597 ड्रोन्स, 20 मिसाइलें...रूस ने फिर बरसाए आग के गोले, हमलों से दहला यूक्रेन; मची चीख-पुकार

Russia Ukraine war: रूस- यूक्रेन के बीच युद्ध खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है. एक बार फिर रूस ने यूक्रेन पर बड़ा हमला किया है. इस हमले की वजह से कई लोगों की जान भी गई है. हादसे के बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति प्रतिबंध लगाने की मांग की है.

ज़ी न्यूज़ 12 Jul 2025 8:49 pm

सबसे तेजी से बढ़े मुसलमान, हिंदुओं का ऐसा है हाल, सबसे ज्यादा टेंशन में भारत का जिगरी; बेतहाशा गिरी आबादी

World Population: दुनियाभर की कुल आबादी से जुड़ी Pew की रिपोर्ट सामने आ गई है. इसमें मुसलमानों की तादाद में इजाफा दर्ज किया गया है. साथ ही भारत के जिगरी दोस्त के लिए खतरे की घंटी बजी है.

ज़ी न्यूज़ 12 Jul 2025 8:17 pm

इस साल तीस लाख अफगान अपने वतन लौट सकते हैं

ईरान और पाकिस्तान से इस साल तीस लाख से ज्यादा अफगानों को वापस उनके देश भेजा जा सकता है. संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि इससे वहां पहले से ही मौजूद मानवीय संकट और गहरा सकता है

देशबन्धु 12 Jul 2025 6:29 pm

'गंदा इंसान ही पूछ सकता है ऐसा सवाल...', टेक्सास में रिपोर्टर पर भड़के अमेरिकी राष्ट्रपति, किस बात पर खफा हुए ट्रंप?

America News: टेक्सास प्रांत में भीषण बाढ़ आई है. बाढ़ ने काफी ज्यादा तबाही मचाई है, इसी बीच हालात का जायजा लेने पहुंचे डोनाल्ड ट्रंप से जब एक पत्रकार ने सवाल किया तो वो भड़क गए. जानिए आखिर क्या था सवाल?

ज़ी न्यूज़ 12 Jul 2025 5:17 pm

45 करोड़ के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची यूरोप की आबादी

यूरोपीय देश इस वक्त बूढ़ी होती आबादी और घटती प्रजनन दर की समस्या से जूझ रहे हैं. हालांकि, यहां आने वाले आप्रवासी यहां की घटती आबादी की भरपाई कर रहे हैं

देशबन्धु 12 Jul 2025 3:05 pm

PM मोदी को जिसने बताया था दुनिया का बॉस, जिनपिंग से बढ़ा रहा दोस्ती; ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री क्यों जा रहे चीन

Australia PM Visit To China: ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज ने एक बार पीएम मोदी को सामूहिक कार्यक्रम में बॉस कहा था. अब वही पीएम चीन की यात्रा पर निकले हैं.

ज़ी न्यूज़ 12 Jul 2025 1:34 pm

प्लेन हादसे में मरा पीड़ित का पूरा परिवार, विमान कंपनी ने मुकदमे से पहले चुपचाप कर लिया समझौता

Air India Plane Crash: साल 2019 के इथियोपियन एयरलाइंस 737 मैक्स दुर्घटना में कई लोगों की मौत हो गई थी. इस घटना के एक पीड़ित से एयरलाइन कंपनी ने समझौता कर लिया है.

ज़ी न्यूज़ 12 Jul 2025 12:34 pm

इटैलियन बेली डांसर की इस हरकत से भड़का मिस्र, एयरपोर्ट पर उतरते ही कर लिया गिरफ्तार

Belly Dancer Arrested In Egypt: इजिप्ट में सोहिला तारेक हसन नाम की एक इटैलियन बेलीडांसर को गिरफ्तार कर लिया गया है. उस पर अभद्रता फैलाने का आरोप लगा है.

ज़ी न्यूज़ 12 Jul 2025 11:52 am

ना स्कूल ना खाना.. बस शादी और बच्चा, यहां 13 साल की बच्चियां बन रहीं मां, हर गोद में 6 बच्चे!

Population Crisis: स्थिति इतनी बदतर है कि कई बार 12-13 साल की बच्चियां मां बन रही हैं. कहानी यहीं नहीं रुकती है. यहां 20 परसेंट आबादी को पेट भर खाना नहीं मिलता. बच्चों में कुपोषण गंभीर समस्या है. केवल 34 परसेंट बच्चे स्कूल जाते हैं.

ज़ी न्यूज़ 12 Jul 2025 11:51 am

नासा करेगा एक्सिओम मिशन-4 के प्रस्थान का सीधा प्रसारण, जानें कहां से रखें शुभांशु शुक्ला की वापसी पर निगाह

नासा ने घोषणा की है कि वह अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) से एक्सिओम मिशन-4 के प्रस्थान और पृथ्वी पर वापसी का सीधा प्रसारण करेगा

देशबन्धु 12 Jul 2025 11:15 am

दुनियाभर में मुस्लिम आबादी का विस्फोट.. 10 साल में कितनी बढ़ी जनसख्या, हिंदुओं की भी आई रिपोर्ट

Global Population Report: दस सालों में मुसलमान दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ने वाला धार्मिक समूह बन गया है. इस दशक में दुनिया की मुस्लिम आबादी में 34.7 करोड़ की बढ़ोतरी हुई जो किसी भी अन्य धर्म से अधिक है. बाकी धर्मों को लेकर भी रिपोर्ट में बताया गया है.

ज़ी न्यूज़ 12 Jul 2025 9:36 am

स्पॉटलाइट-राहुल गांधी की गाड़ी पर कन्हैया को चढ़ने से रोका:क्या RJD से गठबंधन मजबूरी या कुछ और; देखें वीडियो

बिहार चुनाव से पहले बिहार बंद की घोषणा के बावजूद सबसे ज्यादा चर्चा उस मोमेंट की है जब पटना में कन्हैया कुमार को राहुल गांधी की गाड़ी में चढ़ने से रोक दिया गया. जबकि उसी गाड़ी में तेजस्वी यादव समेत तमाम आरजेडी और कांग्रेस के तमाम नेता सवार थे. कन्हैया परमानेन्ट कांग्रेस वर्किंग कमेटी के इनवाइटी मेंबर और NSUI प्रभारी हैं फिर भी उन्हें क्यो रोका गया? क्या RJD, इंडिया गठबंधन में तेजस्वी के अलावा कोई दूसरा युवा चेहरा नहीं उभरने देना चाहती?..ऊपर दी गई इमेज पर क्लिक कर देखें वीडियो

दैनिक भास्कर 12 Jul 2025 4:55 am

मां-बाप, बहन और दादी की लाशों को रॉड से पीटा:सभी को घर में दफनाया, नहाया और गोली खाकर सो गया; फैमिली किलर, पार्ट-2

तारीख थी- 28 फरवरी और 2021 का साल। पश्चिम बंगाल के मालदा सिटी का 16 माइल गांव। सुबह के 6 बजे थे। दो मंजिला एक गोदाम में 19 साल का दुबला-पतला लड़का, आसिफ प्लाईवुड से ताबूत बना रहा था। करीब 12 बजे उसकी अम्मी ने आवाज दी- बेटा खाना खा ले। आसिफ बगल में अपने घर पहुंचा और अब्बू जावेद अली, अम्मी ईरा बीबी, बड़े भाई आरिफ, छोटी बहन आरिफा और दादी अलेक्जन के साथ खाना खाया। कुछ देर बाद आसिफ ने फ्रिज से संतरे का जूस निकालकर सभी को पिलाया। दरअसल, इस जूस में आसिफ पहले ही बेहोशी की दवा मिला चुका था। जूस पीने के कुछ मिनट बाद ही पांचों अपनी-अपनी कुर्सियों पर अधमरे से झूलने लगे। तभी आसिफ अपने अब्बू के पास गया और बुदबुदाया- ‘देख लिया न अब्बू, मेरी बातें न मानने का यही अंजाम होता है।’ इसके बाद वो एक-एक कर सभी को घसीटते हुए गोदाम में ले गया और वहां पड़े ताबूतों में पॉलिथीन लगाकर सभी को उनमें डाल दिया। ताबूतों के ढक्कन लगाकर उनमें कील ठोंकने लगा। हर ताबूत के ढक्कन में एक-एक छेद भी था। अब किसी सनकी की तरह आसिफ ने इन्हीं छेदों से ताबूतों में पानी भर दिया। यह सब करते-करते शाम के करीब 7 बज चुके थे। आसिफ ताबूतों के पास ही बैठा था। चेहरे पर कोई शिकन नहीं। दीवार के सहारे बैठा आसिफ, सुस्ताते हुए सोचने लगा, ‘ सभी मर चुके होंगे, अब इन्हें दफनाना होगा।’ तभी एक ताबूत में हलचल हुई। आसिफ ने देखा तो वह कमरे से पिस्टल ले आया और ताबूत पर तान दी। फिर धीरे से ढक्कन हटाया…। दैनिक भास्कर की सीरीज ‘मृत्युदंड’ में फैमिली किलर के पार्ट-1 में इतनी कहानी तो आप जान ही चुके हैं। आज पार्ट-2 में आगे की कहानी… आसिफ ने जैसे ही ताबूत का ढक्कन हटाया, आरिफ तुरंत उठ खड़ा हुआ। आसिफ से उसकी कनपटी पर पिस्टल तान दी। आरिफ सकपका गया। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। आसिफ ने तुरंत उसकी गर्दन पकड़कर घसीटना शुरू कर दिया। आरिफ हट्टा-कट्टा था, उसने आसिफ के दोनों पैर पकड़कर उसे जमीन पर पटक दिया। दोनों एक दूसरे की जान के प्यासे हो गए, तभी आरिफ की नजर सामने एक कतार में रखे 4 ताबूतों पर पड़ी। उसने चीखते हुए आसिफ से पूछा- ‘इसमें क्या है? अम्मी-अब्बू, आरिफा… सब कहां हैं? हम सब तो खाना खाकर जूस पी रहे थे, यहां कैसे आए ! तूने जूस में कुछ मिलाया था न? जल्दी बता’ ‘सभी इसी ताबूत में।’, चेहरे पर कुटिल सी मुस्कान लिए आसिफ बोला। सुनते ही आरिफ ने पहले ताबूत का ढक्कन हटाया। अब्बू की फूली हुई बॉडी देखते ही चीख पड़ा। फिर उसने बारी-बारी से सभी ताबूतों को चेक किया और वहीं जमीन पर गिर पड़ा। आसिफ ने आरिफ की गर्दन में रस्सी फंसाई और गला घोंटने लगा। दोनों के बीच फिर मारपीट होने लगी। आसिफ पसीना-पसीना हो गया। रस्सी उसके हाथ से फिसल गई। वो तुरंत आरिफ के ऊपर कूद पड़ा और उसकी गर्दन पर जोर से दांतों से काटा। फिर चीखते हुए बोला- ‘देखो, तुम जिंदा बच गए हो तो अभी के अभी गांव छोड़कर भाग जाओ। मैंने घर के आस-पास बम सेट कर रखा है। यहां से चले जाने में ही तुम्हारी भलाई है। अगर नहीं गए तो मैं पुलिस को बता दूंगा कि तुमने सभी को मारा है। मेरा क्या है, अगर पुलिस मुझे गिरफ्तार करती भी है तो बच जाऊंगा। मेरे पास बहुत पैसा है, लेकिन तुम्हारा क्या होगा? अब तो अब्बू-अम्मी कोई नहीं है, जो तुम्हारा साथ देंगे।’ आसिफ की बातें सुनकर आरिफ सकपका गया। हकलाते हुए बोला- ‘मैं तुम्हारी धमकी से डरने वाला नहीं हूं। अभी गांववालों को सब कुछ बता दूंगा।’ ठहाके लगाते हुए आसिफ ने जेब से मोबाइल निकाला और आरिफ के साथ एक लड़की का प्राइवेट वीडियो चला दिया। आरिफ की आंख फटी की फटी रह गई। वीडियो में जो लड़की दिख रही थी वो आरिफ की गर्लफ्रेंड सुलताना थी। आसिफ बोला- ‘ये वीडियो वायरल कर दूंगा और सुलताना को भी मार दूंगा।’ आरिफ अपने छोटे भाई आसिफ के पैरों में गिर पड़ा। बिलखते हुए बोला- ‘मैं किसी को कुछ नहीं बताऊंगा। मैं अभी गांव छोड़कर चला जाऊंगा। कभी वापस नहीं आऊंगा, बस इतना बता दो कि सबको क्यों मारा।’ गुस्से से लाल आसिफ बोला- ‘जो मेरी बात नहीं मानेगा, उसके साथ ऐसा ही होगा। तुम मेरी बात मानो और यहां से फौरन भाग जाओ।’ आसिफ ने बिस्तर के एक कोने से 20 हजार रुपए निकालकर आरिफ को दे दिए। तब तक रात के 9 बज चुके थे। पूरे गांव में सन्नाटा पसरा था। आरिफ भागता हुआ 16 माइल हाई-वे पहुंचा और कोलकाता जाने वाली बस में बैठ गया। इधर, आरिफ के जाते ही आसिफ ने गोदाम घर में फिर से तेज गाने बजाने शुरू किए। लंबी सांस ली, फिर बोला- ‘अब सभी को ठिकाने लगाने का वक्त आ गया है।’ चारों बॉडी को एक-एक करके ताबूत से बाहर निकालने लगा। सभी को एक कतार में रखने के बाद बुदबुदाया- ‘आरिफ की तरह इनमें से कोई और भी जिंदा बच गया तो?’ फौरन भागते हुए गोदाम घर के दूसरे कोने में गया। लोहे की रॉड और लाठी लेकर आ गया। आसिफ सबसे पहले अब्बू की लाश खींचकर एक कोने की तरफ ले गया और लाठी से पीटने लगा। फिर उसने लोहे की रॉड उठाई और पूरी ताकत से छाती पर दे मारी। पानी में गली हुई लाश की खाल उधड़ गई, खून बहने लगा। फिर उसने पेट, पैर हर जगह दनादन रॉड बरसानी शुरू की। माथे का पसीना पोछते हुए आसिफ वहीं बैठा गया। कुछ देर बाद उठा और अब्बू का मुंह, नाक कसकर दबा दिया। बॉडी में कोई छटपटाहट नहीं थी। जब वह मुतमइन हो गया तो अपनी अम्मी की तरफ बढ़ा। पानी में फूली हुई बॉडी को घसीटते हुए अब्बू की बॉडी के पास ले जाकर पटक दिया। फिर लोहे की रॉड से पीटना शुरू किया। अब्बू की तरह अम्मी की बॉडी में भी कोई हलचल नहीं थी। इसी तरह से छोटी बहन आरिफा और दादी अलेक्जन को भी लाठी और लोहे की रॉड से पीटा। अब आसिफ को यकीन हो चुका था कि सभी मर चुके हैं। वो फिर बुदबुदाया- ‘इतना काम तो हो गया, अब कब्र की तैयारी करनी है।’ पसीने से तरबतर आसिफ उठा और एक लाठी लेकर सभी लाशों की लंबाई नापने लगा। फिर यही लाठी लेकर गोदाम के उस हिस्से में पहुंचा, जहां बड़ा-सा गड्ढा था। लाठी से गड्ढे की लंबाई नापी, तो लाशों की लंबाई से कम थी। आसिफ अपने घर की तरफ भागा और फावड़ा लेकर आया। शर्ट की बाहें मोड़ी, पैंट ऊपर चढ़ाई और फावड़ा उठाकर गड्ढे को और खोदने लगा। कुछ ही देर में गड्ढा 6 फीट गहरा और 12-13 फीट चौड़ा हो चुका था। आसिफ ने फावड़ा किनारे रखा और अब्बू की लाश के पास जाकर बोला-‘चलो अब्बू, अब वक्त आ गया है।’ वो लाश को घसीटने लगा। पानी में पड़े रहने की वजह से लाश भारी हो गई थी। आसिफ ने हांफते हुए पूरी ताकत से लाश को खींचा और झटके से गड्ढे में फेंक दिया। फिर अम्मी, बहन और दादी को भी उसी गड्ढे में फेंक दिया। फिर खुद भी गड्ढे में कूद गया और सभी लाशों को एक कतार में लगा दिया। तभी उसे इंग्लिश फिल्म का एक सीन याद आ गया। उसने एक डंडा उठाया और फिर से गड्ढे की गहराई नापी। फिर बड़बड़ाया- ‘6 फीट गहरा है, इससे न तो कभी बदबू आएगी और न किसी को पता चलेगा कि यहां लाशें हैं।’ आसिफ गड्ढे से बाहर निकला और गोदाम के एक कोने से केमिकल की बॉटल लेकर आया। बॉटल खोलकर सात-आठ ढक्कन केमिकल चारों लाश के ऊपर छिड़क दिए। फिर फावड़ा उठाया और गड्ढा भरने लगा। गड्ढा भरते-भरते सुबह के चार बज गए। आसिफ ने अपने मिट्टी से सने कपड़े धोए और नहाया। फिर उसने नींद की वही दवा खाई जो जूस में मिलाई थी। इसके बाद अपने कमरे में जाकर सो गया। अगले दिन यानी एक मार्च 2021 की सुबह किसी ने दरवाजा खटखटाया। आसिफ हड़बड़ाकर उठा और खिड़की से बाहर झांककर देखा। दरवाजे पर पड़ोसी नौशाद अली खड़े थे। आसिफ ने भारी आवाज में पूछा- ‘क्या हुआ चाचा? कोई काम है क्या?’ नौशाद अली बोले- ‘तुम लोग अमेरिका कब जाओगे, तुम्हारी अम्मी ने बताया था कि जल्दी जाने वाले हो?’ ‘सभी लोग चले गए अमेरिका। मैं भी 6 महीने में चला जाऊंगा। अभी एक प्रोजेक्ट पर काम कर रहा हूं।’, आसिफ ने जवाब देते हुए खिड़की बंद कर ली और गोदाम की तरफ चला गया। फावड़ा उठाया और गड्ढे को समतल करते हुए मन ही मन बुदबुदाया- ‘एक बराबर लगेगा, तो किसी को शक नहीं होगा।’ उधर, आरिफ कोलकाता पहुंचकर तलतला के एक होटल में रहने लगा था। करीब हफ्तेभर बाद उसके मोबाइल की घंटी बजी। फोन उठाते ही उधर से आसिफ बोला- ‘जैसा बोला है, वही करना। अपना दिमाग लगाने की कोशिश की तो वीडियो वायरल कर दूंगा। तेरी गर्लफ्रेंड के घर के बाहर बम लगा दिया है, वो भी जान से जाएगी।’ ये सुनते ही आरिफ ने फोन काट दिया। इधर, आसिफ अपने परिवार की कब्र के बीच उसी गोदाम में रह रहा था। दरवाजे पर कोई भी आता, उसे डांटकर भगा देता। कहता- ‘अम्मी-अब्बू, सभी अमेरिका चले गए।’ करीब 17 दिन बाद आरिफ के पैसे खत्म हो गए। होटल मालिक ने कमरा खाली करने की धमकी दे दी। आरिफ ने फौरन कमरा खाली कर दिया और सड़कों पर घूमते हुए अपने मामा शीश मोहम्मद को फोन किया। बोला- ‘मामा, मैं कोलकाता में हूं। कई दिनों से आपके घर आने की सोच रहा हूं, आ जाऊं क्या?’ ‘हां, हां आ जाओ। ये कोई पूछने वाली बात थोड़ी न है, दीदी-जीजा को भी ले आओ।’, शीश मोहम्मद ने कहा। आरिफ ने फोन रखा और झारखंड के बड़हरवा के लिए निकल पड़ा। आरिफ ने अब तक किसी से ये बात नहीं बताई थी, फिर इस केस की गुत्थी कैसे सुलझी? आसिफ ने लाशें दफनाने के बाद क्या किया? आखिर उसने अपने पूरे परिवार को खत्म क्यों किया? वह बार-बार अम्मी-अब्बू के अमेरिका जाने और अपने प्रोजेक्ट के बारे में क्यों बात कर रहा था? पूरी कहानी फैमिली किलर पार्ट-3 में… आरिफ अपने मामा शीश मोहम्मद के घर झारखंड के बरहरवा पहुंच गया। दो-तीन दिन बीत गए। आरिफ गुमसुम सा एक कमरे में बैठा रहता था। उसके हाव-भाव देखकर शीश मोहम्मद को शक होने लगा। उसने आरिफ से पूछा- 'कई दिनों से दीदी-जीजा का फोन बंद आ रहा है। तुम भी गुमसुम हो, आखिर बात क्या है।' पूरी कहानी पढ़िए फैमिली किलर पार्ट-3 में...​

