लाइफस्टाइल / प्रभासाक्षी
भारत के स्वतंत्रता संग्राम को वंदेमातरम मंत्र ने अदभुत शक्ति प्रदान की थी। इस मंत्र के प्रणेता थे महान उपन्यासकार बंकिम चंद्र चटर्जी। बंकिम चंद्र चटर्
जब जम्मू कश्मीर से अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को खत्म किया जा रहा था, तब भाजपा की ओर से एक व्यक्ति का नाम खूब लिया जा रहा था। वह व्यक्त
ग्रैंड ओल्ड पार्टी में नया पन लाने वाले नेता, जिनसे मिलने के लिए मुख्यमंत्रियों को भी इंतजार करना पड़ता था... हम बात कर रहे हैं पूर्व प्रधानमंत्री इंद
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की जब जब बात होगी, तब तब डॉ केशव राव बलिराम हेडगेवार की बात भी होगी। अगर हेडगेवार को हम त्याग की प्रतिमूर्ति कहे तो इसमें कोई
भारत का इतिहास महान विभूतियों की अमर गाथाओं से भरा पड़ा है। ये विभूतियां हमें समय-समय पर प्रेरित और प्रोत्साहित करती रहती हैं। हालांकि ऐसा नहीं है कि
यह वाक्यावली जिनकी स्वाधीनता का मूल मंत्र था, यह जिनके स्वाभिमान का परिचय था, ये थीं श्री मोरोपंत ताम्बे और श्रीमती भागीरथी वाई की लाडली पुत्री मणिकर्
सृष्टि के आदि से लेकर अब तक न जाने कितनी दफा नारी शक्ति का चमत्कार देखने को मिला है। जब-जब अधर्म ने धर्म को, अन्याय ने न्याय को और असत्य ने सत्य को पर
मधुकर दत्तात्रेय देवरस जिन्हें बाला साहेब देवरस के नाम से भी जाना जाता है। इनको लेकर साल 1940 के आस पास राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के दूसरे सरसं
चित्तरंजन दास, जिन्हें देशबंधु या सीआर दास के नाम से जाना जाता है, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिक कार्यकर्ता
आज के बलोचिस्तान, ईरान, कराची और पूरे सिन्धु इलाके के राजा थे श्री दाहिर सेन जी। आपका जन्म 663 ईसवी में हुआ था और 20 जून 712 ईसवी को इस महान भारत भूमि
एक समय था जब फिल्मों में खलनायक इतना प्रधान होता था कि नायक से अधिक चर्चे खलनायक के होते थे। ऐसे ही समय के खलनायक रहे हैं जीवन, जिन्होंने अपने जीवंत अ
बिरसा मुंडा महान क्रांतिकारी थे, जनजातीय समाज को साथ लेकर उलगुलान किया था उन्होने। उलगुलान अर्थात हल्ला बोल, क्रांति का ही एक देशज नाम। वे एक महान संस