य और विशेष व्यंजन प्रस्तुत करेंगे। उनके स्टॉल पर पूर्वोत्तर की पेंटिंग और हस्तशिल्प भी प्रदर्शित किए जाएंगे। उत्तर प्रदेश जनजातीय एवं लोक कला संस्कृति संस्थान के निदेशक अतुल द्विवेदी ने बताया कि इस बार का मुख्य आकर्षण “मुखौटों की प्रदर्शनी” होगी, जिसे उत्तर-पूर्वी राज्यों के कलाकार प्रस्तुत करेंगे। आदिवासी गौरव और सशक्तिकरण का उत्सव समाज कल्याण मंत्री आसिम अरुण ने कहा कि “यह उत्सव आदिवासी समुदायों के गौरव, विकास और सशक्तिकरण का प्रतीक है। यह उनकी भाषाओं, परंपराओं और जीवनशैली के सम्मान का अवसर है, जो भारत की एकता की नींव को और मजबूत करता है।” एकता में विविधता का जीवंत उदाहरण ‘जनजातीय भागीदारी उत्सव’ केवल सांस्कृतिक प्रदर्शनी नहीं, बल्कि भारत की विविधता में एकता का जीवंत उदाहरण है। यहां आने वाले लोग अलग-अलग राज्यों के आदिवासी कलाकारों से सीधे संवाद कर सकते हैं, उनके हस्तनिर्मित उत्पाद खरीद सकते हैं और उनकी संस्कृति को करीब से जान सकते हैं। यह उत्सव न सिर्फ आदिवासी समाज की पहचान को सामने लाता है, बल्कि उस भारत की झलक भी दिखाता है, जो अपनी जड़ों और परंपराओं से गहराई से जुड़ा हुआ है।
जनजाति गौरव दिवस के अवसर पर 13 से 18 नवम्बर तक गोमतीनगर स्थित इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में ‘जनजाति भागीदारी उत्सव’ का आयोजन होगा। यह महोत्सव केवल सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि भारत की जनजातीय परंपराओं, रहन-सहन और लोक संस्कृति का जीवंत प्रदर्शन बनेगा। आयोजन में 18 राज्यों के करीब 600 जनजातीय कलाकार पारंपरिक गीत, नृत्य और वादन प्रस्तुत कर देश की सांस्कृतिक एकता का संदेश देंगे। अरुणाचल प्रदेश इस उत्सव का भागीदार राज्य रहेगा। जनजातीय समाज की वन संस्कृति, प्रकृति के प्रति आस्था, सहयोग की परंपरा और आत्मनिर्भर जीवनशैली इस आयोजन की आत्मा होगी। प्रदर्शनी में पारंपरिक व्यंजन, हस्तशिल्प, हथकरघा उत्पाद, लोक चित्रकला और आभूषण आकर्षण का केंद्र रहेंगे। असम के लखीमपुर निवासी वरिष्ठ रंगकर्मी दयाल कृष्ण नाठ इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान परिसर को बांस, टेराकोटा लुक और जनजातीय अल्पनाओं से सजा रहे हैं। उनका कहना है,बांस असम की जिंदगी का हिस्सा है, जो घर से लेकर क्राकरी तक में शामिल है। 13 नवम्बर को सांस्कृतिक शोभायात्रा निकाली जाएगी उत्सव की तैयारियां देर रात तक जारी हैं। कहीं चौपाल बन रही है तो कहीं जनजातीय आंगन सजे हैं। उत्तर प्रदेश लोक एवं जनजाति कला संस्कृति संस्थान के निदेशक डॉ. अतुल द्विवेदी ने बताया कि 13 नवम्बर को सुबह 11 बजे 1090 चौराहे से सांस्कृतिक शोभायात्रा निकलेगी। शाम 5 बजे से उद्घाटन सत्र होगा, जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मुख्य अतिथि होंगे। पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण और राज्य मंत्री संजीव कुमार गोंड की उपस्थिति रहेगी। उद्घाटन के बाद असम का बरदोईशिखला, ओडिशा का डुरुआ नृत्य, महाराष्ट्र का लिंगो, छत्तीसगढ़ का मांदरी, राजस्थान का मांगणिहार गायन, गुजरात का मेवासी व सिद्धिधमाल, अरुणाचल का याक न्य्हो, मध्य प्रदेश का भगोरिया व गुदुमबाजा, उत्तर प्रदेश का बुक्सा, शैला, झीझी व मादल वादन तथा बिहार का संथाली नृत्य दर्शकों को मंत्रमुग्ध करेंगे। बीन वादन, रंगोली, नट-नटी और बहुरूपिया कला भी विशेष आकर्षण रहेंगी।
Bigg Boss 18 : चुम दरांग को मिला अरुणाचल प्रदेश के सीएम का सपोर्ट
सलमान खान का पॉपुलर रियलिटी शो 'बिग बॉस 18' अपने अंतिम दौर में पहुंच गया है। हर कोई इस सीजन का विनर बनने के लिए पूरा जोर लगा रहा है। इन दिनों शो में 'टिकट टू फिनाले' टास्क चल रहा है। इस टास्क में विवियन डीसेना और चुम दरंग आमने-सामने खड़े हैं। वहीं ...