दैनिक भास्कर 12 Jul 2025 4:55 am

उम्मीद दिवस- ओकिनावा के लोगों से सीखिए 100 साल जीना:78 साल की कैब ड्राइवर, 91 साल के स्टूडेंट, यहां ऐसे 1300 बुजुर्ग

‘अगर आप 80 साल के हैं, तो जवान हैं। 90 के हों और पूर्वज आपको स्वर्ग में बुलाएं, तो उनसे कहिए- मैं 100 की उम्र के बाद सोचूंगा।’ ये बात जापान के ओकिनावा के गांव ओगिमी में एक पत्थर पर लिखी है। ये सिर्फ बात नहीं, ओकिनावा के लोगों का जीवन मंत्र है। ओकिनावा दुनिया की उन 5 जगहों में से है, जहां लोग ज्यादा जीते हैं। यहां 100 साल उम्र वाले 1300 से ज्यादा लोग हैं। ये टैक्सी चलाते हैं। अपना खाना खुद बनाते हैं। खेती करते हैं। दोस्त बनाते हैं। घूमने जाते हैं। ओकिनावा का हर शख्स चाहता है कि 100 साल से ज्यादा जिए। ऐसा कैसे होता है, इसका जवाब 104 साल की एक महिला से मिला। वे कहती हैं, ‘मैं हर दिन एक खास उम्मीद के साथ उठती हूं। पौधों को पानी देने, पड़ोसियों का हाल पूछने और सूरज को देखकर मुस्कुराने के लिए। लंबी उम्र और खुश रहने के लिए इतना ही काफी है।’ आज 12 जुलाई को डे ऑफ होप यानी उम्मीदों का दिन हैं। इस मौके पर दैनिक भास्कर के रिपोर्टर शादाब समी ओकिनावा पहुंचे। यहां के लोग कभी उम्मीद नहीं छोड़ते, जिंदगी को उत्सव मानते हैं। इसीलिए लंबी उम्र जीते हैं। यहां हमें 78 साल की कैब ड्राइवर मिलीं, 91 साल के एक डॉक्टर भी, जो इंग्लिश की ट्यूशन ले रहे हैं। पढ़िए ऐसे कुछ किरदारों की कहानियां। दोपहर के दो बज रहे थे। मैं ओकिनावा प्रांत की राजधानी नाहा के एक चौराहे पर खड़ा था। गर्मी की हल्की चुभन लिए धूप थी। मैंने टैक्सी रोकने के लिए हाथ उठाया। हरे रंग की एक टैक्सी सामने आकर रुकी। ड्राइवर की सीट का शीशा नीचे हुआ, तो एक पल के लिए चौंक गया। टैक्सी एक बुज़ुर्ग महिला चला रही थीं। चेहरे की झुर्रियां बता रही थीं कि उम्र 70 साल से ज्यादा ही होगी। हुलिया बिल्कुल किसी नौजवान जैसा। रंग-बिरंगा कुर्ता, हाथों में ग्लव्स, कलाई में स्टाइलिश ब्रेसलेट और आंखों पर चश्मा। टैक्सी में बैठते ही बातचीत शुरू हुई। नाम और उम्र पूछने पर हंसते हुए बोलीं- ‘मेरा नाम शिमा है। मैं 78 साल की हूं।’ फिर बोलीं, ‘मेरी आंखें आज भी बिल्कुल ठीक हैं। इस उम्र में भी नंबर वाला चश्मा नहीं लगाती।’ इस फिटनेस का राज क्या है? जवाब में शिमा ने टैक्सी में रखा फूड बॉक्स दिखा दिया। बोलीं- ‘यह लेट्यूस है। हरी सलाद पत्ती। मैं रोज खाती हूं। ओकिनावा का खाना और हमेशा खुश रहने की आदत से जिंदगी लंबी और सेहतमंद होती है।’ शिमा अकेली नहीं हैं। ओकिनावा की सड़कों पर ऐसी कई कहानियां सांस लेती हैं। दुकानों पर सामान बेचते, अपना सामान खुद लेकर चलते 100 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग सिर्फ लंबी उम्र आंकड़ा नहीं, यहां का ‘ओल्ड नॉर्मल’ हैं। लंबी उम्र का राज: हमेशा काम में लगे रहना, नया सीखते रहना, तनाव छोड़कर खुश रहनाबुजुर्गों की सेहतमंद जिंदगी का राज और उनकी उम्मीद को समझने हम ओकिनावा रिसर्च सेंटर फॉर लॉन्गिविटी साइंस पहुंचे। डॉ. मकोटो सुजुकी इस सेंटर के चीफ डायरेक्टर हैं। ओकिनावा रिसर्च सेंटर फॉर लॉन्गिविटी साइंस ने 1975 में सेंटेनेरियन स्टडी शुरू की थी। हमने डॉ. सुजुकी खुद भी 91 साल के हैं। मैंने उनसे पूछा ओकिनावा के लोगों की जिंदगी ऐसी कैसे है? वे बताते हैं, ‘हमने स्टडी शुरू की थी, तब हमें 32 सेंटेनेरियन यानी 100 साल से ज्यादा जीने वाले लोग मिले थे। हैरानी वाली बात यह थी कि 32 में से 29 बुजुर्ग बिल्कुल सेहतमंद थे, वे सुन सकते थे, देख सकते थे, चल सकते थे। वे अपना हर काम खुद कर सकते थे।’ आज सिर्फ ओकिनावा में 1300 से ज्यादा सेंटेनेरियन रहते हैं। पूरे जापान में ऐसे 95 हजार से ज्यादा लोग हैं। ओकिनावा में एक लाख लोगों पर सबसे ज्यादा सेंटेनेरियन पॉपुलेशन है। इसकी वजह ओकिनावा के लोगों की सोच है। ‘100 साल की उम्र के लोग अपना खाना खुद बनाते हैं। गार्डनिंग करते हैं। मैं खुद 91 साल की उम्र में मरीज देखता हूं। ड्राइव करता हूं। आजकल अंग्रेजी की ट्यूशन ले रहा हूं। खुद को व्यस्त रखना, हमेशा नया सीखते रहना और तनाव छोड़कर खुश रहना ओकिनावा के लोगों के लंबे जीवन का राज है। खुद को लोगों से अलग मत कीजिए, उनके बीच रहिए, उम्र चाहे जो भी हो।‘ डॉ. सुजुकी के 3 मंत्र1. नानकुरुनैसा : जीवन जैसा है, उसे स्वीकार कीजिएमुश्किल समय आए तो सोचिए यह तो होना ही था और आगे बढ़िए। जो हो रहा है, होने दीजिए। तनाव मत लीजिए। उम्मीद रखिए कि आप वापसी करेंगे। जीवन को स्वीकार कीजिए। 2. मोआई : दोस्तों का ग्रुप बनाइएअपने दोस्तों का ग्रुप बनाइए। हफ्ते में कम से कम एक बार उनसे मिलिए। पार्टी कीजिए। मुश्किल के वक्त सहयोग और एकजुटता दिखाइए। 3. इकीगाई : जीवन में एक प्रेरणा होना चाहिएइकीगाई आपको रोज सुबह उठने की प्रेरणा देती है। आपके पास एक मकसद होना चाहिए। यह पारिवारिक जिम्मेदारी, म्यूजिक सीखने से लेकर गमले में पानी डालने जैसी बातें भी हो सकती हैं। 15 तरह का खाना, नीचे बैठने की आदत बढ़ाती है उम्रओकिनावा के लोग स्वीमिंग करते हैं। खाने में हरी सब्जियां और मछली लेते हैं। बुजुर्गों की डाइट में हल्दी भी शामिल है। इन सबसे जरूरी है एक शब्द ‘यूईमाहरू’ को समझना। इसका मतलब है, एक दूसरे की मदद करने की आदत। ओकिनावा की संस्कृति और सामाजिक ताने–बाने को समझाते हुए ये बात होरिकावा सतोशी नाम के शख्स ने बताई। यहीं हम 79 साल की मियाजातो हात्सुको से मिले। दोस्तों के साथ एक स्टॉल पर बैठीं हात्सुको कहती हैं, ‘ओकिनावा का खाना सबसे अच्छा होता है। यही आपकी उम्र लंबी करता है। यहां मेडिकल सुविधाएं भी बहुत अच्छी हैं। अगर आप बीमार पड़ते हैं, तो उम्मीद कर सकते हैं कि ठीक होकर वापस आ जाएंगे और दोबारा खाने का मजा लेंगे।’ बात करते हुए वे अपने घुटनों पर हाथ रखते हुए कहती हैं, देखिए आज भी मेरे घुटने एकदम ठीक हैं। इसी पूरी बातचीत के दौरान मन में कुछ सवाल उठे। इस संस्कृति को और समझने और अपने सवालों के जवाब जानने हम ओकिनावा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. क्रेग विलकॉक्स के पास पहुंचे। डॉ. विलकॉक्स लंबे समय से ओकिनावा के बुजुर्गों की लाइफ स्टाइल पर स्टडी कर रहे हैं। पढ़िए पूरी बातचीत- सवाल: ओकिनावा के लोगों की उम्र इतनी ज्यादा क्यों होती है?जवाब: खाना इसकी बड़ी वजह है। यहां का खाना कम कैलोरी वाला और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है। बुजुर्ग दिनभर एक्टिव रहते हैं। रोज टहलने जाते हैं, गार्डनिंग करते हैं। सवाल: ओकिनावा के लोग क्या खाते हैं?जवाब: ये कम भोजन करते हैं। रोज 1800 कैलोरी से ज्यादा नहीं लेते। वे शकरकंद, करेला, समुद्री शैवाल, हरी सब्जियां, टोफू और हल्दी खाते हैं। रेड मीट, डेयरी और प्रोसेस्ड फूड कम खाते हैं। सवाल: यहां के लोग कितने एक्टिव रहते हैं?जवाब: यहां 80 से 100 साल के बुजुर्ग भी खेती करते हैं। पैदल चलते हैं। ओकिनावा के गांवों में, शहरों के ज्यादातर घरों में गार्डन जरूर होता है। बुजुर्ग दिनभर गार्डन में कुछ न कुछ करते रहते हैं। 4. क्या यहां सभी लोग फिट हैं?जवाब: पुरानी लाइफस्टाइल से जीने वाले ज्यादातर लोग सेहतमंद हैं। जिन लोगों ने फास्ट फूड, प्रोसेस्ड फूड, गाड़ियों के ज्यादा इस्तेमाल जैसी पश्चिमी जीवनशैली अपनाई है, उन्हें लंबे जीवन के लिए मिलने वाला फायदा कम हुआ है। लंबी उम्र के लिए ये तीन चीजें सीख लीजिए- 1. दिनभर में अलग-अलग तरह की चीजें खाइएओकिनावा के लोग एक दिन में करीब 15 से 18 तरह की चीजें खाते-पीते हैं। वे रोजाना 7-8 तरह की फल-सब्जियां खाते हैं। उनके अलग-अलग तरह के खानों में 200 से ज्यादा तरह के मसाले जरूरत के हिसाब से इस्तेमाल होते हैं। इससे शरीर को सभी जरूरी पोषक तत्व मिलते हैं। उनके भोजन में हल्दी और अदरक जरूर होता है। यह खाना ऐसा होता है, जो बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ाता है। 2. हारा हाची बू यानी भूख का 80% ही खानाओकिनावा के कल्चर में हारा हाची बू बहुत आम है। इसका मतलब है भूख का 80% ही खाना। 20% पेट हमेशा खाली छोड़ते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि साइंस कहता है कि दिमाग पूरी तरह पेट भरने का सिग्नल देर से भेजता है। तब तक आप ज्यादा खा चुके होते हैं। 3. नीचे बैठिए, इससे शरीर का निचला भाग मजबूत होता हैयहां के कल्चर में फ्लोर सिटिंग अहम है। इससे बढ़ती उम्र में शरीर लचीला बना रहता है और संतुलित रहता है। बुजुर्ग इससे गिरते नहीं हैं। उनके शरीर का निचला हिस्सा मजबूत रहता है। नीचे बैठने की आदत ​से बार-बार उठना भी पढ़ता है, इससे शरीर मजबूत होता है। दुनिया में ओकिनावा समेत 5 ब्लू जोन ब्लू जोंस की खोज राइटर और जर्नलिस्ट डैन ब्यूटनर ने की थी। ब्लू जोंस यानी दुनिया की वे जगहें जहां सबसे सेहतमंद और लंबी उम्र वाली आबादी रहती है। इनमें जापान का ओकिनावा, इटली का सार्डिनिया, कोस्टारिका का निकोया, ग्रीस का इकारिया और अमेरिका का लोमा लिंडा शामिल हैं। सार्डिनिया, इटली सार्डिनिया में महिलाओं की औसत उम्र 85 साल और पुरुषों की 79 साल है। सार्डिनिया को दुनिया का पहला ब्लू जोन माना जाता है। यहां के लोग बाकी दुनिया अलग-थलग रहते हैं। यहां के लोग आज भी साथ में शिकार करते हैं। मछली पकड़ते हैं और फसल काटते हैं। वे उम्रभर दोस्तों और परिवार के साथ रहते हैं। सार्डिनियन लोगों के खाने में साबुत अनाज की रोटी, घर के बगीचे की सब्जियां और फल शामिल रहता है। निकोया, कोस्टा रिका सेंट्रल अमेरिका का ये देश निकारागुआ से करीब 80 मील दूर निकोया द्वीप में है। यहां के लोग जॉइंट फैमिली में रहते हैं। बुजुर्ग अपने बच्चों और नाती-पोतों के साथ रहते हैं। यहां के पानी में बहुत ज्यादा कैल्शियम होता है। इससे दिल की बीमारियों का खतरा कम होता है। हड्डियां मजबूत होती हैं। यहां के लोग कम कैलोरी वाला खाना खाते हैं। शाम को जल्दी हल्का खाना खाते हैं। इकारिया, ग्रीस एजियन सागर में मौजूद इस छोटे से द्वीप का लंबा इतिहास है। यहां फारसियों, रोमन और तुर्क के हमले होते रहे। इसलिए यहां के लोग समुद्री तटों से दूर अंदरूनी इलाकों में बस गए। इस वजह से ये बाकी दुनिया से दूर गए। इकारियन लोग डिमेंशिया जैसी बीमारियों से लगभग दूर हैं। हर तीन में से एक व्यक्ति 90 साल तक जिंदा रहता है। इनके खाने में फल, सब्जियां, साबुत अनाज, आलू और जैतून का तेल शामिल है। लोमा लिंडा, अमेरिका लोमा लिंडा के लोग बाकी अमेरिकियों के मुकाबले करीब 10 साल ज्यादा जीते हैं। उनकी लंबी उम्र का राज शाकाहार और एक्सरसाइज मानी जाती है। इसके अलावा यहां के लोग सिगरेट और शराब नहीं पीते। रोजमर्रा की भागदौड़ भरी जिंदगी से हफ्ते में एक दिन ब्रेक लेते हैं। 24 घंटे परिवार, ईश्वर और प्रकृति को देते हैं। उनका मानना है कि इससे तनाव कम होता है, रिश्ते मजबूत होते हैं।

दैनिक भास्कर 12 Jul 2025 4:04 am

DNA: जनसंख्या दिवस पर जगाने वाला विश्लेषण, पाकिस्तान की आबादी दुनिया के लिए 'अलर्ट'

Pakistan news: आबादी परPEWरिसर्च संस्था ने एक शोध तैयार किया है. इस रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2100 तक यानी अगले 75 सालों में पाकिस्तान की आबादी 65 फीसदी तक बढ़जाएगी, इससे दुनिया में क्या-क्या खतरा बढ़ जाएगा, आपके लिए जानना बहुत जरूरी है.

ज़ी न्यूज़ 12 Jul 2025 12:29 am

क्या पोलैंड की सीमा पर शुरू हुई जांच शेंगन के अंत की शुरुआत है?

यूरोप के अलग-अलग देशों की सीमाएं सिर्फ कागजों तक सीमित थीं. लोग बिना रोक-टोक एक देश से दूसरे देश में चले जाते थे, लेकिन अब यहां सीमाओं पर फिर से कड़े नियम लागू किए जा रहे हैं, पर क्या इससे कोई फायदा हो रहा है?

देशबन्धु 11 Jul 2025 4:00 pm

भारतीय मीडिया ने 23 लाख रुपये में दुबई का गोल्डन वीजा मिलने का फर्जी दावा चलाया

बूम ने पाया कि UAE की फेडरल अथॉरिटी आईसीपी ने 23 लाख रुपये में दुबई का गोल्डन वीजा मिलने का दावा करने वाली इन मीडिया रिपोर्ट को पूरी तरह से खारिज किया है.

