भारत में कृषि-पर्यटन के लिए इन जगहों को कर सकते है आप विजित
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पंजाब की यात्रा का बना रहे है प्लान तो ये टिप्स आ सकती है आपके काम
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मुंबई हवाईअड्डा करेगा 'समर कार्निवल' की मेजबानी
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भारत की इन स्मारकों की होती है सबसे ज्यादा कमाई, पर्यटन से ही हो जाता है लाखों करोड़ों का फायदा
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सस्ते फ्लाइट टिकट बुक करने के लिए सीक्रेट हैक्स कर सकते है आपकी मदद
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Spicy Chicken Roll से लेकर चटपटे Tandoori Momos तक, ये हैं Noida के सबसे Famous Street Foods
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कोविड-19: विदेश जाने वाले यात्रियों को राहत, दूसरी खुराक और बूस्टर खुराक के बीच का अंतर होगा 90 दिन कम
भारत में कुछ अंडररेटेड लाइटहाउस जगा आप कर सकते है काफी मस्ती
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मनाली से रोहतांग दर्रे के बीच इलेक्ट्रिक बसें सेवा आपके सफ़र को बनाएगी खूबसूरत
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आप नपा वैली के माध्यम से एक मर्डर मिस्ट्री-थीम्ड वाइन ट्रेन पर जा सकते हैं
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हेलीकाप्टर द्वारा चार धाम यात्रा: ऑनलाइन कैसे बुक करें
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अगर हो जाए यात्री की उड़ते प्लेन में मौत, तब जल्द से जल्द विमान कर्मी करते हैं ये काम
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मई के महीने में जरूर करें सैर इन 5 जगहों की, गर्मियों में भी कम होता है तापमान
Cold Places To Visit In May: मई माह की चिलमिलाती गर्मी में यदि आप घूमने का प्लान बना रहे हैं तो आपके लिए हम लेकर आएं हैं ऐसे 5 स्पॉट जहां जाकर आप सुकून का अहसास करेंगे। यहां भरी गर्मियों में भी तापमान कम ही रहता है।
ये हैं देश के 5 सबसे साफ सुथरे बीच, जहां लें नीला पानी, सूखी रेत और हरियाली के मजे
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समुद्र तट या पहाड़? भारत की इस जगह पर आप जाना करेंगे पसंद
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गंगा नदी के किनारे बसे है भारत के ये खुबसूरत शहर, पूरी दुनिया में एक तो अपनी गंगा आरती के लिए है फेमस
मैंग्रोव वन में आप अपने दोस्तों के साथ कर सकते है काफी मस्ती
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प्रिंस चार्ल्स जहां भी जाते हैं अपना खुद का बिस्तर लेकर जाते है
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यहां पर बनने जा रहा पानी पर तैरता शहर, अरबों रुपए खर्चकर बसाए जाएंगे लोग
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ग्रीस के बाद, इटली ने भी COVID-19 प्रतिबंधों में दी ढील
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इस बार के Weekends को बनाएं स्पेशल, इन शहरों में बीताएं Vacations
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भारत में इन जगहों पर आप उठा सकते है ट्रेकिंग का लुफ्त
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फिजी की यात्रा करने वालो के लिए अब COVID परीक्षणों की आवश्यकता नहीं
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मेघालय राज्य की खूबसूरती देखेंगे तो बस देखते ही रह जायेंगे
