केंद्र सरकार के पास अमेरिकी वीजा होल्डर NRI लोगों का ब्यौरा नहीं है। यह जवाब विदेश राज्य मंत्री कीर्तवर्धन सिंह के द्वारा सीकर सांसद अमराराम की तरफ से पूछे गए प्रश्न पर दिया गया है। दरअसल 4 अप्रैल को सीकर सांसद अमराराम ने लोकसभा में विदेश मंत्री से पूछा था कि : अब इस पर विदेश राज्यमंत्री कीर्तवर्धन सिंह ने जवाब देते हुए कहा है कि 2024 के अनुमानों के अनुसार संयुक्त राज्य अमेरिका में 20,77,158 अनिवासी भारतीय है। भारत सरकार के पास विभिन्न श्रेणियों के अमेरिकी वीजाधारक लोगों का ब्यौरा नहीं है। यह आंकड़े भी अत्यधिक परिवर्तनशील है,क्योंकि किसी व्यक्ति की वर्तमान वीजा स्थिति से दूसरी वीजा स्थिति में परिवर्तन हो सकता है। भारत सरकार उन लोगों की संख्या के आंकड़े नहीं रखती है जो अवैध तरीकों और मार्गों से अमेरिका में प्रवेश कर चुके हैं। ऐसे लोगों से संबंधित आंकड़े केवल समय-समय पर होने वाली प्रत्यावर्तन कार्रवाइयों के संदर्भ में अमेरिकी अधिकारियों से प्राप्त होते हैं। निर्वासित होकर वापस लौटे लोगों के दर्दनाक अनुभव और साक्ष्यों के आधार पर केंद्र और संबंधित राज्य सरकार या एजेंसी ने मामले दर्ज किए हैं। इन गिरोह को चलाने वाले अवैध एजेंट,आपराधिक गतिविधियों में सहायता प्रदान करने वाले और मानव तस्करी गिरोहों के खिलाफ जांच एवं कार्रवाई जारी है। झालावाड़ हादसे पर चर्चा के लिए महासचिव को भेजा प्रस्ताव वहीं हाल ही में झालावाड़ में हुए हादसे पर चर्चा के लिए सीकर सांसद अमराराम ने लोकसभा महासचिव को कार्य स्थगन प्रस्ताव भेजा है। जिसमें उन्होंने बताया कि झालावाड़ में हुए हादसे में आधा दर्जन से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई। कई घायल बच्चों का अस्पताल में इलाज जारी है। राजस्थान राज्य में ऐसे हजारों की संख्या में स्कूल भवन है लेकिन फिर भी सरकार द्वारा उन पर कोई भी कार्रवाई नहीं की जाती।
जीके वैली कॉलोनी में एनआरआई से मारपीट, धमकी का आरोप, फायरिंग की बात से हड़कंप
भास्कर न्यूज | लुधियाना संगोवाल जीके वैली कॉलोनी में जमीन विवाद को लेकर एक एनआरआई के साथ मारपीट और धमकी देने का मामला सामने आया है। आरोप है कि सोमवार शाम करीब 4 बजे 15 से 20 लोगों ने दुबई से आए एनआरआई राकेश कुमार कंडा पर रिवॉल्वर तान दी और गोली चलाई। हालांकि पुलिस ने अभी फायरिंग की पुष्टि नहीं की है। राकेश कुमार ने बताया कि 2006 में उन्होंने 605 गज की जमीन खरीदी थी। इसमें लंदन निवासी उनका दोस्त भी साझेदार है। राकेश जमीन पर चारदीवारी का कार्य करवा रहे थे, तभी आरोपियों ने आकर उन्हें घेर लिया। उन्होंने उसकी पीठ पर पिस्तौल रख दी और कहा कि यह जमीन हमारी है, काम बंद करो। राकेश का दावा है कि आरोपियों में से एक ढोका मोहल्ले का कुख्यात बदमाश है, जिसने गोली चलाई और उन्हें घसीटते हुए कॉलोनाइजर गुलशन कुमार के ऑफिस ले गया। जहां उसे जान से मारने की धमकी दी गई। राकेश ने आरोप लगाया कि यह सब गुलशन कुमार के इशारे पर किया गया। घटना के बाद इलाके के लोग उन्हें तुरंत दीपक हॉस्पिटल ले