बूमलाइव 11 Jul 2025 2:27 pm

ब्रिटेन के हर घर से निकलेगा सीरियल किलर और हत्यारा? रिपोर्ट जो आई सामने पूरी दुनिया हो जाएगी दंग

Serial killer baby names rise in UK:अगर आप से कोई कहे कि ब्रिटेन के हर घर से सीरियल किलर निकलेगा तो आप सोच में पड़ सकते हैं. आखिर यह कैसे हो सकता है कि पूरे देश में कोई अच्छे लोग ही नहीं निकलेंगे. लेकिन यह सच है, यह हम नहीं कह रहे हैं इसके लिए एक बकायदा रिपोर्ट सामने आई है. जिसके बाद इस पर खूब चर्चा हो रही है. रिपोर्ट में एक्सपर्ट ने चेताया भी है. जानें पूरी रिपोर्ट.

ज़ी न्यूज़ 11 Jul 2025 2:20 pm

'सरकारी गवाह बन जाओ, वरना फांसी दे देंगे...', बांग्लादेश के पूर्व IGP को जेल में मार-मार कर कबूलवाया गया गुनाह, टॉर्चर की कहानी आई सामने

Bangladesh News:बांग्लादेश की सियासत में एक बार फिर तूफान खड़ा हो गया है. अवामी लीग ने सनसनीखेज दावा किया है कि पूर्व पुलिस महानिरीक्षक (IGP) अब्दुल्ला अल मामून को जेल में बेरहमी से टॉर्चर किया गया और धमकियां देकर सरकारी गवाह बनने के लिए मजबूर किया गया.

ज़ी न्यूज़ 11 Jul 2025 1:22 pm

अहमदाबाद प्लेन क्रैश: क्या फ्यूल का स्विच बंद था? अमेरिका रिपोर्ट में बड़ा दावा

Air India crash investigation:12 जून को एयर इंडिया का प्लेन कैसे क्रैश हुआ था? इसका जवाब मिलने वाला है. इससे पहले अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट में बड़ा दावा किया गया है. 30 सेकेंड के भीतर ही गिरे प्लेन के ईंधन से जुड़े स्विच को लेकर बड़ी बात कही गई है.

ज़ी न्यूज़ 11 Jul 2025 1:15 pm

संयुक्त राष्ट्र की एक्सपर्ट महिला को ट्रंप ने अचानक किया बैन, अब सीधे UN से क्यों भिड़ा अमेरिका?

Francesca Albanese: मार्को रुबियो ने उन पर प्रतिबंधों की घोषणा की है . उन्होंने अल्बानीज पर आरोप लगाया कि उन्होंने अमेरिका और इजरायल के खिलाफ ICC को कार्रवाई के लिए उकसाया जो अमेरिका की संप्रभुता का उल्लंघन है.

ज़ी न्यूज़ 11 Jul 2025 11:44 am

कनाडा को मजबूत बना रहे... ट्रंप ने फोड़ा 35% टैरिफ वाला बम, आ गया कनाडाई PM का जवाब

Canada PM Mark Carney: एक्स पर एक पोस्ट में कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने कहा कि कनाडा ने उत्तरी अमेरिका में फेंटेनाइल को रोकने के लिए महत्वपूर्ण प्रगति की है और वह अमेरिका के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है.

ज़ी न्यूज़ 11 Jul 2025 10:31 am

शांगहाई में आयोजित होगा 2025 विश्व एआई सम्मेलन

शांगहाई शहर के सरकार सूचना कार्यालय से मिली खबर के अनुसार, 2025 विश्व कृत्रिम बुद्धिमत्ता सम्मेलन (डब्ल्यूएआईसी) आगामी 26 से 28 जुलाई तक शांगहाई में आयोजित होगा

देशबन्धु 11 Jul 2025 9:54 am

Video: 10 लाख का इनामी, भारत का कट्टर दुश्मन...कौन है हरजीत सिंह लाडी? कनाडा में कपिल शर्मा के कैफे पर बरसाई गोलियां, जानें पूरी कुंडली

Who is Harjeet Singh Laddi:कनाडा में कॉमेडियन कपिल शर्मा ने अपना एक कैफे का उद्घाटन किया था. अभी कुछ दिन ही हुए थे कि अज्ञात हमलावरों ने कैफे की इमारत पर कई राउंड गोलियां चला कर सनसनी पैदा कर दी. अब इस हमले के पीछे खालिस्तानी आतंकवादी हरजीत सिंह लाडी का नाम सामने आ रहा है. आइए जानते हैं कौन है हरजीत सिंह लाडी, क्या है इसकी पूरी कुंडली.

ज़ी न्यूज़ 11 Jul 2025 8:07 am

डराया-फुसलाया-फिर पास बुलाया, आखिर में ट्रंप ने पड़ोसी देश पर ठोक दी 35 परसेंट टैरिफ

Trump tariff: ट्रंप ने कुछ देशों के साथ टैरिफ लागू करने की तारीख 9 जुलाई से बढ़ाकर 1 अगस्त कर दी थी ताकि बातचीत का मौका मिल सके. लेकिन इन सबके बीच कुछ देशों पर उनकी टेढ़ी नजर बनी हुई है. नया ऐलान उसी का परिणाम है.

ज़ी न्यूज़ 11 Jul 2025 7:23 am

स्पॉटलाइट- भारतीय नर्स निमिषा फांसी से बचेगी या नहीं:16 जुलाई को यमन में होनी है फांसी, 14 को सुप्रीमकोर्ट में सुनवाई, देखें वीडियो

यमन के जेल में बंद भारतीय नर्स निमिषा प्रिया, जुर्म- हत्या, सजा- 16 जुलाई को यमन की राजधानी में फांसी, लेकिन इसके पहले 14 जुलाई को मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट भारत सरकार को दखलंदाजी के लिए कह सकता है. आखिर भारतीय महिला ने किसकी हत्या की और क्यों? क्या उसकी फांसी को रोका जा सकता है? भारत सरकार के पास निमिषा की फांसी रोकने के क्या विकल्प हैं, पूरी जानकारी के लिए ऊपर दी गई इमेज पर क्लिक कर देखें वीडियो

दैनिक भास्कर 11 Jul 2025 4:45 am

बहन को मारकर बोला भाई-अब्बू तेरी शादी कब्र में करेंगे:पांच ताबूत बनाए, बेहोश मां-बाप, भाई-बहन को डालकर पानी भरा; फैमिली किलर पार्ट-1

पश्चिम बंगाल के मालदा सिटी से 25 किलोमीटर दूर 16 माइल गांव। सुबह के करीब 6 बज रहे थे। तारीख थी- 28 फरवरी, 2021। 19 साल का एक दुबला-पतला लड़का, दो मंजिला गोदाम में बैठकर धारदार आरी से प्लाईवुड काट रहा था। लड़के का नाम था आसिफ। उसने तेज आवाज में गाने भी बजा रखे थे। गाने और आरी की आवाज सुनकर अम्मी ने आवाज लगाई- ‘आसिफ, सुबह-सुबह आरी क्यों चला रहा है। इतनी तेज आवाज में गाने क्यों बजा रहा है?’ पसीने में भीगा हुआ आसिफ जोर से चिल्लाया- ‘कितनी बार कहा है मेरे काम के बीच में कुछ मत बोला करो। मेरा कंसंट्रेशन बिगड़ जाता है। मैं अभी बड़े प्रोजेक्ट पर काम कर रहा हूं। तुम लोग भी अमेरिका जाने की तैयारी करो। फटाफट पैकिंग करो। मुझे डिस्टर्ब मत करो।’ भनभनाते हुए आसिफ बचे हुए प्लाईवुड काटने लगा। करीब चार-पांच घंटे बाद पांच ताबूत बनकर तैयार हो गए। ताबूत देखते हुए आसिफ बुदबुदाया- ‘इसमें पानी कैसे भरूंगा?’ उसने पांचों ताबूत के ढक्कन में आरी की मदद से छेद बनाए। फिर हाथ-पैर झाड़ते हुए बोला-‘चलो एक प्रोजेक्ट तो पूरा हो गया। अब दूसरे की बारी।’ आसिफ गोदाम से घर की ओर चल दिया। गोदाम में केवल दो दरवाजे थे एक मेन गेट और छोटा गेट। इसी छोटे गेट से आसिफ के घर का रास्ता जाता था। तब तक दोपहर के करीब 12 बज चुके थे। अम्मी ईरा बीबी ने आसिफ से कहा- ‘चलो खाना खा लो। अब्बू भी आ चुके हैं खेत से।’ ईरा रसोई में खाना निकालने चली गई। ‘हां, अम्मी तुम चलो, खाना लगाओ। मैं ऑरेंज जूस लेकर आता हूं।' कहते हुए आसिफ फ्रिज से जूस की बॉटल निकालकर अपने कमरे में ले गया। फिर टेबल से दवा की एक स्ट्रिप उठाई और 15-20 टैबलेट निकालकर जूस की बॉटल में डाल दीं। जूस में टैबलेट मिक्स करते हुए डाइनिंग हॉल में पहुंचा और बोला- ‘जूस को कुछ देर और फ्रिज में रख देता हूं, अभी ज्यादा ठंडा नहीं है।’ आसिफ के अब्बू जावेद अली, अम्मी ईरा बीबी, बड़ा भाई आरिफ, छोटी बहन आरिफा खातून और दादी अलेक्जन डाइनिंग टेबल पर बैठकर खाना खाने लगे। खाना खत्म होने के तुरंत बाद आसिफ बोला- ‘आरिफ दादा, फ्रिज से जूस निकालकर सभी को पिलाओ।’ आरिफ उठा और फ्रिज से ऑरेंज जूस की बॉटल निकालकर ले आया। ‘मैं थोड़ा कम लूंगा।’, कहते हुए आसिफ ने 6 गिलास निकाले और सभी में जूस भर दिया। खुद जूस का गिलास लेकर गोदाम की तरफ जाते हुए बोला- ‘तुम लोग आराम से जूस पियो। मैं अपने अगले प्रोजेक्ट पर काम करने जा रहा हूं। कोई डिस्टर्ब नहीं करेगा।’ गोदाम पहुंचकर आसिफ ने जूस का गिलास किनारे रख दिया। फिर लैपटॉप में इंग्लिश मूवी देखने लगा। उधर, जूस पीने के कुछ देर बाद ही सभी का सिर चकराने लगा। एक-एक करके सभी के मुंह से झाग निकलने लगा और सभी बेहोश होने लगे। कुछ ही देर में हॉल में सन्नाटा पसर गया। हर कोई शांत हो गया। माहौल को भांपकर आसिफ भागता हुआ अपने डाइनिंग हॉल की तरफ आया। उसने जैसे ही दरवाजे को धक्का दिया, तो देखा- सभी लाशों की तरह कुर्सियों पर पड़े थे, लेकिन उनकी सांसें चल रहीं थीं। ये देखकर आसिफ के चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान आई। वो धीरे-धीरे सबसे पहले अपने अब्बू के पास पहुंचा। उनके दोनों बेजान हाथ लटके हुए थे। मुंह से झाग निकल रहा था। आसिफ झुका और धीरे से उनके कान में बुदबुदाया- ‘देख लिया न अब्बू, मेरी बातें न मानने का यही अंजाम होता है।’ ये कहते ही वो वापस अपने गोदाम की ओर चल दिया। गोदाम के एक कोने में करीने से पांच ताबूत रखे हुए थे। आसिफ ने सभी के ढक्कन हटाकर किनारे रखे और डाइनिंग हॉल की तरफ लौट आया। कुछ सोचते हुए नाक-भौंह सिकोड़कर बोला- ‘शुरुआत किससे करूं? अब्बू से ही करता हूं।’ आसिफ ने कंधे के सहारे अब्बू के दोनों हाथ कसकर पकड़े और घसीटकर गोदाम ले जाने लगा। कुछ देर बाद वह हांफने लगा। रुककर थोड़ा सुस्ताया, फिर अब्बू को घसीटने लगा। गोदाम पहुंचते ही उसने ताबूत के करीब जमीन पर अब्बू को पटक दिया। फिर बुदबुदाया- ‘ताबूत में पानी भी तो भरना है। ऐसे तो पूरा पानी बह जाएगा। इसमें पॉलिथीन लगानी पड़ेगी।’ आसिफ फौरन घर के ऊपर वाले कमरे की ओर भागा और एक पॉलिथीन का बंडल ले आया। पांचों ताबूत के साइज के हिसाब से काटकर सभी में बिछा दी। फिर पूरी ताकत से अब्बू को उठाया और ताबूत के अंदर पटक दिया। अब्बू के शरीर में कोई हलचल तो नहीं थी, लेकिन मुंह से झाग अभी भी निकल रहा था। आसिफ ने सामने टेबल पर रखा टेप उठाया और अब्बू के हाथ-पैर में लपेट दिया। उठते हुए सोचा- ‘कहीं बीच में ही होश आ गया तो… मुंह पर भी टेप चिपका देता हूं।’ टेप चिपकाने के बाद उसने इधर-उधर देखा और एक हथौड़ा लेकर आया। ताबूत का ढक्कन लगाया और चारों तरफ से कील ठोंककर पैक कर दिया। ढक्कन में एक छेद था, आसिफ उसी से ताबूत में पानी भरने लगा। उधर, अभी भी डाइनिंग हॉल में बाकी लोग बेजान पड़े थे। कुछ देर बाद आसिफ वापस आया और अम्मी ईरा बीवी के दोनों पैर पकड़कर खींचते हुए गोदाम में ले जाने लगा। अम्मी को जमीन पर पटककर बुदबुदाया- ‘तुम्हें अब्बू के बगल वाले ताबूत में ही रखूंगा अम्मी, चिंता मत करो।’ एक ताबूत खींचकर लाया और अब्बू के ताबूत के बगल में रख दिया। अम्मी को इसमें डालकर हाथ-पैर टेप से बांध दिए और मुंह पर भी टेप चिपका दिया। ताबूत का ढक्कन लगाया और इसमें भी पानी भर दिया। फिर भागता हुआ वापस डाइनिंग हॉल में आया। 15 साल की बहन आरिफा खातून कुर्सी के नीचे अधमरी पड़ी थी। आसिफ ने उसे उठाया और चेहरा देखते हुए बोला- ‘अब अब्बू तुम्हारी शादी कब्र में ही करेंगे। चलो।’ दोनों हाथ पकड़कर उसे भी घसीटते हुए गोदाम में ले आया। फिर तीसरा ताबूत भी अब्बू-अम्मी के ठीक बगल में रख दिया। आरिफा को ताबूत में डालकर हाथ-पैर में टेप लपेटा और ढक्कन लगा दिया। कील ठोंककर इसमें भी पानी भर दिया। अब तक आसिफ पसीना-पसीना हो चुका था। जहां ताबूत रखे थे, वहीं एक कोने में बैठकर सुस्ताने लगा। कुछ देर बाद उठा और बोला- ‘अब बुढ़िया की बारी है।’ आसिफ डाइनिंग हॉल में दादी की कुर्सी के पास पहुंचा। पूरी ताकत के साथ उन्हें उठाया, लेकिन वजन ज्यादा था, इसलिए दादी कुर्सी से हिली भी नहीं। आसिफ को गुस्सा आ गया। वो फौरन रस्सी लेकर आया और दादी के दोनों पैरों में बांध दी। फिर रस्सी के सहारे खींचते हुए गोदाम ले गया। इस बार आसिफ को काफी ज्यादा समय लगा। अब उसने दादी को भी ठीक उसी तरह ताबूत में डालकर पैक कर दिया जैसे बाकी तीनों को किया था। इसमें भी पानी भर दिया। फिर दांत पीसते हुए बोला- ‘अब तेरी बारी आरिफ। अम्मी-अब्बू का फेवरेट है न तू, अब तू भी जा उनके साथ ही रहना।’ अब आसिफ अपने भाई को लेने वापस डाइनिंग हॉल पहुंचा। फ्रिज से पानी की बॉटल निकाली और आरिफ के पास ही कुर्सी पर बैठकर पानी पीने लगा। फिर उसके कानों में धीरे से बोला- ‘अब्बू मेरी बात नहीं मान रहे थे, तो तू समझाता न उनको। बड़ा भाई इतना तो कर ही सकता है अपने छोटे भाई के लिए, लेकिन तूने कुछ नहीं किया।’ पानी पीने के बाद आसिफ ने आरिफ को भी घसीटना शुरू किया। इसे भी गोदाम ले जाकर ताबूत में पटक दिया। उसके साथ भी बाकियों जैसा सुलूक किया। घंटों तक आसिफ वहां बैठे पांचों ताबूतों में पानी का लेवल देखता रहा। जिसमें भी पानी कम होता, आसिफ फौरन पाइप लगा देता। ऐसा करते-करते शाम के सात बज चुके थे। आसिफ ने टॉर्च जलाकर देखा, तो ताबूत के भीतर कोई हलचल नहीं थी। अब उसे यकीन हो चुका था कि ताबूत में लेटे पांचों लोग मर चुके हैं। वो आराम से एक कोने में आकर सुस्ताने लगा। तभी एक ताबूत के भीतर कुछ हलचल हुई। वह फौरन भागकर अपने कमरे से पिस्टल लेकर आया और उस ताबूत को निशाना बनाकर तान लिया… जब सभी की मौत हो गई थी, फिर एक ताबूत में अचानक हलचल क्यों होने लगी? इस ताबूत में कौन था? वह जिंदा बच गया या आसिफ ने गोली मार दी? आखिर आसिफ ने पूरी फैमिली को मारने का प्लान क्यों बनाया? ताबूत में पानी भरकर सभी को डूबोने का प्लान कैसे बनाया? वह अपनी अम्मी से अमेरिका जाने की बात क्यों कह रहा था? पूरी कहानी फैमिली किलर पार्ट-2 में… कुछ देर तक पिस्टल ताने आसिफ इंतजार करता रहा। फिर उसने धीरे से ताबूत का ढक्कन हटाया। आरिफ तुरंत उठ खड़ा हुआ। आसिफ ने उसकी कनपटी पर पिस्टल तान दी। आरिफ सकपका गया। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। आसिफ ने तुरंत उसकी गर्दन पकड़कर घसीटना शुरू कर दिया। आरिफ हट्टा-कट्टा था, उसने आसिफ के दोनों पैर पकड़कर जमीन पर पटक दिया। कहानी पढ़िए फैमिली किलर पार्ट-2 में (नोट- यह सच्ची कहानी पुलिस चार्जशीट, कोर्ट-जजमेंट, आरिफ के मामा सीश मोहम्मद, पड़ोसी नौशाद अली और अजीज्जुर रहमान, सब-इंस्पेक्टर राकेश बिस्वास और एडवोकेट बिवस चटर्जी से बातचीत पर आधारित है।)