1972 में असम से अलग होकर भारत के इक्कीसवें राज्य के रूप में नक्शे पर उभरा, अद्भुत नैसर्गिक सुषमा का आलय−मेघालय यानि बादलों का घर। आकाश में बादलों के झुंड, धरती पर चंचल झरने, शांत झीलें और उनमें अपना प्रतिबिम्ब निहारती हरियाली, इन सबके बीच आपकी उपस्थिति आपको अवसर देगी कि आप अपने भाग्य पर गर्व कर सकें। यह राज्य गारो, खासी तथा जयन्तिया जैसी प्राचीन पहाड़ी जनजातियों का मूल निवास स्थान है। इन्हीं लोगों को भारत का प्राचीनतम निवासी माना जाता है। ब्रिटिश राज के दौरान स्कॉटलैंड ऑफ ईस्ट कहा जाने वाला शहर शिलांग मेघालय की राजधानी है। खासी पहाड़ियों में, समुद्रतल से लगभग 1500 मी. की ऊंचाई पर बसे इस शहर का नाम एक जनजातीय देवता शुलांग के नाम पर पड़ा है। प्यार से मिनी लंदन पुकारे जाने वाले शहर के चप्पे−चप्पे पर अंग्रेजी प्रभाव के निशान खोजे जा सकते हैं। इसे भी पढ़ें: ये है दुनिया का सबसे डरावना और वीरान आइलैंड, कभी इस बीमारी से पीड़ितों को बिना इलाज के रखा जाता था यहां शिलांग जैसे छोटे शहर में दर्शनीय स्थानों की सूची छोटी नहीं है। शहर के बीचों−बीच स्थित है वार्डलेक। 1893−94 में बनी यह झील पर्यटकों का ही नहीं स्थानीय लोगों का भी प्रिय स्थान है। खूबसूरत बगीचों की हरियाली और झील के बीच में बना लकड़ी का पुल इसकी विशेषता है। इस लकड़ी के पुल पर से आप झील की मछलियों को देख सकते हैं और चाहें तो उन्हें आटे की गोलियां भी खिलाएं। निःसंदेह बच्चों को यह काम बहुत अच्छा लगेगा। झील के पानी में उतरना चाहें तो नौकाविहार कर सकते हैं। खाने−पीने का अच्छा प्रबंध होना इस स्थान को सुविधाजनक भी बना देता है। यदि आपकी दिलचस्पी पेड़−पोधों में है तो झील के पास स्थित बाटेनिकल गार्डन अवश्य जाएं। वनस्पति विज्ञान के छात्रों के लिए यह स्थान बहुत उपयोग साबित होगा। इसके पास ही स्थित डेलिमार वांगखा का तितलियों का सग्रंह भी देखें। दुनिया भर का तितलियों से संबधित जिज्ञासा यहां शांत की जा सकती है। किताबों में रूचि हो और ज्ञान में वृद्धि चाहें तो विशेष रूप से प्राचीन जीवन शैली से जुड़ी जानकारियों चाहें तो स्टेट सैन्ट्रल लाइब्रेरी जाना उचित होगा। साथ ही आपको अपनी ओर खीचेंगे डांन बास्को तथा आंल सैन्ट चर्च। डांन बास्को चर्च की विशाल इमारत और अनूठा प्रार्थना कक्ष ही इसकी खासियत हैं। 1889 में बना भारत का तीसरा सबसे पुराना गोल्फ कोर्स भी शिलांग में ही है। चीड़ और देवदार के ऊंचे वृक्षों से घिरे इस स्थान की मखमली धास का मजा लेने के लिए आपका गोल्फ में रूचि रखना जरूरी नहीं। अक्सर सूर्यादय और सूर्यास्त के सुन्दर दृश्यों को नजरों में भरनेा के लिए भी पर्यटक यहां आते हैं। खासी जनजाति के मातृ−सत्तात्मक समाज की छाप देंखें यहां के बड़ा बाजार में। इस बाजार को पूर्वोत्तर भारत का सबसे बड़ा बाजार माना जाता है। यहां खरीददारी करें हस्तशिल्प की और बांस के बने सामान की। यहां के जीवन को और करीब से जानना हो तो पास ही स्थित पुलिस बाजार भी जाना चाहिए। शिलांग से लगभग 2 किलोमीटर दूर है एलिफेन्टा फॉल (झरना)। हाथी के आकार के इस प्राकृतिक झरने की सौन्दर्य वृद्धि की है लकड़ी के छोटे−छोटे पुलों ने। इस झरने के नाम के कारण के बारे में लोगों में मतैक्य नहीं है। कुछ लोगों के अनुसार इस जगह के नाम का कारण, कभी यहां हाथियों का पानी पीने आना था जबकि दूसरों के अनुसार, इसका हाथी जैसा आकार। कुछ लोग इसके नामकरण की कथा सुनाते हैं कि किसी अंग्रेज अधिकारी का हाथी रास्ता भटक कर यहां पहुंच गया और यहीं उसकी मृत्यु हो गई तो यह