गए और शिकायत सदर थाना में दी गई। इसी कॉलोनी में जमीन लेने वाले भूपिंदर सिंह ने बताया कि उनके भाई ने 120 गज का प्लॉट खरीदा था। जब देखने आए तो पाया कि वहां सड़क निकाल दी गई है और उनका बोर्ड दूसरी जगह लगा दिया गया है। जगदेव सिंह ने बताया कि उनके भाई जसविंदर सिंह ( फौजी) ने चार साल पहले 110 गज का प्लॉट खरीदा था, लेकिन अब वहां काम रुकवा दिया गया है। ग्राहकों ने बताया कि कॉलोनी में लगे सीसीटीवी कैमरों की तारें भी काट दी गई हैं। इन सभी ने मिलकर पुलिस कमिश्नर, मुख्यमंत्रीऔर गलाडा के सीएको लिखित शिकायत भेजी है कि कॉलोनाइजर जबरन डेवलपमेंट चार्ज वसूल रहा है । डेवलपमेंट चार्जेज न देने पड़े इसलिए बदनाम कर रहे : गुलशन कुमार कॉलोनाइजर गुलशन कुमार ने आरोपों को निराधार बताया। उन्होंने भी पुलिस कमिश्नर, सदर थाना में पहले ही शिकायत दी हुई है। कई लोग जबरदस्ती प्लाटों में कब्जा कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस एरिया के 45 निवासियों ने मिलकर उनको शिकायत की है। गुलशन कुमार ने बताया कि जो लोग बोल रहे हैं उनके प्लाट हैं वो अपनी रजिस्ट्री दिखाएं। अगर इस कॉलोनी की है तो वो अपने प्लाट में नींव रख सकते हैं। उन्होंने कहा कि डेवलपमेंट चार्जेस न देने पड़े इसलिए उनको बदनाम कर रहे हैं। जब उनसे पूछा गया कि एनआरआई को आपने धमकाया है तो उन्होंने कहा कि दो पार्टियों की लड़ाई थी। मेरे पास आए। उन्होंने कहा अपनी रजिस्ट्री दिखा दो जिसके पास पूरे कागज हैं वो चारदीवारी कर सकता है। इस बारे में सदर थाना इंचार्ज अवनीत कौर ने कहा कि अभी फायरिंग की कोई पुष्टि नहीं हुई है। जांच चल रही है। दोनों पार्टियों की शिकायत आई है।
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति के पूर्व ससुराल वालों द्वारा दर्ज करवाई गई एफआईआर को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने इसे कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करार देते हुए कहा कि तलाक और आपसी समझौते के सात महीने बाद दर्ज किया गया मामला बेबुनियाद है और इसका कोई आधार नहीं बनता। जस्टिस जसगुरप्रीत सिंह पुरी ने अपने फैसले में कहा- तलाक के लगभग सात महीने बाद एफआईआर दर्ज करवाना कानून की प्रक्रिया का सरासर दुरुपयोग है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि पति-पत्नी के बीच मेट्रिमोनियल विवाद आपसी सहमति से सुलझ चुका था और तलाक भी हो चुका था। ऐसे में पति के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को जारी रखने का कोई औचित्य नहीं बनता। यह मामला धारा 482 सीआरपीसी के तहत दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान सामने आया, जिसमें पति ने IPC की धारा 498-A और 406 के तहत दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की थी। 2015 में हुआ था विवाद पति पत्नी के बीच में 22 दिसंबर 2022 में भारत में शादी हुई थी। 