दैनिक भास्कर 11 Jul 2025 4:44 am

जिम ट्रेनर का होंठ गायब, सिर फटा, पुलिस बोली-डूबकर मरा:भाई बोला- पुलिसवालों ने पीटकर तालाब में फेंका, गोमांस मिलने की थ्योरी कितनी सच

सिर और आंखों के नीचे चोट के निशान, नीचे का होंठ गायब, खून से लथपथ चेहरा। बॉडी बिल्डर वसीम की डेडबॉडी घर के पास एक तालाब में इसी हालत में मिली थी। परिवार का आरोप है कि घर लौटते वक्त पुलिस ने उसे रोका था। सवाल पूछने पर बुरी तरह पीटा और तालाब में फेंक दिया। वहीं पुलिसवालों ने दावा किया कि वसीम गोमांस की तस्करी करता था। पुलिस को देखकर खुद तालाब में कूद गया। उत्तराखंड के रुड़की में रहने वाले वसीम की मौत 25 अगस्त, 2024 को हुई थी। 10 महीने तक उसका परिवार पुलिस अफसरों के चक्कर काटता रहा। 10 महीने तक इस केस की फाइलें बंद रहीं। 2 जुलाई, 2025 को हरिद्वार की सेशन कोर्ट के एक फैसले ने पूरा केस पलट दिया। कोर्ट ने 6 पुलिसवालों को आरोपी माना और FIR दर्ज कर जांच के आदेश दिए। इस मामले की पड़ताल के लिए दैनिक भास्कर रुड़की पहुंचा। हम उस जगह भी गए, जहां वसीम की लाश मिली थी। हमने उसके परिवार से बात की। पुलिस के खुलासे और अब तक की कार्रवाई को समझा। ‘बहन के घर गया था, लौटते वक्त पुलिस ने रोक लिया’वसीम का गांव सलाहपुर गड़ा रुड़की से करीब 12 किमी दूर है। यहां लोग जिम ट्रेनर मोनू का नाम लेने भर से उसके घर का पता बता देते हैं। वसीम का एक नाम मोनू भी था। गेट खटखटाने पर वसीम के चचेरे भाई अलाउद्दीन बाहर आए। अलाउद्दीन की अपील पर ही हरिद्वार कोर्ट ने आरोपी पुलिसवालों की जांच के आदेश दिए हैं। हमने अलाउद्दीन से पूछा- वसीम के साथ क्या हुआ था? वे कहते हैं, '24 अगस्त, 2024 की रात करीब 11 बजे वसीम जिम बंद करके बहन के घर खाना खाने गया था। उसकी बड़ी बहन रेशमा की शादी बगल के माधोपुर गांव में हुई है। वो कुछ अच्छा बनाती थी, भाई को बुला लेती थी। वो खाना खाकर घर लौट रहा था। रात करीब 1:30 बजे रास्ते में उसे 6 पुलिसवालों ने रोक लिया। वो जबरदस्ती उसकी तलाशी लेने लगे।' 'वसीम ने उनसे वजह पूछी तो पुलिसवाले भड़क गए। उन्होंने रास्ते में ही मेरे भाई को लाठियों से मारना शुरू कर दिया। फिर उसे सड़क के पास तालाब में फेंक दिया। वसीम जोर-जोर से चीख रहा था। उसकी आवाज सुनकर गांव के कुछ लोग उसे बचाने के लिए पहुंचे। पुलिस ने उन्हें धमकाया कि अगर इस मैटर में घुसोगे तो गोली मार देंगे। लोगों ने इस घटना का वीडियो भी बनाया था।' ‘सुबह करीब 5 बजे माघोपुर में रहने वाले हमारे एक रिश्तेदार ने बताया कि वसीम को पुलिस ने बहुत मारा है। उसकी हालत सीरियस है। तुम लोग जल्दी आ जाओ। हम लोग वहां पहुंचे तो देखा कि करीब 50 पुलिसवाले तालाब को घेरकर खड़े थे। वसीम की डेडबॉडी पानी में थी।’ ‘वसीम के अब्बू मो. नसीम ये सब देखकर जोर-जोर से चीखने लगे। उन्होंने वसीम के पास जाने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया। पुलिसवालों ने उनसे कहा कि तुम्हारे बेटे ने गाय काटी है। ज्यादा हंगामा करोगे, तो पूरे परिवार को जेल में डाल देंगे।' ‘सुबह 8 बजे वसीम की डेडबॉडी तालाब से निकाली गई। दोपहर 2 बजे से पहले पोस्टमॉर्टम करा दिया गया। इसके बाद कड़ी सुरक्षा के बीच डेडबॉडी को दफन करवा दिया गया।’ ‘वसीम डूबकर मरा, तो उसके शरीर में चोटें कैसे लगीं’ अलाउद्दीन पूरे मामले में पुलिस के रवैये पर शक जताते हैं। वे कहते हैं, ‘पुलिस कह रही है कि वसीम की मौत डूबने से हुई है। ये झूठ है। उसकी डेडबॉडी निकाली गई, तब उसका चेहरा बुरी तरह फटा हुआ था। होंठ गायब थे और सिर पर गहरी चोट के निशान थे। उसके शरीर पर टी-शर्ट नहीं थी। अगर कोई खुद से पानी में कूदेगा, तो क्या पहले ये सोचेगा कि टीशर्ट उतारकर पानी में कूदूं। वसीम तैरना जानता था। हम कैसे मान लें कि उसकी मौत डूबने से हुई है। ‘वसीम की मौत के बाद हमने गंगनहर थाने में लिखित शिकायत दी। हमारी शिकायत दर्ज नहीं की गई। जनरल डायरी में लिख लिया गया। 10 महीने तक हम उसकी हत्या का केस दर्ज करवाने के लिए SP ऑफिस के चक्कर लगाते रहें, लेकिन केस दर्ज नहीं हुआ। हमने हरिद्वार लोअर कोर्ट में अपील डाली। अब फैसला हमारे हक में आया है।’ अलाउद्दीन आगे कहते हैं, ‘मेरा भाई वसीम स्टेट लेवल बॉडी बिल्डिंग चैंपियन था। उसने कभी किसी को थप्पड़ तक नहीं मारा। पुलिस बोल रही है कि वसीम ने गाय काटी। 22 साल के लड़के को 6 पुलिसवालों ने मरने तक पीटा। उसका सिर फाड़ दिया, चेहरा कुचल दिया। उसने बचने की कोशिश की, लेकिन उसे तालाब में फेंक दिया गया। उसके कातिल पुलिसवाले आज भी ड्यूटी कर रहे हैं।' वसीम के परिवार ने सब-इंस्पेक्टर शरद सिंह, कॉन्स्टेबल सुनील और प्रवीण सैनी सहित 6 पुलिसवालों पर हत्या का आरोप लगाया है। 5 बहनों का चहेता, घर का अकेला कमाने वाला था वसीम वसीम की मौत के बाद उसकी मां समा परवीन सदमे में हैं। उनकी तबीयत ठीक नहीं रहती। वालिद मो. नसीम भतीजों की मदद से हत्या का केस लड़ रहे हैं। बेटे को याद करते हुए नसीम कहते हैं, ‘वो 4 भाइयों में सबसे बड़ा था। 5 बहनों का चहेता भाई।’ ‘हम तो उम्मीद छोड़ चुके थे। हरिद्वार कोर्ट ने हमारे मामले को गंभीरता से लिया और पुलिसवालों पर केस दर्ज करने के लिए कहा है। हम जज साहब का शुक्रिया अदा करते हैं कि उन्होंने हमारी बात सुनी और दोबारा सुनवाई शुरू की है। हम यही चाहते हैं कि बेटे की मौत की CBI जांच हो।’ वसीम के परिवार की 3 मांगे हैं... 1. आरोपी पुलिसवालों पर एक्शन: वसीम की मौत के आरोपी पुलिसवाले हैं। पुलिस ही उनकी जांच कर रही है। ऐसे में निष्पक्ष तरीके से जांच होगी, इस पर शक है। इसलिए CBI जांच की जाए। 2. घरवालों की सुरक्षा: वसीम घर के इकलौते कमाने वाले थे। अब घर में कोई बड़ा नहीं है। ऐसे हालात में परिवार की महिलाओं और बच्चों के साथ कोई घटना हो सकती है। इसलिए परिवार को सुरक्षा दी जाए। 3. गवाहों को धमकाना बंद हो: पुलिसवाले इस केस के गवाहों को धमका रहे हैं। गवाहों की कमी इस केस में रुकावट डाल सकती है। ऐसे पुलिस वालों पर कार्रवाई हो। गांववाले बोले- हमने देखा पुलिसवाले वसीम को पीट रहे थेवसीम के परिवार से मिलने के बाद हम उस तालाब पर गए, जहां वसीम की डेडबॉडी मिली थी। ये तालाब माधोपुर कस्बे में है। यहां मुस्लिम आबादी ज्यादा है। ज्यादातर लोग दिहाड़ी मजदूर हैं या कबाड़ का काम करते हैं। हमने तालाब के किनारे रहने वाले लोगों से वसीम के बारे में पूछा। उन्होंने बात तो की, लेकिन कैमरा पर आने के लिए तैयार नहीं हुए। तालाब के किनारे रहने वाले एक शख्स ने बताया, ‘पुलिसवालों ने उस रात वसीम को खूब पीटा। वो हाथ जोड़कर माफी मांग रहा था। उन लोगों ने उसकी बात नहीं सुनी। वसीम के चिल्लाने की आवाज सुनकर हम लोग बाहर आ गए। पुलिसवालों ने हमें डांटा और घर के अंदर जाने के लिए कहा।’ रुड़की पुलिस का दावा- वसीम के पास गोमांस के पैकेट मिलेरुड़की पुलिस ने जांच रिपोर्ट में बताया है कि घटना वाले दिन उत्तराखंड पुलिस की गौ संरक्षण स्क्वॉड माघोपुर में गश्त पर निकली थी। इसी बीच एक शख्स स्कूटर से आया। वो पुलिस को देखकर स्कूटर छोड़कर भागने लगा। पुलिस को उसकी गाड़ी से मांस के पैकेट मिले। पुलिस ने संदिग्ध को पकड़ने की कोशिश की। वो बचने के लिए तालाब में कूद गया। डूबने की वजह से उसकी मौत हो गई। उसकी पहचान वसीम के तौर पर हुई। रुड़की पुलिस के मुताबिक, जांच में ये भी सामने आया है कि वसीम को पकड़ा गया तो कुछ लोकल लोग उसे छोड़ने के लिए पुलिस को धमकाने लगे। 100-150 लोगों की भीड़ ने वसीम को भगाने की कोशिश की। लोगों ने स्कूटी और बरामद मांस को गायब कर दिया। इस पर थाना पुलिस ने कुछ लोगों पर मुकदमा भी दर्ज किया था। पुलिस ने दावा किया कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से पता चला है कि वसीम के शरीर पर चोटें किसी सख्त चीज से टकराने की वजह से आई हैं। उसका निचला होंठ पंगेसियस मछली के काटने से गायब हुआ है। इंस्पेक्टर बोले- पुलिसवालों के खिलाफ केस दर्ज करने पर स्टे मिलावसीम की मौत के बाद उसके भाई अलाउद्दीन ने पुलिस पर आरोप लगाते हुए सबूत दिखाए। इन्हें गंभीर मानते हुए हरिद्वार कोर्ट के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अविनाश कुमार श्रीवास्तव ने कहा- पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में मौत से पहले शरीर पर 6 चोटों के निशान दिखाए गए हैं। इससे पता चलता है कि वसीम को बुरी तरह पीटा गया था। जांच रिपोर्ट से पुष्टि होती है कि आरोपी पुलिसवाले घटना वाली जगह मौजूद थे। इसलिए, इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि आरोपियों ने वसीम को पीटा होगा और उसे तालाब में फेंक दिया। कोर्ट ने गंगनहर कोतवाली पुलिस को SI शरद सिंह समेत 6 पुलिसवालों के खिलाफ केस दर्ज करने के आदेश दिए। इसके अलावा SSP हरिद्वार से कहा कि मामले की जांच CO रैंक के अधिकारी से कराई जाए । इस फैसले के बाद पुलिस ने क्या कार्रवाई की, इस पर हमने गंगनहर थाने के इंस्पेक्टर आरके सकलानी से बात की। उन्होंने बताया, ‘लोअर कोर्ट के आदेश के बाद हमने इस मामले में रिवीजन अपील दाखिल कर अपना पक्ष रखा। हमने 6 पुलिसवालों पर FIR दर्ज न करने की बात कही।' 'मामले पर सुनवाई करते हुए डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन जज अनिरुद्ध भट्ट की कोर्ट ने CJM कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। अगली सुनवाई 21 जुलाई को होगी।' ........................................... पंजाब में टीचर की मौत, एक्सीडेंट या पुलिस का टॉर्चर, पत्नी बोलीं- शरीर पर चोट के 16 निशान पंजाब के बठिंडा में रहने वाले नरिंदर टीचर थे। एक दिन पढ़ाने गए और घर नहीं लौटे। हॉस्पिटल में उनकी डेडबॉडी मिली। आरोप है कि पुलिस ने नरिंदर को पकड़ा था। उनकी पत्नी नैंसी कहती हैं- 'पति की मौत को डेढ़ महीने से ज्यादा हो गए। पुलिस से हजार बार पूछ चुकी हूं कि मेरे पति को पकड़ा क्यों था। उनके शरीर पर चोट के 16 निशान थे, बिल्कुल एक जैसे। प्राइवेट पार्ट तक नहीं छोड़ा। पढ़िए पूरी खबर...

दैनिक भास्कर 11 Jul 2025 4:04 am

पहलगाम में 11 जानें बचाने वाले नजाकत रोजी-रोटी को मोहताज:आतंकियों से भिड़े आदिल की मां बोलीं- बेटा खोया, दिल में अब भी डर