नाम पड़ा। इसी खींच−तान के बीच एक अन्य कथा यह भी है कि यहां हाथी पानी पीने आते थे। किसी कारण वश यहां एक हाथी की मृत्यू के पश्चात हाथियों ने यहां आना बंद कर दिया। स्थानीय लोग इस मृत हाथी को देखने यहां पहुंचे, यही घटना इस स्थान के नामकरण का कारण है। इसी से यह स्थान लोकप्रिय भी हुआ। इसे भी पढ़ें: ये हैं अजमेर में घूमने की खूबसूरत जगहें, इन्हें नहीं देखा तो अधूरी है आपकी यात्रा शिलांग और उसके आसपास के क्षेत्र में कई और झरने भी है जैसे मारग्रेट फांल, बिशप फांल, स्वीट फांल आदि। समुद्र की सतह से लगभग 1960 मी. ऊंचाई पर, शिलांग से करीब 10 किमी. दूर है शिलांग पीक। ऐसा विश्वास है कि जनजातीय देवता शुलांग यहीं निवास करते हैं। यहां के खुले वातावरण और ऊंचाई को ध्यान में रखकर कुछ गर्म कपड़े ले जाना गलत नहीं होगा। उमियाम झील, गुवाहाटी से शिलांग के बीच का सबसे सुन्दर पड़ाव है। यह स्थान शिलांग से लगभग 17 किमी. दूर है। बड़ा पानी के नाम से प्रसिद्ध यह झील एक बांध के निर्माण के फलस्वरूप अस्तित्व में आई थी। इस झील के पास बने नेहरू उद्यान को भी देखें। यह झील पानी के खेलों के लिए प्रसिद्ध है। 1897 के भयानक भूकंप से धरती पर तराशे गए दर्रे के लिए विख्यात है माफलोग। यहां प्रकृति की सुन्दरता ने भूकंप की भयावहता को ढक दिया है। शिलांग से लगभग 64 किमी दूर है जरकेम। यहां गधंक के झरने हैं। ऐसा विश्वास है कि झरनों के पानी से अनेक बीमारियों का निदान संभव है। मेघालय की अन्य दो पहाड़ियां हैं गारो और जयन्तिया। गारो पहाड़ियों को जाना जाता है वनस्पतिक और वन्य जीवन की विविधता के लिए। यहां राष्ट्रीय वन्य जीवन उद्यान तथा नाफक झील भी देखें। यहां सिजु गुफाओं में चूने पत्थर की बनी आकृतियों को देखा जा सकता है। इसे भी पढ़ें: पुदुचेरी घूमने जाएं तो इन जगहों पर जाना न भूलें हिलौरे लेती मिन्तदू नदी से घिरी जयन्तिया पहाड़ी शिलांग से लगभग 64 किमी. दूर हैं। जोवाई, जयन्तिया जनजाति का मुख्यालय भी यहीं है। यहां सिन्दाल गांव में अनेक गुफाओं की सैर की जा सकती है की। जयन्तियां राजा तथा विदेशी आक्रमणकारियों के बीच युद्ध के दौरान कभी इनका प्रयोग छिपने के स्थान के रूप में होता था। लगभग 1300 मी की ऊंचाई पर, शिलांग से 56 किमी. दूर स्थित है चेरापूंजी। एक लंबे समय, इस क्षेत्र को विश्व में सबसे अधिक वर्षा वाले क्षेत्र के रूप में जाना जाता रहा है। यहां रोमांच लें विश्व के चौथे सबसे ऊंचे झरने नहिकालीफाई को देखने का। इसी प्रकार मांसमाई और लम लाबाध की रहस्यमयी गुफाओं की सैर भी यादगार साबित होगी। वर्तमान में सर्वाधिक वर्षा तथा लगभग निरन्तर बने रहने वाले इन्द्रधनुषों की भूमि मांसेनरम, चेरापूंजी के पास ही है। वर्षा ऋतु में लगभग अगम्य बन जाने वाला यह स्थान अपने चूने पत्थर के बने विशाल शिवलिंग के लिए खासा लोकप्रिय है। यहां भयावह ऊंचाई लिए बेहत खूबसूरत झरने भी आपको भाएंगे। जून−जुलाई का समय मेघालय में उत्सवों का समय है। 4 दिनों तक चलने वाला किसानों का उत्सव है वेटडीनक्लामू। इसमें पारम्परिक नृत्य संगीत के साथ−साथ बैलों की लड़ाई का मजा लें। स्थानीय देवता यू शिलांग और पूर्वजों के सम्मान में आयोजित होने वाले नौंग क्रेम नृत्य उत्सव में शामिल होना नहीं भूलें। अधिक वर्षा वाले दिनों को छोड़ हर मौसम में यहां आया जा सकता है। यहां का जाड़ा कुछ अधिक ठंडा और गर्मियां सुहावनी होती हैं। निश्चय ही यह छोटा−सा राज्य गर्मी से बड़ी राहत दिला सकता है। - प्रीटी
यात्री ऑन-बोर्ड वॉशरूम वाली Smartbuses में यात्रा करना पसंद करते हैं !