1 फरवरी 2016 को अमेरिका में तलाक की अर्जी दाखिल की गई। जिसके बाद आपसी सहमति से तलाक भी हो गया। संपत्ति, बच्चों, गहनों, बैंक खातों और अन्य वित्तीय मामलों पर लिखित समझौता हुआ था, जिसे तलाक के डिक्री में भी दर्ज किया गया। लेकिन 14 फरवरी 2020 को महिलाके पिता द्वारा भारत में एफआईआर दर्ज करवाई गई। कोर्ट ने पाया कि एफआईआर दर्ज करते समय शिकायतकर्ता (पत्नी के पिता) ने न तो तलाक का जिक्र किया और न ही हुए समझौते का। सामान्य आरोपों के तहत दहेज की मांग और ‘इस्त्रीधन’ की वापसी की बात कही गई। कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग बताया कोर्ट ने टिप्पणी की कि यह उन मामलों में से एक है जहां अक्सर पति के साथ-साथ उसके माता-पिता और रिश्तेदारों को भी बिना ठोस आधार के मामले में घसीट लिया जाता है, जो कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है। जस्टिस पुरी ने कहा कि सभी संबंधित पक्ष- पति, पत्नी और उनके माता-पिता- अमेरिका के नागरिक हैं और वहीं रह रहे हैं। समझौता भी अमेरिका में ही हुआ था और उसे तलाक के आदेश का हिस्सा बनाया गया। अंततः, अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि सभी विवाद सुलझ चुके हैं, और तलाक की डिक्री अंतिम रूप ले चुकी है। ऐसे में आईपीसी की धारा 498-A और 406 के तहत दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया गया।
स्टेट कोटे के तहत उदयपुर में 208 सरकारी सीटें, इनमें 15 एनआरआई की, प्रदेश में कुल 5 हजार सीटें
सिटी एंकर प्रदेश के मेडिकल-डेंटल काउंसलिंग बोर्ड ने 85% स्टेट कोटा एमबीबीएस-बीडीएस काउंसलिंग राउंड-1 के लिए इन्फॉरमेशन बुलेटिन व सीट-मैट्रिक्स जारी कर दिए। हालांकि, कॉलेज इन्फॉरमेशन शीट जारी नहीं हुई। सीट मैट्रिक्स के मुताबिक राजस्थान में कुल 5418 एमबीबीएस सीटें हैं। इसमें गवर्नमेंट सीटें 2208, मैनेजमेंट 1229, एनआरआई 455 और प्राइवेट सीटें 1526 हैं। आरएनटी मेडिकल कॉलेज उदयपुर में एमबीबीएस की गवर्नमेंट सीटों की संख्या 208 है। इनमें 15 एनआरआई सीटें भी हैं। ऑनलाइन एप्लीकेशन फॉर्म जमा कराते समय एप्लीकेशन फीस 2500 रुपए, रिफंडेबल सिक्योरिटी राशि 2 लाख से 5 लाख तक जमा करानी होगी। काउंसलिंग राउंड-1 में शामिल होने के लिए विद्यार्थियों को ऑनलाइन एप्लीकेशन फार्म भरने की प्रक्रिया 2 भागों में पूरी करनी होगी। ऐसा नहीं करने पर विद्यार्थी काउंसलिंग में शामिल नहीं हो सकेंगे। ऑनलाइन एप्लीकेशन फॉर्म भरने के लिए काउंसलिंग बोर्ड ने दिशा-निर्देश जारी किए हैं। प्रदेश के सिर्फ 3 सरकारी संस्थानों में 200 से ज्यादा गवर्नमेंट सीटें एजुकेशन एक्सपर्ट देव शर्मा बताते हैं कि राजस्थान के सिर्फ 3 गवर्नमेंट मेडिकल संस्थानों में 200 से अधिक गवर्नमेंट एमबीबीएस सीटें हैं। जयपुर के 3 प्राइवेट मेडिकल संस्थानों में सीटों की संख्या 250-250 है। एसएमएस मेडिकल कॉलेज जयपुर में 208, एसएन मेडिकल कॉलेज जोधपुर में 208, एसपी मेडिकल कॉलेज बीकानेर में 208 सीटें हैं। जयपुर स्थित जेएनयू इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, एमजी मेडिकल कॉलेज और निम्स व 3 अन्य प्राइवेट मेडिकल संस्थान ऐसे हैं जिनमें सीटों की संख्या 250-250 है।