‘22 अप्रैल की घटना के बाद टूरिज्म बिल्कुल ठप पड़ा है। पहले एक पोनी वाला दिन में 3,000-4,000 रुपए कमा लेता था, लेकिन हमले के बाद सब ठप हो गया। हमारी रोजी-रोटी टूरिज्म से ही चलती है। मेरी दो बेटियों की पढ़ाई भी इसी से चलती है।‘ पहलगाम में पोनी चलाने वाले गाइड नजाकत अहमद शाह आतंकी हमले के वक्त मौके पर ही मौजूद थे। उन्होंने आतंकी हमले में 11 टूरिस्ट्स की जान बचाई थी। अब पहलगाम हमले को ढाई महीने से ज्यादा बीत चुका है, लेकिन टूरिज्म पटरी पर नहीं आ सका है। हालांकि अमरनाथ यात्रा से थोड़ी-बहुत कमाई जरूर शुरू हुई है, लेकिन टूरिज्म पर निर्भर लोगों के हालात अब भी सुधरे नहीं हैं। उन परिवारों की तकलीफ और भी ज्यादा है, जिन्होंने इन हमलों में अपनों को खो दिया। आतंकी हमले में जान गंवाने वाले कश्मीर के आदिल हुसैन का परिवार अब तक न उन्हें खोने के गम से उबर पाया है और न हमले के खौफ से। आदिल की मां बेबीजान कहती हैं, ‘जब छोटा बेटा घर से घोड़ा लेकर निकलता है तो बस मन में उसकी सलामती की ही फिक्र रहती है।‘ पहलगाम हमले के बाद टूरिज्म पर निर्भर लोगों का क्या हाल है? हमले के बाद चर्चा में आए जिप लाइन ऑपरेटर मुजम्मिल, टूर गाइड सज्जाद और पोनी चलाने वाले गाइड नजाकत अहमद शाह किस हाल में हैं? आतंकियों की गोली लगने से जिन आदिल हुसैन की मौत हुई थी, उनका परिवार कैसी जिंदगी जी रहा है? ये जानने दैनिक भास्कर की टीम ग्राउंड पर पहुंची। सबसे पहले आदिल के परिवार से बात…मां बोलीं- हालात पहले से बेहतर, लेकिन दिल में अब भी डरबायसरन घाटी में जान गंवाने वालों में खच्चर चलाने वाले गाइड आदिल हुसैन अकेले मुस्लिम थे। आतंकियों ने उन्हें 3 गोलियां मारी थीं। आदिल का घर पहलगाम से करीब 20 किमी दूर अनंतनाग के हापतनार में है। हम आदिल के परिवार का हाल जानने के लिए उनके घर पहुंचे। घर नए सिरे से बनाया जा रहा है। आदिल के पिता सैयद हैदर शाह उसकी याद में स्मारक बनाने की मांग करते हुए कहते हैं, ‘स्मारक आदिल की याद को हमेशा जिंदा रखेगा।‘ परिवार के हाल पर सैयद बताते हैं, ‘आदिल की मां की तबीयत खराब रहती है। वो पहले से थोड़ी कमजोर हैं। आस-पास के लोग दुख बांटने आते-जाते रहते हैं, जिससे थोड़ा सहारा मिलता है।‘ अब आदिल का छोटा भाई नौशाद टूरिस्ट्स के लिए गाड़ी चलाता है। मां बेबीजान उसी सेफ्टी को लेकर परेशान रहती हैं। वे कहती हैं, ‘आदिल के जाने के बाद कुछ ठीक नहीं लगता। मेरी तबीयत भी खराब रहती है। हालांकि अब सुधर रही है। मेरा छोटा बेटा टूरिस्ट्स के लिए गाड़ी चलाता है और भाई का बेटा घोड़ा लेकर जाता है। डर तो बहुत लगता है, लेकिन मजबूरी है। अगर वो काम पर न जाएं तो घर कैसे चलेगा? कमाएगा कौन?‘ वे कहती हैं कि पिछले दो महीने में जिंदगी थोड़ी बेहतर हुई हैं, लेकिन दिल में डर बना रहता है। सब कुछ वैसा नहीं है, जैसा पहले था। बहू को सरकारी नौकरी मिलने से पिता नाखुशआदिल के परिवार को सरकार ने 16 लाख रुपए की आर्थिक मदद दी और आदिल की पत्नी को सरकारी नौकरी मिली है। हालांकि सैयद, बहू को सरकारी नौकरी मिलने से खुश नहीं हैं। वे कहते हैं, ‘आदिल की शादी को 6 साल हो चुके हैं, लेकिन उसकी पत्नी पिछले 5 साल से मायके में ही रह रही है क्योंकि उनके रिश्ते अच्छे नहीं थे। इसलिए हम चाहते थे कि नौकरी हमारे छोटे बेटे को मिले। मैंने एलजी से कहा है कि हमारी रोजी-रोटी का ख्याल रखा जाए।‘ आदिल के घर से 3-4 मकान छोड़कर ही उनकी पत्नी गुलनाज रहती हैं। उन्हें फिशिंग डिपार्टमेंट में सरकारी नौकरी मिली है। गुलनाज बताती हैं, ‘अभी 10 दिन पहले ही 21 जून को नौकरी जॉइन की है। सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक ड्यूटी होती है। अभी सब ठीक चल रहा है, कोई दिक्कत नहीं है। हालांकि उनका ससुराल वालों से ज्यादा कॉन्टैक्ट नहीं है।‘ अब 11 लोगों की जान बचाने वाले नजाकत-सज्जाद की बात…टूरिज्म ठप होने से मायूस, बोले- सरकार से कोई मदद नहीं, सिर्फ शाबाशी मिलीगाइड और पोनी (खच्चर) चलाने वाले नजाकत फिलहाल अमरनाथ यात्रा में खच्चर चला रहे हैं। 22 अप्रैल की घटना के बाद से टूरिज्म काफी कम हुआ है। बाकी लोगों की तरह ही नजाकत की जिंदगी पर भी इसका गहरा असर हुआ है। वे कहते हैं, ‘मेरी दो बेटियों की पढ़ाई और रोजी-रोटी इसी से चलती है। हमले के बाद टूरिज्म थम गया। अब तो हम सब बिल्कुल खाली हो चुके हैं।‘ नजाकत ने आतंकी हमले में जिन 11 लोगों की जान बचाई थी, वे आज भी कॉन्टैक्ट में हैं। वे बताते हैं, उनमें चार परिवार छत्तीसगढ़ के थे। लकी भैया आज भी हर रोज फोन करते हैं। वे कहते हैं कि फिर कश्मीर आएंगे। हालांकि नजाकत सरकार की तरफ से कोई मदद न मिलने से नाखुश भी हैं। वे कहते हैं कि सिर्फ हैदराबाद की एक फाउंडेशन ने मदद के नाम पर 50,000 रुपए का चेक दिया। इसके अलावा कोई मदद नहीं मिली। हालांकि CM उमर अब्दुल्ला ने उन्हें अवॉर्ड देने की बात कही है। नजाकत की तरह सज्जाद अहमद भट्ट ने भी कई लोगों की जान बचाई थी। सज्जाद ने हमले में घायल टूरिस्ट्स को पीठ पर लादकर सेफ जगह पहुंचाया था। हमने सज्जाद से कॉन्टैक्ट करने की कोशिश की, लेकिन वे अमरनाथ यात्रा में घोड़ा लेकर गए हैं इसलिए उनसे कॉन्टैक्ट नहीं हो सका। जिप लाइन ऑपरेटर मुजम्मिल का हाल…‘अल्ला-हू-अकबर के नारे लगाए तो मीडिया ने परेशान किया‘हमले के वक्त अल्ला-हू-अकबर के नारे लगाने वाले मुजम्मिल काफी चर्चा में आए थे। उन्हें राष्ट्रीय जांच एजेंसी NIA ने कई बार पूछताछ के लिए बुलाया था। पहलगाम में ही जामिया मस्जिद के पास मुजम्मिल का घर है। हम उनके घर पहुंचे तो वहां कोई नहीं मिला। पास की दुकान में बैठे कुछ लोगों ने बताया कि मुजम्मिल और उनके पिता घोड़ा लेकर अमरनाथ यात्रा में गए हैं। मुजम्मिल के पड़ोसी मीडिया से भी नाराज दिखे। उन्होंने कैमरे पर बात करने से मना कर दिया। वो कहते हैं, अल्ला-हू-अकबर का नारा लगाने पर मीडिया ने मुजम्मिल को विलेन बना दिया, जबकि अब NIA ने भी उसे बरी कर दिया है। पहलगाम में सड़कों पर भीड़, लेकिन दुकानें खालीपहलगाम में 3 जुलाई से शुरू हुई अमरनाथ यात्रा जारी है। इसके चलते सड़कों पर सुरक्षाबलों के साथ अमरनाथ यात्रियों की भारी भीड़ जरूर दिख जाएगी। हालांकि दुकानें, होटल और रेस्टोरेंट खाली पड़े हैं। बायसरन घाटी और बाकी टूरिस्ट प्लेस को अमरनाथ यात्रा तक बंद कर दिया गया है। सुरक्षा इंतजामों के चलते टूरिस्ट्स का पहलगाम आना मना है। पंजाब के जालंधर से आने वाले सनी पहलगाम के मेन मार्केट में शॉल की दुकान पर काम करते हैं। वे 12 साल से यहीं काम कर रहे हैं। सनी बताते हैं, ‘अमरनाथ यात्रा की वजह से टूरिस्ट रोके गए हैं, इससे धंधा कम हुआ है। हमले के बाद से अब थोड़े बहुत लोग आने लगे थे, लेकिन वापस धंधा धीमा पड़ गया है। दिन में बस 3,000-4,000 रुपए की कमाई हो रही है, जबकि हमले से पहले 10,000-15,000 रुपए से ज्यादा की कमाई हो जाती थी।‘ सनी अगले साल हालात सुधरने की उम्मीद करते हैं। उन्हीं की तरह स्नेहा भी जालंधर से पहलगाम काम करने आती हैं। स्नेहा सड़क किनारे कश्मीर और पहलगाम लिखे चाबी के छल्ले बनाती हैं। वे बताती हैं कि हर सीजन यहां आने पर अच्छी कमाई होती थी, लेकिन इस बार सब हल्का है। अमरनाथ यात्री भी गाहे-बगाहे ही सामान खरीदते हैं। सिर्फ मुसलमानों का ही नहीं, सभी का रोजगार मंदा पड़ाउमर पहलगाम में कश्मीर की फेमस शॉल बेचते हैं। उनकी बाजार में दो दुकानें हैं, जिस पर 5 लोग काम करते हैं। उमर बताते हैं, ‘पहलगाम में सिर्फ मुसलमानों का नहीं बाकी सभी धर्मों का भी रोजगार है। उनकी दुकान पर भी सभी धर्मों के लोग काम करते हैं। हमले के बाद काम ठप हो गया, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि टूरिस्ट जल्द ही कश्मीर लौटेंगे।‘ होटलों में 50% डिस्काउंट, फिर भी खाली पड़ेमार्केट के अलावा पहलगाम में होटल, रिसॉर्ट और रेस्टोरेंट भी खाली पड़े हैं। पहलगाम में फेमस असल रिसॉर्ट में भी सन्नाटा है। रिसॉर्ट के जनरल मैनेजर मुदस्सिर कहते हैं कि 50% डिस्काउंट के बाद भी कमरे खाली हैं। मार्केट के हाल पर वे कहते हैं, 'हमले के दिन भी सारी प्री-बुकिंग्स फुल थीं, लेकिन इसके बाद 80-90% बुकिंग्स कैंसिल हो गईं। हमें पूरा पैसा रिफंड करना पड़ा।' अमरनाथ यात्रा के प्रभाव पर वे बताते हैं, 'यात्रा शुरू होने से थोड़ी उम्मीद जगी थी, लेकिन यात्री बजट होटल्स पसंद करते हैं। हमने 50-65% डिस्काउंट शुरू किया है। पहले 10,000 रुपए का कमरा अब 5,000 और 5,000 का 2,500 में उठा रहे हैं। फिर भी टूरिस्ट्स का फुटफॉल बहुत कम है।' मुदस्सिर कहते हैं कि हमले का असर सिर्फ होटलों पर नहीं, बल्कि घोड़ा वालों, टैक्सी ड्राइवरों, दुकानदारों और स्ट्रीट वेंडर्स पर भी पड़ा है। सबकी रोजी-रोटी प्रभावित हुई है। हम चाहते हैं कि पहलगाम में फिर से वही पुरानी रौनक दिखे। रेस्टोरेंट की कमाई 30 हजार से 5 हजार पर आईरेस्टोरेंट वाले भी यही हाल बताते हैं। आसिफ पहलगाम में पिछले 15 सालों से ‘ओल्ड स्टैंडर्ड’ नाम का होटल चला रहे हैं। हम शाम के खाने के वक्त रेस्टोरेंट पहुंचे, तब भी खाली मिला। आसिफ कहते हैं, ‘पहले टूरिस्ट और लोकल दोनों तरह के कस्टमर आते थे। हमले के बाद सब बंद हो गया। ऐसा पहली बार हुआ है कि पहलगाम में टूरिज्म इतना प्रभावित हुआ। 15 साल में ऐसा कभी नहीं देखा। पहले दिन में 30,000-50,000 रुपए का कारोबार होता था। अब मुश्किल से 5,000 से 10,000 रुपए का कारोबार हो पाता है।‘ अमरनाथ यात्रा से टैक्सीवालों को हुआ थोड़ा फायदा पहलगाम में नुनवान बेसकैंप से चंदनवाड़ी 48 किलोमीटर दूर है। यहां जाने के लिए ज्यादातर यात्री टैक्सी लेते हैं। हमने पहलगाम टैक्सी एसोसिएशन के वाइस प्रेसिडेंट इम्तियाज अहमद रैना से बात की। वे बताते हैं कि अभी ज्यादातर अमरनाथ यात्री ही आ रहे हैं, टूरिस्ट कम हैं। इसलिए पहले की तरह कमाई तो नहीं होती, लेकिन हालात सुधर रहे हैं। इम्तियाज कहते हैं, ‘हमले के बाद टैक्सी स्टैंड पर गाड़ियां खड़ी रहीं, कोई काम नहीं था। अब यात्रा शुरू होने से ड्राइवरों की कमाई फिर शुरू हो गई है। स्थिति पहले से बेहतर है, लेकिन हमले से पहले जैसी कमाई अभी नहीं हो पा रही। जाम काफी रहता है इसलिए एक ड्राइवर दिन में एक ट्रिप लगाता है, सुबह की गाड़ियां ही दो ट्रिप कर पाती हैं।‘ अमरनाथ यात्रा के नियमों से घोड़े वालों को नुकसानघोड़े वालों को भी अमरनाथ यात्रा से वापस रोजगार मिला है। उनकी शिकायत है कि इस बार के नियमों के चलते उनकी कमाई पहले जैसी नहीं हो पा रही। मोहम्मद शमी बचपन से ही पहलगाम में रह रहे हैं। महज 13-14 साल की उम्र से ही घोड़ा चलाना शुरू कर दिया था। घोड़े वालों की कमाई को लेकर वे बताते हैं, ‘दो महीने से बैठे हैं, काम न के बराबर है। रोजी-रोटी ऊपर वाले के भरोसे चल रही है।‘ पहलगाम में खेतीबाड़ी नहीं होती, हमारा रोजगार टूरिज्म पर ही निर्भर है। पहले हम घोड़े लेकर भसरामणी, स्विट्जरलैंड, कश्मीर वैली, बेताब वैली जैसी जगहों पर जाते थे, लेकिन अब ये सभी जगहें बंद हैं। अमरनाथ यात्रा के असर पर शमी कहते हैं, ‘पहले यात्रा में एक आदमी दो घोड़े ले जा सकता था, अब एक की ही इजाजत है। इससे कमाई नहीं हो पाती। 30 दिन में पूरी यात्रा करके एक घोड़े से 30 हजार कमाई होती है, लेकिन घोड़े के खाने से लेकर किराए का खर्च ही 20 हजार आ जाता है।‘ पहलगाम हमले में अब तक 2800 से ज्यादा लोगों से पूछताछ पहलगाम के हालात के बाद अब हमले की जांच पर बात कर लेते हैं। 22 अप्रैल बायसरन घाटी में हुए आतंकी हमले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) और कश्मीर पुलिस कर रही है। NIA ने क्राइम सीन को रीक्रिएट किया और चश्मदीदों के बयान, वीडियो फुटेज, और तकनीकी सबूतों के आधार पर जांच को आगे बढ़ाया है। अब तक 2800 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की है। इनमें स्थानीय गाइड, दुकानदार, घुड़सवार, मजदूर और चश्मदीद शामिल हैं। सुरक्षा बल हमले से पहले की घटनाओं को जोड़ने, ओवर ग्राउंड वर्कर्स (OGW) या लॉजिस्टिक में मदद करने वालों की पहचान करने पर फोकस कर रहे हैं। 22 अप्रैल को दो संदिग्ध परवेज अहमद जोथर और बशीर अहमद जोथर को गिरफ्तार किया गया है। इन पर आतंकियों को खाना, ठिकाना और दूसरी मदद देने का आरोप है। इन्हें 23 जून को जम्मू की विशेष अदालत में पेश किया गया, जहां से पुलिस हिरासत में भेजा गया है। इसके अलावा 20 ओवर ग्राउंड वर्कर्स की पहचान हुई है। वहीं 600 से ज्यादा जगहों पर छापेमारी की गई। NIA ने मीडिया से अफवाहों से बचने की अपील करते हुए कहा कि जांच पूरी होने पर ही सारी जानकारी सार्वजनिक की जाएगी। .......................... ये खबरें भी पढ़ें... 13 मिनट, 26 कत्ल; वीडियो में देखिए पहलगाम में आतंकी कहां से आए, कहां गए कश्मीर की हरी-भरी बायसरन घाटी, उसकी खूबसूरती को निहारते टूरिस्ट, गोलियां, चीखें, बचने-बचाने की कोशिशें और 26 कत्ल, 22 अप्रैल को हुए पहलगाम अटैक की कहानी बस इतनी ही है, लेकिन असर इतना बड़ा कि भारत-पाकिस्तान जंग के मुहाने पर खड़े हो गए। पहलगाम में तीन आतंकी आए और हमेशा का दर्द देकर चले गए। इस स्टोरी में पढ़िए, देखिए और सुनिए पहलगाम हमले की पूरी कहानी…

दैनिक भास्कर 11 Jul 2025 4:00 am

मुश्किल में नासा! जल्द 2000 कर्मचारियों को दिखाया जा सकता है बाहर का रास्ता, आखिर क्यों?

NASA layoffs: रिपोर्ट के अनुसार, NASA से बाहर 2000 से ज्यादा कर्मचारियों की छटनी हो सकती है, जिसकी वजह Trump की बजट पॉलिसी में भारी कटौती बताई जा रही है. पढ़ें क्या है पूरी खबर..

ज़ी न्यूज़ 10 Jul 2025 6:55 pm

थाईलैंड में एक बच्चे पर डॉग अटैक का वीडियो भारत का बताकर वायरल

बूम ने पाया कि वायरल सीसीटीवी वाली घटना 2022 की है. तब थाईलैंड के साउथ पटाया शहर में कुत्ते ने एक दो साल के बच्चे पर हमला कर दिया था.

बूमलाइव 10 Jul 2025 2:40 pm

अमेरिका से नए शुल्क मसले पर वार्ता करेगा मेक्सिको

मेक्सिको की राष्ट्रपति क्लाउडिया शीनबाम ने कहा है कि मेक्सिको का एक प्रतिनिधिमंडल अगले सप्ताह वाशिंगटन में अमेरिकी अधिकारियों से मुलाकात कर नए व्यापार शुल्कों पर बातचीत कर बेहतर समाधान का प्रयास करेगा

देशबन्धु 10 Jul 2025 1:54 pm

अवामी लीग ने शेख हसीना पर 'झूठी और विकृत' मीडिया रिपोर्ट पर चिंता जताई

बांग्लादेश की अवामी लीग पार्टी ने गुरुवार को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की कथित लीक ऑडियो रिकॉर्डिंग पर आधारित एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया आउटलेट की रिपोर्ट पर चिंता जताई है। अवामी लीग पार्टी ने इसे 'झूठा और विकृत' बताया है

देशबन्धु 10 Jul 2025 1:17 pm

‘धूप सेंकने के दौरान ट्रंप की नाभि में हो सकता है ड्रोन हमला...’, हत्या के प्लान पर डोनाल्ड ने उड़ाया मजाक, दुश्मन अब क्या करेगा?

Donald Trump threat killed at Mar-a-Lago: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को मारने की प्लानिंग आप सबने कई बार सुनी है. इस बार हत्या का जो प्लान सामने आया है, उसे सुनकर ट्रंप खुद ही हंस रहे हैं. जानते हैं पूरी कहानी. कौन है वह दुश्मन जो ट्रंप की नाभि में ड्रोन मारना चाहता है.

ज़ी न्यूज़ 10 Jul 2025 12:59 pm

मौत से बचने के लिए हो जाएं तैयार! आ गया 'ब्लू अलर्ट', बारिश से होगी भयंकर प्रलय? इस शहर में मच सकता है कोहराम

मॉनसून के कहर ने सिर्फ भारत में ही तबाही नहीं मचाई है, इसकी चपेट में हमारा पड़ोसी देश चीन भी है. बारिश की वजह से चीन में भी हाहाकार मचा हुआ है. हालात यह हो गए हैं कि सरकार को लोगों को सुरक्षित बचने की अपील करनी पड़ रही है. जानें पूरी बात और जानें क्या है 'ब्लू अलर्ट'.

ज़ी न्यूज़ 10 Jul 2025 11:09 am

क्या है 'गधा बम'? बहुत क्रूरता से सैनिकों पर होता है हमला, कैसे करता है ये काम जिससे पूरे देश में दहशत, जानें सब कुछ

What is Donkey bomb: आप सबने आज तक बमों के खूब सारे नाम सुने होंगे, लेकिन पहली बार गधा बम से हमला हुआ है, जिसके बाद हर कोई हैरान हैं. आइए जानते हैं कि क्या है गधा बम, जिसके हमले से सैनिक की मौत हो गई. जानते हैं पूरी कहानी.

ज़ी न्यूज़ 10 Jul 2025 10:38 am

शरीर की खास जगह पर डॉक्टर बनाते हैं निशान, जल्लाद वहीं मारता है गोलियां... यमन में निमिषा प्रिया को ऐसे दी जाएगी सजा-ए-मौत

Kerala nurse Nimisha Priya death on July 16: केरल की नर्स निमिषा प्रिया को यमन में 16 जुलाई 2025 को मौत की सजा मिल सकती है.बहुत कोशिश के बाद भी ‌‌प्रिया को सजा में अब तक कोई राहत नहीं मिली है.यमन में सजा-ए-मौत का तरीका इतना भयानक है कि सुनकर रोंगटे खड़े हो जाएंगे. जानें भारत की निमिषा प्रिया को यमन में कैसे दी जाएगी मौत?

ज़ी न्यूज़ 10 Jul 2025 9:41 am

इस्लाम और अरबी को पढ़ेगी इजरायली सेना, नेतन्याहू के इस आदेश से मुस्लिम देशों में क्यों मचा हड़कंप?

Israel News: इजरायली सेना 7 अक्टूबर 2023 को हुए हमास के हमले को भूली नहीं है. हमास के अटैक में 1000 से ज्यादा इजरायली मारे गए थे. करीब 252 लोगों को हमास के लड़ाकों ने बंधक बनाया था और उसे गाजा में अपने इलाके में ले गए थे.