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ये हैं दुनिया के सबसे महंगे हनीमून डेस्टिनेशन
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भारत से सिंगापुर तक बना रहे है यात्रा का प्लान तो ये टिप्स आ सकती है आपके काम
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भारत की इन जगहों पर आप कर सकते है रोड ट्रिप
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कोढ़ रोग को हमारे समाज में हमेशा से ही हीन भावना से देखा जाता है। इस बीमारी को भगवान का शाप या दंड माना जाता रहा है। समाज में लोग कोल्ड रोगियों से हमेशा दूरी बना कर रहे हैं। सदियों से इस बीमारी से पीड़ित लोगों को समाज से अलग रखा गया है। भारत ही नहीं दुनिया के विदेशों में कुष्ठ रोगियों के लिए कई आश्रम चलते हैं। लेकिन यूरोप के ग्रीस और यूनान जैसे देशों ने अपने यहां के कुष्ठ रोगियों को आम लोगों से दूर रखने के लिए एक आईलैंड ही अलग कर दिया था। इसे भी पढ़ें: ये हैं अजमेर में घूमने की खूबसूरत जगहें, इन्हें नहीं देखा तो अधूरी है आपकी यात्रा इस आइलैंड का नामस्पिनालॉन्गा आइलैंड है। ये यूनान के सबसे बड़े क्रीट द्वीप के पास स्थित है। ये भूमध्य सागर में मिराबेलो की खाड़ी के मुहाने पर मौजूद है। लेकिन आज इस आईलैंड पर कोई नहीं रहता और यह वीरान पड़ा है। यहां पर बेहद कम लोग ही जाते हैं। इस जगह की सबसे पहले वेनिस के राजा ने यहां पर सैनिक अड्डा बनाया था। इसके बाद तुर्की के ऑटोमान साम्राज्य ने इस पर कब्जा कर लिया। हालांकि, साल 1904 में क्रीट के लोगों ने तुर्कों को यहां से खदेड़ दिया। इसके बाद यह आइलैंड को कोढ़ के मरीजों का अड्डा बना दिया गया। साल 1975 में दुनिया को इस कोढ़ आश्रम के बारे में पता चला। इसके बाद यूनानी सरकार की बहुत आलोचना हुई। इसे भी पढ़ें: पुदुचेरी घूमने जाएं तो इन जगहों पर जाना न भूलें जिसके बाद यहां के सभी लोगों को इलाज के लिए ले जाया गया और इस कुष्ठ रोगी आश्रम को बंद कर दिया गया। इसके बाद से स्पिनालॉनगा आइलैंड वीरान पड़ा है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस आईलैंड पर कोढ़ के मरीजों के इलाज का भी कोई इंतजाम नहीं था। इस द्वीप पर एक ही डॉक्टर आता था, वो भी तब जब किसी मरीज को कोई और बीमारी हो जाती थी। इंद्र को बनाने से पहले ही कुष्ठ रोग का इलाज खोज लिया गया था लेकिन यहां रहने वाले मरीजों का इलाज नहीं होता था। - प्रिया मिश्रा
तुर्क और कैकोस की यात्रा करना अब होगा काफी आसान
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भारत की इन खूबसूरती जगहों पर आप अपनी शादी को बना सकते हो और भी बेहतर
भारत की इन खूबसूरती जगहों पर आप अपनी शादी को बना सकते हो और भी बेहतर
भारत की वो रहस्य्मयी जगह जहां विदेशियों की एंट्री पर है बैन, जगह की सच्चाई जान लगेगा 440 वाल्ट का झटका
पुदुचेरी घूमने जाएं तो इन जगहों पर जाना न भूलें
पुदुचेरी जिसे पहले पांडिचेरी के नाम से भी जाना जाता था, भारत के तमिलनाडु राज्य में स्थित है और पर्यटन की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। यह एक ऐसा शहर है, जहां पर करीबन 300 वर्षों तक फ्रांसीसी अधिकार रहा और यही कारण है कि यहां पर आज भी फ्रांसीसी संस्कृति की झलक देखने को मिलती है। तमिलनाडु राज्य में पुदुचेरी एक बेहद ही खूबसूरत शहर है और हर साल लाखों सैलानी इस शहर में घूमने के लिए आते हैं। तो चलिए आज हम आपको पुदुचेरी शहर में घूमने की कुछ बेहतरीन जगहों के बारे में बता रहे हैं− इसे भी पढ़ें: दुनियाभर में मशहूर हैं भारत के इन राज्यों की ये मिठाइयाँ, विदेशी भी खाते हैं बड़े चाव से पुदुचेरी संग्रहालय पुदुचेरी संग्रहालय में आपको यहां की फ्रांसीसी जड़ों और बेहद पुराने इतिहासों को ट्रेस करने का मौका मिलेगा। एरिकामेडु रोमन बस्ती के पुरातत्व संबंधी निष्कर्षों से लेकर, चोल और पल्लव राजवंशों तक, यहाँ इतिहास के विभिन्न युग संरक्षित हैं। संग्रहालय में पत्थर की नक्काशीदार मूर्तियां, भारतीय देवताओं और देवताओं की कांस्य मूर्तियां, प्राचीन पेड़ों की जीवाश्मदार चड्डी, परिवहन के साधनों के मॉडल, पीतल के मंदिर के लैंप, चर्च के अवशेष, हस्तशिल्प, सिक्के, गोले और जीवाश्म हैं। यहां पर एक पूरा अनुभाग इतिहास और पौराणिक फ्रांसीसी औपनिवेशिक जानकारी के लिए समर्पित है। कालियालय सर्फ स्कूल भारत में प्रीमियम सर्फिंग स्कूलों में से एक, कल्लियाय सर्फ स्कूल पांडिचेरी में पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। इस सर्फ स्कूल की शुरुआत स्पेन के दो भाइयों, जुआन और समई रिबॉउल ने की थी, जो ऑरोविले में बस गए थे। यहां पर आप अपनी रुचि, बजट और आवश्यकताओं के अनुसार विभिन्न प्रकार के पैकेज और प्रशिक्षण से चुन सकते हैं। आप अंतरराष्ट्रीय मानकों के सर्फिंग उपकरणों का भी लाभ उठा सकते हैं। इसके अलावा, एक वार्षिक उत्सव, समर स्वेल चैलेंज में भाग लेने के लिए दुनिया भर के आगंतुक यहां आते हैं। इसे भी पढ़ें: दिल्ली के पास मौजूद हैं ये बेहतरीन वॉटर पार्क्स, फैमिली और फ्रेंड्स के साथ मस्ती के लिए है बेस्ट सरेनटी बीच सरेनटी बीच, अपने नाम की तरह अपने सभी आगंतुकों को शांति प्रदान करता है। बंगाल की खाड़ी में यह एक रिलैक्सिंग स्पॉट है और शहर से 12 किमी दूर पुदुचेरी में घूमने लायक जगहों में से एक है। चट्टानों के एक निशान के साथ गर्म सुनहरी रेत, जो समुद्र के किनारे तक जाती है, आपको एक अजीब सा आनंद देती है। यहां पर आप कुछ वक्त शांतिपूर्ण तरीके से बिताने के अलावा सर्फिंग का आनंद भी ले सकते हैं। मनाकुला विनयगर मंदिर पुदुचेरी बस स्टेशन से 3 किमी की दूरी पर, मनाकुला विनयगर मंदिर भगवान गणेश को समर्पित प्रसिद्ध प्राचीन मंदिरों में से एक है और पुदुचेरी में एक लोकप्रिय तीर्थ स्थल है। पांडिचेरी में फ्रांसीसी के आने और बसने से पहले मनकुला विलेनगर मंदिर अस्तित्व में था और भगवान गणेश की मूर्ति को स्थानीय रूप से वेल्लकरन पिल्लई के नाम से जाना जाता है। फ्रांसीसी जेसुइट्स और मिशनरियों ने कई बार मंदिर को ध्वस्त करने की कोशिश की, लेकिन हर बार स्थानीय आबादी ने मंदिर को बचा लिया। 18 फीट की ऊंचाई पर स्थित, सोना चढ़ाया हुआ कोड़ीकंबम इस मंदिर का एक शानदार आकर्षण है। मंदिर की बाहरी दीवार में गणेश के विभिन्न रूपों को दर्शाया गया है। मिताली जैन
ऑरोविल : भारत का एक ऐसा शहर जिसमें मिल-जुलकर रहते हैं 60 देशों के लोग
ऑरोविल को दुनिया की पहली 'एक्सपेरिमेंटल सोसाइटी' कहा जाता है। यहां आने वाले पर्यटक यहां के प्राकृतिक सौंदर्य को मातरी मंदिर को देखकर इसे मात्र एक पर्यटन स्थल मानते हैं, लेकिन इससे बढ़कर ये एक अनुसंधान केंद्र भी है, जहां मानव विकास के कई आयामों पर ...
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