ज़ी न्यूज़ 10 Jul 2025 9:27 am

'लूला' को बर्बाद करने के लिए ट्रंप 'जंग' पर उतारू, इन 8 देशों पर लाद दिया 50 % ट्रैरिफ का बोझ, पूरी दुनिया में मचा हल्ला

donald Trump Announces New Tariffs:अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अपने टैरिफ जंग को लेकर पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन गए हैं. इस बार आठ देशों पर टैरिफ का बोझ ट्रंप ने लादा है. जिसमें सबसे अधिक ब्राजील पर. इन सबमें सबसे खास बात यह कि ट्रंप ने लूला के देश को सीधा टारगेट किया है.

ज़ी न्यूज़ 10 Jul 2025 7:16 am

ब्लैकबोर्ड-नाली का पानी पिलाकर घुटने के बल घसीटा:गोरक्षा के नाम पर पैसे मांगे, मना किया तो मेरा सिर मुंडवाया; घास खिलाई, गाय-बछड़े छीन लिए

ओडिशा के गंजाम जिले के सिंगीपुर गांव में 59 साल के बाबुला नायक के घर पर उन्हें देखने के लिए भीड़ जमा है। इनमें गांव के कुछ लोग और उनके रिश्तेदार शामिल हैं। बीमारी से ग्रस्त बाबुला बिस्तर पर पड़े हैं और कमरे में सन्नाटा पसरा है। वह दो लोगों के कंधे के सहारे घर से बाहर आते हैं। चेहरे पर चोट और आंखों के नीचे काला घेरा साफ दिख रहा है। सफेद दाढ़ी, गले में गमछा और मुंडा हुआ सिर। दोनों घुटने जख्म से सूजे हुए। पहली झलक में ही लग जाता है कि उनकी हालत काफी खराब है। वह प्लास्टिक की कुर्सी पर बैठते हैं और चारों तरफ घबराकर देखने लगते हैं। हिंदी नहीं बोल पाते, लेकिन समझ लेते हैं। वह बताते हैं कि शादी में अपनी बेटी को देने के लिए एक गाय और दो बछड़े खरीदकर ला रहे थे, तभी रास्ते में गोरक्षा के नाम पर कुछ लोगों ने उन्हें रोक लिया और 30 हजार रुपए मांगने लगे। पैसा न देने पर बुरी तरह पीटा। उनके 42 साल के भाई बुलू नायक जब उन्हें बचाने पहुंचे तो उनको भी जमकर पीटा। इसके बाद वे लोग दोनों भाइयों को बाजार ले गए। दोनों का सिर मुंडवाया और बाजार में घसीटा। फिर दो किलोमीटर घुटने के बल चलाया गया, जिससे दोनों भाइयों के घुटने बुरी तरह जख्मी हो गए। इसके बाद इन्हें घास खिलाई गई, नाली का पानी पिलाया गया। यह घटना 22 जून 2025 को ओडिशा के गंजाम जिले के खारीगुमा गांव में हुई थी। ब्लैकबोर्ड में इस बार कहानी गंजाम के उन दलितों की, जिन्हें गाय की रक्षा के नाम पर पीटा जा रहा है और उनकी गायें छीनी जा रही हैं। इस घटना के बाद से बाबुला नायक मानसिक तौर पर टूट चुके हैं। डिप्रेशन में चले गए हैं। तब से हमेशा घबराए रहते हैं। घर में अकेले मजदूरी करने वाले थे। लिहाजा इनकी इस हालत से रोजी-रोटी का संकट आ गया है। अब ये गाय के नाम से डरने लगे हैं। इनके भाई की हालत भी कुछ ऐसी ही है। वह भी दर्द के चलते दूसरों के कंधों के सहारे चल पा रहे हैं। दोनों ने बजरंग दल वालों पर इस बदसलूकी का आरोप लगाया है। बाबुला उस दिन को याद करते हैं, ‘मैं बेटी की शादी के लिए एक गाय और दो बछड़े लेकर आ रहा था। रास्ते में कुछ लोग आए और बोले, ‘गो-तस्करी कर रहे हो।’ मैंने हाथ जोड़कर कहा, ‘नहीं, बेटी को शादी में देने के लिए ले जा रहा हूं, यह हमारे यहां रीति-रिवाज है, लेकिन वे नहीं माने और 30 हजार रुपए मांगने लगे। मैंने कहा, ‘मेरे पास पैसे नहीं हैं।’ 'इतना सुनते ही उन लोगों ने मुझे पीटना शुरू कर दिया। मैं चीखने लगा। उन लोगों ने मेरी गायें, बछड़े और पैसे छीन लिए। उसके बाद सिर मुंडवाकर बाजार में घुमाया।' बाबुला कांपती आवाज में कहते हैं, ‘मुझे लगा था जैसे आज हमारा आखिरी दिन होगा। किसी तरह जान बचाकर भागा और घर पहुंचा तो बुरी तरह हांफ रहा था। मेरी हालत खराब थी।’ वह घुटनों पर हाथ रखकर कहते हैं, ‘मेरे पैर खराब हो गए, पता नहीं मैं अब ठीक से चल पाऊंगा या नहीं।’ फिर सिर पर हाथ फेरते हुए कहते हैं सबके सामने मेरा और मेरे भाई का आधा सिर मुंडवा दिया गया। यह कहते हुए वह घबरा जाते हैं। ठीक से बात नहीं कर पाते। इसी घर में 42 साल के बुलू नायक भी रहते हैं, जो बाबुला के छोटे भाई हैं। उनके साथ भी ऐसा ही सलूक किया गया। बुलू अपनी पत्नी के कंधे के सहारे धीरे-धीरे चलते हुए घर से बाहर आते हैं और शरीर को कुर्सी पर टिका देते हैं। उनके आधे सिर पर बाल नहीं है। घुटनों से नीचे पूरा पैर जख्मी है। बुलू कहते हैं, ‘हम यहां 300 साल से रह रहे हैं, लेकिन उस दिन पहली बार लगा था कि हम यहां के नहीं हैं।’ ‘जब मुझे पता चला कि मेरे भाई को पकड़ लिया गया है और पीटा जा रहा है, तो मैं उन्हें बचाने के लिए भागा। वहां बजरंग दल के लोगों ने मुझे भी पकड़ लिया और गालियां देते हुए पीटने लगे। वे 30 हजार रुपए मांग रहे थे, लेकिन हमारे पास कुछ नहीं था।’ ऐसा कहते हुए उनके चेहरे पर लाचारी साफ नजर आ रही थी। वह कहते हैं, ‘आप मेरे घुटनों को देख सकती हैं, इनमें लगातार दर्द हो रहा है।’ ‘अब तो घर से बाहर निकलने में भी डर लगता है। अगर ये गुंडागर्दी यूं ही चलती रही, तो हम दलितों का जीना मुश्किल हो जाएगा। प्रशासन भी हमारी नहीं सुनता।’ ‘जब ऊंची जाति के लोग गाय लेकर जाते हैं तो कोई नहीं पूछता, लेकिन हम गाय के साथ हों तो पकड़ लिए जाते हैं। पुलिस वाले भी इन्हीं के साथी लगते हैं।’ वह बताते हैं, ‘हमारा एक संगठन है- दलित महासंघ। उसी के दबाव में आकर पुलिस ने करीब 10 घंटे बाद एफआईआर दर्ज की थी, वरना हमारी शिकायतें तो उनकी टेबल पर धरी रह जाती हैं।’ बाबुला के दामाद अनिल भी उनके पास ही खड़े हैं। वे बताते हैं, ‘ससुर जी डिप्रेशन में चले गए हैं। खाना नहीं खाते। बाहर निकलने से डरने लगे हैं।’ ‘दिन-रात रोते हैं। घर के इकलौते कमाने वाले थे। मजदूरी से घर चलता था, लेकिन अब पता नहीं घर का खर्च कैसे चलेगा।’ वह आक्रोश में कहते हैं, ‘इन गुंडों और तालिबानियों में कोई फर्क नहीं। एक-दो थप्पड़ मारकर भी छोड़ सकते थे, लेकिन 2 किमी घुटनों के बल चलवाना कहां से जायज है। सरकार किसी अच्छी जगह इनका इलाज करवाए।’ ‘जब हम इस मामले की एफआईआर कराने गए तो पुलिस आनाकानी कर रही थी। जब इसका वीडियो वायरल हुआ, तब जाकर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की। इस घटना की हमारे पास तो कॉल रिकॉर्डिंग भी है, जिसमें हमसे 30 हजार रुपए मांगे जा रहे थे। हमें उम्मीद है कि पुलिस मामले में ठीक से कार्रवाई करेगी।’ वह अफसोस जाहिर करते हुए कहते हैं, ‘गोरक्षा के नाम पर कुछ लोग वसूली कर रहे हैं। अगर यह मामला गोरक्षा का होता तो वे लोग गाय लेकर ही खुश हो जाते, लेकिन पैसे मांग रहे थे और पैसा न मिलने पर ये हाल कर दिया।’ अनिल बताते हैं, ‘दलित होने की वजह से हमें कहा जाता है कि तुम नीची जाति के हो, थोड़ी दूर से बात किया करो। दुकान में दूर से सामान लिया करो।’ ‘कितनी अजीब बात है… मौत के बाद सब बराबर हो जाते हैं। एक ही चिता की आग सबको जलाती है, लेकिन जब तक जिंदा हैं, हम एक नल से पानी तक नहीं पी सकते।’ इस दौरान वहां इकट्ठा हुए बाकी लोग भी कहते हैं, ‘ये गोरक्षा का काम नहीं, वसूली है। धर्म के नाम पर डर फैलाया जा रहा है।’ यहीं से पास के दायिसी गांव के दलित भुवन के साथ भी ऐसी ही घटना घटी है। वह बताते हैं, ‘एक दिन वह अपने खेत से 17 बैलों को चारा खिलाकर घर आ रहे थे। बीच रास्ते में गोरक्षा के नाम पर कुछ लोगों ने मुझे रोका और 50 हजार रुपए की मांग की।’ ‘मेरे पास इतने पैसे नहीं थे। पैसा देने से मना करने पर उन लोगों ने मुझ पर हमला कर दिया। मेरे सारे बैल छीन लिए और किसी को दे दिया। जब पुलिस से शिकायत की, तो कोई कार्रवाई नहीं हुई, बल्कि पुलिस ने भी हमसे पैसे मांगे। पैसे न देने पर पुलिस ने मेरे सभी बैलों को गोशाला में डाल दिया।’ ‘मैं एक पशु व्यापारी हूं। अब यही हाल रहा, तो काम छोड़ना पड़ेगा। फिलहाल, मैंने यह काम अभी बंद कर दिया है। जब तक गोरक्षा के नाम पर पैसे वसूले जाते रहेंगे, हमारे लिए ये रास्ता मुसीबत बना रहेगा। प्रशासन भी आंखें मूंदकर बैठा है। जैसे हमारी तकलीफें उसके दायरे में आती ही नहीं।’ वह आगे बताते हैं, ‘मेरे तीन बेटियां और दो बेटे हैं। दो बेटियों की शादी कर दी है, लेकिन अब परिवार चलाना मुश्किल हो गया है। मैं पहले से ही बेटियों की शादी के कारण 4 लाख के कर्ज में हूं।’ ‘अब मेरे 17 पशु भी छिन गए। मेरा बहुत नुकसान हो गया। समझ में नहीं आता कहां जाऊं, किससे शिकायत करूं।’ वहीं अब इस गांव में गो-तस्करी के नाम पर चल रही गुंडई के खिलाफ आवाजें उठने लगी हैं। गांव के चौक पर लोग जमा होकर प्रदर्शन कर रहे हैं। उनमें शामिल थे 37 साल के ढंडासिर, जो पेशे से गो-व्यापारी हैं, बताते हैं, ‘हम इस धंधे को कई पीढ़ियों कर रहे हैं। गाय पालन हमारे घर की रीढ़ रहा है, लेकिन कुछ महीनों से सब चौपट हो गया है।’ ‘बजरंग दल के लोगों के डर से हमने काम बंद कर दिया है। जिस तरह से घटनाएं हो रही हैं, उनमें जान-माल दोनों का नुकसान हो रहा है।’ ‘मेरे घर में छह लोग हैं और रोटी लाने वाला सिर्फ मैं अकेला।’ वह एक घटना को याद करते हुए कहते हैं, ‘एक रात मैं चार गायें लेकर घर आ रहा था। बजरंग दल वालों ने रास्ते में पकड़ लिया। 45 हजार रुपए और चारों गायें छीन लीं। गालियां दीं, मारा-पीटा। किसी तरह 50 हजार रुपए का इंतजाम करके अपनी गायें छुड़ाई थीं।’ इसी गांव के 32 साल के पंचु नायक ड्राइविंग का काम करते हैं। वह भी इसी तरह का आरोप लगाते हुए कहते हैं, ‘कुछ दिन पहले मैं चार गायें लेकर घर लौट रहा था। बीच रास्ते में बजरंग दल के लोगों ने मेरी गाड़ी रोक ली। वे मुझसे 80 हजार रुपए मांगने लगे। जब मैंने पैसे देने से मना कर दिया तो डंडों से पीटने लगे। सभी लोग सिर पर केसरिया पट्टी बांधे हुए थे।’ ‘उन लोगों ने मेरा मोबाइल और गायें छीन लीं। मैंने मामले की शिकायत पुलिस से की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। पुलिस भी उन लोगों की दादागिरी को शह देती है, तभी हम जैसे गरीबों की कोई सुनवाई नहीं होती।’ ‘मेरे पास अब कमाई का कोई जरिया नहीं है। अगर मैं उन्हें 80 हजार रुपए दे दूं, तो शायद वे मेरी गायें, गाड़ी और मोबाइल वापस कर दें, लेकिन मेरे पास इतना पैसा कहां है?’ इन घटनाओं की तस्दीक करते हुए अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा के राष्ट्रीय महासचिव भालाचंद्र सारंगी कहते हैं कि गोरक्षा के नाम पर वसूली का यह खेल कोई नया नहीं है। काफी समय से चल रहा था, लेकिन जब दो दलितों को मारा-पीटा गया, तब से यह समस्या खुलकर सामने आ गई है। वह कहते हैं कि गंजाम जिले में कुछ लोग बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद जैसे संगठनों के साथ मिलकर इस पूरे काम को अंजाम दे रहे हैं। जिस बेरहमी से दो लोगों को घुटनों के बल चलाया गया, नाली का गंदा पानी पिलाया गया, घास खिलाई गई और सार्वजनिक रूप से सिर मुंडवाया गया, यह दिखाता है कि जलील करने की सारी हदें पार कर दी गईं। इस घटना को सांप्रदायिक सोच और संगठन के हिसाब से अंजाम दिया जा रहा है। सारंगी बताते हैं कि ऐसी ही एक और घटना 6 महीने पहले पास के गांव ब्रह्मपुर में घटी थी। इसमें पुलिस ने एक गैंग को पकड़ा था। उसे 50 हजार रुपए UPI से भेजे गए थे, जिसके आधार पर पुलिस ने उस गैंग को दबोचा था। वह बताते हैं कि अब गंजाम में किसान गाय को मुसीबत समझने लगे हैं। जिस गाय को कभी घर की समृद्धि का प्रतीक माना जाता था, आज वही किसानों के लिए डर और लाचारी का सबब बन गई है। जो लोग डर के साए में पैसे थमा देते हैं, बच जाते हैं, लेकिन जो लोग इनकार करते हैं, उन पर गो-तस्करी का ठप्पा लगा दिया जाता है। यही इनका 'मॉडस ऑपरेंडी'- यानी काम करने का तरीका है: डराओ, वसूलो और जो न झुके, उसे झुकने पर मजबूर करो। सारंगी बताते हैं कि गंजाम में दो जगहों- हिंजली और बेलमुंढा में ही गाय का आधिकारिक तौर से व्यापार होता है। यहां लोग गाय को एटीएम मशीन की तरह देखते हैं। जब जरूरत पड़ती है, तो बेचकर अपना रुका काम कर लेते हैं। सबसे चिंता की बात यह है कि यह सारा खेल थाने की सरपस्ती में खेला जा रहा है। थाने में इन गोरक्षकों पर कोई कार्रवाई नहीं होती, बल्कि उल्टा जो परेशान होता है, उसी को कठघरे में खड़ा कर दिया जाता है। (डिस्क्लेमर- घटना के शिकार लोगों ने एक संगठन पर बार-बार आरोप लगाया है, लेकिन हम इसकी पुष्टि नहीं करते।) ---------------------------------- ब्लैकबोर्ड सीरीज की ये खबरें भी पढ़िए... 1- ब्लैकबोर्ड- पापा को मंदिर की सीढ़ियों से घसीटा, गाली दी:घर जला दिए, 26 साल से हम गांव जाने को तरस रहे हम लोग दलित हैं मंदिर के अंदर तो क्या उसकी सीढ़ियां भी नहीं चढ़ सके। पापा बाहर से ही खड़े होकर दर्शन करने लगे। अचानक उन्हें किसी ने धक्का दिया और वो मंदिर की सीढ़ियों पर गिर पड़े। ये देखते ही मंदिर के पुजारी और आस-पास के लोग पापा को भद्दी गालियां देने लगे। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें 2- ब्लैकबोर्ड-हमारी बेटी का रेप हुआ और हमें ही कैद मिली:जानवरों से बदतर जिंदगी जी रहे हैं, हमारे बच्चे स्कूल तक नहीं जा सकते पिछले 5 साल से उस लड़की के घर पर सीआरपीएफ का पहरा है। इतना सख्त पहरा कि घर में आने-जाने वालों को सीआरपीएफ की परमिशन लेनी पड़ती है और रजिस्टर में एंट्री भी करनी होती है। गेट से पहले ही मेटल डिटेक्टर लगा है, इसी से आना-जाना होता है। घरवालों भी बिना परमिशन के चौखट के बाहर कदम नहीं रख सकते। चाहे कितनी ही बड़ी मुसीबत क्यों न आ जाए। यानी अपने ही घर में कैदी जैसी जिंदगी। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

दैनिक भास्कर 10 Jul 2025 5:07 am

स्पॉटलाइट- शुभांशु शुक्ला ISS में, इस हफ्ते छत से दिखेगा:जमीन से देखने के लिए सही तरीका और समय जानें इस वीडियो में

इस हफ्ते आसमान जरूर देखिएगा, क्या पता आपको इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन दिख जाए जिसमें भारतीय एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला सवार हैं। अगले कुछ दिनों में आईएसएस भारत के ऊपर से गुजरेगा। आप भी इसे देख सकते हैं, लेकिन कैसे? जानने के लिए जिफ पर क्लिक कर वीडियो देखें।

दैनिक भास्कर 10 Jul 2025 4:30 am

कब्रिस्तान में रह रहे लोग, 8 दिन से भूखे:रोज बच्चों को मरते देख रहे, बोले- गाजा में पैदा हुए, क्या ये गलती है

एक मैदान में सफेद कपड़े से बने छोटे-छोटे कई टेंट हैं। टेंट में भूख से बिलखते बच्चे हैं और पानी तक के लिए तरसते लोग। आसपास ऊंची-ऊंची बिल्डिंग हैं, लेकिन सब तबाह हो चुकी हैं। ये जगह 20 महीने से इजराइल की बमबारी झेल रही गाजा पट्‌टी के साउथ में है। यहीं बना एक टेंट अब घालया अबू जाराद का घर है। इजराइल के हमले से पहले घालया नॉर्थ गाजा के बेत लाहया में रहती थीं। अच्छी जिंदगी चल रही थी, तभी हमास के अटैक के बाद इजराइल ने गाजा पर बमबारी शुरू कर दी। घालया परिवार के साथ जान बचाकर साउथ गाजा आ गईं। जान तो बच गई, लेकिन जिंदगी जहन्नुम से भी बदतर हो गई। घालया के 4 बच्चे हैं। सबसे छोटा सिर्फ 2 महीने का है। घालया कहती हैं, ‘8 दिन हो गए, कुछ नहीं खाया। फल तो आखिरी बार कब देखे थे, याद ही नहीं है। बच्चे भूख से मर रहे हैं।’ घालया की तरह गाजा के 4.7 लाख लोग भुखमरी झेल रहे हैं। ये कुल आबादी का 20% है। फिलिस्तीन हेल्थ मिनिस्ट्री के मुताबिक, 7 अक्टूबर 2023 से चल रही इस जंग में 57,575 लोग मारे गए। 1.37 लाख घायल हैं। यूनाइटेड नेशंस ने आशंका जताई है कि गाजा में मरने वालों की तादाद ज्यादा हो सकती है क्योंकि कई लाशें मलबे में दबी हैं। 90% आबादी घर छोड़कर रिलीफ कैंप में रह रही है। ऐसे भी लोग हैं जो कैंप में जगह न मिलने से सड़कों पर या कब्रिस्तान में रह रहे हैं। इजराइली ऑपरेशन की वजह से गाजा में बाहरी मीडिया को जाने की परमिशन नहीं है। ईरान से जंग के दौरान इजराइल में कवरेज करते हुए हम गाजा में दाखिल नहीं हो पाए। हमने गाजा के जर्नलिस्ट आमरे अल सुल्तान से बात की। उनके जरिए हम आपको गाजा का हाल बता रहे हैं। गाजा में न बिजली, न मोबाइल नेटवर्कगाजा में बिजली सप्लाई बंद होने से फोन और कैमरा चार्ज करने में दिक्कत आ रही है। मोबाइल नेटवर्क भी बीच-बीच में काम करना बंद कर देता है। ऐसे में वहां जर्नलिस्ट से कॉन्टैक्ट कर पाना भी मुश्किल है। 11 अक्टूबर, 2023 को इजराइल ने नॉर्थ गाजा में रहने वाले 11 लाख लोगों को 24 घंटे में साउथ गाजा की तरफ जाने के लिए कह दिया था। नॉर्थ गाजा अब खाली हो चुका है। यहां के लोग अपने देश में ही शरणार्थी हो गए। वे रिफ्यूजी कैंप में रहते हैं। इसे भी बार-बार छोड़ना पड़ता है। नॉर्थ गाजा के बाद साउथ गाजा के खान यूनिस और राफाह को भी असुरक्षित बता दिया गया। लोगों को गाजा के समुद्री छोर पर बसे अल-मवासी में शिफ्ट होने के लिए कह दिया गया। गाजा में हमारे सहयोगी आमरे अल सुल्तान ने साउथ गाजा के रिफ्यूजी कैंप में और रिलीफ सेंटर के आसपास रहने वाले लोगों से बात की। पढ़िए ऐसे चार लोगों की कहानियां, जो जंग के 20 महीनों के गवाह हैं। हिशाम खालिद अल-मुगराबी की आपबीतीइजराइल ने गाजा पर हमला किया, तब मैं परिवार के साथ गाजा सिटी में रहता था। घर में पत्नी थी, बच्चे थे। सब ठीक चल रहा था। तभी इजराइल ने युद्ध शुरू कर दिया। इजराइली बमों ने आसपास के घरों को मलबे में बदल दिया। उनसे लाशें निकल रही थीं। इजराइल की सेना बुलडोजर लेकर आई और उसी जगह लाशों को दबा दिया। शुरुआत में तो हमने घर नहीं छोड़ा, लेकिन बमबारी तेज होने लगी, तो आखिर घर छोड़ना पड़ा। हम पैदल साउथ गाजा के डेर-अल-बलाह आ गए। कोई गाड़ी नहीं चल रही थी। सिर्फ खच्चर गाड़ी मिल रही थी। वो भी सिर्फ कुछ लोगों को ही नसीब हुई। घर छोड़ने के बाद जिंदगी बहुत मुश्किल हो गई। पिछले साल 28 अगस्त को मेरे बच्चे की मौत हो गई। हम बचने के लिए घर से भागे थे, लेकिन इजराइल की बमबारी ने मेरे बेटे को छीन लिया। हमारे पास रहने के लिए जगह नहीं है। मैं परिवार के साथ कब्रिस्तान में रह रहा हूं। यहां आसपास कुत्ते घूमते हैं। सांप निकलते हैं। जहन्नुम से भी खराब हालात हैं। घालया अबू जाराद की आपबीतीमैं 4 बच्चों की मां हूं। छोटा बच्चा सिर्फ 2 महीने का है। 8 दिन से हमने कुछ नहीं खाया है। हमारे पास पहनने के लिए कपड़े नहीं हैं। एक जोड़ी कपड़े लेकर घर छोड़ा था। वे भी फट गए। कपड़े धोने के लिए पानी नहीं है। पानी इतना महंगा है कि एक घूंट पीने के लिए भी सोचना पड़ रहा है। पहले दिन में एक बार खाना मिल जाता था। अब वो भी नहीं मिल रहा। जिंदा रहने के लिए हमें खाना, रहने की जगह और पानी तो चाहिए ही होगा। मैंने कोई फल आखिरी बार कब देखा था, याद भी नहीं है। इजिप्ट बॉर्डर पर चेक पॉइंट बंद हैं। हर कोई झूठ बोल रहा है। सच ये है कि हम तक खाना या मदद नहीं पहुंच रही है। कभी-कभार ही ऐसा होता है कि दिन में एक बार खाना मिल पाता है। आला अबू खादेर की आपबीतीआला अबू खादेर खाना मिलने वाली जगह पर खड़ी थीं। कई घंटे हो गए, लेकिन कोई खाना देने नहीं आया। वे बताती हैं- मैं यहां अपने लिए नहीं, बच्चों के लिए खाना लेने आई हूं। मैं तो भूख बर्दाश्त कर लेती हूं, बच्चे कैसे करेंगे। हमारे पास खाना खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं। घर पर खाना बनाने के लिए आटा नहीं है। कम से कम मुस्लिम देशों को तो हमारी मदद करनी चाहिए। हमारी परेशानी दूर करने के लिए कोशिश करनी चाहिए। 20 महीने हो गए ये सब झेलते-झेलते। इससे तो मौत अच्छी है। गर्मी का मौसम है, टेंट भट्टी की तरह तप रहा है। हर तरफ भुखमरी है। लोग खाने के लिए लड़ते हैं। हमारी क्या गलती है। क्या हम गाजा में पैदा हो गए, ये गलती है। हम भी जीना चाहते हैं। हमारे बच्चों ने क्या गुनाह किया है। उन्हें क्यों सजा मिल रही है। मैं दुनिया से कहना चाहती हूं कि नेतन्याहू को रोको। अब्द अलबासेत रेहान की आपबीतीमैं हर रोज इस आस में रिलीफ कैंप आता हूं कि खाना मिल जाएगा। आज भी यही सोचकर आया था। बहुत देर से खड़ा हूं, खाना नहीं मिला। गाजा पट्टी में कहीं से सामान लाने के लिए एंट्री नहीं है। खाना तो छोड़िए, पीने का पानी तक नहीं है। पानी साफ करने वाली मशीन चलाने के लिए बिजली नहीं है। मार्केट बंद हैं। बंद क्या हैं, ज्यादातर तबाह हो गए हैं। एक आदमी को जिंदा रखने के लिए जितने खाने की जरूरत है, हमें उतना भी नहीं मिल रहा है। मैं खाने की तलाश में आता हूं कि कम से कम बच्चों का पेट भर जाए। वे रात में न रोएं। मेरे पास उन्हें खिलाने के लिए कुछ तो हो। उम्मीद है कि अरब और यूरोप के देश गाजा में एंट्री पॉइंट खुलवाएंगे। हम तक मदद पहुंचेगी। फिलिस्तीन के लोगों, बच्चों, महिलाओं की जिंदगी की कद्र होनी चाहिए। हमारे बच्चे आंखों के सामने भूख से मर रहे हैं। हॉस्पिटल में डॉक्टर तो हैं, लेकिन दवा नहीं है। डॉक्टर भी कैसे इलाज करेंगे। दुनिया को हमारी तरफ देखना चाहिए। गाजा का बॉर्डर सील, एंट्री के लिए इजराइल की परमिशन जरूरीअमेरिका के दखल के बाद इजराइल और ईरान की जंग तो थम गई, लेकिन गाजा में हमास और इजराइल के बीच युद्ध जारी है। इजराइल लगातार बमबारी और ग्राउंड ऑपरेशन कर रहा है। इसके बावजूद हमास अपने टनल नेटवर्क की मदद से बचा हुआ है और हमले कर रहा है। इन हमलों में पिछले एक महीने में इजराइल के 15 सैनिक मारे गए हैं। 7 अक्टूबर, 2023 के बाद से ही गाजा चारों तरफ से सील है। न कोई बाहर आ सकता है, न ही कोई अंदर जा सकता है। पानी, बिजली, खाना, मेडिकल सप्लाई और जरूरत की बाकी चीजें इजराइल की इजाजत से ही गाजा में जा सकती हैं। ह्यूमन राइट्स वॉच के मुताबिक, इजराइल भूख को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहा है। भूख से गाजा में बड़े पैमाने पर मौतें हो रही हैं। यूएन और दूसरे संगठनों को गाजा में काम करने नहीं दिया जा रहा। इजराइल और अमेरिका की तरफ से चलाए जा रहे न्यू एड डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम के जरिए लोगों को मदद पहुंचाई जा रही है। लोग राहत की चीजें लेने आते हैं, तो उन पर भी फायरिंग की घटनाएं सामने आ रही हैं। इनमें अब तक 400 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। अब इजराइल-गाजा बॉर्डर का हालबॉर्डर से दिख रही गाजा की तबाहीइजराइल पत्रकारों को गाजा में एंट्री नहीं करने दे रहा है। फिर भी इजराइल की कवरेज के दौरान हमने तय किया कि गाजा में दाखिल होने की कोशिश करेंगे। हम तेल अवीव से साउथ की ओर गाजा बॉर्डर की तरफ निकले। तेल अवीव से अशदोद, अश्कलोन होते हुए 70 किमी का सफर कर स्देरोत पहुंचे। गाजा बॉर्डर पर चल रहे युद्ध की वजह से अशदोद के आगे ट्रेनें बंद रखी गई हैं। गाजा की तरफ से ट्रेनों पर बमबारी या रॉकेट फायर होने का डर है। स्देरोत में हम जिस सड़क पर बढ़ रहे थे, उसके दायीं तरफ फेंसिंग है। फैंसिंग के पार दूसरी तरफ गाजा है। यहीं हमें इजराइली फोर्स के जवानों ने रोक लिया। कहा- ‘आप यहां से आगे नहीं जा सकते। ऑपरेशन चल रहा है, हम आपको जाने की परमिशन नहीं दे सकते।’ इसके बाद हम स्देरोत शहर में ऊंचाई पर बने पॉइंट पर पहुंचे, जहां से सामने गाजा दिखता है। हम बॉर्डर पर थे, तब भी रुक-रुक कर फायरिंग और धमाकों की आवाजें आ रही थीं। एक दिन पहले ही गाजा में इजराइली आर्मी के 7 जवानों की मौत हुई थी। इसके बाद इजराइली आर्मी ने ऑपरेशन और तेज कर दिया था। इस पॉइंट पर एक दूरबीन लगी है। इससे गाजा पट्टी का ज्यादातर हिस्सा देखा जा सकता है। इजराइली आर्मी ने ये जगह आम लोगों के लिए खोली हुई है, ताकि कोई भी गाजा को देख सके। आर्मी ने यहां फायरिंग पोस्ट भी बनाई हुई हैं। हमने दूरबीन की मदद से गाजा की फोटो ले लीं। दूरबीन से देखने पर जहां भी नजर गई, सिर्फ टूटी इमारतें नजर आईं। बड़ी-बड़ी इमारतें मलबे में बदल चुकी हैं। नॉर्थ गाजा की ओर कोई नहीं दिख रहा। इजराइल-हमास में सीजफायर पर सहमति नहींइजराइल और हमास के बीच कतर की राजधानी दोहा में सीजफायर पर बात चल रही है। 6 जुलाई को दोनों पक्षों ने पहली बार बात की, लेकिन सहमति नहीं बन पाई। हमास इस बात की गारंटी चाहता है कि बातचीत के बाद युद्ध खत्म हो और इजराइली सैनिक गाजा के ज्यादातर हिस्सों से हट जाएं। सीजफायर होने पर हमास इजराइली बंधकों को छोड़ देगा, बदले में इजराइल फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा करेगा। इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इजराइल और हमास पर समझौते के लिए दबाव बढ़ाया है। उनका मानना ​​है कि यह समझौता इसी हफ्ते हो जाएगा। इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू अभी अमेरिका दौरे पर हैं। डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद नेतन्याहू तीसरी बार वॉशिंगटन पहुंचे हैं। .......................................... ये खबर भी पढ़ें... हमास ने भूखा रखा, भाग न पाएं इसलिए बम लगाए इजराइल के निरओज में रहने वाले लाइर और इटान अपने घर में बैठे थे। ये शहर हमास के कंट्रोल में रही गाजा पट्‌टी के करीब है। सुबह 6:29 बजे अचानक गाजा की ओर रॉकेट फायर होने लगे। पूरे साउथ इजराइल में सायरन की आवाज आने लगीं। लाइर और इटान भी अलर्ट हो गए। तभी उनके घर में हथियार लिए कुछ लोग घुस आए। उन्होंने लाइर और इटान को पकड़ा, बांधा और गाजा ले गए। पढ़िए पूरी खबर..

दैनिक भास्कर 10 Jul 2025 4:00 am

संसद की सुरक्षा में चूक, कहां कमजोर पड़ा केस:18 महीने बाद दो आरोपी रिहा, वकील बोले- राजद्रोह साबित नहीं कर पाई पुलिस

'पीला धुआं निकालने वाले कैनिस्टर (स्मोक कैन) बाजार में खुलेआम बिकते हैं। ये होली, शादी और बाकी सेलिब्रेशन में इस्तेमाल किए जाते हैं। फिर ये UAPA (राजद्रोह) लगाने का आधार कैसे हो सकते हैं। पहली नजर में इन पर जो भी आरोप लगाए गए हैं, वो राजद्रोह के दायरे में नहीं दिखाई पड़ते।' 13 दिसंबर 2023 को संसद की सुरक्षा में चूक के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने ये फैसला सुनाया। कोर्ट के ऑर्डर की ये लाइनें मामले के दो आरोपी हरियाणा की नीलम आजाद और राजस्थान के महेश कुमावत की जमानत का आधार बनीं। दोनों आरोपी करीब 18 महीने बाद 8 जुलाई,2025 को जेल से बाहर आए। हालांकि दोनों की जमानत पर कोर्ट ने कुछ शर्तें भी जोड़ी हैं। नीलम आजाद के वकील बलराज मलिक और महेश कुमावत के वकील सोमार्जुन भी इस मामले में राजद्रोह लगने का कोई आधार नहीं मानते। बलराज कहते हैं, 'कोर्ट ने हमारा तर्क माना। सुनवाई के दौरान कोर्ट की टिप्पणी से हमें उम्मीद है कि बाकी बंद 4 आरोपियों को भी जल्द जमानत मिलेगी। सभी के ऊपर से UAPA भी हटेगा।' सोमार्जुन महेश के साथ मामले के मास्टरमाइंड कहे जाने वाले मनोरंजन के भी वकील हैं। वे कहते हैं, 'मनोरंजन कोई मास्टरमाइंड नहीं, बल्कि सामान्य युवक है। ये सभी किसी साजिश की नीयत से नहीं बल्कि अपने मुद्दे उठाने के लिए बस प्रोटेस्ट करना चाहते थे।' संसद की सुरक्षा में सेंध के मामले में UAPA का आधार क्यों कमजोर पड़ा और पुलिस राजद्रोह के आरोप क्यों साबित नहीं कर पाई, हमने इसे दोनों आरोपियों के वकीलों से बात कर समझा। साथ ही नीलम के भाई से भी बात की। भाई बोले- नीलम को देखते ही रो पड़ेनीलम के भाई रमेश ने बताया, ’हमें पता चला था कि नीलम तिहाड़ के गेट नंबर 4 से बाहर आएगी, लेकिन वो 6 नंबर गेट से निकली। हमारे आधे घंटे तो इस गेट से उस गेट तक भागकर पहुंचने में ही निकल गए। उसे जैसे ही देखा हम सब रो पड़े। नीलम भी रो रही थी।’ वे आगे कहते हैं, ’हमें पहले ही कह दिया गया था कि रिहाई के वक्त न तो नीलम की फोटो लें न वीडियो बनाएं। उसके बारे में किसी से बात करने पर पूरी तरह रोक है।’ दिल्ली में नीलम के लिए किराए पर फ्लैट लियानीलम घर नहीं जा सकती है। इसलिए दिल्ली में ही किराए के फ्लैट में रहेंगीं। उनके साथ उनकी मां और बड़ा भाई भी दिल्ली में ही रहेगा। भाई ने बताया, ’दिल्ली में रहना हमारे लिए बहुत महंगा है। फ्लैट का किराया 9,500 रुपए है। तीन लोगों के रहने और खाने का खर्च कम से कम 3-4 हजार होगा। पुलिस स्टेशन में हफ्ते में 3 बार हाजिरी का मतलब आने-जाने का किराया भी 1 से 2 हजार होगा ही।’ वे आगे कहते हैं, ’अभी तो फिलहाल जरूरी ये था कि नीलम बाहर आए। अब हम अपने वकील से बात करके इस पर भी एक पिटीशन डालेंगे कि नीलम को जल्द से जल्द घर जाने की परमिशन मिले।’ अब कोर्ट के ऑर्डर की 4 मुख्य बातें…1. स्मोक कैनिस्टर से आरोपी अपराधी साबित नहीं होतेकोर्ट ने स्मोक कैनिस्टर की FSL रिपोर्ट देखी और कहा- 'अभी कोर्ट इस रिपोर्ट पर कोई टिप्पणी नहीं करती। रिपोर्ट में कहा गया कि कैनिस्टर विस्फोटक का काम कर सकते थे। मौजूदा घटना में संसद से ली गई जानकारी में किसी नुकसान की बात सामने नहीं आई है।' 'सिर्फ रंगीन धुएं वाले कैनिस्टर्स के इस्तेमाल से पहली नजर में कोई आपराधिक केस नहीं बनता है। हालांकि कैनिस्टर विस्फोटक के तौर पर काम कर सकते थे या नहीं, ये कोर्ट ट्रायल का विषय है। कोर्ट ने ये भी कहा कि कैनिस्टर्स में खतरनाक रसायन होने की आशंका ये सवाल खड़े करती है कि फिर ये बाजारों में खुलेआम कैसे बिक रहे हैं।' 2. नीलम संसद से और कुमावत दिल्ली से बाहर था13 दिसंबर 2023 को घटना के वक्त आरोपी नीलम संसद के अंदर नहीं थी। उसने कैनिस्टर से पीला धुआं छोड़ा, लेकिन संसद के बाहर। दूसरा आरोपी महेश कुमावत घटना के वक्त संसद के आसपास भी नहीं था। इसलिए दोनों अभी जमानत के हकदार हैं। पुलिस की जांच में भी सामने आया है कि नीलम ने खुद संसद में जाने से मना किया था। वहीं महेश इस ग्रुप की आखिरी की दो मीटिंग में भी मौजूद नहीं था। 3. जांच रिपोर्ट में ऐसा तथ्य नहीं जो दोनों आरोपियों को UAPA के दायरे में लाए आरोपियों से जब्त पर्चे या कोर्ट में मौजूद इनके बाकी रिकॉर्ड में भी कुछ ऐसा नहीं मिला है, जिससे साबित होता हो कि आरोपी देश की एकता, अखंडता, सुरक्षा या संप्रभुता को खतरे में डालने का इरादा रखते थे। न ही ये साबित होता है कि आरोपियों ने आतंक फैलाने के इरादे से ये काम किया। UAPA की धारा-15 या 18 को साबित करने वाला रिकॉर्ड में कोई भी तर्क नहीं है। साथ ही रिकॉर्ड से ये भी साबित नहीं होता है कि इस घटना का प्रभाव देश या देश के बाहर किसी वर्ग के मन में आतंक पैदा करना है। 4. संसद पर हमले और प्रोटेस्ट की तारीख एक होना UAPA का आधार नहींये मामला विरोध और राजनीतिक असहमति का लगता है। भले ही विरोध करने का तरीका और जगह गलत है। वकीलों और पुलिस की चार्जशीट में प्रोटेस्ट की तारीख को लेकर काफी तर्क दिए गए हैं। 2001 में 13 दिसंबर को ही संसद पर आतंकी हमला हुआ था। 2023 में 13 दिसंबर को ही ये घटना भी हुई। इस पर कोर्ट ने कहा कि संसद पर हमले और इस घटना की तारीख का एक होना ट्रायल का विषय है। इससे ये तय नहीं होता कि आरोपियों पर UAPA लगना चाहिए और उन्हें बेल नहीं दी जा सकती। अब जानिए आरोपियों के वकील क्या कह रहे…नीलम के वकील बोले- पुलिस UAPA का आधार साबित नहीं कर पाई सबसे पहले हम नीलम आजाद के वकील बलराज मलिक से मिले। वे कहते हैं, 'जिला कोर्ट से बेल रिजेक्ट हो गई। फिर हाईकोर्ट में भी हमें ये समझाने में महीनों लग गए कि केस UAPA का नहीं है। आप ही सोचिए जो कैनिस्टर AMAZON पर खुलेआम बिकता है। जिसका इस्तेमाल फिल्म इंडस्ट्री में रोमांस दिखाने के लिए होता है, भला वो जहरीला कैसे हो सकता है। वो राजद्रोह जैसे अपराध का आधार कैसे बन सकता है।' वे आगे कहते हैं, 'आखिरकार कोर्ट ने पुलिस से वही सवाल पूछे जो हम जिला कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक पूछते आ रहे हैं।' एडवोकेट मलिक पुलिस के लगाए गए आरोपों पर कहते हैं, 'इस देश का दुर्भाग्य है कि पुलिस का इतना अमानवीय रूप सामने आ रहा है। पहली जरूरत है कि पुलिस मानवीयता न खोए और संविधान के दायरे में रहकर काम करे।' उन्होंने कोर्ट के ऑर्डर को सराहते हुए कहा, 'जज बार-बार पुलिस के IO और सरकारी वकीलों से पूछ रहे थे कि इस केस में UAPA का आधार क्या है। सरकारी वकीलों के पास संसद की सर्वोच्चता के बखान के अलावा कोई तर्क नहीं था। वे बार-बार यही जवाब दे रहे थे कि माननीय ये मामला देश की संसद की सुरक्षा में सेंध का है। ये लॉ एंड ऑर्डर के खिलाफ है।' 'मैंने कोर्ट में पुलिस और सरकारी वकीलों के इस तर्क पर जवाब दिया। मैंने कहा कि ये संसद इस देश के लोगों की है। ये बच्चे देश की संसद के अंदर अपराध करने नहीं गए थे बल्कि संसद को उसका काम याद दिलाने गए थे। ये रोजगार मांगने गए थे। देश के खिलाफ साजिश रचने नहीं गए थे।' महेश के वकील बोले- 'संसद' के कोर्ट में दिए जवाब से मिली बेलमहेश कुमावत के वकील सोमार्जुन कहते हैं, 'कोर्ट ने संसद से पूछा था कि क्या कैनिस्टर से लोकसभा या राज्यसभा के किसी सदस्य को नुकसान पहुंचा। या फिर किसी तरह का दूसरा कोई नुकसान हुआ? संसद ने लिखित में जवाब दिया कि सारे सदस्य सुरक्षित हैं। किसी को कोई इंजरी नहीं हुई है। न ही संसद में किसी प्रॉपर्टी को कोई नुकसान पहुंचा है।' वे आगे कहते हैं, 'महेश को तो बिना किसी आधार के आरोपी बनाया गया। उसे बहुत पहले ही बेल मिल जानी चाहिए थी। वो मौके पर भी नहीं था। जब महेश की लोकेशन ट्रेस की गई तो वो राजस्थान की मिली। वो इस घटना से पहले हुई आखिरी की दो मीटिंग में भी शामिल नहीं हुआ था।' 21 जुलाई को इस केस की सबसे अहम सुनवाईदिल्ली हाईकोर्ट में 21 जुलाई को इस केस के मास्टरमाइंड कहे जाने वाले मनोरंजन और सागर शर्मा की याचिका पर सुनवाई है। ये दोनों आरोपी इस केस में सबसे अहम हैं। ये दोनों संसद के भीतर थे और प्लानिंग में शुरू से इन्वॉल्व थे। जांच रिपोर्ट के मुताबिक मनोरंजन डी ने प्लान बनाया था तो पूरी टीम का रिक्रूटर्स सागर शर्मा था। घटना के वक्त कौन-कहां था, किस आरोपी को क्या जिम्मेदारी मिली थी? 1. कर्नाटक के रहने वाले मनोरंजन डी को केस का मास्टरमाइंड बताया गया है। घटना के वक्त वो संसद के अंदर लोकसभा वेल के बिल्कुल करीब था। उसने कैनिस्टर से पीले रंग का धुआं किया था। 2. सागर शर्मा भी संसद के अंदर वेल के बिल्कुल करीब था। उसने भी कैनिस्टर का इस्तेमाल किया। 3. नीलम आजाद और अमोल शिंदे संसद के अंदर नहीं गए थे, वे बाहर ही गेट नंबर 2-3 पर मौजूद थे। इन्होंने भी कैनिस्टर से धुआं किया और पैम्फलेट फेंके। 4. इन चारों ने घटना के पहले अपना फोन फॉर्मेट कर दिया था। सभी ने सिम कार्ड तोड़ने के बाद ललित झा नाम के पांचवें आरोपी को अपने फोन सौंपे थे ताकि वो इन्हें जला दे। 5. महेश कुमावत नाम का युवक इन पांचों के साथ शुरुआती प्लानिंग का हिस्सा था, लेकिन आखिरी दो मीटिंग में शामिल नहीं हुआ। घटना के वक्त वो राजस्थान में था। UAPA जैसे एक्ट के लिए पुलिस के पास आधार 1. पुलिस ने मनोरंजन डी और सागर शर्मा को इस साजिश का मेन पिलर माना। पुलिस की रिपोर्ट में मनोरंजन को मास्टरमाइंड बताया गया है। उसका ईमेल फार्मेट करना भी शक के घेरे में है। बचे हुए मेल से मनोरंजन की कंबोडिया यात्रा और फिर चेन्नई से लद्दाख तक बाइक यात्रा की डिटेल मिली है, इसे भी साजिश से जोड़ा गया है। मनोरंजन के मेल से मिले बाइक यात्रा के मेमोयर (संस्मरण) को मार्क्सवादी क्रांतिकारी 'चे ग्वेरा' की मोटरसाइकिल डायरी से जोड़कर देखा गया। इसे भी साजिश का हिस्सा बताया गया। 2. मनोरंजन के मेमोयर में एक चाइनीज नागरिक ली रॉन्ग का भी जिक्र है। रिपोर्ट में इसे मनोरंजन के विदेशी कनेक्शन से जोड़ा गया है। 3. सागर शर्मा 2015 में भगत सिंह क्लब में मनोरंजन के संपर्क में आया। तभी मनोरंजन ने उससे संसद में कुछ करने की बात कही थी। 4. सागर और मनोरंजन ने बाकी लोगों की तलाश शुरू की। फरवरी 2022 में मनोरंजन और सागर ने सिग्नल एप पर एक ऑनलाइन मीटिंग की। 5. मनोरंजन ने ये घटना कोसोवो देश में 2018 में संसद पर हुए ऐसे ही एक घटनाक्रम का वीडियो देखकर अंजाम दी। 6. मनोरंजन ने संसद में एंटी फायर जेल लगाकर आत्मदाह करने का भी आइडिया दिया था, जो कैंसल हो गया। 7. मनोरंजन ने ही पार्लियामेंट का स्केच बनाया था। 8. पहले इस ग्रुप में दो और लोग पार्थ गोहिल और मनदीप शामिल थे। बाद में दोनों ने ग्रुप छोड़ दिया था। 9. सागर ने कैनिस्टर खरीदे। 10. मोबाइल में खालिस्तानी आतंकवादी पन्नू की स्पीच का लिंक पाया गया। चार्जशीट में कहां कमजोर पड़ी पुलिस? UAPA का मकसद गैरकानूनी गतिविधियों और आतंकवादी गतिविधियों को रोकना है। हालांकि इस मामले की जांच रिपोर्ट में पुलिस राजद्रोह जैसे अपराध के लिए मजबूत आधार पेश नहीं कर पाई। जानिए UAPA कब-कब लगाया जाता है? कोर्ट में पेश संसद के डॉक्यूमेंट ने जांच रिपोर्ट को कमजोर किया1. संसद ने कोर्ट में पेश लिखित डॉक्यूमेंट में साफ कहा है कि संसद के किसी मेंबर या प्रॉपर्टी को नुकसान नहीं पहुंचा है। इस रिपोर्ट ने पुलिस के इस तर्क को धराशायी कर दिया कि आरोपियों ने कोई बड़ी साजिश की थी क्योंकि अगर ये बड़ी साजिश होती तो आरोपी वो कैनिस्टर लेकर अंदर नहीं जाते, जो बाजार में आसानी से मिल जाता है। 2. कोर्ट ने भी कहा कि पूरे मामले को देखने के बाद यही लगता है कि ये लोग प्रोटेस्ट के मकसद से संसद में गए थे न कि किसी साजिश के लिए। हां प्रोटेस्ट का तरीका और जगह दोनों गलत थे। 3. FSL रिपोर्ट कहती है कि कैनिस्टर में मौजूद रसायन से विस्फोट हो सकता था। कोर्ट ने इस आशंका को भी बेरोकटोक कैनिस्टर की उपलब्धता के तर्क से खारिज कर दिया। ........................... ये खबर भी पढ़ें... ‘यीशू सपने में आए, बोले-मेरा काम कर, अच्छा जीवन दूंगा’ 'पहले मैं मजदूरी करता था। शराब पीता था। 2008 में मुझे अटैक आया। 3 दिन बेहोश रहा। तभी सपने में यीशु आए। बोले- तू मेरा काम कर, मैं तुझे जीवन देता हूं। बस मैं बदल गया। शराबी से पादरी बन गया।' चर्च में बीमारियां ठीक होने का दावा करने वाले मेजर सिंह रामदासिया सिख थे। ईसाई धर्म अपनाने के बाद पादरी बन गए। पंजाब के मानसा जिले के ख्यालाकलां गांव में रहते हैं। मेजर सिंह सिर्फ एक किरदार हैं। पढ़िए चर्च के ‘चमत्कार’ की कहानियां...

दैनिक भास्कर 10 Jul 2025 4:00 am

पांच वर्षों में चीन की आर्थिक वृद्धि 350 खरब युआन से अधिक होने की उम्मीद

चीन राज्य परिषद सूचना कार्यालय ने 14वीं पंचवर्षीय योजना के उच्च-गुणवत्तापूर्ण समापन विषय पर श्रृंखला में पहला प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित किया

देशबन्धु 10 Jul 2025 12:26 am

पेइचिंग में 12वां विश्व हाई-स्पीड रेल सम्मेलन शुरू

चीन की राजधानी पेइचिंग में चार दिवसीय 12वां विश्व हाई-स्पीड रेल सम्मेलन शुरू हुआ

देशबन्धु 10 Jul 2025 12:23 am

ट्रंप से अनबन के बीच गिरा मस्क का एक और विकेट, X की CEO ने दो साल बाद बोला टाटा-बाय-बाय

Elon Musk: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स का यूज काफी संख्या में लोग करते हैं. मस्क की कंपनी से जुड़ी हुई एक तहलका मचाने वाली खबर सामने आ रही है. बता दें कि एक्स की सीईओ लिंडा याकारिनो ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.

ज़ी न्यूज़ 9 Jul 2025 9:00 pm

यूक्रेन को हथियार भेजने की खबर से ‘अचंभित’ हुए ट्रंप

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति दोबारा शुरू होने का मामला सामने आने पर कथित तौर पर ‘अचंभित’हो गए हैं

देशबन्धु 9 Jul 2025 5:44 pm

तार-तार हो गई मर्यादा...इस ईसाई देश में अखाड़ा बनी संसद, पक्ष-विपक्ष में जमकर चले लात-घूंसे, VIDEO

Parliament Video: आपने अक्सर संसद सत्र में देखा होगा कि पक्ष- विपक्ष में जमकर तकरार होती है. किसी भी फैसले को लेकर सहमति न होने पर विपक्षी सांसद सत्ता पक्ष के सांसदों पर जुबानी तीर चलाते हैं लेकिन इस देश की संसद में जो कुछ भी हुआ उससे दुनिया भर में हलचल मच गई है.

ज़ी न्यूज़ 9 Jul 2025 5:22 pm

'जहां दिखे शूट कर दो...', शेख हसीना के ऑडियो क्लिप से मचा तहलका, प्रदर्शनकारियों को गोली मारने का दिया था आदेश?

Sheikh Hasina: शेख हसीना पर बांग्लादेश में बीते साल हिंसक विरोध प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने का आदेश देने का आरोप लगा है. इसको लेकर एक ऑडियो क्लिप सामने आया है.

ज़ी न्यूज़ 9 Jul 2025 2:24 pm

'160 करोड़ विधवा पत्नी को मिलेंगे...', शादी के 10 दिन बाद स्टार खिलाड़ी की मौत पर बहुत बड़ा खुलासा, सदमे में पूरी दुनिया

Diogo Jota brother Andre Silva death reveal:पिछले सप्ताह जब लिवरपूल और पुर्तगाल के फॉरवर्ड खिलाड़ीडिओगो जोटा और उनके भाई आंद्रे सिल्वा की कार दुर्घटना में मौत हुई तो पूरी दुनिया सदमे में आ गई. लेकिन अब मौत के मामले में स्पेनिश पुलिस ने बहुत बड़ा खुलासा किया है.

ज़ी न्यूज़ 9 Jul 2025 12:01 pm

ब्रिटेन के पूर्व PM ऋषि सुनक को मिली नई नौकरी, अब क्या करने वाले हैं नारायण मूर्ति के दामाद?

Rishi Sunak: ब्रिटेन के पूर्व मुख्यमंत्री और इंफोसिस के मालिक नारायण मूर्ति के दामाद ऋषि सुनक को नई नौकरी मिल गई है. उन्होंने सीनियर एडवाइजर के तौर पर इन्वेस्टमेंट बैंक गोल्डमैन सैक्स ग्रुप में काम शुरू किया है.

ज़ी न्यूज़ 9 Jul 2025 11:34 am

पीएम मोदी को मिलेगा एक और देश का सर्वोच्च सम्मान, ब्राजील में 'ग्रैंड कॉलर ऑफ द नेशनल ऑर्डर ऑफ द सदर्न क्रॉस' से होंगे सम्मानित

अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की लगातार साख बढ़ रही है। पीएम नरेंद्र मोदी की कूटनीतिक कुशलता ने देश को नई ऊंचाई पर पहुंचाया है

देशबन्धु 9 Jul 2025 10:47 am

अंतरराष्‍ट्रीय मंच पर बजा पीएम मोदी का डंका, इस देश ने सर्वोच्च सम्मान से किया सम्मानित

PM Modi Honoured In Brazil: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ब्राजील के दौरे पर वहां के सर्वोच्च सम्मान 'ग्रैंड कॉलर ऑफ द नेशनल ऑर्डर ऑफ द सदर्न क्रॉस' से सम्मानित किया गया.

ज़ी न्यूज़ 9 Jul 2025 10:16 am

'ग्रेटर ब्रिक्स सहयोग' को व्यापार व्यवस्था के निर्माण को बढ़ावा देना चाहिए : चीनी प्रधानमंत्री

चीनी प्रधानमंत्री ली छ्यांग ने रियो डी जेनेरियो में 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दूसरे और तीसरे चरण की बैठकों में भाग लिया

देशबन्धु 9 Jul 2025 9:24 am